सोमवार, 25 मई 2020

खतराः बेरोजगारों को डाटा का बहाना

बेरोजगारों को काम के बहाने दिये डाटा लीक:सुरक्षा को खतरा

 

नई दिल्ली। देश में नौकरी ढूंढ़ने वाले करीब तीन करोड़ लोगों की जरूरी जानकारियां इंटरनेट पर लीक हो गई हैं। वहीं करीब 2,000 भारतीयों के पहचान पत्र जिनमें आधार कार्ड भी शामिल हैं, वो भी हैकिंग फोरम पर लीक देखे गए हैं। साइबर इंटेलिजेंस से जुड़ी फर्म साइबल ने ये जरूरी जानकारी साझा की है।

 

24 मई को लिखे अपने ब्लॉग में कंपनी ने बताया है कि पिछले 12 घंटे के भीतर भारतीयों के आधार कार्ड से जुड़ी जानकारी भी हैकर्स ने अलग-अलग फोरम पर साझा किया है। हालांकि, ये जानकारियां कहां से लीक की जा रही हैं, इस बारे में अब तक कोई खुलासा नहीं हो पाया है।

 

फर्म की तरफ से बताया गया है कि लीक हुए डाटा में मध्यप्रदेश के नागरिकों से जुड़ीं 18 लाख लोगों की जानकारियां एक्सेल शीट के फॉर्मेट में इंटरनेट पर उपलब्ध हैं।

 

साथ ही, दिल्ली-एनसीआर, कर्नाटक, पुणे, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, मुंबई समेत देश के कई बड़े शहरों से जुड़े लोगों के और नौकरी से जुड़ी कई वेबसाइट्स के डाटा लीक होने का दावा किया गया है।

 

कंपनी ने 22 मार्च को बताया था कि डार्कवेब साइबर चोरों ने हैकिंग फोरम में करीब 2.3 जीबी की जिप फोल्डर शेयर किया था, जिसमें 2.9 करोड़ लोगों से जुड़ी जानकारियां हैं। जानकारी के मुताबिक उस फोल्डर में भारत में नौकरी तलाश कर रहे लोगों की अहम जानकारियां मसलन उनके नाम, पता, शिक्षा, मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी जैसी अहम जानकारियां मौजूद थीं।

 

फर्म का कहना है कि वो अभी जानकारी लीक करने वाले लोगों का पता लगाने में जुटे हैं लेकिन शुरुआती जानकारी के मुताबिक ये काम किसी रिज्यूम एग्रीगेटर का लगता है जिसने नौकरी देने वाले तमाम पोर्टल से आंकड़े इकट्ठा किए होंगे। इन आंकड़ों में भारत के कई राज्यों के लोगों से जुड़ी अहम जानकारियां शामिल हैं।

 

स्पैम ईमेल और एसएमएस भेज रहे: जानकारों का दावा है कि साइबर सुरक्षा से खिलवाड़ करने वाले चोर ऐसी ही निजी जानकारियों का इस्तेमाल कर लोगों को स्पैम ईमेल और एसएमएस भेजकर उन्हें अपना शिकार बनाते हैं। ऐसे लोग स्पैम ईमेल में नौकरी का झांसा देने वाली जानकारी भेजने या फिर लॉटरी की रकम देने का दावा करता हुआ लिंक भेजते हैं जिसे क्लिक करते ही व्यक्ति का मोबाइल या फिर लैपटॉप उनके कब्जे में चले जाने की आशंका रहती है। लीक हुईं जानकारियों का इस्तेमाल चोर, उनके प्रोफाइल से मैच होने वाले संदेश भेजने में कर सकते हैं।

 

सरकार की सलाह: गृह मंत्रालय की तरफ से साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए चलाए जा रहे अभियान वाले ट्विटर हैंडल साइबर दोस्त में साफ कहा गया है कि ऐसे लोगों से सावधान रहें। सरकार कहती है कि याद रखें इंटरनेट पर मिलने वाली बहुत कम सामग्रियां मुफ्त होती हैं। मुफ्त में चीजें देने के एवज में साइबर ठग आप को फंसा सकते हैं, इसलिए ऑनलाइन फ्री ऑफर्स से सावधान रहें। यही नहीं, जॉब सर्च पोर्टल रजिस्ट्रेशन के लिए भी गृह मंत्रालय की तरफ से सलाह दी गई है कि ऐसी जगहों पर रजिस्ट्रेशन के पहले भली-भांति उनकी प्राइवेसी पॉलिसी को पढ़ लें ताकि आपको पता रहे कि आपकी जानकारी का किन हाथों में इस्तेमाल किया जाने वाला है। आपके तमाम तरह के इंटरनेट लॉगिन का कोई गलत इस्तेमाल न कर पाए, इसके लिए समय-समय पर पासवर्ड बदलते रहने की भी सलाह दी गई है।

