गुरुवार, 10 दिसंबर 2020

मानवता के विरुद्ध सरकार ने अपराध किया

मानवता के विरुद्ध अपराध कर रही मोदी सरकार: राहुल

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कड़ा हमला करते हुए कहा है कि उनके नेतृत्व वाली सरकार किसी की नहीं सुन रही है और मनमानी कर मानवता के विरुद्ध अपराध कर रही है। राहुल गांधी ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा, “मोदी सरकार ग़रीबों के मौलिक अधिकार छीन रही है। ये मानवता के विरुद्ध अपराध है। देश के बेहतर भविष्य के लिए हमें हर वर्ग के अधिकारों का सम्मान करना ही होगा।” कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी सरकार पर किसानों की बात नहीं सुनने का आरोप लगाया और कहा कि वह आंदोलन कर रहे किसानों की अनदेखी कर रही है। उन्होंने कहा “इतिहास में यह भी दर्ज होगा कि जब अन्नदाता सड़कों पर 16 दिन से हक़ों की लड़ाई लड़ रहे थे तब आप सेंट्रल विस्टा के नाम पर अपने लिए महल खड़ा कर रहे थे। लोकतंत्र में सत्ता, सनक पूरी करने का नहीं, जनसेवा और लोक कल्याण का माध्यम होती है।”

तानाशाह की बहन ने मंत्री पर साधा निशाना

दक्षिण कोरियाई मंत्री पर भड़की किम जोंग की बहन

प्योंगयांग/ सियोल। उत्तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग-उन की बहन किम यो-जोंग ने अपने देश के कोरोना वायरस मुक्त होने के दावे पर सवाल उठाने को लेकर दक्षिण कोरिया की विदेश मंत्री पर बुधवार को निशाना साधा। उन्होंने ऐसी टिप्पणियों पर दक्षिण कोरिया को नतीजे भुगतने की धमकी भी दे डाली कि पड़ोसी देश परिणामों की चिंता किए बिना लापहवाही भरे बयान दे रहा है। बता दें कि दक्षिण कोरिया की विदेश मंत्री कांग क्यूंग-वहा ने हाल ही में कहा था। कि यह मानना मुश्किल है। कि उत्तर कोरिया में कोरोना वायरस का एक भी मामला नहीं है।...
उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया इस महामारी से निपटने के साझा प्रयास संबंधी हमारे प्रस्ताव के प्रति भी उदासीन रहा है।
इस पर किम जोंग की बहन ने कहा, पड़ोसी देश को इन अनर्गल टिप्पणियों के नतीजे पता होने चाहिए। दक्षिण कोरियाई विदेश मंत्री दोनों देशों के खराब रिश्तों को और भी बदतर करना चाहती हैं।
किम यो-जोंग ने कहा कि हम उनके शब्द कभी नहीं भूलेंगे और उन्हें भी इसके परिणाम भुगतने होंगे। बता दें कि उत्तर कोरिया शुरू से दावा करता रहा है। कि उसने कोरोना वायरस पर पूरी तरह नियंत्रण कर लिया है। इसके तहत उसने अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को बंद कर दिया है। और संदिग्ध लक्षण वालों को अलग-थलग कर दिया है।

महाराष्ट्र: दुष्कर्म के अपराध पर मिलेगी सजा-ए-मौत

महाराष्ट्रः रेप पर मिलेगीं सजा-ए-मौत
मनोज सिंह ठाकुर
मुंबई। महाराष्ट्र में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ जघन्य अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए राज्य मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी। जिसमें दोषियों के लिए मृत्युदंड, आजीवन कारावास और भारी जुर्माना सहित कड़ी सजा और मुकदमे की त्वरित सुनवाई के प्रावधान हैं।
प्रस्तावित कानून को राज्य में लागू करने के लिये विधेयक के मसौदे में भादंसं, सीआरपीसी और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं में संशोधन करने का प्रस्ताव है।

