गुरुवार, 4 मई 2023

'कलम के सिपाही' सम्मान समारोह का आयोजन 

'कलम के सिपाही' सम्मान समारोह का आयोजन 


अन्य पिछड़ा आयोग दिल्ली सरकार द्वारा विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पत्रकारों को सम्मान

अकांशु उपाध्याय/पुनीत गोस्वामी 

नई दिल्ली। अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग, दिल्ली सरकार द्वारा 'विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस' के अवसर पर "कलम के सिपाही" सम्मान समारोह का आयोजन नई दिल्ली स्थित अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के मुख्य कार्यालय में किया गया। जिसमें आयोग के चेयरमैन जगदीश यादव, आयोग के सचिव रंजीत सिंह, प्रबुद्ध समाजसेवी डा.भरत झा द्वारा पत्रकारों एवं मीडिया कर्मियों को सम्मानित किया गया। इस मौक़े पर स्वामी शैलेशानंद जी महाराज वेदाश्रम पीठाशीश्वर, फैस्टा के अध्यक्ष परमजीत सिंह पम्मा, डॉक्टर धर्मपाल भारद्वाज अतिथि रूप में उपस्थित रहे।

साथ ही कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोगी के रूप में निष्ठा ध्वनि एवं आके-देख नेटवर्क से संदीप कुमार और सलोनी गुलाटी का योगदान रहा। सम्मान समारोह में आयोग द्वारा स्मृति चिह्न व प्रस्सति पत्र प्रदान कर करीब 50 मीडिया कर्मियों को सम्मानित किया गया। जिसमें गीता प्रकाशन से पंकज अग्रवाल, उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के मीडिया सलाहकार पुनीत गोस्वामी, ए.बी.पी. न्यूज़ चैनल से रंजीत कुमार, भारत एक्सप्रेस न्यूज़ चैनल से कपिल गौर, पंजाब केसरी से ब्यूरो चीफ सत्येंद्र त्रिपाठी, सांध्य वीर अर्जुन से विजय शर्मा, मेट्रो मीडिया से नवीन गौतम, आज तक न्यूज़ चैनल से मनोरंजन कुमार, दैनिक भास्कर से राजेश जॉन पौल, मौलिक भारत से योगी राजकुमार नाथ एवं शिवानी शर्मा, टीवी 100 से सुनील परिहार एवं वंदना ठाकुर, अमर एकता से सुधीर चौहान, सूचना और प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार से राजन शर्मा आदि पत्रकारों को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जगदीश यादव सहित सचिव रणजीत सिंह, पूर्व फायर चीफ दिल्ली राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित डॉक्टर धर्मपाल भारद्वाज भी मौजूद रहे। कार्यक्रम के मुख्य रूप से आयोजक जगदीश यादव ने कहा की प्रेस किसी भी समाज का आईना होता है। लोकतांत्रिक देश में प्रेस की स्वतंत्रता एक मौलिक जरूरत है। इस अवसर पर आयोग के सचिव रंजीत सिंह जी ने कहा की समय-समय पर ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन होना चाहिए। क्योंकि जो लोग पत्रकारिता क्षेत्र में निष्पक्ष कार्य करते हैं। उनके प्रोत्साहन के लिए यह सम्मान जरूरी है।

ज्योतिष: आज लगेगा साल का पहला 'चंद्र ग्रहण'

ज्योतिष: आज लगेगा साल का पहला 'चंद्र ग्रहण'

सरस्वती उपाध्याय 

सूर्य ग्रहण के बाद साल का पहला चंद्र ग्रहण वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को लगने जा रहा है। साल का यह पहला चंद्र ग्रहण 5 मई को लगेगा। इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि पर लगने वाले इस चंद्र ग्रहण पर 130 वर्षों बाद दुर्लभ संयोग बनेगा, दरअसल 130 साल बाद बुद्ध पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण दोनों का संयोग बन रहा है। आपको बता दें कि 15 दिनों के अंतराल पर यह साल 2023 का दूसरा ग्रहण होगा। इसके पहले 20 अप्रैल को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगा था। इस ग्रहण को भारत में नहीं देखा जा सका था।

