रविवार, 5 अप्रैल 2020

सेना के जवान किए गए अलर्ट

आपात स्थिति से निपटने के लिए आर्मी ने 14 हजार सैनिकों को अलर्ट किया


तोक्यो। दक्षिणी जापान में भारी बारिश हो रही है और कई इलाकों में लोगों के घर डूब गए हैं। आपात स्थिति से निपटने के लिए 14 हजार सैनिकों को अलर्ट कर दिया गया है। दक्षिण-पश्चिमी शहर कागोशिमा में बारिश से पैदा हुए खतरे को देखते हुए प्रशासन ने 10 लाख से ज्यादा लोगों को घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने का निर्देश दिया है। दरअसल, बीते दिनों इस क्षेत्र में भारी बारिश हुई है और आगे भी जारी रहने की संभावना है। जापानी अधिकारियों को डर है कि लगातार बारिश से बाढ़ या भूस्खलन हो सकता है। ऐसे में लोगों को पहले ही सतर्कता बरतते हुए इलाका खाली करने को कहा गया है। यह निर्देश सलाह से बढ़कर है लेकिन फिर भी लोग अगर घर छोड़कर नहीं जाते हैं तो उनके खिलाफ कोई ऐक्शन नहीं लिया जाएगा। आपको बता दें कि कागोशिमा, क्यूशू के दक्षिणी द्वीप की खाड़ी में स्थित है। द्वीप के कुछ हिस्सों में पिछले सप्ताह से प्रति वर्ग मीटर 900 मिलीमीटर बारिश हुई है। कागोशिमा में मंगलवार सुबह 7 बजे से 8 बजे के बीच 40 मिलीमीटर/वर्ग मीटर बारिश हुई। जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी ने गुरुवार सुबह तक दक्षिणी क्यूशू में लगभग 350 मिमी/ वर्ग मीटर बारिश होने की संभावना जताई है, जबकि क्षेत्र के कुछ हिस्सों में प्रति घंटे 80 मिमी तक बारिश हो सकती है। कागोशिमा नगरपालिका के अनुसार, लोगों को घर खाली करने का आदेश जारी करने का मुख्य कारण मूसलाधार बारिश की वजह से मिट्टी का धंसना हो सकता है, जिसका अधिकारियों को डर है।मौसम पूवार्नुमान इकाई के प्रमुख ने मीडिया को बताया कि पिछले साल की तुलना में, इस बार बारिश की अवधि कम होगी। उन्होंने यह भी कहा मूसलाधार बारिश से निकासी में बाधा आ सकती है।


उत्तर में बारिश से आवागमन अवरुद्ध

323 सड़कों पर वाहनों की आवाजाही ठप


शिमला। उत्तर भारत के कई इलाकों मे बारिश के कारण आम जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। वर्षाजनित हादसों के कारण हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में 8 लोगों की मौत हुई है। कई जिलों में बाढ़ के कारण गांवों का संपर्क कट गया है। राज्य के तमाम हिस्सों में हुई लैंड स्लाइड्स और फ्लैश फ्लड के कारण 323 रास्तों और राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 5 पर वाहनों की आवाजाही बंद हो गई है। हिमाचल प्रदेश के अलावा उत्तराखंड और राजस्थान के कई हिस्सों में भी बाढ़ जैसे हालात के कारण सार्वजनिक संपत्तियों को काफी नुकसान हुआ है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, वर्षाजनित घटनाओं के कारण हिमाचल प्रदेश में आठ लोगों की मौत हुई है। शिमला के आरटीओ कार्यालय के पास भूस्खलन की घटना में तीन लोगों के मारे जाने की सूचना है। इसके अलावा इस घटना में एक अन्य शख्स के मलबे में दबे होने की खबर है। वहीं, बारिश के कारण एक मकान की दीवार गिरने के कारण एक मजदूर की भी मौत हुई है। मृत मजदूर की पहचान शाह आलम नाम के शख्स के रूप में हुई है, जो बिहार के किशनगंज का रहने वाला था। साथ ही कुल्लू जिले के रोहरू में भूस्खलन के कारण 1 शख्स की मौत हुई है। बारिश के कारण गिरे एक पेड़ की चपेट में आने से 2 नेपाली नागरिक मारे गए हैं, वहीं चंबा में भी बाढ़ के पानी में बहने से एक शख्स की मौत हो गई।


