गुरुवार, 29 अक्तूबर 2020

सात विधायक सस्पेंड, जैसे को तैसा जवाब देंगें

बसपा के 7 बागी विधायक सस्पेंड, मायावती बोली- देगें जैसे को तैसा जवाब, चाहे बीजेपी को देना पड़े वोट


नई दिल्ली। राज्यसभा चुनाव में बगावत करने वाले सात विधायकों को बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने निलंबित कर दिया है। बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने विधायकों के निलंबन का ऐलान किया। इसके साथ ही मायावती ने कहा कि एमएलसी के चुनाव में बसपा जैसे को तैसा का जवाब देने के लिए पूरी ताकत लगा देगी। बीजेपी को वोट देना पड़ेगा तो भी देंगे। बीएसपी ने विधायक असलम राइनी ( भिनगा-श्रावस्ती), असलम अली (ढोलाना-हापुड़), मुजतबा सिद्दीकी (प्रतापपुर-इलाहाबाद), हाकिम लाल बिंद (हांडिया- प्रयागराज) , हरगोविंद भार्गव (सिधौली-सीतापुर), सुषमा पटेल( मुंगरा बादशाहपुर) और वंदना सिंह -( सगड़ी-आजमगढ़) को पार्टी से निलंबित कर दिया है। बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने कहा कि एमएलसी के चुनाव में सपा के दूसरे उम्मीदवार को हराने के लिए पूरा जोर लगाएंगे। इसके लिए अगर हमें बीजेपी को वोट देना पड़ेगा तो हम देंगे। मायावती ने कहा कि 1995 के केस को वापस लेना हमारी बड़ी गलती थी। इसके साथ ही मायावती ने समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधा। बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने कहा कि मेरी पार्टी ने फैसला किया था कि अगर अखिलेश यादव राज्यसभा चुनाव में अपनी पत्नी डिंपल यादव को मौका दे रहे हैं, तो बसपा उनका समर्थन करने के लिए तैयार है। सतीश चंद्र मिश्रा ने सपा नेता से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने अपना फोन नहीं उठाया और राज्य के सभी ब्राह्मण समुदाय के लोगों का अपमान है। बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने कहा कि सभी जानते हैं कि सपा शासन के दौरान माफिया, गुंडे राज्यों पर कैसे राज करते हैं। वे फिर से लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। गौरतलब है कि राज्यसभा चुनाव के दौरान बसपा के सात विधायक बागी हो गए हैं। माना जा रहा है कि सभी बागी विधायक जल्द ही सपा ज्वॉइन कर सकते हैं। इनकी मुलाकात अखिलेश यादव से हो चुकी है।               


गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च की गई अन्वेषी जैन

गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च की गयी अन्वेषी जैन


मुंबई। आज हम जिस एक्ट्रेस की बात कर रहे है वह और कोई नहीं बल्कि अन्वेषी जैन है। अन्वेषी जैन हमेशा ही अपनी खूबसूरती के चलते चर्चाओं में बनी रहती है और अपनी एक्टिंग के बल पर अपने फैंस का दिल भी जीत चुकी है। वह हमेशा ही अपनी खूबसूरत फोटोज के चलते चर्चाओं में बनी रहती है। हम बता दें कि अन्वेषी जैन बहुत ही कम समय में पॉपुलरटी के शिखर तक पहुंच गई है। जिसके साथ ही वह गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च की जाने वाली एक्ट्रेस बन गई। अन्वेषी जैन मूल रूप से इंदौर की रहने वाली हैं, और वे 28 साल की हो चुकीं हैं। इस समय अन्वेषी सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा लोकप्रिय हो चुकीं हैं। पिछले कुछ दिनों से गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च की जाने वाली अभिनेत्रियों मे से एक हैं।               


सूखी खांसी में कारगर है घरेलू नुस्खे

सूखी खांसी के इलाज के लिए कारगर है ये घरेलु नुस्खे


अब धीरे-धीरे सर्दियाँ बढऩे लगी है। मौसम में बदलाव के साथ खाँसी जुखाम जैसी समस्याएं भी पनपने लगी है। आमतौर पर हर किसी को कभी ना कभी खांसी जैसी समस्या होती है। बलगम वाली खांसी में सफेद या पीले रंग का बलगम बनता है लेकिन सूखी खांसी में किसी तरह का बलगम नहीं बनता है। सूखी खांसी के दौरान ऐसा लगता है जैसे गले में कुछ अटका हुआ है। सूखी खांसी के कुछ घरेलु उपाय:
शहद: सूखी खांसी होने पर गर्म दूध में शहद को मिलाकर पीने से आराम मिलेगा इसके साथ ही खांसी की वजह से सीने के दर्द से भी राहत मिलेगी। इसके लिए एक चम्मच शहद का दिन में तीन बार सेवन करें। तुलसी: तुलसी के पत्ते सूखी खांसी को दूर करने का रामबाण इलाज है। इसके लिए तुलसी के कुछ पत्तों को पानी में उबालकर इसमें छोड़ी सी चीनी डालकर रात में सोने से पहले पीना चाहिए। हल्दी: एक चम्मच हल्दी को अजवाइन के साथ मिलाकर एक गिलास पानी में उबालें। जब उबलकर यह पानी आधा हो जाए तब इसमें थोड़ा सा शहद मिलाकर इसका दिन में कम से कम तीन बार सेवन करें। अदरक और नींबू: इसके लिए अदरक को पीसकर एक कटोरी में उसका रस निकाल लें। उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर इसे धीरे-धीरे चाट लें। इस तरह आप सूखी खाँसी से निजात पा सकते है।                 


