बुधवार, 5 मई 2021

गडकरी को सौंपे महामारी से निपटने का दायित्व

अकांशु उपाध्याय  

नई दिल्ली। कोरोना की बढ़ती महामारी के बीच भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि इससे निपटने का जिम्मा नितिन गडकरी को सौंप देना चाहिए। सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि भारत में एक और कोरोना की लहर आ सकती है जिसमें बच्चे और अधिक खतरे में होंगे। ऐसे में जरूरी कड़े कदम उठाने होंगे।

सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर लिखा है कि कोरोना से पूरी लड़ाई को लड़ने का जिम्मा प्रधानमंत्री मोदी को नितिन गडकरी को सौंप देना चाहिए। पीएमओ पर सिर्फ निर्भर रहने से काम नहीं चलेगा। कोरोना के बढ़ते केस के बाद जो हालात हैं उससे निपटने के तरीकों को लेकर विपक्ष की ओर से आलोचना हो रही है।
देश कोरोना के कहर से जूझ रहा है। एक ओर हजारों की संख्या में रोजाना मामले दर्ज हो रहे हैं तो वहीं सैकड़ों लोग अपनी जान गवां रहे हैं। वहीं, केंद्र सरकार समेत राज्य सरकारें इस लड़ाई से निपटने की हर संभव प्रयास कर रही है। वहीं, हर कोई एक दूसरे की मदद के लिए सामने आते भी दिख रहा है। रेलवे प्रशासन ने भी इसमें भाग लेते हुए ट्रेन के कोच में आइसोलेशन की सुविधा शुरू की है। बताया जा रहा है कि अब तक आइसोलेशन कोचों में 146 कोरोना मरीजों को भर्ती किया गया है। वहीं, 80 लोग अब तक डिसचार्ज किए जा चुके हैं। जानकारी के मुताबिक अभी 66 मरीजों का इलाज चल रहा है। रेलवे मिनिस्ट्री की ओर से जारी एक बयान में बताया गया कि रेलवे अब तक 4000 आइसोलेशन कोच बना चुका है। जिसमें 64 हजार बेड की व्यवस्था है। बता दें, रेलवे ने ये सुविधा महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में दे रही है। वहीं, जल्द गुजरात और नागालैंड में भी इसकी शुरुआत की जाएगी।
आपको बता दें, देश में कोरोना से बनी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। आंकड़े प्रतिदिन रिकोर्ड बनाते दिख रहे हैं। देश में कुल आंकड़ों की बात करें तो ये आंकड़ा 2 करोड़ के पार हो गया है। 
वहीं, इस महामारी के चलते 2 लाख 22 हजार 408 लोगों ने अपनी जान गवां दी है। महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश ये वो राज्य हैं जहां कोरोना के सबसे अधिक मामले देखें गए हैं। महाराष्ट्र में 47 लाख 71 हजार 022 मामले दर्ज हो चुके हैं, तो वहीं 70 हजार से अधिक लोगों ने इस गंभीर बीमारी से अपनी जान गवां दी है।

दूसरी लहर से अर्थव्यवस्था काफी बिगड़ी: गवर्नर

अकांशु उपाध्याय  

नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर चल रहा है। कई राज्यों में लॉकडाउन या लॉकडाउन जैसी स्थिति है। इसे देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अहम बयान दिया। उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर इकोनॉमी के लिए नुकसानदेह है और रिजर्व बैंक हालात पर पूरी तरह से नजर बनाए हुए है।