बादल फटने के कारण भारी तबाही देहरादूनः उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बादल फटने के कारण भारी तबाही की खबरें सामने आ रही हैं। बताया जा रहा है कि शिमला से लगी सीमा के पास भारी बारिश के बीच कई लोग लापता हुए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इलाके में बादल फटने के कारण पानी में कई लोग बह गए हैं, हालांकि प्रशासन इसे सिर्फ भारी बारिश से हुई घटना बता रहा है। उत्तरकाशी के एसपी पंकज भट्ट ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि बारिश के पानी के कारण कई मकानों को नुकसान हुआ है और प्रशासन के पास अब तक डेढ़ साल की एक बच्ची समेत कुल 3 लोगों के लापता होने की सूचना है। बताया जा रहा है कि उत्तरकाशी की मोरी तहसील, आराकोट, टिकोची समेत कुछ अन्य इलाकों में बादल फटने के कारण कई मकान टोंस नदी के पानी में बह गए हैं। इसके अलावा इन मकानों से अब तक तीन लोगों के लापता होने की सूचना है। प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से एसओ मोरी को मौके पर भेजकर हालातों की समीक्षा कराई जा रही है। इसके अलावा कई इलाको में एसडीआरएफ, आईटीबीपी और रेड क्रॉस की टीमों को भी लोगों को सुरक्षित स्थान पर रेस्क्यू करने के लिए भेजा गया है।


भारत के प्रधानमंत्री को लिखा खत

अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ के कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह ने किर्गिस्तान मेडिकल कॉलेज में अध्ययनरत राज्य के विद्यार्थियों को वापस लाए जाने की मांग की है। राज्यपाल को 80 विद्यार्थियों की सूची के साथ विधायक ने पत्र लिखा है। इन छात्रों में विधायक का पुत्र भी शामिल है। राज्यपाल ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को पत्र लिख कर मेडिकल छात्रों को वापस लाने की व्यवस्था कराने की मांग की है। विधायक सिंह ने बताया की किर्गिस्तान में छत्तीसगढ़ के करीब 500 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इनमें से 80 विद्यार्थियों के संबंध में उनके पास जानकारी है। उन्होंने संक्रमण के खतरे को को देखते हुए मांग की है कि राज्य के वहां अध्ययनरत विद्यार्थियों को सकुशल घर वापस लाने के लिए सरकार आवश्यक कदम उठाए। उन्हें तत्काल वापस लाए जाने की पहल की जानी चाहिए.यही नहीं किर्गिस्तान में मेडिकल छात्रों के अलावा अन्य भारतीय नागरिक भी हैं, जो स्वदेश आना चाहते हैं। विधायक ने बताया कि ऐसे कई लोगों ने उनसे संपर्क किया है और वतन वापसी के लिए सहायता मांगी है। विधायक के अनुरोध पर राज्यपाल ने विदेश मंत्री के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिख कर अवगत कराया है। बता दें कि चीन, इटली, अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य यूरोपीय देशों के साथ ही अब कोरोना का असर रूस और उसके पड़ोसी देशों पर भी पड़ रहा है। ऐसे में जो छात्र वहां फंसे हुए हैं, उनके परिजन उनकी कुशलता को लेकर बेहद चिंता में हैं। राज्य के कई छात्रों मेडिकल की बेहतर शिक्षा के लिए रूस, यूक्रेन और किर्गिस्तान जाते हैं।


ब्रिटेन में भी जारी किया 'लॉक डाउन'

