नई दिल्ली! दिल्ली-एनसीआर में फैले वायु प्रदूषण पर भाजपा नेता विनीत अग्रवाल शारदा का बयान आया है। उन्होंने कहा है कि इसके पीछे पाकिस्तान और चीन का हाथ हो सकता है। विनीत अग्रवाल का कहना है कि खेतों में जल रही पराली से वायु प्रदूषण पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
भाजपा नेता विनीत अग्रवाल शारदा ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि ये जो जहरीली हवा आ रही है, जहरीली गैस आई है, हो सकता है कि बगल के मुल्क ने छोड़ दी हो, जो हमसे घबराए हुए हैं। मुझे लगता पाकिस्तान या चीन हमसे घबराए हुए हैं। इस दौरान उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल कह रहे हैं कि पराली जलाने से नुकसान हो रहा है, उद्योगों से नुकसान हो रहा है। किसान और व्यापारी को इतना प्रभावित मत कीजिए, दोनों देश की रीढ़ हैं, इनके टूटने से देश चल नहीं पाएगा।
गुरुवार, 7 नवंबर 2019
चीन-पाकिस्तान ने छोड़ी हो जहरीली गैस
व्यापारिक निर्णय विवेक से लें: कुंभ
राशिफल
मेष-बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। कारोबारी कामकाज मनोनुकूल लाभ देंगे। नौकरी में सुख-शांति बनी रहेगी। शारीरिक कष्ट संभव है। अनहोनी की आशंका रहेगी। आराम के साधन व समय पर्याप्त प्राप्त होंगे। सेहत का विशेष ध्यान रखें।
वृष-नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। सामाजिक कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी। मान-सम्मान मिलेगा। नए कारोबारी अनुबंध हो सकते हैं। पुराना रोग उभर सकता है। दुष्टजनों से दूरी बनाए रखें। निवेश में विवेक से कार्य करें। नौकरी में नए कार्य कर पाएंगे।
मिथुन-धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। किसी धार्मिक आयोजन में भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सकता है। कोर्ट-कचहरी के कामों में सफलता प्राप्त होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में कार्यभार बढ़ सकता है। लेन-देन में सावधानी रखें। थकान रहेगी।
कर्क-वाहन, मशीनरी व अग्नि आदि के प्रयोग में सावधानी रखें। शारीरिक हानि व कष्ट संभव है। पुरानी व्याधि पर व्यय होगा। किसी अपने ही व्यक्ति से अकारण विवाद हो सकता है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि होगी।
सिंह-शत्रुता बढ़ सकती है। वाणी में नियंत्रण आवश्यक है। कुंआरों के लिए वैवाहिक प्रस्ताव आ सकता है। शारीरिक समस्या हो सकती है। कोर्ट व कचहरी के कार्यों में अनुकूलता रहेगी। लाभ के अवसर बढ़ेंगे। नौकरी में मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। प्रमाद न करें।
कन्या-परिवार के छोटे सदस्यों की अध्ययन संबंधी चिंता रह सकती है। दुष्टजनों से सावधान रहें। स्थायी संपत्ति में वृद्धि हो सकती है। कोई कारोबारी बड़ा सौदा बड़ा लाभ दे सकता है। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। शेयर मार्केट से मनोनुकूल लाभ होगा। जल्दबाजी न करें।
तुला-शारीरिक कष्ट संभव है। चोट व रोग से बचें। आराम के साधनों पर खर्च होगा। लेखन व पठन-पाठन में समय व्यतीत हो सकता है। सफलता प्राप्त करेंगे। यात्रा मनोरंजक हो सकती है। स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। किसी प्रतिभाशाली व्यक्ति का सहयोग मिलेगा।
