शनिवार, 16 मई 2020

लोक डाउनः मीट की दुकानों पर छापेमारी

संभल। जिला संभल की चंदौसी पुलिस ने ईद से पहले मीट की दुकानों पर छापा मारी की। बिना लाइसेंस के चल रही मीट की दुकान की आशंका पर एक दुकान पर छापा मारा गया। जांच करने पर अनुमति पायी गयी। पुलिस ने लॉक डाउन का उल्लंघन के आरोप में कार्रवाई कर मीट दुकानदार को छोड़ दिया।


पुलिस को जानकारी मिली थी कि चंदौसी के जारई गेट तिराहे पर एक मीट की दुकान में चोरी छिपे मीट की बिक्री की जा रही है। सूचना मिलने पर कोतवाल धर्मपाल सिंह फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए। सीओ अशोक कुमार भी मौके पर पहुंचे। दुकान का शटर ज्यों का त्यों गिरा मिला। ताले खुले थे। पुलिस ने शटर उठा कर देखा तो दुकान में कुंतलों मीट मौजूद था। एक युवक भी दुकान में मिला। युवक को बाहर निकाल कर पूछताछ की और मीट बिक्री की अनुमति दिखाने को कहा तो वह मौके पर अनुमति नहीं दिखा सका। पुलिस मीट व्यापारी को कोतवाली ले गई। जहां पूछताछ में मीट व्यापारी ने पुलिस को बताया कि उसने बरेली और संभल से मीट लाने और चन्दौसी में बेचने की परमीशन ली है। परमीशन दिखाने पर पुलिस ने लॉक डाउन का उल्लंघन करने के आरोप में कार्रवाई कर छोड़ दिया।


चन्दौसी सीओ अशोक कुमार का कहना है कि बिना लाइसेंस मीट बेचने की सूचना पर पुलिस ने एक मीट की दुकान पर छापा मारा गया था, उक्त दूकानदार पर मीट लाने और बेचने की परमीशन थी, जिससे मीट व्यापारी के खिलाफ लॉक डाउन के उल्लंघन के आरोप में कार्रवाई की गई है।


देवेंद्र कुमार


सचः सोशल डिस्टेंसिंग का दावा खोखला

नवीन सब्जी मंडी में ध्वस्त हुई सोशल डिस्टेंसिंग


मंडी सचिव द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का दावा खोखला


अम्बेडकर नगर। जनपद के ऑरेंज जोन मेंं जाने के पश्चात भी नवीन सब्जी मंडी के जिम्मेदार अधिकारी नहीं करवा पा रहे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन। आखिर किस प्रकार कोरोना के संक्रमण को रोका जा सकेगा ।मंडी प्रशासन इसको लेकर तनिक भी चिंतित नहीं है। लॉकडाउन के दौरान बाजार एवं मंडी में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा। जनपद मुख्यालय के सिझौली नवीन सब्जी मंडी में अधिक भीड़ होने के कारण लोग एक दूसरे से बचाव नहीं कर पाते। भीड़ के कारण कई बार तो मंडी से गुजरना मुश्किल रहता है। नवीन सब्जी मंडी में हालात बेहद खराब   दिखे। वाहनों को तो ले जाने की इजाजत नहीं है, लेकिन खरीदारों की संख्या इतनी अधिक हो गई कि वहां से गुजरना मुश्किल हो गया। लोग एक दूसरे से सटे बिना नहीं रह पाए। समाचार कवरेज के दौरान मंडी के अंदर ना तो मंडी प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी दिखाई पड़े और ना ही पुलिस प्रशासन। मंडी सचिव द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का दावा खोखला दिखाई पड़ा।


 नवीन सब्जी मंडी प्रशासन द्वारा इस प्रकार लापरवाही चलती रही तो संक्रमण का खतरा बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता।


सुप्रीम कोर्ट में गर्मी की छुट्टियां रद्द की

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गर्मी की छुट्टियां रद्द की


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गर्मी की छुट्टी रद्द कर दी है और 19 जून तक काम जारी रखने का फैसला किया है। इसकी घोषणा शुक्रवार को की गई। प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे ने एक पूर्ण अदालत की बैठक (फुल कोर्ट मीटिंग) की, जहां गर्मियों की छुट्टी के दौरान काम जारी रखने के लिए आम सहमति बनी।


रजिस्ट्रार, प्रशासन द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया है, "सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियों को लेकर 14 अक्टूबर 2019 की अधिसूचना के आंशिक संशोधन के तौर पर यह सूचित किया जाता है कि 18 मई से 19 जून (दोनों दिन शामिल) तक सुप्रीम कोर्ट के कैलेंडर 2020 की गर्मियों की छुट्टियों को पुनर्निर्धारित किया गया है।


कार्य की अवधि भी घोषित की गई है।"