रायपुरः किसान की मौत पर सीएम का बड़ा बयान

किसान की मौत के मामले में सीएम का बयान 

रायपुर। राजनांदगांव के घुमका धान खरीदी केंद्र में किसान की मौत के मामले में सीएम बघेल ने राजनीति नहीं करने की सलाह दी है। सीएम ने कहा है कि  स्वाभाविक मौत को रोकना किसी के वस में नहीं है। घटना दुः खद है, भाजपा इस पर राजनीति नहीं करे। सीएम ने आगे कहा है, कि किसान की तबीयत खराब होती तो धान लेकर आता नहीं। अगर कोई दोषी है, तो कार्रवाई जरुर होगी। वहीं ड्रग मामले में गिरफ्तारियों पर भी सीएम ने बयान दिया है।

युवक ने बिजली विभाग के कर्मचारी को पीटा

युवक ने बिजली विभाग के कर्मचारी को पीटा

बिलासपुर। 10 रुपए के नोट की चक्कर में बिजली विभाग के एक कर्मचारी की पिटाई हो गई। सारा विवाद तेरे-मेरे रुपए को लेकर हुआ। दुकान पर सामान लेने के दौरान कर्मचारी 10 रुपए के नोट को अपना बता रहा था और युवक अपना। इसको लेकर बात इतनी बढ़ी की मारपीट में बदल गई। फिलहाल बिजली कर्मचारी की ओर से बेलगहना चौकी में मामला दर्ज कराया गया है।जानकारी के मुताबिक, बेलगहना निवासी मनोज कुमार राजपूत बिजली कंपनी में परिचालक श्रेणी-3 है। बुधवार को फॉल्ट की शिकायत मिलने पर आमागोहन में गए थे। वहां पर गड़बड़ी सुधारने के बाद लौटने लगे तो इस दौरान रास्ते में ललित किराना दुकान में सामान लेने के लिए रुक गए। मनोज ने पुलिस को बताया कि उन्होंने 10 रुपए का सामान खरीदा और नोट काउंटर पर रख दिया।

माइक्रोमैक्स के धांसू स्मार्टफोन की कीमत

माइक्रोमैक्स के धांसू स्मार्टफोन की कीमत 

नई दिल्ली। माइक्रोमैक्स के आइएन सीरीज़ के बजट स्मार्टफोन्स 1B को पहली सेल के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। सेल की शुरुआत फ्लिपकार्ट पर दोपहर 12 बजे शुरू होगी। वैसे को इस फोन की पहली सेल 26 नवंबर को होने वाली थी, लेकिन किसी कारण इसे टाल दिया गया। कंपनी ने इस फोन की शुरुआती कीमत 6,999 रुपये है और इसमें 5000 मीटर Ah की बैटरी और डुअल रियर कैमरे जैसे फीचर्स दिए गए हैं।

माता-पिता को बाहर किया, संतानों की खैर नहीं

माता-पिता को बाहर निकालने वाली संतानों की खैर नहीं 

हरिओम उपाध्याय
लखनऊ। उत्तर-प्रदेश में माता-पिता की संपत्ति हड़प कर उन्हें घर से बाहर निकालने वाली संतानों की अब खैर नहीं। माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण एवं कल्याण नियमावली 2014 में संशोधन किया जाएगा। इसमें बेदखली की प्रक्रिया जोड़ी जाएगी। राज्य विधि आयोग ने संबंधित प्रस्ताव का प्रारूप तैयार कर शासन को भेजा है। आयोग की सचिव सपना त्रिपाठी ने बताया कि प्रस्तावित संशोधन में बच्चों के साथ रिश्तेदारों को भी जोड़ा गया है। यह प्रक्रिया भी जोड़ी गई है, कि किस तरह पीड़ित पक्ष अपने मामले को पहले एसडीएम और फिर प्राधिकरण के समक्ष रख सकता है। गौरतलब है कि उतर प्रदेश में माता-पिता तथा वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण एवं कल्याण नियमावाली वर्ष 2014 में प्रभाव में आई थी। परन्तु इस नियमावली में वृद्घ माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों की सम्पत्ति के संरक्षण हेतु विस्तृत कार्य योजना नहीं बन सकी थी।

