मंगलवार, 5 मई 2020

सरकारी तोहफा 'विश्लेषण'

अद्भुत यह परिवर्तन की बेला मंदिर मस्जिद में लगा है ताला देखो भई देखो ईश्वर की लीला पीने के  लिए खुल गई मधुशाला


डॉ सुधाकर पांडेय


 क्या मंदिर मस्जिद स्कूल कॉलेज से ज्यादा  जरूरी है शराब की दुकान के कपाट खोलने केंद्र एवं राज्य सरकार का  लॉक डाउन के 42 में दिन देश की जनता को पहला तोहफा दिया सोमवार को मदिरा की दुकान खोलने के पश्चात शाम होते होते प्रयागराज की सड़कों पर नमूना दिखने लगे किसी का पैर गटर में तो कोई बीच सड़क पर ही साइकिल से धड़ाम तो कोई कोरोना को भगाने को लेकर बीच सड़क बीच सड़क नशे में डांस करते दिखते नजर आया l


यह मधुशाला की ही कमाल है l निश्चित तौर पर घरों में चूल्हे नहीं जले गे  घरेलू हिंसा होगी  बच्चे बिन खाए सोएंगे सरकार द्वारा शराब की दुकान खोलने का फैसला गलत है या सही यह सरकार को सोचना होगा l हो सकता है सरकार अपनी आर्थिक स्थिति मदिरा के बहाने मजबूत करना चाह रही हो l कारण जो भी हो पर इस वैश्विक महामारी में जहां एक तरफ मंदिर के कपाट बंद हैं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा है


इसमें शराब का दुकान खोलना यह दुर्भाग्यपूर्ण फैसला लग रहा है l जिस तरह सेदुकानों पर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ रही हैं 42 दिन लाॅक डाउन रखने का क्या फायदा बीमारी अभी खत्म नहीं हुई है ना ही टली है बल्कि मुहावरे पर खड़ी है 


सरकार को शराब के साथ साथ  सुनार की दुकान भी खोलनी चाहिए  क्योंकि लोगों के पास पैसे तो है नहीं  घर के जेवर बेचकर ही  शराब इस वक्त  पी जा सकती है और  शराबियों के सम्मान में  सरकार को एक आदेश जारी करना चाहिए कि जब कोई शराब लेने  दुकान पर पहुंचे तो ताली बजाकर उसका उत्साहवर्धन करें 


क्योंकि वह देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देने जा रहा है जीवन में पहली बार  देखा है  की शराबियों के सम्मान में पुलिस के जवान  लाइन लगवाकर शराबी को आ रहे हैं  यह पुलिस जवानों का अपमान है  अपने निजी फायदे के लिए सरकार कुछ भी करने को तैयार हैं करोड़ों मजदूर जिनकी रोजी-रोटी के लाले पड़े हैं  


लोग भुखमरी से मर रहे हैं शराब की दुकान खोलने से देश की महिलाएं चिंतित और भयभीत हैं महिलाओं का कहना है यह उचित समय नहीं है शराब की दुकान खोलने का


लोग महीनों से अपने कारोबार को बंद करके घर पर बैठे हैं जमा पूंजी खा रहे हैं शराब की दुकान खुलने से लोग अपने नशे को पूरा करने के लिए घरेलू हिंसा करेंगे एवं चोरी वा क्राइम में बढ़ोतरी होगी लोग अपने नशे को पूरा करने के लिए क्राइम करेंगे सरकार का यह फैसला जल्दी बाजी में लिया गया फैसला है स्थिति देश की पूर्ण रूप से नॉर्मल हो जाने के बाद ही शराब की दुकानें खोलने चाहिए सरकार को यह बात सही है कि नशे की चीजों में सरकार को बड़ा मुनाफा मिलता है लेकिन बड़ा मुनाफे के चक्कर में सरकार गलत फैसले ले रही है 


शराब की दुकान खोलने से कहीं ज्यादा जरूरी गरीब मजदूर किसान  छोटे कारोबारी की जिंदगी पुनः पटरी पर लौट आना है सरकार को अपने फैसले पर एक बार पुनः विचार करने की जरूरत है l
शराब लेने की बात पर पुलिस ने भी दे दी छूट.............


