सोमवार, 1 फ़रवरी 2021

नशीली दवा देकर नौकर करता था रेप, कड़ी सजा

मालकिन को चाय में नशीली दवा देकर नौकर करता था दुष्कर्म, खुलासा होने पर आरोपी को मिली कड़ी सजा

मेदिनीपुर। मालकिन को चाय में नशीला पदार्थ पिला कर उसके साथ दुष्कर्म करने के मामले में शनिवार को प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह विशेष न्यायाधीष मोतीश कुमार ङ्क्षसह ने आरोपित नौकर को बीस वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। 
न्यायाधीश ने दुष्कर्मी नौकर द्वारा मालकिन के साथ दुष्कर्म करने की घटना का वीडियो बनाकर उसे वायरल करने का भय दिखाकर लाखों रुपये ऐंठने के लिए आरोपित को तीन वर्ष की सजा सुनाई। सजा के अलावा साठ हजार रुपया जुर्माना अदा करने और नहीं देने पर एक वर्ष साधारण कारावास की सजा भुगतने का फैसला दिया है। यह सजा पश्चिम बंगाल राज्य के पश्चिमी मेदिनीपुर जिला अन्तर्गत मोहनपुर थाना क्षेत्र के एकपुरा निवासी सुकुमार जाना को दी गयी है।
जानकारी के मुताबिक, इस घटना की प्राथमिकी 28 जून 2019 को पीडि़ता के टंकित आवेदन पत्र के आधार पर सदर थाना में दर्ज की गयी थी ।आवेदन में कहा गया था कि उपरोक्त तिथि से कुछ माह पूर्व पीडि़ता के पति की पोङ्क्षस्टग गया जिला में थी। आरोपित उसके घर में नौकर के रूप में काम करता था। एक दिन जब उसका पति आफिस एवं बच्चे स्कूल चले गये थे। तो उसने आरोपित को चाय बनाने को कहा।आरोपित ने चाय में नशीला पदार्थ मिला दिया। जिसे पीने के बाद वह बेहोश होकर पलंग पर गिर गयी। 
बेहोशी की हालत में आरोपित नौकर ने उसके साथ दुष्कर्म कर इसकी वीडियो बना ली और घर से चला गया। होश आने पर उसे घटित घटना का एहसास हुआ। डर से महिला ने अपने पति को नहीं बतायी। अगले दिन आरोपित पुन काम करने आया और पीडि़ता को अकेला पाकर उसे वीडियो और फोटो दिखाकर उसकी बात मान लेने और नहीं तो इसे सोशल मीडिया एवं वाट्सएप पर वायरल कर देने की धमकी दी।

