रविवार, 18 जुलाई 2021

चीन में मंकी बी वायरस से मौत का पहला मामला

बीजिंग। चीन की वुहान प्रयोगशाला के कुछ वैज्ञानिकों की जब रहस्यमयी कोरोना वायरस से मौत हुई थी तो चीन ने विश्व संगठनों से इसे काफी समय तक दबाए रखा था और आज वही वायरस पूरे विश्व को लील रहा है। लेकिन अब एक और पशु चिकित्सक की रहस्यमयी मंकी बी वायरस से माैत के मामले को दाे माह तक दबा कर रखा गया है।
चीन में मंकी बी वायरस संक्रमण से मौत का यह पहला मामला है। चीनी समाचार पत्र ‘द ग्लोबल टाइम्स’ के अनुसार चीनी संस्थान “प्लेटफार्म ऑफ चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन” के जर्नल ने शनिवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि 53 वर्षीय यह पशु चिकित्सक बंदरों पर शोध कार्य कर रहा था और मार्च में उसने दो बंदरों के शवों का परीक्षण किया था।
इसके एक माह बाद उसे जी मिचलाने और उल्टियों की शिकायत हुई और उसने कईं अस्पतालों में अपना उपचार कराया लेकिन 27 मई को आखिरकार उसकी मौत हो गई थी। शोधकर्ताओं ने उसकी रीढ़ के हड्डी से निकाले गए तरल पदार्थ में मंकी बी वायरस की पुष्टि की है। उसके नजदीकी संपर्क में आए लोगों में हालांकि अभी तक कोई लक्षण नहीं मिले हैं। इस विषाणु को बंदरों की मकॉक जीनस से 1932 में आइसोलेट किया गया था और यह अल्फाहरपीज वायरस के नाम से जाना गया था।
यह वायरस प्रत्यक्ष संपर्क और शारीरिक द्रव्यों से फैल सकता है और इसकी मृत्यु दर 70 से 80 प्रतिशत है। इस जर्नल में कहा गया है कि मंकी बी वायरस लोगों के लिए एक गभीर खतरा हो सकता है और बंदरों में होने वाले किसी भी तरह के अप्रत्याशित बदलावों, उनके व्यवहार में परिवर्तन पर निगरानी जरूरी है।
गौरतलब है कि अमेरिका के टेक्सास शहर में 18 वर्षों के बाद मंकी बी वायरस का पहला मामला सामने आया है और उसने हाल ही में नाइजीरिया से अमेरिका की यात्रा की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक वर्तमान में इस संक्रमण की कोई दवा नहीं है और जो दवाएं चेचक में दी जाती हैं। वहीं इसके खिलाफ सुरक्षा प्रदान कर सकती हैं।
संक्रमण के बाद सात से 13 दिनों में इसके लक्षण उभर कर सामने आते हैं और इनमें बुखार, तेज सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द तथा अधिक कमजोरी प्रमुख हैं। इसमें शरीर की लसीका ग्रंथियों (लिम्फ नोडृस) में सूजन आम लक्षण है।

पूर्व गृह मंत्री अनिल के जिले में 2 स्थानों पर छापे मारे

कविता गर्ग                  
नागपुर। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन मामले की जांच के सिलसिले में रविवार को महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के नागपुर जिले में दो निवास स्थानों पर छापे मारे। औएक पुलिस अधिकारी ने बताया कि ईडी के दो अलग-अलग दलों ने यहां से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित कटोल शहर में देशमुख के आवास और कटोल के समीप वाडविहीरा गांव में उनके पैतृक घर पर छापे मारे। उन्होंने बताया कि सुबह करीब छह बजे छापे मारे गए।
अधिकारी ने बताया कि देशमुख के कटोल परिसर पर तलाशी अभी चल रही है जबकि वाडविहीरा में तलाशी दोपहर 12 बजे के आसपास पूरी हो गयी। ईडी कथित तौर पर करोड़ों रुपये के घूस एवं वसूली गिरोह मामले से जुड़े धन शोधन के मामले की जांच कर रही है। इस मामले के चलते देशमुख को इस साल अप्रैल में गृह मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
केंद्रीय एजेंसी ने हाल ही में देशमुख के निजी सचिव संजीव पलांडे (51) और निजी सहायक कुंदन शिंदे (45) को गिरफ्तार किया था। इससे पहले उसने इन दोनों और राकांपा नेता के मुंबई तथा नागपुर में स्थित आवासों पर छापे मारे थे। ईडी ने मामले में पूछताछ के लिए देशमुख को सम्मन भेजे थे लेकिन वह पेश नहीं हुए।
ईडी ने बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर दर्ज किए गए मामले के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्रारंभिक जांच के बाद देशमुख तथा अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया। उच्च न्यायालय ने सीबीआई को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा देशमुख के खिलाफ लगाए रिश्वत के आरोपों की जांच करने के लिए कहा था। देशमुख ने आरोपों से इनकार किया है।