सोमवार था मंगलवार को जिस तरह से सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ती रही पुलिस भी लाचार दिखी इतने दिनों से घरों में रहने की सलाह देने वाली पुलिस मूकदर्शक बनी रहे l वैश्विक महामारी में लॉक डाउन का कड़ाई से पालन करा रही पुलिस जब दारू की बोतल लेने जा रहे लोगों की भीड़ देखकर मूकदर्शक बनी रही l 


सोशल डिस्टेंसिंग की लोग धज्जियां उड़ाते रहे पुलिस मूकदर्शक बनकर देखती रही पुलिस भी क्या करें वह लाचार है शासन प्रशासन का पालन करना उनकी मजबूरी है l जैसे ही लोग कहते कि दारू की बोतल लेने जा रहा हूं पुलिस अभी उनको बगल से जाने की इजाजत दे देती वसूल करके दारु की दुकान के सामने लाइन में लग जाते हैं


जैसे ही दारू की बोतल मिलती है वह माथे पर लगा कर खुशी खुशी अपने घर के लिए रवाना हो जाते l अब आम जनमानस को सोचना होगा कि दारू जरूरी है या जीवन l


भीगी मूंगफली खाने के कई फायदे

कविता गर्ग


ड्राई फ्रूटस खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. हालांकि गर्मियों के मौसम में ड्राई फ्रूट्स खाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. गर्मियों में कोशिश करें कि ड्राई फ्रूट्स को भिगोकर ही खाएं. क्या आपको पता है कि ड्राई फ्रूट्स में मूंगफली खाना सेहत के लिए काफी अच्छा होता है. साथ ही यह बड़ी आसानी से कम दाम में उपलब्ध हो जाता है. अन्य ड्राई फ्रूट्स के मुकाबले इसका इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के पकवानों को बनाने में किया जाता है. मूंगफली का सेवन अगर रात में भिगोने के बाद सुबह उठकर किया जाए तो उसके कई बेहतरीन स्वास्थ्य फायदे देखने को मिल सकते हैं. आइए आपको बताते हैं मूंगफली को भिगोकर खाने के फायदों के बारे में.


बॉडीबिल्डिंग में करें मदद


बॉडीबिल्डिंग करने वाले पुरुषों के लिए रोज सुबह उठने के बाद भीगी हुई मूंगफली का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है. इसमें प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है जो बॉडीबिल्डर्स के शरीर में प्रोटीन की पूर्ति करता है. इसे आप स्प्राउट के साथ सुबह-सुबह खा सकते हैं.


हार्ट संबंधी बीमारी का खतरा कम


मूंगफली में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो दिल से जुड़ी कई प्रकार की बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं. मूंगफली में कार्डियोप्रोटेक्टिव गुण पाया जाता है. इस कारण जो लोग नियमित रूप से कार्डियोप्रोटेक्टिव वाले स्रोत खाद्य पदार्थ का सेवन करते हैं वह अपनी डायट में मूंगफली को भी शामिल कर सकते हैं. कार्डियोप्रोटेक्टिव एक ऐसा गुण है जो दिल से जुड़ी बीमारियों के खतरे को कई गुना तक कम कर देता है. इसके लिए भीगी हुई मूंगफली का सेवन जरूर करें.


मस्तिष्क को रखता है हेल्दी


कई प्रकार के ड्राई फ्रूट का सेवन करना दिमाग के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है. वहीं, मूंगफली में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है. यह एक ऐसा फैटी एसिड है जो दिमाग की कार्यक्षमता को बढ़ाने का कार्य करता है. इसलिए जो बच्चे आपके घर में पढ़ाई कर रहे हैं उन्हें रोज सुबह भीगी हुई मूंगफली का नियमित रूप से सेवन कराया जा सकता है. यह उनकी मेमोरी को भी बढ़ाता है.


