मंगलवार, 20 जुलाई 2021

शिक्षक भर्ती मामले ने तूल पकड़ा, अभ्यर्थी की छलांग

हरिओम उपाध्याय              
लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। एक तरफ जहां सरकार उनकी मांगों की अनदेखी कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ शिक्षक अभ्यर्थी अपनी मांगों को लेकर तमाम तरह की अड़चनों के बीच विगत एक महीने से आरक्षण घोटाले का आरोप लगाते हुए धरनावत है। सरकार के तानाशाही रवैए से परेशान एक अभ्यर्थी ने मंगलवार को गोमती नदी में छलांग लगा दी है।
अभ्यर्थी के कूदने से अफरा-तफरी का माहौल बन गया तो वही मौजूद लोगों ने स्थानीय पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस गोताखोरों की मदद से करीब डेढ़ घंटे से रेस्क्यू के जरिए अभ्यर्थी को ढूंढने का प्रयास कर रही है। लेकिन छलांग लगाने वाले अभ्यर्थी का अभी तक कुछ भी पता नहीं चल सका है। रोते-बिलखते अभ्यर्थी मुख्‍यमंत्री आवास पहुंच गए।उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री आवास के सामने ‘योगी जी न्‍याय दो’ का नारा लगाना शुरू कर दिया। सीएम आवास पर बड़ी संख्‍या में मौजूद पुलिस बल ने माहौल बिगड़ता देखा तो बसों में भरकर अभ्‍यर्थियों को धरना स्‍थल (इको गार्डन) भेज दिया।
बता दें कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले में आरक्षण घोटाले का आरोप लगाते हुए पिछले कई दिनों से अभ्‍यर्थी लखनऊ के अलग-अलग हिस्‍सों में प्रदर्शन कर रहे हैं। बीते दिन इन्‍हीं अभ्‍यर्थियेां पर लाठीचार्ज हुआ था। आज फिर वे अपना हक मांगने सीएम आवास पर पहुंचे। कुछ अभ्‍यर्थियों ने सड़क पर लेटकर विरोध प्रदर्शन किया।
इस बीच वहां मौजूद पुलिस बल ने सक्रियता दिखाते हुए अभ्‍यर्थियों को बसों में भरकर धरना स्‍थल पर भिजवा दिया। बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा कि विभाग में 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए निर्धारित 18,598 पदों पर पूरी पारदर्शिता के साथ भर्ती की गई है, लेकिन कुछ शरारती तत्व और राजनीतिक दल युवाओं को बरगला कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
सरकार की ओर से किसी भी विभाग में भर्ती के लिए जिन नियमों के तहत आवेदन मांगे जाते हैं। उन्हीं के तहत पूरी भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाती है। इसे न भर्ती प्रक्रिया के दौरान बदला जा सकता है और न ही भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद।

50 फोनों की जासूसी के लिए लाइसेंस का इस्तेमाल

अकांशु उपाध्याय           
नई दिल्ली। जानकार बता रहे हैं कि पेगासस के एक लायसेंस की कीमत $70 – 80 लाख (डॉलर) है।
और एक लाइसेंस का इस्तेमाल 50 फोनों की जासूसी के लिए किया जा सकता है।
अंदाज़ा लगाएं कि अगर कम से कम 2000 फोन की जासूसी भी की गई होगी तो कितने अरब डॉलर खर्च किए गए होंगे।
हां, डॉलर्स को रुपए में कन्वर्ट करना न भूलें।
ध्यान रखें इज़रायल की कम्पनी केवल सरकारों को यह जासूसी सॉफ्टवेयर बेचती है। व्यक्ति विशेष को नहीं!
रिपोर्ट्स के मुताबिक पेगासस स्पाइवेयर के निशाने पर 40 भारतीय पत्रकार, उनके फ़ोन टैप कर निगरानी रखी जा रही थी।
लीक हुए डेटा में हिंदुस्तान टाइम्स, इंडिया टुडे, नेटवर्क 18, द हिंदू और इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकारों का नाम शामिल। ये सॉफ्टवेयर सिर्फ सरकारी एजेंसियों को ही मिलता है, जिससे हैकिंग की गई।
क्या बीजेपी सरकार जासूसी कांड में शामिल है।

