शुक्रवार, 12 जून 2020

स्क्वायर डॉग लीना ने पकड़वाया अपराधी

अश्वनी उपाध्याय


गाजियाबाद। थाना मसूरी क्षेत्रांतर्गत एक संविदा विद्युतकर्मी  की हत्या के संबंध में पंजीकृत अभियोग में शक के आधार पर निर्दोष लोग नामजद हुए थे, लेकिन पुलिस लाइन के डॉग स्क्वाड के लीना नामक फीमेल श्वान ने अपनी कार्यकुशलता दिखाते हुए पुलिस को दिए अहम सुराग, जिनके आधार पर थाना पुलिस ने परत दर परत घटना का अनावरण कर तीन अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है।  
इस प्रकार निर्दोष जेल जाने से बचे और सही मुजरिम सलाखों के पीछे हुए


वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री कलानिधि नैथानी ने जहां पुलिस अधीक्षक ग्रामीण नीरज जादौन के नेतृत्व में गठित टीम जिसमें सीओ सदर धर्मेंद्र चौहान व इंस्पेक्टर मसूरी व अन्य शामिल थे -को ₹10000 का इनाम देने की घोषणा की। वहीं श्वान लीना को उसके बेहतरीन कार्य के लिए नया पट्टा, रस्सी, मुलायम गद्दा आदि से पुरस्कृत करने का आदेश दिया है । उक्त फीमेल श्वान लीना लैब्राडोर किस्म की है। जिसकी उम्र करीब ढाई वर्ष है उक्त श्वान लीना अभी कुछ दिन पूर्व ही ITBP प्रशिक्षण केन्द्र पंचकुला से प्रशिक्षण प्राप्त कर आई है। खुलासे के बाद सबका ध्यान व शाबाशी पाकर लीना बहुत खुश नजर आई। घटना का संक्षिप्त विवरण
अभियुक्तगण से पूछताछ में उन्होने बताया कि तीनों अभियुक्त झुण्ड पुरा वाली रोड पर जा रहे थे कि मृतक की मोटरसाईकिल उसके घर लोटते समय उनकी गाडी से टकरा गयी मौके पर उनकी आपस में कहासुनी हुई उसका मोबाइल लेकर अभियुक्तगण चल दिये विवेक द्वारा इसका विरोध किया गया विरोध करने पर इनकी हथापाई हुई जिसमें अभियुक्तगण द्वारा विवेक  की गला दबाकर हत्या कर दी गयी और उसकी मोटरसाईकिल व मोबाइल आदि को ले गये । रोडरेज में हुई घटना के कारण बदला लेने के लिये उक्त घटना कारित करना  बताया है ।
गिरफ्तार अभियुक्तगण का नाम पता –
1-मोहसिन उर्फ कउआ पुत्र साबू निवासी ग्राम झुण्डपुरा मजरा रसूलपुर सिकरोडा थाना मसूरी जिला गाजियाबाद 
2-आदिल पुत्र यामीन निवासी ग्राम ननकागढी थाना मसूरी जिला गाजियाबाद 
3-सलमान उर्फ लीलू पुत्र इरफान नि0मौ0बाजीगरान बार्ड न03 डासना थाना मसूरी जिला गाजियाबाद। गिरफ्तार अभियुक्त गण अपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं जिनका आपराधिक इतिहास भी है।


दो पुलिस मुख्यालय भी किये गये सील

शिमला। हिमाचल प्रदेश में रोजाना कोरोना के मामले सामने आ रहे है। वहीं पुलिस अधीक्षक कार्यालय ऊना और जिला पुलिस कार्यालय बददी को आज दिन भर के लिए सील कर दिया गया है। बता दें कि ऊना में पुलिस अधीक्षक कार्यालय में कार्यरत एक पुलिस जवान कोरोना पॉजिटिव आया है। जबकि जिला पुलिस कार्यालय बददी को एहतियात के तौर पर बंद किया गया है। दोनों कार्यालय में आज पूरी तरह से सैनिटाइज किए जाएंगे। बताया जा रहा है कि जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में कार्यरत जवान अपने रिश्तेदार के किसी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए गया था। करना टेस्ट करने के बाद यह पुलिस जवान कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। इसके बाद से बीत रात से ही ऊना पुलिस अधीक्षक कार्यालय पूरी तरह से सील कर दिया गया था।


