मंगलवार, 30 जुलाई 2019

सऊदी अरब में नौकरी हुई मुश्किल:झटका

सऊदी अरब की होटलों में विदेशियों को नहीं मिलेगी नौकरी, भारतीयों के लिए झटका


रियाद ! सऊदी अरब ने देश में अपने नागरिकों की बढ़ती बेरोजगारी दर को देखते हुए होटल के क्षेत्र में विदेशी लोगों को नौकरी नहीं देने का फैसला लिया है। सऊदी अरब के इस फैसले से भारत पर भी असर पड़ेगा क्योंकि बड़ी संख्या में भारतीय यहां इस क्षेत्र में नौकरी कर रहे हैं। सऊदी सरकार ने इस फैसले को साल के अंत से लागू करने की बात कही है।


सऊदी के श्रम मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, यह फैसला तीन स्टार या इससे अधिक स्टार वाले होटलों व रिसॉर्ट्स और चार स्टार व इससे अधिक वाले होटल अपार्टमेंट्स पर लागू होगा। यहां रिसेप्शन से लेकर मैनेजमेंट तक के पदों में सऊदी नागरिकों को ही प्राथमिकता दी जाएगी। हालांकि ड्राइवरों, सिक्युरिटी गार्ड और कुली के तौर पर विदेशी लोगों को नौकरियों के अवसर मिलते रहेंगे।


आकाश से कांवड़ियों की सुरक्षा और सत्कार

काँवड़ मार्ग एवं मुख्य-मुख्य मन्दिरों का हेलीकॉप्टर से हवाई सर्वेक्षण ।


मेरठ ! अपर पुलिस महानिदेशक मेरठ श्री आलोक सिंह, पुलिस महानिरीक्षक मेरठ परिक्षेत्र एवं श्रीमति अनिता मेश्राम आयुक्त मेरठ मंडल के द्वारा मंडल में कावड़ यात्रा के मुख्य मार्गो का हवाई सर्वे किया गया! कावड़ मार्गो पर  कावड़ियों के ऊपर फूल बरसा कर उन्हें उत्साहित किया गया! काफिला कांवड़ मार्ग से ही जनपद गाजियाबाद के दुधेश्वरनाथ होते हुए,जनपद बागपत के विश्वविख्यात सुप्रसिद्ध पुरामहादेव मन्दिर एवं जनपद मेरठ के औघड़नाथ मन्दिर के मार्ग पर  फूल बरसा कर कावड़ियों का सत्कार किया गया ! काँवड़ मार्ग का हेलीकॉप्टर से हवाई सर्वेक्षण कर सुरक्षा का जायजा लिया तथा श्रद्धालुओं एवं मुख्य-मुख्य मन्दिरों पर पुष्प-वर्षा की गई ।


संवाददाता-: सलमान खान


कांवड़ियों की सेवा में तत्पर डीएम एसएसपी

बुलन्दशहर ! जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बुलंदशहर द्वारा कावड़ मार्गों, मन्दिरों, गंगा घाट आदि महत्वपूर्ण स्थानों का चॉपर द्वारा एरियल सर्वे (आकाशीय निरीक्षण) कर शिवभक्तों पर की पुष्प वर्षा!


महाशिवरात्रि पर्व को सकुशल एवं शान्तिपूर्ण सम्पन्न कराये जाने हेतु जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बुलंदशहर द्वारा विभिन्न थाना क्षेत्रो में कावड़ मार्गों, मन्दिरों, गंगा घाट आदि महत्वपूर्ण स्थानों का चॉपर द्वारा एरियल सर्वे (आकाशीय निरीक्षण) किया गया तथा कॉवड़ियों व शिवभक्तों एवं थाना गुलावठी, खुर्जानगर, अहार, रामघाट, अनूपशहर आदि क्षेत्रों में स्थित शिव मंदिरों पर पुष्प वर्षा की गयी।


