सोमवार, 15 जून 2020

व्यवस्था बनाए रखने हेतु पैदल गस्त

रिपोर्ट-नवीन कुशवाहा


कोंच। पुलिस अधीक्षक जालौन डॉ0 सतीश कुमार द्वारा सोमवार को नगर में आकर कोतवाली पुलिस के साथ कोविड19 संक्रमण से बचाव व रोकथाम तथा कानून एवं शान्ति व्यवस्था बनाए रखने हेतु नगर में पैदल गस्त किया।पुलिस अधीक्षक सतीश कुमार ने बाहर घूम लोगो से घरों मे रहने एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील की।कोतवाली पुलिस को निर्देश दिए कि जो लोग बिना मास्क के मिले उनसे जुर्माना बसूला जाए।
इस दौरान क्षेत्राधिकारी राजीव प्रताप सिंह,एट थानाध्यक्ष विनोद पांडेय ,पीआरओ अरुण तिवारी आदि उपस्थित रहे।


यूपी में एक्टिव केस की संख्या 4948

यूपी में एक्टिव केस की संख्या 4948 हुई


यूपी में 8268 मरीज स्वस्थ होकर डिस्चार्ज


लखनऊ। अब तक अब तक आगरा 1038, मेरठ 641, नोएडा 997, लखनऊ 596, कानपुर 705, गाजियाबाद 631, सहारनपुर 287, फिरोजाबाद 374, मुरादाबाद 294, वाराणसी 282, रामपुर 259, जौनपुर 431, बस्ती 259, बाराबंकी 229, अलीगढ़ 271, हापुड़ 230, बुलंदशहर 341, सिद्धार्थनगर 173, अयोध्या 171, गाजीपुर 185, अमेठी 217, आजमगढ़ 167, बिजनौर 204, प्रयागराज 147, संभल 182, बहराइच 111, संतकबीरनगर 159, प्रतापगढ़ 95, मथुरा 167, सुल्तानपुर 114, गोरखपुर 167, मुजफ्फरनगर 168, देवरिया 142, रायबरेली 109, लखीमपुर खीरी 84, गोंडा 111, अमरोहा 79, अंबेडकरनगर 101, बरेली 126, इटावा 128, हरदोई 150, महाराजगंज 100, फतेहपुर 97, कौशांबी 53, कन्नौज 144, पीलीभीत 83, शामली 58, बलिया 64, जालौन 100, सीतापुर 47, बदायूं 60, बलरामपुर 51, भदोही 85, झांसी 80, चित्रकूट 76, मैनपुरी 130, मिर्जापुर 41, फर्रुखाबाद 74, उन्नाव 88, बागपत 145, औरैया 57, श्रावस्ती 47, एटा 64, बांदा 34, हाथरस 78, मऊ 68, चंदौली 50, कानपुर देहात 43, शाहजहांपुर 68, कासगंज 32, कुशीनगर 58, महोबा 31, सोनभद्र 31, हमीरपुर 43, ललितपुर 4 मरीज कोरोना पॉजिटिव मिले


यूपी में सभी 75 जिलों में कोरोना संक्रमित मरीज मिले


यूपी में अब तक 154165 मरीजों में कोरोना जैसे लक्षण मिले


7436 लोगों को संस्थागत क्वॉरेंटाइन में रखा गया


यूपी में अब तक कोरोना से 399 मरीजों की मौत


यूपी में आज 499 नए मरीज कोरोना पॉजिटिव मिले


कुछ हजार लगाने से बिजनेस की शुरुआत

अगर आप भी उनमें से हैं जिनके पास ज्यादा पूंजी नहीं है और आप इस बात से परेशान हैं कि आपको बिजनेस शुरू करना है लेकिन इस बात से चिंतित हैं कि उसके लिए लाखों रुपए की आवश्यकता पड़ती है तो हम आपके लिए इस परेशानी का समाधान लेकर आए हैं।