मणिपुर में अगले दस दिनों तक संपूर्ण लॉकडाउन लागू

इम्फाल। मणिपुर में रविवार सुबह (18 जुलाई) से अगले दस दिनों तक संपूर्ण लॉकडाउन लागू होने जा रहा है। राज्य सरकार ने इस संबंध में पहले ही अधिसूचना जारी कर पुलिस और सामान्य प्रशासन को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं।
राज्य में कोरोना के बढ़ते डेल्टा वेरिएंट को देखते हुए राज्य सरकार ने यह फैसला लिया है। इस संदर्भ में राज्य के स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए सख्त कार्रवाई बहुत जरूरी थी। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता हालांकि, सरकार के सभी फैसलों का स्वागत करते हुए हमेशा सहयोग करती रही है, इस बार भी सरकार का पूरी तरह से सहयोग करेगी।
इस बीच मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल के जरिए कहा है कि 18 से 28 जुलाई तक जारी कर्फ्यू और लॉकडाउन में आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर सभी दुकानें, स्कूल कॉलेज, विश्वविद्यालय, पार्लर, मॉल, रेस्तरां आदि बंद कर दिए जाएंगे। इसके अलावा, केवल टीका लेने वाले और परीक्षण के लिए जाने वालों को दस दिन के लॉकडाउन के दौरान बाहर निकलने की अनुमति दी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि मणिपुर में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 1,128 नए मरीज चिह्नित किए गए हैं। पिछले कुछ दिनों से लगातार 1,000 से ज्यादा रोजाना संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। नतीजा यह है कि राज्य में कोरोना के मामलों की संख्या अब तक बढ़कर 82,688 हो गई है। इस बीच पिछले 24 घंटे में 643 लोग स्वस्थ हुए हैं। इस तरह स्वस्थ कुल लोगों की संख्या 72,305 हो गयी है। इसके अलावा प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में 9,033 संक्रमित लोगों का इलाज किया जा रहा है। पिछले 24 घंटे में 10 लोगों के साथ प्रदेश में कुल 1,350 लोगों की मौत हो चुकी है।

ईद उल अज़ाह: प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी ना करें

अकांशु उपाध्याय               
नई दिल्ली। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भारतीय मुसलमानों से आह्वान किया है कि ईद-उल-अजहा का त्योहार सादगी के साथ मनाएं और प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी बिल्कुल भी नहीं नहीं करें। उनका कहना है कि कोरोना महामारी अभी समाप्त नहीं हुई है। इसलिए मस्जिदों या ईदगाहों में स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी की गई गाइडलाइन को सामने रखते हुए ईदु-उल-अज़हा की नमाज़ अदा करनी चाहिए। 
ज्यादा बेहतर है कि सूरज निकलने के बीस मिनट के बाद संक्षिप्त रूप से नमाज़ और खुतबा अदा करके कुर्बानी कर ली जाए और गंदगी को इस तरह दफन किया जाए कि उससे बदबू नहीं फैलने पाए।
मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि देश, विशेषकर उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों की परिस्थितियों को देखते हुए मुसलमानों को सलाह दी जाती है कि प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी से बचें। चूंकि मज़हब में इसके बदले में काले जानवरों की कुरबानी जायज़ है, इसलिए किसी भी फ़ितने से बचने के लिए इस पर संतोष करना उचित है। अगर किसी जगह उपद्रवी काले जानवरों की कुर्बानी से भी रोकते हैं तो कुछ समझदार और प्रभावशाली लोगों द्वारा प्रशासन को विश्वास में लेकर कुरबानी की जाए। यदि फिर भी ख़ुदा न करे कि मज़हबी वाजिबात को अदा करने का रास्ता न निकले तो जिस करीबी आबादी में कोई दिक़्क़़त न हो वहां पर कुर्बानी करा दी जाए लेकिन जिस जगह कुर्बानी होती आई है और फिलहाल दिक़्क़त है तो वहां कम से कम बकरे की कुर्बानी अवश्य की जाए और प्रशासन के कार्यालय में दर्ज भी करा दिया जाए ताकि भविष्य में कोई दिक़्क़त नहीं होने पाए। 
वर्तमान परिस्थितियों से मुसलमानों को निराश नहीं होना चाहिए और परिस्थितियों का मुक़ाबला शांति, प्रेम और धैर्य से हर मोर्चे पर करना चाहिए। कोरोना महामारी से सुरक्षा के लिए मुसलमानों को अधिक से अधिक अल्लाह से दुआ करनी चाहिए और तौबा व इस्तिगफ़ार (अल्लाह से अपने गुनाहों के क्षमा मांगना) अधिक से अधिक किया जाए।