आजकल तिरंगे पर बड़ा आंसू बहा रहे हैं कुछ लोग

जो लोग 2002 तक अपने कार्यालय पर कभी तिरंगा नहीं फहराते थे... वही आजकल तिरंगे पर बड़ा आंसू बहा रहे हैं। 
अकांशु उपाध्याय  
नई दिल्ली। जो लोग 2002 तक अपने कार्यालय पर कभी तिरंगा नहीं फहराते थे। वही आरएसएस वाले आजकल तिरंगे पर बड़ा आंसू बहा रहे हैं। इससे कौन सहमत नहीं होगा कि तिरंगे का अपमान नहीं होना चाहिए लेकिन पिछले 80 सालों में तिरंगे का संघ परिवारियों से ज्यादा अपमान किसी ने नहीं किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ खुद 2002 तक अपने नागपुर कार्यालय पर तिरंगा नहीं फहराता था। इसका जवाब इन्होंने आज तक नहीं दिया। साल था... 2001. 26 जनवरी को नागपुर के आरएसएस मुख्यालय में राष्ट्रप्रेमी युवा दल के तीन युवक घुस गए और तिरंगा फहराने का प्रयास किया. ये तीनों थे। बाबा मेंढे, रमेश कलम्बे और दिलीप चटवानी। इन तीनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई और 12 साल तक मुकदमा चला। उनका अपराध ये था। कि गणतंत्र दिवस पर आरएसएस का तिरंगा झंडा न फहराना उन्हें बुरा लगता था और वे खुद ये काम करने आरएसएस के कार्यालय गए थे। इन तीनों को अगस्त 2013 में नागपुर की एक अदालत ने बाइज्जत बरी किया। इस कांड के बाद 2002 में आरएसएस मुख्यालय पर तिरंगा झंडा फहराया जाने लगा। सवाल ये है। कि आजादी से लेकर 2002 तक आरएसएस के लोग खुद ​अपने मुख्यालय ​पर तिरंगा क्यों नहीं फहराते थे। क्या 2002 के पहले तिरंगा भारत का राष्ट्रध्वज नहीं था। या फिर आरएसएस खुद देशभक्त नहीं था।
क्या आरएसएस तिरंगा इसलिए नहीं फहराता था। क्योंकि आजादी के समय से ही वह भारतीय संविधान और राष्ट्रीय झंडे के खिलाफ था। क्या इसलिए कि इनके गुरु गोलवलकर भारत के तिरंगे झंडे को अशुभ बता चुके थे।  जो खुद दो दशक पहले तक तिरंगा नहीं फहराते थे। वे रिटायर्ड फौजियों और किसानों ने देशभक्ति का सबूत मांगे तो ये बात बेहद अश्लील लगती है। 
जब देश आजाद हुआ। तब भारत के संविधान और तिरंगे झंडे के खिलाफ आरएसएस ने देश भर में अभियान चलाया था। तिरंगे झंडे के खिलाफ आरएसएस और हिंदू महासभा के नेता आग उगलते घूम रहे थे। आरएसएस के सरसंघचालक गोलवलकर ने गुरु पूर्णिमा पर एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था। ‘सिर्फ और सिर्फ भगवा ध्वज ही भारतीय संस्कृति को पूरी तरह प्रतिबिंबित करता है। हमें पूरा यकीन है। अंतत पूरा देश भगवा ध्वज के सामने ही अपना सिर झुकाएगा 
गोलवलकर का कहना था। यह (तिरंगा) कभी भी हिंदुओं के द्वारा न अपनाया जायेगा और न ही सम्मानित होगा। तीन का शब्द तो अपने आप में ही अशुभ है। और तीन रंगों का ध्वज निश्चय ही बहुत बुरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालेगा और देश के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होगा। हिंदू महासभा के नेता वीडी सावरकर ने संविधान सभा में कहा था। भारत का प्रतीक सिर्फ भगवा-गेरू रंग ही हो सकता है। अगर किसी झंडे में ‘कम से कम एक पट्टी भी भगवा नहीं होगी तो हिन्दू उसे अपना झंडा नहीं मानेंगे। आजादी के बाद भी इनकी ये हरकत जारी रही। आरएसएस ने कभी भी तिरंगे को भारतीय राष्ट्र का ध्वज नहीं माना था। लेकिन 2002 के केस के बाद वे देशभक्त बन गए और अब दूसरों से देशभक्ति का प्रमाण मांगते फिरते हैं। गांधी की हत्या में संलिप्तता के मामले में सरदार पटेल ने संघ पर प्रतिबंध लगा दिया था। ये प्रतिबंध हटाया गया तो पटेल ने आरएसएस के सामने शर्त रखी थी। कि यह संगठन तिरंगे को राष्ट्रध्वज मानेगा और संविधान का सम्मान करेगा। ऐसे लोग आज भारत के आम किसानों की देशभक्ति पर सवाल उठा रहे हैं। ये सही है कि तिरंगे का सम्मान करना चाहिए। लेकिन ये लेख लिखने तक दिल्ली में आपकी ही सरकार है। लाल किले पर जिसने तिरंगे के पास दूसरा ध्वज फहराया, उसे पकड़ा क्यों नहीं गया? इसका जवाब सीधा सा है। कि कभी वे तिरंगे के खिलाफ लोगों को उकसाते थे। आज तिरंगे की आड़ लेकर लोगों को उकसा रहे हैं।
वे देश के किसानों और रिटायर्ड जवानों को खालिस्तानी और पाकिस्तानी बताने जैसा मूर्खतापूर्ण बकवास कर रहे हैं। लेकिन संघियों को पहले खुद इस बात का जवाब देना चाहिए 2002 के पहले तिरंगा भारतीय राष्ट्र का राष्ट्रध्वज नहीं था। या फिर आरएसएस देशभक्त नहीं था। देश के साथ छलप्रपंच आरएसएस, महासभा और मुस्लिम लीग जैसे संगठन करते हैं। आज ये काम राजनीतिक दल कर रहे हैं। 
भारत के किसानों, मजदूरों और आम लोगों ने तिरंगा अपने लहू की कीमत पर हासिल किया है। मुझे यकीन है। कि जिस दिन उस पर खतरा आएगा, लाखों करोड़ों भारतीय बिना कहे फिर से बलिदान देने को तैयार हो जाएंगे। जिन किसानों के बीच आप खालिस्तानी खोज रहे हैं। उनके बेटे अब भी सीमा पर पहरा दे रहे हैं। जिन्हें इन तथ्यों पर संदेह हो वे शम्सुल इस्लाम, सुभाष गाताडे और सौरभ वाजपेयी जैसे विद्वानों के लेख गूगल कर लें या उनकी किताबें मंगवा लें।