लंदन। चीन से फैले खतरनाक कोरोना वायरस की दहशत पूरी दुनिया में दिख रही है और करोड़ों लोगों को अपने घरों में रहने को मजबूर कर दिया है। कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने पूरे ब्रिटेन में देशव्यापी बंद (लॉकडाउन) के आदेश दिए हैं। अमेरिका के कैलिफोर्निया समेत कई इलाकों को लॉकडाउन कर दिया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि ब्रिटेन में लॉकडाउन के पीछे एक ब्रिटिश शोध रिपोर्ट है, जिसने चौंकाने वाला अनुमान लगाया है।


कोरोना वायरस पर लंदन के इंपीरियल कॉलेज की रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है कि कोरोना वायरस पर अगर काबू नहीं पाया गया तो यह ऐसे ही तीव्र गति से फैलता रहा तो ब्रिटेन में करीब 5 लाख 10 लोगों की मौत हो सकती है। वहीं, अमेरिका के लिए भी इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि आने वाले समय में कोरोना वायरस के फैलने से 2.2 मिलिनय यानी 22 लाख लोगों की मौत हो सकती है। दरअसल, इस रिपोर्ट में एक तरह से चेतावनी दी गई है कि अगर समय रहते इस वायरस पर काबू नहीं पाया गया तो दोनों देशों में स्थित भयावह हो सकती है। ऐसा माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कोरोना से निपटने के लिए कठोर कदम उठाए हैं और पूरे देश में लॉकडाउन का ऐलान कर दिया है। इस रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है कि अगर कुछ कदम नहीं उठाए गए तो अगले तीन महीनों में मरने वालों की संख्या चरम पर होगी और इससे करीब 81 फीसदी आबादी प्रभावित होगी। इंपीरियल कॉलेज ब्रिटेन की सरकार को पिछले महामारियों को लेकर भी सलाह दे चुकी है, जिनमें सार्स, एवियन फ्लू और स्वाइन फ्लू शामिल हैं। इंपीरियल की इस रिपोर्ट का नेतृत्व प्रोफेसर नील फर्गुसन ने किया है, जिनके साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन और 50 वैज्ञानिकों की एक टीम है। प्रोफेसर फर्गुसन के मुताबिक, यह रिपोर्ट इटली में कोरोना वायरस से जुड़े ताजा आंकड़ों की तुलना के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुंची है। बता दें कि इटली में चीन से भी भयावह स्थिति है और कोरोना से मौत के मामले अब चीन से ज्यादा इटली में हो गए हैं। इटली में करीब 3500 लोगों की मौत हो चुकी है।प्रोफेसर फर्गुसन ने रिपोर्ट जारी होने के बाद कहा कि कोरोना वायरस से कैसे निपटा जाए और इसके प्रकोप को कैसे रोका जाए, इसे सोच कर ब्रिटेन पिछले कुछ सप्ताह से संघर्ष कर रही है। हमारे और टीम के अनुमान के मुताबिक, लॉकडाउन के अलावा सच में कोई विकल्प नहीं है। मगर चीन के नक्शेकदम पर चलकर इससे निपट सकते हैं। बता दें कि दुनियाभर में कोरोना वायरस से अब तक करीब 11 हजार लोगों की मौत हो चुकी है और अब तक 2 लाख 65 हजार से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। ब्रिटेन में लोगों को घर से बाहर नहीं निकलने को कहा गया है। ठीक उसी तरह अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य ने भी बड़ा कदम उठाते हुए लोगों से किसी भी हाल में अपने घर में ही रहने को कहा है। अमेरिका ने आर्थिक मोर्चे की दिक्कतों को दूर करने के लिए एक हजार अरब के आपातकालीन राहत पैकेज का वादा किया है।


जमीन पर हमले, संप्रभुता का हनन

तेहरान। अमेरिका ने ईरानी रिवॉल्युशनरी गार्ड्स कॉर्प्स के कुद्स फोर्स के कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी को मारने के बाद कहा था कि अगर ईरान ने प्रतिक्रिया दी तो उसके 52 ठिकानों पर हमले किए जाएंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने खुद ट्वीट कर ईरान को यह चेतावनी दी थी। अब जब ईरान बदले की कार्रवाई में दो अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर मिसाइलें दाग चुका है तो उसे अमेरिकी प्रतिक्रिया की आशंका सताने लगी है। इसलिए वह ईरान के 52 ठिकानों को ध्वस्त करने की अमेरिकी चेतावनी के जवाब में 140 अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाने की धमकी दे रहा है। उधर, इराक ने कहा कि ईरान ने मिसाइल हमलों की जानकारी पहले ही दे दी थी।