एसपी डॉ. गोकुलचंद्रन कार्तिकेयन ने बताया कि कार्यालय को आगामी आदेशों तक पूरी तरह से सील कर दिया गया है।
 शुक्रवार सुबह एसपी कार्यालय ऊना को सैनिटाइज किया गया। सुबह तहसीलदार ऊना विजय रॉय मौके पर पहुंचे और उन्होंने पूरी स्थिति का जायजा लिया। पुलिस अधीक्षक कार्यालय ऊना में कार्यरत पुलिस जवान नगर परिषद ऊना के वार्ड नंबर आठ का रहने वाला है। जिसके चलते अब इस पूरे वार्ड को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया गया है। जिला प्रशासन ने इस वार्ड को बंद कर दिया है।


ढाई महीने के बाद पार्थिव शरीर आया

मेरठ। उत्तर प्रदेश के मेरठ में रहने वाले डॉ. एसआर अरोड़ा के बेटे डॉ. सौरभ अरोड़ा का पार्थिव शरीर, निधन के ढाई माह बाद अमेरिका से मेरठ स्थित घर लाया गया तो परिवार में कोहराम मच गया। डॉ. सौरभ का अमेरिका में 14 मार्च को हार्टअटैक से निधन हो गया था। तभी से उनका पार्थिव शरीर अमेरिका में फ्रीजर में रखा गया था। पांच जून को उनका पार्थिव शरीर घर लाया गया तो परिवार, रिश्तेदार और कॉलोनी के लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए घर पहुंचे। दस लोगों ने ब्रजघाट पर उनका अंतिम संस्कार किया।
एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज के फिजियोलॉजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. एसआर अरोड़ा शास्त्रीनगर के ई-ब्लॉक में रहते हैं। उनके बेटे डॉ. सौरभ अरोड़ा अमेरिका में मेडिकल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। 45 वर्षीय डॉ सौरभ का 14 मार्च को हार्ट अटैक से अमेरिका में निधन हो गया था। लॉकडाउन के चलते पार्थिव शरीर को भारत लाना मुश्किल था। लेकिन परिवार की इच्छा था कि बेटे का पार्थिव शरीर मेरठ घर पर लाया जाए। इसके बाद शव को 45 दिनों तक अमेरिका में फ्रीजर में रखा गया।
लॉकडाउन खुला तो पार्थिव शरीर को अमेरिका से प्लेन द्वारा भारत लाया गया। पांच जून को पार्थिव शरीर मेरठ में शास्त्रीनगर ई-ब्लॉक आवास पर पहुंचा। बुजुर्ग माता-पिता ने बेटे के अंतिम दर्शन किए। इसके बाद चंद लोग शव को लेकर ब्रजघाट पहुंचे और अंतिम संस्कार किया। इस खबर से मेडिकल कॉलेज समेत चिकित्सकों में शोक व्याप्त है। डॉ. एसआर अरोड़ा ने शहर के अधिकांश डाक्टरों को पढ़ाया है।


छूट से देश में विकट हालात पैदा हुए

दिल्ली। देश में लॉकडाउन में छूट देने के बाद कोरोना से विकट हालात पैदा हो गए हैं। इससे देश की राजधानी दिल्ली बुरी तरह प्रभावित हुई है। अब दिल्ली की जामा मस्जिद के प्रशासन ने इसे लेकर बड़ा फैसला किया है। दिल्ली स्थित जामा मस्जिद के मैनेजमेंट ने राजधानी में कोरोना की भयावहता को लेकर फैसला लिया है कि अब वहां एक बार फिर लोग सामूहिक नमाज नहीं पढ़ पाएंगे। राजधानी में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने बताया कि विद्वानों से सलाह और जनता की राय लेने के बाद यह फैसला लिया गया है कि अब 30 जून तक जामा मस्जिद में सामूहिक नमाज नहीं अदा की जाएगी।

 

गौरतलब है कि दिल्ली में कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है। राज्य सरकार ने इससे निपटने के लिए केंद्र सरकार से मदद भी मांगी है। इसी संकट को देखते हुए जामा मस्जिद प्रशासन ने मस्जिद में सामूहिक नमाज पर रोक लगा दी है। दिल्ली में हालत खराब होने के चलते कई धार्मिक स्थलों को अभी तक आम जनता के लिए नहीं खोला गया है। जामा मस्जिद ने भी अब एहतियातन ये कदम उठाया है।