पत्रकार यूनियन के चुनाव संपन्न, इन्हें दी कमान

हरिद्वार: देवभूमि पत्रकार यूनियन के चुनाव संपन्न, इन्हें मिली जिले की कमान
पंकज कपूर  
झबरेड़ा (हरिद्वार)। सोमवार को यहां हुए देवभूमि पत्रकार यूनियन, रजि. के सर्वसम्मत चुनाव में जिला हरिद्वार इकाई के लिए जिला अध्यक्ष पद पर दुष्यंत शर्मा तथा जिला महासचिव पद पर रोहित राणा को चुना गया। उक्त घोषणा करते हुए चुनाव अधिकारी घनश्याम गुप्ता (प्रधानाचार्य, नेशनल कन्या इंटर कालेज,( खानपुर) ने कहा कि उक्त के अलावा सुनील कुमार शर्मा- उपाध्यक्ष, गगन कुमार- प्रचार मंत्री एवं दिनेश कुमार, अमर मौर्या, अनिल त्यागी, प्रमोद कुमार, हनीफ सलमानी व श्रवन गिरी सदस्य कार्यकारिणी चुने गए। सदन ने नवनिर्वाचित अध्यक्ष व महासचिव को अधिकृत किया कि वे परस्पर सहमति से कार्यकारिणी के शेष पदों पर मनोनयन कर 21 सदस्यीय कार्यकारिणी संस्तुति हेतु प्रदेश मुख्यालय को प्रेषित करें। सदन ने सर्वसम्मति से वरिष्ठ पत्रकार श्रीगोपाल नारसन (एडवोकेट) को संरक्षक घोषित किया, जिसका सभी उपस्थित पत्रकारों ने करतल ध्वनि से स्वागत किया। साथ ही चुनाव सम्पन्न कराने हेतु चुनाव अधिकारी श्री घनश्याम गुप्ता का भी आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष विजय जायसवाल व संचालन प्रदेश महासचिव डॉ. वी.डी. शर्मा ने किया। कार्यक्रम में उक्त के अतिरिक्त सर्वश्री अनिल वर्मा – प्रदेश उपाध्यक्ष, रवि अरोड़ा प्रदेश सचिव व शशिकांत मिश्रा- प्रदेश प्रचार मंत्री, दीपक गुलानी- जिला महासचिव देहरादून, नीलेश, प्रमोद कुमार (राष्ट्रीय सहारा), सुनील कुमार शर्मा (कलयुग का तहलका), रोहित कुमार (न्यूज इंडिया चैनल व दैनिक भाष्कर), पुष्पेंद्र कुमार (साधना प्लस न्यूज़ चैनल), गगन धीमान (साधना प्लस), दिनेश कुमार (फ़ास्ट न्यूज़), अमर मौर्य (न्यूज़ चैनल), डाल चंद्र (एच एन एन, न्यूज़ चैनल), अनिल कुमार त्यागी ( बद्री विशाल), हर्ष हसीन (रूड़की) सौरभ गुप्ता (अभिप्रेरणा – रुड़की) आदि उपस्थित थे। अंत में नवनियुक्त जिला अध्यक्ष दुष्यंत शर्मा ने सभी पत्रकार बन्धुओं का आभार व्यक्त किया।