सूत्रों के अनुसार, शीर्ष अदालत ने यह भी फैसला किया है कि वह सभी प्रकार के लंबित और नए मामलों को उठाएगी, जिसमें अवकाश अवधि के दौरान तत्काल मामले भी शामिल होंगे। इन मामलों पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई होगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश, अन्य न्यायाधीशों के परामर्श से कोरोनावायरस के प्रकोप से जुड़ी स्थिति पर निगरानी जारी जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि वह गर्मी की छुट्टी का लाभ नहीं लेने के फैसले की समीक्षा कर सकते हैं।सुप्रीम कोर्ट में 24 मार्च से कोरोनावायरस महामारी को देखते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई हो रही है, जहां केवल अत्यंत जरूरी मामलों को ही प्राथमिकता दी जा रही है।


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एडवोकेट राव प्रताप सिंह सुवाणा


लाउडस्पीकर इस्लाम का हिस्सा नहींः एचसी

लाउडस्पीकर से अजान को धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं कहा जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट


प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अजान इस्लाम का एक आवश्यक एवं अभिन्न हिस्सा हो सकता है, लेकिन लाउडस्पीकर या ध्वनि बढ़ाने वाले किसी अन्य उपकरण के जरिए अजान बोलने को इस धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं कहा जा सकता है।


अदालत ने कहा कि इसलिए किसी भी परिस्थिति में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच लाउडस्पीकर के उपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती है।*
हालांकि न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता और न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ ने कहा कि मस्जिद की मीनारों से मुअज्जिन 'एंप्लीफायर' वाले उपकरण के बिना अजान बोल सकते हैं और प्रशासन को कोविड-19 महामारी रोकने के दिशानिर्देश के बहाने इसमें किसी तरह का अवरोध उत्पन्न नहीं करने का निर्देश दिया जाता है। अदालत ने कहा कि प्रशासन इसमें तब तक अवरोध पैदा नहीं कर सकता जब तक कि ऐसे दिशानिर्देशों का उल्लंघन न किया जाए। इन व्यवस्थाओं के साथ अदालत ने गाजीपुर से सांसद अफजल अंसारी द्वारा दायर जनहित याचिका का अंततः निस्तारण कर दिया। अंसारी ने अदालत से गुहार लगाई थी कि गाजीपुर के लोगों के धर्म के मौलिक अधिकार की सुरक्षा की जाए और राज्य सरकार को यह निर्देश दिया जाए कि वह गाजीपुर की मस्जिदों से एक मुअज्जिन को अजान बोलने की अनुमति दे।


पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी फर्रुखाबाद और अन्य जिलों के मुस्लिमों के संबंध में इसी तरह की राहत के लिए इस अदालत का दरवाजा खटखटाया था। खुर्शीद ने भी यही दलील दी थी कि अजान, इस्लाम का एक अनिवार्य हिस्सा है।


प्रताप सिंह


बिहार में 46 नए मामले, टोटल 1079

पटना समेत बिहार के 8 जिलों में मिले 46 कोरोना पॉजिटिव
  
पटना। बिहार में कोरोना संक्रमण के मामलों से जुड़ी इस वक्त की बड़ी खबर सामने आ रही है। बिहार में कोरोना के 46 नए पॉजिटिव केस पाए गए हैं। इन नए आंकड़ों के सामने आने के बाद बिहार में कोरोना का आंकड़ा बढ़कर 1079 हो गया है। मरीजों की आंकड़ा के बारे में सुबह में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बता दिया था, लेकिन मरीजों के बारे में डिटेल्स नहीं दे पाए थे। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने मरीजों की पूरी लिस्ट जारी है। एक संख्या भी कम बताया गया है।
लिस्ट के अनुसार जमुई जिले में 7 मरीज मिले हैं। सभी चितोचक झाझा के रहने वाले हैं। समस्तीपुर में कोरोना का 1 मरीज मिला है। शेखपुरा में 8 मरीज मिले हैं। पटना में कोरोना के 5 मरीज मिले हैंं जिसमें 4 बीएमपी 14 के जवान है। वही बख्तियारपुर में एक नया मरीज मिला है। औरंगाबाद जिले में 2 और मुंगेर में एक मरीज मिला है। बांका के 17 मरीज मिले है। कटिहार में 3 मरीज मिले हैं।


मनीष कुमार


 


2 अजन्मे सहित 3 ने अभाव में दम तोड़ा

तड़पते हुए गर्भवती व दो अजन्मों ने दम तोड़ा
गरौठा विधायक के हस्तक्षेप पर बनी जांच कमेटी, कार्रवाई की मांग