पठान में जासूस का किरदार निभाएंगी डिंपल

पठान में जासूस का किरदार निभायेंगी डिंपल कपाड़िया
मनोज सिंह ठाकुर
मुंबई। बॉलीवुड अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया फिल्म पठान में जासूस का किरदार निभाती नजर आ सकती हैं। शाहरुख खान ने अपनी आने वाली फिल्म 'पठान' की शूटिंग शुरू कर दी है। यशराज बैनर तले बन रही इस फिल्म का निर्देशन सिद्धार्थ आनंद कर रहे हैं। बताया जा रहा है। कि फिल्म में शाहरुख के साथ दीपिका पादुकोण और जॉन अब्राहम भी नजर आने वाले हैं। चर्चा है। कि फिल्म में डिंपल कपाड़िया भी नजर आने वाली है। बताया जा रहा है, कि इस फिल्म में वह एक जासूस का किरदार निभाती नजर आएंगी जो कि उनकी ही टीम की एक सदस्य होने वाली हैं।
बताया जा रहा है, कि फिल्म में शाहरुख खान की एक टीम होगी जिसमें डिंपल कपाड़िया भी शामिल होंगी। फिल्म पठान में जहां शाहरुख खान एक्शन अवतार में दिखेंगे वहीं जॉन अब्राहम खलनायक का किरदार निभाएंगे। ऐसा माना जा रहा है। कि फिल्म पठान अगले साल क्रिसमस के मौके पर रिलीज होगी।

नए कलेवर के साथ दस्तक देगी 'प्रियंका'

नए कलेवर के साथ यूपी में दस्तक देंगी प्रियंका
हरिओम उपाध्याय
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव से पहले संगठन सृजन अभियान के जरिये ग्रामीण इलाकों में पैठ मजबूत करने जुटी कांग्रेस के पक्ष में माहौल तैयार करने के इरादे से पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा नये साल में वृहद संपर्क अभियान छेड़ सकती हैं। पार्टी सूत्रों ने गुरूवार को बताया कि प्रियंका गांधी वाड्रा जनवरी के दूसरे पखवाड़े में उत्तर प्रदेश में डेरा जमा सकती है। अपने संपर्क अभियान के तहत वह मंडल वार क्षेत्रों का दौरा करेंगी और सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक उस क्षेत्र में कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ बैठक कर ग्रामीणों की समस्याये जानने के साथ क्षेत्र में पार्टी की स्थिति की समीक्षा करेंगी।
उन्होने बताया कि प्रियंका गांधी वाड्रा निर्धारित क्षेत्र में शाम छह से दस बजे के बीच चौपाल लगाकर ग्रामीणों से संवाद करेंगी जबकि वह रात्रि का भोजन किसी भी आम कार्यकर्ता अथवा साधारण ग्रामीण के घर पर करेंगी। प्रियंका गांधी वाड्रा का यह अभियान पंचायत चुनाव और उसके बाद वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगा।
सूत्रों ने बताया कि पार्टी के लिये हाल ही में हुये विधानसभा उपचुनाव के नतीजे उत्साहवर्धक रहे हैं। इस चुनाव में पार्टी भले ही किसी सीट पर जीत दर्ज न कर सकी हो लेकिन बांगरमऊ और घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र में जहां पार्टी दूसरे नम्बर पर रही वहीं सभी सात सीटों पर मत प्रतिशत में बढोत्तरी दर्ज की गयी। उन्होने बताया कि अब बारी पंचायत चुनाव की है। जिसके लिये पार्टी संगठन को ग्रामीण स्तर पर मजबूत करने में लगी है। पार्टी के राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के नेता और पदाधिकारी लगातार ग्रामीणों इलाकों का भ्रमण कर रहे है। और संवाद के जरिये पार्टी की नीतियों के बारे में ग्रामीणों को जानकारी दे रहे हैं। पंचायत स्तर पर पार्टी काे मजबूत करने का यह अभियान जनवरी के मध्य तक जारी रहने की संभावना है। जिसके बाद उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा के दौरों की शुरूआत होगी।
सूत्रों ने बताया कि प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और उस क्षेत्र के कद्दावर पदाधिकारी साथ रहेंगे जो चलाये गये अभियान की समीक्षा करने के साथ चौपाल लगाकर ग्रामीणों के साथ संवाद करेंगे। इस दौरान नये कृषि कानून के दूरगामी दुष्प्रभावों के बारे में किसानो को जागरूक किया जायेगा। गौरतलब है, कि कांग्रेस का संगठन सृजन अभियान दो अक्टूबर से जारी है। अभियान में अब तक ब्लॉक स्तर में कमेटियों का गठन किया जा चुका है जबकि न्याय पंचायत ग्राम सभा स्तर तक कमेटियाें के गठन का काम प्रगति पर है। ब्लॉक कमेटी में 25 न्याय पंचायत में 21 और ग्राम पंचायत में 15 सदस्य होंगे। इस अभियान की मानीटरिंग भी सीधे प्रदेश मुख्यालय स्तर पर की जा रही है।