 

डाटा लीक से खतरा: साइबर मामलों के विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में इस लीक को भविष्य के लिहाज से बेहद गंभीर बताया है। उन्होंने कहा कि अमूमन ऐसी जानकारियां लोग बेचते हैं लेकिन मुफ्त में ये तमाम चीजें साइबर स्पेस के लिए बड़ा खतरा बन गई हैं। पवन दुग्गल के मुताबिक इनमें 2.9 करोड़ लोगों की निजी जानकारियों के साथ-साथ उनके स्कूल और नौकरियों के संस्थानों से जुड़ी अहम जरूरी जानकारियां होंगी जो आने वाले दिनों में सभी के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि भारत अगर अब भी साइबर सुरक्षा और उससे जुड़े कानूनों के प्रति गंभीर नहीं होता है तो आने वाले दिनों में भयानक परिणाम देखने पड़ सकते हैं।

 

प्रताप सिंह 

भ्रष्ट आईएएस अधिकारी पर गिरी गाज

आईएएस अफसर पर गिरी गाज,सवा करोड़ में वीसी कानपुर की कुर्सी खरीदने का किया था प्रयास,15 लाख दिए थे एडवांस, 3 हुए है गिरफ़्तार

 

लखनऊ। सवा करोड़ रुपये खर्च करके कानपुर में विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष की कुर्सी हासिल करने के प्रयास के आरोप में आईएएस अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही शुरू हो गयी है,प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अफसर को राजस्व परिषद् में भेज दिया है,इस मामले की जांच आगे भी जारी रहेगी। कल ही इस मामले में तीन लोग गिरफ्तार किये गए थे,प्रदेश शासन ने आईएएस अधिकारी आई.पी.पांडेय को विशेष सचिव आबकारी के पद से हटाकर राजस्व परिषद् के सदस्य के पद पर स्थानांतरित कर दिया है,एस.टी.एफ की रिपोर्ट के बाद ये कार्यवाही की गयी है 

 

दरअसल एक ऑडियो वायरल होने के बाद प्रदेश सरकार के निर्देश पर वायरल ऑडियो की जांच शुरू की गयी तो यूपी एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश और एसएसपी विशाल विक्रम सिंह ने गाज़ियाबाद से पीयूष अग्रवाल नाम के एक युवक को गिरफ्तार किया,जिसने कानपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के पद पर नियुक्ति कराने के लिए एक आईएएस अफसर से 15 लाख रुपये ठग लिए और बताया था कि सौदा सवा करोड़ में तय हुआ था जिसके पेशगी के आईएएस अफसर ने 15 लाख दे भी दिए थे एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किए गए पीयूष अग्रवाल ने पूछताछ में बताया कि उससे गौरी कांत दीक्षित नाम का एक व्यक्ति मिला था। जिसने एक आईएएस अफसर की कानपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के पद पर नियुक्ति कराने के लिए सवा करोड़ रुपए खर्च करने की बात कही थी। गौरी कांत ने उसकी लखनऊ के कमलेश से मुलाकात कराई थी।जिसके बाद हुए सौदे के मुताबिक आईएएस आई.पी .पांडेय के दो रिश्तेदार 15 लाख रुपए एक लिफाफे में लेकर आए थे, जिसमे से उसने दो लाख कमलेश और दो लाख गौरीकांत को देकर, शेष 11 लाख अपने पास रख लिए थे और दिल्ली आ गया था। इसके बाद उसने आईएएस के स्थानांतरण का बहुत प्रयास किया जो अभी सफल नहीं हो सका। इसके बाद गौरी कांत उस पर पैसा वापसी का दबाव बनाने लगा। लॉकडाउन में इधर उधर रुपए खर्च हो जाने के कारण वह वापस करने की स्थिति में नहीं था और तभी गौरी कांत ने उससे बातचीत की ऑडियो को वायरल कर दिया।एसटीएफ ने पीयूष अग्रवाल के खिलाफ लखनऊ के विभूतिखंड थाना में धोखाधड़ी के मामले में मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी थी |जिसके बाद एस.टी.एफ ने इस मामले में गौरी कान्त दीक्षित और कमलेश कुमार सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया था |

 

