गुरुवार, 31 दिसंबर 2020

यादव की पुण्यतिथि पर फूल अर्पित, श्रद्धांजलि

बृजेश केसरवानी
प्रयागराज। समाजवादी पार्टी के जिला कार्यालय जॉर्ज टाउन में आज महान समाजवादियों स्व राजनारायण एवं सपा के पूर्व जिला अध्यक्ष स्व जवाहर सिंह यादव की पुण्यतिथि पर दोनों नेताओं के चित्र पर फूल माला अर्पित कर सपा नेताओं एवं कार्यकर्ताओं द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। सपा नेताओं ने स्व राजनारायण को समाजवाद का प्रखर नेता बताते हुए कहा कि सिद्धांतों से समझौता नहीं करने और सादगीपूर्ण ढंग से जीवन जीने की शैली से वह हमेशा चर्चा में बने रहते थे। उनके आदर्शों से प्रेरणा लेनी चाहिए। वहीं पूर्व विधायक व पूर्व जिलाध्यक्ष स्व जवाहर सिंह यादव को समाज वाद का पुरोधा बताते हुए उनके साथ बिताए गए दिनों के तमाम संस्मरण सुनाते हुए आदर्श चरित्र और संघर्ष शील नेता बताया। इस अवसर पर सर्व श्री योगेश चन्द्र यादव, महानगर अध्यक्ष सैयद इफ्तेख़ार हुसैन,  एम एल सी डॉ मानसिंह यादव, जिला महासचिव संदीप पटेल,पूर्व सांसद धर्म राज पटेल, सत्यवीर मुन्ना,कमल सिंह यादव , पंधारी यादव, सत्य वीर मुन्ना, राम मिलन यादव, अनिल यादव, रवींद्र यादव रवि, कमला यादव, मंजू यादव, रेनू बालमिकी, महबूब उस्मानी, आर एन यादव, पप्पू लाल निषाद, , दान बहादुर मधुर,सै०मो०अस्करी , नाटे चौधरी, कुलदीप यादव, दिनेश, संतलाल वर्मा , किताब अली, सन्तोष यादव,राकेश यादव, जी एस यादव,नवीन यादव, आशुतोष त्रिपाठी, आशीष पाल, कृपा शंकर बिंद, सुरेंद्र केसरवानी, ननकऊ यादव,वीरु पासी,अभिमन्यू पटेल,रमाकान्त पटेल,ओ पी यादव,आशीष यादव,,रोहित यादव,रुपनाथ यादव,जयभारत यादव,हृदय मौर्या,पप्पू पासी,सै०मो०हामिद, मो०ज़ैद,राकेश वर्मा,ज़फर अहमद आदि नेतागण मौजूद रहे।

भू माफियाओं के खिलाफ एलडीए ने की कार्रवाई

सरवन कुमार सिंह 

लखनऊ । जिला प्रशासन और एलडीए की संयुक्त टीम ने बुधवार को सरोजनीनगर तहसील की सरसवां व सदर तहसील की मलेसे मऊ बार्डर पर गोमती नदी किनारे बिल्डरों द्वारा अवैध रूप से कब्जा की गई बड़े पैमाने पर कीमती जमीन पर कब्जा ले रहा है। लखनऊ विकास प्राधिकरण के अनुसार दो बिल्डरों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया था। इस दौरान बिल्डरों से मौके पर एसडीएम व एलडीए के अधिकारियों से नोकझोंक होती रही।

बताया जाता है कि जमीन मलेसे मऊ के अंतर्गत प्राधिकरण की अधिग्रहित भूमि है और वर्तमान समय में जमीन प्राधिकरण के नाम दर्ज है। इस जमीन पर लंबे समय से कुछ किसानों द्वारा जहां खेती की जा रही थी वहीं बिल्डर द्वारा जमीन पर प्लॉटिंग व अपार्टमेंट बनाने की भी तैयारी की जा रही थी।प्लाटिंग से सटे एक बड़े भू-भाग पर बैरिकेडिंग की गई थी। मौके पर पहंचे एसडीएम सदर प्रफुल्ल त्रिपाठी, एसडीएम सरोजनीनगर किंशुक श्रीवास्तव तहसीलदार सरोजनीनगर ज्ञानेन्द्र सिंह, तहसीलदार उमेश सिंह, तहसीलदार एलडीए असलम ने भारी फोर्स के साथ जमीन पर कब्जा किया और बैरिकेडिंग व प्लॉटिंग को हटाने की कार्यवाही शुरू की।