बीएसएनएल ने फाइबर ब्रॉडबैंड प्लान की घोषणा की

अकांशु उपाध्याय                 
नई दिल्ली। सरकारी टेलीकॉम कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड ने एक नए भारत फाइबर ब्रॉडबैंड प्लान की घोषणा की है। इस प्लान की कीमत 399 रुपये होगी, जो एक्सक्लूसिव तौर पर सिर्फ नए भारत फाइबर ग्राहकों के लिए होगा। यह ऑफर 90 दिन के लिमिटेड पीरियड के लिए ही उपलब्ध रहेगा। बीएसएनएल के फाइबर एक्सपीरियंस प्लान में नए ग्राहकों को 30 एमबीपीएस की डाउनलोड स्पीड के साथ 1000 जीबी डेटा दिया जाएगा। 
1000 जीबी की लिमिट खत्म होने के बाद डेटा स्पीड घटकर 2एमबीपीएस रह जाएगी। फिलहाल यह प्लान केवल गुजरात, तमिलनाडु, तेलंगाना और केरल सर्किल में नए ग्राहकों के लिए उपलब्ध होगा। प्लान के जरिए कंपनी नए ग्राहकों को आकर्षित करना चाहती है।'फाइबर एक्सपीरियंस 399' प्लान में बिना किसी एक्स्ट्रा चार्ज के सभी नेटवर्क पर अनलिमिटेड वॉयस कॉलिंग की सुविधा भी दी जाती है। ध्यान देने वाली बात यह है कि 6 महीने के बाद ग्राहकों को खुद-ब-खुद 449 रुपये के बेसिक प्लान पर शिफ्ट कर दिया जाएगा। ग्राहक चाहें तो नया कनेक्शन लेते समय ही तय कर सकते हैं कि 6 महीने के बाद उन्हें कौन सा प्लान चाहिए।
इस प्लान को लेने के लिए आप निकटतम कस्टमर सर्विस सेंटर और बीएसएनएल रिटेलर्स पर जा सकते हैं, इसके अलावा ब्रॉडबैंड प्लान को टोल फ्री नंबर - 1800 345 1500 पर कॉल करके भी सब्सक्राइब किया जा सकता है। यह कंपनी का एक प्रमोशनल प्लान है, जिसका 90 दिन का लिमिटेड पीरियड अभी से शुरू हो चुका है। हो सकता है 90 दिनों के बाद यह ऑफर बंद कर दिया जाए।

यूपी के 14 शहरों में इलेक्ट्रिक बसों का होगा संचालन

हरिओम उपाध्याय           

लखनऊ। लखनऊ,कानपुर और आगरा समेत उत्तर प्रदेश के 14 शहरों में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जायेगा। सूबे के नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन ने मंगलवार को 1090 चौराहे पर एसी इलेक्ट्रिक बस के ट्रायल रन का शुभारंभ करते हुये कहा कि प्रदेशवासियों को आरामदायक व सस्ती यात्रा की सुविधा दिये जाने के लिये इन बसों का किराया साधारण बसों के बराबर रखा गया है। सरकार नगरीय परिवहन सेवाओं को आधुनिक बनाने के साथ ही यात्रियों को सुविधाजनक सफर मुहैया कराने के प्रयास तेजी से कर रही है। सरकार की योजना लखनऊ समेत प्रदेश के 14 अन्य प्रमुख शहरों में 700 इलेक्ट्रिक बसों के संचालन की है। इसके लिये नगरीय परिवहन निदेशालय के अधिकारियों की ओर से काम को तेज गति से पूरा किया जा रहा है। लखनऊ में इन बसों का एक माह के लिये ट्रॉयल शुरू कर दिया गया। नगर विकास निदेशालय के संयुक्त सचिव अजीत सिंह ने बताया कि मण्डलायुक्त की बैठक में प्रस्ताव पास होने के बाद जल्द ही इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरु करा दिया जाएगा। 