फिर पूरी कहानी खुलकर ये सामने आयी कि कानपुर में विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के पद के लिए एक आईएएस अफसर ने सवा करोड़ रुपये देने तय किये,जिसमे से 15 लाख बतौर बयाना दे भी दिया गया था लेकिन लॉक डाउन के चलते तबादले बंद है, तो अफसर परेशान हो गए और उन्होंने अपने 15 लाख वापस मांगे ,मामला यहीं से बिगड़ गया,क्योंकि जो बयाना आया था वो तो पीयूष अग्रवाल,गौरीकान्त और कमलेश बाँट चुके थे,इसलिए वापस लौटाने को लेकर दिक्कत हो रही थी,इसी मामले में कमलेश ने पीयूष से हुई बात रिकॉर्ड कर ली और गौरीकांत ने ऑडियो वायरल करा दी,ये मामला जैसे ही शासन में पहुंचा तो वहां हडकंप मच गया और तत्काल इस पूरे मामले में एस.टी.एफ को जांच करने के आदेश दे दिए गए | आदेश के बाद जब एस.टी.एफ के आईजी अमिताभ यश ने ये जांच शुरू की तो सारा मामला खुलकर आ गया और तीन की गिरफ्तारी हो गयी |

इस प्रकरण में एस.टी.एफ ने एक प्रेस बयान जारी करके बताया था कि आईजी अभिताभ यश के निर्देशन में प्रभारी एसएसपी विशाल विक्रम सिंह द्वारा उप निरीक्षक शिवनेत्र सिंह, के नेतृत्व में टीम गठित कर जांच की जा रही थी। उक्त जाॅच के क्रम में लाखोें की ठगी करने वाले गिरोह का भण्डाफोड़ करते हुये अभियुक्त पीयूष अग्रवाल को एस0टी0एफ0 टीम द्वारा -21.05.2020 को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। छानबीन के बाद प्रकाश में आये अभियुक्तों गौरी कान्त दीक्षित एवं कमलेश कुमार सिंह को भी एसटीएफ टीम द्वारा विजयीपुर अण्डरपास गोमतीनगर जनपद लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया गया है | गिरफ्तार उपरोक्त अभियुक्तों में गौरीकान्त दीक्षित ने पूछताछ पर बताया कि मैं एवं पीयूष अग्रवाल गाजियाबाद में एक ही सोसायटी में रहते है और हमारे पारिवारिक सम्पर्क है, हम लोग धोखाधडी के कार्यो में लिप्त रहते हैं। मेरे गिरोह का सरगना पीयूष अग्रवाल (कथित दलाल) है। जो एक सामाजिक कार्यकर्ता एवं डी0डी0 न्यूज का पत्रकार है। इसी कारण उसके तमाम बडे अधिकारियों से सम्बन्ध है जिसका प्रभाव दिखाकर वह लोगों को अपने जाल में फंसाकर ट्रान्सफर करवाने के नाम पर, हम लोगों के सहयोग से धोखाधडी करके पैसा ठग लेता है।

 

 कमलेश कुमार सिंह से हमारे पुराने सम्बन्ध है। कमलेश कुमार सिंह ने मुझसे एक आई0ए0एस0 अधिकारी की पोस्टिंग उपाध्यक्ष कानपुर नगर विकास प्राधिकरण के पद पर कराने के लिये कहा था, जिस पर मैने पीयूष अग्रवाल से ट्रान्सफर कराने के लिए बात किया, तब पीयूष अग्रवाल ने मुझसे कहा कि वह इस कार्य को करवा देगा, लेकिन इसमें 1 करोड रूपया खर्च होगा और इसके ऊपर जो तय होगा उसे हम तीनों आपस में बांट लेंगे। यह डील सवा करोड़ (1.25 करोड़) में फाइनल हुई। इस कार्य हेतु पीयूष अग्रवाल, मेरे साथ एवं कई बार अकेले जनपद गाजियाबाद से लखनऊ आया। मैने ही पीयूष अग्रवाल की कमलेश से मुलाकात लखनऊ में कराई थी। गौरीकान्त ने बताया कि मेरे ही कहने पर कमलेश ने 2 मार्च को होटल सिलवर सेवन में जाकर पीयूष अग्रवाल को एडवांस के पन्द्रह लाख रूपया एक लिफाफे में दिया था, जिसमें से उसी समय दो लाख रूपया पीयूष अग्रवाल ने कमलेश कुमार सिंह को दे दिया था, तथा दो लाख मेरे (गौरीकान्त दीक्षित) बैंक खाते में जमा करवा दिया था। शेष 11 लाख रूपये लेकर पीयूष अग्रवाल इटावा होते हुये दिल्ली चला गया था। ट्रान्सफर कराने हेतु पीयूष अग्रवाल ने काफी प्रयास किया किन्तु लाकडाउन होने के चलते किसी से सम्पर्क नहीं हो सका, जिसके कारण काम नहीं हो पाया। 