गोमती नदी किनारे प्राधिकण ने अपनी अधिग्रहीत 90 एकड़ जमीन पर पिलर गाड़ कर कब्जा लेने की कार्यवाही को शुरू कर दिया है। एसडीएम प्रफुल्ल त्रिपाठी का कहना है कि पूरी जमीन की पैमाईश कराकर ही कार्यवाही की जा रही है। जो जमीन लखनऊ विकास की अवैध कब्जे में थी, उससे मौके पर कब्जा हटा कर जमीन पर पिलर गाड़ने की भी कार्यवाही की जा रही है। इस दौरान करीब 1500 करोड़ की जमीन खाली कराई जा रही है।

2 से वैक्सीन का ड्राई रन शुरू, स्वास्थ्य मंत्रालय

अकांशु उपाध्याय  

नई दिल्ली। कोरोना महामारी पर जीत पाने भारत अब और भी ज़्यदा मजबूत होता नजर आ रहा है वही कोरोना वैक्सीन को लेकर भारत अब लगातार एक कदम आगे बढ़ता जा रहा है। बता दे गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने बड़ा फैसला लिया है। अब 2 जनवरी से देश के हर राज्य में कोरोना वैक्सीनेशन का ड्राई रन किया जाएगा। जानकारी अनुसार अबतक देश के 4 राज्यों में ही ऐसा ड्राई रन किया गया था। जिसमें पंजाब, असम, गुजरात और आंध्र प्रदेश में किया गया था। चारों राज्यों में ड्राई रन को लेकर अच्छे रिजल्ट सामने आए थे, जिसके बाद अब सरकार ने पूरे देश में इस ड्राई रन को लागू करने का फैसला किया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार ड्राई रन में राज्यों को अपने दो शहरों को चिन्हित करना होगा। इन दो शहरों में वैक्सीन के शहर में पहुंचने, अस्पताल तक जाने, लोगों को बुलाने, फिर डोज देने की पूरी प्रक्रिया का पालन इस तरह किया जाएगा, जैसे वैक्सीनेशन हो रहा हो। साथ ही सरकार ने कोरोना वैक्सीन को लेकर जिस कोविन मोबाइल ऐप को बनाया है, उसका भी ट्रायल किया जाएगा। ड्राई रन के दौरान जिन लोगों को वैक्सीन दी जानी होती है, उन्हें SMS भेजा जाएगा। उसके बाद अधिकारियों से लेकर स्वास्थ्यकर्मी वैक्सीनेशन पर काम करेंगे। पूरे देश में ड्राई रन चलाने से पहले पंजाब, असम, गुजरात और आंध्र प्रदेश में ड्राई रन किया गया। पंजाब के लुधियाना और शहीद भगत सिंह नगर में इस दौरान पूरे सिस्टम को ऑनलाइन अपनाया गया। वैक्सीन के स्टोरेज से लेकर लोगों को जानकारी देने तक प्रक्रिया का ऑनलाइन तरीके से पालन किया गया। अन्य राज्यों में भी यही प्रक्रिया 28, 29 दिसंबर को अपनाई गई।

अंतिम चरण में हर घर टीका पहुंचाने की कोशिश

अकाशुं उपाध्याय  

 नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस के टीकाकरण अभियान को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि कोरोना के टीके को लेकर देश में सभी जरूरी तैयारियां चल रही हैं। भारत में निर्मित कोविड का टीका हर घर तक पहुंचे, इसके लिए कोशिशें अंतिम चरण में है। प्रधानमंत्री मोदी ने यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की आधारशिला रखने के बाद उम्मीद जताई कि जिस प्रकार कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश ने एकजुटता दिखाई, उसी प्रकार टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए भी पूरा भारत एकजुटता से आगे बढ़ेगा।

वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आयोजित इस समारोह में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि साल 2020 में संक्रमण की निराशा थी, चिंताएं थी, चारों तरफ सवालिया निशान थे, लेकिन 2021 इलाज की आशा लेकर आ रहा है। वैक्सीन को लेकर भारत में हर जरूरी तैयारियां चल रही हैं। भारत में बना टीका तेजी से हर जरूरी घर तक पहुंचे, इसके लिए कोशिशें अंतिम चरणों में है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाने के लिए भारत की तैयारियां जोरों पर है। उन्होंने कहा,''मुझे विश्वास है बीते साल संक्रमण को रोकने के लिए हम ने जिस एकजुटता से प्रयास किए, उसी तरह टीकाकरण को सफल बनाने के लिए भी पूरा भारत एकजुटता से आगे बढ़ेगा।''

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में कोविड-19 के नए मामलों की संख्या कम हो रही है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि लोग लापरवाही बरतें।‘दवाई भी, कड़ाई भी’ का मंत्र देते हुए मोदी ने कहा कि अब दवाई भी लेनी है और कड़ाई भी बरतनी है। उन्होंने कहा कि दवाई मिल गई इसका मतलब ये नहीं की छूट मिल गई हो। ऐसा नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने एकजुटता के साथ उचित समय पर प्रभावी कदम उठाए और उसी का परिणाम है कि आज कोरोना के खलाफ लड़ाई में देश बहुत बेहतर स्थिति में हैं। उन्होंने कहा कि जिस देश में 130 करोड़ से ज्यादा लोग हों, घनी आबादी हों। वहां करीब एक करोड़ लोग इस बीमारी से लड़कर जीत चुके हैं। उन्होंने कहा कि मुश्किल भरे इस साल ने दिखाया है कि भारत जब एकजुट होता है तो मुश्किल से मुश्किल संकट का सामना भी वह प्रभावी तरीके से कर सकता है। 

मोदी ने कहा कि साल 2020 को राजकोट एम्स जैसी एक नई स्वास्थ्य सुविधा के साथ विदाई देना इस साल की चुनौती को भी बताता है और नए साल की प्राथमिकता को भी दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने साल के अंतिम दिन कोरोना के खिलाफ लड़ाई में योगदान देने वाले देश के लाखों चिकित्सकों, स्वास्थ्यकर्मियों, सफाई कर्मियों, दवा दुकानों में काम करने वालों, और दूसरे फ्रंट लाइन कोरोना योद्धाओं को याद किया और उन्हें नमन किया जिन्होंने इसमें प्राण न्योछावर कर दिए।

कुछ यादें जो अतीत बन जाती हैं.. 'विश्लेषण'

