अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमा संकट को बड़े पैमाने पर संघर्ष तथा दक्षिणपूर्व एशिया के केंद्र में बहुआयामी ‘तबाही’ में बदलने से रोकने के लिए एकीकृत क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई का आग्रह किया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने महासभा में पेश की गयी एक रिपोर्ट में बुधवार को आगाह किया कि यह अत्यधिक आवश्यक है कि क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय देश म्यांमा को लोकतांत्रिक सुधार के रास्ते पर वापस लाने में मदद करें।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त माइकल बैचलेट और अधिकार समूहों ने बताया कि म्यांमा सेना ने जब एक फरवरी को आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार को सत्ता से बेदखल किया था, तब उसने दावा किया था कि उनकी पार्टी ने पिछले नवंबर में जो आम चुनाव जीता था उसमें धोखाधड़ी की गई थी। सेना के तख्तापलट के तुरंत बाद व्यापक पैमाने पर प्रदर्शन शुरू हो गए थे जिसे सुरक्षाबलों ने कुचलने की कोशिश की जिसमें 1,100 से अधिक लोग मारे गए।
संयुक्त राष्ट्र ने दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के 10 सदस्यीय संघ द्वारा अपनाई पांच सूत्री योजना का समर्थन किया, जिसमें मध्यस्थ और मानवीय सहायता के तौर पर आसियान विशेष दूत की नियुक्ति शामिल है। आसियान ने अगस्त में ब्रूनेई के दूसरे विदेश मंत्री एरिवान युसूफ को अपना विशेष दूत नियुक्त किया था। गुतारेस ने रिपोर्ट में युसूफ की नियुक्ति का स्वागत करते हुए ”शांतिपूर्ण समाधान के लिए पांच सूत्री आम सहमति के समय पर और व्यापक क्रियान्वयन” का आह्वान किया था।
उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर सशस्त्र संघर्ष के खतरे को दक्षिणपूर्व एशिया के केंद्र में या उससे आगे बहुआयामी तबाही को रोकने के लिए सामूहिक रुख अपनाने की आवश्यकता है। तेजी से बिगड़ती खाद्य सुरक्षा, बड़े पैमाने पर बढ़ता विस्थापन और कोविड-19 के कारण कमजोर होती सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली समेत गंभीर मानवीय प्रभाव से निपटने के लिए समन्वित रुख अपनाने की आवश्यकता है।