किसानों की आय पर विपरीत प्रभाव, आंदोलन

अकांशु उपाध्याय   
नई दिल्ली। लगातार हो रहे कृषि कानूनों का विरोध देख सोचा लोगो को इसे समझने-जानने कि आवश्यकता है, जैसा कि सरकार का दावा था। किसानों की आय दोगुनी करने का उसके चलते यह कानून बनाए गए है। किन्तु क्या आप जानते है, कि इन कानूनों का विपरीत असर किसानी और खाद्य सुरक्षा पर हो सकता है तो आइए जानते है। विस्तार से आखिर इन कानूनों का विरोध हो क्यों रहा है ? पहला कानून कृषि ट्रेड एंड फैसिलिटेशन पर आधारित है। अर्थात् जिस तरह से आज ऑनलाइन समान कि बिक्री होती है। उसी तरह किसान को भी अपनी फसल बेचने के रास्ते दिए जा सकते है। इस बिल के अनुसार अब किसान अपनी फसल किसी भी राज्य में बिना किसी टैक्स को दिए बेच सकते है। अब इसका विरोध क्यों करना भला तो ठहरिए, 1155 में लागू हुए एपीएमसी में किसानों को अपनी फसल बेचने पर क्या वाकई नुकसान होता है। इसका उत्तर जरूर हा में दिया जा सकता है। क्योंकि यह लाइसेंस धारी बिचौलिए होते है। जिन्हे किसान अपनी फसल बेचता है। और फिर बिचौलिए इस फसल को ट्रेड कंपनी या मार्केट के दुकानदारों को बेचता है। जिसमे कमाई बिचौलियों की होती है। और किसान को सिर्फ उसकी लागत और थोड़ा बहुत ही मुनाफा मिल पाता है। जिस तरह प्रारंभ में ऑनलाइन समान खरीदने पर डिलीवरी फ्री होती थी। किन्तु अब नहीं होती है। क्योंकि कंपनी धंधा मुनाफे के लिए करती है। सरकार का पक्ष - इस कानून के आ जाने से किसान अपनी फसल किसी भी राज्य में प्राइवेट मंडियों में बेच सकता है। हालाकि किसानों को अभी भी दूसरे राज्यों में जाकर अपनी फसल बेचने का अधिकार है। मगर बिचौलिए सिर्फ अपने लाइसेंस अधिकृत एपीएमसी में ही बेच और खरीद सकता है।
विपरीत असर - इस कानून के लागू होने के बाद धीरे धीरे एपीएमसी का उपयोग ना होने से उन्हें बंद होने की संभावना है। फिर किसानों के पास सिर्फ प्राइवेट मंडी ही बचेगी जहा उसे अपने मन मुताबिक दाम नहीं मिलेंगे और मजबूरी में किसानों को फसल को कंपनी के अनुसार दिए दामो पर बेचना होगा। एक राज्य से दूसरे राज्यों में कई किलोमीटर दूर अपनी फसल ले जाने के बाद खर्चों का वहन किसे करना है। यह पता नहीं होगा, सरकार अपने पक्ष में कह रही है। कि एपीएमसी बंद नहीं होगी मगर इसका कोई लिखित प्रावधान नहीं है। इससे एमएसपी की भी कोई गारंटी नहीं होगी की अगर कोई कंपनी फसल की लागत से कम दाम दे तो किसानों के पास दूसरा कोई रास्ता नहीं होगा अपनी फसल बेचने का। साथ ही राज्यों को मिलने वाला टैक्स भी समाप्त हो जाएगा जो उसे मंडियों के माध्यम से मिलता है।
