शनिवार, 31 अगस्त 2019

लिव-इन-रिलेशनशिप व्यवस्था

लिव-इन सम्बन्ध या लिव-इन रिलेशनशिप एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें दो लोग जिनका विवाह नहीं हुआ है, साथ रहते हैं और एक पति-पत्नी की तरह आपस में शारिरिक सम्बन्ध बनाते हैं। यह सम्बंध स्नेहात्मक होता है और रिश्ता गहरा होता है। सम्बन्ध कई बार लम्बे समय तक चल सकते हैं या फिर स्थाई भी हो सकते हैं।इस प्रकार के सम्बंध विशेष रूप से पश्चिमी देशों में बहुत आम हो चुके हैं। यह रुझान को पिछले कुछ दशकों में काफ़ी बल मिला है, जिसका कारण बदलते सामाजिक विचार हैं, विशेषकर विवाह, लिंग भागीदारी और धर्म के मामलों में।


भारत के सर्वोच्च न्यायाल ने लिव-इन सम्बंधों के समर्थन में एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए कहा है कि यदि दो लोग लंबे समय से एक दूसरे के साथ रह रहे हैं और उनमें संबंध हैं, तो उन्हें शादीशुदा ही माना जाएगा।


सम्बन्ध के लाभ:-साथी को पूर्ण समय मौजूद होने के कारण जानने में आसानी होती है।
दोनो पक्ष आम तौर से आर्थिक रूप से स्वतंत्र और किसी पर निर्भर नहीं होते।
इस रिश्ते में सामाजिक और पारिवारिक नियम लागू नहीं होते।
वैवाहित जीवन की जवाबदारी इस रिश्ते पर लागू नहीं होती।
हर पक्ष दूसरे का सम्मान करता है।
सम्बन्ध के समाप्त होने पर तलाक जैसे झंजट-भरे मुकदमे कम ही देखे गए हैं।
असुविधाएँ:-समाज की अस्वीकृति और तिरस्कार।
सम्बंध का विवाह की तरह टिकाव न होना।
स्त्रियों की समस्याएँ, विशेष रूप से सम्बंध अचानक टूटने की स्थिति में पुरुषों से अधिक होती हैं।
इस सम्बंध से पैदा होने वाले बच्चे पारम्परिक पारिवारिक मर्यादाओं को समझने और अपनाने में असमर्थ होते हैं।
विवाह जैसे सम्बंध के आदर की कमी साफ़ दिखाई देती है।


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