गुरुवार, 12 जनवरी 2023

गतिरोध: सरकार ने राष्ट्रपति मुर्मू को ज्ञापन सौंपा

गतिरोध: सरकार ने राष्ट्रपति मुर्मू को ज्ञापन सौंपा

अकांशु उपाध्याय/इकबाल अंसारी 

नई दिल्ली/चेन्नई। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक और राज्यपाल आर एन रवि के बीच गतिरोध की पृष्ठभूमि में राज्य सरकार ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन की विषयवस्तु को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है। द्रमुक संसदीय दल के नेता टी आर बालू ने नयी दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि तमिलनाडु के कानून मंत्री एस रेगुपति के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा जिसे मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने लिखा है। उन्होंने कई बार इस बात पर जोर दिया कि ज्ञापन में क्या लिखा है, वह केवल मुख्यमंत्री जानते हैं। उन्होंने कहा कि स्टालिन का ज्ञापन सीलबंद लिफाफे में राष्ट्रपति को सौंपा गया है।

राष्ट्रीय राजधानी में संवाददाताओं से तमिल भाषा में संक्षिप्त बातचीत में बालू ने ज्ञापन के बारे में केवल इतना कहा कि यह राज्य सरकार की ओर से तमिलनाडु के कानून मंत्री ने सौंपा। उन्होंने संकेत दिया कि ज्ञापन में राज्यपाल से जुड़े मुद्दे और उनके ‘परंपराओं से हटकर काम करने’ के बारे में लिखा हो सकता है। रेगुपति और लोकसभा सदस्य ए राजा की मौजूदगी में बालू ने कहा, ‘‘हमें ज्ञापन के निष्कर्ष वाले हिस्से की जानकारी नहीं है क्योंकि यह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और भारत की राष्ट्रपति के बीच ही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि ज्ञापन का अध्ययन करने के बाद उन्हें जो उचित लगे कार्रवाई करें।’’

रवि ने सोमवार को राज्य विधानसभा में अपने परंपरागत अभिभाषण से हटकर संबोधन दिया था और स्टालिन ने इसके खिलाफ एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया। जिसके बाद राज्य सरकार और राज भवन के बीच पहले से गतिरोध वाले संबंधों में और तनाव आ गया। द्रमुक और उसके सहयोगी दल जहां राज्यपाल रवि को वापस बुलाने की मांग पुरजोर तरीके से उठा रहे हैं, वहीं भारतीय जनता पार्टी रवि का समर्थन कर रही है। द्रमुक नीत गठबंधन ने गत नवंबर महीने में राष्ट्रपति मुर्मू से रवि को बर्खास्त करने का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया था कि उन्होंने संविधान के तहत ली गयी शपथ का उल्लंघन किया है। बालू ने आज कहा कि नवंबर 2022 में दिया गया ज्ञापन ‘राजनीतिक’ प्रकृति का था, जबकि आज का ज्ञापन सरकार की ओर से दिया गया है।

द्रमुक नेता ने रवि पर तमिलनाडु में ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सनातन नीतियों’ को थोपने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि पेरियार, अन्ना और कलईंगर की धरती पर ये कोशिश फलीभूत नहीं होंगी। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि राज्यपाल ने तमिलनाडु की जनता और राष्ट्रगान का अपमान किया है। वह संभवत: सोमवार को सदन से राज्यपाल के वॉकआउट का परोक्ष जिक्र कर रहे थे।

राज्यपाल रवि द्वारा राज्य को ‘तमिझगम’ पुकारने की सलाह के अनुसार एक पत्रकार द्वारा इस शब्द का इस्तेमाल किये जाने पर बालू ने आपत्ति जताते हुए कहा कि सही नाम ‘तमिलनाडु’ ही है। उन्होंने कहा, ‘‘हम तमिझगम शब्द को स्वीकार नहीं करते क्योंकि वह (रवि) किसी मंशा के साथ इसका उपयोग कर रहे हैं। अन्ना (द्रमुक संस्थापक और दिवंगत मुख्यमंत्री) ने राज्य को तमिलनाडु नाम दिया था।’’

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

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1. अंक-93, (वर्ष-06)

