कोलंबो। भारत को घेरने की नीयत से श्रीलंका को साधने में जुटे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को बड़ा झटका लगा है। इमरान खान के श्रीलंका की संसद को संबोधित करने के कार्यक्रम को कोलंबो ने रद्द कर दिया है। श्रीलंकाई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत के साथ संबंध खराब होने के डर से श्रीलंका ने इमरान के मंसूबों पर पानी फेरा है। इससे पहले पीएम मोदी ने 13 मार्च 2015 को श्रीलंका की संसद को संबोधित किया था। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी पीएम इमरान खान भी पीएम मोदी के नक्शे कदम पर चलना चाहते थे लेकिन श्रीलंका ने कोरोना वायरस का बहाना लेकर इमरान खान के अरमानों को मिट्टी में मिला दिया। इससे पहले इमरान खान अपने श्रीलंका दौरे के दौरान 24 फरवरी को वहां की संसद को संबोधित करना चाहते थे। श्रीलंका ने कहा कि कोरोना वायरस के कोलंबो में फैलने की वजह से वे संसद में इमरान खान के संबोधन के दौरान सभी सांसदों की उपस्थिति सुनिश्चित नहीं कर सकते हैं, इसलिए इस कार्यक्रम को स्थगित किया जाता है। उधर, सूत्रों ने बताया कि सरकार के एक धड़े में पाकिस्तानी पीएम के संसद में संबोधन को लेकर आपत्ति थी। उन्हें डर था कि इससे भारत के साथ उसके रिश्ते खराब हो सकते हैं। सूत्रों ने दावा किया कि इमरान खान संसद में संबोधन के दौरान कश्मीर का मुद्दा उठा सकते थे। श्रीलंका ने अब तक कश्मीर मामले से दूरी बनाकर रखी हुई है। अगर इमरान खान कश्मीर मुद्दे को उठाते तो श्रीलंका के लिए यह मुश्किल पैदा करने वाला हो जाता। यही नहीं इमरान खान संसद को संबोधित करके खुद को पीएम मोदी के बराबर दिखाने की कोशिश करते। इन सब खतरों को देखते हुए श्रीलंका ने संसद को संबोधित करने के कार्यक्रम को ही रद्द कर दिया है। वैसे भी कोलंबो पोर्ट टर्मिनल विवाद को लेकर पहले से ही श्रीलंका के साथ भारत के तनावपूर्ण संबंध चल रहे हैं। बता दें किसी विदेशी नेता को दूसरे देश की संसद को संबोधित करना सम्मान के नजरिए से देखा जाता है। इमरान इसी को भुनाना चाहते थे लेकिन उन्हें झटका लग गया। इमरान खान के श्रीलंका दौरे को लेकर वहां के मुस्लिम नेता गदगद हैं। उन्हें उम्मीद थी कि संसद के अपने संबोधन में इमरान खान श्रीलंका के मुसलमानों के हालात पर भी बोलेंगे। बता दें कि श्रीलंका में कोरोना वायरस के संक्रमण से मरने वाले मुस्लिम मरीजों को दफनाने की जगह जलाने का आदेश है। सरकार के इस आदेश का श्रीलंका के मुस्लिम नेता लगातार विरोध करते रहे हैं। आतंकी संगठन लिट्टे के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान ने श्रीलंका की सेना को कई हथियार मुहैया कराए थे। दावा किया जाता है कि पाकिस्तान और चीन के उच्च तकनीकी सैन्य उपकरण और खुफिया सहायता के जरिए ही श्रीलंकाई सेना लिट्टे का खात्मा करने में सफल हो पाई थी। दरअसल, उस दौरान श्रीलंका की सेना पर मानवाधिकारों के हनन के जबरदस्त आरोप लगे थे। जिसके कारण कई देशों ने श्रीलंका को हथियारों की सप्लाई रोक दी थी।
बुधवार, 17 फ़रवरी 2021
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आजाद भारत के इतिहास में पहली महिला को फांसी
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली/ मथुरा। आजाद भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा होने जा रहा है। जब किसी महिला कैदी को फांसी पर लटकाया जाएगा। मथुरा स्थित उत्तर प्रदेश के इकलौते महिला फांसी घर में अमरोहा की रहने वाली शबनम को मौत की सजा दी जाएगी। इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई है। निर्भया के आरोपियों को फांसी पर लटकाने वाले मेरठ के पवन जल्लाद भी दो बार फांसी घर का निरीक्षण कर चुके हैं। हालांकि फांसी की तारीख अभी तय नहीं है। गौरतलब है, कि अमरोहा की रहने वाली शबनम ने अप्रैल 2008 में प्रेमी के साथ मिलकर अपने सात परिजनों की कुल्हाड़ी से काटकर बेरहमी से हत्या कर दी थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शबनम की फांसी की सजा बरकरार रखी थी। राष्ट्रपति ने भी उसकी दया याचिका खारिज कर दी है। लिहाजा आजादी के बाद शबनम पहली महिला कैदी होगी जिसे फांसी पर लटकाया जाएगा।
आज तक किसी महिला को नहीं हुई फांसी...