अन्य प्रदेशों की तुलना में इनती बड़ी संख्या में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन करने वाले यूपी पहला राज्य होगा। प्रदेश सरकार की ओर से इलेक्ट्रिक बसों की संचालन की योजना में 965 करोड़ की लागत आई है। ये बसें वातानुकूलित, आरामदायक तथा ध्वनि एवं वायु प्रदूषण से मुक्त होंगी। उन्होने कहा कि लखनऊ, कानपुर, आगरा में 100-100, वाराणसी, प्रयागराज, मेरठ, गाजियाबाद, मथुरा-वृंदावन में 50-50, शाहजहांपुर, झांसी, मुरादाबाद, गोरखपुर, अलीगढ़ एवं बरेली में 25-25 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जाएगा।

राजनीति: पीएम ने राष्ट्रपति कोविंद से मुलाकात की

इकबाल अंसारी            
रांंची। झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। ये जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय ने दी। बता दें कि झारखंड के दसवें राज्यपाल  के रूप में रमेश बैस ने 14 जुलाई को दोपहर को शपथ ली थी। राजभवन में आयोजित समारोह में झारखंड उच्च न्यायालय  के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई थी।
झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किये जाने के बाद नवनियुक्त राज्यपाल का यह पहला दिल्ली दौरा था। दौरे के दौरान मंगलवार को उन्होंने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मुलाकात की। राजभवन सूत्रों ने इस मुलाकात को सौजन्यमूलक करार दिया है। बता दें कि द्रोपदी मुर्मू के छह साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद उन्हें राज्यपाल बनाया गया है।

पाक: बस और ट्रक की टक्कर में 30 यात्रियों की मौंत

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बस और ट्रक की टक्कर में 30 यात्रियों की मौत हो गई और 40 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। इनमें से 4 की हालत गंभीर है। मरने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। हादसा मुजफ्फरगढ़ के डेरा गाजी खान के पास तनुसा रोड पर हुआ। हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई गई है। घायलों को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल के चिकित्साकर्मियों ने बताया कि 18 लोगों की अस्पताल पहुंचने से पहले मौत हो चुकी थी। बाकी घायलों का इलाज जारी है। इसमें कुछ की हालत गंभीर है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बस तेज रफ्तार में चल रही थी। 
जिला आपातकाल अधिकारी डॉ. नैय्यर आलम ने बताया कि बस में 75 यात्री सवार थे। इनमें ज्यादातर मजदूर थे, जो ईद के त्योहार पर छुटि्टयां मनाने घर जा रहे थे। बस सियालकोट से राजनपुर जा रही थी। राहत और बचाव कार्य जारी है। पाकिस्तान के गृहमंत्री शेख राशिद ने घटना पर दुख जताया है। उन्होंने कहा कि वे घटना पर नजर बनाए हुए हैं।पाकिस्तान के सूचना एवं प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी ने पुष्टि की कि डेरा गाजी खान के पास दुर्घटना में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई। पंजाब के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार ने घटना पर दुख जताया है। पाकिस्तान में अक्सर सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और इनमें से ज्यादातर वाहनों की तेज गति, खराब सड़कों और अप्रशिक्षित चालकों के कारण होती है।