2. शुक्रवार, जनवरी 13, 2023

3. शक-1944, पौष, कृष्ण-पक्ष, तिथि-षष्ठी, विक्रमी सवंत-2079‌‌।

4. सूर्योदय प्रातः 07:24, सूर्यास्त: 05:33। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 10 डी.सै., अधिकतम- 19+ डी.सै.।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु  (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसैन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

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(सर्वाधिकार सुरक्षित)

बुधवार, 11 जनवरी 2023

संबंधित अधिकारियों के साथ स्थलीय निरीक्षण किया 

संबंधित अधिकारियों के साथ स्थलीय निरीक्षण किया 


जिलाधिकारी ने अलवारा झील का किया स्थलीय निरीक्षण

अलवारा झील के संरक्षण, सौन्दर्यीकरण एवं पर्यटन को आकर्षित करने के दृष्टिगत विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर शासन को प्रेषित करने के दिए निर्देश

कौशाम्बी। जिलाधिकारी सुजीत कुमार ने अलवारा झील के संरक्षण एवं सौन्दर्यीकरण के दृष्टिगत मुख्य विकास अधिकारी डॉ. रवि किशोर त्रिवेदी एवं प्रभागीय वनाधिकारी डॉ. राम सिंह यादव सहित अन्य संबंधित अधिकारियों के साथ स्थलीय निरीक्षण किया। जिलाधिकारी ने अलवारा झील का अवलोकन कर तहसीलदार से झील का क्षेत्रफल आदि जानकारी प्राप्त करते हुए प्रभागीय वनाधिकारी को अलवारा झील के संरक्षण एवं सौन्दर्यीकरण के साथ ही पर्यटन को बढ़ावा दिये जाने को भी दृष्टिगत रखते हुए विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर शासन को प्रेषित करने के निर्देश दिए। उन्होंने खण्ड विकास अधिकारी को आगामी गर्मी के समय में साफ-सफाई कराने के निर्देश दिए। 

प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि अलवारा झील को जलीय जैव विविधिता पार्क एवं नौकायन आदि के रुप में विकसित करने के लिए प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया गया है। उन्होंने बताया कि अलवारा झील में आधारभूत सुविधाओ के विकास, वॉच टावर एवं जन-जागरूकता करने के लिए वन विभाग द्वारा रू0 25 लाख की धनराशि उपलब्ध करायी गई है। शीघ्र ही आवश्यक कार्यवाही प्रारम्भ कर दी जाएगी।

गणेश साहू 

तीन नई सहकारी समितियों के गठन का फैसला 

तीन नई सहकारी समितियों के गठन का फैसला 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। सरकार ने जैविक उत्पाद, बीज और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए तीन नई सहकारी समितियों के गठन का फैसला किया है। बहुराज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के अन्तर्गत राष्ट्रीय स्तर की सहकारी जैविक समिति, सहकारी बीज समिति एवं सहकारी निर्यात समिति का पंजीकरण किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में इस संबंध में फैसला लिया गया। मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘सहकारिता क्षेत्र एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाने और ग्रामीण विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस संदर्भ में, मंत्रिमंडल ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जो 'सहकार से समृद्धि' के हमारे दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएगा।’’

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद केंद्रीय श्रम एवं रोजगार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि सहकारिता- ग्रामीण भारत का अहम हिस्सा है और मंत्रिमंडल ने 35 साल बाद तीन नई बहु सहकारी समितियां गठित करने का अहम फैसला लिया है। बहु-राज्यीय सहकारिता समिति कानून 1984 में लागू किया गया था। वर्ष 1987 में इस कानून के तहत ट्राइफेड (ट्राइबल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) को एक राष्ट्रीय स्तर की सहकारी संस्था के रूप में स्थापित किया गया था। उन्होंने कहा कि 35 साल बाद तीन नई बहुराज्य सहकारी समितियां स्थापित की जाएगी।

उन्होंने कहा कि ये समितियां ग्रामीण विकास और किसानों की आय को बढ़ाकर ‘सहकार से समृद्धि’ (सहकारिता के माध्यम से समृद्धि) के लक्ष्य को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। मंत्री ने कहा कि प्राथमिक समितियां, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के महासंघ, बहु-राज्य सहकारी समितियां और किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) सहित सहकारिता सोसायटी इन नई सहकारी समितियों के सदस्य बन सकते हैं। यादव ने कहा, ‘‘इन सभी सहकारी समितियों के उपनियमों के अनुसार समिति के निदेशक मंडल में उनके निर्वाचित प्रतिनिधि होंगे।’’ देश में लगभग 8.5 लाख पंजीकृत सहकारी समितियां हैं जिनमें 29 करोड़ सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि इन तीन राष्ट्रीय स्तर की सहकारी समितियों की स्थापना से ग्रामीण विकास होगा।