ट्रंप के 52 के जवाब में ईरान का 140ः याद रहे कि ट्रंप ने शनिवार को चेतावनी दी थी कि यदि ईरान अमेरिकी जवानों या सम्पत्ति पर हमला करता है तो अमेरिका 52 ईरानी स्थलों को निशाना बनाएगा और उन पर ‘बहुत तेजी से और जोरदार हमला’ करेगा। अब कुद्स फोर्स का कहना है कि उसने अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के 140 ठिकानों की निशानदेही कर ली है। उसका कहना है कि अगर अमेरिका ने मिसाइल हमलों की प्रतिक्रिया में ईरान को कोई नुकसान पहुंचाने की कोशिश की तो वह इन सभी ठिकानों को निशाना बनाएगा। ईरानी टेलिविजन के मुतााबिक, सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामनेई के दफ्तर के एक अधिकारी ने कहा कि अमेरिका को जवाब देने के कई तरीकों में अभी मिसाइल हमले का सबसे ‘कमजोर’ तरीका चुना गया। ईरान इससे भी कड़ा और बड़ा कदम उठाने की क्षमता रखता है।
ईरान की धमकी पर इजरायल लालः इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान की ओर से हमले की कोशिशों पर कड़ी प्रतिक्रिया की चेतावनी दी। उन्होंने कहा, ‘हम पर जो भी हमला करेगा, उसे मुहंतोड़ जवाब मिलेगा।’ दरअसल, ईरानी इस्लामिक रिवॉल्युशनरी गार्ड्स ने मिसाइल हमलों की प्रतिक्रिया में ईरानी धरती पर हमले के जवाब में अमेरिका के सहयोगी देशों को निशाना बनाने की धमकी दी थी। इसने कहा था कि अमेरिका ने भविष्य में ईरान की धरती पर बम बरसाया तो जवाब में संयुक्त अरब अमिरात (यूएई) के दुबई और इजरायल के हाफिया जैसे शहरों को निशाना बनाया जाएगा। इजरायली पीएम ने ईरान की इसी धमकी पर अंजाम भुगतने की चेतावनी दी है।
अमेरिका के मुंह पर जोरदार तमाचा: खामेनई
ईरान का कहना है कि उसने संयुक्त राष्ट्र के चार्टर 51 से मिले ‘आत्मरक्षा के अधिकार’ के तहत इराक स्थित अमेरिकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए, उसका इरादा अमेरिका के साथ युद्ध लड़ने का नहीं है। ईरानी विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने कहा कि उनका देश किसी भी आक्रमण का मुकाबला करने को तैयार है। उधर, ईरान के रक्षा मंत्री आमिर हातमी ने सरकारी न्यूज चैनल से कहा, ‘हमने छोटी दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल किया… उम्मीद है कि यह अमेरिका के लिए यादगार सबक साबित होगा।’ ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामनेई ने भी कहा कि ईरान ने इराक के अल-असद और इरबिल सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमलों के जरिए अमेरिका के मुंह पर जोरदार तमाचा लगाया है।
‘इराक से अमेरिका पर हमले का वक्त आ गया’
इधर, इराक ने कहा कि ईरान ने उसे पहले ही बता दिया था कि वह अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाने जा रहा है। ईराक में अर्धसैनिक बल के प्रमुख कैस अल-खजाली ने कहा कि अब अमेरिका पर इराक को ईरान से भी जोरदार हमला होगा। ईराक के हसद अल-शाबी पार्ल्यामेंट्री नेटवर्क के टॉप कमांडर ने कहा कि बगदाद में ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी को मारने के लिए किए गए अमेरिका ड्रोन हमले का जवाब देने का वक्त आ गया है। अमेरिकी हमले में हसद के डेप्युटी चीफ अबू मेहदी अल-मुहांदिस भी मारे गए थे।
युद्ध का इरादा नहीं: ईरानी विदेश मंत्री
हालांकि, इराक के प्रधानमंत्री ने व्यापक युद्ध छिड़ने के भयावह परिणाम का जिक्र करते हुए ईरान और अमेरिका, दोनों से संयम बरतने की अपील की है। उन्होंने सभी पक्षों से अंतरराष्ट्रीय समझौतों और इराक का सम्मान करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इराक अपनी संप्रभुता के हनन और अपनी जमीन पर हमलों का विरोध करता है।