10वीं: मूल्यांकन पद्धति में 60 प्रतिशत अंक हासिल

मीनाक्षी  
कोलकाता। पश्चिम बंगाल बोर्ड की 10वीं कक्षा की परीक्षा के परिणाम मंगलवार को जारी किए गए, जिसमें रिकॉर्ड 100 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुए हैं और 90 प्रतिशत छात्रों ने नई मूल्यांकन पद्धति में 60 प्रतिशत या उससे अधिक अंक हासिल किए हैं।
वैश्विक महामारी के कारण इस वर्ष माध्यमिक परीक्षा (10वीं कक्षा) की परीक्षा आयोजित नहीं की जा सकी थी और मूल्यांकन 2019 में कक्षा नौंवी छात्रों के प्रदर्शन और 10वीं कक्षा के प्रत्येक विषय के आंतरिक मूल्यांकन पर 50:50 आधारित है।
पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि शत-प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुए हैं। पिछले साल 86.34 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुए थे। अगर छात्र परिणाम से खुश नहीं हैं तो वे कोविड-19 की मौजूदा स्थिति में सुधार आने पर दोबारा परीक्षाएं दे सकते हैं, लेकिन फिर ये परिणाम मान्य नहीं होंगे।
इस साल करीब 10 लाख छात्रों ने नई मूल्यांकन पद्धति में 60 प्रतिशत या उससे अधिक अंक प्राप्त किए हैं। इस साल की माध्यमिक परीक्षा के 79 छात्रों को 700 में से 697 अंक मिले हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या 79 छात्रों को पहले स्थान पर माना जाएगा, गांगुली ने कहा, ‘मैं इतना कह सकता हूं कि इन छात्रों को 697 अंक मिले हैं और इस साल पहले की तरह कोई ‘मेधा’ सूची नहीं है।’’ इस साल 10वीं की परीक्षा में 6,13,849 छात्राएं और 4,65,850 छात्र उत्तीर्ण हुए हैं।

पॉलिसी को बदलने के लिए नए नियमों की मंजूरी दी

अकांशु उपाध्याय             
नई दिल्ली। देशभर में खाली और बेकार पड़ी सेना की 17.95 लाख एकड़ जमीन को बेचकर सेनाओं के आधुनिकीकरण की योजना को अमलीजामा पहनाने की तैयारी है। अब तक भारत में रक्षा भूमि के बारे में कोई सख्त नीति नहीं रही है जिसकी वजह से देश भर पड़ी सैन्य जमीनों पर बड़े पैमाने पर कब्जे हो चुके हैं। सरकार ने अंग्रेजों के जमाने की 220 साल पुरानी डिफेंस लैंड पॉलिसी को बदलने के लिए इससे जुड़े नए नियमों की मंजूरी दे दी है। 
इसके तहत अब पब्लिक प्रोजेक्ट के लिए भी सेना की जमीन ली जा सकेगी और बदले उतनी ही कीमत का इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना होगा या बाजार की कीमत के हिसाब से भुगतान करना पड़ेगा। 
अंग्रेजों ने उप-महाद्वीप में अपने शासन को मजबूत करने की प्रक्रिया शुरू करने के तुरंत बाद 256 साल पहले 1765 में बंगाल के बैरकपुर में पहली छावनी स्थापित की थी। ईस्ट इंडिया कंपनी के गवर्नर जनरल-इन-काउंसिल ने अप्रैल, 1801 में किसी भी छावनी, सैन्य बंगले और क्वार्टर को किसी भी बाहरी व्यक्ति को बेचने या कब्जा करने पर रोक लगाई थी। यानी लगभग 220 साल से यह कानून चला आ रहा है जिसके तहत सेना की जमीन बेचने की अनुमति तो नहीं है लेकिन हजारों एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे हो चुके हैं। इस मामले में सैकड़ों मामले अदालतों में भी विचाराधीन हैं। रक्षा मंत्रालय के पास इस समय 17.95 लाख एकड़ जमीन है जिसमें से 16.35 लाख एकड़ जमीन देश की 62 छावनियों से बाहर है। पूरे देश में अधिकांश रक्षा भूमि प्रमुख क्षेत्रों में जीटी रोड के साथ हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश भारतीय सेना द्वारा बनाए गए कैंपिंग ग्राउंड, पुराने डिपो, परित्यक्त छावनियां, शिविर के मैदान, द्वितीय विश्व युद्ध के पुराने हवाई क्षेत्र अब उपयोग में नहीं हैं।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत की अध्यक्षता वाले सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) ने पिछले साल सरकार को बताया था कि रक्षा बलों का पूंजी बजट उनकी प्रतिबद्ध देनदारियों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है। इसलिए रक्षा भूमि को बेचकर होने वाली आय से सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है। 
रक्षा मंत्रालय की 17.95 लाख एकड़ जमीन में हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, भारत डायनेमिक लिमिटेड, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड, कोलकाता की गार्डन रीच वर्कशॉप, मुंबई की मझगांव डॉक्स सहित एमओडी के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू) और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की भूमि शामिल नहीं है। कोलकाता में विक्टोरिया मेमोरियल के सामने प्रसिद्ध विशाल मैदान से लेकर दक्षिण मुंबई में विशाल दिल्ली छावनी और नौसेना नगर तक, डलहौजी, लैंसडाउन, कसौली और नीलगिरी जैसे हिल स्टेशन रक्षा मंत्रालय और उसके सहयोगी संगठनों के स्वामित्व में हैं।
थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे भी सेना की जमीन के मॉनेटाइजेशन से मिलने वाली रकम से सशस्त्र बलों की जरूरतें पूरी करने की बात कई बार कर चुके हैं। डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स (डीएमए) भी इस साल सेना को मिले बजट पर सवाल उठाकर वित्त मंत्रालय के इस सुझाव पर भी आपत्ति जताई थी कि सेना की जमीन को बेचने से मिलने वाले फंड का 50 फीसद हिस्सा कंसोलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया को जाएगा। आखिरकार सरकार ने 220 साल पुराने अंग्रेजी कानून को बदलने का फैसला लेकर छावनी विधेयक 2020 को अंतिम रूप देने की दिशा में काम शुरू कर दिया। सरकार ने नए बनाए गए नियमों को मंजूरी भी दे दी है, जिससे अब खरीदी गई सैन्य जमीन के बदले समान मूल्य के बुनियादी ढांचे का विकास किया जा सकेगा।  
रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार प्रमुख सार्वजनिक परियोजनाओं जैसे मेट्रो, सड़क, रेलवे और फ्लाईओवर का निर्माण करने के लिए रक्षा भूमि उसी कीमत की जमीन देकर या बाजार मूल्य का भुगतान करके ली जा सकेगी। नए नियमों के तहत छावनी क्षेत्रों के भीतर की भूमि का मूल्य स्थानीय सैन्य प्राधिकरण की अध्यक्षता वाली एक समिति निर्धारित करेगी जबकि छावनी के बाहर की जमीन की दर जिलाधिकारी तय करेंगे। अधिकारियों के अनुसार रक्षा आधुनिकीकरण कोष की स्थापना के लिए कैबिनेट नोट के मसौदे पर अभी अंतर-मंत्रालयी विचार-विमर्श चल रहा है और जल्द ही इस पर अंतिम फैसला आने की उम्मीद है। इसके बाद इसे मंजूरी के लिए केंद्रीय कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा।

