गुरुवार, 17 दिसंबर 2020
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आंदोलन का समाधान निकालने में जुटी सरकार
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आप विधायकों ने कानून की प्रतियां फाड़ी, हंगामा
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कृषि कानून के समर्थन में आयोजित हुई रैली
सीएम केजरीवाल ने सरकार पर साधा निशाना
सीएम खट्टर ने संत की मौत को बडी क्षति बताया
खट्टर ने बताया कि संत राम सिंह की मौत देश और राज्य के संत समाज को एक अपूरणीय क्षति है। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया कि उनका निधन उनके लिए भी एक अपूरणीय क्षति है। यह बेहद दुखद क्षण है। खट्टर ने कहा कि संत राम सिंह को वास्तविक श्रद्धांजलि उनके द्वारा दिखाए गए मानव कल्याण के मार्ग पर चलना होगा। वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि वह संत के निधन से काफी दुखी हैं। उन्होंने ट्वीट किया, “करनाल के नानकसर सिंघरा वाले के संत राम सिंह जी द्वारा केन्द्र के कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर आत्महत्या करने की खबर स्तब्ध करने वाली और बेहद दुखद है। दुख की इस घड़ी में उनके परिवार और समर्थकों के साथ मेरी दुआएं हैं।”
संत राम सिंह का शव बुधवार रात करनाल जिले सिंघरा गांव के नानकसर गुरुद्वारा ले जाया गया, जहां भारी संख्या में उनके समर्थक इकट्ठे हुए। हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख गुरनाम सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि संत राम सिंह एक महान व्यक्ति थे, जिन्होंने अपना जीवन मानव सेवा को समर्पित कर दिया।
उन्होंने कहा, “एक पवित्र आत्मा होने के कारण, वह किसान विरोधी कानून के खिलाफ ठंड में पिछले कई दिनों से दिन-रात सड़कों पर रह रहे किसानों का दुख देख बेहद दुखी थे…. जिनमें (प्रदर्शन में) कई बुजुर्ग और महिलाएं भी शामिल हैं।” कांग्रेस के नेता राहुल गांधी, शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने भी उनके निधन शोक जताया।
राहुल संवैधानिक संस्थाओं का आदर नहीं करते
जावड़ेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी की सरकार के दौरान भी राहुल गांधी ने मंत्रिमंडल से मंजूर अध्यादेश की प्रति को सार्वजनिक तौर पर पत्रकार वार्ता में फाड़ दिया था। जिससे साबित होता है कि संविधान के प्रति उनकी कोई आस्था नहीं है। उन्होने स्थायी समिति की बैठक का बहिर्गमन करके एक बार फिर संवैधानिक व्यवस्थाओं का बहिष्कार किया है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सासंद राहुल गांधी और कुछ अन्य सदस्यों ने बुधवार को रक्षा मामले की संसदीय समति की बैठक का बहिर्गमन करते हुए आरोप लगाया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दों की बजाए सशस्त्र बलों की वर्दी पर चर्चा करके समय बर्बाद किया जा रहा है। श्री गांधी बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा और लद्दाख में तैनात सुरक्षा बलों को मज़बूत बनाने से संबंधित मसले उठाना चाहते थे।
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