गुरुवार, 28 नवंबर 2019

ई-पेपर्स,डिजिटल न्यूज़ एमआईबी के अधीन होंगे

नई दिल्ली। सरकार ने ई-पेपर्स और डिजिटल न्यूज को रेगुलराइज करने की कवायद शुरू कर दी है। इस कवायद के तहत आने वाले समय में ये प्लेटफॉर्म सूचना प्रसारण मंत्रालय (MIB) के अधीन काम करेंगे। इसके लिए सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा ब्रिटिश शासनकाल के 'प्रेस और रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स' (PRB) अधिनियम 1867 की जगह नए 'प्रेस एवं पत्रिका पंजीकरण विधेयक, 2019' (Registration of Press and Periodicals Bill 2019) का विधेयक प्रस्तावित किया है।


इस प्रस्तावित विधेयक की प्रमुख बात यह है कि डिजिटल न्यूज को भी सूचना प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाए जाने की योजना है। इसके तहत न्यूज वेबसाइट्स के लिए भी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। इस प्रस्तावित विधेयक में ई-पेपर्स के रजिस्ट्रेशन के लिए काफी सरल सिस्टम तैयार करने की बात भी शामिल है। बता दें कि वर्तमान में डिजिटल मीडिया देश की किसी भी संस्था के अंतर्गत पंजीकृत नहीं है।


बुक्स के रजिस्ट्रेशन के साथ ही इससे जुड़े मामलों के वर्तमान नियमों को हटाने का प्रस्ताव भी इस विधेयक में शामिल किया गया है। इस विधेयक के मसौदे में पब्लिशर्स/प्रिंटर्स द्वारा जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष घोषणा करने एवं इसके प्रमाणीकरण की वर्तमान प्रक्रिया को हटाने का प्रस्ताव भी रखा गया है।


प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, अखबारों और पत्रिकाओं के टाइटल अथवा रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया प्रेस रजिस्ट्रार ऑफ जनरल के माध्यम से करनी होगी। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि इस बदलाव से केंद्र और राज्य सरकारें अखबारों में सरकारी विज्ञापन देने, अखबारों को मान्यता देने और उन्हें मिलने वाली इस तरह की सुविधाओं से संबंधित आवश्यक नियम-कानून तय करने में सक्षम हो सकेंगी। बताया जाता है कि मंत्रालय ने यह प्रस्तावित विधेयक जारी कर इस पर एक महीने के अंदर संबंधित पक्षों से प्रतिक्रियाएं मांगी हैं।


पार्टी को मजबूत करने में जुटी प्रियंका

नई दिल्ली। महानगर और जिलाध्यक्ष के तौर पर खुद को दावेदार समझने वाले नेताओं को प्रियंका ने दिल्ली बुलाया और करीब 10-10 मिनट की मुलाकात की। इस मुलाकात में उन्होंने दावेदारों से कुछ सवाल भी पूछे। जैसे कि अगर आप महानगर अध्यक्ष बने तो संगठन को कैसे मजबूत करेंगे ? या फिर आपके अतिरिक्त कौन सा व्यक्ति इस पद के लिए उपयुक्त रहेगा ?


ग्राउंड लेवल पर मौजूद प्रियंका की टीम ने करीब हजार कांग्रेसी नेताओं से मुलाकात कर एक रिपोर्ट तैयार की है। आपको बता दें कि अक्टूबर में यूपी के 51 जिलों और महानगर के अध्यक्ष घोषित किए गए थे लेकिन इनमें गाजियाबाद के सभी पद खाली थे। इसी को लेकर प्रियंका ने नेताओं से मुलाकात की।


