शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019

मिस इंडिया का ताज निशा के नाम

नई दिल्ली। निशा तलमपल्ली, जो कर्नाटक के “धुमुसुर” नामक एक छोटे से गाँव से ताल्लुक रखती थीं, उन्होंने मिस इंडिया इंटरनेशनल 2019 का ताज अपने नाम कर लिया। निशा के लिए यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने “इंडिया फैशन फिस्ता” जीता, यह उनके लिए एक कदम था! और मिस इंडिया इंटरनेशनल के लिए उनकी यात्रा वहाँ से शुरू हुई। वह उन भाग्यशाली प्रतियोगियों में से एक थीं जिन्हें 9 हजार उम्मीदवारों में से चुना गया था! जिन्होंने मिस इंडिया इंटरनेशनल के लिए दाखिला लिया था। चयन के बाद उसने सफलतापूर्वक टेलीफोनिक साक्षात्कार को मंजूरी दे दी, जिसे हर्षिता ने लिया और एक घंटे तक जारी रखा। उसने आखिरी सवाल के लिए अपनी प्रतिक्रिया से साक्षात्कारकर्ता को प्रभावित किया, जहां पूछा गया कि क्या उसे चुना जाता है कि वह किस स्थिति में लक्ष्य बना रही होगी, उसने कहा, “मेरे शरीर में रक्त और आत्मविश्वास दोनों समान रूप से मौजूद हैं और बह रहे हैं। मेरी यात्रा मिस इंडिया इंटरनेशनल 2019 के खिताब से कम नहीं होगी। ” फाइनल इंडोनेशिया में आयोजित किया गया था। प्रतियोगी 5 दिनों के लिए इंडोनेशिया के जकार्ता के मेरलिन पार्क में रुके थे। निशा के लिए 5 दिन रहता है कि वह जकार्ता में थी, अन्य प्रतियोगियों से भी मिलने और सीखने का अवसर था। तेज बुखार होने के बावजूद, निशा ने अपना कुल 100 प्रतिशत प्रयास दिया, और उड़ने वाले रंगों के साथ सभी दौरों को साफ कर दिया। जूरी, जो सभी प्रतियोगियों को तेजी से देख रहे थे, अंत में मिस इंडिया इंटरनेशनल के सबसे प्रतिष्ठित खिताब के साथ मिस निशा तलमपल्ली को ताज पहनाया। निशा के लिए वे दिन अविस्मरणीय सुखद यादों की तरह हैं! जिन्हें वह हमेशा के लिए संजोती है। कंपनी के सीईओ मिस गुड्डू रूपानी, और निदेशक रजत सुनेजा ने उन्हें अपनी यात्रा में पूरी तरह से प्रेरित किया। निशा ने आगे कहा, “मिस इंडिया इंटरनेशनल 2019 का ताज लाखों महिलाओं का सपना है। मिस इंडिया इंटरनेशनल के ताज का दावा करने वाली अविश्वसनीय भारतीय महिला का सपना देश द्वारा देखा, सराहा और सराहा जाएगा। यह जीवन भर की मान्यता है। यह प्रसिद्धि और सफलता की दुनिया की यात्रा है! और यह भारत के सुपर मॉडल 2020 के जज पैनल में होने के लिए गर्व का क्षण होगा।


दिनदहाड़े प्रधान पति की हत्या से 'भय'

आदर्श श्रीवास्तव


लखीमपुर खीरी! कोतवाली मोहम्मदी इलाके के ग्राम खजुरिया में आज प्रात: पुरानी रंजिश के चलते प्रधान पति को गोली से मारकर हत्या कर दी , दिन दहाडे इस दुस्साहसिक हत्याकांड के बाद हत्यारोपी आराम से फरार हो गये!