कालाबाजारी के मामले में 1 आरोपी को अरेस्ट किया

विजय भाटी   
गौतमबुद्ध नगर। कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले में वांछित एक आरोपी को पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार किया। उस पर 10 हजार रुपये का इनाम था। थाना सेक्टर-20 के प्रभारी निरीक्षक मुनीष प्रताप सिंह चौहान ने बताया कि तीन मई को थाना सेक्टर-20 पुलिस ने कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन की कालाबाजारी आरोप में रवि कुमार तथा मोहम्मद जुनैद को सेक्टर-29 से गिरफ्तार किया था। उन्होंने बताया कि इनका एक साथी आकाश दीप मौके से भाग गया था। उन्होंने बताया कि आज थाना पुलिस ने उसको गिरफ्तार कर लिया। उसकी गिरफ्तारी पर 10 हजार रुपए का इनाम घोषित था।

हमारा मकसद सिर्फ भाजपा को हराना है: प्रियंका

हरिओम उपाध्याय              
लखनऊ। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आगामी चुनाव में गठबंधन किए जाने की बात पर कहा कि हमारा मकसद सिर्फ और सिर्फ भाजपा को हराना है। गठबंधन की बाबत परिस्थितियों के अनुसार हम फैसला लेंगे। लोग संगठन के साथ तेजी से जुड रहे है। जिसका श्रेय कार्यकर्ताओं को जाता है।
रविवार को राजधानी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा है कि हम खुले दिल के इंसान हैं। 
परंतु अभी तक का अनुभव यही रहा है कि हमें गठबंधन करके नुकसान झेलना पड़ता है। गठबंधन की बाबत अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा। उन्होंने कहा कि हम ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे, जिससे हमारे संगठन और पार्टी के हितों को चोट पहुंचे। गठबंधन की बाबत आगे की परिस्थितियों के हिसाब से हम अपनी रणनीति तय करेंगे। उन्होंने बताया कि पिछले डेढ़ साल के भीतर कांग्रेस के साथ बड़ी संख्या में लोग जुडे हैं। जिसके चलते संगठन मजबूत हुआ है। जिस संगठन की संरचना हमने की है, उसकी भाग्य रेखा कार्यकर्ताओं के हाथों में है। यदि एकजुट होकर जी जान के साथ अगले 7 महीने तक हमने काम कर लिया तो विधानसभा चुनाव में अच्छे नतीजे पार्टी को देखने को मिलेंगे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 के बाद जहां भी संघर्ष हुए हैं या आमजन परेशानी में पड़ा है, वहां पर कांग्रेस कार्यकर्ता सबसे पहले पीड़ितों के पक्ष में खड़ा हुआ मिला है। कांग्रेस के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान जरूरतमंदों तक सबसे पहले व सबसे ज्यादा मदद पहुंचाई है। 
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कार्यकर्ताओं का आह्वान किया है कि वह जनता के मुद्दों को लेकर संघर्ष करें और उनकी भावनाओं से जुड़े। नए लोगों को संगठन से जोड़े, परंतु पुराने और वरिष्ठ लोगों को साथ लेकर चलें। तभी संगठन को मजबूती प्राप्त होगी। उत्तर प्रदेश में पार्टी संगठन में आप सब नई ऊर्जा लेकर आए हैं। आपके कारण ही आज कांग्रेस चर्चा के बीच राजनीति के मैदान में डटकर खड़ी हुई है।

बारिश का क़हर, मलबे में दबकर 19 लोगों की मौंत

कविता गर्ग 
मुंबई। बारिश ने अपना कहर बरपाते हुए लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। बारिश की मार से बेहाल हुई दीवारे भरभराकर नीचे आ गिरी। दो स्थानों पर गिरी दीवारों के मलबे के नीचे दबकर 19 लोगों की मौत हो गई है। दो स्थानों पर हुई दीवार गिरने की घटना के बाद राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिये गए हैं। अभी कम से कम 7 और लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है।
रविवार को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में बारिश ने जमकर अपना कहर बरपाया है। मायानगरी के नाम से विख्यात मुंबई में बारिश के कहर के आगे बेहाल होकर स्थानों पर दीवार भरभराकर नीचे आ गिरी। भारी बारिश से बेहाल मुंबई के चेंबूर भारत नगर इलाके में लैंड स्लाइड की वजह से कुछ झोपड़ियों पर समीप में खड़ी दीवार गिर गई। जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई है। विक्रोली इलाके में हुई एक अन्य दूसरी घटना में आवासीय मकान गिरने से पांच लोगों की मौत हो गई है। फिलहाल दोनों स्थानों पर राहत और बचाव कार्य जारी है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल एनडीआरएफ का कहना है कि भूस्खलन के कारण चेंबूर के भारत नगर इलाके में कई झोपडियों के ऊपर दीवार गिरने से 14 लोगों की जान चली गई है। माना जा रहा है कि मलबे के अंदर अभी और लोग फंसे हो सकते हैं। जिन्हे बचाने का काम जारी है। 
इसके अलावा एनडीआरएफ ने कहा है कि मुंबई के विक्रोली इलाके में रविवार की तड़के एक आवासीय इमारत की दीवार गिर गई है, जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई है। चेंबूर की घटना पर एनडीआरएफ के इंस्पेक्टर राहुल रघुवंशी ने कहा है कि दीवार के मलबे के भीतर से 4 शव बरामद किए हैं। एनडीआरएफ कर्मियों के आने से पहले ही स्थानीय लोगों ने 10 लोगों के शव निकाल लिए थे। अभी मलबे में कम से कम 7 और अन्य लोगों के फंसे होने की आशंका है। उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई के चेंबुर और विक्रोली इलाके में हुई दीवार गिरने की घटना में लोगों की मौत पर गहरा दुख जताया है। दीवार गिरने से जान गाने वालों के परिजनों को दो-दो लाख रूपये और घायलों को 50-50 हजार रूपये दिये जाएंगे। इसकी जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से भी गई है।