देश में संक्रमितों की 15 करोड़ जांच हुई

देश में कोरोना जांच के ताज़े आंकड़े 
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। कोरोना वायरस की अधिक से अधिक जांच कर प्रभावितों का शीघ्र पता लगाकर संक्रमण को नियंत्रित करने की मुहिम में देश में कुल जांच का आंकड़ा नौ दिसम्बर को 15 करोड़ को पार कर गया। देश में वैश्विक महामारी कोविड-19 का पहला मामला इस वर्ष 30 जनवरी को आया था और इसके बाद सरकार ने लगातार जांच का दायरा बढ़ाकर संक्रमितों का पता लगाने और वायरस की रोकथाम पर जोर दिया।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने 10 दिसम्बर को जारी आंकड़ो में बताया गया कि नौ दिसम्बर तक कुल जांच का आंकड़ा 15 करोड़ सात लाख 59 हजार 726 पर पहुंच गया है। नौ दिसम्बर को 09 लाख 22 हजार 959 कोरोना जांच की गईं। कोरोना वायरस के बड़े स्तर पर फैलाव की रोकथाम के लिये देश में दिन प्रतिदिन इसकी अधिक से अधिक जांच की मुहिम में 24 सिंतबर को एक दिन में 14 लाख 92 हजार 409 नमूनों की जांच का रिकार्ड है।