उन्होंने कहा कि भारत मजबूत सुधार की ओर बढ़ रहा था। जीडीपी बढ़त पॉजिटिव हो गई थी। लेकिन दूसरी लहर आने के बाद पिछले कुछ हफ्तों में हालत काफी​ बिगड़ गई है। रिजर्व बैंक लगातार हालात पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि आउटलुक काफी अनिश्चित है। गर्मी में ज्यादातर देशों में टीका आ जाएगा। उन्होंने कहा कि मॉनसून के इस साल सामान्य रहने का अनुमान जारी किया गया है जिसका महंगाई पर सकारात्मक असर रहेगा। खाद्यान्न उत्पादन पिछले साल भी अच्छा रहा है। कारोबार जगत के लोग यह सीख चुके हैं कि भौतिक प्रतिबंधों के बीच किस तरह से काम किया जाए। लेकिन मांग पर दबाव रहेगा। लॉकडाउन और कोरोना संकट की वजह से इकोनॉमी पर फिर से खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास का यह संबोधन काफी महत्वपूर्ण है। कोरोना को रोकने के लिए राज्य स्तर पर लागू किए जा रहे लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियां थम सी गई हैं। 
कोरोना संकट कम नहीं
गौरतलब है कि कोरोना वायरस का नया रूप देश में भारी तबाही मचा रहा है। देश में रोजाना 3.50 लाख से कोरोना के नए मामले आ रहे हैं। पिछले 24 घंटे में देश में कोरोना के 3,82,691 नए केस सामने आए हैं।
RBI ने ट्वीट कर कहा था, 'आरबीआई गर्वनर स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजे मीडिया को संबोधित करेंगे।' पिछले साल लॉकडाउन लगना अर्थव्यवस्था के लिए काफी नुकसानदेह साबित हुआ था। अप्रैल 2020 की वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में करीब 24 फीसदी की भारी गिरावट आई थी।
इकोनॉमी की चिंता
इसकी अगली तिमाही में भी जीडीपी नेगेटिव रही थी. लगातार दो तिमाही में जीडीपी में आई गिरावट की वजह से इकोनॉमी तकनीकी रूप से मंदी के दौर में पहुंच गई थी। उस दौर में केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज तो दिया ही था, रिजर्व बैंक ने भी सिस्टम में नकदी डालने के कई इंतजाम किए थे। आम लोगों को राहत देने के लिए लोन पर मोरेटोरियम की सुविधा दी गई थी।

श्रीमान जी गद्दी छोड़ दीजिए, कुर्सी से उतर जाइए

अरुंधति राय 
हमें सरकार की जरूरत है बहुत बुरी तरह से। जो हमारे पास है नहीं। सांस हमारे हाथ से निकलती जा रही है। हम मर रहे हैं। हमारे पास यह जानने का भी कोई सिस्टम नहीं है कि यदि मदद मिल भी जाए तो इसका इस्तेमाल कैसे हो पाएगा।
क्या किया जा सकता है? अभी, तत्काल? हम 2024 आने का इंतजार नहीं कर सकते हैं। निजी तौर पर मैं उनसे कुछ भी मांगने से पहले जेल जाना पसंद करती। लेकिन आज, जब हम अपने घरों में, सड़कों पर, अस्पतालों में, खड़ी कारों में, बड़े महानगरों में, छोटे शहरों में, गांव में, जंगलों और खेतों में मर रहे हैं।मैं एक सामान्य नागरिक के तौर पर, अपने स्वाभिमान को ताक पर रखकर करोड़ों लोगों के साथ मिलकर कह रही हूं, श्रीमान्, कृपया, आप गद्दी छोड़ दीजिए।
अब तो कम से कम कुर्सी से उतर जाइए। इस समय मैं आपसे हाथ जोड़ती हूं, आप कुर्सी से हट जाइए। यह संकट आप की ही देन है। आप इसका समाधान नहीं निकाल सकते हैं। आप इसे सिर्फ बद से बदतर करते जा रहे हैं। यह विषाणु भय व घृणा और अज्ञानता के माहौल में फलता-फूलता होता है। यह उस समय फलता-फूलता है जब आप बोलने वालों को प्रताड़ित करते हैं। यह तब होता है जब आप मीडिया को इस तरह प्रतिबंधित कर देते हैं कि असली सच्चाई सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मीडिया में ही बताई जाती है।
यह तब होता है जब आपका प्रधानमंत्री अपने प्रधानमंत्रित्व काल के दौरान एक भी प्रेस कांफ्रेस नहीं करता है, जड़वत कर देनेवाले इस भयावह क्षण में भी जो किसी भी सवाल का जवाब देने में अक्षम है। अगर आप पद से नहीं हटते हैं तो, हममें से लाखों लोग, बिना किसी वजह के मारे जाएंगे। इसलिए अब आप जाइए। झोला उठा के। अपनी गरिमा को सुरक्षित रखते हुए। एकांतवास में आप अपनी आगे की जिन्दगी सुकून से जी सकते हैं।
आपने खुद कहा था कि आप ऐसी ही जिन्दगी बसर करना चाहते हैं। इतनी बड़ी संख्या में लोग इसी तरह मरते रहे तब वैसा संभव नहीं हो सकेगा।
आपकी पार्टी में ही कई ऐसे लोग हैं जो अब आपकी जगह ले सकते हैं। वे लोग संकट की इस घड़ी में राजनीतिक विरोधियों से मदद लेना जानते हैं।
आरएसएस की सहमति से, आपकी पार्टी का वह व्यक्ति सरकार का नेतृत्व कर सकता है और संकट प्रबंधन समिति का प्रमुख हो सकता है। राज्य के मुख्यमंत्रीगण सभी पार्टियों से कुछ लोगों को चुन सकते हैं जिससे कि दूसरी पार्टियों को लगे कि उनके प्रतिनिधि भी उसमें शामिल हैं। राष्ट्रीय पार्टी होने के चलते कांग्रेस पार्टी को उस कमिटी में रखा जा सकता है। उसके बाद उसमें वैज्ञानिक, जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ, डॉक्टर्स और अनुभवी नौकरशाह भी होंगे। हो सकता है आपको यह समझ में नहीं आए, लेकिन इसे ही लोकतंत्र कहते हैं।
आप विपक्ष मुक्त लोकतंत्र की परिकल्पना नहीं कर सकते हैं। वही निरंकुशता कहलाता है। इस विषाणु को निरंकुशता भाता भी है।अभी यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, क्योंकि इस प्रकोप को तेजी से एक अंतरराष्ट्रीय समस्या के रुप में देखा जाने लगा है जो पूरी दुनिया के लिए खतरा है, आपकी अक्षमता दूसरे देशों को हमारे आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने का वैधता दे रही है कि वह कोशिश करके और मामले को अपने हाथ में ले ले।
यह हमारी संप्रभुता के लिए लड़ी गई कठिन लड़ाई से समझौता होगा। हम एक बार फिर से उपनिवेश बन जाएंगे। इसकी गंभीर आशंका है। इसकी अवहेलना बिल्कुल नहीं करें।इसलिए कृपया आप गद्दी छोड़ दीजिए। जवाबदेही का यही एक काम आप कर सकते हैं। आप हमारे प्रधानमंत्री होने के नैतिक अधिकार को खो चुके हैं।
(अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद – जितेंद्र कुमार)