 


तालिबान से कई ऐतिहासिक समझौते

तालिबान से ऐतिहासिक समझौता


दोहा/कतर। अमेरिका और तालिबान के बीच ऐतिहाासिक शांति समझौते पर 29 फरवरी शनिवार को मुहर लग गई। इसके तहत तय हुआ है कि अमेरिका का लक्ष्य 14 महीने के अंदर अफगानिस्तान से सभी बलों को वापस बुला लेना है। यह समझौता कतर के दोहा में हुआ। इस कार्यक्रम का साक्षी बनने के लिए दुनियाभर के 30 देशों के प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया, इनमें भारत भी शामिल है। कतर में भारत के दूत पी कुमारन भारत की तरफ से दोहा में यूएसए-तालिबान शांति समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। यह पहला मौका होगा, जब भारत, तालिबान से जुड़े किसी मामले में आधिकारिक तौर पर शामिल हुआ। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ समझौते पर हस्ताक्षर करने के गवाह बने।


श्रृंगला ने अशरफ गनी को पीएम मोदी का पत्र सौंपाः अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर से एक दिन पहले विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला शुक्रवार को काबुल पहुंचे और शांतिपूर्ण एवं स्थिर अफगानिस्तान के लिए भारत का खुला समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने राष्ट्रपति अशरफ गनी से भेंट की और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पत्र सौंपा. श्रृंगला ने अफगानिस्तान के मुख्य कार्यकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला, निर्वाचित उपराष्ट्रपति अमरूल्ला सालेह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्लाह मोहिब और कार्यकारी विदेश मंत्री हारून चखानसूरी से मुलाकात की तथा उन्हें अफगानिस्तान के सर्वांगीण विकास के प्रति भारत की मजबूत प्रतिबद्धता से अवगत कराया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने अपने ट्वीट में कहा कि अफगानिस्तान की राष्ट्रीय एकता, क्षेत्रीय अखंडता, लोकतंत्र, बहुलवाद और उसकी समृद्धि एवं बाहरी प्रायोजित आतंकवाद के खात्मे में भारत उसके साथ खड़ा है। गनी के साथ श्रृंगला की बैठक के बारे में कुमार ने कहा कि अफगान राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान में लोकतंत्र एवं संवैधानिक व्यवस्था के प्रति भारत के निरंतर सहयोग की सराहना की।कुमार ने कहा कि विदेश सचिव ने अफगानिस्तान के नेतृत्व के साथ वहां के विकास एवं शांति प्रयासों पर सार्थक चर्चा की. दोहा में शनिवार को अमेरिका और तालिबान के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर होने हैं जिससे इस देश में तैनाती के करीब 18 साल बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी का रास्ता साफ होगाा। सम्मेलन का आयोजन रूस द्वारा किया गया था, जिसमें तालिबान का उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल, अफगानिस्तान, अमेरिका, पाकिस्तान और चीन समेत समेत कई अन्य देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए थे। शांति समझौते से पहले भारत ने अमेरिका को यह बता दिया है कि वह पाकिस्तान पर उसकी जमीन से चल रहे आतंकी नेटवर्कों को बंद करने के लिये दबाव डालता रहे यद्यपि अफगानिस्तान में शांति के लिये उसका सहयोग महत्वपूर्ण है। ऐतिहासिक समझौते से पहले नाटो प्रमुख पहुंचे अफगानिस्तान अमेरिका और तालिबान के बीच ऐतिहासिक समझौते से पहले अधिकारियों से मिलने के लिए नाटो प्रमुख जेन्स स्टोल्टनबर्ग शनिवार को अफगानिस्तान पहुंचे. नाटो ने एक बयान में बताया कि स्टोल्टनबर्ग अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ शनिवार शाम काबुल मीडिया सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इसमें अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर भी मौजूद होंगे। स्टोल्टनबर्ग देश में अमेरिका और नाटो बलों के प्रमुख जनरल स्कॉट मिलर से भी मुलाकात करेंगे। शांति समझौते पर हस्ताक्षर के बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी की संभावनाः इस समझौते के तहत दोनों शत्रुओं के बीच चरमपंथ खत्म करने के बदले अफगानिस्तान से हजारों अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाए जाने पर सहमति बनी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगान लोगों से नया भविष्य बुनने के मौके का लाभ उठाने की अपील की। उन्होंने हस्ताक्षर कार्यक्रम की पूर्व संध्या पर कहा कि अगर तालिबान और अफगान सरकार अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर पाते हैं तो हम अफगानिस्तान में युद्ध खत्म करने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ सकेंगे और अपने सैनिकों को घर वापस ला पाएंगे। ट्रंप ने कहा कि वह संधि पर हस्ताक्षर के लिए विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ को भेज रहे हैं और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर काबुल सरकार के साथ अलग से घोषणा-पत्र जारी करेंगे। उम्मीद है कि इस समझौते से काबुल सरकार और तालिबान के बीच संवाद होगा और अगर यह बातचीत सार्थक रहती है तो अफगान युद्ध अंतत: समाप्त हो जाएगा।