आम जनता पर असर मंडियों में काम करने वाले मजदूर, अकाउंटेंट, सफाईकर्मी, ट्रांसपोर्ट से जुड़े लोगों के पास रोज़गार जाने की पूरी संभावना है। जनता को पैकिंग फूड खरीदने के लिए विवश होना पड़ेगा जो कि उसे महंगे दामों में मिलने की संभावना होगी। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग - कृषि कानून कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लीगल करके किसानों को अधिकार दे रही है। कि जिन फसलों का दाम उसे सही मिले या जिस कंपनी से उसका कॉन्ट्रैक्ट होगा उसी फसल की खेती करे। किसान कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर सकता है। मगर कंपनी नहीं कर सकती है। विपरीत असर - जब कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की जाएगी तो 85 प्रतिशत किसान जो की छोटे किसान है। अर्थात् 2 एकड़ से कम  के मालिक है। या लीज़ पर जमीन लेकर किसानी मजदूरी का काम करते है। जो की बहुत ज्यादा फसल नहीं उगा पाएंगे और उन्हें बड़े किसानों या बिचौलियों के साथ जुड़कर है। अपनी फसल को बेचना पड़ सकता है। अगर किसी भी प्रकार का घोटाला होता है। तो राजस्व विभाग का एसडीएम ही उनके केस का निर्णय करेगा और राजस्व विभाग का भ्रष्टाचार किसी से छुपा नहीं है। इससे घोटाले बड़ सकते है और किसानों के शोषण कि भी संभावना है। अगर किसान के साथ कोई बेईमानी होगी तो कितने समय में उसका निराकरण होगा। साथ ही मौसम के कारण हुए नुकसान का क्वालिटी पर असर होगा और किसानों को नुकसान होगा उन्हें उस फसल की एमपीएस भी नहीं दी जाएगी जो दाम कंपनी देगी वह लीगल होगा। आम जनता पर असर - जिन फसलों के दाम किसानों को अच्छा मिलेंगे वे उसी की खेती करेंगे और यह पूर्व में ही फसल को खरीदने का कॉन्टैक्ट होगा जिससे आम जनता को वहीं खरीदना पड़ेगा और इतना ही दाम देना होगा जो कंपनी चाहती है। बड़ी कंपनी में अधिकतर कार्य मशीनों से होते है। इससे बेरोज़गारी बड़ सकती है । एसेंशियल, स्टोरेज - सरकार ने इस कानून में अनिश्चित मात्रा तक कंपनियों को स्टोरेज करने की सुविधा दी है। वह किसानों से खरीद कर अपने पास स्टोर कर सकती है। विपरीत असर इस कानून के जरिए देश में कालाबाजारी बड़ सकती है। कंपनिया तय करेगी कि फ़सल को किस दाम पर देश में बेचना है। कंपनियों का एकाधिकार है। जाएगा और अधिक भाव देकर जनता को चीजे खरीदना पड़ेगी महंगाई सातवे आसमान पर पहुचनें की संभावना होगी। जिस वर्ष कंपनी के पास स्टोक में पर्याप्त मात्रा में फसल होगी उस वर्ष किसानों को सही दाम ना मिलने की भी संभावना है।
यह बात जरूर है। कि एपीएमसी या कृषि मंडियों में कमिया जरूर है मगर उन्हें रिफार्म करने की  जरूरत है ना कि दूसरी प्राइवेट मंडियों को लाना। 
आम आदमी और किसानों के तौर पर सोचिए और फैसला कीजिए, क्या यह कानून सही है।