अब बुद्ध पूर्णिमा के दिन साल का पहला चंद्रग्रहण लगेगा। यह ग्रहण एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। जिसमें चांद की सतह पर धूल भरी आंधी के रूप में नजर आएगा। साल का पहला चंद्र ग्रहण भारतीय समय के अनुसार 5 मई को रात 8 बजकर 44 मिनट से शुरू हो जाएगा। जो आधी रात को यानी 1 बजकर 1 मिनट तक चलेगा। ग्रहण का उच्चतम काल रात 10 बजकर 52 मिनट पर होगा। 

धार्मिक नजरिए से जब भी उपच्छाया चंद्रग्रहण लगता है तो इसको ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता है ऐसे में इस चंद्र ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। आपको बता दें कि सूर्य ग्रहण के होने पर ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले सूतक काल आरंभ हो जाता है जबकि चंद्र ग्रहण होने पर 9 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाता है। सूतक काल में किसी भी तरह का शुभ काम और पूजा-पाठ नहीं किया जाता है। सूतक की समाप्ति के बाद ही सभी तरह के धार्मिक कार्य दोबारा से शुरू होते हैं। 

आइए जानते हैं साल के पहले चंद्र ग्रहण का समय, सूतककाल और इसे कहां-कहां पर देखा जा सकेगा। खगोल विज्ञानियों के अनुसार साल का पहला चंद्र ग्रहण यूरोप, एशिया के ज्यादातर हिस्से, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, प्रशांत, अटलांटिक, अंटार्कटिका और हिंद महासागर में दिखाई देगा। जहां तक भारत में इस चंद्र ग्रहण के दिखाई देने का मामला है तो ज्यादातर खगोल शास्त्र के जानकारों और हिंदू पंचांग की गणनाओं के आधार पर यह चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। लेकिन टाइम एंड डेट डॉट काम के अनुसार भारत के कुछ हिस्सों में इस चंद्र ग्रहण को देखा जा सकता है।

साल का पहला चंद्र ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। खगोल विज्ञान के अनुसार जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है, तो तब ये तीनों एक सीधी लाइन में कुछ देर के लिए आ जाते हैं। इस घटना को ही चंद्र ग्रहण कहते हैं। जब पृथ्वी की परछाई सीधी चंद्रमा पर न पड़े तो इसे उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं।

21 करोड़ रुपए के विकास कार्यों का शुभारंभ 

21 करोड़ रुपए के विकास कार्यों का शुभारंभ 


मार्ग चौड़ीकरण मरम्मत और पुल पुलिया निर्माण सहित लगभग 21 करोड़ रुपए के विकास कार्यों का विधिवत पूजा पाठ कर शुभारंभ 

धरसीवां विधायक अनिता योगेन्द्र शर्मा ने 21 करोड़ के विकास कार्यों का शुभारंभ किया

धरसीवां विधायक अनिता योगेन्द्र शर्मा ने क्षेत्रवासियों दी करोड़ों की सौगात

दुष्यंत टीकम 

रायपुर। धरसीवां विधायक अनिता योगेंद्र शर्मा के द्वारा बृहस्पतिवार को अपने विधानसभा क्षेत्र ग्राम पंचायत नवागांव-बेलटुकरी-भड़हा मार्ग चौड़ीकरण मरम्मत और पुल-पुलिया निर्माण सहित लगभग 21 करोड़ रुपए के विकास कार्यों का विधिवत पूजा पाठ कर शुभारंभ किया। धरसीवां विधायक अनिता योगेन्द्र शर्मा ने कहा, आज का दिन यहां के निवासियों लिए ऐतिसाहिक दिन था और लगातार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में गांव-गांव तक सड़क संपर्क को मजबूत और आवागमन को सुगम बनाने सड़क और पुलों के कामों में तेजी आई है।