वृश्चिक-पुराना रोग परेशानी का कारण रह सकता है। किसी व्यक्ति से बेवजह विवाद संभव है। क्लेश रहेगा। मन में दुविधा रहेगी। दूर से दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। आवश्यक वस्तु गुम हो सकती है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। जल्दबाजी में निर्णय न लें।
धनु-दांपत्य जीवन सुखमय व्यतीत होगा। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। किसी भी विवाद में न पड़ें। प्रयास सफल रहेंगे। मित्रों का सहयोग कर पाएंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। कोई बड़ा कार्य तथा लंबे प्रवास का मन बनेगा। व्यापार-व्यवसाय अनुकूल चलेगा। धनार्जन होगा।
मकर-किसी भी कानूनी फेर में न पड़ें। वाणी पर संयम रखें। मस्तिष्क पीड़ा हो सकती है। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। घर में अतिथियों का आगमन होगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। निर्णय लेने की क्षमता बढ़ेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। निवेशादि लाभप्रद रहेंगे।
कुंभ-बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा लाभ देगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। शेयर मार्केट आदि में विवेक से निर्णय लें।
मीन-अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। हाथ तंग रहेगा। किसी व्यक्ति से व्यर्थ में विवाद हो सकता है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। भावनाओं को वश में रखें। दिल की बात किसी को नहीं बतलाएं। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। बड़ों की सलाह लें। लाभ होगा। चोट व रोग से बचें।
रोगों की दाई मां 'कब्ज'
कब्ज पाचन तंत्र की उस स्थिति को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (या जानवर) का मल बहुत कड़ा हो जाता है तथा मलत्याग में कठिनाई होती है। कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है, मल कड़ा हो जाता है, उसकी आवृति घट जाती है या मल निष्कासन के समय अत्यधिक बल का प्रयोग करना पड़ता है।रेशायुक्त भोजन का अत्यधित सेवन करना, जैसे साबूत अनाज
ताजा फल और सब्जियों का अत्यधिक सेवन करना
पर्याप्त मात्रा में पानी पीना
ज्यादा व्यायाम करना चाहिए जिससे शरीर में गतिविधिया बढ़ती है। कब्ज के समस्या नहीं होती है।
वसा युक्त भोजन का सेवेन कम करे
ज्यादा समस्या आने पर चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए।
कुछ विशिष्ट प्रयोग
खाने में ऐसी चीजें ले, जिनसे पेट स्वयं ही साफ हो जाय।
नमक – छोटी हरड और काल नमक समान मात्रा में मिलाकर पीस लें। नित्य रात को इसकी दो चाय की चम्मच गर्म पानी से लेने से दस्त साफ आता हैं।
ईसबगोल – दो चाय चम्मच ईसबगोल 6 घण्टे पानी में भिगोकर इतनी ही मिश्री मिलाकर जल से लेने से दस्त साफ आता हैं। केवल मिश्री और ईसबगोल मिला कर बिना भिगोये भी ले सकते हैं।
चना – कब्ज वालों के लिए चना उपकारी है। इसे भिगो कर खाना श्रेष्ठ है। यदि भीगा हुआ चना न पचे तो चने उबालकर नमक अदरक मिलाकर खाना चाहिए। चेने के आटे की रोटी खाने से कब्ज दूर होती है। यह पौष्िटक भी है। केवल चने के आटे की रोटी अच्छी नहीं लगे तो गेहूं और चने मिलाकर रोटी बनाकर खाना भी लाभदायक हैं। एक या दो मुटठी चने रात को भिगो दें। प्रात: जीरा और सौंठ पीसकर चनों पर डालकर खायें। घण्टे भर बाद चने भिगोये गये पानी को भी पी लें। इससे कब्ज दूर होगी।