उक्त पैसा मैने एवं पीयूष अग्रवाल ने मिलकर धोखाधड़ी से किसी को देने के नाम पर लिया था, और यह सोचा था कि पीयूष अग्रवाल अपने सम्पर्को के माध्यम से काम करवा देगा। इसी बीच मुझे थाना नेव सरांय दिल्ली पुलिस ने फ्राड के पुराने मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, मेरी जमानत पीयूष अग्रवाल ने भाग दौड करके करायी थी। जब मै जमानत पर रिहा होकर आया तब कमलेश कुमार सिंह ने फोन पर बताया कि ट्रान्सफर वाला काम नही हो पाया है। मेरी बात खराब हो रही है, मैने कई बार पीयूष अग्रवाल से फोन करके कहा कि काम नही हो पा रहा है तो मेरा पैसा वापस करवा दो। जिसके लिए पीयूष अग्रवाल तैयार नही हुआ और कमलेश कुमार सिंह पैसा वापस करने के लिए दबाव बनाने लगे, तब हमारा और पीयूष अग्रवाल का आपस मे विवाद हो गया, तब मैने फोन करके कमलेश कुमार सिंह से कहा कि पीयूष अग्रवाल से बात कर लो और उसकी रिकार्डिग करके मुझे भेज दो जिस पर कमलेश ने पीयूष अग्रवाल से बातचीत की और रिकार्डिग मुझे भेज दिया। 

मैने उक्त रिकार्डिग पत्रकार के माध्यम से वायरल करा दिया था, और बताया कि जो आडियो क्लिप मैने पत्रकार को भेजी है, उसमें पीयूष अग्रवाल व कमलेश कुमार सिंह के बीच में हुई वार्ता ही है। कमलेश कुमार सिंह ने पूछताछ में स्वीकारोक्ति करते हुये बताया कि जो बाते गौरीकान्त दीक्षित ने बताया है ,वही सत्य हैं। एस0टी0एफ0 टीम द्वारा अभियुक्तों गौरीकान्त दीक्षित एवं कमलेश कुमार सिंह कोे गिरफ्तार कर मु0अ0सं0-242/2020 धारा-420,467,468, 471,201,120बी भा0दं0वि0 व 66 आई0टी0 ऐक्ट थाना विभूतिखण्ड जनपद लखनऊ में दाखिल किया गया अग्रिम विधिक कार्यवाही थाना विभूतिखण्ड पुलिस द्वारा की जा रही है।

 

एसटीएफ की इसी रिपोर्ट के बाद प्रदेश शासन ने आज इस मामले में रुपये देने वाले अधिकारी को विशेष सचिव आबकारी के पद से हटाकर राजस्व परिषद् में भेज दिया है,इस मामले में आगे भी कार्यवाही किये जाने की सम्भावना है |

शराब पार्टी में की दो युवकों की हत्या




गोरखपुर में शराब पार्टी के दौरान दो युवकों की 9 एमएम की पिस्टल से गोली मार हत्या

 

गोरखपुर। जिले के झगहां थाना क्षेत्र में रविवार को दो युवकों की गोली मार कर हत्या कर दी गई। वारदात में 9 एमएम पिस्टल का इस्तेमाल किया गया। वारदात के दौरान शराब पार्टी मौके पर चल रही थी। मौके से शराब की बोतले भी मिली। दिन दिहाड़े हुई इस वारदात के बाद इलाके में सनसनी का माहौल है। झंगहा थाना क्षेत्र जे बरगदवा गांव के पास गोर्रा नदी के तट पर रविवार को अपराह्न 2.30 दो युवकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। घटनास्थल पर नाइन एमएम का एक जिंदा एवं तीन फायर हुा खोखा और एक बाइक बरामद किया गया है।

 

मौके पर रॉयल स्टेग की एक बोतल, पानी की बोतल और चप्पल मिला है। माना जा रहा शराब पीने के बाद वहां पर किसी बात को लेकर विवाद हुआ। पुलिस के ब्लाइंड मर्डर में मरने वालों की पहचान रामनगर कडजहा निवासी कृष्णा निषाद (20) पुत्र राजेंद्र निषाद एवं दिवाकर (18) पुत्र सुदामा निषाद के रुप में किया है। दोनो गांव में एक दूसरे के पट्टीदार है। सुदामा निषाद को उनके पुत्र की गोली मार कर हत्या करने की सूचना मिली तो मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि उनकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है। कैसे और क्यों हत्या हुई है? वह खुद ही नही जान पा रहे है।