खड़े ट्रक से टकराई कार, तीन की मौत

खड़े ट्रक से टकराई कार, हादसे में तीन लोगो की दर्दनाक मौत


सतना। शहर में कारगिल ढाबे के आगे और अग्रवाल मोटर्स के सामने एक तेज रफ्तार कार सड़क पर खड़े ट्रक के पीछे टकरा गई। हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई और दो लोगों के घायल होने की खबर है। घायलों को सतना जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। घटना देर रात करीब 3 बजे की बताई जा रही है। यह लोग भी एक शादी समारोह से देर रात लौट रहे थे। मृतकों के नाम कार ड्राइवर वली उल्लाह, जुग्गन हाजी और कदीर खान है। कदीर खान को घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। सभी रीवा जिले के घोघर के रहने वाले थे। जो नागौद से वापस रीवा जा रहे थे घटना की सूचना मिलने के बाद घोघर में उनके घर में मातम छा गया है।


बताया जा रहा है कि कार बहुत तेज रफ्तार में थी, जब तक कार ड्राइवर को समझ आया कि ट्रक सामने खड़ा हुआ है तब तक बहुत देर हो चुकी थी और कार उसके पिछले हिस्से से जा टकराई। देर रात तेज आवाज सुनकर आस-पास के घरों में सो रहे लोग घबरा गए, उन्होंने बाहर निकलकर देखा तो कार ट्रक के पीछे से टकराई हुई थी। रास्ते से गुजर रहे लोग भी वहां रुक गए। उन्होंने पुलिस और एंबुलेंस को इसकी सूचना दी, जिसके बाद घायलों को जिला अस्पताल पहुंचाया गया। मौके पर ही ड्राइवर और एक अन्य की मौत हो गई, जबकि एक व्यक्ति की अस्पताल में उपचार के दौरान जान चली गई।


पत्रकार पति ने पत्रकार पत्नी की हत्या की

पत्रकार पति ने पत्रकार पत्नी की हत्या की, वजह चौकाने वाला


पाकिस्तान की 27 वर्षीय एक महिला पत्रकार की हत्या नौकरी नहीं छोड़ने की वजह से उसके पति ने कथित तौर पर कर दी। पति खुद भी पत्रकार है।


लाहौर। पाकिस्तान की 27 वर्षीय एक महिला पत्रकार की हत्या नौकरी नहीं छोड़ने की वजह से उसके पति ने कथित तौर पर कर दी। पति खुद भी पत्रकार है। प्राथमिकी के अनुसार दंपति की शादी सात महीने पहले ही हुई थी लेकिन इसके बाद संबंध खराब हो गए। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी दोस्त मोहम्मद ने बताया कि उरूज इकबाल उर्दू समाचार पत्र में काम करती थीं और सोमवार को जब वह किला गुज्जर सिंह स्थिति अपने कार्यालय में प्रवेश कर रही थीं तभी उनके पति दिलावर अली ने उन्हें सिर में गोली मार दी।


इसके बाद इकबाल को अस्पताल भी ले जाया गया लेकिन वह नहीं बच पाईं। मोहम्मद ने बताया कि उन्होंने पीड़ित के भाई यासिर इकबाल की शिकायत पर पति के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। अली दूसरे उर्दू समाचार पत्र में काम करता है। प्राथमिकी में पीड़ित के भाई ने कहा है कि उनकी बहन का प्रेम विवाह हुआ था लेकिन शादी के शीघ्र बाद ही कई बातों को लेकर पारिवारिक कलह शुरू हो गया। यह कलह अली द्वारा बारबार अपनी पत्नी से नौकरी छोड़ने की मांग को लेकर भी हो रहा था।


एम्स की फीस बढ़ने की आहट, विरोध शुरू

नई दिल्ली। देश भर के एम्स में स्वास्थ्य मंत्रालय इलाज की दरें और छात्रों की पढ़ाई की फीस बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों में स्थित एम्स प्रशासन से मौजूदा फीस स्ट्रक्चर और ट्रीटमेंट फीस की जानकारी मंगवाई है। फीस बढ़ने की आहट मिलते ही छात्रों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। एम्स स्टूडेंट्स एसोसिएशन (भोपाल) ने प्रधानमंत्री, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री सहित स्वास्थ्य मंत्रालय के आला अधिकारियों से फीस न बढ़ाने की अपील की है।