घटना के बाद पुलिस को जैसे ही सूचना मिली आनन-फानन मे नवागंतुक पुलिस छेत्राधिकारी सहित पुलिस का अमला मौके पर पहुंचकर घटना की जाँच करने मे डट गया है!
स्वयं सीओ मोहम्मदी इस घटना को ले कर मृतक के परिजनो व अन्य लोगो से गहन जानकारियां ले कर, हत्यारों की अतिशीध्र गिरफ्तारी को ले कर कटिवद्ध प्रतीत हो रहे हैं!
प्रधान पति की हत्या से ग्रामीण में गुस्सा, प्रधान पति की हत्या के बाद प्रधान समर्थक ग्रामीणो मे भयंकर आक्रोश की जानकारी मिल रही है! जिसे देखने हुये गांव मे पुलिस तैनात करदी गयी है! कल जानी थी प्रधान के लडके की बारात और आज हत्यारो ने कत्ल कर दिया!


जानकारी के अनुसार मोहम्मदी कोतवाली के खजुरिया गांव का है, जहां मौजूदा प्रधान साबीरा के पति मोहम्मद इलियास जो अपने चचेरे भाई समीम के साथ अपने बेटे की शादी के लिए खरीदारी करने के लिए मोहम्मदी आ रहे थे! तभी रास्ता मे बैला तुरसिया गाँव के पास चार पहिया वाहन में पहले से ही घात लगाए बैठे दबंगों ने पहले इलियास की बाइक मे टक्कर मार दी! टक्कर लगने से दोनों वहीं गिर पड़े! मौका देखते ही दबंग हत्यारों ने प्रधान पति व उसके चचेरे भाई पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दी! प्रधान पति को गोली लगते ही मौके पर ही मौत हो गई जबकि चचेरा भाई शमीम गंभीर रूप से घायल हो गया! सूचना पर पहुंची पुलिस ने सबको अपने कब्जे में लेते हुए, पीएम के लिए भिजवा दिया! जबकि घायल को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया है! पुलिस उन दबंगों की तलाश कर रही है! इस घटना के बाद से ग्रामीणो मे भय व्याप्त है!


'न्याय की परिभाषा' (संपादकीय)

हैदराबाद रेप कांड के चारों आरोपियों को पुलिस एनकाउंटर में किया गया ढेर
इसे ईश्वर का न्याय ही कहेंगे जिसने अपना रास्ता खुद ढूंढ लिया


देखा जाए तो इस लोकतंत्र में इंसाफ मिलने की जो गति है वह इतनी ढीली और मंद पढ़ चुकी है कि इस तरह के संवेदनशील मामलों का हल ऊपर वाला ही जल्दी निकाल सकता है। वही देर रात हैदराबाद रेप कांड के आरोपियों के साथ हुआ। जब रेप कांड की शिकार वेटिनारी डॉक्टर के साथ अन्याय करने वाले चारों आरोपियों को पुलिस उस स्थान पर दौराने तफ्तीश लेकर गयी जहां ये जघन्य अपराध उन चारों  की ओर से अंजाम दिया गया था। वहां चारों ने भागने कोशिश की और पुलिस की गिलियों का शिकार हो गए। 
 पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने एक बयान में कहा है कि अक्सर इस तरह के मामलों में लोगों को आरोपियों को ऐसी जगह पर ले जाया जाता है जहां पर वारदात को अंजाम दिया गया हो ताकि माहौल का अंदाजा लगाकर जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों को तफ्तीश में मदद मिले। कुछ ऐसी ही कोशिश के दौरान उन चारों ने भागने का प्रयास किया। जिस पर उन लोगों को गोली मार दी गई। अब ! गोली मार दी गई या उनको वहां ले जाया ही इसलिए गया था कि उनका एनकाउंटर किया जा सके। चाहे जो भी हो !!! दोनों ही सूरत में ईश्वर ने अपने हिस्से का नयाय कर दिखाया है। पूरे देश भर की मानसिक पीड़ा और डॉक्टर के माता पिता की वेदना लगता है ईश्वर के हृदय तक पहुंच पहुंच गयी और वह पुलिसवालों के माध्यम से उस जगह आकर उन के भीतर विराजमान हो गई जिन्होंने इस काम को अंजाम दे डाला।आखिर न्याय ने अपना रास्ता ढूंढ ही लिया।