तालिबान निति को लेकर सरकार पर निशाना साधा

मनोज सिंह ठाकुर                   
भोपाल। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने तालिबान के मामले में आज फिर केंद्र की नरेंद्र माेदी सरकार को निशाने पर लिया है।
राज्यसभा सांसद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा है 'आप इस खबर पर चुप क्यों हैं? क्या साहब से संदेश नहीं आया? भाजपा मोदी शाह सरकार तालिबान के साथ चर्चा कर रही है। इमरान खान साहब भी तालिबान पर मेहरबान हैं। लगता है भाजपामोदीशाह व इमरान खान अफगानिस्तान की चुनी सरकार को मदद ना कर, तालिबान का रास्ता साफ कर रहे हैं।
कुछ समय पहले भी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने तालिबान के मुद्दे को उठाते हुए ट्वीट किए थे।

पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया

अकांशु उपाध्याय             
नई दिल्ली। देश में रविवार को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया और इनकी कीमतें यथावत रहीं।
शनिवार को घरेलू स्तर पर पेट्रोल की कीमतों में 30 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि की गई जिससे राजधानी दिल्ली सहित देश के आधिकांश हिस्सो में इसकी कीमत नए स्तर पर पहुंच गईं थी जबकि डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया था।
गुरुवार को पेट्रोल 35 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि के साथ नए रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया था और डीजल 15 पैसे प्रति लीटर महंगा हो गया था।
दिल्ली में शनिवार की बढ़ोतरी के बाद पेट्रोल की कीमत 101.84 रुपये और मुंबई में 107.83 रुपये प्रति लीटर के पर पहुँच गई थी।
अग्रणी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के अनुसार रविवार को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
पेट्रोल-डीजल के मूल्यों की रोजाना समीक्षा होती है और उसके आधार पर हर दिन सुबह छह बजे से नयी कीमतें लागू की जाती हैं।
देश के चार महानगरों में आज पेट्रोल और डीजल के दाम इस प्रकार रहे।

12वीं कक्षा के छात्रों के लिए 26 से शुरू होंगी कक्षाएं

भुवनेश्वर। सरकारी और निजी स्कूलों में 10वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए ऑफलाइन कक्षाएं 26 जुलाई से शुरू होंगी।
स्कूल एवं जन शिक्षा सचिव सत्यब्रत साहू ने शनिवार को यह घोषणा की और कहा कि स्कूल बिना लंच ब्रेक के सुबह 10 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक खुले रहेंगे। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि जिला कलेक्टर अपने इलाके में कोविड की स्थिति को देखते हुए स्कूल खोलने पर निर्णय लेंगे। 
वहीं कक्षाओं में शामिल होना छात्रों के विवेक पर छोड़ दिया गया है।साहू ने कहा कि कक्षाओं को फिर से खोलने से पहले स्कूलों को साफ कर दिये जायेगा तथा शिक्षकों को टीका लगाया जायेगा। मास्क पहनना अनिवार्य रहेगा और सभी छात्रों की थर्मल स्क्रीनिंग करने के निर्देश जारी किये गये हैं। राज्य सरकार अगले 16 अगस्त से नौवीं और 15 सितम्बर से 11वीं कक्षा के छात्रों के लिए ऑफ़लाइन कक्षाएं शुरू करने पर भी विचार कर रही है। जबकि अन्य कक्षाओं के छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं पहले की तरह जारी रहेगी।
एक अन्य फैसले में सरकार ने राज्य में वार्षिक हाई स्कूल प्रमाण पत्र परीक्षा की ऑफलाइन परीक्षा 30 जुलाई से पांच अगस्त तक आयोजित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए जिला एवं प्रखंड मुख्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया जायेगा। परीक्षा केंद्रों में प्रवेश करने से पहले छात्रों की थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी। किसी भी छात्र को बिना मास्क पहने परीक्षा केंद्र में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। 
परीक्षा कोविड प्रोटोकॉल के कड़ाई से लागू होने के साथ आयोजित की जाएगी और परीक्षा से पहले परीक्षा के प्रभारी सभी शिक्षकों के कोविड परीक्षण किये जायेंगे।
ओडिशा सरकार ने कोविड महामारी के कारण माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की वार्षिक हाई स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा इस साल रद्द कर दी है। बोर्ड द्वारा वैकल्पिक मूल्यांकन प्रणाली के तहत गत जून को परिणाम घोषित किया गया था। परीक्षा में सम्मिलत कुल 6.30 लाख छात्रों में से रिकॉर्ड 6.10 लाख छात्रों ने परीक्षा पास की है।