अभी एम्स की फीस बढ़ी नहीं लेकिन छात्र उससे पहले ही लामबंद हो गए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मरीज़ों के इलाज और छात्रों की फीस बढ़ाने का अभी सिर्फ प्रस्ताव तैयार किया है। देशभर में स्थित एम्स प्रशासन से फीस का मौजूदा स्ट्रक्चर मंगवाया गया है। इसकी भनक लगते ही भोपाल एम्स स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।


सरकार करे विचार


एम्स स्टूडेंट्स एसोसिएशन (भोपाल) के प्रसिडेंट ए. श्रीनिधि ने कहा, 'एम्स भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में इलाज के मामले में विश्वसनीय संस्थान है। सस्ता और सुलभ इलाज के कारण गरीब वर्ग के मरीजों को जीवनदान मिलता है। इलाज का खर्चा बढ़ाने से मरीज़ों के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी। इलाज और पढ़ाई की फीस बढ़ाने से पहले सरकार को फिर से विचार करना चाहिए'


खर्च का बोझ


एसोसिएशन के महासचिव सत्यम मिश्रा का कहना है कि विपरीत परिस्थितियों में पढ़ाई कर अपनी काबिलियत के दम पर एम्स में एडमिशन लेने वाले छात्रों की फीस बढ़ाने से उनके परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा। एम्स में काबिल डॉक्टर तैयार होते हैं, इसलिए उन पर खर्च का बोझ नहीं डाला जाना चाहिए।
90 फीसदी तक बढ़ोतरी का विचार


मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार 90 फीसदी तक फीस बढ़ाने की तैयारी कर रही है. एम्स स्टूडेंट्स एसोसिएशन (भोपाल) ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार इस फैसले को लागू करती है तो पूरे देश के एम्स स्टूडेंट्स सड़कों पर उतरकर फैसले का विरोध करेंगे।


तकनीकी हॉल्ट के वक्त लाउंज में ही आराम

आदेश शर्मा


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्रा के दौरान फ्लाइट के बीच में रुकने पर (तकनीकी हॉल्ट) होटल बुक नहीं कराया जाता है, बल्कि वे एयरपोर्ट लाउंज में ही आराम कर लेते हैं। इससे पहले प्रोटोकॉल के अनुसार तकनीकी हॉल्ट के दौरान प्रधानमंत्री के रुकने के लिए होटल बुक होता था। पीएम मोदी अपनी लंबी विदेश यात्रा के दौरान अन्य गणमान्यों के लिए कड़े मानदंड को स्थापित कर रहे हैं। इसकी जानकारी खुद गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में चर्चा के दौरान दी।


स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा कि पीएम मोदी ने आज तक किसी भी देश में तकनीकी हॉल्ट के दौरान अपने लिए होटल बुक कराने के निर्देश नहीं दिए। वे एयरपोर्ट पर ही रुकते हैं, वहां नहाते हैं और विमान में ईधन भरने के बाद निकल जाते हैं। शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री ने अपने साथ विदेश दौरे पर जाने वाले स्टाफ को भी 20 फीसदी तक कम किया है। इसके अलावा प्रधानमंत्री के स्टाफ के लिए पहले अलग वाहनों का इंतजाम किया जाता था, लेकिन पीएम मोदी ने इसमें बदलाव कराया है। 


क्या होता है तकनीकी हॉल्ट
लंबी दूरी की हवाई यात्रा के दौरान जब विमान ईधन भरवाने या तकनीकी जांच के लिए कहीं रुकता है तब उसे तकनीकी हॉल्ट का नाम दिया जाता है।


10 लाख करोड़ के पार रिलायंस इंडस्ट्रीज

नई दिल्ली। मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने नया मुकाम हासिल किया है। गुरुवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज का बाजार पूंजीकरण 10 लाख करोड़ के पार चला गया है। ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाली यह भारत की पहली कंपनी बन गई है। पिछले हफ्ते कंपनी का बाजार पूंजीकरण 9.50 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर चला गया था। 


