रविवार, 30 मई 2021

स्कूल में दफन किये गये 215 बच्चों के ​शव मिले

कनाडा। प्रसिद्ध व ऐतिहासिक कैमलूप्स इंडियन रेजिडेंटीयल स्कूल में दफन किये गये 215 बच्चों के ​शव मिले हैं। सम्भावना जताई जा रही है कि शवों की संख्या इससे भी कही अधिक होती है। दफन लाशों में बहुत से की आयु 2 से 6 साल के बीच आंकी जा रही है। यह घटना कनाडा के इतिहास में मासूम बच्चों के साथ हुई भयानक बर्बरता का सबूत दुनिया के सामने पेश कर रही है। कनाडा के प्रधानमंत्री ने इसके लिए अफसोस जताते हुए इसे कनाडा के इतिहास का सबसे शर्मनाक अध्याय बताया है।

बताया जा रहा है कि बच्चों की यह मौतें वर्ष 1890 से 1969 के मध्य हुई हैं। स्कूल के एक अधिकारी रोजैन केसिमीर ने इस घटना से पर्दा उठाते हुए एक ऐसी ऐतिहासिक घटना का जिक्र किया, जो शायद इससे पहले कभी दुनिया के सामने खुल नही पाई। उन्होंने बताया कि “19वीं सदी की शुरुआत से लेकर 1970 तक क्रिश्चियन स्कूलों में देशभर से 1.50 लाख से ज्यादा बच्चों को लाया गया था। उनके ऊपर क्रिश्चियन में कन्वर्ट करने का दबाव डाला जाता था और उन्हें अपनी मातृभाषा तक बोलने नहीं दी जाती थी। कइयों को पीटा गया। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान करीब 6 हजार बच्चे मारे गए थे।”आपको बता दें कि कनाडा का यह स्कूल एक वक्त में कनाडा का सबसे बड़ा बोर्डिंग स्कूल माना जाता था। यह ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में स्थित कैमलूप्स स्कूल 1978 में बंद हो गया था। कैमलूप्स स्कूल 1890 से 1969 तक चलाया गया था। इसके बाद सरकार ने कैथोलिक चर्च से इसका नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। इस स्कूल को 1978 में बंद कर दिया गया।

ज्ञात रहे कि बच्चों की मौत को लेकर वर्ष 2008 में कनाडा की तत्कालीन सरकार ने संसद में माफी भी मांगी थी और माना था कि उस वक्त क्रिश्चियन स्कूलों में बच्चों के साथ शारीरिक और यौन शोषण भी होता था।पांच वर्ष पूर्व ट्रूथ एंड रिकॉन्सिलिएशन कमिशन की एक रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दुर्व्यवहार और लापरवाही के कारण कम से कम 3,200 बच्चों की मौत हुई थी। जबकि, 1915 से 1963 के बीच कैमलूप्स स्कूल में 51 बच्चों की मारे जाने की रिपोर्ट दर्ज की गई थी।

इधर इस घटना पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूड्यू ने भी दु:ख जताया है। उन्होंने कहा, “स्कूल में शव मिलने की खबर दिल दु:खाती है। ये हमारे देश के इतिहास के काले और शर्मनाक अध्याय की दर्दनाक याद है। मैं उन सभी लोगों के बारे में सोच रहा हूं जो इस दुखद खबर से प्रभावित हुए हैं। हम आपके लिए यहां हैं।”