'इस्मत चुग़ताई’ कार्यक्रम आयोजित, जन्मशताब्दी

हरिओम उपाध्याय                
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में तारीख़ 14 अगस्त 2015 को मशहूर उर्दू लेखिका इस्मत चुग़ताई के जन्म शताब्दी समारोह के सिलसिले में इप्टा, लखनऊ ने ‘महत्व इस्मत चुग़ताई’ कार्यक्रम हिंदी संस्थान में आयोजित किया। अध्यक्षता जेएनयू के पूर्व प्रोफ़ेसर और उर्दू इल्म-ओ-अदब में बहैसियत समालोचक दख़ल रखने वाले शारिब रुदौलवी ने की। अलावा उनके मंच पर आबिद सुहैल, रतन सिंह, सबीहा अनवर, वीरेंद्र यादव और शबनम रिज़वी की मौज़ूदगी थी।
इप्टा के राष्ट्रीय सचिव राकेश ने संचालन करते हुए इस्मत चुग़ताई की ज़िंदगी पर रौशनी डालते हुए बताया इस्मत आपा के अफ़साने ‘लिहाफ़’ ने अदबी दुनिया में ज़बरदस्त हलचल पैदा की।
ये अफ़साना औरत की आज़ादी की बात तो करता ही है, पूरे समाज का रचनात्मक आत्मलोचन भी करता है। उन पर उनके भाई अज़ीम बेग चुग़ताई का और उनके लेखन का ख़ासा असर था। लेकिन इस्मत ने अज़ीम बेग को पार करके उर्दू अदब में खुद को स्थापित किया। ख़ुद अज़ीम बेग को भी इसका डर था।
इस्मत कहती थीं कि क़लम मेरे हाथ में जब आ जाती है तो मैं लिखती ही जाती हूं। वो 1947 में मुल्क़ की तक़सीम से पैदा हुए फ़सादात से गुज़रीं। तक़सीम मुल्क़ की ही नहीं हुई बल्कि अवाम के दिलों की भी हुई। वो कृष्ण चंदर, राजिंदर सिंह बेदी और सआदत अली मंटो की कड़ी हैं। प्रोग्रेसिव लेखन की अगुवा रहीं। उनका लेखन ऑटोबायोग्राफ़िकल रहा है। उनके अफ़साने बताते हैं वो किसी से भी बात कर लेती हैं। चाहे वो धोबी हो या मोची या सफ़ाई वाला या कामवाली बाई या अस्तबल का साइं।
एक बार मंटो से किसी ने पूछा था कि अगर मंटो की शादी इस्मत से हो गयी होती तो? मंटो ने जवाब दिया था कि निक़ाहनामे पर दस्तख़त करते-करते उनमें इतनी लानत-मलानत होती कि यह वहीं टूट जाती।
करामात हुसैन डिग्री कॉलेज की पूर्व प्रिसिपल और उर्दू की वरिष्ठ लेखिका सबीहा अनवर ने इस्मत आपा के साथ वक़्त वक़्त पर बिताये दिनों को भावुक अंदाज़ से याद किया। इस्मत आपा की राय बेहद बेबाक होती थी।उन्होंने दिखावटी बात नहीं की। प्रैक्टिकल, मुंहफट और आज़ाद ख़्याल. उन्हें दुनिया में होने वाली हर घटना की जानकारी लेने की फ़िक्र रहती।
उस पर अपना नज़रिया ज़ाहिर करती,वो जब कभी लखनऊ आतीं तो मेरे घर ज़रूर आती, क़याम भी फ़रमाती,जब भी मिलीं बड़े ख़लूस से मिलीं। उन्हें मिलने, देखने और सुनने वालों का सिलसिला सुबह से शाम चला किया। भीड़ लगी रहती,वो बेबाक बोलने से बाज़ न आयीं कभी,उनकी शैली व्यंग्यात्मक रही।
एक बार बोलीं कि मेरी मां को उसके दसवें बच्चे ने बिलकुल तंग नहीं किया क्योंकि वो पैदा होते ही मर गया। कोई न कोई कंट्रोवर्सी वाला बयान दे देतीं और फंस जातीं। अख़बारनवीसों को तो इसी का इंतज़ार रहता था।
एक दिन कह बैठीं कि मरने के बाद दफ़न करने के बजाये मुझे जलाया जाए। जब मैंने उनसे कहा कि आप थोड़ा सोचा-समझ कर बयान दिया करें तो उन्होंने कहा, मैं तुम्हारे जैसी समझदार नहीं हूं। जो दिल में है वही कहूँगी। मैं सच कहने से डरती नहीं। बहुत ज़िद्दी थीं वो। बोलने पर आतीं तो बेलगाम हो जातीं। यादों का कभी ख़त्म न होने वाला ख़जाना था उनकी झोली में।