सीएम-पायलट के बीच का झगड़ा सुलझाया

अजय माकन कर रहे डैमेज कंट्रोल

नरेश राघानी
जयपुर। कांग्रेस मध्य प्रदेश की गलती राजस्थान में नहीं दोहराना चाहती है। इसीलिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और युवा नेता सचिन पायलट के बीच झगड़े को बहुत ही सलीके से सुलझा लिया गया। इसके बाद अनुभवी नेता अजय माकन को राजस्थान में डैमेज कंट्रोल की जिम्मेदारी दी गयी। अजय माकन ने पार्टी संगठन और सरकार में बेहतर तालमेल भी बनाया। इसी का नतीजा है। कि राज्य में हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में कांग्रेस को अच्छी सफलता मिल रही है। अभी 8 दिसम्बर को प्रदेश को 636 जिला परिषद सदस्य और 4371 पंचायत समिति सदस्य मिले हैं। दो दिन बाद जिला प्रमुख, उपजिला प्रमुख, प्रधान और उपप्रधानों के चुनाव होंगे। सत्तारूढ़ कांग्रेस ने राज्य के झुंझनू क्षेत्र में सफलता का परचम लहराया है। यहां पर भाजपा निर्दलियों से भी पीछे चली गयी है। इसके पीछे अजय माकन की मेहनत मानी जा रही है। हालांकि पंचायत चुनावों में किसानों का मुद्दा फेल हो गया और पंचायत समिति व जिला परिषद में भाजपा कांग्रेस से आगे निकल गयी है।
कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने गत् दिनों कहा कि राजस्थान में पार्टी पूरी तरह एकजुट है। और इस साल के आखिर तक नयी प्रदेश कांग्रेस कमेटी का गठन हो जाएगा। साथ ही 31 जनवरी तक विभिन्न बोर्डों एवं निगमों के अध्यक्षों की नियुक्तियों का काम भी संपन्न हो जाएगा। राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी माकन ने इस बात पर भी जोर दिया कि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार को कोई खतरा नहीं है। उनकी यह टिप्पणी इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है। कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में कहा था। कि भाजपा द्वारा एक बार फिर से उनकी सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया जा रहा है। माकन कहते हैं। कि गहलोत कांग्रेस के ईमानदार नेता और अनुभवी सिपाही हैं। तो सचिन पायलट भी पार्टी के लिए उपयोगी हैं। कुछ महीने पहले पायलट के नेतृत्व में 19 विधायकों के बागी रुख अपनाने के बाद राजस्थान की कांग्रेस सरकार संकट में आ गई थी। हालांकि पार्टी नेतृत्व और बागियों के बीच लंबी वार्ता के बाद पायलट एवं उनके समर्थक विधायक वापस लौटे। उसी राजनीतिक संकट के दौरान कांग्रेस आलाकमान ने पायलट को उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से हटा दिया था। गोविंद सिंह डोटासरा को नया पीसीसी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। माकन ने कहा हमने आगे उठाए जाने वाले कदमों के बारे में विस्तृत रूप रेखा तैयार की है। हमने कुछ समय-सीमा तय की है। जिसके बारे में मुख्यमंत्री, पीसीसी अध्यक्ष, पायलट और अन्य लोगों को अवगत करा दिया गया है।
ध्यान रहे राजस्थान में स्थानीय निकाय के चुनावों का मौजूदा चरण 20 दिसंबर को संपन्न हो जाएगा। इसके तत्काल बाद 10 दिनों के भीतर (महीने के आखिर तक) पीसीसी अध्यक्ष पीसीसी की कार्यकारी इकाई गठित करने के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए एआईसीसी को भेज देंगे। माकन के मुताबिक, बोर्डों और निगमों के अध्यक्षों की नियुक्तियों के वास्ते कांग्रेस अध्यक्ष की स्वीकृति के लिए 31 जनवरी की समयसीमा तय की गई है। उन्होंने कहा राज्य नेताओं को इन प्रस्तावों को अंतिम रूप देने के लिए समूह के स्तर से ऊपर उठकर समुचित हिस्सेदारी और व्यापक विचार-विमर्श का मंत्र दिया गया है। कांग्रेस महासचिव ने प्रदेश के सभी नेताओं और विधायकों से मुलाकात की है। तथा पायलट के भी संपर्क में हैं।