पीएम पद का सम्मान नहीं करती है ममता: भाजपा

मीनाक्षी लोधी   
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने रविवार को ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि वह प्रधानमंत्री पद का सम्मान नहीं करतीं और दावा किया कि उन्होंने राजनीतिक कारणों से चक्रवात से मची तबाही पर बुलाई गई समीक्षा बैठक में शिरकत नहीं की। घोष ने खगड़पुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन किया है, और ” अब हर कोई जान गया है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के लिए किस तरह की भाषा और शब्दों का इस्तेमाल करती हैं।”भाजपा नेता ने दावा किया, “उन्होंने (बनर्जी ने) तब भी राजनीति की जब राज्य के लोग चक्रवात और कोविड-19 महामारी के कारण संकट से जूझ रहे हैं। 
हम जानते हैं कि वह बैठक कक्ष में कैसे पहुंचीं, जहां प्रधानमंत्री मौजूद थे, उन्होंने कैसे बात की, और फिर मुख्य सचिव के साथ चली गईं।” घोष की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तापस रॉय ने कहा, “घोष द्वारा लगाए गए आरोपों पर पलटवार करने की कोशिश करने का कोई मतलब नहीं है। अब उनकी पार्टी में कोई अहमियत नहीं है।”उन्होंने कहा, “चूंकि उन्होंने कुछ टिप्पणियां की हैं, मैं कहना चाहूंगा कि यह भाजपा ही है जो चक्रवात की तबाही और कोविड स्थिति का राजनीतिकरण कर रही है।” उनके सुर में सुर मिलाते हुए तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि चुनाव में हार के बाद भाजपा ममता बनर्जी सरकार को बदनाम करने के तरीके खोज रही है।

मुख्मयमंत्री ने शनिवार को कहा था कि भाजपा नीत केंद्र सरकार ‘बदले की राजनीति’ कर रही है और मोदी तथा शाह हर कदम पर उनकी सरकार के लिए परेशानी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने विधानसभा चुनाव में अबतक भाजपा की हार नहीं मानी है। उन्होंने पूछा कि चक्रवात से मची तबाही को लेकर प्रधानमंत्री के साथ उनकी समीक्षा बैठक में विपक्षी भाजपा के नेताओं को क्यों आमंत्रित किया गया? बनर्जी ने यह भी कहा था कि उन्हें इससे अपमानजनक महसूस हुआ है।

नए डिजिटल नियमों के साथ ब्योरा साझा किया

अकांशु उपाध्याय  
नई दिल्ली। गूगल और फेसबुक जैसी बड़ी डिजिटल कंपनियों ने भारत के नए सोशल मीडिया नियमों के हिसाब से शिकायत अधिकारी की नियुक्ति समेत अन्य जानकारी सार्वजनिक करने के उद्देश्य से अपनी वेबसाइट अद्यतन (अपडेट) करने शुरू कर दिए हैं। सरकारी सूत्रों के अनुसार गूगल, फेसबुक और व्हाट्सऐप जैसी बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों ने नए डिजिटल नियमों के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्रालय के साथ ब्योरा साझा किये हैं।
हालांकि ट्विटर अभी भी नियमों का अनुपालन नहीं कर रही। नए नियमों के तहत प्रमुख सोशल मीडिया मध्यस्थों को शिकायत निपटान अधिकारी, नोडल अधिकारी और मुख्य परिचालन अधिकारी नियुक्त करने की आवश्यकता है। इन अधिकारियों के लिये जरूरी है कि उनकी नियुक्ति भारत में हो और वे यहां रहे। प्रमुख सोशल मीडिया मध्यस्थों की श्रेणी में वे सोशल मीडिया मंच आते हैं जिनके उपयोगकर्ताओं की संख्या 50 लाख से अधिक है।
उद्योग सूत्रों ने कहा कि फेसबुक और व्हाट्सऐप पहले ही अनुपालन रिपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के साथ साझा कर चुकी हैं। नये शिकायत अधिकारियों की नियुक्ति के बारे में जानकारी इन मंचों पर अद्यतन की जा रही है। गूगल ने ‘कांटेक्ट अस’ पृष्ठ पर जो ग्रियर का नाम दिया है। उनका पता माउंटेन व्यू अमेरिका का है। इस पृष्ठ पर यूट्यूब के लिये शिकायत निपटान व्यवस्था के बारे में भी जानकारी दी गयी है।

नियमों के अनुसार सभी सोशल मीडिया कंपनियों को अपनी-अपनी वेबसाइट, ऐप या दोनों पर शिकायत निपटान अधिकारी और उनके पते के बारे में जानकारी देनी है। साथ ही शिकायत के तरीके को बताना है जिसके जरिये उपयोगकर्ता या पीड़ित अपनी शिकायत कर सके। शिकायत अधिकारी को 24 घंटे के भीतर दर्ज की गयी शिकायत प्राप्त करने के बारे में सूचना देनी होगी। साथ ही ऐसे शिकायतों का निपटान प्राप्ति की तारीख से 15 दिन की अवधि में करना होगा।

सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को कहा कि ट्विटर नियमों का पालन नहीं कर रही। कंपनी ने मंत्रालय को मुख्य अनुपालन अधिकार के नाम के बारे में जानकारी मंत्रालय को नहीं भेजी। उसने विधि कंपनी में काम करने वाले एक वकील का नाम बतौर संपर्क अधिकरी और शिकायत अधिकारी के रूप में दिया है। सूत्रों के अनुसार जबकि आईटी नियमों में साफ कहा गया है कि सोशल मीडिया मंचों के मनोनीत अधिकारियों के कंपनी का कर्मचारी होना और उसका भारत में निवासी होना जरूरी है।

इस बारे में ट्विटर ने ई-मेल के जरिये पूछे गये सवालों का जवाब नहीं दिया। कंपनी की वेबसाइट पर भारत के लिये शिकायत अधिकारी (अंतरिम) के तौर पर धर्मेन्द्र चतुर का नाम दिया गय है। गूगल, फेसबुक और व्हाट्सऐप ने भी नये आईटी नियमों के तहत जरूरी नियुक्तियों के बारे में ई-मेल के जरिये पूछे गये विस्तृत सवालों के जवाब नहीं दिये। सूत्रों ने पूर्व में कहा था कि नये नियमों के प्रावधानों को लागू करने के संदर्भ में गूगल, फेसबुक और व्हाट्सऐप के अलावा कू, सर्चचैट, टेलीग्राम और लिंक्डइन जैसे महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थों ने मंत्रालय के साथ ब्योरा साझा किये हैं।


1 जून से राष्ट्रव्यापी 'काला दिवस' मनाएंगा आईएमए

अकांशु उपाध्याय                
नई दिल्ली। बाबा रामदेव और आईएमए के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। दिनों दिन यह विवाद एक नया मोड़ लेता जा रहा है। डॉक्टर जहां इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पक्ष में है और एलोपैथिक का समर्थन कर रहे हैं, तो वही देश के कुछ लोग बाबा रामदेव का भी समर्थन कर रहे हैं। कुछ लोग एलोपैथी को लेकर यह कहते हैं कि वास्तव में एलोपैथी से इलाज हो रहा है मगर महंगा इलाज भी हो रहा है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों का मत ऐसा भी है कि आयुर्वेदिक उपचार से भी लोग ठीक हो रहे हैं। कोरोना मरीज को काढ़ा पिलाना आयुर्वेद की श्रेणी में ही आता है। 

फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन इंडिया का कहना की एलोपैथिक पर बाबा रामदेव का बयान बेहद आपत्तिजनक है। वह डॉक्टर को आहत करने वाला है। इसीलिए 1 जून को पूरे देश में राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेगा और काला दिवस मनाएगा। फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन इंडिया का कहना है कि कोरोना योद्धा और आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ योग गुरु रामदेव के बयानों के विरोध में आवाज उठाने के लिए रोगी की देखभाल में बिना बाधा डाले ही देशव्यापी काला दिवस मनाया जाएगा और विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

अभिभावकों को 4000 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे

हरिओम उपाध्याय                     

लखनऊ। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने बड़ा कहर देश के अंदर ढहाया है। चारों तरफ हाहाकार मचा रहा। कोई ऑक्सीजन के अभाव में मरा, तो किसी को समय पर दवाई नही मिल पाई, किसी को समय पर इलाज ना मिलने के कारण उसने अपने प्राण त्याग दिए। कई घर ऐसे भी हैं, जिनके परिजन अब इस दुनिया में नहीं रहे और उनके घर में कोई कमाने वाला शख्स भी इस दुनिया में नहीं रहा और संक्रमण की दूसरी उसे इस दुनिया से ले गई।