स्किन को बनाता है चमकदार


हर कोई अपनी स्किन को चमकदार और ग्लोइंग बनाए रखने के लिए तरह-तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करता है. आपको बता दें कि भीगी हुई मूंगफली का सेवन करने वाले लोगों को भी त्वचा संबंधित कई प्रकार के फायदे मिल सकते हैं. दरअसल मूंगफली में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा पाई जाती है. इस कारण अगर आप सुबह-सुबह इसका सेवन करते हैं तो वह दिन भर आपकी त्वचा में ताजगी बरकरार रखने का काम कर सकता है.


पाचन शक्ति को करे मजबूत


फाइबर एक ऐसा पोषक तत्व है जो पाचन क्रिया को सुचारू रूप से चलाए रखने के लिए बेहद जरूरी होता है. इसलिए फाइबर स्रोत वाले खाद्य पदार्थों को नियमित रूप से भोजन में शामिल किया जाना चाहिए. इसके लिए आप मूंगफली को भी अपने डाइट में शामिल कर सकते हैं. इसमें फाइबर पोषक तत्व की भरपूर मात्रा पाई जाती है. इसका सेवन करने से आपका पाचन तंत्र ठीक तरह से काम करेगा और आपको पेट से जुड़ी कई प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिल सकेगा.


शराब से 1 दिन में 500 करोड़ कमाए

नई दिल्ली। देश में शराब की बिक्री क्या शुरू हुई, शराब के खरीददारों ने धूम मचा दी। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक महज एक दिन में शराबियों ने ताबड़तोड़ शराब की खरीददारी की।
गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस के मुताबिक चार मई से देश में शराब की दुकानें खोलने की इजाजत दी गईं। सरकार के इस ऐलान के बाद पूरे देश के शराबी झूम उठे। शराब के शौकीन सुबह से ही ठेकों के बाहर जमा होना शुरू हो गए। ठेकों के बाहर उत्सव जैसा नजारा था। शराब को लेकर लोगों में किस कदर उत्साह था। ये सिर्फ आंकड़ों से पता चल जाएगा। दरअसल, पहले ही दिन पांच राज्यों में 554 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री हुई।
सरकार ने कमाई के मकसद से.शराब बिक्री की इजाजत दी थी। खास बात ये रही कि शराबियों ने सरकार को निराश नहीं किया और लाकडाउन फेज तीन के पहले दिन शराब की दुकानें खुलीं। हाल ये रहा कि कुछ शहरों में तो कई किलोमीटर तक लंबी कतारें दिखीं। उत्तरप्रदेश में 225 करोड़, महाराष्ट्र में 200 करोड़, राजस्थान में 59 करोड़, कर्नाटक में 45 करोड़ और छत्तीसगढ़ में 25 करोड़ रुपये की शराब बिकी। यानि पहले ही दिन 500 करोड़ से ज्यादा की शराब बिक गई।


कोरोना के साथ स्वाइन फ्लू का कहर

नई दिल्ली। भारत सहित पूरी दुनिया खतरनाक कोरोना वायरस से जूझ रही है। इसी बीच भारत में एक और घातक बीमारी अफ्रीकन स्वाइन फ्लू की दस्तक हो चुकी है। इस बीमारी ने असम में कहर बरपाना शुरू किया है। असम सरकार के मुताबिक करीब 2500 सूअरों की इसकी वजह से मौत हो चुकी है।


दरअसल, रविवार को असम सरकार के पशुपालन और पशु चिकित्सा मंत्री अतुल बोरा ने एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि राज्य में अफ्रीकी स्वाइन फ्लू के मामले सामने आए हैं। अब तक राज्य के सात जिलों के 306 गांवों में यह बीमारी फैली है। इस खतरनाक बीमारी से अब तक 2500 सूअरों की मौत हो चुकी है।


उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान ने अफ्रीकी स्वाइन फ्लू (एएसएफ) की पुष्टि की है।
दरअसल, रविवार को असम सरकार के पशुपालन और पशु चिकित्सा मंत्री अतुल बोरा ने एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि राज्य में अफ्रीकी स्वाइन फ्लू के मामले सामने आए हैं। अब तक राज्य के सात जिलों के 306 गांवों में यह बीमारी फैली है। इस खतरनाक बीमारी से अब तक 2500 सूअरों की मौत हो चुकी है। उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान ने अफ्रीकी स्वाइन फ्लू (एएसएफ) की पुष्टि की है। देश में पहली बार इस बीमारी ने दस्तक दी है। यह संक्रमण इतना खतरनाक है कि इससे संक्रमित सूअरों की मृत्युदर 100 प्रतिशत है। उन सूअरों को बचाने की रणनीति तैयार हो रही है जो अभी संक्रमण से बचे हुए हैं।


बोरा ने बताया कि केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद भी असम सरकार सूअरों को मारने के बजाय इस घातक संक्रामक बीमारी को फैलने से रोकने के लिए अन्य रास्ता अपनाएगी। उन्होंने बताया कि इस बीमारी का कोविड-19 यानी कोरोना वायरस से कोई लेना-देना नहीं है। इस वायरस के प्रसार के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि अफ्रीकी स्वाइन फ्लू सूअर के मांस, स्लाइवा, खून और टिशू के जरिए फैलता है। इसलिए, असम सरकार सूअरों का परिवहन रोकेगी। हमने 10 किलोमीटर की परिधि को सर्विलांस जोन में तब्दील कर रखा है, ताकि वहां से सूअर कहीं और ना जाएं।


बोरा ने बताया कि इस बीमारी की शुरुआत अप्रैल 2019 में चीन के जियांग प्रांत के एक गांव में हुई थी जो अरुणाचल प्रदेश का सीमावर्ती है। असम में यह बीमारी इसी साल फरवरी के अंत में सामने। और ऐसा लगता है कि यह बीमारी चीन से अरुणाचल होती हुई असम पहुंची है। असम सरकार के प्लान के बारे में बात करते हुए बोरा ने बताया कि पशु चिकित्सा विभाग प्रभावित इलाके के एक किलोमीटर के दायरे में नमूने इकट्ठा करके उनकी जांच करेगा। इस दौरान केवल उन्हीं सूअरों को मारा जाएगा जो संक्रमित होंगे। पड़ोसी राज्यों से भी आग्रह किया गया है कि वे अपने यहां सूअरों के आवागमन पर रोक लगाएं। एक तथ्य यह भी है कि पिछले दिनों असम के धेमाजी, उत्तरी लखीमपुर, बिश्वनाथ, डिब्रूगढ़, शिवसागर और जोरहाट और अरुणाचल प्रदेश के कुछ जिलों में सूअरों की असामान्य मौत हुई है। इसके बाद उसी समय मेघालय में अन्य राज्यों से सूअरों के परिवहन पर रोक लगा दी गई है।


असम राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 की जनगणना के अनुसार असम में सूअरों की संख्या 21 लाख थी, लेकिन अब यह बढ़ कर करीब 30 लाख हो गई है।इसके अलावा असम में कोरोना वायरस के मामलों पर बात करते हुए मंत्री ने बताया कि राज्य कोरोना संक्रमितों की संख्या 42 हो गई जिसमें से 32 ठीक भी हो चुके हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। राज्य में अभी 9 केस एक्टिव है और 1 की मौत हो चुकी है।