दिल्ली पुलिस को खुफिया एजेंसी का ने अलर्ट किया

अकांशु उपाध्याय            
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस को स्वतंत्रता दिवस से कुछ दिन पहले ही खुफिया एजेंसी की तरफ से अलर्ट भेजा गया है। इसमें बताया गया है कि दिल्ली में आतंकी किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं। खासतौर से हवाई हमला किए जाने की आशंका है। इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर का कार्यभार देख रहे बालाजी श्रीवास्तव ने पहले ही ड्रोन सहित तमाम उड़ने वाली वस्तुओं पर रोक लगा रखी है। इस अलर्ट के बाद दिल्ली पुलिस के सभी जिला डीसीपी को इलाके में गश्त करने के निर्देश दिए गए हैं।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली पुलिस को दिए गए अलर्ट में बताया गया है कि पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाया गया था। ऐसे में आतंकी पांच अगस्त के आसपास ही दिल्ली में किसी आतंकी हमले को अंजाम दे सकते हैं। इसके लिए किसी स्लीपर सेल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। अलर्ट में बताया गया है कि दिल्ली पुलिस को खासतौर से 15 अगस्त तक अलर्ट रहने की आवश्यकता है। दिल्ली में चप्पे-चप्पे पर नजर रखना बेहद आवश्यक है। 
कमिश्नर का कार्यभार देख रहे बालाजी श्रीवास्तव आतंकी हमले की आशंका को ध्यान में रखते हुए पहले से ही तैयारी कर रहे हैं। बीते रविवार की रात वह खुद दिल्ली में सुरक्षा का जायजा लेने के लिए निकले थे। उन्होंने दिल्ली के प्रमुख तीन बॉर्डर के अलावा लाल किला और संसद भवन के पास की सुरक्षा व्यवस्था का पूरा जायजा लिया था। 
पुलिस की तरफ से दावा किया गया था कि रात के समय लगभग 30,000 पुलिसकर्मी सड़कों पर ड्यूटी दे रहे थे। बालाजी श्रीवास्तव ने खासतौर से लाल किला के आसपास की सुरक्षा की निगरानी वरिष्ठ अधिकारियों को करने का निर्देश दिया है, जहां पर स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम आयोजित होना है। 