इसी कड़ी में कई पत्रकारों ने भी अपनी जान गवाई है कोरोना संक्रमण की लहर की चपेट में आकर कई पत्रकार इस दुनिया से विदा हो गए। आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है। इस अवसर पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महामारी से दिवंगत पत्रकारों के परिजनों को सहायता राशि देने का ऐलान किया है। पीएम ने घोषणा की है कि दिवंगत पत्रकारों के परिजनों को 10 लाख की आर्थिक सहायता दी जाएगी। सरकार के इस फैसले ने परिजनों के लिए थोड़ी राहत दी है। जाने वाले इस दुनिया से चले गए। मगर सरकार के इस फैसले के बाद कोरोना संक्रमण के दौरान जान गवाने वाले पत्रकारों के परिजनों को थोड़ी राहत अवश्य मिलेगी।

इससे पहले कोरोना महामारी में अनाथ हुए बच्चों की देखभाल का जिम्मा भी योगी सरकार ने उठाया है। मुख्यमंत्री ने बाल सेवा योजना शुरू करने की घोषणा की है। इसके तहत सरकार ऐसे बच्चों की देखभाल का जिम्मा उठाएगी जिनके माता-पिता इस महामारी में नहीं रहे। ऐसे बच्चों के वयस्क होने तक उनके अभिभावकों को सरकार 4000 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे।

कहर: जहरीली शराब से और 19 लोगों ने तोड़ा दम

अलीगढ़। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जहरीली शराब के कारण हुई मौतों का आंकड़ा निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। पहले दिन जहां मौतों का आंकड़ा कम था, वह दूसरे दिन 19 लोगों ने अस्पतालों के गांव में दम तोड़ दिया। अब तक कुल मिलाकर 51 लोग मौत के आगोश में जा चुके हैं। हालांकि प्रशासन का कहना है कि अब तक 25 लोगों की मौत हुई है। प्रशासन ने केवल 25 लोगों की मौत की पुष्टि की है।

फरार चले पचास पचास हजार के इनामी शराब ठेकेदारों का अभी तक कोई सुराग नहीं लग पाया है। वहीं एसएसपी ने एसओ लोधा अभय कुमार शर्मा को निलंबित कर दिया है। मुख्य आरोपी की पत्नी समेत छह अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है। शुक्रवार की सुबह से लेकर रात तक गांव देहात अस्पतालों के चक्कर लगाने वाले अफसरों को शनिवार को भी दिन निकलते ही बुरी खबरों ने चौका दिया। सुबह पिसावा थाना क्षेत्र के गांव शादीपुर में 5 लोगों की मौत से अफसरों में हड़कंप मच गया। तहसीलदार संतोष कुमार ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा। ग्रामीणों का आरोप था कि सभी मौत जहरीली शराब से हुई है। इसके बाद जट्टारी का गांव मादक और लोधा के करसुआ में मौत की सूचना मिली। करसुआ में गैस प्लांट के बाहर कैप्सूल ट्रक में भी शव बरामद हुआ है। अलग-अलग गांव से मौतों का आंकड़ा निरंतर बढ़ रहा है। मेडिकल कॉलेज में 2 दिन में शराब से 25 लोगों की मौत दर्ज की गई है।

झूठी छवि लिए किसी भी विषय पर बोलना होगा

अकांशु उपाध्याय             

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘झूठी छवि’ के लिए उनकी सरकार के किसी विभाग के मंत्री किसी भी विषय पर बोलने को मजबूर हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ”प्रधानमंत्री की झूठी छवि के लिए किसी भी विभाग का मंत्री किसी भी विषय पर कुछ भी बोलने के लिए मजबूर है।”

इससे पहले कोरोना संकट को लेकर राहुल गांधी ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में दावा किया था कि टीकाकरण की जो गति अभी चल रही है वह यदि इसी प्रकार चलती रही तो उसके पूरा होने में तीन साल लग जाएंगे। उन्होंने यह आरोप भी लगाया था कि प्रधानमंत्री की ‘नौटंकी’ के कारण कोरोना की दूसरी लहर आई।

दिल्ली में 2.0 तीव्रता का भूकंप, महसूस नहीं हुआ

दिल्ली में 2.0 तीव्रता का भूकंप, महसूस नहीं हुआ अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। दबे पांव पहुंचे भूकंप ने धरती को हिलाते हुए पब्लिक को दहशत में ड...