आरआईएल के शेयर में आया उछाल
गुरुवार सुबह करीब 10:35 बजे रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर 1575.66 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। इसमें 5.80 अंक यानी 0.37 फीसदी की बढ़त आई। पिछले कारोबारी दिन रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर 1,569.85 के स्तर पर बंद हुआ था। जबकि शुरुआती कारोबार में यह 1,572.65 के स्तर पर खुला था। 


दूसरे स्थान पर टीसीएस 
रिलायंस इंडस्ट्रीज के बाद टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज का शेयर सबसे अधिक है। टीसीएस की बाजार हैसियत 7.81 लाख करोड़ है।


एक ही पेड़ पर, 40 तरह के फल

न्यूयॉर्क। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि एक पेड़ पर एक ही तरह का फल लग सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है। दुनिया में एक जगह ऐसी भी है, जहां एक ही पेड़ पर 40 तरह के फल लगते हैं।


इसपर यकीन करना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन यह बिल्कुल हकीकत है। हम सभी बचपन से यही देखते और मानते आए हैं कि एक पेड़ पर एक ही कि एक पेड़ पर एक ही किस्म के फल लगते हैं।अमेरिका में एक विजुअल आर्टस के प्रोफेसर ने एक ऐसा ही अद्भुत पौधा तैयार किया है, जिसपर 40 प्रकार के फल लगते हैं। यह अनोखा पौधा ट्री ऑफ 40 नाम से मशहूर है। इसमें बेर, सतालू, खुबानी, चेरी और नेक्टराइन जैसे कई फल लगते हैं। इस अनोखे पेड़ की कीमत आपके होश उड़ाने के लिए काफी है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ट्री ऑफ 40 की कीमत करीब 19 लाख रुपये है।


अमेरिका की सेराक्यूज यूनिवर्सिटी में विजुअल आर्ट्स के प्रोफेसर सैम वॉन ऐकेन इस अनोखे पेड़ के जनक हैं। इस पेड़ को विकसित करने के लिए उन्होंने विज्ञान का सहारा लिया है। उन्होंने इस काम की शुरुआत साल 2008 में की थी, जब उन्होंने न्यूयॉर्क राज्य कृषि प्रयोग में एक बगीचे को देखा, जिसमें 200 तरह के बेर और खुबानी के पौधे थे।


दरअसल, वो बगीचा फंड की कमी से बंद होने वाला था, जिसमें कई प्राचीन और दुर्गम पौधों की प्रजातियां भी थीं। चूंकि प्रोफेसर वॉन का जन्म खेती से संबंधित परिवार में हुआ था, इसलिए उनकी दिलचस्पी भी खेती-बाड़ी में खूब थी। उन्होंने इस बगीचे को लीज पर ले लिया और ग्राफ्टिंग तकनीक की मदद से उन्होंने ट्री ऑफ 40 जैसे अद्भुत पेड़ को उगाने में सफलता हासिल की।