यदि किसी से पूछा जाए कि बीते हुए वर्ष का सार क्या होगा तो उसकी प्रतिक्रिया स्वाभाविक रूप से कोरोना से जुड़ी होगी। इसके उत्तर में संभवत: ‘कोरोना संकट अप्रत्याशित है’ या यह कि ‘दुनिया अब पहले जैसी नहीं रहेगी’ जैसी बातें सामने आएंगी। वैसे केवल यह साल ही नहीं, बल्कि विगत दो दशकों की शुरुआत और अंत भी काफी उथल-पुथल भरे रहे। नई सहस्राब्दि के पहले दशक का आगाज जहां वाइटूके बग के साथ हुआ और 2009 में उसका समापन एक वैश्विक आर्थिक संकट के साथ। परिणामस्वरूप दूसरे दशक की शुरुआत फीकी रही और और उसकी समाप्ति भी एक अनोखी आपदा के साथ हुई। इस प्रकार बीते 20 वर्षों के दौरान मानव जाति को डिजिटल से लेकर वित्तीय और अब स्वास्थ्य संकट से उत्पन्न गतिरोध से जूझना पड़ा।
यदि किसी साल का सिंहावलोकन करें तो उसका संबंध किसी एक घटनाक्रम तक सीमित नहीं रह सकता, भले ही वह घटना कितनी ही महत्वपूर्ण क्यों न रही हो? इस कड़ी में यदि इसी साल का उदाहरण लें तो यह वर्ष विरोध-प्रदर्शन, तल्खी और विसंगतियों के नाम रहा है। नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए के विरोध में हुए शाहीन बाग गतिरोध के बाद दिल्ली में दंगे हो गए। इससे पहले कि दंगों की आग बुझती उसके पूर्व ही कोरोना ने दस्तक दे डाली। अब जब हमें लगा कि बदतर दौर बीत गया तो कृषि कानूनों के विरोध की चिंगारी ने नए विवाद की आग भड़का दी है। विपक्षी दलों के साथ ही मीडिया का एक वर्ग भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यही आभास कराना चाहता है कि भारत तानाशाही की ओर उन्मुख है जबकि मेरा मानना है हम आदतन मत-विरोध वाले राष्ट्र के रूप में उभर रहे हैं। असल में हम समस्या से निदान के बजाय संभावित समाधान में ही मीनमेख निकालने लगते हैं।
विरोध प्रदर्शन का अधिकार किसी भी उदारवादी बहुलतावादी व्यवस्था का अपरिहार्य अंग है। हालांकि इस दिशा में हम अभी तक साधन और साध्य की पवित्रता के मर्म को आत्मसात नहीं कर पाए हैं। आखिर मार्ग अवरुद्ध करना या सार्वजनिक-निजी संपत्ति को क्षति पहुंचाना कैसे शांतिपूर्ण है? स्मरण रहे कि कोई भी लोकतंत्र विमर्श की धारा से ही विकसित होता है। ऐसे में विरोध प्रदर्शन का गैर-आंदोलनकारी स्वरूप विकसित करना और उनके शांतिपूर्ण प्रतिकार का दायित्व समाज और प्राधिकारी संस्थाओं का ही है। साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि विरोध प्रदर्शन को अपने मूल तत्व से विमुख नहीं होना चाहिए, क्योंकि वही आंदोलन की आत्मा होता है। यूं तो लोकतंत्र में कोई सरकार आलोचनाओं से किनारा नहीं कर सकती, लेकिन आलोचना सही आधार पर ही की जाए। वैसे भी हमारे विकासशील और विविधीकृत समाज में सत्तासीनों पर निशाना साधना बहुत आसान है। बावजूद इसके यह एक त्रासदी ही है कि हमारा राजनीतिक विपक्ष अभी तक वाजिब विरोध के लिए सही आधार तलाशने में नाकाम रहा है।
जहां तक विकास की बात है तो जड़ता उसमें सबसे बड़ी बाधक और निष्क्रियता उस पर सबसे खराब प्रतिक्रिया होती है। हमारा देश दशकों तक आवश्यक मुद्दों की अनदेखी का भुक्तभोगी रहा है। उस दौरान अकर्मण्यता राज्य की नीति का आधार प्रतीत होती रही। अब जब उस यथास्थितिवाद को चुनौती दी जा रही है तो उसके पैरोकारों को हो रही परेशानी आश्चर्य की बात नहीं।