सरकार को मजदूरी भुगतान का आदेश

नई दिल्ली। निजी नियोक्ताओं, कारखानों, उद्योगों के खिलाफ सरकार कोई कठोर कदम नहीं उठाएगी, जो लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों को मजदूरी देने में विफल रहे। ये व्‍यवस्‍था देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के श्रम विभाग वेतन भुगतान के संबंध में कर्मचारियों और नियोक्ताओं के बीच बातचीत करवाएं। मजदूरों को 54 दिन के लॉकडाउन की मजदूरी के भुगतान के लिए बातचीत करनी होगी। उद्योग और मज़दूर संगठन समाधान की कोशिश करें। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को 29 मार्च के अपने आदेश की वैधानिकता पर जवाब दाखिल करने के लिए 4 और सप्ताह दिए, जिसमें सरकार ने मजदूरी के अनिवार्य भुगतान का आदेश दिया गया था। अगली सुनवाई जुलाई के अंतिम सप्ताह में होगी।लॉकडाउन के दौरान निजी कंपनियों व फ़ैक्टरियों आदि के कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के सरकारी आदेश पर पिछली में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने तक कर्मचारियों को पूरा वेतन देने में असमर्थ रहे कंपनी मालिकों के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा कि जब लॉकडाउन शुरू हुआ था तो कर्मचारियों को काम वाली जगह को छोड़कर अपने गृहराज्यों की ओर पलायन करने से रोकने के मंशा के तहत तब अधिसूचना जारी की थी। लेकिन अंततः ये मामला कर्मचारियों और कंपनी के बीच का है और सरकार इसमें दखल नहीं देगी।


इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी जो अपने स्टाफ़ को वेतन देने में असमर्थता जता रहे कुछ उद्योगों ने दायर की थी। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि लॉकडाउन से जुड़े सरकार के नए नोटिफिकेशन में लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को पूरा वेतन देने की शर्त को हटा दिया गया है। सरकार ने कहा कि निजी कंपनियां लॉकडाउन के दौरान अपने श्रमिकों की वेतन कटौती के लिए स्वतंत्र हैं। उद्योगों के वकीलों ने सरकार के इस कदम को नाकाफी कहा। कुछ याचिकाकर्ताओं ने पूरा वेतन न देने के आदेश का विरोध किया। याचिकाकर्ता का कहना था कि लॉकडाउन में कामकाज बिलकुल ठप पड़ा है, कोई कमाई नहीं है, जेबें ख़ालीपड़ी हैं, कारोबार चला पाना संभव नहीं है, ऐसे में स्टाफ़ की सेलरी कहांं से दें।


इसके अलावा अन्य याचिका कई उद्योगों की तरफ से दाखिल गई है, जिसमें कहा गया था कि आवश्यक सेवा से जुड़े उद्योगों को लॉकडाउन में काम करने की इजाजत दी गई, लेकिन सभी कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के केंद्र सरकार के आदेश का फायदा उठाकर ज़्यादातर कर्मचारी काम पर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में कोरोना के दौरान पहले से संकट का सामना कर रहे उद्योगों को उन्हें पूरा वेतन देने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।“


राजस्थान में जिंक खनन से जुड़े निर्माण कार्य करने वाली कंपनी ने कहा है जो मजदूर ड्यूटी कर रहे हैं और जो मज़दूर काम पर नहीं आ रहे हैं, उन्हें एक बराबर दर्जा कैसे दिया जा सकता है? ऐसा करना काम करने वाले मजदूरों के साथ भेदभाव होगा।“कंपनी की तरफ से यह दलील रखी गई कि उद्योग काम बंद हो जाने के चलते पहले ही संकट का सामना कर रहे हैं। ऐसे में जिन उद्योगों ने विशेष अनुमति के बाद काम करना शुरू कर दिया है। उन्हें सभी कर्मचारियों का वेतन देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। काम पर न आने वालों के वेतन में कटौती का आदेश बांबे हाई कोर्ट ने दिया है। उसे पूरे देश में लागू करना चाहिए। कंपनी ने दलील दी कि जो कर्मचारी काम कर रहे हैं, वह पूरे वेतन के हकदार हैं। लेकिन जो काम नहीं कर रहे, कंपनी को उनको 30 फ़ीसदी वेतन देने को ही कहा जाना चाहिए। अगर सरकार चाहे तो बाकी 70 फीसदी कर्मचारी बीमा निगम या पीएम केयर्स फंड के पैसों से दे।“ ऐसे ही याचिका कुछ और उद्योगों की तरफ से भी दाखिल की गई थी ।