भाजपा पर सरकार को अस्थिर करने का फिर से प्रयास करने संबंधी गहलोत के आरोप पर माकन ने कहा कि यह पहले देखा जा चुका है। कि भाजपा ने जनादेश को पलटने के लिए क्या-क्या किया था। उन्होंने कहा गुजरात और मध्य प्रदेश समेत कई प्रदेशों में अनैतिक और अलोकतांत्रिक तरकीबों का इस्तेमाल करके भाजपा सफल हो गई लेकिन राजस्थान में बुरी तरह विफल रही। इसका कारण यह है। कि सरकार के साथ खड़े हमारे 123 विधायकों में कोई भी इनके जाल में नहीं फंसा। कांग्रेस नेता का कहना है। मुझे सरकार को कोई खतरा नहीं दिखाई देता। अगर वो फिर कोशिश करेंगे तो फिर बुरी तरह विफल होंगे। माकन ने कहा हम अपने विधायकों और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को एकजुट रखने में सफल रहे तथा हालिया निकाय चुनावों में यह एकजुटता दिखी जिनमें हमने अब तक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। उल्लेखनीय है। कि मुख्यमंत्री गहलोत ने आरोप लगाया था। कि भाजपा ने कुछ महीने पहले उनकी सरकार को गिराने का प्रयास किया था। और वह यह गेम फिर शुरू कर रही है। हालांकि, भाजपा नेताओं ने गहलोत के आरोपों को मर्यादाहीन बताते हुए खारिज कर दिया था। पायलट से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा कि पूर्व उप मुख्यमंत्री शुरू से कहते आ रहे हैं। कि वह भाजपा में कभी शामिल नहीं होंगे और वह हमेशा से कांग्रेस परिवार के महत्वपूर्ण सदस्य रहे हैं। पायलट ने हाल के कुछ चुनावों में पार्टी के लिए प्रचार भी किया है। बहरहाल राजस्थान पंचायत चुनाव में कृषि कानून और किसानों से जुड़ा मुद्दा फेल हो गया है। पंचायत समिति और जिला परिषद चुनाव के परिणाम बीजेपी के पक्ष में रहा है। राज्य चुनाव आयोग के मुताबिक, बीजेपी ने पंचायत समिति की 1,836 सीटों पर जीत हासिल की है। वहीं, सत्ताधारी दल कांग्रेस ने 1718 सीटों पर कब्जा जमाया है। जिला परिषद की 636 सीटों में से 606 का चुनाव परिणाम भी सामने आ चुका है। बीजेपी को 326 सीटों पर जीत मिली है। वहीं कांग्रेस के हिस्से में 250 सीटें गई हैं। इस बीच खबर मिली कि फतेहपुर शेखावाटी के बलोद बड़ी गांव में विवाद के बाद एक शख्स की मौत हो गई। बताया जाता है कि भाजपा प्रत्याशी की जीत के बाद झगड़ा हुआ। बीजेपी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि एक शख्स की जान चली गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए गांव में पुलिस बल को तैनात कर दिया गया है। हालात का जायजा लेने एस पी गगनदीप सिंगला भी बलोद गांव पहुंच गए हैं। यह स्थिति गहलोत सरकार के लिए अच्छी नहीं है। इधर, देशभर में चल रहे किसान आंदोलन के बीच गहलोत सरकार ने अन्नदाता को बड़ी राहत देने का ऐलान किया है। किसान संगठनों की ओर से मंगलवार को बुलाये गये भारत बंद की पूर्व संध्या पर गहलोत सरकार ने अहम फैसला करते हुये प्रदेश में डार्क जोन में 2011 से ट्यूबवैल और कुंए खोदने पर लगी रोक को हटाने का फैसला किया है। अब प्रदेशभर में किसान और आम लोग सहित पांच कैटेगरी में ट्यूबवैल के लिए किसी तरह की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। सीएम अशोक गहलोत की अध्यक्षता में कैबिनेट और मंत्रिपरिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सीएम के पास डार्क जोन में ट्यूबवेल पर रोक हटाने तथा डार्क जोन में कृषि कनेक्शन जारी करने और ब्लॉक स्तर तक प्रभावी जनसुनवाई का तंत्र विकसित करने के प्रस्ताव भिजवाए थे। कैबिनेट की बैठक में दोनों प्रस्तावों पर फैसला हो गया। इसके बाद अब पेयजल और घरेलू उपयोग के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में व्यक्तिगत घरेलू उपभोक्ता, ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजनाओं, सशस्त्र बलों के प्रतिष्ठानों, कृषि कार्यकलापों और 10 घन मीटर प्रतिदिन से कम भू-जल निकासी करने वाले सूक्ष्म और लघु उद्योगों को भू-जल निकासी के लिए एनओसी नहीं लेनी होगी। इस बाबत जल्द ही आदेश जारी कर दिए जाएंगे। गहलोत सरकार को अभी सतर्कता से काम करना है।