बेल – पका हुआ बेल का गूदा पानी में मसल कर मिलाकर शर्बत बनाकर पीना कब्ज के लिए बहुत लाभदायक हैं। यह आँतों का सारा मल बाहर निकाल देता है।
नीबू – नीम्बू का रस गर्म पानी के साथ रात्रि में लेने से दस्त खुलकर आता हैं। नीम्बू का रस और शक्कर प्रत्येक 12 ग्राम एक गिलास पानी में मिलाकर रात को पीने से कुछ ही दिनों में पुरानी से पुरानी कब्ज दूर हो जाती है।
नारंगी – सुबह नाश्ते में नारंगी का रस कई दिन तक पीते रहने से मल प्राकृतिक रूप से आने लगता है। यह पाचन शक्ति बढ़ाती हैं।
मेथी – के पत्तों की सब्जी खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
गेहूँ के पौधों (गेहूँ के जवारे) का रस लेने से कब्ज नहीं रहती है।
धनिया – सोते समय आधा चम्मच पिसी हुई सौंफ की फंकी गर्म पानी से लेने से कब्ज दूर होती है।
दालचीनी – सोंठ, इलायची जरा सी मिला कर खाते रहने से लाभ होता है।
टमाटर कब्जी दूर करने के लिए अचूक दवा का काम करता है। अमाश्य आँतों में जमा मल पदार्थ निकालने में और अंगों को चेतनता प्रदान करने में बडी मदद करता है। शरीर के अन्दरूनी अवयवों को स्फूर्ति देता है।
स्वादिष्ट और बहु उपयोगी अंजीर
अंजीर मध्यसागरीय क्षेत्र और दक्षिण पश्चिम एशियाई मूल की एक पर्णपाती झाड़ी या एक छोटे पेड़ है जो पाकिस्तान से यूनान तक पाया जाता है। इसकी लंबाई ३-१० फुट तक हो सकती है। अंजीर विश्व के सबसे पुराने फलों मे से एक है। यह फल रसीला और गूदेदार होता है। इसका रंग हल्का पीला, गहरा सुनहरा या गहरा बैंगनी हो सकता है। अंजीर अपने सौंदर्य एवं स्वाद के लिए प्रसिद्ध अंजीर एक स्वादिष्ट, स्वास्थ्यवर्धक और बहु उपयोगी फल है। यह विश्व के ऐसे पुराने फलों में से एक है, जिसकी जानकारी प्राचीन समय में भी मिस्त्र के फैरोह लोगों को थी। आजकल इसकी पैदावार ईरान, मध्य एशिया और अब भूमध्यसागरीय देशों में भी होने लगी है। प्राचीन यूनान में यह फल व्यापारिक दृष्टि से इतना महत्त्वपूर्ण था और इसके निर्यात पर पाबंदी थी। आज विश्व का सबसे पुराना अंजीर का पेड़ सिसली के एक बगीचे में है।
अंजीर का वृक्ष छोटा तथा पर्णपाती (पतझड़ी) प्रकृति का होता है। तुर्किस्तान तथा उत्तरी भारत के बीच का भूखंड इसका उत्पत्ति स्थान माना जाता है। भूमध्यसागरीय तट वाले देश तथा वहाँ की जलवायु में यह अच्छा फलता-फूलता है। निस्संदेह यह आदिकाल के वृक्षों में से एक है और प्राचीन समय के लोग भी इसे खूब पसंद करते थे। ग्रीसवासियों ने इसे कैरिया (एशिया माइनर का एक प्रदेश) से प्राप्त किया; इसलिए इसकी जाति का नाम कैरिका पड़ा। रोमवासी इस वृक्ष को भविष्य की समृद्धि का चिह्न मानकर इसका आदर करते थे। स्पेन, अल्जीरिया, इटली, तुर्की, पुर्तगाल तथा ग्रीस में इसकी खेती व्यावसायिक स्तर पर की जाती है।