गौरतलब है कि मथुरा जेल में 150 साल पहले महिला फांसी घर बनाया गया था। लेकिन आजादी के बाद से अब तक किसी भी महिला को फांसी की सजा नहीं दी गई। वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने बताया कि अभी फांसी की तारीख तय नहीं है, लेकिन हमने तयारी शुरू कर दी है। डेथ वारंट जारी होते ही शबनम को फांसी दे दी जाएगी।
बिहार से मंगवाई जाएगी रस्सी...
जेल अधीक्षक के मुताबिक पवन जल्लाद दो बार फांसी घर का निरीक्षण कर चुका है। उसे तख्ता-लीवर में कमी दिखी, जिसे ठीक करवाया जा रहा है। बिहार के बक्सर से फांसी के लिए रस्सी मंगवाई जा रही है। अगर अंतिम समय में कोई अड़चन नहीं आई तो शबनम पहली महिला होंगी जिसे आजादी के बाद फांसी की सजा होगी।
मालिक की तलाश, कई दिनों से भटक रहा है कुत्ता
पंकज कपूर
चमोली। कुत्तों को वफादार जानवर कहा जाता है। वह अपने मालिक के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। यही कारण है, कि लोग भी इस जानवर की सेवा भी पूरे मन से करते हैं। कई लोग तो इन्हें अपने परिवार का सदस्य तक मानते हैं। इन दिनों एक ऐसा ही एक वफादार कुत्ता उत्तराखंड के चमोली में मिला जो अपने लापता मालिक की तलाश कई दिनों से कर रहा है। आलम यह है कि वो पिछले कई दिनों से उसी टनल के बाहर बैठा है। जहां प्राकृतिक आपदा ने सबसे ज्यादा कहर बरपाया। इस प्राकृतिक आपदा में सबसे अधिक प्रभावित चमोली जिले का रैणी गांव हुआ। वहां रहने वाले कई लोग इस हादसे में हताहत हुए हैं। इस भीड़ के कहीं एक कोने में आपदा के पहले दिन से ही अब तक एक बेजुबान बेबस और गुमसुम है। अपनों के इंतजार में इसकी आंखें टकटकी लगाए टनल और रेस्क्यू ऑपरेशन को लगातार देख रही हैं। अपने मालिक की गंध सूंघते हुए यह कई दिनों से टनल के बाहर खड़ा है।
एनसीआर के लोकल यात्रियों की परेशानी कम होगी
अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। कोरोना संक्रमण के बाद लगे लॉकडाउन के चलते दस माह से परेशान चल रहे लोकल यात्रियों के लिये राहत भरी खबर आई है। मुंबई के बाद अब दिल्ली एनसीआर सहित उत्तर रेलवे के अन्य मंडलों में लोकल यात्रियों की परेशानी दूर होगी। जल्द ही लोकल ट्रेनें पटरी पर उतरेंगी। रेलवे बोर्ड ने 22 फरवरी से उत्तर रेलवे को 35 लोकल ट्रेनें चलाने की अनुमति दे दी है। सभी ट्रेनों को फिलहाल एक्सप्रेस का दर्जा देकर चलाने का फैसला किया गया है। संचालित होने वाली रेलों में दिल्ली से गाजियाबाद, पलवल, पानीपत सहित आसपास के अन्य शहरों के बीच भी लोकल ट्रेनें चलेंगी। यात्री अनारक्षित टिकट लेकर इनमें सफर कर सकेंगे लेकिन इसके लिए उन्हें एक्सप्रेस ट्रेन का किराया देना होगा। बता दें कि अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही दिल्ली-एनसीआर के दैनिक यात्री लोकल व ट्रेनों का परिचालन शुरू करने की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि ट्रेनें नहीं चलने से उन्हें अपने कार्य स्थल पर पहुंचने में दिक्कत होती है। उनके सामने सड़क से सफर करने का ही विकल्प है,जिसमें समय और किराया दोनों ज्यादा लगता है। वहीं, कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के धरने से सड़क मार्ग से दिल्ली आने जाने में परेशानी बढ़ गई है। दैनिक यात्रियों की इस परेशानी को देखते हुए उत्तर रेलवे ने पिछले दिनों रेलवे बोर्ड से लोकल ट्रेनें चलाने की अनुमति मांगी थी। रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने कोरोना संक्रमण के बीच जरूरी दिशा निर्देश का पालन करते हुए कुछ ट्रेनें चलाने की अनुमति दी है। इनमें 14 पैसेंजर ट्रेनें, पांच ईएमयू (इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट), दस एमईएमयू (मेनलाइन इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट) और छह डीएमयू (डीजल मल्टीपल यूनिट) शामिल की गयी है।
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