वहीं पुलिस सूत्रों का कहना है कि समय-समय पर इस तरह के अलर्ट दिल्ली पुलिस को मिलते हैं। दिल्ली पुलिस ने स्वतंत्रता दिवस और संसद के मॉनसून सत्र को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हुए हैं। खासतौर से होटल और गेस्ट हाउस में जांच अभियान चल रहा है। इसके साथ ही जगह-जगह किरायेदार सत्यापन अभियान भी चलाया जा रहा है।
 जहां तक हवाई हमले की बात है तो दिल्ली पुलिस की तरफ से इसके लिए पहले ही उड़ने वाली वस्तुओं पर रोक लगाई जा चुकी है। पुलिस की तरफ से लोगों से भी अपील की गई है कि अगर उन्हें कुछ भी संदिग्ध लगे तो इसकी जानकारी पुलिस को तुरंत दें। 

355 अंक लुढ़का बीएसई मानक सूचकांक-सेंसेक्स

कविता गर्ग                   
मुंबई। बीएसई मानक सूचकांक-सेंसेक्स मंगलवार को 355 अंक लुढ़क गया। वैश्विक बाजारों में कमजोर रुख के बीच एचडीएफसी बैंक, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई बैंक और भारती एयरटेल में नुकसान के साथ बाजार में गिरावट आयी। तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 354.89 अंक यानी 0.68 प्रतिशत की गिरावट के साथ 52,198.51 अंक पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 120.30 अंक यानी 0.76 प्रतिशत का गोता लगाकर 15,632.10 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स के शेयरों में तीन प्रतिशत से अधिक गिरावट के साथ सर्वाधिक नुकसान में इंडसइंड बैंक का शेयर रहा।
इसके अलावा टाटा स्टील, एनटीपीसी, भारती एयरटेल, एचसीएल टेक, आईसीआईसीआई बैंक, महिंद्रा एंड महिंद्रा और एचडीएफसी बैंक में भी प्रमुख रूप से गिरावट रही। 
दूसरी तरफ, एशियन पेंट्स 6 प्रतिशत से अधिक मजबूत हुआ। अल्ट्राटेक सीमेंट, बजाज ऑटो, एचयूएल और नेस्ले इंडिया भी बढ़त में रहे। रिलायंस सिक्योरिटीज के रणनीति प्रमुख विनोद मोदी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कमजोर रुख के बीच वित्तीय शेयरों में बिकवाली दबाव से घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट रही।
उन्होंने कहा कि दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनियों (एफएमसीजी) और आईटी को छोड़कर वित्तीय, धातु और रियल्टी समेत ज्यादातर खंडवार सूचकांकों में गिरावट रही। मोदी के अनुसार, ”कारोबार के दौरान एशियाई पेंट्स के तिमाही परिणाम बेहतर रहने की खबर से शेयर में अच्छी तेजी आयी।” मझोली और छोटी कंपनियों के शेयरों में भी बिकवाली देखी गयी। एशिया के अन्य बाजारों में शंघाई, हांगकांग, सियोल और टोक्यो नुकसान में रहे जबकि यूरोप के प्रमुख शेयर बाजारों में मध्याह्न कारोबार में तेजी का रुख रहा। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.35 प्रतिशत की तेजी के साथ 68.86 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।

