शनिवार, 19 जून 2021
51 साल के हुएं राहुल गांधी, जन्मदिन पर बधाई दी
एम्स चीफ के बयान ने लोगों की चिंताएं बढ़ाईं, लहर
बस के पलटने से 27 लोगों की मौंत, कई घायल
इंडिया लिमिटेड की हुंडई को लॉन्च करने की घोषणा
फुटबॉल संघ ने ट्विटर पर प्रतिबंध की निंदा की
टीकाकरण जैसी 'महत्वपूर्ण’ 5 रणनीतियां अपनाएं
महत्वपूर्ण दौर से गुजर रही है भारतीय 'वायुसेना'
पूर्व भारतीय लीजेंड स्प्रिंटर मिल्खा सिंह की मृत्यु हुईं
सरकार के साथ काम, कोशिश कर रहा डबल्यूएचओ
सिल्वर स्क्रीन पर जासूस का किरदार निभाएंगे सलमान
24 घंटे में कोरोना के 60,753 नए मामलें दर्ज किए
प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
शुक्रवार, 18 जून 2021
दुनिया की पहली दवा के लिए खजाना खोला: यूएसए
दिल्ली में हरियाणा की सियासी गतिविधियां ज्यादा बढ़ीं
राणा ओबराय
नई दिल्ली। किसी भी कार्य की अटकलें तब लगती है जब उसमें कुछ सच्चाई होती है। यह तय माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल फेरबदल शीघ्र होगा। इसीलिए सहयोगी पार्टी जेजेपी सहित मुख्यमंत्री, गृहमंत्री दिल्ली दरबार मे हाजरी भर रहे हैं। इसलिए मनोहर लाल मंत्रिमंडल में बदलाव की अटकलों के बीच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हरियाणा की सियासी गतिविधियां बढ़ गई हैं। चंडीगढ़ में अपनी गठबंधन सरकार के 600 दिन की उपलब्धियां गिनाने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल नई दिल्ली पहुंचे। उनके बाद राज्य के गृहमंत्री अनिल विज भी अचानक दिल्ली पहुंच गए।
सीएम मनोहर लाल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की, तो अनिल विज भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने जा पहुंचे। इसके बाद हरियाणा कैबिनेट में बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं।बता दें, पिछले एक पखवाड़े से राष्ट्रीय राजधानी हरियाणा की राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनी हुई है। 31 मई को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद जेपी नड्डा से भी मुलाकात की। इसके बाद 11 जून को मनोहर सरकार में साझेदार जजपा नेता और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने गृहमंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे। दुष्यंत की शाह से मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारों यह चर्चा आम हो गई कि मनोहर मंत्रिमंडल का शीघ्र विस्तार होगा। यह चर्चा तब और प्रबल हो गई जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बुधवार चंडीगढ़ में राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य से मुलाकात की।
यूपी: यूनिसेफ के साथ बैठक में आवश्यक निर्देश दिएं
लाइसेंस लिए जाने के कानून का कड़ा विरोध किया
अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। राष्ट्रीय व्यापार मंडल के निमंत्रण पर गुरुवार को व्यापारियों गोविंदपुरम में बैठक संपन्न हुई। बैठक में व्यापारियों ने तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला की बिक्री के लिए लाइसेंस लिए जाने के कानून का कड़ा विरोध किया। सरकार पर छोटे दुकानदारों के शोषण का आरोप लगाया। व्यापारियों ने प्रदेश सरकार से यह फैसला वापस लेने की मांग की है। संगठन के संरक्षक अशोक भारतीय ने कहा कि इस फैसले से छोटे दुकानदार का उत्पीड़न बढ़ेगा।