झांसी। प्रदेश सरकार भले ही लाक डाउन के चलते किसी भी तरह की बीमारी से ग्रस्त को इलाज सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा किया जाता रहे पर हकीकत इसके विपरीत है। कोरोना के डर से झांसी महानगर में स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई हुई हैं। महानगर में निजी अस्पताल खुल नहीं रहे, सरकारी अस्पताल मरीजों को मेडिकल कॉलेज रेफर कर रहे हैं।गर्भवती, हृदय रोग, ब्लड प्रेशर व अन्य बीमारियों के शिकार मरीजों को भी समय से उपचार नहीं मिल रहा। बुंदेलखंड के प्रमुख एम एल वी मेडिकल कॉलेज में बीमार इलाज के लिए तड़प तड़प कर दम तोड़ रहे हैं, किंतु चिकित्सकों द्वारा अन्य रोगों से ग्रस्त मरीजों को भी कोरोना संक्रमित होने के संदेह के डर से इलाज नहीं कर अपने हाल पर छोड़ दिया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज पहुंचने पर मरीजों को पहले कोविड वार्ड भेजा रहा है, किंतु वहां इलाज के लिए तड़पते रहते हैं, इस हालत के चलते शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज में चार मरीजों का जिंदगी ने साथ छोड़ दिया। इसमें एक ऐसी गर्भवती भी थी जिसके गर्भ में आठ माह के जुड़वां बच्चे थे। इस प्रकरण में गरौठा विधायक जवाहर लाल राजपूत के हस्तक्षेप के बाद जांच समिति का गठन कर दिया गया है। हालांकि मेडिकल कॉलेज प्रशासन महिला की मौत से पल्ला झाड़ लिया है।


दरसल, थाना समथर के कडूरा गांव निवासी अजीत सिंह राजपूत की पत्नी दीपिका (26) आठ महीने की गर्भवती थी। बृहस्पतिवार को दीपिका प्रसव वेदना से तड़पने लगी। हालत बिगड़ी तो उसे झांसी के एक निजी अस्पताल लाया गया, किंतु वहां डॉक्टर नहीं होने के कारण स्टाफ ने उसे भर्ती करने से इंकार कर दिया। इसके बाद परिजन गर्भवती को लेकर रात लगभग 11 बजे मेडिकल कॉलेज पहुंच गए, किंतु डॉक्टरों ने उन्हें भर्ती नहीं किया। इलाज नहीं मिलने से दीपिका की तबीयत बिगड़ती चली गई और उसे पेट में तेज दर्द शुरू हो गया। बार-बार कहने पर दीपिका को एक इंजेक्शन लगा दिया और स्टाफ ने परिजनों से कहा कि सुबह आठ बजे डॉक्टर आएंगी वो देखकर ही भर्ती करेंगी। शुक्रवार की सुबह सात बजे दीपिका ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। इससे परिवार में कोहराम मच गया। मामले की सूचना मिलने पर गरौठा विधायक जवाहर लाल राजपूत ने तत्परता दिखाते हुए मेडिकल कॉलेज प्रशासन व जिलाधिकारी से फोन पर सम्पर्क कर चिकित्सकों द्वारा इलाज में भर्ती गई लापरवाही पर रोष व्यक्त करते हुए कार्रवाई करने के लिए कहा। इसके बाद मामले की जांच के लिए कॉलेज प्रशासन ने तीन सदस्यीय समिति का गठन तो कर दिया, किंतु सफाई देने में समय नहीं लगाया। कॉलेज प्रशासन का कहना है कि डॉक्टर पीपीई किट पहनकर लगातार डिलीवरी करा रही थीं। जैसे ही एक डॉक्टर डिलीवरी के बाद फ्री हुईं तो उन्होंने मरीज को बुलाया तब तक गर्भवती और उसके परिजन चिकित्सालय में नहीं थे।


विधायक के कड़े रुख को देखते हुए बेकफुट पर आए प्रशासन ने गर्भवती के शव को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया।पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे गरौठा विधायक से परिजनों इलाज न करने वाले डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। विधायक ने उन्हें कार्रवाई कराने का आश्वासन दिया है। इस मामले में मृतका के पति अजीत ने नवाबाद थाने में तहरीर देते हुए बताया कि उसकी पत्नी के पेट में दो बच्चे थे। ऐसे में तीनों की मौत नहीं बल्कि हत्या की गई है। इसके सीधे जिम्मेदार कॉलेज प्रशासन, डॉक्टर और स्टाफ है। विधायक ने भी इस मामले में संवेदनशीलता दिखाते हुए पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है।इसके अलावा मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को ही एक और बीमार ने इलाज नहीं मिलने पर दम तोड़ दिया जब कि उसका पुत्र चिकित्सकों को पुकारता रहा, किंतु किसी ने उसकी गुहार नहीं सुनी और पुत्र के सामने पिता की सांसें थम गई।


महाराष्ट्र में 21 हजार से ज्यादा मामले

मुंबई। महाराष्ट्र में शुक्रवार को कोरोना वायरस (COVID-19) के 1576 नए मामले सामने आए और 46 लोगों की मौत हो गई। समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार राज्य में 21 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं और एक हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई। 6500 से ज्यादा लोग ठीक हो गए हैं। मंबई में 17 हजार से अधिक मामलों की पुष्टि हो गई है। भारत में अभी तक 81,970 मामले सामने आ गए हैं। इनमें 51,401 एक्टिव केस है। 27,919 लोग ठीक हो गए हैं और 2649 लोगों की मौत हो गई।


'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन

'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन   मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए स्कूली बच्चों ने निकाला रैली कौशाम्बी। एन डी कान...