अपने मरहूम शौहर शाहिद लतीफ़ और भाई अज़ीम बेग का बहुत ज़िक्र करतीं थीं। लेकिन दुःख साझे नहीं करतीं थीं। ‘जुनून’ की शूटिंग में मिलीं। मैंने पूछा कहां एक्टिंग में फंस गयीं। तो बोलीं क्या जाता है मेरा? फ़ाईव स्टार होटल और शानदार खाना है। मौज मस्ती है।चटपटे खाने की बहुत शौक़ीन थीं। खाते वक़्त खूब बातें करतीं थीं। एक बार मुझसे बोलीं, बड़ी मक्कार हो तुम। हस्बैंड को रवाना करके खूब बढ़िया-बढ़िया खाना खाती हो और गप्पें मारती हो। छोटी-छोटी बातों का बहुत ध्यान रखतीं थीं। पूरा सूटकेस पलट देतीं। समझौते नहीं कर सकतीं थीं। मैंने ऊपरी तौर पर उन्हें ज़िंदगी से भरपूर देखा।
लेकिन अंदर से मायूस और तनहा पाया। उन्होंने अपनी बेटियों का ज़िक्र बहुत कम किया। हां, नाती को कभी-कभी याद ज़रूर कर लेतीं। किसी को उनकी फ़िक़्र नहीं होती थी कि वो कहां हैं, कैसी हैं और कब लौटेंगी। उन दिनों वो हमारे घर पर रुकीं थीं। उनके लिए बंबई से फ़ोन आया। फलां फ्लाईट से फ़ौरन रवाना कर दें। मैं और मेरे पति अनवर उन्हें एयरपोर्ट छोड़ने गए।
वहीं बंबई जा रहे एक दोस्त मिल गए। हमने इस्मत आपा को उनके सिपुर्द कर दिया, इस ताक़ीद के साथ कि रास्ते भर उनका हर क़िस्म का ख्याल रखें और एयरपोर्ट से घर के लिए टैक्सी भी कर दें। दोस्त ने लौट कर बताया कि वो बलां की ज़िद्दी निकलीं. बंबई एयरपोर्ट पर उन्हें लेने कोई नहीं आया। टैक्सी करके सीधा बांद्रा चली गयीं अपने एक दोस्त के घर।
प्रसिद्ध लेखिका शबनम रिज़वी ने इस्मत आपा के अफ़सानों और नावेलों के किरदारों पर बड़े विस्तार से रौशनी डाली। वो खुद अव्वल दरजे की ज़िद्दी थीं। उनके किरदारों में अजीबो-ग़रीब ज़िद्द और इंकार साफ़ दिखता है। मुहब्बत करने वाला नफ़रत का इज़हार करता है। खेल-खेल में बात शुरू होती है। फिर नफ़रत में तब्दील हो जाती है। किरदार एक दूसरे पर हमला करते हैं मगर आख़िर आते-आते भावुक हो जाते हैं। उनके किरदार वक़्त के साथ बदलते भी रहते हैं,महिलाओं के लिए बहुत लिखा उन्होंने।
हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध समालोचक वीरेंद्र यादव ने रशीद जहां, अतिया हुसैन और कुर्तनलैन हैदर की पंक्ति में इस्मत चुग़ताई को रखते हुए बहुत बड़ी लेखिका बताया। यह सब लखनऊ के आधुनिक आईटी कॉलेज की पढ़ी हुईं थीं। उन्होंने अपने समाज की चिंता के साथ महिलाओं की आज़ादी की बात की है।
उनकी प्रसिद्ध कृति ‘लिहाफ़’ में शोषण के परिप्रेक्ष्य की सिर्फ़ बात नहीं है। उनमें फ़िक्र है कि हालात क्या हैं, रिश्ते क्या हैं और ऐसे रिश्ते क्यों हैं और उनके किरदारों के शौक क्या हैं?…उन्होंने सेक्सुल्टी की बात की। उस भाषा में बात की जो उनके समाज के मिडिल क्लास में बोली जाती है और उन विषयों पर लिखा जिन पर कभी किसी की निग़ाह नहीं गयी थी। वो मूल्यों के साथ जुडी रहीं, कभी किसी तहरीक़ के साथ जुड़ कर नहीं लिखा। थोपी हुई बातें नहीं मानीं,जो मन में आया, लिखा।