नए भारत का जन्म होता हुआ दिखाई दे रहा है। जहां पर यदि व्यवस्था का एक हिस्सा अपना काम ढंग से नहीं करता तो दूसरा हिस्सा उस काम को पूरा कर देता है। दूसरे शब्दों में यदि कार्यपालिका अपना काम सही नहीं करती तो न्यायपालिका अपना काम करती है । न्यायपालिका देर करती है तो समाजअपना काम करता है। समाज यदि कोई गलत फैसला लेता है तो सरकार अपना काम करती है। यदि सरकार कुछ गलत काम करती है तो न्यायपालिका अपना काम करती है । फिर हमारे देश में तो अगर कोई भी कहीं से भी काम नहीं करता तो ऊपर वाले की अद्भुत सत्ता सब कुछ अपने हाथ में ले लेती है और अपना काम कर डालती  ।* 
शायद इसी ताने-बाने की वजह से हमारा लोकतंत्र आज तक इतने सालों तक जिंदा है जिसके लिए हम सब बधाई के पात्र हैं।


 दुर्जन-दुर्जन ही रहे, जिन हरा सका न कोय!
 अंतकाल वो ही हुए, जो ईश की इच्छा होय!


नरेश राघानी 'मधुकर'


छिलका साढे तीन (आलोचना)

छिलका साढ़े तीन, 
 
देश मे प्याज का चर्चा आम और प्याज नामचीन हो गया है।
संसद के शीतकालीन-सत्र में प्याज रुला रहा है, गुदगुदा रहा है, ठहाके लगा रहा है। देश की राजनीति का केंद्र प्याज बन गया है।
कुछ-कुछ बात भी ठीक है, प्याज के बिना स्वाद नहीं रहता है। सब्जियों का रंग और स्वभाव ही बदल जाता है। जिन्हें देखकर आंतो में खिंचाव और मुंह में पानी आ जाता है। सब सब्जीयो का स्वाद खलने लगा है। प्याज के बिना "दाल गल" नहीं रह रही है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक प्याज का अकाल पड़ गया है। छोटी-छोटी 'प्याज' इतना रुतबा कायम कर लेगी? घर घर से खाने का स्वाद  कम कर देगी, गली-गली में हंगामा, चौराहे पर भीड़ जमा कर लेगी! भाषणों में प्याज-प्याज चिल्लाकर नेता गला फाड़ रहे हैं! प्याज की माला पहन रहे हैं लोग, कितना दुर्लभ हो गया है प्याज? सरकार को विपक्ष इस बार, बार-बार प्याज कहकर छकाएगा! सरकार बीड़ा भी नहीं उठा सकती, क्योंकि सरकार प्याज खाती नहीं है! देश के लोग 'प्याज उपवास' रखने को तैयार नहीं है! महिलाएं ने प्याज के बिना कई और मसाले भी डालने बंद कर दिए हैं! 'खाओ तो प्याज से, ना खाओ तो प्याज से' आखिर प्याज पर इतना कुछ कब तक चलता रहेगा? देश की जनता को साधारण सी प्याज की आस में कब तक बैठना होगा? बिना प्याज के मुर्गी भी कब तक भूनी जाएगी? बाकी तो सब ठीक है! लेकिन "प्याज बंद" मोदी जी कुछ तो रहम करना चाहिए! गरीब, मजदूर, छोटे किसान के खाने में प्याज का महत्व आप नहीं समझ पाएंगे! रूखी-सूखी रोटियों के निवाले का आहार बनने वाली प्याज ही पेट भर देती है! देश की कुल आबादी में 60% लोगों को प्याज की सख्त जरूरत है! लेकिन व्यापार के दृष्टिकोण से नहीं, अपितु सामान्य खाद्य पदार्थ के रूप में! यह विकास से जुड़ा हुआ कोई मामला नहीं है, जरूरत का मामला है! 
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आपकी शिकायत, समस्या, सुझाव के प्रति समर्पित!



