गुरुवार, 10 सितंबर 2020

सेना ने नरसंहार की बात स्वीकारीः म्यांमार

बैंकॉक। म्यांमार की सेना छोड़ने वाले दो सैनिकों ने एक वीडियो में अधिकारियों से अगस्त 2017 में यह निर्देश मिलने की बात स्वीकार की है कि जिन भी गांवों में अल्पसंख्यक रोहिंग्या रहते हैं, वहां ‘जितने भी दिखें या जिनके बारे में पता चले उन सभी को गोलियां चला कर मार डालो। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, म्यांमार के दो सैनिकों ने एक वीडियो गवाही में रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार के अपराध को स्वीकार किया है। इस वीडियो में उन्होंने रोहिंग्या मुसलमानों को फांसी देने, सामूहिक तौर पर दफनाने, गांवों को तबाह करने और बलात्कार की बात स्वीकार की है।


यह टिप्पणी बौद्ध-बहुल म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ सेना द्वारा निर्देशित नरसंहार, बलात्कार और अन्य अपराधों में संलिप्तता की सैनिकों द्वारा पहली सार्वजनिक स्वीकारोक्ति प्रतीत होती है। रखाइन प्रांत में रोहिंग्या विद्रोहियों के खिलाफ म्यांमार की सेना के अभियान से बचने के लिए अगस्त 2017 के बाद से 700,000 से अधिक रोहिंग्या म्यांमार से भागकर पड़ोसी देश बांग्लादेश चले गए हैं। म्यांमार की सरकार ने इन आरोपों से इनकार किया है कि सुरक्षा बलों ने सामूहिक बलात्कार और हत्याएं कीं और हजारों घर जला दिए।


रिपोर्ट के अनुसार, पिछले महीने म्यांमार से भागने वाले दोनों सैनिकों को सोमवार को हेग (नीदरलैंड) ले जाया गया था, जहां अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) ने एक मामले की सुनवाई शुरू की, जिसमें इस बात की जांच की जा रही है कि क्या तातमाडोव (म्यांमार सेना) नेताओं ने रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अपराध किए हैं। मायो विन टुन ने अपनी वीडियो गवाही में कहा कि अगस्त 2017 में 15वें सैन्य ऑपरेशन सेंटर के उसके कमांडिंग अधिकारी कर्नल थान टाइक का साफ आदेश था जिसमें उन्होंने कहा था, ‘जिन्हें भी देखो और सुनो गोली मार दो। सैनिक के अनुसार, उन्होंने 30 रोहिंग्या मुस्लिमों के नरसंहार करने और उन्हें दफनाने में हिस्सा लेने के आदेश का पालन किया था, जिन्हें एक मोबाइल टावर और एक सैन्य कैंप के पास दफनाया गया था। इसमें आठ महिलाएं, सात बच्चे और 15 पुरुष शामिल थे।


उन्होंने आगे कहा कि कर्नल थान ने उनकी टुकड़ी को सभी ‘कलार’ को खत्म करने के लिए कहा। कलार रोहिंग्या मुसलमानों के लिए एक अपमानजनक शब्द है। इसके बाद उन्होंने लोगों के सिर में गोली मारकर उनके शवों को गड्ढे में ढकेल दिया। मायो विन टुन ने एक महिला के साथ बलात्कार करने का अपराध स्वीकार भी किया. उन्होंने कहा कि उनके समूह ने मोबाइल फोन, लैपटॉप के साथ पशुओं को भी जब्त कर लिया था। दूसरे सैनिक जॉ नैंग टुन ने कहा कि ठीक इसी दौरान पड़ोसी कस्बे में दूसरी टुकड़ी में शामिल उन्हें और उनके साथियों को वरिष्ठ अधिकारी से आदेश मिला, जिन्हें भी देखो मार दो, चाहे बच्चे हों या बड़े। शवों को बड़े पैमाने पर दफनाने की बात स्वीकार करते हुए जॉ नैंग ने कहा, ‘हमने करीब 20 गांवों को तबाह कर दिया। जॉ नैंग टुन ने कहा कि महिलाओं और पुरुषों दोनों में बच्चों, बड़ों और वृद्धों सहित करीब 80 लोग मारे गए। इस हत्या का आदेश उनके बटालियन कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल मायो मिंट आंग ने दिया था।