नस दबाते ही तिल-मिलाई सरकार

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी शनिवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ मंत्रणा के बाद गरीब, मजदूर का रेलवे और बस का किराया पार्टी की तरफ से देने का निर्णय लिया। सकारात्मक पहल के साथ सोनिया गांधी ने परोक्ष रूप से एक नस क्या दबाई, केन्द्र पूरी केन्द्र सरकार तिलमिला उठी। सोनिया गांधी की पहल पर शनिवार को ही कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार एक करोड़ रु. का चेक मुख्य सचिव को दे आए। रविवार सुबह पार्टी के संगठन महासचिवों ने सभी महासचिवों, प्रदेश अध्यक्षों से बात की और मुख्य सचिव के पास गरीबों, मजदूरों का किराया देने का पत्र देने, चेक देने को कहा। सोनिया, राहुल, प्रियंका, अहमद पटेल, रणदीप सुरजेवाला के ट्वीट आते गए और सोशल मीडिया पर केन्द्र सरकार पर दबाव बढ़ता चला गया।
स्वामी……आनन-फानन में केन्द्र सरकार ने बदला निर्णय
कांग्रेस पार्टी के इस निर्णय की गंभीरता भाजपा के राज्यसभा सुब्रामण्यम स्वामी को समझते देर नहीं लगी। उन्होंने केंद्रीय रेल मंत्री पीयुष गोयल से बात की। पीयुष गोयल से मंत्रणा के बाद स्वामी ने जानकारी सार्वजनिक की कि गरीब, मजदूरों के किराए का 85 प्रतिशत हिस्सा केन्द्र सरकार, 15 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करेगी। भाजपा के तेज तर्रार प्रवक्ता सांबित पात्रा भी सक्रिय हुए। भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने तत्काल संज्ञान में लिया। सूत्र बताते हैं कि फोन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पास भी पहुंचा। पार्टी के नेताओं ने मंत्रणा की। ऐसा माना जा रहा है कि अमित भाई (केन्द्रीय मंत्री) ने प्रधानमंत्री और रेल मंत्री से भी चर्चा की। इसके बाद सभी भाजपा राज्य सरकारों ने निर्णय लेना शुरू कर दिया। 04 मई को म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी आदेश जारी किया कि राज्य सरकार 15 प्रतिशत किराए का वहन करेगी। हालांकि कांग्रेस शासित एक राज्य के मुख्यमंत्री ने दावे के साथ कहा कि पहले तो यह किराया गरीब, मजदूरों को ही भरने की जानकारी थी। खैर, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के इस निर्णय के बाद छत्तीसगढ़, पंजाब, राजस्थान की सरकारों ने भी गरीब, मजदूरों के किराए का खर्च वहन करने की घोषणा कर दी। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन का बयान महत्वपूर्ण है
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने गरीब, मजदूरों से किराया वसूलने के सवाल पर शनिवार को ही एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र को बताया था कि वह(रेलवे) मुफ्त यात्रा की आदत नहीं डालना चाहता। समझा जा रहा है कि विनोद कुमार यादव का यह निर्णय केवल उनके बस की बात नहीं है। इसमें रेलमंत्री पीयुष गोयल और उच्च स्तर पर मिली अनुमति जरूर शामिल रही होगी। रविवार को सुबह से रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और रेल मंत्री पीयुष गोयल से संपर्क की हर कोशिश बेकार गई। यहां तक कि केन्द्र सरकार ने भी इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी को नहीं घेरा।
कांग्रेस के लिए राहत भरा दिन रविवार को सुबह कांग्रेस पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से सरकार के निर्णय को लेकर काफी तीखे सवाल हुए, लेकिन वेणुगोपाल ने कहा कि यह समय सरकार की आलोचना का नहीं है। उन्होंने केवल इतना कहा कि कांग्रेस पार्टी अपनी जिम्मेदारी निभा रही है। उन्होंने इस प्रयास को कांग्रेस पार्टी के रचनात्मक, सकारात्मक सहयोग से जोडऩे की कोशिश की। मीडिया विभाग के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने जरूर रेलवे द्वारा पीएम केयर फंड में रेलवे द्वारा दिए 151 करोड़ रुपये का तंज कसा, वेणुगोपाल ने भी इसकी याद दिलाई, लेकिन बहुत आलोचनात्मक नहीं हुए। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का संदेश भर पढ़कर सुनाया। थोड़ी देर बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने वीडियो संदेश भी दे दिया।