प्रस्तावित निर्यात समिति की भूमिका के बारे में बताते हुए सहकारिता मंत्रालय ने कहा कि यह निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक प्रमुख संगठन के रूप में कार्य करके सहकारी क्षेत्र से निर्यात पर जोर देगी। यह सहकारी समितियों को केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की विभिन्न निर्यात-संबंधी योजनाओं और नीतियों से एक केंद्रित तरीके से लाभ प्राप्त करने में भी मदद करेगी। मूल रूप से, यह वैश्विक बाजार में भारतीय सहकारी समितियों की निर्यात क्षमता को उन्मुक्त करने में मदद करेगा। मंत्रालय के अनुसार, प्रस्तावित सहकारी जैविक समिति - घरेलू और वैश्विक बाजारों में जैविक उत्पादों की मांग और खपत क्षमता को खोलने में मदद करेगी। यह प्रमाणित और प्रामाणिक जैविक उत्पाद प्रदान करके जैविक क्षेत्र से संबंधित विभिन्न गतिविधियों का प्रबंधन करेगी। यह सहकारी समितियों और अंततः उनके किसान सदस्यों को सस्ती कीमत पर परीक्षण और प्रमाणन की सुविधा देकर बड़े पैमाने पर एकत्रीकरण, ब्रांडिंग और विपणन के माध्यम से जैविक उत्पादों की उच्च कीमत का लाभ प्राप्त करने में मदद करेगी।

यह जैविक उत्पादकों के लिए तकनीकी मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की सुविधा के साथ-साथ उनके लिए एक समर्पित बाजार आसूचना प्रणाली विकसित करने और बनाए रखने के अलावा निर्यात विपणन के लिए राष्ट्रीय सहकारी निर्यात समिति की सेवाओं का उपयोग करेगी।जहां तक बीज सहकारी समिति का मामला है, मंत्रालय ने कहा कि यह गुणवत्ता वाले बीजों के उत्पादन, खरीद, प्रसंस्करण, ब्रांडिंग, लेबलिंग, पैकेजिंग, भंडारण, विपणन और वितरण के लिए एक शीर्ष संगठन के रूप में कार्य करेगी। यह संबंधित मंत्रालयों के सहयोग से देशभर में विभिन्न सहकारी समितियों के माध्यम से स्वदेशी प्राकृतिक बीजों के संरक्षण और प्रचार के लिए एक प्रणाली विकसित करेगी।

रिक्शा और टैक्सी के किराए में बढ़ोतरी, अधिसूचना 

रिक्शा और टैक्सी के किराए में बढ़ोतरी, अधिसूचना 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने बुधवार को तिपहिया (ऑटो रिक्शा) और टैक्सी के किराए में बढ़ोतरी की अधिसूचना जारी कर दी। इसके साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में अब ऑटो और टैक्सी का सफर महंगा हो गया है। नए किराये के अनुसार, ऑटो रिक्शा में शुरुआती 1.5 किलोमीटर के लिए मीटर डाउन (न्यूनतम किराया) करने का शुल्क 25 रुपये से बढ़ाकर 30 रुपये कर दिया गया है। वहीं इसके बाद प्रति किलोमीटर किराया 9.5 रुपये से बढ़ाकर 11 रुपये कर दिया गया है। नई दरें नौ जनवरी से प्रभावी हो गई हैं।

ऑटो रिक्शा के लिए प्रतीक्षा (वेटिंग) शुल्क और रात्रि शुल्क में कोई बदलाव नहीं किया गया है लेकिन अतिरिक्त सामान के लिए किराया 7.50 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये कर दिया गया है। टैक्सी में वातानुकूलित और गैर-वातानुकूलित वाहनों के लिए पहले किलोमीटर का मौजूदा किराया 25 रुपये था, जो अब बढ़कर 40 रुपये हो गया है। मीटर डाउन करने के बाद प्रति किलोमीटर के लिए किराया गैर-वातानुकूलित वाहनों में 14 रुपये से बढ़कर 17 रुपये और वातानुकूलित वाहनों में 16 रुपये से बढ़कर 20 रुपये कर दिया गया है। रात्रि शुल्क (25 रुपये) में कोई बदलाव नहीं किया गया है। 