नाशपाती के आकार के इस छोटे से फल की अपनी कोई विशेष तेज़ सुगंध नहीं पर यह रसीला और गूदेदार होता है। रंग में यह हल्का पीला, गहरा सुनहरा या गहरा बैंगनी हो सकता है। छिलके के रंग का स्वाद पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता पर इसका स्वाद इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कहाँ उगाया गया है और यह कितना पका है। इसे पूरा का पूरा छिलका बीज और गूदे सहित खाया जा सकता है। घरेलू उपचार में ऐसा माना जाता है कि स्थाई रूप से रहने वाली कब्ज़ अंजीर खाने से दूर हो जाती है। जुकाम, फेफड़े के रोगों में पाँच अंजीर पानी में उबाल कर छानकर यह पानी सुबह-शाम पीना चाहिए। दमा जिसमे कफ (बलगम) निकलता हो उसमें अंजीर खाना लाभकारी है इससे कफ बाहर आ जाता है। कच्चे अंजीरों को कमरे के तापमान पर रख कर पकाया जा सकता है लेकिन उसमें स्वाभाविक स्वाद नहीं आता। घरेलू उपचारों में अंजीर का विभिन्न प्रकार से प्रयोग किया जाता है।
पत्रकारिता का समसामयिक युग
1921 के बाद हिंदी पत्रकारिता का समसामयिक युग आरंभ होता है। इस युग में हम राष्ट्रीय और साहित्यिक चेतना को साथ साथ पल्लवित पाते हैं। इसी समय के लगभग हिंदी का प्रवेश विश्वविद्यालयों में हुआ और कुछ ऐसे कृती संपादक सामने आए जो अंग्रेजी की पत्रकारिता से पूर्णत: परिचित थे और जो हिंदी पत्रों को अंग्रेजी, मराठी और बँगला के पत्रों के समकक्ष लाना चाहते थे। फलत: साहित्यिक पत्रकारिता में एक नए युग का आरंभ हुआ। राष्ट्रीय आंदोलनों ने हिंदी की राष्ट्रभाषा के लिए योग्यता पहली बार घोषित की ओर जैसे-जैसे राष्ट्रीय आंदोलनों का बल बढ़ने लगा, हिंदी के पत्रकार और पत्र अधिक महत्व पाने लगे। 1921 के बाद गांधी जी के नेतृत्व में राष्ट्रीय आंदोलन मध्यवर्ग तक सीमित न रहकर ग्रामीणों और श्रमिकों तक पहुंच गया और उसके इस प्रसार में हिंदी पत्रकारिता ने महत्वपूर्ण योग दिया। सच तो यह है कि हिंदी पत्रकार राष्ट्रीय आंदोलनों की अग्र पंक्ति में थे और उन्होंने विदेशी सत्ता से डटकर मोर्चा लिया। विदेशी सरकार ने अनेक बार नए नए कानून बनाकर समाचारपत्रों की स्वतंत्रता पर कुठाराघात किया परंतु जेल, जुर्माना और अनेकानेक मानसिक और आर्थिक कठिनाइयाँ झेलते हुए भी हिन्दी पत्रकारों ने स्वतंत्र विचार की दीपशिखा जलाए रखी।
1921 के बाद साहित्यक्षेत्र में जो पत्र आए उनमें प्रमुख हैं-
स्वार्थ (1922), माधुरी (1923), मर्यादा, चाँद (1923), मनोरमा (1924), समालोचक (1924), चित्रपट (1925), कल्याण (1926), सुधा (1927), विशालभारत (1928), त्यागभूमि (1928), हंस (1930), गंगा (1930), विश्वमित्र (1933), रूपाभ (1938), साहित्य संदेश (1938), कमला (1939), मधुकर (1940), जीवनसाहित्य (1940), विश्वभारती (1942), संगम (1942), कुमार (1944), नया साहित्य (1945), पारिजात (1945), हिमालय (1946) आदि।
वास्तव में आज हमारे मासिक साहित्य की प्रौढ़ता और विविधता में किसी प्रकार का संदेह नहीं हो सकता। हिंदी की अनेकानेक प्रथम श्रेणी की रचनाएँ मासिकों द्वारा ही पहले प्रकाश में आई और अनेक श्रेष्ठ कवि और साहित्यकार पत्रकारिता से भी संबंधित रहे। आज हमारे मासिक पत्र जीवन और साहित्य के सभी अंगों की पूर्ति करते हैं और अब विशेषज्ञता की ओर भी ध्यान जाने लगा है। साहित्य की प्रवृत्तियों की जैसी विकासमान झलक पत्रों में मिलती है, वैसी पुस्तकों में नहीं मिलती। वहाँ हमें साहित्य का सक्रिय, सप्राण, गतिशील रूप प्राप्त होता है।
डिजिटल मार्केट का बढ़ता दायरा