साथ ही राज्य सरकार द्वारा समाज के सभी वर्गों के विकास के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की गई है। इन विभिन्न योजनाओं से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। बुनियादी सुविधाओं के साथ ही तेजी से आर्थिक विकास सरकार की प्राथमिकता है और इस दिशा में ठोस कार्य हो रहा है इसी तरह यहां पर रोड बनने से इन ग्राम पंचायतों का बृहद रूप में विकास होगा और आवागमन के लिए ग्राम वासियों को एक अच्छी सौगात मिलेगी।

इस अवसर में ग्रामग्राम वासियों ने धरसीवां विधायक अनिता योगेंद्र शर्मा का आभार जताया। बृहस्पतिवार को इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से जनपद सदस्य मुकेश भारद्वाज,ग्राम पंचायत सरपंच सीमा संतराम टंडन, भारत बंजारे,तिलक चेलक,राजकुमारी चेलक,शत्रुघन देवांगन, बबलू भाटिया, निक्की यादव,मोहन जांगड़े,सीता चौहान, खूबी डहरिया,सहित लोक निर्माण विभाग के समस्त अधिकारी कर्मचारी गण और समस्त ग्रामवासी भारी संख्या में उपस्थित रहे।

40 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया: कंपनियां 

40 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया: कंपनियां 

अकांशु उपाध्याय/अखिलेश पांडेय 

नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी। अमेरिका में भारत की 163 भारतीय कंपनियों ने अबतक 40 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है। जिससे देश में करीब 4,25,000 नौकरियां पैदा हुई हैं। एक सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के ‘इंडियन रूट्स, अमेरिकन सॉयल’ शीर्षक वाले सर्वे को बुधवार को अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने जारी किया। इस अवसर पर भारत में अमेरिका के नामित राजदूत एरिक गार्सेटी भी मौजूद थे। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व पर लगभग 18.5 करोड़ डॉलर खर्च किए हैं। अमेरिका आधारित शोध एवं विकास परियोजनाओं में उनका वित्तपोषण करीब एक अरब डॉलर है। संधू ने इस मौके पर बड़ी संख्या में उपस्थित भारतीय कंपनियों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘अमेरिका में भारतीय कंपनियां मजबूती, जुझारूपन और प्रतिस्पर्धा ला रही हैं। ये रोजगार पैदा कर रही हैं और स्थानीय समुदायों को समर्थन दे रही हैं।’’ 

भारतीय कंपनियों के प्रतिनिधि यहां एक सम्मेलन में भाग लेने आए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 163 भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में 40 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है। इससे देश में लगभग 4,25,000 नौकरियां पैदा हुई हैं। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ‘‘भारतीय कंपनियों ने अमेरिकी बाजार में अपनी जुझारू क्षमता और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है। उन्होंने यहां निवेश बढ़ाने के साथ रोजगार का भी सृजन किया है और विभिन्न क्षेत्रों में विविधीकरण किया है।’’ 

भारतीय कंपनियों द्वारा सृजित नौकरियों से लाभान्वित होने वाले शीर्ष दस राज्यों में टेक्सास (20,906 नौकरियां), न्यूयॉर्क (19,162 नौकरियां), न्यू जर्सी (17,713 नौकरियां), वॉशिंगटन (14,525 नौकरियां), फ्लोरिडा (14,418 नौकरियां), कैलिफोर्निया (14,334 नौकरियां), जॉर्जिया (13,945 नौकरियां), ओहियो (12,188 नौकरियां), मोंटाना (9,603 नौकरियां), इलिनॉयस (8,454 नौकरियां) हैं। 