पार्टी नेतृत्व को आंख दिखाने की कोशिश, संदेश दिया

राणा ओबराय                 
चंडीगढ़। नवजोत  सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाकर गांधी परिवार ने एक ऐसा संदेश दे दिया है कि वे पार्टी के असली बॉस हैं। वैसे देखा जाय तो सिद्धू को लेकर गांधी परिवार ने पहले ही फैसला कर लिया था, लेकिन कैंप्टन अमरिंदर सिंह के कड़े तेवर देख कर वो नए अध्यक्ष के नाम के ऐलान से हिचक रहे थे। कैप्टन इस बात पर अड़े थे कि वो सिद्धू से तब तक नहीं मिलेंगे जब तक कि वो उनसे माफी न मांग लें। सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी परेशान थीं और सोच रही थीं कि क्या उन्हें अपना फैसला स्थगित कर देना चाहिए। लेकिन जब प्रताप सिंह बाजवा ने पंजाब के सांसदों के साथ बैठक कर पार्टी नेतृत्व को आंख दिखाने की कोशिश की तो सोनिया ने कड़ा संदेश दे दिया। देर रात उन्होंने सिद्धू को आखिरकार पीसीसी प्रमुख नियुक्त करने की घोषणा कर दी।
सोनिया गांधी को लगा कि अगर वो अपने फैसले से पीछे हटती हैं तो फिर पार्टी पर उनकी पकड़ कमज़ोर हो जाएगी। कैप्टन अमरिंदर सिंह हार मानने के लिए तैयार नहीं थे। उन्होंने पंजाब प्रभारी हरीश रावत को अपनी इच्छा ज़ाहिर पर पार्टी को संदेश दे दिया। बता दें कि सिद्धू के साथ चारों कार्यकारी अध्यक्षों का चुनाव सोच-समझकर किया गया है. इससे न केवल पार्टी को क्षेत्रीय संतुलन मिलेगी बल्कि उनमें से ज्यादातर राहुल गांधी के करीबी हैं।
पंजाब के बाद अब हर किसी की निगाहें राजस्थान पर टिकी हैं। सवाल उठता है कि क्या गांधी परिवार यहां भी बदलाव कर प्रदेश की कमान किसी युवा नेता को देंगे। सबसे पहले बता दें कि पंजाब के घटनाक्रम पर सचिन पायलट के समर्थकों की नज़रें टिकी थीं। कहा जा रहा है कि जिन वजहों से पंजाब में अमरिंदर सिंह की बातों को नजरअंदाज कर पार्टी ने सिद्धू को कमान दी, अब यहीं मांग राजस्थान में पायलट के समर्थक भी रखेंगे। वो गांधी परिवार से पूछेंगे कि आखिर क्यों वो अशोक गहलोत से डरते हैं।