राजनीति केवल चुनाव जीतने का कौशल नहीं, बल्कि शासन करने की एक कला भी है। शासन में आप सभी का तुष्टीकरण करने के बजाय कुछ निर्णय करते हैं, कुछ विकल्प चुनते हैं। अपने दूसरे कार्यकाल के डेढ़ साल के भीतर ही तीन तलाक और अनुच्छेद 370 की समाप्ति, सीएए, श्रम सुधार, कॉरपोरेट कर में कमी, नई शिक्षा नीति और कृषि सुधारों के माध्यम से इस सरकार ने यही दर्शाया है कि वह ठोस परिवर्तनों को दिशा देने से हिचकेगी नहीं। क्या शिक्षित मध्य वर्ग इसकी ही अपेक्षा नहीं कर रहा था?
हाल में राहुल गांधी ने किसानों को हिंदुस्तान का प्रतीक बताया। निःसंदेह किसान हिंदुस्तान के अभिन्न अंग हैं, परंतु यह देश उससे कहीं बढ़कर है। मेरा मानना है कि शिक्षित मध्य वर्ग के बिना हिंदुस्तान की कल्पना बेमानी है। यह बात अलग है कि राजनीतिक अंकगणित में कमजोर होने के कारण इस वर्ग की अक्सर उपेक्षा होती है। जबकि चाहे वेतनभोगी हो या स्वरोजगारी, ग्रामीण हो या शहरी, यही शिक्षित मध्य वर्ग हिंदुस्तान का सच्चा पूरक और प्रतिनिधि है। राजनीतिक रूप से कमजोर होने के बावजूद इस डिजिटल युग में वे जनमत और छवि निर्माण करते हैं। वे भारत की आत्मा हैं और जो राष्ट्र अपनी आत्मा को संतुष्ट नहीं कर सकता वह कभी प्रगति नहीं कर पाएगा। वास्तव में यही वर्ग नीति निर्माण के केंद्र में होना चाहिए। सुनिश्चित हो कि किसी भी आंदोलन से उसका जीवन गतिरोध का शिकार न बने। यही तबका राष्ट्र का पहिया है जो कभी रुकना नहीं चाहिए। उन्हें साथ लाए बिना कोई कायाकल्प संभव नहीं।
ऐसा नहीं है कि तंत्र पर सवाल उठाने के लिए मुद्दों का अभाव है। स्वच्छता, कराधान, बुनियादी ढांचा, कानून एवं व्यवस्था, रोजगार, न्यायपालिका, सरकारी सेवाओं का वितरण एवं गुणवत्ता, नीतियों और उनके क्रियान्वयन में खामियों जैसे तमाम मोर्चों पर सुधार की गुंजाइश है। ऐसे में राजनीतिक विरोधियों के लिए यही उचित होगा कि वे विरोध के लिए सही तरीका और उचित आधार तलाशें। अगर विपक्ष की आलोचना शिक्षित मध्य वर्ग की सोच से मेल नहीं खाती तो इसका अर्थ यही है कि इस वर्ग को उसकी विश्वसनीयता और विवेक पर संदेह है।
यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार देश के सामाजिक एवं आर्थिक परिदृश्य की कायापलट में बहुत तेजी दिखा रही है। कुछ लोग शायद उसकी विचारधारा से भले ही असहमत हों, परंतु वे सरकार पर यह आरोप नहीं लगा सकते कि वह कोई काम चोरी-छिपे कर रही है। वह अपने घोषित एजेंडे को मूर्त रूप देने के लिए संवैधानिक दायरे में ही काम कर रही है। उधर विपक्षी दलों का यदि यह दावा सही है कि सरकारी कदमों के समर्थन से ज्यादा लोग उनका विरोध कर रहे हैं तो वे इस असंतोष को भुनाते क्यों नहीं? कहावत है कि जिंदा कौमें पांच साल तक इंतजार नहीं करतीं, जबकि अब तो देश में कुछ महीनों के अंतराल पर कोई न कोई चुनाव होता ही रहता है। ऐसे में यदि सरकार से कोई नाराजगी है तो चुनावों में जनता उसे जता सकती है।
जो भी हो, हमारे देश को निष्क्रियता से अधिक सक्रियता की आवश्यकता है। कोई भी विचारधारा प्रगति की राह में अवरोध नहीं बननी चाहिए। संयम और मर्यादा विरोध प्रदर्शन में ढेर नहीं होनी चाहिए। आप दिन के प्रकाश का केवल इसलिए विरोध नहीं कर सकते कि वह अंधेरी दुनिया को रोशन करेगा।