तीन राज्यों में वायरस ने कहर बरपाया

नई दिल्ली। कोरोना वायरस (कोविड-19) ने देश में सबसे ज्यादा कहर महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली में बरपाया है तथा इन तीनों राज्यों में इस महामारी से अब तक 6060 लोगों की मौत हो चुकी है, जो देश में इस संक्रमण से हुई कुल मौतों का 71.31 प्रतिशत है।


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 10956 नये मामले सामने आये हैं, जिसके बाद कुल संक्रमितों की संख्या 2,97,535 पर पहुंच गई है। देश में इस महामारी से कुल 8498 लोगों की मौत हुई है तथा 147194 लोग स्वस्थ हुए हैं। देश में इस समय कोरोना के 141842 सक्रिय मामले हैं।


जन मानसिकता बदली, डर का माहौल

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर एकतरफा फैसले लेने का आरोप लगाते हुए कहा है कि लॉकडाउन भी इसी तरह का कठोर निर्णय था जिसने लोगों की मानसिकता बदली और डर का माहौल पैदा हुआ।श्री गांधी ने अमेरिकी राजनयिक एवं हावर्ड विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर निकाेलस बर्न्स से शुक्रवार को बातचीत में कहा कि मोदी सरकार ने जिस तरह से लॉकडाउन किया, उसके कारण लोगों की मानसिकता बदली है और काफी डर का माहौल पैदा हुआ है। यह वायरस बहुत घातक है और वायरस के साथ ही इस डर को भी धीरे-धीरे दूर किया जाना चाहिए।



उन्होंने कहा “डर का यही भाव कुछ दिनों पहले मैंने भारत के एक बड़े व्यवसायी में देखा। बातचीत में उन्होंने मुझे बताया कि उनके दोस्तों ने मुझसे बात करने के लिए उन्हें मना किया और कहा कि मुझसे बात करना उनके लिए नुकसानदेह होगा। इसका मतलब डर का माहौल तो है।आप एकतरफा फैसले लेते हैं, दुनिया में सबसे बड़ा और कठोर लॉकडाउन करते हैं। आपके पास लाखों दिहाड़ी मजदूर हैं, जो हजारों किलोमीटर पैदल घर लौटते हैं। तो यह एकतरफा नेतृत्व है,जहां आप आते हैं, कुछ करते हैं और चले जाते हैं। यह बहुत विनाशकारी है। यह हर जगह है और हम इससे लड़ रहे हैं।”


काेरोना से बचाव के लिए सावधानी को लेकर कांग्रेस नेता ने कहा “मैं किसी से हाथ तो नहीं मिला रहा लेकिन मास्क और सुरक्षा के साथ लोगों से मिलता हूं क्योंकि सार्वजनिक सभाएं संभव नहीं हैं और भारत में जन सभाएं राजनीति के लिए संजीवनी है। सोशल मीडिया और ज़ूम के जरिए काफी बातचीत हो रही है। इसके कारण राजनैतिक क्षेत्र में कुछ आदतें निश्चित ही बदलने जा रही है।”श्री गांधी ने कहा कि उन्हें लगता है कि कोरोना के कारण लोगों में एकजुटता का भाव बढ़ रहा है और यूरोप में भी ऐसा ही है। जर्मनी, इटली, ब्रिटेन के बीच वही हो रहा है जो बाकी विश्व में है। दुनिया में कुछ ऐसा हो रहा है, जहां लोग अपने आप में एक होते जा रहे हैं, समझदारी बनती जा रही है और मुझे लगता है कि कोविड संकट के कारण इस भाव में तेजी आयी है।


उन्होंने कहा “मैं अपने देश के डीएनए को समझता हूं। मैं जानता हूं कि हजारों वर्षों से मेरे देश का डीएनए एक प्रकार का है और इसे बदला नहीं जा सकता। हां, हम एक खराब दौर से गुजर रहे हैं। कोविड एक भयानक समय है, लेकिन मैं कोविड के बाद नए विचारों और नए तरीकों को उभरते हुए देख रहा हूं।मैं लोगों को पहले की तुलना में एक-दूसरे का बहुत अधिक सहयोग करते हुए देख सकता हूं। अब उन्हें एहसास हुआ कि वास्तव में संगठित होने के फायदे हैं। एक-दूसरे की मदद करने के फायदे हैं इसलिए वे ऐसा कर रहे हैं।”