जी हां, दरअसल कुछ बिजनेस ऐसे भी हैं जिसमें लाखों लगाने की जरूरत नहीं है बल्कि कुछ हजार लगाने से ही उन बिजनेस की शुरुआत हो जाती है।


जी हां, दरअसल आज हम आपको कुछ ऐसे बिजनेस आईडियाज के के बारे में बताएंगे जो मात्र 5 से लेकर 10 हज़ार तक शुरू किए जा सकते हैं और इसमें रेगुलर इनकम या रेगुलर प्रॉफिट होता रहता प्रॉफिट होता रहता है।


मोबाइल रिचार्ज और सिम कार्ड शॉप


इस बिजनेस में आपको सिर्फ 3 से 5 हजार का शुरुआती निवेश करना होगा। बता दें कि यह बिजनेस हमेशा डिमांड में रहता है और इस बिजनेस के लिए आपको किसी बड़ी जगह की आवश्यकता भी नहीं है। आप एक छोटी से छोटी दुकान में भी इस बिजनेस को सेट अप कर सकते हैं।


रिचार्ज और सिम कार्ड का उपयोग तो कभी खत्म हो नहीं सकता इसलिए इस बिजनेस का फ्यूचर भी ब्राइट रहता रहता है।


प्रिंटर अौर फोटो कॉपी बिजनेस


यह बिजनेस 4 से 5 हजार रुपए में शुरू हो सकता है। इसके लिए आपको बस एक चीज ध्यान में रखनी होगी क्योंकि अगर आप इस चीज का ध्यान नहीं रखेंगे तो आपको इस बिजनेस में मुनाफा ना के बराबर होगा क्योंकि इस बिजनेस के लिए यह फैक्टर बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है।


शू वॉश लॉन्ड्री


अब तक सिर्फ कपड़ों की ही लॉन्ड्री शॉप हुआ करती थी, लेकिन अब ऐसी मशीनें आ गई हैं जिनसे जूतों की भी धुलाई और सफाई होती है। इस काम को शुरू करने में आपको सिर्फ 4 से 5 हजार रुपए लगाने होंगे और मात्र इतने ही रुपए में आपका बिजनेस सेट हो जाएगा और आपकी गाड़ी चल पड़ेगी।


ब्रेकफास्ट शॉप


चाहे कितनी भी मंदी हो या महंगाई हो जाए, लोग खाना खाना नहीं छोड़ते। ऐसे में यह बिजनेस सदाबहार है। अक्सर लोग सुबह दफ्तर के लिए जल्दी निकलने के चक्कर में नाश्ता नहीं कर पाते हैं। खासतौर से वे लोग जो अकेले रहते हैँ। ऐसे में आप ब्रेकफास्ट शॉप शुरू करके अच्छी कमाई कर सकते हैं। जैसा कि कहा कि एक सदाबहार बिजनेस है है लोग चाहे गरीब हो या अमीर खाएंगे तो शुरू तो इसलिए इस बिज़नेस बिज़नेस बिज़नेस का फ्यूचर भी काफी प्राइवेट होता है और इन्वेस्टमेंट काफी कम।


मिनरल वॉटर सप्लायर


लोगों के बीच मिनरल वॉटर की डिमांड बढ़ रही है। गर्मियों में तो पानी की डिमांड और भी ज्यादा रहती है। ऐसे में आपके लिए यह बिजनेस का अच्छा ऑप्शन हो सकता है। इसे शुरू करने में आपको महज 10 हजार रुपए की पूंजी लगानी होगी। प्रदूषण भी एक बहुत बड़ी वजह है। पानी साफ आ नहीं रहा इसलिए लोग मिनरल वाटर की ओर अग्रसर हो रहे हैं। खासतौर पर जब कोई शादी ब्याह या बड़ा फंक्शन होता है वहां पर मिनरल वाटर की आवश्यकता बहुत बढ़ जाती है ऐसे में आपको काम की कभी कमी नहीं होगी।