सरकार के मंत्रियो ने अढ़ी खामोशी…..नहीं मिली राहुल को ट्यूशन पढऩे की सलाह
बड़े दिन बाद कांग्रेस पार्टी के पास इतना सुंदर दिन आया। गरीब, मजदूर का किराया भरने का निर्णय लेकर पार्टी ने सत्ता पक्ष का मुंह बंद करा दिया। राहुल गांधी के आक्रामक ट्वीट पर भी केन्द्र सरकार के मंत्री आज खामोश रहे। सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को कोई ट्यूशन पढऩे की सलाह नहीं दी। केन्द्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद भी अपने चित परिचित अंदाज में नहीं आए। भाजपा के नेताओं ने भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ कोई बड़ा मोर्चा नहीं खोला। सोशल मीडिया पर भाजपा ब्रिगेड पूरी तरह से रक्षात्मक बनी रही। पहली बार सत्ता पक्ष की तरफ से बहुत रचनात्मक सुझाव आया। सत्ता पक्ष ने विपक्ष से अपील की कि वह अपनी राज्य सरकारों से किराए का 15 प्रतिशत हिस्सा देकर सहयोग देने को कहे।


जीएसटी का भुगतान मिला नहीं…..15 प्रतिशत का अर्थ क्या है?
कांग्रेस शासित राज्य के एक मुख्यमंत्री की सुन लीजिए। सूत्र का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने फैसला लिया है। पार्टी गरीब, मजदूरों के किराए का खर्च वहन करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रवासी गरीब, मजदूरों के लिए हर स्तर पर सहयोग के लिए तैयार है, लेकिन केन्द्र का किराए का 15 प्रतिशत हिस्सा मांगना अनुचित है। मुख्यमंत्री का कहना है कि सभी राज्य तीन-चार बार प्रधानमंत्री जीएसटी का पिछला भुगतान मांग रहे हैं, राज्यों में कोई व्यवसायिक गतिविधियां चल नहीं रही हैं, सरकारी कर्मियों को तनख्वाह देने, कोविड-19 संक्रमण से निबटने का फंड नहीं है, ऊपर से केन्द्र सरकार नया बोझ डाल रही है?


45 मिनट में लोन देगा एसबीआई

कविता गर्ग


नई दिल्ली। कोरोना वायरस की वजह से देशभर में लॉकडाउन को 17 मई तक बढ़ा दिया गया है। गैर-जरूरी वस्तुओं के अलावा अन्य सभी तरह की दुकानें और कारोबार लगभग ठप पड़ा हुआ है। कोविड-19 की वजह सबसे अधिक मार मीडिल क्लास पर पड़ी है। यही कारण है कि लोगों के हाथ में खर्च करने के पैसे नहीं है, कुछ लोगों के लिए जीविका चलाना भी मुश्किल हो गया है। देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है।


ऐसे में अगर आपको पैसों की सख्त जरूरत है तो देश का सबसे बड़ा बैंक यानी भारतीय स्टेट बैंक (SBI) आपकी मदद कर सकता है। एसबीआई बेहद की कम समय में कम ब्याज दर पर 5 लाख रुपये का लोन मुहैया करा रहा है। खास बात है इस लोन के ​लिए आप घर बैठे ही अप्लाई भी कर सकते हैं। आपका यह काम बस 45 मिनट में ही हो जाएगा।


6 महीने तक नहीं देनी होगी EMI


कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के बीच आम लोगों को राहत देते हुए SBI ने इस खास लोन को लॉन्च किया है, जिसमें पहले 6 महीने तक आपको इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट(EMI) भी नहीं देनी होगी। इसका मतलब है कि अगर आप मई में SBI से यह लोन लेते हैं तो आपको अक्टूबर तक इसके लिए कोई EMI नहीं देनी होगी। लोन लेने के 6 महीने के बाद आपकी ईएमआई शुरू होगी।


कितना देना होगा ब्याज?