वर्तमान पीएम मोदी से कुर्सी छोड़ने का तीखा आग्रह

नरेंद्र दामोदरदास मोदी,
प्रधानमंत्री, भारत सरकार।
अकांशु उपाध्याय   
नई दिल्ली। भारत की 130 करोड़ अवाम को आज ऑक्सीजन नहीं चाहिए- वह तो लोग जुगाड़ कर ही रहे हैं। भारत को आज रेमडेसीविर और प्लाज़्मा भी नहीं चाहिए- वह भी किसी तरह जमाखोरों से जुगाड़ किया जा रहा है, या लोग दान कर रहे हैं।
आपकी अवाम को अस्पताल भी नहीं चाहिए, जो आपने बीते 8 साल में नहीं दिए। हम खुद ही बिस्तर जुगाड़ लेंगे या सड़क पर मरना पसंद करेंगे। भारत की अवाम को ऐसा पिट्ठू राष्ट्रपति भी नहीं चाहिए, जो अपनी सरकार की नाकामी और चहुंओर आलोचनाओं पर भी लाचार और चुप है।
आज भारत की 130 करोड़ अवाम को एक अदद सरकार चाहिए। देश की अवाम और खासकर मेरे जैसे लोग इसके लिए 2024 तक इंतज़ार नहीं कर सकते। मैं आपके आगे मदद के लिए गिड़गिड़ाने के बजाय जेल जाना या सड़क पर मरना पसंद करूंगा।
मैं एक आम नागरिक के रूप में अपने वतनपरस्त साथियों और देश की अवाम की ओर से प्रधानमंत्री से आग्रह करता हूं कि कृपया तुरंत अपने पद से इस्तीफा दें। कुर्सी से हट जाएं। आप इस देश को जन्नत बनाने की कला नहीं जानते, पर आपको इसे नर्क बनाने की कला खूब आती है। आप हालात को संभाल नहीं पा रहे।
प्रधानमंत्री जी, आप अभी कुर्सी नहीं छोड़ेंगे तो आगे और लाखों लोग मरेंगे। आपने कहा था कि रिटायरमेंट के बाद योग और ध्यान करके वक़्त काटेंगे। तो जाइये, वही कीजिये। आपकी बची-खुची गरिमा बनी रहेगी। आपकी पार्टी के बहुत से नेता आपकी जगह ले सकते हैं। आरएसएस की अनुमति से। उम्मीद है वे आपसे तो बेहतर और संवेदनशील ही होंगे।
राष्ट्रपति देश की तमाम राज्य सरकारों से एक सर्वदलीय समिति के गठन को कहें, जिसमें विपक्ष के नेताओं के साथ वैज्ञानिक, डॉक्टर, जन स्वास्थ्य के विशेषज्ञ शामिल हों।
प्रधानमंत्री जी, भारत इस वक़्त दुनिया के लिए खतरा बन चुका है। भारत में कोविड की समस्या सिर्फ देश की ही नहीं, दुनिया के लिए भी है। प्रधानमंत्रीजी, आपकी अक्षमता दुनिया के ताक़तवर देशों को भारत के मामलों में घुसपैठ करने का मौका दे रही है।
आज पूर्वी लद्दाख में चीन की घुसपैठ को एक साल हो गए। हमने अपनी ज़मीन खोई, 1959 की LAC को मान लिया, आपने अपनी ही सेना को शर्मसार किया, क्योंकि चीन ने उसे घुसपैठिया बताया था और आप चुप रहे।
आपके शासन में अभी भारत की संप्रभुता भी खतरे में है। भारत विदेशी ताक़तों का उपनिवेश बनता जा रहा है। देश के हज़ारों नौजवानों, सेनानियों ने इसी संप्रभुता के लिए जान दी है। आप भी जानते हैं कि आरएसएस ने अंग्रेजों से सिर्फ माफ़ी ही मांगी। अब आपकी पार्टी तो लोकतंत्र के लिए ही खतरा बन चुकी है।