किसानों के गुस्से से घबराई सरकार, इंटरनेट बंद

किसानों के गुस्से से घबराई हरियाणा सरकार, इंटरनेट फिर किया बंद, जानें कब तक रहेगा बंद
राणा ओबराय   
चंडीगढ़। किसान आंदोलन को लेकर दिल्ली में हुई हिंसा के कारण माहौल सवेदनशील हो गया था। जिसको लेकर लगातार सोशल मीडिया पर लगातार अलग -अलग तरफ की खबरे सामने आ रही थी। जिसको लेकर सरकार ने इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी थी। तो वहीं एक बार फिर इंटरनेट सेवा की जो रोक अवधि यानि कि समय बड़ा दिया है। बतादें कि हरियाणा के कई जिलों में आज शाम 5 बजे तक नेट फिर बंद कर दिया गया है। बताना लाजमी है, कि हरियाणा सरकार ने अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, कैथल, पानीपत, हिसार, जींद, रोहतक, भिवानी, चरखी दादरी, फतेहाबाद, सिरसा, सोनीपत और झज्जर जिलों में वॉयस कॉल को छोडकऱ मोबाइल इंटरनेट की सेवाओं (2जी/3जी/4जी/सीडीएमए/जीपीआरएस),एसएमएस सेवाओं (केवल अधिसंख्य एसएमएस) और सभी डोंगल सेवाओं को निलंबित करने की अवधि एक फरवरी, 2021 शाम 5 बजे तक के लिए बढ़ा दी है। राज्य सरकार ने एसएमएस, व्हाट्सएप, फेसबुक ट्विटर आदि विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से दुष्प्रचार और अफवाहों के प्रसार को रोकने के लिए इंटरनेट सेवाओं को बंद करने का निर्णय लिया है।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि हरियाणा के गृह सचिव ने लोक सुरक्षा का ध्यान रखते हुए 'टैंपरेरी सस्पैंशन ऑफ टेलीकॉम सर्विसिज (पब्लिक इमरजेंसी और पब्लिक सेफ्टी) रूल्स ,2017 का रूल 2' के तहत इंटरनेट सेवाएं बंद करने के आदेश दिए गए हैं। बीएसएनएल (हरियाणा के अधीन आने वाले क्षेत्र) सहित हरियाणा में टेलिकॉम सेवाएं देने वाली सभी कंपनियों को इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। क्षेत्र में शांति बनाए रखने व लोक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा ये आदेश जारी किए गए हैं। कोई भी व्यक्ति इन आदेशों के उल्लंघन का दोषी पाया जाएगा तो वह संबंधित प्रावधानों के तहत कानूनी कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होगा।

सौगात: वित्तमंत्री निर्मला ने एमएसपी डेढ़ गुना बढ़ाया

अकांशु उपाध्याय   

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में सोमवार को किसानों के लिए खजाना खोलने की बड़ी घोषणा की। इसके तहत वित्त वर्ष  2021-22 में किसानों के लिए 16 लाख 50 हजार करोड़ रुपए की साख सुविधा देने की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि खेती के साथ-साथ पशुपालन और मतस्य पालन के बजट में भी भारी वृद्धि की गई है।  एमएसपी के प्रति किसानों के मन में उपजी शंकाओं को लेकर वित्त मंत्री ने कहा… न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के प्रति किसानों के मन में उपजी शंकाओं को लेकर निर्मला सीतारमण ने कहा कि चालू खरीफ फसल की सरकारी खरीददारी अब तक सबसे अधिक 1,72,752 करोड़ रुपए की होने की संभावना है। उन्होंने कांग्रेस समेत तमाम उन विपक्षी नेताओं को आईना भी दिखाया कि उनके शासन काल में किस तरह नाम मात्र की एमएसपी मूल्य पर खरीददारी होती है। वित्त मंत्री ने फिर दोहराया कि लागत के डेढ़ गुणा अधिक मूल्य पर सरकारी खरीददारी होती रहेगी। उन्होंने आकड़े देकर स्पष्ट किया कि किस तरह यूपीए के शासनकाल में एमएसपी पर खरीददारी कितनी कम होती थी। बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2013-14 के दौरान गेहूं की सरकारी खरीददारी केवल 33, 874 करोड़ रुपए की हुई थी, जबकि मोदी सरकार ने 2019-20 के दौरान 62,802 करोड़ रुपए की गेहूं की सरकारी खरीददारी की। वर्ष 2020-21 में गेहूं की सरकारी खरीददारी 75,050 करोड़ रुपए के होने का अनुमान है। इसी तरह 2013-14 में यूपीए सरकार ने खरीफ फसलों की एमएसपी पर खरीददारी केवल 63,928 करोड़ रुपए की थी, जबकि 2019-20 में मोदी सरकार ने 1,41,930 करोड़ रुपये की खरीददारी की थी। अब 2020-21 में 1,72,752 करोड़ रुपये की खरीददारी होने की संभावना है। वित्तमंत्री ने कहा कि दलहन की खरीददारी में भी मोदी सरकार का रिकार्ड यूपीए की सरकार के मुकाबले काफी अधिक अच्छा है। 2013-14 में यूपीए सरकार ने केवल 90 करोड़ रुपए के दलहन की सरकारी खरीददारी की थी, जबकि मोदी सरकार ने 2020-21 में 25,974 करोड़ रुपए की खरीददारी की। इससे साफ हो जाता है कि एमएसपी के प्रति मोदी सरकार कितनी गंभीर है।