एक बार अधिकारी के आदेश पर इस संदेह पर 10 गांववालों को बांधकर गोली मार दी गई थी कि वे अराकान विद्रोही सैन्य समूह के जुड़े हैं। जॉ नैंग टुन ने कहा कि वे गोली चलाने वालों में से एक थे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे उस दौरान भी मौजूद थे जब एक सार्जेंट और एक कॉरपोरल ने घरों की तलाशी के दौरान तीन रोहिंग्या महिलाओं के साथ बलात्कार किया था। हालांकि, उन्होंने कहा कि उन्होंने किसी का बलात्कार नहीं किया। उनके अनुसार, उन्होंने लूट में हिस्सा लिया था, क्योंकि उनकी टुकड़ी के अधिकारी ने बाजारों की छापेमारी से पहले कहा था कि जो तुम लोगे वही पाओगे।


सीमा तनाव के बीच चीन का मिसाइल परीक्षण

पेइचिंग। पूर्वी लद्दाख में युद्ध जैसे हालात के बीच चीन ने अपने उत्‍तरी-पश्चिमी रेगिस्‍तानी इलाके में नई मिसाइलों का परीक्षण किया है। यही नहीं चीनी सेना ने रात के समय युद्धाभ्‍यास भी किया। चीन के सरकारी प्रोपेगेंडा अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स ने दावा किया कि पीएलए की ब्रिगेड ने पश्चिमोत्‍तर चीन के रेगिस्‍तान में लाइव फायर ड्रिल किया। इस दौरान एक नई मिसाइल का परीक्षण किया गया।
ग्‍लोबल टाइम्‍स ने बताया कि चीनी सेना ने रात के समय में भी हमला करने का अभ्‍यास किया। चीनी सेना ने रॉकेट दागे और कई तरह के बमों का परीक्षण भी किया। चीन और भारत के बीच पूर्वी लद्दाख में मई से शुरू हुआ तनाव अब और भी गंभीर होता जा रहा है। गलवान घाटी की हिंसा के बाद पैंगॉन्ग झील पर भी दोनों सेनाओं की बीच झड़प हुई। चीन ने आरोप लगाया है कि भारतीय सेना ने उस पर गोलीबारी की है। इस सबके बीच चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने इस क्षेत्र में भारी सेना और हथियार तैनात करना तेज कर दिया है। देश के अलग-अलग हिस्सों से सेना यहां बुलाई जा रही है।
देशभर से बुलाई सेना, परमाणु बॉम्‍बर ने किया अभ्‍यास
चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने सुरक्षा विश्लेषकों के हवाले से दावा किया है कि चीनी PLA ने सुरक्षाबल और भारी हथियारों की तैनाती बढ़ा दी है और इनके साथ युद्धाभ्यास किया जा रहा है। अखबार के मुताबिक एयर डिफेंस, सशस्त्र वाहन, पैराट्रूपर, स्पेशल फोर्स और इन्फैन्ट्री को देशभर के हिस्सों से बुलाकर इस क्षेत्र में लगाया गया है। PLA के सेंट्रल थिअटर कमांड एयरफोर्स के H-6 बॉम्बर और Y-20 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट ट्रेनिंग मिशन के लिए यहां तैनात किए हैं।                 


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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण




यूनिवर्सल एक्सप्रेस   (हिंदी-दैनिक)









 सितंबर 11, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-28 (साल-02)
2. शुक्रवार, सितंबर 11, 2020
3. शक-1943, अश्विन, कृृष्ण-पक्ष, श्राद्ध पक्ष, तिथि- नवमी, विक्रमी संवत 2077।