 

उसके बाद गोली मार दी गई। हीरो एचएफ डीलक्स मोटरसाइकिल, एक मोबाइल व एक आईडी बरामद हुआ है। आईडी पर खोराबार क्षेत्र के बहरामपुर निवासी मुकेश पुत्र बुद्धू का नाम है। नाइन एमएम पिस्टल से हत्या की गई है। हत्या की सूचना के बाद थानाध्यक्ष झंगहा अनिल कुमार सिंह पहुंचे थे। इसके बाद एसपी नार्थ अरविंद पांडेय, क्षेत्राधिकारी अर्चना मिश्रा पहुंच गए। पुलिस अधिकारी ने मौके का निरीक्षण किया है। ब्लाइंड मर्डर की गांठे खोलने के लिए पुलिस की एफएसएल टीम और डॉग स्कवायड की टीम भी वारदात स्थल पर तफ्तीश कर रही है।




 








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किसान क्रेडिट पर मिलेगी कई छूट

किसानों के लिए आई बड़ी खुशखबरी! किसान क्रेडिट कार्ड पर मिलेगी ये छूट!

 

 किसानों की मदद के लिए सरकार कई स्कीम चलाती है। इसमें से एक किसान क्रेडिट कार्ड (KCC-Kisan Credit Card) है। इसके जरिए किसानों को 1.6 लाख रुपये का लोन बिना गारंटी के दिया जाता है। वहीं, 3 साल में किसान इसके जरिए 5 लाख रुपये तक का लोन ले सकते हैं। इस कार्ड में ब्याज (Interest Rates) दर भी बेहद कम 4 फीसदी सालाना है। लेकिन अब 7 करोड़ किसानों को बड़ी राहत देते हुए केसीसी पर लिए गए लोन (Agri loan) के भुगतान की तारीख आगे बढ़ाकर जल्द 31 अगस्त किया जा सकता है. क्योंकि आरबीआई ने इसकी छूट दे दी है। हालांकि, बैंकों के पास अभी तक अधिसूचना नहीं पहुंची है। इसीलिए किसानों को इसकी जानकारी नहीं मिली है।

 

फिलहाल, अभी इसकी अंतिम तारीख 31 मई है. जो पहले 31 मार्च से बढ़ाई गई थी।

इससे क्या होगा- इसका मतलब साफ है कि किसान केसीसी कार्ड के ब्याज को सिर्फ 4 प्रतिशत प्रति वर्ष के पुराने रेट पर ही भुगतान कर सकते हैं। कोरोना वायरस लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown) में किसानों को राहत देने के लिए यह निर्णय लिया गया है। खेती-किसानी के लिए केसीसी पर लिए गए तीन लाख रुपये तक के लोन की ब्याजदर वैसे तो 9 फीसदी है. लेकिन सरकार इसमें 2 परसेंट की सब्सिडी देती है। इस तरह यह 7 फीसदी पड़ता है. लेकिन समय पर लौटा देने पर 3 फीसदी और छूट मिल जाती है. इस तरह इसकी दर ईमानदार किसानों के लिए मात्र 4 फीसदी रह जाती है.आमतौर पर बैंक किसानों को सूचित कर 31 मार्च तक कर्ज चुकाने के लिए कहते हैं. अगर उस समय तक कर्ज का बैंक को भुगतान नहीं करते हैं तो उन्हें 7 फीसदी ब्याज देना होता है।

 

कोविड-19 संकट को देखते हुए सरकार ने इसी बढ़े ब्याज पर राहत देकर 31 मई तक उनसे सिर्फ 4 फीसदी रेट पर ही पैसा वापस लेने का फैसला लिया है। अगर मेरे पास एक हेक्टेयर जमीन है तो मुझे कितना लोन मिलेगा? उत्तर प्रदेश के जिले अमरोहा में स्थित प्रथमा बैंक के ब्रांच मैनेजर अंकुर त्यागी ने बताया कि 1 हेक्टकेयर जमीन पर 2 लाख रुपये तक का लोन मिल सकता है. लोन की लिमिट हर बैंक की अलग-अलग होती है. बैंक आपको इसके लिए किसान क्रेडिट कार्ड जारी करेगा. जिसके जरिए आप कभी भी पैसा निकाल सकते है.