मोदीजी, आपने ही कहा था कि फ़कीर आदमी हूं, झोला उठाकर निकल लूंगा। तो निकल लीजिए, वक़्त आ चुका है। हम भारतीयों को मंदिर-मस्जिद, मूर्तियां, नई संसद, आपकी हवेली और बिकता हुआ देश नहीं, एक सरकार चाहिए-जो मौत नहीं, ज़िन्दगी बांटे।
मोदीजी, आप भारत का प्रधानमंत्री बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं। इसलिए अपनी ज़िम्मेदारी निभाएं और कुर्सी छोड़ दें। हम सब भारत के नागरिक आपसे विनती करते हैं। 

आपदा में अवसर, नींबू-नारियल के दाम तीन गुणा

राणा ओबरॉय  
रोहतक। जिले में कोरोना महामारी ने हर तरफ से लोगों की कमर तोड़ दी है। कमाई के साधन बंद पड़े हैं और उस पर महंगाई बढ़ने लगी है। कोरोना के मरीजों के लिए लाभदायक नींबू-नारियल जैसी सामान्य वस्तुओं के दामों में भी भारी उछाल देखा जा रहा है। अनेक लोगों को मायूस होकर मजबूरी में इतने महंगे दामों पर भी ये खरीदने पड़ रहे हैं।
शहर में 40 से अधिक स्थानों पर फुटपाथ पर कच्चा नारियल बेचा जा रहा है। इसके अलावा दुकानों पर भी कच्चे नारियल बेचे जा रहे हैं। महामारी के दौर में खुद को स्वस्थ्य रखने या मरीजों के स्वास्थ्य में जल्दी सुधार के लिए लोग इसका सेवन कर रहे हैं। जिससे इसकी मांग बढ़ रही है।
ऐसे में जो नारियल दो सप्ताह पहले तक 40 रुपये का मिल रहा था, वहीं अब 70 से 80 रुपये में मिल रहा है। झज्जर रोड पर निवासी अनिल ने बताया कि वो कच्चा नारियल लेने के लिए मानसरोवर पार्क के निकट आया था। जब उन्होंने नारियल का रेट पूछा तो दुकानदार ने 80 रुपये बताया। यह सुनकर वह दंग रह गया।
वहीं, मकडौली गांव निवासी सुमित ने बताया कि नारियल पानी के दाम 70-80 रुपये लिए जा रहे हैं। इनके अलावा नींबू भी 120 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक रहा है। जबकि दो सप्ताह पहले तक इसके दाम 80 रुपये प्रति किलोग्राम थे। वहीं, पपीता, कीवी, संतरा और मौसमी के दामों में भी भारी उछाल हो गया है।
उधर, लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि महामारी के ऐसे समय में इन सामान्य वस्तुओं के दाम तय किए जाने चाहिए। ताकि जरूरत के समय आम लोगों को दिक्कतें न उठानी पड़े। इस कोरोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि रोहतक में दिल्ली से फल आते है। दिल्ली में लॉकडाउन का असर यहां हो रहा है। वहीं से फल महंगे मिल रहे हैं और मांग भी बहुत बढ़ गई है।
जिसका असर दामों पर पड़ रहा है। नई फल एवं सब्जी मंडी आढ़ती वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान सोनू छाबड़ा ने बताया कि महामारी के बीच कच्चे नारियल, नींबू, संतरा व कीवी आदि फलों की मांग बढ़ गई है। कच्चे नारियल का प्रति पीस 60 रुपये थोक में ही मिल रहा है। वहीं, दूसरी तरफ आवक कम है। इसी कारण दामों में वृद्धि हो गई है।