डिजिटल मार्केटिंग मुख्य रूप से इंटरनेट पर डिजिटल तकनीकों का उपयोग करके उत्पादों या सेवाओं का विपणन है, लेकिन मोबाइल फोन, प्रदर्शन विज्ञापन और किसी अन्य डिजिटल माध्यम को भी शामिल करता है। डिजिटल मार्केटिंग चैनल इंटरनेट पर आधारित सिस्टम हैं जो डिजिटल नेटवर्क द्वारा निर्माता से टर्मिनल उपभोक्ता तक उत्पाद मूल्य को बना सकते हैं, बढ़ा सकते हैं और प्रसारित कर सकते हैं।
1990 और 2000 के दशक के बाद से डिजिटल मार्केटिंग के विकास ने ब्रांड और व्यवसायों के विपणन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के तरीके को बदल दिया है। जैसा कि डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म तेजी से विपणन योजनाओं और रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो जाता है, और जैसे लोग भौतिक दुकानों पर जाने के बजाय डिजिटल उपकरणों का उपयोग करते हैं, [ platforms ] डिजिटल मार्केटिंग अभियान अधिक प्रचलित और कुशल होते जा रहे हैं।
सर्च इंजन ऑप्टिमाइज़ेशन (SEO), सर्च इंजन मार्केटिंग (SEM), कंटेंट मार्केटिंग , इन्फ्लूएंसर मार्केटिंग , कंटेंट ऑटोमेशन, कैंपेन मार्केटिंग, डेटा- डिराइविंग मार्केटिंग, ई-कॉमर्स मार्केटिंग, सोशल मीडिया मार्केटिंग , सोशल मीडिया जैसे डिजिटल मार्केटिंग के तरीके अनुकूलन , ई-मेल प्रत्यक्ष विपणन , प्रदर्शन विज्ञापन , ई-पुस्तकें , और ऑप्टिकल डिस्क और गेम हमारी अग्रिम प्रौद्योगिकी में अधिक आम हो रहे हैं। वास्तव में, डिजिटल मार्केटिंग अब गैर-इंटरनेट चैनलों तक फैली हुई है जो डिजिटल मीडिया, जैसे मोबाइल फोन ( एसएमएस और एमएमएस ), कॉलबैक और ऑन-होल्ड मोबाइल रिंग टोन प्रदान करते हैं। संक्षेप में, गैर- इन्टरनेट चैनलों के लिए यह विस्तार ऑनलाइन मार्केटिंग से डिजिटल मार्केटिंग को अलग करने में मदद करता है, ऊपर उल्लिखित विपणन विधियों के लिए एक और कैच-ऑल टर्म, जो ऑनलाइन सख्ती से होता है।
मक्का की पैदावार के नए मानक
भारत के अधिकांश मैदानी भागों से लेकर २७०० मीटर उँचाई वाले पहाडी क्षेत्रों तक मक्का सफलतापूर्वक उगाया जाता है। इसे सभी प्रकार की मिट्टियों में उगाया जा सकता है तथा बलुई, दोमट मिट्टी मक्का की खेती के लिये बेहतर समझी जाती है। मक्का एक ऐसा खाद्यान्न है जो मोटे अनाज की श्रेणी में आता तो है परंतु इसकी पैदावार पिछले दशक में भारत में एक महत्त्वपूर्ण फसल के रूप में मोड़ ले चुकी है क्योंकि यह फसल सभी मोटे व प्रमुख खाद्दानो की बढ़ोत्तरी दर में सबसे अग्रणी है। आज जब गेहूँ और धान मे उपज बढ़ाना कठिन होता जा रहा है, मक्का पैदावार के नये मानक प्रस्तुत कर रही है जो इस समय बढ्कर 5.98 तक पहुँच चुका है।
यह फसल भारत की भूमि पर १६०० ई० के अन्त में ही पैदा करना शुरू की गई और आज भारत संसार के प्रमुख उत्पादक देशों में शामिल है। जितनी प्रकार की मक्का भारत में उत्पन्न की जाती है, शायद ही किसी अन्य देश में उतनी प्रकार की मक्का उत्पादित की जा रही है। हाँ यह बात और है कि भारत मक्का के उपयोगो मे काफी पिछडा हुआ है। जबकि अमरीका में यह एक पूर्णतया औद्याोगिक फसल के रूप में उत्पादित की जाती है और इससे विविध औद्याोगिक पदार्थ बनाऐ जाते है। भारत में मक्का का महत्त्व एक केवल खाद्यान्न की फसल के रूप मे जाना जाता है। सयुक्त राज्य अमरीका मे मक्का का अधिकतम उपयोग स्टार्च बनाने के लिये किया जाता है।