उनके अफ़सानों में 1947 के पार्टीशन से उपजे सांप्रदायिक दंगों का दर्द है। दिलों में दरारें पड़ने का दर्द है, ऐसे संगीन माहौल में एक लेखक का फ़र्ज़ बनता है कि वो हस्तक्षेप करें और ये इस्मत आपा ने पूरे समर्पण के साथ बखूबी किया। वो पाखंड की धज्जियां उड़ाती हैं।
‘कच्चे धागे’ कहानी में उनकी यह फ़िक्र और उनकी विचारधारा दिखती है कि वो किसके साथ खड़ी हैं। बापू की जयंती के रोज़ आत्माएं शुद्द हो रही हैं, गंदी और घिनौनी, मगर लालबाग़ और परेल के इलाकों में एक भी तकली नाचती नज़र नहीं आती है।
पच्चीस हज़ार श्रमिक कामगार मैदान में जमा हैं। छटनी की धार से ज़ख्मी मज़दूर, फीसों से कुचले विद्यार्थी, महंगाई के कारक और शिक्षक उम्मीद भरी नज़रों से आज़ाद मुल्क के रहनुमाओं को ताक रहे हैं। इंसान इंसान से नहीं हैवान से लड़ेगा। कामगार मैदान के चारों ओर पुलिस का पहरा है। मगर नाज़ायज़ शराब पर नहीं है, काले बाज़ार और चोर उच्चकों पर नहीं है। मैं इनके साथ हूं। भले मैं इस तूफ़ान में कतरा हूं लेकिन हर कतरा एक तूफ़ान है। आज बहुमतवादी आतंक है,मूल्यों का क्षरण हो रहा है। ऐसे में इस्मत आपा की और उनके जैसे समर्पित लेखन की सख़्त ज़रूरत है।
मशहूर सीनियर उर्दू अफ़सानानिगार रतन सिंह ने इस्मत आपा को याद करते हुए बताया कि वो बेहद संजीदा औरत थीं। एक वाक़या याद है। एक जलसे में उनको सुनने और देखने वालों से हाल भरा हुआ था और मैं जगह न मिलने की वज़ह से पीछे एक कोने में खड़ा था। इस्मत आपा ने देखा, ज़ोर से बोलीं -रतन सिंह पीछे क्यों खड़े हो? आगे आओ। इसके पीछे उनका मक़सद था, नई पीढ़ी के अदीबों आगे आओ। सीनियर अदीब जूनियर के लिए रास्ता साफ़ करे। एक जनरेशन दूसरी जेनरेशन को तैयार करे।हमें उनके काम को आगे बढ़ाना चाहिए। आज मुल्क़ में कोई ऐसा रिसाला नहीं है जिसमें पूरे मुल्क़ के अदब को देखा जा सके।
मशहूर सीनियर उर्दू अफ़सानानिगार और सहाफ़ी आबिद सुहैल ने बताया कि इस्मत आपा सिर्फ़ हिंदुस्तान में ही नहीं बल्कि सारी दुनिया में मशहूर थीं। पहली मरतबे उन्हें 1962 में देखा था। लखनऊ के बर्लिंग्टन होटल में एक जलसा हुआ। बेशुमार नौजवान अदीब जमा हुए इस्मत आपा को देखने और सुनने। उन्होंने अपील की, घर से बाहर निकलो, लोगों से मिलो, उन्हें देखो और लिखो। इस्मत आपा शादी के कुछ दिनों बाद तक अपने शौहर शाहिद लतीफ़ के नाम से लिखती रहीं। बाद में अपने नाम से लिखा,औरत जब चुटकी लेती है तो मर्द कसमसा कर रहा जाता है। इस्मत आपा इसमें माहिर थीं।
एक जलसे में जाने से पहले शाहिद ने उनसे कहा, मेरी कहानी के मुतल्लिक कुछ नहीं कहना. मुंह बिलकुल बंद रखना। लेकिन वो अपना वादा नहीं निभा सकीं। शाहिद लतीफ़ के अफ़साने की बखिया उधेड़ कर रख दी। वापसी पर शाहिद ड्राइव कर रहे थे और इस्मत उनका चेहरा देख रहीं थीं कि शाहिद कुछ बोलेंगे। लेकिन वो बिलकुल ख़ामोश रहे।
एक वाकया रामलाल के घर पर हुआ। हम सब वहां पहुंचे। रामलाल वो तमाम खतूत संभालने और खंगालने में लगे थे जिन्हें तमाम अदीबों ने उन्हें लिखे थे। इस्मत बोलीं यह सब बेकार मेहनत क्यों कर रहे हो? तुम्हारे जाने के बाद सब ख़त्म हो जाएगा। कोई इन्हें संभाल नहीं रखेगा। इस्मत के अफ़सानों में डायलॉग बहुत कम हैं। कहानी बनाई नहीं जाती, बल्कि चलती रहती है।