सोनिया के कंधों पर सक्षम नेतृत्व का दायित्व

सोनिया पर है सक्षम नेतृत्व देने का दायित्व
अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। कांग्रेस को जब सबसे ज्यादा नेतृत्व की जरूरत थी। तब सोनिया गांधी ने ही संकट से उबरा और यूपीए गठबंधन बनाकर लगातार 10 साल तक सरकार चली। आज फिर उसी नेतृत्व की उनसे अपेक्षा है। सोनिया गांधी के नाम सबसे ज्यादा समय तक कांग्रेस अध्यक्ष बने रहने का रिकॉर्ड है। 20वीं सदी के आखिरी सालों में पतन के गर्त में जाती दिख रही कांग्रेस में दोबारा जान फूंककर उसे लगातार 10 साल तक देश की सत्ता में बैठाने का श्रेय उन्हें जाता है। उन्होंने अपने जीवन के 73 साल का सफर ऐसे समय पर पूरा किया है। जब उनकी पार्टी अपने सबसे कमजोर मुकाम पर खड़ी है। कांग्रेस का जनाधार लगातार सिमटता जा रहा है। और संगठन बिखरा सा नजर आ रहा है। ऐसे में गांधी परिवार के साथ-साथ कांग्रेस के नए वारिस की सोनिया गांधी की तलाश पूरी नहीं हो रही है। सोनिया करीब दो दशकों से कांग्रेस अध्यक्ष की कमान संभाले हुए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर पहले कार्यकाल में सोनिया ने 19 साल तक पार्टी की बागडोर संभाली। राहुल गांधी के पद छोड़ने के बाद एक साल से सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर काम देख रही हैं। पहली पारी में सोनिया ने जहां पार्टी को करिश्माई नेतृत्व दिया, वहीं दूसरी पारी में वो नाइट वॉचमैन की भूमिका में ज्यादा नजर आईं। सोनिया ने 22 साल पहले जब पद संभाला तब देश की सियासत में अटल बिहारी वाजपेयी-लालकृष्ण आडवाणी की जोड़ी तूफान मचाए हुई थी। थर्ड फ्रंट की राजनीति भी अपने सियासी उफान पर थी। क्षत्रपों के आगे कांग्रेस बेबस नजर आ रही थी। ऐसी हालत में सोनिया गांधी ने नेतृत्व संभालकर कांग्रेस को नई संजीवनी दी और उसे फिर से राजनीति के शीर्ष पर पहुंचाया। सोनिया गाँधी 1998 से 2017 तक पार्टी की अध्यक्ष रहीं और 2004 में उन्होंने पार्टी के चुनाव प्रचार का नेतृत्व किया। ये उन्हीं का करिश्मा था। कि अटल बिहारी वाजपेयी की छह साल की उपलब्धियां और शाइनिंग इंडिया फील गुड का नारा धूमिल पड़ गया। कांग्रेस ने धमाकेदार वापसी कर केंद्र में सरकार बनाई। सोनिया ने तब खुद प्रधानमंत्री बनने से इनकार करते हुए इस पद पर मनमोहन सिंह की ताजपोशी का फैसला किया जिसे आज भी कई सियासी जानकार राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक मानते हैं। हालांकि, 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी राजनीति में आने को तैयार नहीं थीं। सियासत में उनकी भागीदारी धीरे-धीरे शुरू हुई। पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे प्रणब मुखर्जी अपने संस्मरण में लिखते हैं। कि सोनिया को कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय करने के लिए पार्टी के कई नेता मनाने में लगे थे। उन्हें समझाने की कोशिश की जा रही थी। कि उनके बगैर कांग्रेस खेमों में बंटती जाएगी और भारतीय जनता पार्टी का विस्तार होता जाएगा।
बहरहाल सोनिया कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार 1997 में गईं। उन्होंने पद लेने के बजाए पार्टी के लिए प्रचार से अपना राजनीतिक करियर शुरू किया और 1998 में कांग्रेस की कमान संभालने के बाद पार्टी को मजबूत किया। वो न तो बहुत ही अच्छे से हिंदी बोलती थीं और न ही राजनीति के दांवपेच से बहुत ज्यादा वाकिफ थीं। इसके बाद भी पार्टी पर उनकी पकड़ काबिले तारीफ थी। सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस 1999 का लोकसभा चुनाव लड़ी। लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ी। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि वाजपेयी की अगुवाई वाली बीजेपी को उस चुनाव में करगिल युद्ध और पोखरण परमाणु विस्फोट का राजनीतिक लाभ मिला। इसके 2004 के लोकसभा चुनावों की तैयारियों के वक्त बतौर अध्यक्ष सोनिया गांधी की सूझबूझ और सियासी समझ सबसे प्रमुखता के साथ दिखी। सोनिया गांधी ने सत्ताधारी बीजेपी के मुकाबले के लिए एक प्रभावी गठबंधन तैयार किया। वे कांग्रेस से मिलती-जुलती विचारधारा वाले ऐसे दलों को कांग्रेस के साथ लाने में सफल रहीं, जिनकी राजनीति ही कांग्रेस के विरोध में खड़ी हुई थी। इसका नतीजा यह हुआ कि केंद्र की सरकार में कांग्रेस की वापसी हो गई। मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने, लेकिन सोनिया ने यूपीए की प्रमुख के तौर पर सरकार चलाने के राजनीतिक पक्ष को देखा। राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के अध्यक्ष के तौर पर सरकार के नीतिगत पक्ष को भी उन्होंने प्रभावित किया। नीतियां बनाने के मामले में अधिकार आधारित नीतियों को प्रमुखता दिए जाने को सोनिया गांधी का योगदान माना जा सकता है। कांग्रेस के 10 साल के कार्यकाल में सूचना का अधिकार, रोजगार का अधिकार, वन अधिकार, भोजन का अधिकार और उचित मुआवजे और पुनर्वास का अधिकार संबंधित कानून सरकार ने बनाए। सोनिया गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाली तो केंद्र में ही नहीं राज्यों में भी पार्टी की चूलें दरक चुकी थीं। उत्तर प्रदेश और बिहार से तो कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ हो गया था। राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों से भी कांग्रेस बाहर हो चुकी थी। सोनिया गांधी ने इस चुनौती को स्वीकार किया और उन्होंने राज्यों में कांग्रेस को सांगठनिक रूप से मजबूत किया और उसे सत्ता में लाने में कामायाब रहीं। सोनिया के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और केरल में सत्ता में आने में कामयाब रही। वरिष्ठ पत्रकार अरविंद सिंह कहते हैं कि सोनिया गांधी बतौर अध्यक्ष कांग्रेस को सत्ता के करीब ही नहीं लाईं, पार्टी को सांगठनिक मजबूती भी देने का काम किया और राज्यों में मजबूत नेतृत्व तैयार किया। महाराष्ट्र में कांग्रेस 15 सालों तक सत्ता में रही लेकिन नेतृत्व संकट उभरा तो सोनिया ने हर बार नए चेहरे को मौका देकर इसे टाला। विलास राव देशमुख, अशोक चह्वाण और पृथ्वीराज चह्वाण जैसे नेता सामने आए। दूसरी पारी में उन्होंने महाराष्ट्र और झारखंड में सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार बनाई। ऐसे में निश्चित तौर पर सोनिया ने कांग्रेस को नई बुलंदी देने का काम किया। इसके बावजूद उनके सामने सबसे बड़ा संकट यही खड़ा है कि पार्टी की कमान वो किसके हाथ में सौंपे। उन्होंने अपने सियासी वारिस के तौर पर अपने बेटे राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौंपी थी। लेकिन उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद पद छोड़ दिया जिसके बाद सोनिया गांधी को दोबारे से पार्टी की बागडोर अपने हाथों में लेनी पड़ी। सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस ने महाराष्ट्र और झारखंड में सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई, लेकिन मध्य प्रदेश में पार्टी में फूट के चलते उसे सत्ता गवांनी पड़ी। वहीं कांग्रेस को यह समझने की जरूरत है। कि उनकी पार्टी का सामना बेहद शक्तिशाली होकर उभरी बीजेपी से है। और उनकी पार्टी नरेंद्र मोदी के उदय काल से पहले वाली कांग्रेस भी नहीं है। खासकर युवा पीढ़ी में कांग्रेस की राजनीतिक प्रासंगिकता को लेकर गहरे सवाल हैं। इन का जवाब कायदे से तो राहुल गांधी को देना था। लेकिन इसका दायित्व भी सोनिया गांधी ने संभाला है। 

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