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मंगलवार, 1 मार्च 2022

हैरतअंगेज: एक बच्चे के मुंह से 50 दांत निकाले

हैरतअंगेज: एक बच्चे के मुंह से 50 दांत निकाले    

मनोज सिंह ठाकुर      
भोपाल। मध्य प्रदेश के इंदौर से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां पर एक बच्चे के मुंह से 50 दांत निकाले गए। उस बच्चे को दांतों में दर्द की शिकायत थी, जिसके बाद डॉक्टरों ने उसकी जांच की तो पता चला कि वो एक दुर्लभ बीमारी से ग्रसित है।
मेडिकल की दुनिया में इस बीमारी को ओडोनटोमा कहते हैं। एक लाख में तो सिर्फ एक या दो मामले, इस बीमारी के निकलते हैं।
इस केस की बात करें तो 10 साल के बच्चे के मुंह में काफी सूजन थी। उसे लंबे समय से दांतों में दर्द की भी शिकायत थी। ऐसे में बच्चे का तुरंत ऑपरेशन करना जरूरी हो गया था।
डॉक्टर सचिन ठाकुर के मुताबिक अगर समय रहते इस बीमारी का इलाज नहीं किया गया तो इसके गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। बच्चे को भी ये दिक्कत थी कि उसके ये अतिरिक्त दांत उसके स्वस्थ्य दांतों पर भी असर डालने लगे थे। अभी के लिए एक तीन डॉक्टरों की टीम ने उस बच्चे का सफल ऑपरेशन किया है।
ऑपरेशन के दौरान बच्चे के तीस दांत निकाल दिए गए हैं। वहीं बताया जा रहा है कि 18 साल की उम्र तक बच्चे के तीस दांत वापस आ जाएंगे।
जानकारी दी गई है कि ये ऑपरेशन काफी कठिन था और इसको करने में पूरे ढ़ाई घंटे लग गए। अब बच्चे की तबीयत ठीक बताई जा रही है और उसकी सेहत में भी सुधार हो रहा है।

मंगलवार, 22 फ़रवरी 2022

चरण छूने की महत्वपूर्ण परंपरा, जानिए

चरण छूने की महत्वपूर्ण परंपरा, जानिए     


सरस्वती उपाध्याय       

किसी के पैर छूने का मतलब है, उसके प्रति समर्पण भाव जगाना। जब मन में समर्पण का भाव आता है तो, अहंकार खत्म हो जाता है। पुराने समय से ही परंपरा चली आ रही है कि जब भी हम किसी विद्वान व्यक्ति या उम्र में बड़े व्यक्ति से मिलते हैं तो उनके पैर छुते हैं। इस परंपरा को मान-सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। यह बात तो सभी जानते हैं कि, बड़ों के पैर छुना चाहिए। लेकिन यह बात कम ही लोग जानते हैं कि, जब कोई हमारे पैर छुए तो, हमें क्या करना चाहिए ? पैर छुुना महत्वपूर्ण परंपरा है, और आज भी इसका पालन अधिकतर लोग करते हैं। इस परंपरा के संबंध में कई नियम भी हैं। इस परंपरा के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही कारण बताए गए हैं।

जब भी कोई व्यक्ति चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, आपके पैर छुए तो उन्हें आर्शीवाद तो देना चाहिए। साथ ही भगवान का नाम भी लेना चाहिए। आमतौर पर हम इस बात का ध्यान रखते हैं कि, हमारा पैर किसी को ना लगे। ऐसा होने पर हमें दोष लगता है और जब कोई हमारे पैर छुता है तब भी हमें दोष लगता है।

सोमवार, 21 फ़रवरी 2022

21 को मनाया जाता है 'अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस'

21 को मनाया जाता है 'अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस'   

भाषा के माध्यम से ही हम एक-दूसरे से बात करते हैं और फीलिंग को समझ पाते हैं। सोच कर देखिए अगर भाषा ही नहीं होती तो क्या होता और वो भी मातृभाषा ? क्योंकि सबसे पहले वो ही भाषा बोलना सीखते हैं। जो हमारे परिवार में बोलीं जाती है। अपनी मातृभाषा के प्रति सम्मान और जागरुकता फैलाना है। विश्व भर में 21 फरवरी को ‘अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ मनाया जाता है।

अंतरराष्‍ट्रीय मातृ भाषा दिवस मनाने के विचार को साल 1999 में यूनेस्को के आम सम्मेलन में मंजूरी दी गई थी और यह दिन साल 2000 से दुनिया भर में मनाया जा रहा है। हर साल इस दिन को एक खास थीम के जरिए मनाया जाता है। इस वर्ष का विषय ‘बहुभाषी शिक्षा के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग: चुनौतियां और अवसर’ है और यह बहुभाषी शिक्षा को आगे बढ़ाने में प्रौद्योगिकी की संभावित भूमिका को उजागर करेगा।

श्रीराम 'निर्भयपुत्र'

इंडोनेशिया में 6.0 तीव्रता का भूकंप, झटके

इंडोनेशिया में 6.0 तीव्रता का भूकंप, झटके  अखिलेश पांडेय  जकार्ता। इंडोनेशिया के पूर्वी प्रांत मालुकु में सोमवार के तेज झटके महसूस किए गए। इ...