रेप पीड़िता की मौत,विधानसभा में हंगामा


रेप पीडि़ता की मौत पर पुलिस की भाषा बोली कांग्रेस सरकार के मंत्री धारीवाल ने। 
पीडि़ता के आरोपी से सहमति से शारीरिक संबंध होना बताया। 
जयपुर के वैशाली नगर के थानाधिकारी संजय गोदारा सस्पेंड। विधानसभा में हंगामा। 
जयपुर ! राजस्थान विधानसभा में रेप पीडि़ता की मौत को लेकर जोरदार हंगामा हुआ। भाजपा के विधायकों खास कर महिला विधायकों ने रेप पीडि़ता के वैशाली नगर थाने में स्वयं को आग लगाने की घटना को बेहद शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं और अब तो रेप पीडि़ता पुलिस के रवैये से परेशान होकर थाने में ही आत्मदाह कर रही है। 28 जुलाई को जिस रेप पीडि़ता ने जयपुर के वैशाली नगर थाने में स्वयं को आग लगाई उसकी मौत अगले दिन एसएमएस अस्पताल में हो गई। पुलिस का अब कहना है कि बलात्कार की शिकायत में कोई दम नहीं था, इसलिए आरोपी की गिरफ्तार नहीं की गई। विधानसभा में हंगामे के बाद संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने विधानसभा के बाहर मीडिया से संवाद किया और सरकार का पक्ष रखा। धारीवाल ने कहा कि पीडि़ता ने जिस रविन्द्र सिंह शेखावत के विरुद्ध बलात्कार की रिपोर्ट लिखाई है उसकी जांच में पता चला कि शारीरिक संबंध सहमति से बनाए गए। आरोपी ने जांच के दौरान पुलिस को सबूत दिए कि पीडि़ता स्वयं अपनी मर्जी से कई स्थानों पर घुमने गई। धारीवाल ने कहा कि पुलिस के पास इस बात के सबूत हैं कि शारीरिक संबंध बनाने के लिए कोई जोर जबरदस्ती नहीं की गई। अब इस मामले की जांच सीबीसीआई से करवाई जाएगी। 
थानाधिकारी सस्पेंड:
धारीवाल ने कहा कि इस प्रकरण में वैशाली नगर के थानाधिकारी संजय गोदारा की भूमिका सकारात्मक नहीं रही, इसलिए उन्हें सस्पेंड किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब पीडि़ता पुलिस थाने पर आई थी, तब थानाधिकारी को गंभीरता दिखानी चाहिए थी। पीडि़ता ने जिस प्रकार थाने के अंदर स्वयं को आग लगाई इसे उचित नहीं माना जा सकता। 
तो अब किस बात की जांच:
सरकार के मंत्री धारीवाल ने जब अपना फैसला सुना दिया है तो फिर अब सीबीसीआईडी से किस बात की जांच करवाई जाएगी। जब सरकार के मंत्री स्वयं कह रहे हैं कि आपसी सहमति से संबंध बने थे और बलात्कार की कोई बात नहीं है तो फिर जांच में क्या निकलेगा। क्या सीबीसीआईडी के अधिकारी मंत्री के बयान के विरुद्ध जाकर कोई कार्यवाही करेंगे?
एस पी मित्‍‍लत


धरी रह गई मुख्यमंत्री गहलोत की घोषणा


अफसरों और शराब की आय के सामने धरी गई गांधीवादी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की घोषणा। विश्व विख्यात तीर्थ रामदेवरा नहीं हो सका शराब मुक्त। जैसलमेर के कलेक्टर किसी की नहीं सुनते। 7 अगस्त से फिर शुरू होगा आंदोलन।