भारत में मक्का की खेती जिन राज्यों में व्यापक रूप से की जाती है वे हैं - आन्ध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश इत्यादि। इनमे से राजस्थान में मक्का का सर्वाधिक क्षेत्रफल है व आन्ध्रा में सर्वाधिक उत्पादन होता है। परन्तु मक्का का महत्व जम्मू कश्मीर, हिमाचल, पूर्वोत्तर राज्यों, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, महाराष्ट्र, गुजरात व झारखण्ड में भी काफी अधिक है।
औषधीय पौधा 'गुल् अब्बास'
यह फूल साधारण रूप से चार बजे के लगभग में खिलता है, जिस से इसे "चार बजे की फूल" की संज्ञा भी दी जाती है। फूलों का उपयोग फूड कलरिंग में किया जाता है। पत्तियों को पका हुआ भी खाया जा सकता है, लेकिन केवल एक आपातकालीन भोजन के रूप में। फूलों से केक और जेली के लिए एक खाद्य क्रिमसन डाई प्राप्त की जाती है। हर्बल चिकित्सा में, पौधे के कुछ हिस्सों को मूत्रवर्धक, शुद्धिकारक और कमजोर (घाव भरने वाले) उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह माना जाता है कि मूत्रवर्धक और मूत्रवर्धक गुणों के साथ ही यह कामोत्तेजक भी है। इसका उपयोग ड्रॉप्सी के उपचार में भी किया जाता है। पत्तियों का उपयोग सूजन को कम करने के लिए किया जाता है। फोड़े का इलाज करने के लिए उनमें से एक काढ़े (मैशिंग और उबलते द्वारा) का उपयोग किया जाता है। पत्तों का रस घावों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। फूल की बल्बनुमा जड़ों में एक रेचक प्रभाव होता है। पाउडर, कुछ किस्मों के बीज को कॉस्मेटिक और डाई के रूप में उपयोग किया जाता है। बीज को जहरीला माना जाता है। संयंत्र में कैडमियम जैसे भारी धातुओं के मध्यम सांद्रता के साथ प्रदूषित मिट्टी के बायोरेमेडिएशन की क्षमता है। ब्राजील में, भारतीय कायापो सूखे हुए फूलों के पाउडर को सूंघने और सिर के घाव को धोने के लिए जड़ के काढ़े का उपयोग करते हैं और कुष्ठ रोग जैसे त्वचा की स्थिति का इलाज करते हैं। पेरू में, फूलों से निकाले गए रस का उपयोग दाद और घावों के लिए किया जाता है। जड़ से निकाला गया रस कान का दर्द, दस्त, पेचिश, उपदंश और यकृत संक्रमण के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। मेक्सिको में, पूरे पौधे के काढ़े का उपयोग पेचिश, संक्रमित घाव और मधुमक्खी और बिच्छू के डंक के लिए किया जाता है।
कीवी में असामान्य रोग क्षमता
कीवी (वैज्ञानिक नाम- एक्टीनीडिया डेलीसिओसा) देखने में हल्का भूरा, रोएदार व आयताकार, रूप में चीकू फल की तरह का फल होता है। इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। किवी एक विशेष प्रकार का स्वादिष्ट फल होता है। किवी अपने सुंदर रंग के लिए लोगो में अधिक पसंद किया जा रहा है। किवी में विटामिन सी, विटामिन इ, विटामिन के और प्रचुर मात्रा में पोटैशियम, फोलेट होते है। किवी फल में अधिक मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट होता है। यह एंटी ऑक्सीडेंट शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है यानि शरीर को बीमारियों से बचाने में मदद करता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है! जिस ब्यक्ति को डेंगू मलेरिया या फिर इंफेक्सम की बीमारी हो यह फल बहुत लाभदायक होता है।