नेपाल पुलिस की अंधाधुन फायरिंग, मौत

सीतामढ़ी। इस वक्त की बड़ी खबर बिहार के सीतामढ़ी से आ रही है, जहां भारत-नेपाल सीमा पर नेपाल पुलिस की ओर से जबरदस्‍त फायरिंग की गई है। फायरिंग की इस घटना में जहां 4 भारतीयों को गोली लगी है, वहीं एक शख्स की मौत भी हो गई है। बता दें कि भारत और नेपाल के बीच सीमा को लेकर विवाद चल रहा है। नेपाली संसद ने इसको लेकर एक प्रस्‍ताव भी पारित किया है, जिसमें भारत के कई सीमावर्ती हिस्‍सों को नेपाल का बताया गया है। इसको लेकर दोनों देशों के बीच तनाव है।
गोली लगने से घायल होने वाले में से दो की हालत फिलहाल नाजुक बताई जा रही है, जिन्हें इलाज के लिए निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। घटना सीतामढ़ी के सोनबरसा बॉर्डर इलाके के जानकीनगर गांव की है। जानकारी के मुताबिक भारत-नेपाल सीमा पर विवाद हुआ था, जिसके बाद नेपाल पुलिस की ओर से अंधाधुंध फायरिंग की गई। फायरिंग की इस घटना के बाद से सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। मौके पर जिला प्रशासन के कई वरीय अधिकारी रवाना हो चुके हैं। इस मामले में विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा की जा रही है।

75 वर्ष बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा यात्रा ?

न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र के 75 वर्ष के इतिहास में पहली बार विश्व के नेता इस वर्ष सितंबर में होने वाले महासभा के वार्षिक अधिवेशन में शामिल होने के लिए न्यूयॉर्क की यात्रा नहीं करेंगे। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष तिजानी मोहम्मद बंदे ने कल संवाददाता सम्मेलन में बताया कि कोविड-19 महामारी की वजह से ऐसा करना पड़ रहा है।


संयुक्त राष्ट्र महासभा का ऐतिहासिक 75वां अधिवेशन 15 सितंबर और इसमें होने वाली उच्चस्तरीय बहस 22 सितंबर से शुरू होने की संभावना है। दुनिया भर में कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए आने वाले महीनों में विश्व के नेताओं के संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पहुंचने में परेशानियां आ सकती हैं। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र ने अधिवेशन और इसमें होने वाली बहस के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया है। ऐसे में अधिवेशन के ऑनलाइन होने की संभावना है।पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतरेश ने सुझाव दिया था कि बहस में विश्व के नेताओं के पहले से रिकॉर्ड किए गए संदेशों को सुनाया जाना चाहिए।


संयुक्त राष्ट्र महासभा की आम बैठक का इस वर्ष विशेष महत्व है, क्योंकि इस विश्व संगठन के गठन को 75 साल हो गए हैं। अगर कोरोना महामारी का प्रकोप नहीं होता, तो इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के एक सौ 93 सदस्य देशों के ज्यादतर नेताओं के शामिल होने की संभावना थी।


71 दिनः कृष्ण जन्म स्थान के द्वार खुले

मथुरा। करोना संकटकाल काल में लॉक डाउन होने से 71 दिनों के बाद भगवान श्री कृष्ण ने अपने जन्म स्थान के द्वारा भक्तों के लिए खोले। लंबे समय से अपने आराध्य को आतुर भक्तजन दर्शन लिए आतुर दिखे। मंदिर के द्वार से लेकर भगवान के गर्भगृह तक कोरोना सुरक्षा के तय मानकों का पूरी तरह पालन किया गया। 


लॉक डाउन में 2 माह से भी ज्यादा समय तक बृज के मंदिरों के दर्शन बंद रहे हैं। इस दौरान बार-बार मंदिरों को खोलने की मांग उठती रही और भक्तों में अपने आराध्य के दर्शनों की लालसा दिन प्रतिदिन प्रबल होती गई।