राधेश्याम 'निर्भय-पुत्र'


बाबा साहब की पुण्यतिथि पर किया नमन

बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी को किया नमन लोनी में मनाई गई 63 वी पुण्यतिथि दिनेश गुर्जर जिला अध्यक्ष समाजवादी लोहिया वाहिनी


अश्वनी उपाध्याय


गाजियाबाद। समाजवादी लोहिया वाहिनी कार्यलय लोनी बॉर्डर गुलाब वाटिका पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी के बारे में बताया गया। जिसमें प्रमुख रूप से समाजवादी लोहिया वाहिनी जिला अध्यक्ष श्री दिनेश गुर्जर ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी के ऊपर अपने विचार रखते हुए, अपने साथियों को बताया की डॉ. भीमराव अंबेडकर की आज शुक्रवार को 63वीं पुण्यतिथि है। बाबा साहेब अंबेडकर ने छह दिसंबर 1956 को अंतिम सांस ली थी। आज के दिन 'परिनिर्वाण दिवस' के रूप में मनाया जाता है। अंबेडकर दलित वर्ग को समानता दिलाने के लिए जीवन भर संघर्ष करते रहे।


 बाबा साहब अंबेडकर ने आखिरी समय में बौद्ध धर्म अपनाया
भारतीय संविधान के निर्माता, समाज सुधारक डॉ. भीमराव अंबेडकर की आज शुक्रवार को 63वीं पुण्यतिथि है। बाबा साहेब अंबेडकर ने छह दिसंबर 1956 को अंतिम सांस ली थी। आज के दिन 'परिनिर्वाण दिवस' के रूप में मनाया जाता है। अंबेडकर दलित वर्ग को समानता दिलाने के लिए जीवन भर संघर्ष करते रहे। वे दलित समुदाय के लिए एक ऐसी अलग राजनैतिक पहचान की वकालत करते रहे। देश में डॉ. अंबेडकर की याद में कई कार्यक्रम किए जाते हैं। सपा बसपा से लेकर कांग्रेस, बीजेपी सहित तमाम राजनीतिक दल परिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाते हैं।
डॉ. अंबेडकर ने सामाजिक छुआ-छूत और जातिवाद के खात्‍मे के लिए काफी आंदोलन किए। उन्‍होंने अपना पूरा जीवन गरीबों, दलितों और समाज के पिछड़े वर्गों के उत्‍थान के लिए न्‍योछावर कर दिया। अंबेडकर ने खुद भी उस छुआछूत, भेदभाव और जातिवाद का सामना किया है, जिसने भारतीय समाज को खोखला बना दिया था।
डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के छोटे से गांव महू में हुआ था। उनका परिवार मराठी था और मूल रूप से महाराष्‍ट्र के रत्‍नागिरी जिले के आंबडवे गांव से था। उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था। वे अपने माता-पिता की चौदहवीं संतान थे। बाबा साहब का जन्म महार जाति में हुआ था जिसे लोग अछूत और निचली जाति मानते थे। अपनी जाति के कारण उन्हें सामाजिक दुराव का सामना करना पड़ा। प्रतिभाशाली होने के बावजूद स्कूल में उनको अस्पृश्यता के कारण अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी।
अंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में एक औपचारिक सार्वजनिक समारोह का आयोजन किया. इस समारोह में उन्‍होंने श्रीलंका के महान बौद्ध भिक्षु महत्थवीर चंद्रमणी से पारंपरिक तरीके से त्रिरत्न और पंचशील को अपनाते हुए बौद्ध धर्म को अपना लिया। अंबेडकर को डायबिटीज के मरीज थे. 6 दिसंबर 1956 को दिल्‍ली में उनका निधन हो गया था।
हालांकि डॉ. अंबेडकर दलित वर्ग को समानता दिलाने के जीवन भर संघर्ष करते रहे. उन्‍होंने दलित समुदाय के लिए एक ऐसी अलग राजनैतिक पहचान की वकालत की जिसमें कांग्रेस और ब्रिटिश दोनों का ही कोई दखल ना हो। 1932 में ब्रिटिश सरकार ने अंबेडकर की पृथक निर्वाचिका के प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी, लेकिन इसके विरोध में महात्‍मा गांधी ने आमरण अनशन शुरू कर दिया। इसके बाद अंबेडकर ने अपनी मांग वापस ले ली। बदले में दलित समुदाय को सीटों में आरक्षण और मंदिरों में प्रवेश करने का अध‍िकार देने के साथ ही छुआ-छूत खत्‍म करने की बात मान ली गई थी।
विचार गोष्ठी में प्रमुख रूप से रवि शंकर बाल्मीकि राष्ट्रीय सचिव समाजवादी युवजन, सभा प्रधान, अरविंद बैंसला, हरेंद्र पहलवान, रविंदर यादव, महानगर अध्यक्ष, मुलायम सिंह, यूथ बिग्रेड, राहुल पंडित, राहुल भाटी, रिंकू पहलवान, अशोक प्रधान, पम्मी गुर्जर, सचिन त्यागी, अशोक पंडित, प्रदीप जाटव, सुनील यादव, शेखर प्रजापति, मुकेश जाटव, पूर्व नगर अध्यक्ष, बहुजन समाज पार्टी, कमल किशोर, बाल्मीकि मोमिन खान, प्रिंस यादव, सुनील जोगी, डॉक्टर बाबू राम लोहार, प्रमोद डबास, मनोज नागर, प्रधान उमेश नागर, इत्यादि लोग शामिल रहे।