डैंड्रफ आएगा ही नहीं,अपनाएं टिप्स

सर्दियों में बालों में रूसी या डैंड्रफ की समस्या होना बहुत ही कॉमन है। पूरे विंटर सीजन में ज्यादातर लोग कभी ना कभी इस समस्या को जरूर फेस करते हैं। लेकिन आप इस समस्या से बचे रह सकते हैं, अगर थोड़ी-सी सावधानी बरत लें…
जल्द मिलेगा रूसी से छुटकारा
अगर आप रूसी की समस्या से तुरंत आराम चाहते हैं तो दही में अंडे की सफेदी और शहद मिलाकर बालों में लगाएं। फिर 30 मिनट बाद धो लें। आपको एक वॉश में फर्क नजर आएगा। सप्ताह में एक बार ही इस तरीके को अपनाकर आप पूरी सर्दियों खूबसूरत बाल पा सकते हैं। 
यह आपको पता है, बस इस तरह करना है 
हम सभी जानते हैं कि सिर में ऑइल से मसाज करना बालों और ब्रेन दोनों के लिए अच्छा होता है। क्योंकि स्कैल्प में हेयर मसाज के बाद ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और बालों की ग्रोथ अच्छी होती है। वहीं, ब्रेन रिलैक्स होता है। सर्दियों में सरसों ऑइल को हल्का गर्म करके इससे मसाज करनी चाहिए। आप चाहें तो नारियल का तेल भी यूज कर सकते हैं।
नींबू और शहद को मिक्स करके बालों में लगाने से बालों में रूसी की समस्या खत्म होती है। नींबू में साइट्रिक अम्ल होता है, जो किसी भी तरह के फंगस को पनपने नहीं देता और शहद सिर की त्वचा में नमी बनाए रखता है। इनका मिश्रण आप सप्ताह में 2 से 3 बार बालों में 25 मिनट लगाकर शैंपू कर लें। रूसी की समस्या नहीं होगी। साथ ही आपके बाल शाइनी और स्मूद बनेंगे। 
रूखे बालों में रूसी की समस्या 
अगर आपके बाल काफी रूखे या हार्ड हैं तो सर्दियों में डैंड्रफ से बचने के लिए आप ऑलिव ऑइल यानी जैतून के तेल से बालों में मसाज कर सकते हैं। इससे बाल चिपचिपे भी नहीं होते हैं और डैंड्रफ भी होता है। आप इसे शहद के साथ मिक्स करके हेयर मास्क बनाकर भी यूज कर सकते हैं। यह मास्क लगाने के 30 मिनट बाद शैंपू कर लें। सप्ताह में दो बार ऐसा करने पर डैंड्रफ साफ हो जाएगा।


आंवले के अनेक फायदे

जब बात वेट लॉस यानी वजन घटाने की आती है तो एक्सर्साइज के साथ-साथ सही खानपान भी जरूरी है। वैसे तो वेट लॉस के लिए आपको मेहनत करनी ही पड़ती है और कोई भी चीज शरीर पर जादू जैसा असर नहीं करती। लेकिन कुछ फूड आइटम्स ऐसे जरूर हैं जिन्हें अगर आप अपनी डायट में शामिल कर लें तो आपका वेट लॉस मिशन आसान जरूर बन जाएगा। उन्हीं फूड प्रॉडक्ट्स में से एक है आंवला।
मैजिकल इन्ग्रीडिएंट है आंवला
विटमिन सी, ऐंटीऑक्सिडेंट्स, पॉलिफेनॉल्स से भरपूर आंवला शरीर में मौजूद हानिकारक टॉक्सिन्स को निकालने में मदद करता है। वेट लॉस और फैट बर्न करने के लिए या तो आपको कम कैलरी का सेवन करना चाहिए या फिर जितनी कैलरी का आप सेवन कर रहे हैं उससे ज्यादा कैलरीज को बर्न करना चाहिए। आवंला इस मामले में एक जादूई इन्ग्रीडिएएंट है जिसमें कैलरी बेहद कम होती और यह वेट लॉस में मदद करता है।
मेटाबॉलिज्म को मजबूत बनाता है आंवला
फैट से लडऩे के मामले में सुपरफूड माना जाता है आंवला क्योंकि इसमें मौजूद विटमिन सी आपकी इम्यूनिटी को स्ट्रॉन्ग बनाता है। शरीर से टॉक्सिन्स निकालकर मेटाबॉलिज्म को मजबूत बनाता है ताकि फैट बर्निंग का प्रोसेस तेज हो सके।
फैट दूर करने में मददगार
आंवला में हाइपोलिपिडैमिक प्रॉपर्टीज पायी जाती है जिससे फैटी लिवर और कलेस्ट्रॉल के लक्षणों से लडऩे में मदद मिलती है और साथ ही मोटापा भी कम होता है। इन सभी खूबियों की वजह से आंवला एक्स्ट्रा फैट को शरीर से दूर करने में असरदार साबित होता है।
फाइबर से भरपूर आंवला
आंवला फाइबर का भी बेहतरीन सोर्स है जिस वजह से यह शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने, पाचन को बेहतर बनाने, गट यानी आंत के बेहतर फंक्शन करने और कब्ज को दूर करने में भी मदद करता है। ये सारी चीजें जब सही तरीके से काम करेंगी तो आपका वजन तेजी से घटने लगेगा।
खाली पेट पिएं आंवले का जूस
चूंकि कच्चा आंवला खाने में खट्टा होने के साथ-साथ टेस्ट में थोड़ा कसैला भी होता है इसलिए सभी लोग इसे पसंद से नहीं खाते। लिहाजा आंवले का जूस पीना फायदेमंद हो सकता है। वेट लॉस करना है तो हर दिन 2-3 चम्मच आंवले का जूस या आंवले के पाउडर को गर्म या गुनगुने पानी में मिलाकर हर दिन सुबह खाली पेट पिएं। ऐसा करने से आपका शरीर डिटॉक्स होगा।
सिर्फ वेट लॉस ही नहीं कई और फायदे भी