4. सूर्योदय प्रातः 05:35, सूर्यास्त 07:00 ।


5. न्‍यूनतम तापमान 23+ डी.सै.,अधिकतम-36+ डी.सै.।


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बुधवार, 9 सितंबर 2020

20.30 लाख एकड़ जंगल जलकर राख

कैलिफोर्निया में आग से जला 20.30 लाख एकड़ में फैला जंगल।


वाशिंगटन(यूए)। अमेरिका में कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूजोम ने कहा है कि प्रांत के जंगलों में आग लगने के कारण लाखों अंडे और पक्षियों के लाखों छोटे बच्चे जलकर भुन गए। 20.30 लाख एकड़ में फैला जंगल जल गया है जो एक वर्ष में इतने बड़े क्षेत्र में जंगल जलने की सबसे बड़ी घटना है। वहीं 2019 में आग की वजह से 118,000 एकड़ में फैला जंगल नष्ट हो गया था। गेविन ने यह बातें मंगलवार को संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कही।
उधर, कैलिफोर्निया के वानिकी एवं अग्नि नियंत्रण विभाग के अनुसार सैन डिएगो के जंगलों में लगी आग सोमवार तक 17000 एकड़ क्षेत्रफल में फैल चुकी थी। विभाग ने कहा था कि लगभग 14000 दमकलकर्मी आग बुझाने की कोशिश कर रहे हैं। आग में जलने के कारण कम से कम आठ लोगों की मौत हो गयी है तथा 3300 संरचनाएं नष्ट हो गयी हैं।                  


सीमा विवाद पर 'रूस' ने दिया बयान

नई दिल्ली/ बीजिंग/ मास्को। रूस ने भारत-चीन के बीच चल रहे विवाद में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। रूस ने स्पष्ट किया है कि जब तक दोनों देश उससे मध्यस्थता की भूमिका निभाने के लिए नहीं कहेंगे, तब तक वह इस मामले में नहीं पड़ेगा। हालांकि वह दोनों देशों को बातचीत के जरिए आपसी विवाद हल करने के लिए प्रेरित करता रहेगा।

भारत में रूसी दूतावास के उप प्रमुख रोमन बबुश्किन ने कहा कि उनकी सरकार बातचीत के जरिये पूर्वी लद्दाख में तनाव कम होते देखना चाहती है। उन्होंने कहा कि, 'हमें उम्मीद है कि भारत और चीन बातचीत के जरिये सीमा विवाद सुलझा लेंगे।' वे पत्रकारों के साथ ऑनलाइन बातचीत कर रहे थे।

रूस की यह टिप्पणी पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच ताजा झड़प के बाद बढ़े तनाव के एक दिन बाद आई है। बबुश्किन ने कहा कि, 'हम दोनों देशों के बीच विवादों के समाधान की प्रक्रिया में शामिल नहीं है। हम इसके लिये सकारात्मक माहौल बनाने पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। 'उधर भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर आठ देशों के शंघाई सहयोग संगठन ( SCO) की मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लेने के लिये मंगलवार को चार दिवसीय यात्रा पर रूस दौरे पर गए हैं। इस दौरान वे बैठक से अलग हटकर चीन के विदेश मंत्री वांग यी से भी मुलाकात कर सकते है।     

पीडाः दुनिया से अलग-थलग हो गया 'चीन'

नई दिल्‍ली/ बीजिंग। अपनी सामरिक व आर्थिक ताकत के गुमान में पड़ोसियों के साथ-साथ अन्य देशों से पंगा लेने वाला चीन आज दुनिया से अलग-थलग पड़ गया है। कोरोना संक्रमण को लेकर अपने रहस्यमय रवैये के कारण पहले ही वह दुनियाभर के देशों के निशाने पर आ गया था। इस बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय सैनिकों के साथ चीनी सैनिकों की हिंसक झड़पों व तनातनी ने उसके नापाक इरादे को दुनिया के सामने ला दिया। अब तो चीन के बहकावे और कुटिल चालों में फंसे देशों ने भी उससे किनारा करना शुरू कर दिया है।