किवी के पोषक तत्व:-कीवी में उच्च मात्रा में विटामिन सी एव अच्छी मात्रा में फाइबर पाया जाता है। इसके अलावा विटामिन ई, पोटेशियम पॉलिटेक्निक, कॉपर, सोडियम, रोगो से बचाने वाले एंटीऑक्सीडेंट होते है। शरीर के इलेक्ट्रॉन बनाने के लिए फायदेमंद रहती है।
किवी के स्वास्थ्य लाभ
नींद के लिए :- किवी प्राकृतिक एंजाइमों से भरपूर भरा हुआ रहता है। यह नींद को अच्छा रखने में मदद करता है। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट स्वास्थ्य को स्वस्थ बनाये रखने में और नींद नहीं आने की समस्या को दूर करने में सहायता करता है। किवी फल में उच्च मात्रा में सेरोटोनिन होते है। यदि आपको अनिद्रा की समस्या है तो किवी फल का सेवन करना बहुत ही फायदेमंद होता है।
वजन घटाने के लिए :- किवी में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होते है। जो शरीर में वसा की मात्रा को बढ़ने नहीं देते है। इसके कारण शरीर का वजन नहीं बढ़ता है। जिन व्यक्तियों को अपना वजन कम करना है तो उनको किवी का सेवन रोजाना करना चाहिए।
रक्त चाप कम करने के लिए :- किवी में कई तरह के विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट तत्व के गुण होते है। जो शरीर के रक्त चाप को नियंत्रण करने में सहायता करते है। रक्त चाप के मरीजों को आहार में किवी फल का सेवन करना चाहिए।
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए :- किवी के एंटीऑक्सीडेंट तत्व शरीर की इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत रखने में सहायता करता है। जिसके कारण शरीर को बीमारियों से लड़ने की ताकत मिले यानि वह व्यक्ति जल्दी बीमार नहीं होता है।
आंखो के लिए :- किवी फल बहुत गुणों से भरा हुआ रहता है। रोजाना किवी का सेवन करने आंखो की रौशनीशक्ति बढ़ती है। आंखो से जुडी समस्या को ठीक करने में सहायता करता है। यह मूल रूप से चीन का पैदावार हैं। चीन में आज भी विश्व का ५६% कीवी फल का पैदावार चीन में होता है।
असुविधा में यज्ञ कैसे करें?
गतांक से...
मैंने बहुत पुरातन काल में अपने पूज्यपाद गुरुदेव से प्रकट करते हुए कहा था! हे पूज्यपाद, यह समाज जाने कहां जा रहा है, मैं इसको नहीं जान पा रहा हूं? प्रहा धन-धन्म ब्रहे, पूज्यपाद गुरुदेव ने मुझे शिक्षा दी और विचार दिए कि यदि राष्ट्र को उन्नत बनाना है! अग्नि से दूरी कर देना है, नम्रता में लाना है तो राजा को चाहिए कि वह ब्रह्म ज्ञान का अध्ययन करें! तपस्वी बने! जैसे मेरे पूज्य पाद गुरुदेव कई समय से राष्ट्रवाद और राम की चर्चा कर रहे थे! पूज्य पाद,ॠषिवर विद्यमान है! परंतु चर्चा कर रहे हैं, महान बनने की और वही चर्चा जब क्रियावान बन जाती है तो वहीं चर्चा महान बन करके राष्ट्र में एक माधुरीता को जन्म दे देती है! विचार आता रहता है मैं गुरुदेव को निर्णय करा रहा हूं! आधुनिक काल का जो काल चल रहा है! यहां राष्ट्र का तो अभाव है, मैं दृष्टिपात करता रहता हूं! ब्रह्म ज्ञानी, ज्ञानी परंतु वह ज्ञानी भी नहीं है! आसन की लोलुपता में वह समाज रत हो रहा है! वह धर्म में और अन्य में रत हो रहा है! विचार आता रहता है कि मेरा जीवन कैसे ऊंचा बने? परंतु मैं यह कहा करता हूं कि राजा से कहो, हे राजा तेरे रास्ते में रूढि नहीं रहनी चाहिए! तुम ब्रह्मावेता बन करके उसका निराकरण करो और अपनी राष्ट्रीय प्रणाली