केंद्र सरकार द्वारा 8 जून को आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन की पाबंदी हटाने के बाद बृजभूमि में आज सबसे पहले मथुरा के श्री कृष्ण जन्मस्थान ने आम लोगों के लिए दर्शनों को खोला। जिसके बाद धीरे-धीरे स्थानीय श्रद्धालुओं का आने का क्रम शुरु हुआ।


भक्तजन प्रभु दर्शन की लालसा लिए मंदिर के बाहर दर्शनों के लिए सुबह 7:00 बजे से कतारबद्ध हो गए। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों का पूरी तरह पालन किया गया और सभी लोग मास्क पहने हुए थे। श्रद्धालुओं की थर्मल स्क्रीनिंग करने के साथ ही सेनेटाइज भी किया जा रहा है। वहीं मंदिर के मुख्य गेट संख्या 01 पर पुलिसकर्मी पीपीई किट पहनकर तैनात दिखे। श्रद्धालुओं ने सिर्फ अपने आराध्य के दर्शन किए। किसी तरह का चढावा फूल, प्रसाद मंदिर में नहीं चढाया गया। 


मंदिर के गेट पर तैनात सिपाही की तबीयत बिगड़ी


8 जून की सुबह श्री कृष्ण जन्मस्थान के मुख्य द्वार पर तैनात सिपाही सुशील कुमार की अचानक तबीयत बिगड़ गई। उसे चक्कर आ गए और वह गिर गया। तभी आसपास खड़े अन्य कर्मियों और सुरक्षाकर्मियों ने उसे संभाला और श्रीकृष्ण जन्मस्थान की एम्बूलेंस से उसे उपचार क लिए भेजा। इस घटना से मंदिर के मुख्य द्वारा पर कुछ समय के लिए हलचल मच गई। बताया जा रहा है कि सिपाही ने पीपीई किट पहन रखी थी, उसमें उसे घुटन सी महसूस हो रही थी। 


जन्मस्थान मंदिर में सबसे पहले इन्होंने किए दर्शन 


कृष्ण जन्म स्थान मंदिर खुलते ही सबसे पहले श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा, प्रबंध समिति सदस्य को गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी, लीगल एडवाइजर मुकेश खण्डेलवाल तथा संस्थान की सुरक्षा में मौजूद पुलिस अधिकारियों ने ठाकुर जी के दर्शन किए तथा समस्त मानवता को कोरोनावायरस के प्रकोप से बचाने के लिए प्रार्थना की।


खुला बाजार, दुकानदारों के चेहरों पर आई रौनक


कोरोना संक्रमण काल में जहां देश-दुनिया में लोग बीमारी का डर और परेशानी से भरी खबरें आ रही है। वहीं मथुरा ने जिंगदी को फिर से पटरी पर लाने और कोरोना से जंग जीतने का संकेत दिया है। कृष्ण जन्म स्थान मंदिर खुलन के पहले दिन ही क्षेत्र का बाजार भी 71 दिनों के बाद खुला है। हालांकि बाजार पूरी तरह से नही खुला है। लेकिन अधिकांश खिलौने और पूजा, श्रृंगार के सामान की दुकानें खुली। दुकानदारों के चेहरे पर खुशी देखी गई।


सैनिक ने सीएम योगी से मांगा इंसाफ

सियाचिन में तैनात जवान ने वीडियो बनाकर मांगा इंसाफ, कहा- यूपी पुलिस परिवार को कर रही है परेशान

अनपरा थाना क्षेत्र के रेनूसागर का रहने वाला जवान

जवान ने पुलिसकर्मियों पर रिश्वतखोरी व प्रताड़ित करने का आरोप लगाया

सैनिक मांगे इन्साफ

अनपरा/सोनभद्र। सियाचीन में तैनात उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के जवान राधा रमण राय का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में जवान राधा रमण का कहना है कि उसने चोरी की एक शिकायत दर्ज करवाई थी। लेकिन अनपरा थाना क्षेत्र के रेनुसागर चौकी पुलिस उसने पिता व भाई को परेशान करने के लिए रात में छापे मारती है। इतना ही नहीं, उनसे पैसे भी मांगती है। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया। इस मामले में पुलिस अधीक्षक आशीष श्रीवास्तव ने बताया- मामले की जांच सीओ पिपरी को सौंपी गई है।अनपरा थाना क्षेत्र के रेनुसागर निवासी राधा रमण राय सियाचिन में तैनात हैं। उनके मेरे माता-पिता रेनूसागर कोलगेट में रहते हैं। राधा रमण का आरोप है कि दो साल पहले पिता ने घर बनवाने की कोशिश की तो रेनुसागर चौकी इंचार्ज ने 25 हजार रूपए की मांग की। इस पर उनके पिताजी ने पांच हजार रुपए एक सिपाही को दे दिया लेकिन पुलिसकर्मी फिर भी उनके परिजनों को परेशान करते रहे। उनका कहना है कि उनके घर में तीन बार बिना कारण छापा मारा गया। बेवजह पिता को थाने में लाकर चार दिनों तक बंद रखा।