KCC किसी भी को-ऑपरेटिव बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक(RRB) से हासिल किया जा सकता है. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया(NPCI) रुपे KCC जारी करता है. - SBI, BOI और IDBI बैंक से भी यह कार्ड लिया जा सकता है। जनोपयोगी,कानूनी,तकनीकी, सरकारी योजनाओ, आपसे सरोकार रखने वाली नौकरियों व व्यवसाय की उपयोगी जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने व्हाट्सएप ग्रूप में नीचे दिए नंबर को जोड़े या नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके भी आप सीधे मुझसे जुड़ सकते है।


 

एडवोकेट प्रताप सिंह सुवाणा

देश के प्रति टीचर की ओछी मानसिकता

अब सामने आयी एक टीचर की ओछी मानसिकता: बड़ा सवाल इनको नहीं देश से प्यार तो क्यों नहीं चलें जाते बाहर

 

गोरखपुर। भारत के राज्य उत्तर प्रदेश (UP) में कथित तौर पर देशद्रोही हरकत करने पर एक महिला टीचर की नौकरी चली गई। यूपी के गोरखपुर में एक निजी स्कूल की टीचर की हरकत से हंगामा मच गया। टीचर शादाब खानम ने अंग्रेजी की ऑनलाइन क्लास में नाउन समझाने के नाम पर व्हाट्एसएप ग्रुप में पाकिस्तान का गुणगान वाले कई उदाहरण दिए। इन उदाहरणों पर बच्‍चे चौंके और अपने माता-पिता से शिकायत की। इसके बाद हंगामा मच गया। शिक्षिका क्‍लास फोर्थ 'ए' की क्‍लास टीचर बताई जाती हैं। अभिभावकों ने आरोप लगाया कि उनकी हरकत पाकिस्तान के पक्ष में बच्चों का ब्रेनवाश करने की साजिश है। मामले की सूचना एडी बेसिक, डीआईओएस और बीएसएस को दे दी गई है।

 

खुफिया एजेंसियां भी मामले को लेकर सतर्क हो गई हैं।

 

पाक के लिए कसीदे पढ़ने वाली शिक्षिका बर्खास्‍त

अभिभावकों के सख्‍त तेवर देकर स्‍कूल प्रबंधन ने फिलहाल शिक्षिका को काम से रोक दिया है। उन्‍होंने शिक्षिका को बर्खास्‍त करने की बात कही है। उधर, नौकरी जाती देख शिक्षिका ने भी अपनी सफाई देनी शुरू कर दी। उनकी कोशिश इसे एक छोटी सी गलती बताकर बच जाने की है। दरअसल कोरोना लॉकडाउन के चलते ज्‍यादातर स्‍कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है। इसके लिए व्हाट्सएप और वेबकास्ट ग्रुप बने हैं। इस दौरान एक निजी स्कूल की टीचर शादाब खानम ने ऑनलाइन क्लासेस दौरान शुक्रवार को कक्षा चार-ए के व्हाट्एसएप ग्रुप में कई पोस्‍ट डाले। वह नाउन का मतलब समझा रही थीं, लेकिन उनके उदाहरणों में भारत के नहीं पाकिस्तान में जिक्र किया जा रहा था। पाकिस्‍तान को 'मदर लैंड' बताने की कोशिश के साथ कई आपत्तिजनक बातें लिखी जा रही थीं।

 

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो

कुछ ही देर में ये पोस्ट सोशल मीडिया में वायरल हो गए। शिक्षिका ने व्हाट्स एप ग्रुप पर एक पीडीएफ फाइल भी पोस्‍ट की थी जिसमें पाकिस्तान से संबंधित तीन अलग-अलग बातें थीं। एक में लिखा था 'मैं पाकिस्तानी आर्मी मज्वाइन करूंगा', दूसरे में लिखा था, 'पाकिस्तान हमारी मातृभूमि' बताया गया। तीसरे उदाहरण में पाकिस्तानी पायलट राशिद मिन्हास की बहादुरी का जिक्र था। यह पीडीएफ अभिभावकों ने देखी तो उन्‍होंने तत्‍काल इसकी शिकायत स्कूल प्रबंधन से की। अभिभावकों ने आरोप लगाया कि यह बच्चों पर राष्ट्रविरोधी मानसिकता थोपने की साजिश है। कई अभिभावकों ने शिक्षिका को गिरफ्तार करने और राष्‍ट्रदोह का मुकदमा चलाने की भी मांग की।

 