आप किसी भी समय SBI से पर्सनल इमरजेंसी लोन ले सकते हैं। SBI इस लोन के लिए आपसे सालान 7.25 फीसदी की दर से ब्याज वसूलेगा। कई बैंकों द्वारा वसूले जाने वाले ब्याज की तुलना में यह कम भी है।


आपको कितना लोन मिल सकता है?


अगर आप पर्सनल लोन लेना चाहते हैं तो 2 लाख रुपये तक ले सकते हैं। वहीं, पेंशन लोन के तौर पर यह रकम 2.5 लाख रुपये तक की होगी। जबकि सर्विस क्लास के तौर पर इस लोन की सीमा 5 लाख रुपये तक ही होगी।


कैसे करें SBI पर्सनल इमरजेंसी लोन के लिए आवेदन?


घर बैठे इस लोन के लिए आपको अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से PAPL टाइप कर स्पेस के बाद अपने अकाउंट नंबर का अंतिम 4 डिजिट लिखकर 567676 पर SMS करना होगा। अगर आप बैंक द्वारा योग्य पाए गए तो महज 4 प्रोसेस में ही आपको लोन मिल जाएगा। आप चाहें तो एसबीआई के YONO SBI ऐप के जरिए भी इस लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस ऐप में आपको Avail Now option को चुनना होगा।


इसके बाद आपको लोन की अवधि और अमाउंट को चुनना होगा। इसके बाद आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी भेजा जाएगा। इसे ओटीपी को अनिवार्य जगह पर भरने के बाद आपको खाते में लोन ट्रांसफर कर दिया जाएगा।


संकट से निकलने को लेकर चर्चा

नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश में लॉकडाउन है और अर्थव्यवस्था की रफ्तार थम गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी से खास बात की। इस दौरान दोनों ने अर्थव्यवस्था की चुनौतियां, कोरोना संकट से निकलने को लेकर मंथन किया। नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी ने इस दौरान सलाह दी कि लोगों के हाथ में कैश पहुंचाने की जरूरत है, ऐसे में इस वक्त कर्ज को माफ करना चाहिए और कैश की मदद देनी चाहिए।


राहुल गांधी ने अभिजीत से पूछा कि जब आपने नोबेल पुरस्कार जीता तो क्या वह चौंकाने वाला था? अभिजीत बोले बिल्कुल उन्होंने कभी ऐसा नहीं सोचा था। अभिजीत बनर्जी बोले कि यूपीए सरकार ने काफी अच्छी नीतियां लागू की थीं, लेकिन अब वो सरकार यहां पर लागू नहीं कर रही हैं। यूपीए सरकार ने जिस आधार जैसी योजना को लागू किया था, इस सरकार ने भी उसको सही बताया और उसपर ही काम किया। उन्होंने कहा कि आज के वक्त में इस तरह की सुविधा काफी सही साबित हो सकती थीं, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसका मतलब है देशव्यापी योजना लागू नहीं हो पाई है।


बैंकों की चुनौती से किस तरह निपटें?


कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि आज कैश की दिक्कत होगी, बैंकों के सामने कई तरह की चुनौती होगी और नौकरी बचाना मुश्किल होगा। इसपर अभिजीत ने कहा कि ये बिल्कुल सच होने जा रहा है, ऐसे में देश में आर्थिक पैकेज की दरकार है। अमेरिका-जापान जैसे देशों ने ऐसा किया है, लेकिन हमारे यहां नहीं हुआ. छोटे उद्योगों की मदद करनी चाहिए, इस तिमाही का ऋण भुगतान खत्म कर देना चाहिए।


राहुल के सवाल पर अभिजीत ने कहा कि भारत में अभी मांग की समस्या है, क्योंकि किसी के पास पैसा नहीं है तो कोई कुछ खरीद ही नहीं रहा है। ऐसे में लोगों को आर्थिक मदद पहुंचाने में किसी तरह की देरी बेकार है। अभिजीत ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से जहां पर कारोबार पूरी तरह से ठप है, वहां आर्थिक मदद की ज्यादा जरूरत है।


लॉकडाउन से बाहर निकलने का तरीका क्या?