मां कैंसर की मरीज हैं, फिर भी वो अनपरा थाने के चक्कर लगाती रहीं। पुलिस की प्रताड़ना से तंग आकर मेरे माता-पिता रेनुसागर का घर छोड़कर गांव चले गए। इस दौरान लॉकडाउन में 28 अप्रैल को रेनुसागर स्थित मेरे घर में चोरी हो गई। लेकिन, पुलिस ने मामला दर्ज करने से इंकार कर दिया। पांच मई तक एफआईआर नहीं लिखी गई तो एसपी, आईजी, डीजीपी से शिकायत की तो एफआईआर लिखी गई। लेकिन, एफआईआर लिखने के बाद भी आरोपी पर कार्रवाई नहीं की गई। बल्कि मेरे माता-पिता और भाई को फंसाने की कोशिश की जा रही है। मैं मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार लगाता हूं, मैं मजबूरी में यह वीडियो बना रहा हूं।

81 वर्षिय बुजुर्ग, 22 साल के युवा से विवाह

रोम। प्यार की कोई उम्र, कोई सीमा नहीं होती। प्यार तो प्यार होता है। इसका जीता-जागता उदाहरण दुनिया ने देखा जब 2017 में केंट के रामसगाते में रहने वाले 81 साल के फिलिप क्लेमेंट्स ने तब 22 साल के फ़्लोरिन मरीन को अपना जीवनसाथी बनाने का फैसला किया था। उम्र में इतने फासले के बावजूद इस कपल ने 2017 में शादी कर ली। अब जब फिलिपि की मौत हो गई है, तो उसके वसीयत के कारण फ़्लोरिन फिर चर्चा में है। 81 की उम्र में दुनिया छोड़ने वाले फिलिप अपने जवान पति से इतना प्यार करते थे कि अपनी पूरी संपत्ति उसी के नाम कर दी। अब इस वसीयत ने नया विवाद शुरू कर दिया है….।


फिलिप के रिश्तेदारों ने उसकी मौत के बाद संपत्ति पर अपना हक़  जताया है। हालांकि, फिलिप ने सबकुछ अपने पति फ़्लोरिन के नाम कर दिया है। इस कपल ने 2017 में शादी की थी। अपने पति से 54 साल छोटे फ़्लोरिन को अब सारी जायदाद की देखभाल करनी है। फिलिप के वसीयत के बाद हड़कंप ही मच गया। उसके रिश्तेदारों ने फ़्लोरिन को गोल्ड डिगर तक कहना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि 27 साल के इस मॉडल ने दौलत के लालच में ही फिलिप से शादी की थी। फिलिप की मौत के बाद अब 27 साल के फ़्लोरिन, जो रोमानिया में एक मॉडल भी है, उसकी जायदाद के वारिस बन गए हैं। इस बात ने नया विवाद शुरू कर दिया है। उम्र में 54 साल का फासला होने के बाद भी दोनों के बीच इतना गहरा प्यार हो गया था कि फिलिप ने 2017 में फ़्लोरिन से शादी ही कर ली थी। अपनी शादी के दिन दोनों बेहद खुश थे। जब फिलिप की वसीयत खुली तो पता चला कि उसने अपनी 1 करोड़ 44 लाख की प्रॉपर्टी और एक फ़्लैट अपने विधवा पति फ़्लोरिन के नाम कर दी है। अपने भाइयों के लिए उसने दो फैमिली फोटोज छोड़ी थी। फ़्लोरिन को 1 करोड़ 44 लाख के अलावा लाइफ इंश्योरेंस के पैसे, एक 96 लाख रूपये का घर और हर महीने फ़्लोरिन के पेंशन के 1 लाख 92 हजार रुपए मिलेंगे।


'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन

'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन   मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए स्कूली बच्चों ने निकाला रैली कौशाम्बी। एन डी कान...