कोविड संबंधी प्रतिबंधों में ढील देने का ऐलान किया

राणा ओबराय                
चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कोविड संबंधी प्रतिबंधों में कुछ और ढील देने का ऐलान कर दिया है। इस ऐलान के साथ अब 26 जुलाई से दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं क्लासों के साथ स्कूल खोले जा सकेंगे। इसके साथ ही इनडोर जमावड़ों (भीड़) के लिए लोगों की अधिकतम संख्या बढ़ाकर 150 व्यक्ति जबकि आउटडोर जमावड़ों (भीड़) के लिए 300 व्यक्ति कर दी गई है लेकिन क्षमता की ऊपरी सीमा 50 प्रतिशत तक रखने की शर्त होगी।
पंजाब के लिए कोविड19 पॉजिटिविटी दर घटकर 0.3 प्रतिशत तक हो जाने और पुनरुत्पादन संख्या 0.75 प्रतिशत रहने (राष्ट्रीय औसत की अपेक्षा कम) पर गौर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूलों को दसवीं से बारहवीं तक की क्लासें लगाने की इजाज़त होगी लेकिन सिर्फ़ वही अध्यापक और स्टाफ को फिजिकली उपस्थित होने की आज्ञा होगी, जिनका पूरी तरह टीकाकरण हुआ हो। उन्होंने आदेश दिया कि इस सम्बन्ध में संबंधित डिप्टी कमिश्नरों को लिखित तौर पर सूचित करना होगा।
मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि यदि स्थिति काबू में रही तो बाकी क्लासें भी इसी तरह 2 अगस्त, 2021 से खोलने की आज्ञा होगी। उन्होंने आगे कहा कि कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ने भविष्यवाणी की है कि आने वाले हफ़्तों में मामलों में और कमी आएगी।
सामाजिक जमावड़ों के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी क्षेत्रों में कलाकारों/ गायकों को ऐसे समारोहों/मौकों के लिए इजाज़त होगी। लेकिन इसके लिए कोविड19 प्रोटोकॉल के पालन को यकीनी बनाना होगा।
मुख्यमंत्री द्वारा बार, सिनेमा हॉल, रेस्टोरेंट, स्पा, स्विमिंग पूल, कोचिंग सेंटर, स्पोर्ट्स कांप्लेक्स, जिम, मॉल़, म्यूज़ीयम, चिड़ियाघर आदि को कोविड टीकाकरण के पालन को यकीनी बनाकर 50 प्रतिशत सामर्थ्य के साथ खोलने के दिए गए हुक्मों के कुछ दिनों बाद आज यह राहत दी गई है। इससे पहले मुख्यमंत्री ने कॉलेजों, कोचिंग सैंटरों और उच्च शिक्षा के अन्य सभी संस्थानों को भी ऐसे ही पालन के साथ खोलने की इजाज़त दी थी।
कोविड19 की स्थिति के बारे में वर्चुअल मीटिंग दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड के स्वरूप में आए बदलाव संबंधी मासिक आंकड़ों ने दिखाया है कि 90 प्रतिशत से अधिक वायरस की किस्म चिंताजनक है क्योंकि मूल वायरस व्यावहारिक तौर पर अन्य किस्मों में बदल चुका है और जून महीने में भी डेल्टा ने जाेर पकड़ा हुआ था। उन्होंने कहा कि अब डेल्टा प्लस का कोई नया केस नहीं है।

सीरोलॉजिकल सर्वे में 67.6 फीसदी लोग पॉजिटिव

अकांशु उपाध्याय          
नई दिल्ली। देश भर में किए गए सीरोलॉजिकल सर्वे में 67.6 फीसदी लोग पॉजिटिव पाए गए हैं। जिसका मतलब है कि इतने फीसदी लोग पहले संक्रमण के चपेट में आ चुके हैं और इनके शरीर में कोविड-19 वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि देश में कराए गए इस सर्वे में 67.7 फीसदी लोग सीरो पॉजिटिव पाए गए हैं। यह सर्वे जून-जुलाई में की गई है।
आइसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि राष्ट्रीय सीरो सर्वे का चौथा चरण जून-जुलाई में 21 राज्यों के 70 ज़िलों में आयोजित किया गया। इसमें 6-17 वर्ष की आयु के बच्चे शामिल थे। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण में शामिल किए गए स्वास्थ्य कर्मियों में 85 प्रतिशत में सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ एंटीबॉडी पाई गई है। जबकि स्वास्थ्य कर्मियों में 10 प्रतिशत को अब तक टीका नहीं लगा है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि एक तिहाई जनसंख्या में सार्स-सीओवी-2 एंटीबॉडी नहीं पाई गई। 
जिसका मतलब है कि करीब 40 करोड़ लोगों को अब भी कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा है। कोरोना केस को ध्यान में रखते हुए सरकार ने लोगों से कहा कि सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक समागम से दूर रहें।अनावश्यक यात्रा टालें, और पूरी तरह से टीकाकरण कराने के बाद ही यात्रा करें। आईसीएमआर ने कहा कि बच्चे वायरस के संक्रमण से कहीं बेहतर निपट सकते हैं ; प्राथमिक विद्यालयों को पहले खोलने पर विचार करना विवेकपूर्ण होगा।

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