जयपुर ! राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की छवि गांधीवादी और शराब विरोधी है, लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि गहलोत की घोषणा के बाद भी विश्वविख्यात तीर्थ स्थल रामदेवरा शराब मुक्त नहीं हो सका है। उल्टे प्रशासन के अधिकारी आंदोलन करने वालों को डरा धमका रहे हैं। रामदेवरा में लोक देवता बाबा रामदेव की समाधि है। यहां वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। हिन्दू ही नहीं मुसलमान भी बाबा रामदेव के प्रति अकीदत रखते हैं। वार्षिक मेले पर तो रामदेवरा में पैर रखने की जगह नहीं होती है। राजस्थान ही नहीं देशभर से श्रद्धालु मेले में आते हैं। बर्फानी बाबा अमरनाथ की यात्रा की तरह मेले के दौरान राजस्थान भर में बाबा रामदेव के यात्रियों के लिए भंडारे लगते हैं। ऐसे पवित्र तीर्थ स्थल पर शराब की बिक्री न हो, इसको लेकर इसी वर्ष 20 फरवरी से 7 मार्च तक रामदेवरा में आंदोलन किया गया। धरना, क्रमिक अनशन के बाद आमरण अनशन की शुरुआत शराब मुक्त रामदेवरा संघर्ष समिति की ओर से की गई। समिति के अध्यक्ष आनंद सिंह तंवर, खेतराम शर्मा और घनश्याम चारण चार दिनों तक आमरण अनशन पर रहे। तभी सात मार्च को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का दौरा हुआ। दौरे के दौरान ही पता चला कि रामदेवरा तीर्थ को शराब मुक्त करने के लिए आमरण अनशन हो रहा है तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी गांधीवादी और शराब विरोधी छवि को प्रदर्शित करते हुए अनशन स्थल पर पहुंच गए। गहलोत ने कहा कि जब रामदेवरा के लोग शराब की बिक्री नहीं चाहते हैं तो फिर सरकार को यहां शराब बेचने का हक नहीं है। यदि बाबा रामदेव का तीर्थ स्थल शराब मुक्त होता है तो यह मेरे लिए बहुत अच्छी बात है। अनशन स्थल पर ही गहलोत ने जैसलमेर प्रशासन को शराब की चारों दुकानें हटाने के निर्देश दिए। तब यह तय हुआ कि शराब की दुकानें रामदेवरा से तीन किलोमीटर दूर खोली जाएं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने अनशनकारियों को जूस पिला कर आंदोलन खत्म करवाया। रामदेवरा के लोगों को उम्मीद थी कि अब यहां शराब की बिक्री नहीं होगी। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि आज भी रामदेवरा में शराब की बिक्री हो रही है। एक अप्रैल से नए वित्तीय वर्ष में दुकानों को इधर-उधर कर चारों दुकानें यथावत रखी गई है। रामदेवरा के नागरिक अप्रैल में ही आंदोलन करना चाहते थे, लेकिन जैसलमेर के शराब समर्थक और मुख्यमंत्री की गांधीवादी छवि को बिगाडऩे वाले प्रशासन ने नोटिस जारी कर डरा दिया। प्रशासन की ओर से कहा गया कि यदि लोकसभा चुनाव की आचार संहित के दौरान आंदोलन किया गया तो आंदोलनकारियों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही होगी। यानि जिस प्रशासन को मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल करना था वो ही प्रशासन लोगों को डराने में लग गया। लोकसभा चुनाव के बाद रामदेवरा के लोगों ने मुख्यमंत्री सचिवालय में नियुक्त संवेदनशील आईएएस आरती डोगरा से लेकर जैसलमेर के कलेक्टर नमित मेहता तक से सम्पर्क कर लिया, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। आरती डोगरा मानती है कि जैसलमेर प्रशासन को मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल करना चाहिए, लेकिन जैसलमेर प्रशासन के सामने सीएमओ भी बेबस हैं। संघर्ष समिति से जुड़े लोगों का कहना है कि कलेक्टर नमित मेहता तो बात ही नहीं करते हैं। रामदेवरा के लोगों को उम्मीद थी कि जैन धर्म के होने के कारण नमित मेहता शराब की दुकानें बंद करवाने में रुचि दिखाएंगे, लेकिन हालातों को देखकर उम्मीदों पर पानी फिर गया है। सवाल यह है कि जब मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल नहीं हो रहा है तो फिर अफसरशाही किसका आदेश मानेगी?
7 अगस्त से आंदोलन की घोषणा:
30 जुलाई को संघर्ष समिति के अध्यक्ष आनंद सिंह तंवर ने मुख्यमंत्री गहलोत को पत्र लिखा है। इस पत्र में उनके वायदे को याद दिलाते हुए कहा गया है कि सात दिन में रामदेवरा को शराब मुक्त नहीं किया गया तो फिर से जनआंदोलन शुरू किया जाएगा। आंदोलन के संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9571202223 पर आनंद सिंह तंवर व 9636542600 पर रानीदान से ली जा सकती है। 
आखिर सीएमओ के अफसार क्या कर रहे हैं?:
मुख्यमंत्री सचिवालय में तैनात अफसरों की यह जिम्मेदारी होती है कि मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर अमल करवावें। सचिवालय ही यह ध्यान रखता है कि मुख्यमंत्री कब और कहां घोषणा की है। सवाल उठता है कि सीएमओ में तैनात अफसर क्या कर रहे हैं? जबकि आबकारी और वित्त मंत्रालय भी मुख्यमंत्री के पास ही है। सीएमओ में जो आईएएस आबकारी विभाग के कामकाज देखता है क्या रामदेवरा की घोषणा पूरी करने की जिम्मेदारी इस अधिकारी की नहीं है? या फिर सीएमओ के अधिकारी अपने मुख्यमंत्री की छवि खराब करने में लगे हुए हैं।
एस.पी.मित्तल


कांग्रेस अतीत की पार्टी,बढी संवादहीनता


तीन तलाक बिल पर मतदान से पहले कांग्रेस के संजय सिंह का राज्यसभा से इस्तीफा। 
कांग्रेस अतीत की पार्टी। पार्टी में अब संवादहीनता।