कार्यक्रम के अध्यक्ष और ,जेएनयू के पूर्व प्रोफ़ेसर और उर्दू समालोचक शारिब रुदौलवी की निग़ाह में इस्मत चुग़ताई की कहानियां ख़ास तरह की थीं। तरक़्क़ीपसंद अफ़साने लिखे, फ़िक्री कहानियां लिखीं, जिनकी बुनियाद मसायल हैं। मसायल में इंसान के काम की अहमियत है। उर्दू में भंगी समाज पर सिर्फ़ दो अफ़साने लिखे गए हैं। एक कृष्ण चंदर ने लिखा – कालू भंगी और दूसरा लिखा इस्मत ने – दो हाथ। यह इस्मत की ही हिम्मत थी कि उन्होंने उस किरदार की समाज में अहमियत बताई। उनके अफ़सानों को पढ़ कर लोग हैरान होते थे जब उन्हें यह पता चलता था कि ये खातून ने लिखे हैं। उस दौर में यह बहुत बड़ी बात थी,अफ़साना तो कोई भी लिख सकता है।
सवाल यह है कि मसला क्या है? इस्मत ऐसे मसायल लेकर चलती हैं जिनमें औरत की जद्दोजहद पूरी शिद्दत के साथ पेश की जाती है। उसे समाज में हक़ दिलाती हैं। इस्मत ने बदनामियों को झेल कर औरत को उसका मुक़ाम दिलाया. आज़ादी दिलाई। अफ़साने आते रहेंगे और अफ़सानानिगार भी. लेकिन इस्मत का आना मुश्किल है। इस्मत आपा वाक़ई अद्भुत थीं। वो मेरे वालिद, उर्दू के मशहूर अफ़सानानिगार रामलाल, की दोस्त थीं। हमारे घर पर रहीं भी,मैंने उन्हें पहली मरतबे 1962 में देखा था। वो चारबाग़ वाले हमारे घर आईं थीं। बेहद ख़ूबसूरत,मैं तो उन पर फ़िदा हो गया था। उस वक़्त मेरी उम्र महज़ बारह साल थी।
साल1987 में वो हमारे इंदिरा नगर घर आयीं।दो रोज़ रहीं भी।उनसे मैंने सिनेमा के बारे बहुत लंबी बात की। खास तौर पर दिलीप कुमार के बारे में। उनके शौहर शाहिद लतीफ़ ने दिलीप कुमार को ‘शहीद’ और ‘आरज़ू’ में डायरेक्ट किया था। इसकी कहानी इस्मत आपा ने लिखी थी।
शाहिद ने गुरुदत्त की ‘बहारें फिर भी आयेंगी’ भी डायरेक्ट की थी। एक बार जब मैं बंबई घूमने गया था तो इस्मत आपा से तो घर पर मुलाक़ात हुई लेकिन शाहिद लतीफ़ साहब से मिलने हमें श्री साउंड स्टूडियो जाना पड़ा, जहां वो चिल्ड्रन फिल्म सोसाइटी के लिए ‘जवाब आएगा’ के शूटिंग कर रहे थे। इस्मत आपा बहुत बिंदास थीं और जो बात उन्हें पसंद नहीं थी तो लाख बहस के वो हां नहीं करती थीं।
एक बार मैंने उनसे कहा रामायण सीरियल का राम अरुण गोविल मुझे फूटी आंख नहीं सुहाता। इस पर वो बहुत नाराज़ हुईं, वो थ्री कैसल विदेशी सिगरेट पी रही थीं। मैं उन्हें ललचाई आंखो से देख रहा था। वो समझ गयीं। अपने पर्स से एक डिब्बी निकाल कर मेरी जेब में डाल दी। मैंने इसे किसी से शेयर नहीं किया। रोज़ एक एक करके धुआं कर डाली।
उनके इंतक़ाल की ख़बर ने मुझे हतप्रभ कर दिया था। बड़ा अजीब लगता है और ख़ालीपन सा भी, जब कोई ऐसा गुज़र जाए जिसे आपने बहुत करीब से देखा और समझा होऔर फिर इस्मत आपा तो हमारे परिवार की सदस्य थीं। इस कार्यक्रम में साहित्य, रंगमंच और पत्रकारिता से जुड़े जुगल किशोर, के.के.चतुर्वेदी, सुशीला पुरी, विजय राज बली, ऋषि श्रीवास्तव आदि तमाम जानी-मानी हस्तियों मौजूद थीं।

'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन

'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन   मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए स्कूली बच्चों ने निकाला रैली कौशाम्बी। एन डी कान...