उम्मीदवार का शव सदिंग्ध अवस्था में लटका मिला

पंकज कुमार  
एटा। मामला जनपद के थाना मिरहची के गांव दतेई का हैं। जंहा एक प्रधान पद उम्मीदवार का शव सदिंग्ध अवस्था में पेड़ पर लटका मिला। सूचना पाकर पुलिस ने मौके पर पहुँचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेजा। परिजनों के अनुसार युवक की हत्या कर शव को पेड़ पर लटकाया गया। मृतक अभयप्रताप उर्फ छोटे उम्र 37 पुत्र शिशुपाल सिंह चौहान निवासी दतेई कोतवाली मिरहची जनपद एटा प्रधानपद के उम्मीदवार थे। मृतक अभयप्रताप के चाचा सतीशबाबू ने बताया कि कुछ अज्ञात लोगों ने तालाब के पास बुलाया था। जंहा मृतक अभय मछली पालन किया करता था व परिजनों ने बताया कि मृतक के शव पर काफी चोटों के निशान हैं। परिजनों ने बताया कि अभय आगामी परिसीमन चुनाव में ग्रामपचांयत दतेई के प्रधान पद का उम्मीदवार था। परिजनों ने प्रशासन से इस घटना की सीबीआई जांच की मांग की है।

योजना के अन्तर्गत टूल किट का किया गया वितरण

कौशाम्बी। जिलाधिकारी अमित कुमार सिंह ने सोमवार को जिला उद्योग कार्यालय मंझनपुर में विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजनान्तर्गत बढ़ई, दर्जी, नाई, कुम्हार, सुनार, लोहार, मोची, राजमिस्त्री, हलवाई, एवं टोकरी बुनकर सहित अन्य लाभार्थियों को टूल किट वितरित किया। टूल किट वितरण के समय जिलाधिकारी ने सभी टूलकिटों को अपने सामने खुलवाकर देखा। जिसमें सभी टूलकिटों में मानक के अनुसार सामान कम पाये जाने पर जिलाधिकारी ने कड़ी फटकार लगाते हुए जिला उद्योग अधिकारी एवं बाबू धर्मराज मिश्रा को सभी किटों में तत्काल पूरा सामान उपलब्ध कराये जाने का निर्देश दिया है। उन्होने जिला उद्योग अधिकारी एवं बाबू धर्मराज मिश्रा को सख्त हिदायत देते हुए निर्देशित किया है कि यदि टूलकिट वितरण में कोई भी सामान मानक के अनुसार कम पाया जायेगा तो संबंधित के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जायेगी। जिलाधिकारी ने कहा कि सरकार द्वारा संचालित योजनाओं से सभी पात्र व्यक्तियों को लाभान्वित करायें। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही या उदाशीतना क्षम्य नहीं होगी।
सुशील केसरवानी 

एसएसपी ने वैन को दिखाई हरी झण्डी, रवाना किया

डीएम, एसएसपी ने एलईडी वैन को हरी झण्डी दिखाकर किया रवाना
पंकज कुमार  
एटा। शासन के निर्देश पर परिवहन विभाग द्वारा भेजी गई एलईडी वैन को जिलाधिकारी सुखलाल भारती, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार सिंह ने संयुक्त रुप से कलेक्ट्रेट परिसर हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने कहा कि जागरूकता एलईडी वैन द्वारा जनपद में जनसामान्य को यातायात के नियमों का पालन करने हेतु जागरूक किया जाएगा। उन्होंने जनसामान्य से अपील की कि वाहन चलाते समय यातायात के नियमों का पालन करें, मोटर साईकिल व स्कूटी चलाते समय हेलमेट एवं चार पाहिया वाहन चलाते समय सीट बेल्ट जरूर लगायें। नशे की हालत में, तेज गति से एवं मोबाइल पर बात करते हुए वाहन कतई न चलाएं।  
एआरटीओ हेमचन्द गौतम ने बताया कि एलईडी जनपद में 01 फरवरी से 05 फरवरी तक रहेगी, इसके तहत 01 फरवरी, 02 फरवरी को जनपद मुख्यालय तथा 03, 04 एवं 05 फरवरी को तहसीलों में एलईडी वैन विभिन्न स्थानों पर जनसामान्य को यातायात के नियमों के प्रति जागरूक करेेगी। इस अवसर पर एडीएम प्रशासन विवेक कुमार मिश्र, डिप्टी कलेक्टर अलंकार अग्निहोत्री आदि मौजूद रहे।