आप से नहीं संभल रहा, दायित्व सेना को सौंपे: एचसी

 अविनाश श्रीवास्तव  
पटना। देशभर समेत बिहार में भी कोरोनावायरस को लेकर हालात बिगड़ते जा रहे हैं। राज्य में हर दिन संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ रहा है। वहीं कई पीड़ित लोग ऑक्सीजन और बेड की कमी से जूझ रहे हैं। बिहार में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि अगर आप से स्थिति नहीं संभल रही है तो क्या कोविड का प्रबंधन सेना को सौंप देना चाहिए? अदालत ने कहा कि बार-बार आदेश देने के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है। कोर्ट ने यहां तक कह डाला कि ये शर्म की बात है कि हमारे बार-बार आदेश देने के बाद भी लोग मर रहे हैं। इस बीच राज्य में ना तो सरकारी अस्पताल और न निजी अस्पताल में लोगों को बेड मिल रहा है और जो भर्ती हैं उन्हें पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन भी नहीं मिल रहा है।

ऑक्सीजन के अभाव में मौत को हत्या क्यों ना माने

बृजेश केसरवानी  

प्रयागराज। कोरोना महामारी के बीच ऑक्सीजन की कमी को लेकर देशभर की अदालतें सरकारों से बेहद नाराज हैं। इसी सिलसिले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार सख्त टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने कहा कि अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई नहीं होने से कोरोना मरीजों की जान जाना अपराध है, यह किसी नरसंहार से कम नहीं है।

जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की बेंच राज्य में कोरोना के बढ़ते मामलों और क्वारैंटाइन सेंटर्स की स्थिति को लेकर दायर पिटीशन पर सुनवाई कर रही थी। इसी दौरान लखनऊ और मेरठ में ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौतों को लेकर सोशल मीडिया पर चल रही खबरों के रेफरेंस में कोर्ट ने कमेंट किया। साथ ही दोनों जिलों के DM को ऐसी खबरों की 48 घंटे में जांच कर अगली सुनवाई पर ऑनलाइन पेश होकर रिपोर्ट देने को कहा है।

कोर्ट ने कहा, ‘कोरोना मरीजों को मरते देख हम दुखी हैं। यह उन लोगों द्वारा नरसंहार से कम नहीं, जिन पर ऑक्सीजन की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी है। हम अपने लोगों को इस तरह कैसे मरने दे सकते हैं, जबकि विज्ञान इतना एडवांस है कि आज हार्ट ट्रांसप्लांटेशन और ब्रेन सर्जरी भी हो रही हैं।’

हाईकोर्ट ने कहा कि आमतौर पर हम राज्य सरकार और जिला प्रशासन को सोशल मीडिया पर वायरल खबरों की जांच करने के लिए नहीं कहते, लेकिन इस मामले से जुड़े वकील भी इस तरह की खबरों का जिक्र कर रहे हैं। उनका यहां तक उनका है कि राज्य के बाकी जिलों में भी यही स्थिति है। इसलिए हमें (कोर्ट) सरकार को तुरंत कदम उठाने के आदेश देना जरूरी लगा।

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार
दिल्ली में ऑक्सीजन संकट पर हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा कि आप शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर डालकर बैठे रह सकते हैं हम नहीं। इसके बाद केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर पूछा कि दिल्ली को ऑक्सीजन सप्लाई करने के आदेश का पालन नहीं करने पर क्यों न आपके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला चलाया जाए।

'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन

'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन   मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए स्कूली बच्चों ने निकाला रैली कौशाम्बी। एन डी कान...