प्रतीक्षा शुल्क 30 रुपये ही है और 15 मिनट के बाद एक रुपये प्रति मिनट की दर से शुल्क लिया जाएगा। अतिरिक्त सामान शुल्क 10 रुपये से बढ़ाकर 15 रुपये कर दिया गया है। जहां ऑटो रिक्शा के किराये में पिछली बार संशोधन 2020 में किया गया था, वहीं टैक्सी, जिसमें काले-पीले रंग वाली, इकनॉमी (किफायती) और प्रीमियम (महंगी) टैक्सी, के किराये में संशोधन नौ साल पहले 2013 में किया गया था। दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में ऑटो रिक्शा और टैक्सी के किराये में बढ़ोतरी को अधिसूचित करने के लिए उपराज्यपाल वी के सक्सेना के पास 17 दिसंबर, 2022 को फाइल भेजी थी। 

राष्ट्रीय राजधानी में सीएनजी की कीमतों में वृद्धि के बाद गठित एक समिति की किराया बढ़ाने की सिफारिशों को दिल्ली सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में मंजूरी दे दी थी। किराया बढ़ोतरी के मुद्दे पर दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत से ऑटो रिक्शा और टैक्सी संघों के कई प्रतिनिधियों ने मुलाकात की थी।

हज में वीआईपी कोटा खत्म करने का फैसला 

हज में वीआईपी कोटा खत्म करने का फैसला 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने हज में वीआईपी कोटा खत्म करने का फैसला किया है। ताकि देश के आम लोगों को इससे फायदा हो और इस धार्मिक यात्रा में ‘वीआईपी कल्चर’ खत्म हो। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री स्मृति ईरानी ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने एक समाचार चैनल से बातचीत में कहा, यह (हज में वीआईपी कोटा खत्म करने का) फैसला हो चुका है। प्रधानमंत्री जी ने अपने कार्यकाल के प्रथम दिन ही वीआईपी कल्चर खत्म करने का संकल्प राष्ट्र के समक्ष प्रस्तुत किया था।

ईरानी ने कहा, हज कमेटी और हज यात्रा को लेकर संप्रग सरकार के समय वीआईपी कल्चर स्थापित किया गया था। इसके अंतर्गत संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों के पास हज का विशेष कोटा होता था। उन्होंने बताया, अब प्रधानमंत्री जी ने अपना कोटा राष्ट्र को समर्पित किया ताकि इसमें वीआईपी संस्कृति नहीं रहे और आम हिंदुस्तानी को सुविधा मिले। राष्ट्रपति जी, उप राष्ट्रपति और मैंने भी अपना कोटा छोड़ा है। हमने हज कमेटी से चर्चा की कि आप वीआईपी कल्चर छोड़ दें और कोटा समाप्त कर दें। सभी राज्यों की हज कमेटियों ने इसका समर्थन किया। उधर, हज कमेटी के सूत्रों ने बताया कि मंत्री की इस घोषणा के बाद अगले कुछ दिनों के भीतर इस फैसले से जुड़ी अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। 

उल्लेखनीय है कि ‘वीआईपी कोटे’ के तहत राष्ट्रपति के पास 100 हजयात्रियों का कोटा होता था तो प्रधानमंत्री के पास 75, उप राष्ट्रपति के पास 75 और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री के पास 50 का कोटा होता था। इसके अतिरिक्त हज कमेटी के सदस्यों/पदाधिकारियों के पास 200 हजयात्रियों का कोटा होता था। हज कमेटी के सूत्रों ने बताया कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने गत 14 नवंबर को एक पत्र लिखकर हज में ‘वीआईपी कोटा’ खत्म करने से जुड़े फैसले की जानकारी दी थी और कहा था कि हज कमेटी के 200 हजयात्रियों के कोटे को सामान्य कोटे के साथ शामिल किया जाए। हज के लिए भारत का कोटा करीब दो लाख हज यात्रियों का है।

बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक संपन्न

बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक संपन्न  इकबाल अंसारी  गाज़ियाबाद। मुख्य विकास अधिकारी अभिनव गोपाल की अध्यक्षता में विकास भवन गाज़ियाबाद क...