खाई- 30 एमकेआई में तैनात किया

भारत ने रूस के साथ हवा से हवा में मार करने वाली R-27 मिसाइलों की खरीद के लिए 1,500 करोड़ रुपये का करार किया है। इन मिसाइलों को लड़ाकू विमान


मास्को। खाई-30 एमकेआई में तैनात किया जाएगा। एक सरकारी सूत्र ने बताया, ‘भारतीय वायुसेना में तैनात लड़ाकू विमान सुखोई-30MKI के लिए हवा से हवा में मार करने वाली R-27 मिसाइलों के लिए रूस से करार किया गया है।’आपको बता दें कि रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद पर अमेरिकी की आपत्तियों के बीच यह सौदा किया गया है। इससे सरकार ने साफ किया है कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों के लिए किसी तरह के दबाव में आने वाला नहीं है। इन मिसाइलों के जरिए भारतीय वायुसेना के पास हवा में लंबी दूरी तक मार करने की ताकत आ जाएगी। गौरतलब है कि हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने करगिल विजय दिवस के मौके पर कहा था कि हम राष्ट्र की सुरक्षा के मसले पर किसी तरह के अभाव, प्रभाव और दबाव की स्थिति में आने वाले नहीं हैं।इन मिसाइलों को सरकार ने 10-I प्रॉजेक्ट के तहत लेने का फैसला लिया है। इसके तहत यह तय किया गया है कि तीनों सेनाओं के पास जरूरी साजोसामान उपलब्ध रहे। रूस ने इन मिसाइलों को अपने मिग और सुखोई सीरीज के लड़ाकू विमानों में तैनात करने के लिए तैयार किया है। इससे भारत के पास मध्यम से लंबी दूरी तक की रेंज में मार करने की क्षमता होगी।रक्षा मंत्रालय की ओर से आपातकालीन जरूरतों के लिए मंजूरी दिए जाने के बाद बीते 50 दिनों में भारतीय वायुसेना ने अब तक अपने साजोसामान के लिए 7,600 करोड़ रुपये तक की डील्स की हैं। इसी साल 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए आतंकी हमले के बाद से सरकार ने तीनों बलों को किसी भी साजोसामान की खरीद के लिए आपातकालीन शक्तियां दी हैं।


'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन

'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन   मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए स्कूली बच्चों ने निकाला रैली कौशाम्बी। एन डी कान...