स्कूल प्रबंधक ने कहा कि ये गलती स्वीकार्य नहीं

अभिभावकों ने बताया कि इस व्हाट्स एप ग्रुप की एडमिन शिक्षिका शादाब खानम ही हैं। ग्रुप में 40-50 बच्चे जुड़े हैं। ये खबर जैसे ही स्कूल प्रबंधन तक पंहुची तो स्कूल प्रबंधन भी हरकत में आ गया है। स्कूल प्रबंधक ने कहा कि ये गलती स्वीकार्य नहीं है। शिक्षिका को कारण बताओं नोटिस जारी कर दिया गया है। साथ ही जब तक उनका जवाब नहीं मिलता है तब तक शिक्षिका को ऑनलाइन क्लास में अध्ध्यन सामाग्री डालने पर रोक लगा दी गई है।

 

बवाल होने पर शादाब खानम पलटी - मैं सच्ची देशभक्त हूं

उधर, ऑनलाइन क्लास में पाकिस्तान का उदाहरण देने वाली शिक्षिका शादाब खानम ने कहा कि जल्दबाजी में ऑनलाइन कंटेंट अपलोड करने में गलती हुई है। गूगल से मैंने जब 'डिफिनेशन ऑफ नाउन विद एक्जाम्पल' इमेज में सर्च किया तो उसमें ये पाकिस्तान वाले उदाहरण मिले। जल्दबाजी में मैने बिना पढ़े उसे व्हॉट्सग्रुप पर अपलोड कर दिया। हालांकि उसके फौरन बाद ही मैने ग्रुप पर साफ कर दिया था कि गलती से इंडिया की जगह पाकिस्तान लिखा गया है। इन्हे सिर्फ उदाहरण समझा जाए। मैं सच्ची देशभक्त हूं और कभी ऐसी बात जानबूझ कर नहीं कर सकती जो देशद्रोह की श्रेणी में आए। मुझे भारतीय होने पर गर्व है।

 

यह कृत्य सुनियोजित साजिश-स्कूल प्रबंधन

मगर शिक्षिका का ये तर्क स्कूल प्रबंधन के गले नहीं उतर रहा है। स्कूल प्रबंधन का मानना है कि गूगल पर नाउन को सर्च करने के दौरान आसानी से पाकिस्तान से जुड़ा कोई उदाहरण सामने नहीं आता है। यह कृत्य सुनियोजित साजिश की तरफ इशारा कर रहे हैं।

 

प्रताप सिंह

बिना मिट्टी छत पर उगाएं 'फल-सब्जी'

बिना मिट्टी छत पर उगाएं फल-सब्जी, सालाना लाखों में कमाऐं

 

आइए जानते हैं क्या है ये तकनीक और कैसे हो सकती है कमाई?

 

नई दिल्ली। आज कल लॉक डाउन और कोरोना के कारण कईयों से नौकरी छूट गयी अब वे लोग नौकरी छोड़ खेती की ओर अग्रसर हो सकते हैं। खेती में नई-नई तकनीक का इस्तेमाल कर लोग पैसा बना रहे हैं। अगर आप खेती-बाड़ी में अपना हाथ आजमाना चाहते हैं तो आपके लिए हाइड्रोपोनिक्स तकनीक काफी कारगर साबित हो सकता है। इसमें खेती के लिए जमीन (Land) की जरूरत नहीं होती। इसे आपने घर की छत (Terrace) या आंगन में भी शुरू कर सकते हैं। इस तकनीक में लागत कम लगती है और कमाई अच्छी-खासी हो सकती है.

 

हम बात कर रहे हैं बिना मिट्टी के खेती की। आइए जानते हैं क्या है ये तकनीक और कैसे हो सकती है कमाई?

 

फार्मिंग को कैश करने का मौका

आजकल टेरेस फार्मिंग  उभरता ट्रेंड है जिसे कैश करने का आपको बढ़िया मौका मिल रहा है। इस तकनीक में मिट्टी का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं होता है और पौधों (Plants) के लिए जरूरी पोषक तत्व (Nutrients) पानी के सहारे सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है। इसे हाइड्रॉपनिक्स तकनीक कहा जाता है। पौधे एक मल्टीलेयर फ्रेम के सहारे पाइप में उगाए जाते हैं और उनकी जड़ें पाइप के अंदर पोषक तत्वों से भरे पानी में छोड़ दी जाती है।

 