गारर्मेंट टेलर


अगर आपको सिलाई-कढ़ाई आती है तो आप अपने हुनर को कमाई का जरिया बना सकते हैं। महज 10 हजार रुपए में आप यह व्यापार शुरू कर सकते हैं। इस काम के लिए आपका हुनर जितना अच्छा होगा उतनी ही इस काम में आपके फ्यूचर ब्राइट होने की संभावनाएं हैं।


कोल्ड ड्रिंक और स्नैक्स


लोगों के बीच फास्ट फूड काफी लोकप्रिय है। ऐसे में आप 8 से 10 हजार रुपए में यह बिजनेस शुरू कर सकते हैं। इस बिज़नस में भी लोकेशन काफी महत्वपूर्ण है।


प्लांट नर्सरी


अपने घरों की बालकनी में पौधे लगाना लोगों को पसंद होता है। अब तो इनडोर प्लांट्स का चलन भी काफी बढ़ गया है। ऐसे में प्लांट नर्सरी एक अच्छा बिजनेस हो सकता है। इस बिजनेस को 10 हजार रुपए में आराम से शुरू कर सकते हैं।


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  • एडवोकेट प्रताप सिंह सुवाणा


व्यवस्था के लिए विशेष ट्रेन चलाई गई

नई दिल्ली। लॉकडाउन में फंसे प्रवासियों को घर लौटने के लिए काफी नुकसान उठाना पड़ा। सरकारों द्वारा व्यवस्था की गई थी। बस और श्रमिक विशेष ट्रेनें भी चलाई गईं। अब एक वॉलंटियर ग्रुप सर्वे ऑफ स्ट्रेस्ड वर्कर्स एक्शन नेटवर्क (स्वान) ने खुलासा किया है कि घर जाने वाले 85% श्रमिकों को अपना किराया देना पड़ता था।

यह सर्वेक्षण सरकारों के उस दावे को खोलता है, जिसमें कहा गया था कि बस और ट्रेन का किराया श्रमिकों से नहीं लिया जा रहा है। सभी राज्य सरकारों ने दावा किया था कि उन्होंने स्वयं से प्रवासी मजदूरों के किराए का भुगतान किया था।


सर्वेक्षण के अनुसार, 28 मई का सुप्रीम कोर्ट का आदेश बहुत देरी से आया, जिससे सरकारों को प्रवासियों का खर्च वहन करने को कहा गया। जानकारी के मुताबिक, मई की शुरुआत तक कई प्रवासी अपने घर चले गए थे। स्वचालित फ़ोन सर्वेक्षण ने 1963 प्रवासियों से बात की। इसमें से केवल 33% लोग अपने घर जाने में सक्षम थे, शेष 67% लोग मजबूरी में शहर में रहे। जो लोग गए, उनमें से 85% ने अपनी जेब से घर के किराए का भुगतान किया।