बिहार: जाति आधारित गणना पर 'एचसी' की रोक

बिहार: जाति आधारित गणना पर 'एचसी' की रोक

अविनाश श्रीवास्तव 

पटना। पटना उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार द्वारा किए जा रहे जाति आधारित गणना पर बृहस्पतिवार को रोक लगा दी। अदालत मामलें की सुनवाई अब तीन जुलाई को करेगी। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार को जाति आधारित सर्वेक्षण को तुरंत रोकने और इस सर्वेक्षण अभियान के तहत अबतक एकत्र किए गए आंकडों को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया।

पीठ ने सरकार को यह भी निर्देश दिया कि मामले में अंतिम आदेश पारित होने तक इन आंकड़ों को किसी के भी साथ साझा नहीं किये जाएं। अदालत मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख तीन जुलाई तय की है। अदालत ने कहा, ‘‘हमारी राय है कि याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार द्वारा जाति आधारित सर्वेक्षण की प्रक्रिया को जारी रखने के खिलाफ तथा आंकडे की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाया है, जिसका सरकार की ओर से विस्तृत समाधान किया जाना चाहिए।’’

बिहार के महाधिवक्ता प्रशांत कुमार शाही ने अपने अधिवक्ताओं की टीम के साथ सरकार की ओर से बहस की जबकि याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव, धनंजय कुमार तिवारी और अन्य ने किया। बहस के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण के फैसले का हवाला देते हुए अदालत को बताया गया कि जाति आधारित गणना में ट्रांसजेंडरों को एक जाति के रूप में दर्शाया गया है, जबकि ऐसी कोई जाति श्रेणी वास्तव में मौजूद नहीं है। हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि ट्रांसजेंडरों को जाति के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा पर अधिसूचना में इसे जाति की सूची में रखा गया है। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया हमारी राय है कि राज्य के पास जाति आधारित सर्वेक्षण करने की कोई शक्ति नहीं है, जिस तरह से यह किया जा रहा है, जो एक जनगणना के समान है, इस प्रकार संघ की विधायी शक्ति पर अतिक्रमण होगा।

अदालत ने राज्य विधानसभा में विभिन्न दलों के नेताओं के साथ सर्वेक्षण के आंकड़े साझा करने की सरकार की मंशा के बारे में कहा कि यह निश्चित रूप से निजता के अधिकार का सवाल है, जिसे उच्चतम न्यायालय ने जीवन के अधिकार का एक पहलू माना है। पीठ ने यह स्पष्ट किया कि राज्य एक सर्वेक्षण की आड़ में एक जातिगत जनगणना करने का प्रयास नहीं कर सकता है, खासकर जब राज्य के पास बिल्कुल विधायी क्षमता नहीं है और उस स्थिति में न ही भारत के संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत एक कार्यकारी आदेश को बनाए रखा जा सकता है।

अदालत ने कहा कि जनगणना और सर्वेक्षण के बीच आवश्यक अंतर यह है कि जनगणना सटीक तथ्यों और सत्यापन योग्य विवरणों के संग्रह पर विचार करता है। सर्वेक्षण का उद्देश्य आम जनता की राय और धारणाओं का संग्रह और उनका विश्लेषण करना है । इसने कहा कि एकत्र किए गए आंकडे के विश्लेषण में दोनों परिणाम जो जनगणना के मामले में अनुभवजन्य हैं, जबकि सर्वेक्षण में ज्यादातर तार्किक निष्कर्ष होते हैं। बिहार राज्य द्वारा वर्तमान कवायद को केवल सर्वेक्षण के नाम पर जनगणना करने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है। उच्च न्यायालय ने यह भी माना कि राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना इस तरह के सर्वेक्षण को करने के लिए किसी भी प्रत्यक्ष वस्तु का खुलासा नहीं करती है। यह भी तर्क दिया जा रहा है कि आंकडे़ सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य द्वारा लागू कोई उपाय भी नहीं है, भले ही आंकड़ों का संग्रह स्वैच्छिक आधार पर हो।