सरकार चाहे तो तंबाकू पर पूर्ण प्रतिबंध लगा कर अच्छा संदेश दे सकती है लेकिन लाइसेंस के नाम पर छोटे दुकानदारों का उत्पीड़न सही नहीं होगा। जिला अध्यक्ष बालकिशन गुप्ता ने कहा सरकार ने तंबाकू, सिगरेट, पान, मसाला बेचने के लिए लाइसेंस लिए जाने का कानून बनाया है। साथ ही इसकी फीस भी काफी अधिक रखी गई है। इसमें यह प्रावधान है कि जो लोग तंबाकू, सिगरेट आदि बेचेंगे, वह दुकानों पर अन्य टॉफी, बिस्केट आदि की बिक्री नहीं कर सकेंगे।
कोविड़ टीकों को मुफ्त में बेच रहीं हैं सरकार: भाजपा
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पंजाब सरकार पर आरोप लगाया कि राज्य सरकार कोविड टीके लोगों को मुफ्त में उपलब्ध कराने के बजाय ऊंचे दामों पर बेच रही है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पंजाब में कोरोना के टीके जो लोगों को मुफ्त में लगायी जानी चाहिए, उन्हें राज्य सरकार अधिक कीमतों पर बेच रही है। राज्य सरकार 309 रुपये की कीमत वाली वैक्सीन की 1560 रुपये में बेच कर काला बाज़ारी कर रही है।
पुरी ने कहा "पंजाब सरकार के अधिकारी और कोविड टीकाकरण के प्रभारी ने 29 मई के कुछ आंकड़ों में इस बात का ज़िक्र किया था कि कोविशील्ड टीकों की 4.29 लाख डोज 13.25 करोड़ रुपये में खरीदी गई थी। इसकी औसत कीमत 309 रुपये है। वहीं 1,14,190 कोवैक्सिन टीकों को औसतन 4.70 करोड़ रुपये में खरीदी गई जिसके एक टीके का दाम 412 रुपये हैं।" उन्होंने कहा कि पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की केंद्र सरकार ने जनता के लिए 41 ऑक्सीजन प्लांट को मंजूरी दी है, जिसमें से कुछ तुरंत ही शुरू कर दिए जाएंगे और कुछ 15 अगस्त यानि कि देश की 74वीं आजादी की वर्षगांठ के दिन से शुरू किए जाएंगे।
पुरी ने कहा कि केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर कृषि कानूनों के बारे में कोई संदेह है, तो हम किसान नेताओं के साथ बैठकर चर्चा के लिए तैयार हैं। हम सुझावों के लिए खुले तौर पर उनका स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमें आंदोलन स्थल से दुष्कर्म की खबरें मिल रही हैं। इसकी जांच होनी चाहिए। इससे पहले भी कई भाजपा नेता इस मुद्दे को उठा चुके हैं। केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने पंजाब के 333 सिखों को काली सूची से हटा दिया है। केंद्र सरकार के नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) की वजह से हजारों सिख भाई-बहनों को देश की नागरिकता मिली है। वहीं गुरुद्वारों के लिए केंद्र सरकार ने लंगर सेवा पर जीएसटी से छूट दी है।
हापुड़: जंगल में एक सांड़ बना खूंखार, हमला किया
सतर्क, कोरोना वायरस अभी खत्म नहीं हुआ है: पीएम
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना वायरस अभी खत्म नहीं हुआ है और इसके म्यूटेशन की संभावना बनी हुई है। जिसके मद्देनजर देशवासियों को हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहना होगा। मोदी ने शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कोविड-19 अग्रिम पंक्ति के कर्मियों के लिये ‘विशेष क्रैश-कोर्स’ कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए यह बात कही। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 26 राज्यों के 111 केंद्रों में चलाया जायेगा। इस पहल के तहत लगभग एक लाख अग्रिम पंक्तियों के कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस अवसर पर कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय, कई अन्य केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मंत्री, विशेषज्ञ और अन्य हितधारक उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह शुरूआत कोरोना से लड़ने का एक अहम कदम है। उन्होंने आगाह किया कि वायरस अभी मौजूद है और उसके म्यूटेशन की संभावना बनी हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि महामारी की दूसरी लहर ने यह बता दिया है कि वायरस कैसी-कैसी चुनौतियां हमें दे सकता है। देश को हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिये और एक लाख से अधिक अग्रिम पंक्ति के जांबाजों का प्रशिक्षण इसी दिशा में उठाया गया कदम है।