'टू लीव या नॉट टू लीव: लॉकडाउन, माइग्रेंट वर्कर्स एंड देयर जर्नी होम' शीर्षक वाली यह रिपोर्ट शुक्रवार को जारी की गई। सर्वेक्षण मई के अंतिम सप्ताह और जून के पहले सप्ताह में आयोजित किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, घर जाने वाले 62% लोगों ने 1500 रुपये से अधिक का किराया दिया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ज्यादातर प्रवासी नौकरी या काम की कमी के कारण पलायन करने लगे। घर लौटने या अकेले रहने की इच्छा ही प्रवास का कारण है। यह कहा गया है कि अभी भी फंसे हुए 75% लोगों को काम नहीं मिलने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वे अभी भी काम पूरा करने से पीछे हट रहे हैं। स्वान में शोधकर्ता अनिंदिता अधिकारी ने कहा, “हमें पता चला कि लोग बीमारी के डर से या परिवार के साथ घर नहीं चला रहे हैं। शहर में बेरोजगारी, कमाई के साधनों की कमी, भोजन समाप्त होने और शहर में कोई काम न होने के कारण लोग अपने घरों में जाने लगे। 'सर्वेक्षण के अनुसार, जो लोग घर गए, उनमें से 44% लोगों ने बस पकड़ी और 39% लोगों को श्रमजीवी स्पेशल ट्रेन में जगह मिली। लगभग 11% लोगों को ट्रक, लॉरी और अन्य साधनों से उनके घर तक पहुँचाया गया। 6% लोग ऐसे भी थे जो पैदल ही अपने गाँव लौट आए। रिपोर्ट के अनुसार, शहरों में फंसे 55% लोग किसी भी परिस्थिति में अपने घर जाना चाहते हैं।SWAN रिपोर्ट में 5,911 प्रवासी मजदूरों की बात भी शामिल है जिन्होंने 15 मई और 1 जून के बीच अपनी समस्याओं की सूचना दी थी। इसमें से 80% ऐसे लोग हैं, जिन्हें सरकारी राशन या खाद्य पदार्थ नहीं मिल रहे हैं। 63% लोग ऐसे भी थे जिनके पास मुश्किल से 100 रुपये बचे हैं। 57% लोगों ने भी फोन किया और बताया कि अब उनके पास न तो पैसे हैं और न ही खाने की चीजें। कुछ ऐसे भी थे जो अब भी नहीं खा पा रहे हैं।


केले की खेती से कैसे कमाता है ₹लाखों ?

केले की खेती से कैसे कमाता है लाखों रुपये?


श्रीनारद मीडिया 


इंसान के अंदर जोश और जज्बा हो तो वह न सिर्फ अपनी मंजिल हासिल करता है, बल्कि औरों के लिए प्रेरणा का श्रोत बन जाता है। ऐसे ही प्रेरणा के श्रोत बने हैं यूपी में बरेली के दो किसान जो आपस में चाचा-भतीजे हैं। एमएससी की पढ़ाई करने के बाद खेती का ऐसा जुनून सवार हुआ कि लीक से हटकर वे केले की खेती-किसानी में उतरे और लाखों की कमाई करके युवाओं के लिए प्रेरणा श्रोत बन गए। उनका दावा है कि केले का उनका फार्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा है।
मूल रूप से शीशगढ़ इलाके के गांव कजियापुर सहोड़ा निवासी अरविंद गंगवार व उनके चाचा धमेंद्र सहाय कई साल पहले महाराष्ट्र गए थे। वहां केले की खेती देखकर मन में नौकरी-चाकरी या पारंपरिक खेती की बजाय केले की खेती करेंगे। आज खेती उनका पैशन है। वे आस-पास के करीब 150 लोगों को इसके माध्यम से रोजगार भी दे रहे हैं।


रिश्ता और व्यापार की कहानी
अरविंद का कहना है कि वह और उनके चाचा धर्मेंद्र सहाय हम उम्र हैं। महाराष्ट्र में जब केले की खेती करने वाले किसानों की समृद्धि देखी तो उनका विचार ही बदल गया। वापस आकर गांव में 27 एकड़ जमीन में केले का बाग लगाया।


योग्यता आ रही खेती में काम 
धर्मेंद्र सहाय ने इन्वायरमेंट साइंस में तो उनके भतीजे अरविंद गंगवार ने एनिमल साइंस विषय से एमएससी किया। इसके बाद नौकरी की दौड़ शुरू होती कि खेती की ओर उनका रुझान हो गया। आज उनकी योग्यता खेती के काम आ रही है और आधुनिक तरीके से खेती कर रहे हैं।