भूटान: चीन की नजर पूर्वी भूटान स्थित सकतेंग वन्यजीव अभयारण्य पर है। गत दिनों उसने इस अभयारण्य पर दावा भी ठोक दिया था, जिसका भूटान ने पुरजोर विरोध किया था। इसके बाद चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि चीन-भूटान के बीच कभी सीमा निर्धारित नहीं हुई। सीमा को लेकर पिछले काफी समय से विवाद चल रहा है।                   


रूस में मिलेंगे भारत-चीन के विदेश मंत्री

मास्‍को। लद्दाख में भारत और चीन में जारी तनातनी के बीच आज शाम को भारत और चीन के विदेश मंत्री रूस की राजधानी मास्‍को में मुलाकात करेंगे। तय कार्यक्रम के मुताबिक भारतीय समयानुसार शाम 5 बजकर 30 मिनट पर विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच मुलाकात होगी। कहा जा रहा है कि रूस अपने दोनों मित्र देशों के बीच तनाव कम करने की जमीन तैयार करने में लगा हुआ है। हालांकि रूस ने इसका खंडन किया है।
इससे पहले रूस में ही भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से चीनी रक्षा मंत्री ने मास्‍को में मुलाकात की थी लेकिन इस बैठक का कोई परिणाम नहीं निकला था। यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है जब भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लद्दाख में दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) की बैठक में शामिल होने मंगलवार को मॉस्को पहुंच चुके हैं।             


भारत के तेवर देख बैकफुट पर आया चीन

नई दिल्‍ली/ बीजिंग। चीन घबराया हुआ है और अब अपने ही लोगों को समझाने की कोशिश कर रहा है कि उसकी सेना युद्ध लड़ सकती है। साथ ही वह यह भी समझा रहा है कि उसे भारत के साथ युद्ध करने का फायदा मिलेगा। इससे साफ जाहिर है कि सीमा पर भारत के आक्रामक रुख से चीन बैकफुट पर है। चीन के स्टेट मीडिया से संबद्ध ग्लोबल टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, ‘‘भारत को लेकर चीन की नीति ताकत पर आधारित है और अगर आम लोग भारतीय उकसावे से नहीं डरते हैं, तो पीएलए कैसे डर सकता है? ऐसे में देश कैसे कमजोर हो सकता है? हर किसी को यह मानना होगा कि चीन भारत पर हावी है और ऐसे में हम भारत को चीन का फायदा नहीं उठाने देंगे।’’

लोगों को दे रहा भरोसा, जमीन नहीं गंवाएगा चीन
ग्लोबल टाइम्स के एडिटर-इन-चीफ हू शिजिन ने अपनी रिपोर्ट में आगे कहा, ‘‘चीन-भारत सीमा की सीमावर्ती स्थिति से परिचित लोगों ने मुझे बताया कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का पूरी स्थिति पर द्दढ़ नियंत्रण है और युद्ध की स्थिति में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि यह कैसे लड़ा जाता है। पीएलए के पास भारतीय सेना को हराने की पूरी क्षमता है। इतना ही नहीं भारत-चीन सीमा पर चीन अपनी एक इंच जमीन भी नहीं खोएगा। इसे लेकर हम चीनी लोगों को आश्वस्त करते हैं।’’             


पाक से भी खराब है 'भारत की हालत'

वॉशिंगटन डीसी। भारत के साथ दोस्‍ती का दंभ भरने वाले अमेरिका की नजर में भारत की हालत पाकिस्‍तान से भी खराब है और उसने अपने देशवासियों को भारत नहीं जाने की सलाह दी है। अमेरिका ने पाकिस्तान के लिए अपने यात्रा परामर्श में संशोधन किया है और इसे तीसरे स्तर पर रखते हुए देशवासियों से पाकिस्तान की ‘यात्रा की योजना पर पुनर्विचार’ करने को कहा है। भारत अभी भी न जाने वाले देशों की सूची में शामिल है।
इससे पहले पाकिस्‍तान को चौथे स्तर पर रखा गया था। चौथे स्तर पर रखे गए देश ‘यात्रा नहीं करने’ के परामर्श की श्रेणी में आते हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के परामर्श के अनुसार भारत अब भी यात्रा परामर्श के चौथे स्तर में है। भारत के अलावा सीरिया, ईरान, इराक और यमन समेत कई देश चौथे स्‍तर वाली सूची में शामिल हैं। अमेरिका ने भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के लगातार बढ़ रहे मामलों के मद्देनजर वहां ‘यात्रा नहीं करने’ का परामर्श छह अगस्त को जारी किया था।               