-आंवले में ऐंटिऑक्सिडेंट्स अच्छी मात्रा में होता है, जो कार्सिनोजेनिक कोशिकाओं को बढऩे से रोकते हैं और कैंसर से बचाव करता है।
आंवले का कसैला स्वाद पाचन ठीक रखने वाले इन्जाइम्स को सक्रिय रखता है और ऐसिडिटी से बचाता है।
आंवला में मौजूद ऐंटीऑक्सिडेंट्स रेटिना को ऑक्सिडाइज होने से बचाता है। इसके नियमित सेवन से मोतियाबिंद व रतौंधी जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है।
आंवला दिमाग की कोशिकाओं को नष्ट होने से बचाता है और इसमें मौजूद नियोपाइनफ्राइन नामक तत्व मूड से जुड़ी क्रियाओं को नियंत्रित रखता है।


सत्ता-कुर्सी के लिए राजनीति -आलोचना

देश हो या दुनिया जहां कहीं भी राजनीति का रंग जब-जब बदला है। इसने हमारे समाज को दो हिस्सों में बांट दिया है। भारत के इतिहास में ऐसी कई बातें आज भी जिंदा हैं, जो हिंदुस्तान के आने वाले नस्लों को पुकार-पुकार कर यह बताती रहेगी कि राजनीति का रंग कैसा होता है और राजनीति में नकारात्मकता का क्या असर होता है। समाज में राजनीति,सियासत का बहुत अहम रोल होता है। बग़ैर राजनीति के हम समाज की कल्पना बिल्कुल नहीं कर सकते हैं, लेकिन जब राजनीति में जहर भर जाता है तो फिर समाज को बंटने से कोई नहीं रोक सकता है।
आज के दौर में राजनीति का मतलब सत्ता और कुर्सी हो गया है। राजनीति का यही एक मकसद रह गया है कि कैसे कुर्सी हासिल की जाए और कुर्सी हासिल करने के बाद भ्रष्टाचार रोकने के बजाय राजनीति खुद भ्रष्टाचार का शिकार हो जाती है। राजनीति में ज़मीर का सौदा करके लाभ उठाना आम बात हो गई है। महाराष्ट्र की मिसाल सबके सामने है। अब सत्ता का रास्ता कैसे तय किया जाए ये नेता अपने हिसाब से तय करते हैं। ऐसे में उन मूल्यों को खत्म किया जा चुका है जिससे इंसानियत की पहचान होती है। मानवाधिकार का उल्लंघन बहुत साधारण बात हो गई है।  लेकिन राजनीति के आगे सब बेबस हो जाते हैं। पुलिस की कार्रवाई हो, सामाजिक कार्यकर्ता के खिलाफ एक्शन हो या फिर पत्रकारिता हो हर जगह राजनीति अपना काम करती रहती है।
हर देश में राजनीति का आधार समाज है। अगर समाज के लोग चाह ले तो सत्ता एक पल में बदल सकती है लेकिन राजनीति का यही वह बुरा पहलू है जहां हम खुद बंट जाते हैं। समाज जिसको बनाता है वही नेता समाज को बांट कर उसकी एकता और अखंडता को समाप्त कर देते हैं। फिर धर्म, जाति और वर्ग के नाम पर नफरत फैला कर सत्ता का सुख उठाते हैं। यह मानवाधिकार का हनन नहीं तो क्या है!
आज के दौर की राजनीति अब तक की राजनीति से सबसे ज्यादा खतरनाक और विषैली है। आज के दौर की राजनीति इस कदर गूंगी और बहरी हो गई है कि उसका कोई अपना महत्व और पहचान नहीं रह गयी है। सियासत के महारथी जाति और वर्ग के नाम पर सत्ता तय कर रहे है।मानव मूल्यों की कीमत ख़त्म हो चुकी है। संविधान के मूल्यों एवं महत्व के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
ऐसी परिस्थितियों में जनता को जागरूक रहने की जरूरत है क्योंकि अगर देश खुशहाल रहेगा तो जनता खुशहाल रहेगी । यदि देश में समस्या पैदा होगी तो उसका शिकार जनता होगी।