नगर कार्यालय पर मीटिंग का आयोजन किया गया

पंकज कुमार  
एटा। समाजवादी पार्टी एटा नगर कार्यालय पर मासिक मीटिंग का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता सरफराज अहमद बबलू नगर अध्यक्ष समाजवादी पार्टी एटा ने की। नगर के सभी पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता शामिल हुए नगर महासचिव रवीकांत यादव, नगर कोशाध्यक्ष गोपाल अग्रवाल, नगर उपाध्यक्ष तौशीफ वारसी,व यामीन वारिस, जिला सचिव देवाजी, नगर सचिव आदिल भाई, नगर सचिव दिलशाद भाई, और सभी नगर के समाजवादी सदस्य एवं कार्यकर्ता मौजूद रहे।

पोर्टल पर प्रथम स्थान प्राप्त किया, शुभकामनाएं

अतुल त्यागी   
हापुड़। जिलाधिकारी अदिति सिंह के कुशल नेतृत्व में जिला स्तरीय अधिकारियों की कार्यकुशलता के फल स्वरुप जनपद को ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल पर प्राप्त स्थान आवेदनों के प्रमाण-पत्र जारी करने में प्रदेश में फिर से प्राप्त किया प्रथम स्थान, डीएम ने सभी अधिकारियों को दी बधाई, इसी कार्य कुशलता के साथ आगे भी कार्य करने के लिए इंगित किया। जिलाधिकारी अदिति सिंह के कुशल नेतृत्व में जनपद के अधिकारियों द्वारा अपनी कार्यकुशलता के फल स्वरुप उत्तर प्रदेश सरकार के महत्वपूर्ण कार्यक्रम ई- डिस्ट्रिक्ट पोर्टल में रहा अव्वल, प्रथम स्थान प्राप्त किया। ई- डिस्ट्रिक्ट पोर्टल में माह जनवरी 2021 की रैंक में पूरे प्रदेश में राजस्व एवं अन्य विभागों में प्राप्त आवेदनों के प्रमाण पत्र जारी करने में शत-प्रतिशत अंक हासिल करते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया है। जिसके लिए जिलाधिकारी अदिति सिंह ने समस्त उप जिलाधिकारियों, तहसीलदारों, राजस्व विभाग के अधिकारियों तथा अन्य संबंधित अधिकारियों एवं नगरपालिका के अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा है कि यह सरकार का बहुत ही महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। जिलाधिकारी ने समस्त जनपदीय अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल में इसी समयबद्धता के साथ कार्य कराना सुनिश्चित करते रहे। ई- डिस्ट्रिक्ट पोर्टल सरकार का एक महत्वपूर्ण पोर्टल है। जिसके माध्यम से जनसामान्य को विभिन्न प्रकार के प्रमाण पत्र निर्गत किए जाते हैं। अधिकारियों के द्वारा निर्धारित समय पर प्राप्त आवेदन पत्रों पर कार्यवाही सुनिश्चित करते हुए समयबद्धता के साथ ऑनलाइन प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं। इस उपलब्धि के लिए सभी संबंधित अधिकारी बधाई के पात्र हैं। जिलाधिकारी ने सभी अधिकारियों को इसी कार्य कुशलता के साथ सरकार के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में आगे भी कार्यवाही करने के लिए इंगित किया है। ताकि सरकार के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का हापुड़ की जनता को निरंतर रूप से समयबद्धता के साथ लाभ प्राप्त होता रहे।

हैदराबाद ने जीता टॉस, बल्लेबाजी का फैसला किया

हैदराबाद ने जीता टॉस, बल्लेबाजी का फैसला किया  इकबाल अंसारी  हैदराबाद। इंड‍ियन प्रीम‍ियर लीग (IPL) 2024 सीजन में सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) और...