चर्चा के दौरान राहुल गांधी बोले कि लॉकडाउन से जितनी जल्दी बाहर आया जाए, उतना अच्छा है लेकिन उसके बाद भी एक प्लान होना चाहिए, वरना सारा पैसा बेकार है। इसपर अभिजीत ने कहा कि हमें महामारी के बारे में पता होना चाहिए, लॉकडाउन को बढ़ाने से कुछ नहीं होगा।


राहुल गांधी ने पूछा कि आज देश में राशन कार्ड काफी कम है, लोगों के पास खाना नहीं है। अभिजीत बोले कि हमने इसपर पहले भी सलाह दी है कि सरकार को अभी राशन कार्ड जारी करने चाहिए, जो कम से कम तीन महीने के लिए काम करें और हर किसी को मुफ्त में राशन मिल सके. हर किसी को इस वक्त चावल, दाल, गेहूं और चीनी की जरूरत है। अभिजीत ने कहा कि अगर हर किसी को पैसा पहुंचाना है तो उसके लिए एक वातावरण चाहिए, जिसके पास खाता है उसे मिल सकता है। लेकिन अगर किसी के पास बैंक खाता नहीं है तो उसके बारे में भी सोचना होगा। ऐसे में राज्य सरकारों को अधिक से अधिक मदद देनी होगी, ताकि किसी तरह से आम लोगों तक पैसा पहुंच पाए।


कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि बड़े फैसले भले ही केंद्र सरकार ले, लेकिन लॉकडाउन या जमीनी फैसलों को राज्य सरकार को लेने दिया जाना चाहिए। लेकिन, मौजूदा सरकार अलग हिसाब से चल रही है और केंद्र से ही फैसला ले रही है।


अभिजीत ने कहा कि केंद्र को गरीबों के लिए नई योजना लाने की जरूरत है, वहीं राज्यों और जिला अधिकारियों को गरीबों को लेकर सीधा लाभ पहुंचाने की जरूरत है। अभिजीत ने बताया कि इंडोनेशिया इस वक्त लोगों को कैश ट्रांसफर कर रहा है, वह लोगों पर ही छोड़ रहे हैं कि किसे इस वक्त पैसे की जरूरत है। सरकार से अधिक लोगों को पता होता है कि किसे इस वक्त पैसों की जरूरत है। अभिजीत ने कहा कि आज भी कई ऐसी योजनाएं हैं जिनसे लोग नहीं जुड़ पाए हैं, ऐसे में आज ये जरूरत है कि उन लोगों तक भी मदद पहुंचाई जाए। हमें इस बात को भूलना चाहिए कि इससे कुछ लोगों को फायदा पहुंच सकता है, लेकिन इस वक्त रिस्क लेने की जरूरत है क्योंकि ये समय की मांग है।


राहुल गांधी ने पूछा कि 6 महीने के बाद जब बीमारी चली जाएगी तो अर्थव्यवस्था पर क्या होगा। अभिजीत ने कहा कि अभी सबसे बढ़िया तरीका है कि लोगों का कर्ज माफ कर दिया जाए और लोगों को नकदी दी जाए। इसी तरह लोगों को ताकत दी जा सकती है।


इंडोनेशिया में 6.0 तीव्रता का भूकंप, झटके

इंडोनेशिया में 6.0 तीव्रता का भूकंप, झटके  अखिलेश पांडेय  जकार्ता। इंडोनेशिया के पूर्वी प्रांत मालुकु में सोमवार के तेज झटके महसूस किए गए। इ...