सैय्यद एम. अली तक़वी


दाल बनाना नहीं आता,मंत्री बने, गिरा ग्राफ

दाल तक बनाना नहीं आता, उन्हें मंत्री बनाते देते हैं, CMO में लगा देते हैं, जाने क्यू गिरने लगा BJP का ग्राफ


कुमार अग्रवाल


नई दिल्ली! महाराष्ट्र से भी भगवा दूर हो गया। आज से ठाकरे राज का आगाज होने जा रहा है। राज्य में आज शाम शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार का गठन हो जाएगा। भाजपा इस सरकार को शायद ही पचा सके क्यू कि शिवसेना और भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था लेकिन शिवसेना की जिद के सामने भाजपा की दाल नहीं गली। सरकार बनी भी तो तीन दिन में गिर गई। अजीत पंवार भी उद्धव ठाकरे जैसे ही निकले।


इस समय भाजपा के पास उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, एनडीए का साल 2017 में 72 फीसदी आबादी पर शासन था। मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सत्ता उसके हाथ से जाने पर वह 41 फीसदी आबादी तक सीमित होकर रह गया है। अब महाराष्ट्र भी भाजपा के हाथ से चला गया। भाजपा तमिलनाडु में सरकार के साथ है, लेकिन विधायक एक भी नहीं है। हरियाणा में महाराष्ट्र के साथ ही चुनाव हुए लेकिन यहाँ भाजपा ने जजपा से मिल साकार बना ली।


हालांकि, मिजोरम और सिक्किम जैसे छोटे राज्य एनडीए के खाते में आए हैं। इस तरह से अब 17 राज्यों में एनडीए सरकार है। इनमें से 13 राज्यों में भाजपा और चार राज्यों में सहयोगी दलों के मुख्यमंत्री हैं।


महाराष्ट्र खोने से भाजपा काफी कुछ खो बैठी है क्यू कि देश के 40 फीसदी से ज्यादा कॉर्पोरेट ऑफिस महाराष्ट्र में ही हैं। चुनावी चंदे में इनका बड़ा योगदान है। उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा 48 लोकसभा सीटें महाराष्ट्र में हैं। यही वजह है कि एनडीए के लिए महाराष्ट्र काफी अहम है। अब भाजपा की निगाहें दिल्ली और झारखंड चुनावों पर हैं।
आखिर क्या हुआ ऐसा जो पार्टी का ग्राफ इतना गिरता जा रहा है। भाजपा की स्थानीय सरकारों को जनता नहीं पसंद कर रही है। कुछ न कुछ कमियां तो जरूर हैं। सूत्रों की मानें तो जहां भाजपा की सरकारें हैं वहाँ सीएमओ में कम तजुर्बेकार नेताओं और अधिकारियों को ज्यादा जगह मिल रही है। सिफारिश लगाकर नेता और अधिकारी सीएमओ में पहुँच रहे हैं। जिसने कभी ग्राम सभा या निगम का भी चुनाव नहीं जीता ऐसे लोगों को सीएमओ में लगाया गया है।


हैदराबाद ने जीता टॉस, बल्लेबाजी का फैसला किया

हैदराबाद ने जीता टॉस, बल्लेबाजी का फैसला किया  इकबाल अंसारी  हैदराबाद। इंड‍ियन प्रीम‍ियर लीग (IPL) 2024 सीजन में सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) और...