नई दिल्ली ! राज्यसभा में तीन तलाक का बिल पेश किया। लेकिन मतदान से पहले ही कांग्रेस के सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। यानि अब संजय सिंह मत विभाजन के समय राज्यसभा में उपस्थित नहीं रहेंगे। हाल ही में सपा की एक सांसद ने भी राज्यसभा से इस्तीफा दिया है। इससे पहले भी विपक्षी पार्टियों के सांसद राज्यसभा से इस्तीफा दे चुके हैं। माना जा रहा है कि यह सारी कवायद राज्यसभा में तीन तलाक के बिल को पास करवाने के लिए हो रही है। चूंकि राज्यसभा में भाजपा को बहुमत नहीं है। इसलिए सांसदों के इस्तीफे करवाए जा रहे हैं। तीन तलाक का बिल लोकसभा से पास हो चुका है और अब राज्यसभा में पास करवाने की चुनौती है। माना जा रहा है कि भाजपा ने पिछले दिनों जो रणनीति अपनाई है उसे देखते हुए तीस जुलाई को ही इस बिल को राज्यसभा से स्वीकृत करवा लिया जाएगा। केन्द्र में भाजपा समर्थन देने वाले जेडीयू ने पहले ही कह दिया है कि वह मत विभाजन के समय सदन में उपस्थित नहीं रहेगी। भाजपा ने ऐसे और दलों को तैयार किया है जो मत विभाजन के समय सदन में उपस्थित नहीं रहेंगे। इससे बिल को पास कराने की राह आसान हो जाएगी। वहीं भाजपा ने अपने सांसदों को विप जारी कर उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं, हो सकता है कि कुछ दलों के सांसद अपनी मर्जी से राज्यसभा में अनुउपस्थित रहे। 
कांग्रेस अब अतीत की पार्टी- संजय सिंह:
तीस जुलाई को मीडिया से संजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस अब अतीत की पार्टी हो गई है। पार्टी में पूरी तरह संवादहीनता है। उन्होंने माना कि गांधी परिवार से उनके पारिवारिक संबंध रहे हैं, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से अब उनके विचार कांग्रेस से नहीं मिल रहे हैं। आज पूरा देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ खड़ा है। इसलिए मैं भी अब मोदी के साथ हंू। उन्होंने कहा कि 31 जुलाई को वे भाजपा में शामिल होंगे। भाजपा में शामिल होने पर उन्होंने कोई शर्त नहीं लगाई है। वे और उनकी पत्नी अमिता सिंह स्वेच्छा से भाजपा में शामिल हो रहे हैं। संजय सिंह के कांग्रेस छोडऩे से कांग्रेस को अमेठी में जोरदार झटका लगा है। हालांकि राहुल गांधी अमेठी से लोकसभा का चुनाव हार गए, लेकिन संजय ङ्क्षसह के कांग्रेस छोडऩे से अमेठी में राहुल गांधी की स्थिति और कमजोर होगी। संजय सिंह के इस कदम को कांग्रेस को बड़ा झटका माना जा रहा है। सूत्रों की माने तो जिस तरह संजय सिंह ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया है वैसी स्थिति और नेताओं के बीच भी है, हो सकता है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस के कई बड़े नेता इस्तीफा दे दें। कांग्रेस में इस समय शीर्ष नेतृत्व नहीं है। राहुल गांधी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रखा है और अभी तक भी नया अध्यक्ष नहीं बनाया गया है। ऐसे में कांग्रेस में लगातार बिखराब हो रहा है। हरियाणा में जो समन्वय समिति बनाई गई थी उसे पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने नकार दिया है। हुड्डा अब हरियाणा में नए दल के गठन पर विचार कर रहे हैं।
एस.पी.मित्तल


पक्षी-संरक्षण में भी भ्रष्टाचार की घुसपैठ

सुधीर जैन


जगदलपुर। प्रदेश के राज्य पक्षी के रूप में घोषित बोलने वाली पहाड़ी मैना की आबादी बढ़ाने की बीते वर्षों में कई कोशिशें की जा रही हैं और इसकी संख्या बढ़ाने पिछले चार वर्षों में ही 25 लाख रूपए शासन के कोश से खर्च किए गए लेकिन यहां पर बनाये गये वन विद्यालय परिसर में बने रेस्क्यू सेंटर में पहाड़ी मैना की संख्या में वृद्धि के बजाय हृास देखा गया। जानकारी के अनुसार पहले जहां चार मैना की देखभाल और आहार की व्यवस्था की गई थी, वहीं इसे जारी रखते हुए हर साल लाखों रुपये का खर्च किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इसी सिलसिले में पहाड़ी मैना के संरक्षण और संवर्धन को लेकर जहां वन विभाग ने एक अलग से योजना बना कर कार्य शुरू किया था, लेकिन इस योजना के सकारात्मक परिणाम सामने नहीं दिखे और अब यही खानापूर्ति के रूप में दिख रहा है।


'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन

'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन   मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए स्कूली बच्चों ने निकाला रैली कौशाम्बी। एन डी कान...