- नई दिल्ली। 23 मई को चांद नहीं देखा जा सका। इसलिए अब 24 मई को चांद देखने के बाद 25 मई दिन सोमवार को ईद मनाई जाएगी। मतलब 30 दिनों से रोजा रख रहे रोजेदारों को ईद के लिए एक दिन और इंतजार करना होगा। साथ ही 31वें दिन 24 मई को रोजा रखना होगा।
दुनिया में चांद देखने के वक्त अलग-अलग होता है इसलिए ईद मनाए जाने की तारीख भी ऊपर-नीचे होती है। देश के बाकी हिस्सों में अब 24 मई, रविवार को चांद देखने केे बाद 25 मई 2020, सोमवार को पवित्र त्योहार ईद मनाई जाएगी। रमजान के पाक माह में व्यक्ति गर्मियों में भूख-प्यास बर्दाश्त करता है, उसी प्रकार जीवन में घटने वाली सभी परिस्थितियों को बर्दाश्त करना होता है। ईद उल-फितर त्याग की भावना समझता है, यह पर्व बताता है कि इंसानियत के लिए अपनी इच्छाओं का त्याग करना चाहिए, ताकि एक बेहतर समाज को बनाया जा सके। हमेशा भाईचारे के साथ रहना चाहिए ताकि हर घर में सुख और शांति रहे।
जानें- ईद उल-फितर का मकसद
पवित्र कुरान के अनुसार, रजमान के महीने में रोजे रखने के बाद अल्लाह अपने बंदों को बख्शीश और इनाम देता है। बख्शीश और इनाम देता है। बख्शीश और इनाम के इस दिन को ईद-उल-फितर कहा जाता है। इस दिन लोग गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए एक खास रकम निकालते हैं, जिसे जकात (दान) कहते हैं। इस जकात उनकी जरूरतों को पूरा किया जाता है और जिससे इस पर्व का बराबरी का मकसद पूरा हो सके।
इमाम बुखारी ने कहा ईद पर सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करें
इस बीच दिल्ली स्थिति जामा मस्जिद के शाही इमाम बुखारी ने बताया कि यह भी जरूरी है कि इस कोरोना काल में हम एहितियात बरतें और सामाजिक दूरी का पूरी तरह से पालन करें। हमें ईद पर हाथ मिलाने और गले लगने से परहेज करना चाहिए। सभी लोग सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करें।