मुस्लिम पक्ष य़ौमे गम का आयोजन करेगा

अयोध्या! अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने की घटना को हिंदू और मुस्लिम पक्ष अपने-अपने तरीके से याद करते हैं। हिंदू इसे शौर्य दिवस के रूप में तो मुस्लिम इसे काला दिवस के रूप में मनाते हैं। सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या विवाद पर फैसला आने के बाद संतों के आह्वान पर विहिप इस बार शौर्य दिवस नहीं मनाने की घोषण कर चुका है। लेकिन मुस्लिम पक्ष यौमे गम मनाएगा। हालांकि, वे सार्वजनिक आयोजन न करके मस्जिद में ही बैठक करेंगे।विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कि संतों के निर्देश और आदेश के अनुसार, हम इस बार खुशी और गम का कोई इजहार नहीं करेंगे।


उन्होंने कहा, "जब सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दे दिया है तो इसे मनाने का सवाल ही नहीं उठता है। हम लोग संवैधानिक दायरे में बंधे हैं। हम लोग अनुशासनहीनता नहीं चाहते। इसलिए कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं होगा।"


यौमे गम मनाए जाने के सवाल है शरद शर्मा ने कहा कि कुछ मुठ्ठी भर लोग माहौल को खराब करना चाहते हैं। उनके मनाने न मनाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब का कहना है कि "यौमे गम पर पहले हम लोग घर पर आयोजन करते थे। इस बार हम लोग मस्जिद में एकत्र होंगे। शहीदों को श्रद्घांजलि देंगे। टेढ़ी बजार के मस्जिद पर अयोजन होगा। इसमें गोंडा समेत अन्य जिले के लोग एकत्रित होंगे।


"मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने इस तरह के रस्मी आयोजनों से स्वयं को अलग कर लिया है। उनका कहना है कि "अब हमें आगे की बात सोचनी चाहिए। हमने न कभी यौमे गम मनाया है, न ही मनाएंगे।" अयोध्या के कटरा मोहल्ला के रहने वाले मोहम्मद इरफान अंसारी कहते हैं कि "कोर्ट के फैसले के बाद हमें अब खुशी और गम से कोई लेना देना नहीं है। अयोध्या का विकास हो और अब देश में विकास की बात हो, जिससे अयोध्या आगे बढ़े, अब यहां सौहार्द्र कायम रहे।


"उन्होंने कहा कि 1992 की घटना में जो लोग शामिल थे, उन पर शीघ्र सुनवाई हो और जल्द सजा हो, बस इतना ही चाहता हूं। छह दिसंबर को लेकर शहर से लेकर गांवों तक पुलिस ने आरएएफ और पीएसी के जवानों के साथ रूट मार्च कर शांति की अपील की। संवेदनशील क्षेत्रों में खासा सतर्कता बरती जा रही है। गलियों से चौराहों तक पुलिस की तैनाती कर दी गई है।


वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आशीष तिवारी ने बताया कि अयोध्या की सुरक्षा व्यवस्था में पांच अपर पुलिस अधीक्षक, 10 क्षेत्राधिकारी, 35 इंस्पेक्टर, 140 सब इंस्पेक्टर और 350 सिविल पुलिस, 100 महिला पुलिस, 39 कंपनी पीएसी व एटीएस कमांडो को तैनात किया गया है। एसएसपी का कहना है कि यौमे गम और शौर्य दिवस के कार्यक्रम को लेकर दोनों पक्षों से वार्ता की गई है और दोनों पक्षों ने सहयोग की बात कही है।


नागरिकता विधेयक से विपक्ष में हलचल

विपक्ष के कड़े विरोध के बावजूद सरकार विवादास्पद


नई दिल्ली! नागरिकता (संशोधन) विधेयक नौ दिसंबर को लोकसभा में पेश करने की तैयारी में है। अगले दिन इस पर चर्चा होगी। उधर, कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने संसद में इसका कड़ा विरोध करने का ऐलान किया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार (4 दिसंबर) को इस विधेयक को अपनी मंजूरी दी थी।


भाजपा को बीजद-टीआरएस से आस
केंद्र बीजद व टीआरएस जैसे क्षेत्रीय दलों के समर्थन से इस बिल के राज्यसभा में पारित होने के प्रति भी आश्वस्त है। इन पार्टियों ने अतीत में सत्तारूढ़ दल का संसद में साथ दिया है। हालांकि, कांग्रेस और तृणमूल जैसे दलों ने बिल का विरोध करते हुए दावा किया, नागरिकता धर्म के आधार पर नहीं दी जा सकती। सूत्रों ने बताया केंद्र ने गुरुवार को कार्यमंत्रणा समिति में विभिन्न दलों के नेताओं को सूचित किया कि वह मंगलवार को निचले सदन में इस बिल को चर्चा के लिए लाएगी।
राहुल बोले, भेदभाव के खिलाफ है पार्टी
बिल को भेदभाव करार देने वाली कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया कि वह संसद में इसका विरोध करेगी।  कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, उनकी पार्टी नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करेगी।  उन्होंने कहा, कोई भी व्यक्ति किसी भारतीय के खिलाफ भेदभाव करे, तो हम उसके खिलाफ हैं…यह हमारा रुख है।



 
विधेयक विभाजनकारी : मायावती
बसपा प्रमुख मायावती ने इस विधयेक को विभाजनकारी करार दिया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा काफी जल्दबाजी में लाया गया नागरिकता संशोधन विधेयक पूरी तरह विभाजनकारी और असंवैधानिक है। धर्म के आधार पर नागरिकता देना तथा इस आधार पर नागरिकों में भेदभाव पैदा करना डॉ. भीमराव आंबेडकर के मानवतावादी एवं धर्मनिरपेक्ष संविधान की मंशा और बुनियादी ढांचे के बिल्कुल खिलाफ उठाया गया कदम है।
शिवसेना पर टिकी नजरें
लंबे समय तक भाजपा की सहयोगी पार्टी रही शिवसेना अब विपक्षी खेमे में है। विधेयक पर शिवसेना के रुख पर भी नजरें टिकी होंगी क्योंकि यह इस विधेयक की पुरजोर समर्थक रही है लेकिन अब उसने कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिला लिया है।
माकपा ने कहा, धर्मनिरपेक्ष स्वरूप बदलेगा
भाकपा ने कहा कि धार्मिक आधार पर नागरिकता देने से जुड़े इस विधेयक को सरकार संसद के मौजूदा सत्र में पेश करना चाहती है, यह सही नहीं है।  नागरिकता कानून में प्रस्तावित बदलाव संविधान निर्माताओं द्वारा प्रदत्त भारतीय नागरिकता के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को पूरी तरह से बदल कर भाजपा आरएसएस द्वारा तैयार किए गए बहुसंख्यकवादी डिजाइन में तब्दील कर देगा।


इंडोनेशिया में 6.0 तीव्रता का भूकंप, झटके

इंडोनेशिया में 6.0 तीव्रता का भूकंप, झटके  अखिलेश पांडेय  जकार्ता। इंडोनेशिया के पूर्वी प्रांत मालुकु में सोमवार के तेज झटके महसूस किए गए। इ...