चलती कार में नाबालिग से गैंगरेप, तीन अरेस्ट

रायपुर। 3 लोगों ने मिलकर नाबालिग युवती से चलती कार में गैंगरेप किया है। मिली जानकारी के मुताबिक नाबालिक मासूम का अपहरण कर चलती कार में गैंगरेप कर उसे जान से मारने की धमकी भी दी। पूरा मामला राखी थाना क्षेत्र का है जहां पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए गैंगरेप के मामले में अचनाकपुर, पाटन के 3 ज़मीन कारोबारियों को गिरफ्तार किया है।

बताया जा रहा है कि आरोपीयो के खिलाफ अपहरण, शादी का झांसा देकर बलात्कार,गैंग रेप सहित पास्को एक्ट की धाराओं में FIR दर्ज की गई है। बता दे कि नाबालिक मरोदा, भिलाई में साफ-सफाई का काम करती थी, जहां उसके मालिक के परिचित तीनो आरोपी आते थे।आरोपियों ने षड्यंत्रपूर्वक नाबालिक मासूम को नया रायपुर में अधिक पैसों में काम दिलवाने का लालच देकर उसे अप्रैल के माह में नया रायपुर लेकर आये और बारी-बारी से बलात्कार किया जिसके बाद नाबालिक अपने रिश्तेदार के यहाँ रहने चली गयी जहां 3 माह बाद उसे गर्भ ठहर जाने की जानकारी मिली।

सूचना आरोपियों को देने पर उन्होंने नाबालिक को शादी करवा देने का झांसा देकर धमतरी बुलाया जिसके बाद धमतरी से वापस अपनी TUV कार में बैठाकर उसे नया रायपुर लाये और चलती कार में उसके साथ गैंगरेप किया। राखी थाना प्रभारी ने बताया कि, नाबालिक मूलतः नेवई की रहने वाली है व उसके पिता का देहांत हो चुका है और माता ने दूसरी शादी कर ली है।

राज्य के 50 वर्ष पूर्ण हुए, पीएम करेंगे संबोधित

वर्चुअल संबोधित करेंगे पीएम मोदी 50वें पूर्ण राज्यत्व दिवस समारोह को: मुख्यमंत्री

श्रीराम मौर्य  

शिमला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 जनवरी को हिमाचल प्रदेश के 50वें पूर्ण राज्यत्व दिवस समारोह को वर्चुअल संबोधित करेंगे। रिज पर आयोजित किए जाने वाले इस समारोह को इंडोर अथवा वर्चुअल आयोजन के लिए गेयटी थिएटर तथा टाऊन हाल में वैकल्पिक प्रबंध किए जाएंगे ताकि बर्फबारी होने या प्रतिकूल हालात में किसी तरह का व्यवधान न पड़े। इस अवसर पर 5 रुपए का एक स्मारकीय डाक टिकट भी जारी किया जाएगा। इसके अलावा प्रदेश के राष्ट्र स्तरीय पदक विजेताओं को सम्मानित भी किया जाएगा। यह जानकारी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस आयोजन को सफल बनाने एवं इसकी तैयारियों को लेकर प्रशासनिक सचिवों के साथ बैठक के दौरान दी।

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस समारोह को शानदार तरीके से मनाने के लिए व्यापक प्रबंध सुनिश्चित किए जाएं। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर अंग्रेजी व हिन्दी भाषाओं में कॉफी टेबल बुक प्रकाशित की जाएगी, जिसके माध्यम से लोगों को हिमाचल प्रदेश में पिछले 50 वर्षों में हुए विकास एवं उन्नति के बारे में जानकारी दी जा सकेगी। सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग हिमाचल तब और अब वृत्तचित्र तैयार करेगा, जिसे समारोह में दिखाया जाएगा। प्रदेश के विकास को दर्शाती प्रदर्शनियां भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगी। इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव व प्रधान सचिव सहित सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे।

पूर्व मुख्यमंत्रियों के योगदान का भी उल्लेख होगा।51 उपलब्धियों की सूची तैयार होगी। अंतर्राष्ट्रीय उत्सवों एवं मेलों को दर्शाया जाएगा।50 साल पहले हिमाचल और अब को दर्शाएंगे। सांस्कृतिक, शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र में योगदान देने वाले सम्मानित किए जाएंगे।

हैदराबाद ने जीता टॉस, बल्लेबाजी का फैसला किया

हैदराबाद ने जीता टॉस, बल्लेबाजी का फैसला किया  इकबाल अंसारी  हैदराबाद। इंड‍ियन प्रीम‍ियर लीग (IPL) 2024 सीजन में सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) और...