फुटबॉलः इटली ने नीदरलैंड्स को दी मात

रोम। इटली ने निकोलो बारेला के गोल दम पर यूईएफए नेशंस लीग के ग्रुप-ए के मैच में नीदरलैंड्स को 1-0 से हरा दिया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, सोमवार को खेले गए मैच के पहले हाफ के स्टॉपेज टाइम में बारेला ने टीम के लिए गोल किया और उनका यह गोल उनकी टीम को जीत दिलाने में काफी रहा।


इस जीत ने इटली को ग्रुप-ए1 के मैच में शीर्ष पर पहुंचा दिया। उनके दो मैचों में चार अंक हैं। इटली के कोच ने इटली के ब्रॉडकास्टर राय से बात करते हुए कहा, मैं मानसिकता, प्रदर्शन, को लेकर काफी खुश हूं। खिलाड़ियों ने शानदार खेला। वहीं अपने स्टार स्ट्राइकर रोबर्ट लेवांडोव्स्की के बिना उतरी पोलैंड ने टूर्नामेंट में अपनी पहली जीत दर्ज की। 24वें मिनट में हैरिस हाजराडिनोविक ने गोल कर बोस्निया को आगे कर दिया। लेकिन ब्रेक से पहले कामिल ग्लीक ने पोलैंड को बराबरी पर ला दिया और 67वें मिनट में कामिल ग्रोसिस्की ने पौलेंड के लिए दूसरा गोल किया जो टीम के लिए विजयी साबित हुआ।               


जिंगपिंग पर सख्ती की तैयारी में अमेरिका

बीजिंग/ वाशिंगटन डीसी। अमेरिकी संसद में एक बिल पेश किया गया है। इसमें कहा गया है कि अमेरिका में सरकारी तौर पर शी जिनपिंग को चीन का राष्ट्रपति यानी प्रेसिडेंट नहीं कहा जाना चाहिए। बिल के मुताबिक, चीन में लोकतंत्र नहीं है और न ही, जिनपिंग लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए हैं। लिहाजा, अमेरिका उन्हें राष्ट्रपति कहना बंद करे।


तकनीकी तौर पर बिल में कही गई हर बात सही है। दरअसल, 1980 के पहले किसी चीनी शासन प्रमुख को प्रेसिडेंट यानी राष्ट्रपति नहीं कहा जाता था। इतना ही नहीं, चीन के संविधान में भी ‘राष्ट्रपति या प्रेसिडेंट’ शब्द नहीं है।


‘चेयरमैन ऑफ एवरीथिंग’
2012 में जिनपिंग राष्ट्रपति बने। यह पद उन्हें चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के मुखिया होने के चलते मिला। संवैधानिक तौर पर देखें तो सीसीपी का चेयरमैन ही सरकार और सेना का प्रमुख होता है। लेकिन, जिनपिंग के मामले में ऐसा नहीं है। सीएनएन के मुताबिक, जिनपिंग ही सत्ता और पार्टी का एकमात्र केंद्र हैं। वे पार्टी की नई सुपर कमेटीज के चेयरमैन भी हैं। इसलिए, इंटरनेशनल एक्सपर्ट्स उन्हें ‘चेयरमैन ऑफ एवरीथिंग’ यानी ‘हर चीज का अध्यक्ष’ कहते हैं। ये एक तरह से तानाशाह होना ही है।