हाइड्रॉपनिक्स तकनीक के सेटअप के लिए कई कंपनियां काम करती हैं जो शौकिया गार्डन से लेकर कमर्शियल फार्म सेट करने में आपकी मदद करती है। इसमें लेटसेक्ट्रा एग्रीटेक बिटमाइंस इनोवेशंस, फ्यूचर फार्म्स, हमारी कृषि जैसे स्टार्टअप्स काम कर रहे हैं। इन कंपनियों से हाइड्रॉपनिक्स सेटअपर को खरीदा जा सकता है। दो मीटर ऊंचे एक टावर में करीब 35 से 40 पौधे लगाए जा सकते हैं। लगभग 400 पौधे वाले 10 टावर आप 1 लाख रुपये तक में खरीद सकते हैं। अगर सिस्टम को सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो आगे सिर्फ बीज और पोषक तत्व का ही खर्च आएगा।

 

पॉली हाउस की जरूरत

मौसम की मार से बचने के लिए नेट सेड या पॉली हाउस की जरूरत होगी। इस तकनीक के जरिए कंट्रोल्ड एनवायरमेंट में खेती होती है। इसलिए अक्सर किसान ऐसी सब्जियों का उत्पादन करते हैं जिसकी मार्केट में कीमत ज्यादा होती है।महंगी फल और सब्जियां उगाकर आप सालाना 2 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं।

भारतीय तैयारियों से तिलमिलाया चीन

लद्दाख और सिक्किम में सीमा पर भारतीय तैयारियों से तिलमिलाया चीन

 

लद्दाख। लद्दाख व सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीनी सैनिकों ने अचानक आक्रामक रवैया अपना लिया है। बीते कुछ दिनों में चीन व भारत के सैनिकों के बीच कई बार तीखी झड़प हुई है। दरअसल, भारत की अपनी सीमा में की जा रही रणनीतिक तैयारियों से चीन तिलमिलाया हुआ है।

 

नाराजगी की मुख्य वजह सीम सड़क संगठन (बीआरओ) की एलएसी तक भारत की ओर से युद्धस्तर पर हो रहे आधारभूत ढांचे का निर्माण है। बीआरओ ने 2018 में 5 वर्षों में करीब 3323 किलोमीटर लंबी 272 सड़ाकें के निर्माण की योजना बनाई है। इनमें रणनीतिक दृष्टि से अहम 61 सड़क योजनाएं भी थीं। बीते करीब ढाई साल में बीआरओ ने इस योजना के तहत 2304 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया।

 

सरकारी सूत्रों के मुताबिक चीन के रुख में अचानक आक्रामकता तब आई जब यह निर्माण कार्य रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम जगहों पर पहुंचा। खासतौर से दारबुक श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड पर चीनप ने बार-बार आपत्ति जताई।

 

 फिलहाल पूर्वी लद्दाख के गलवां नाला और पैंगोंग झील के पास फिंगर चार इलाके में निर्माण को लेकर विवाद है। नहीं झुकेगा भारत

चूंकि सड़क योजनाएं रणनीतिक व सामरिक दृष्टि से बेहद अहम हैं, इसलिए भारत, चीन के दबाव में नहीं आएगा। जिस तरह दोकलम में भारत ने चीन की आक्रामकता का जवाब सधी कूटनीति से दिया था, इस बार भी वैसी ही योजना है।

 

हालांकि चीनी सेना के टेंट लगाने के बाद भारत ने एलएसी पर सैनिकों की संख्या में वृद्धि कर चीनी दबाव में न आने का संदेश दे दिया है।

मोदी सरकार ने निर्माण में लाई तेजी

भारत ने एलएसी के इस पार 1962 युद्ध के बाद आधारभूत ढांचा तैयार करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। हालांकि यूपीए-1 और यूपीए-2 के कार्यकाल में भारत ने इस ओर ध्यान देना शुरू किया। इसके बाद आई मोदी सरकार ने इस मोर्चे को गंभीरता से लिया और चीनी सीमा से सटे इलाकों में निर्माण कार्यों में तेजी लाने का फैसला किया। इसी रणनीति के तहत बीआरओ को सड़क निर्माण की अहम जिम्मेदारी दी गई।

दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी सड़क अहम क्यों

भारत ने सामरिक दृष्टि से बेहद अहम दौलत बेग ओल्डी तक करीब 235 किलोमीटर सड़क निर्माण का कार्य लगभग पूरा कर लिया है। दौलत बेग ओल्डी देपसांग पठार के अक्साई चीन के इलाके के पास है। यहां भारत पहले ही एयर बेस बना चुका है। इस एयरबेस पर मालवाहक सी130 और सी17 जहाज को भारत पहले ही लैंड करा चुका है।

अब अपनी सीमा में सभी रणनीतिक इलाकों में सड़कों का भी जाल बिछ जाने के बाद चीन की रणनीतिक बढ़त खत्म हो जाएगी।

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