'प्रकृति' का सृजन हर सवाल का सटीक जवाब हैं
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। प्रकृति का सृजन अपने आप में हर सवाल का सटीक जवाब है। किसी प्राणी की वास्तविक आवश्यकता और जीवन की हर एक वस्तु प्रकृति ने अपनी गोद में संजो रखी है। इसका लाखों-करोड़ों प्राणियों के प्रति प्यार, माँ के समान अनमोल और अतुलनीय है, जो अपने सभी बच्चों को समान दृष्टि से देखने का हुनर रखती है। बदले में प्राणियों का भी कर्तव्य है, प्रकृति के मोल को समझना। इसके बिना अपने जीवन की कल्पना करना भी प्राणी के लिए उसकी मृत्यु को निमंत्रण देने के बराबर है। लेकिन सत्य तो यही है कि अन्य प्राणियों से परे मानव अपने जीवन को दांव पर लगाने को उतारू हो चला है। अपने फायदे के लिए लगातार पेड़ों को काटना, अपशिष्ट पदार्थों को नदियों में प्रवाहित करना या जमीन में गाढ़ना, आदि तमाम कारण हैं, जिनके परिणाम दुष्कर हैं।
यह विचारणीय है कि क्या वाकई में इसमें मानव का कुछ फायदा है ? पीआर 24x7 के फाउंडर, अतुल मलिकराम कहते हैं कि मध्यप्रदेश के बकस्वाहा के स्वाहा किए जाने वाले बेशकीमती जंगल अब मानव को मूल्यहीन लगने लगे हैं। कारण यह है कि उसकी नजर में हीरों का मोल जीवन से कहीं गुना अधिक है। एक बार स्वयं से यह सवाल करने के बाद जवाब खुद-ब-खुद मानव को मिल जाएगा कि पृथ्वी से जीवन का विनाश हो जाने के बाद ये हीरे किसके और क्या काम आएँगे ? अब समय आ गया है प्रकृति से खिलवाड़ को पूर्णतः रोकने का। सरकार को इसके लिए ठोस नियम बनाने पर गंभीरता से विचार करने की सख्त आवश्यकता है।
जिसके अंतर्गत पेड़ काटने, जंगलों का विनाश करने, जलाशयों को समाप्त करने, अपशिष्ट पदार्थों के अनुचित प्रवाह, अन्य प्राणियों के जीवन को दांव पर लगाने आदि पर भारी मात्रा में दंड सुनिश्चित किए जाएं। ऑक्सीजन तथा जल ही जीवन के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं, और इन दोनों पर ही वर्तमान में खतरा मंडरा रहा है, जिसके परिणाम भविष्य का विनाश करने वाले होंगे। आर्टिफिशियल ऑक्सीजन के परिणाम हमने इस महामारी में देख ही लिए हैं। कुछ महीनों में ही इसकी भारी मात्रा में कमी सामने आ गई। विचार करें कि जब इस क्षति के चलते धरती का हर एक प्राणी आर्टिफिशियल ऑक्सीजन का उपयोग करने को मजबूर हो जाएगा, तो क्या इतने कम समय में इसकी आपूर्ति हो सकेगी।
जितने कम समय में हमें पेड़ ऑक्सीजन देते हैं। जब प्रकृति हम पर इतने उपकार करने के लिए अपना फायदा नहीं देखती है, तो हम क्यों अपने फायदे के लिए प्रकृति का नाश कर रहे है ? हम अब भी संभल सकते हैं। सरकार के कानूनों के अलावा हम भी यह प्रण जरूर लें कि हम कम से कम एक या दो पेड़ अवश्य लगाएंगे। साथ ही अन्य लोगों को भी पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करेंगे और इन्हें काटने का सख्त विरोध करेंगे। अपने-अपने स्तर पर जलाशयों को स्वच्छ रखने में बेहतर योगदान देंगे और अन्य लोगों द्वारा इन्हें दूषित किए जाने पर अधिकार से रोकेंगे। यदि अब भी हमने पर्यावरण पर ध्यान नहीं दिया, तो हम बहुत ही कम समय में खुद को अँधेरे गर्त में झोंक देंगे, और इससे हमें बाहर निकालने प्रकृति भी नहीं आएगी।
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