अमेरिका में लाए गए बिल में क्या है
ट्रम्प की पार्टी के सांसद स्कॉट पैरी ये बिल लाए। नाम दिया गया, ‘नेम द एनिमी एक्ट’। पैरी चाहते हैं कि जिनपिंग या किसी चीनी शासक को अमेरिका के सरकारी दस्तावेजों में न राष्ट्रपति कहा जाए और न लिखा जाए। बिल के मुताबिक- चीन में राष्ट्रपति जैसा कोई पद नहीं है। वहां कम्युनिस्ट पार्टी का जनरल सेक्रेटरी (महासचिव) होता है। और जब हम उसे राष्ट्रपति कहते हैं तो ऐसा लगता है, जैसे कोई व्यक्ति लोकतांत्रिक तौर पर चुना गया हो। चीन में तो लोकतंत्र नहीं है।


फिर सच्चाई क्या है..
इसे आसान भाषा में समझते हैं। दरअसल, जिनपिंग को ‘राष्ट्रपति’ कहे जाने पर भ्रम है। और इसीलिए विवाद भी हुए। चीन में जितने भी पदों पर जिनपिंग काबिज हैं, उनमें से किसी का टाईटिल ‘प्रेसिडेंट’ नहीं है। और न ही चीनी भाषा (मेंडेरिन) में इस शब्द का जिक्र है। 1980 में जब चीन की इकोनॉमी खुली, तब चीन के शासक को अंग्रेजी में प्रेसिडेंट कहा जाने लगा। जबकि, तकनीकि तौर पर ऐसा है ही नहीं। जिनपिंग सीसीपी चीफ हैं। इसलिए देश के प्रमुख शासक हैं। लेकिन, वे राष्ट्रपति तो बिल्कुल नहीं हैं। बस उन्हें ‘प्रेसिडेंट’ कहा जाने लगा।


सवाल क्यों उठते हैं...
स्कॉट पैरी के पहले भी अमेरिका में यह मांग उठती रही है कि कम से कम आधिकारिक तौर पर तो चीन के शासक को राष्ट्रपति या प्रेसिडेंट संबोधित न किया जाए। आलोचक कहते हैं- जिनपिंग ही क्यों? चीन के किसी भी शासक को राष्ट्रपति कहने से यह संदेश जाता है कि वो लोकतांत्रिक प्रतिनिधि है, और इंटरनेशनल कम्युनिटी को उन्हें यही मानना चाहिए। जबकि, हकीकत में वे तानाशाह हैं।


बात 2019 की है। तब यूएस-चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन की एक रिपोर्ट में कहा गया था- चीन में लोकतंत्र नहीं है। मतदान का अधिकार नहीं है और न बोलने की आजादी है। जिनपिंग को राष्ट्रपति कहना उनकी तानाशाही को मान्यता देना है।


जिनपिंग के ओहदे
चीन में जिनपिंग के पास तीन अहम पद हैं। स्टेट चेयरमैन (गुओजिया झुक्शी)। इसके तहत वे देश के प्रमुख शासक हैं। चेयरमैन ऑफ द सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (झोंगयांग जुन्वेई झुक्शी)। इसके मायने हैं कि वे सभी तरह की चीनी सेनाओं के कमांडर इन चीफ हैं। तीसरा और आखिरी पद है- जनरल सेक्रेटरी ऑफ द चाईनीज कम्युनिस्ट पार्टी या सीसीपी (झोंग शुजि) यानी सत्तारूढ़ पार्टी सीसीपी के भी प्रमुख। 1954 के चीनी संविधान के मुताबिक, अंग्रेजी में चीन के शासक को सिर्फ चेयरमैन कहा जा सकता है।           


इंडोनेशिया में 6.0 तीव्रता का भूकंप, झटके

इंडोनेशिया में 6.0 तीव्रता का भूकंप, झटके  अखिलेश पांडेय  जकार्ता। इंडोनेशिया के पूर्वी प्रांत मालुकु में सोमवार के तेज झटके महसूस किए गए। इ...