पीठ ने कहा कि ऐसे आंकड़ों का कोई सार्वजनिक उपयोग नहीं हो सकता है, जो फिर से किसी व्यक्ति की निजता के अधिकार का उल्लंघन करेगा, भले ही ये स्वेच्छा से दिये गये हों। बिहार में जाति सर्वेक्षण का पहला दौर 7 से 21 जनवरी के बीच आयोजित किया गया था। दूसरा दौर 15 अप्रैल को शुरू हुआ था और 15 मई तक जारी रहने वाला था। उच्च न्यायालय के समक्ष याचिकाएं सामाजिक संगठन और कुछ व्यक्तियों द्वारा दायर की गई थी, जो पिछले महीने उच्चतम न्यायालय गये थे।

अदालत का निर्णय आने से पूर्व आज दिन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनकी सरकार द्वारा की जा रही जाति आधारित गणना को लेकर कुछ हलकों से विरोध पर नाराज़गी जताई थी। नीतीश ने पटना उच्च न्यायालय में जाति सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली एक याचिका पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि याचिकाकर्ताओं के साथ-साथ सरकार ने भी अपनी दलीलें रखी हैं। अब हम फैसले का इंतजार कर रहे हैं। पता नहीं क्यों इसका विरोध हो रहा है। इससे तो पता चलता है, कि लोगों को मौलिक चीज की समझ नहीं है।

लखनऊ बेंच ने पूर्व आईपीएस सेन को जमानत दी 

लखनऊ बेंच ने पूर्व आईपीएस सेन को जमानत दी 

संदीप मिश्र 

लखनऊ। पशुपालन घोटाले के मामलें में पिछले 2 साल से जेल में बंद पूर्व आईपीएस अफसर अरविंद सेन को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जमानत दे दी है। अदालत ने जमानत के मामले पर सुनवाई करते हुए गबन के 20,00000 रुपए याचिकाकर्ता को देने का आदेश दिया है। बृहस्पतिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पिछले 2 साल से जेल में बंद चल रहे पूर्व आईपीएस अफसर अरविंद सेन की पशुपालन घोटाले के मामलें में जमानत स्वीकार कर ली है। 

अदालत ने पूर्व आईपीएस की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को गबन के 20 लाख रुपए देने का आदेश दिया है। जमानत पाने वाले आईपीएस अफसर अरविंद सेन वर्ष 2021 की 27 जनवरी से राजधानी लखनऊ की जेल में बंद रहे हैं। पशुपालन घोटाले के इस मामले में आरोपी बनाए गए 17 लोगों में से अभी तक चार आरोपियों को अदालत द्वारा जमानत दी जा चुकी है। जमानत पाने वालों में शामिल सुनील गुर्जर की भूमिका नहीं होने पर हाईकोर्ट की बेंच ने उसे जमानत दे दी थी।

एससी ने इलाहाबाद एचसी के आदेश पर रोक लगाई 

एससी ने इलाहाबाद एचसी के आदेश पर रोक लगाई 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें उत्तर प्रदेश के स्कूलों को 2020-21 के शैक्षणिक सत्र के दौरान ली गई "अतिरिक्त" फीस का 15% वापस करने या समायोजित करने का निर्देश दिया गया था, जब कोविड-19 महामारी में उन्हें फीस के लिए बंद करने के लिए मजबूर किया था। 

भविष्य में भुगतान किया जाए, शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता, एक निजी स्कूल ने उक्त निर्देश को चुनौती दी, यह दावा करते हुए कि यह खुद को या किसी अन्य निजी स्कूल को अवसर प्रदान किए बिना पारित किया गया था।

पंजाब किंग्स ने जीता टॉस, गेंदबाजी का फैसला

पंजाब किंग्स ने जीता टॉस, गेंदबाजी का फैसला  इकबाल अंसारी  चेन्नई। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2024 सीजन में चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) और पं...