को पवित्र बनाओ! इस प्रकार मेरे पूज्य पाद गुरुदेव मुझे उपदेश दे रहे हैं! कई समय हो गए हैं राम की चर्चा करते हुए! राम जैसे महान शाखा की चर्चा, जिसका जीवन सदैव आभा में निहित रहा है और वह अपने में अपनेपन की वृत्तियो में रत रहने के लिए तत्पर रहे हैं! विचार आता रहता है मैं यह गीत गाता रहता हू! मेरे पूज्य पाद गुरुदेव यह जो वर्तमान का काल चल रहा है यह सुरा-सुंदरी और वाम-मार्ग का काल चल रहा है! इसलिए मैं अपने यज्ञमान को कहता हूं कि तुम्हारे जीवन का सौभाग्य अखंड बना रहे! तुम्हारे गृह में धर्म का सदैव सदुपयोग होता है! देवताओं की पूजा करना ही तुम्हारा कर्तव्य है! यदि समाज को ऊंचा बनाना चाहते हो, अग्नि विभाजन करती है, अग्नि भेदन करके तुम्हारी प्रवृत्तियों को महान बना सकती है! परंतु इसी प्रकार,वेदाम भू वेदाम ब्रथम, पूज्य पाद ने मुझे वर्णन कराया की प्रथम यह सर्वत्र एक आभा में निहित होने वाला, यह जगत है! मैं अपने पूज्यपाद गुरुदेव से यह गीत गाने के लिए आया हूं! हे प्रभु, आज राष्ट्रवाद न होने से मानव, मानव रक्त का भक्षक बनने के लिए तत्पर हो रहा है! यहां धर्म के नाम पर नाना प्रकार की मान्यताएं हैं और ये मान्यताएं ऐसी बन गई है! जो राष्ट्र का विनाश कर सकती है! इसीलिए मैं कहता हूं,हे राजन ब्रह्मज्ञानी बन और तेरे अंग-संग विधमान होने वाले रूढ़ियों के आचार्यों का शास्त्रार्थ हो, राजा स्वयं निर्णय देने वाला हो,जब वह निर्णायक बन जाता है! तो समाज में पवित्रता जाती है और यह निर्णय नायक को प्राप्त करता हुआ सागर से पार होने का प्रयास करता है!
प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
यूनिवर्सल एक्सप्रेस (हिंदी-दैनिक)
नवंबर 08, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254
1. अंक-94 (साल-01)
2. शुक्रवार, नवंबर 08, 2019
3. शक-1941, कार्तिक-शुक्ल पक्ष, तिथि- द्वादशी, संवत 2076
4. सूर्योदय प्रातः 06:31,सूर्यास्त 05:38
5. न्यूनतम तापमान -16 डी.सै.,अधिकतम-23+ डी.सै., छिटपुट बरसात की संभावना रहेगी।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्ंकरण) प्रकाशित।
8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102
9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102
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दिल्ली में 2.0 तीव्रता का भूकंप, महसूस नहीं हुआ
दिल्ली में 2.0 तीव्रता का भूकंप, महसूस नहीं हुआ अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। दबे पांव पहुंचे भूकंप ने धरती को हिलाते हुए पब्लिक को दहशत में ड...
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महर्षि कश्यप के पुत्र पक्षीराज गरुड़ को भगवान विष्णु का वाहन कहा गया है। एक बार गरुड़ ने भगवान विष्णु से मृत्यु के बाद प्राणियों की स्थिति, ...
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55 साल की उम्र में भी बरकरार है खूबसूरती कविता गर्ग मुंबई। 55 की उम्र में भी यह हसीना बेहद खूबसूरत दिखती है, और मलाइका की हॉटनेस उसकी ...
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वर्षा: पानी में डूबी दिल्ली, बाढ़ के हालात बनें इकबाल अंसारी नई दिल्ली। इन दिनों उत्तर भारत में हो रही भारी बारिश ने कहर बर...