 विदेशों से फोन करके लोग ले रहे खेती के टिप्स
धर्मेंद्र और अरविंद से खेती के टिप्स लेने के लिए देश-दुनिया से फोन आने लगे हैं। धर्मेंद्र का कहना है कि उनके पास कई बार विदेशों और देश के उत्तराखंड, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान आदि राज्यों से फोन आए। कई बड़े किसान विजिट और प्रशिक्षण को भी आ चुके हैं।


एक पेड़ में आता है दो मीटर लंबा केले का गुच्छा 
केला की खेती में पानी की अधिक आवश्यकता होती है। एक फीट केले का पौधा लगाया जाता है। 4 से 5 महीने में पौधा करीब 15 फीट ऊंचा हो जाता है। फूल आने के बाद दो महीने में दो मीटर लंबा तक केले का गुच्छा निकलता है। जुलाई से फसल तुड़ाई शुरू होगी।


सुरक्षा प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी

सीतापुर। जहाँ एक तरफ सरकार हर प्रकार के वन्य प्राणियों को सम्पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।वहीं दूसरी ओर दबंग किस्म के लोग एक साथ सैकडों वन्य प्राणियों की जान लेने में जरा भी संकोच या भय नहीं करते हैं।आखिर कौन देता है इन दबंगों को संरक्षण। आखिर किसके सहारे दबंगो ने ली सैकड़ों कौवों की जान। रमेश मिश्र ने थानाध्यक्ष से किया कार्यवाही की माँग दवा मिलाते देख नाबालिग लड़के ने दिया ग्रामीणों को जानकार आइए आपको ले चलते हैं। पूरे प्रकरण की ओर-आपको बताते चलें कि सीतापुर जनपद में तम्बौर थाना क्षेत्र के अन्तर्गत सिसैया दरियाना गाँव में राजकुमार पुत्र भगौती के बाग में आम की फसल को तंबौर निवासी सिराज, रवीकुमार व हनीफ पुत्र रऊफ ने मिलकर खरीदा था । दिनाँक 8 जून 2020 को बाग के क्रेताओं द्वारा खिचड़ी में जहरीली दवा मिलाकर डाल दी गयी जिससे लगभग 200 कौवों की मौत हो गयी ।मौत का यह तमसा जब गाँव के रमेश मिश्र पुत्र  समयदीन से सहन नहीं हुआ तो उन्होंने तत्काल थाना प्रभारी तंबौर को प्रार्थना पत्र देकर वन्य जीवों की जान लेने वालों पर कार्यवाही करने की माँग की थी जब दिनाँक 14 जून 2020 तक अपराधियों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई तो रमेश फिर थाने गया जिससे पुनः मौके पर पहुँचे उप निरीक्षकों ने अपराधियों पर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है ।अब देखना है कि ऐसा अक्षम्य अपराध करने वालों पर प्रशासन क्या कार्यवाही करता है ।

 


  • प्रदीप अवस्थी


नहर में बहता मिला युवती का शव

कुशीनगर। उत्तर प्रदेश में अपराधिक गतिविधियों में दिन-प्रतिदिन इजाफा हो रहा है। चारों तरफ अपराधी बेखौफ वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। हत्या, लूट, चोरी की वारदातों में इतनी तेजी से बढ़ोतरी होना प्रदेश की जनता के लिए उचित नहीं है। जिस पर अंकुश लगाने में पुलिस बेबस नजर आती है। जिसका प्रमाण नहर में मिली युवती की लाश है। नहर में बहती मिली 18 वर्षीय युवती का शव अपराध की गंभीरता को बयान करता है। युवती घर से किसी बात पर नाराज होकर निकली थी। आज सुबह रिसाल पट्टी के समीप मुख्य पश्चिमी गंडक नहर में दिखा शव, सूचना पर मौके पर पहुँची पुलिस विशुनपुरा ने शव को कब्जे में ले लिया। थाना क्षेत्र के बाँसगांव टोला नैनहा गाँव की घटना है।



'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन

'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन   मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए स्कूली बच्चों ने निकाला रैली कौशाम्बी। एन डी कान...