बहरापन में इलाज के लिए लाभकारी तुलसी के पत्ते

कान में बहरेपन के इलाज के लिए फायदेमंद है तुलसी के पत्ते


हमारे हिन्दु धर्म में तुलसी के पौधे को घर-आंगन में माता की तरह पूजा जाता है। तुलसी के पौधे का जितना पौराणिक महत्व है उससे कही ज्यादा यह पौधा अपने औषधिय गुणों के लिए जाना जाता है। आज लोगों में गंभीर बीमारियों का खतरा बढऩे लगा है उसके इलाज के लोगों का झुकाव भी ऐलोपैथी की तरफ ज्यादा होने लगा है।
बेहरेपन की समस्या का इलाज: इसके लिए तुलसी के रस में कपूर मिलाकर उसको हल्का गर्म कर लें। इसके बाद उसकी कुछ बूंदे कान में डालें। तुलसी के रस को हल्का गुनगुना करके भी अपने कान में डाल सकते हैं। तुलसी के पत्तों का यह इलाज कुछ ही दिनों में कानों की परेशानियों के साथ-साथ बहरेपन की समस्या को भी दूर करता है। तुलसी की पत्तियाँ का यह इलाज बहरेपन की समस्या के लिए सबसे कारगर माना गया है। इसलिए अगर आप भी डॉक्टरी इलाज से थक गए हैं तो फिर एक बार आपको यह घरेलू उपचार करके जरूर देखना चाहिए।               


दो बार मुख्यमंत्री रहे केशुभाई पटेल का निधन

गुजरात के दो बार मुख्यमंत्री रहे केशुभाई पटेल का 92 साल की उम्र में निधन


नई दिल्ली। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल का गुरुवार को निधन हो गया। केशुभाई पटेल की उम्र 92 साल थी। उन्होंने अहमदाबाद के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। गुरुवार सुबह सांस लेने में तकलीफ होने के बाद केशुभाई पटेल को अस्पताल ले जाया गया। जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। केशुभाई पटेल ने 1995 और 1998 से 2001 तक गुजरात के सीएम के रूप में कार्य किया। छह बार गुजरात विधानसभा के सदस्य रहे पटेल ने 2012 में भाजपा छोड़ दी और अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी ‘गुजरात परिवर्तन पार्टी’ बनाई। उन्हें 2012 के राज्य विधानसभा चुनाव में विसावदर से जीत हासिल हुई, लेकिन बाद में बीमार होने के कारण 2014 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया।             


पुलिस तलाशी में 500 के 97 नोट नकली मिलें

पुलिस ने सील कर ली तलाशी तो 500 के 97 नकली नोट मिले


बेगुसराय। बेगूसराय के गढ़पुरा बाजार की इंडिया वन एटीएम से 500 के जाली (नकली) नोट निकलने की शिकायत के बाद उसे सील कर दिया गया था। बुधवार को पुलिस अधिकारियों ने एटीएम के अंदर रखे रुपयों की जांच की। जिसमें 500 के 97 जाली नोट मिले। थानाध्यक्ष प्रतोष कुमार ने बताया कि बुधवार को एटीएम की तलाशी ली गयी। एटीएम में तीन लाख 74 हजार पांच सौ रुपये थे। जिनमें से तीन लाख 26 हजार के 500 रुपये के नोट असली मिले। वहीं, 500 के 97 नोट (48 हजार 500 रुपये) नकली मिले। जानकारी के अनुसार, पिछले 23 अक्तूबर को कोरियामा और हरकपुरा के दो युवकों ने गढ़पुरा बाजार की इंडिया वन एटीएम से एक-एक हजार रुपये निकाले थे।                                 


सीरम इंस्टीट्यूट का दवा दिसंबर में मिलेगी वैक्सीन

सीरम इंस्टीट्यूट का बड़ा दावा,भारत में दिसंबर 2020 तक आ जाएगी कोरोना वैक्सीन..!


नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी का सामना कर रहे भारत के लिए राहत भरी खबर है। ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और दिग्गज दवा कंपनी अस्ट्रा जेनेका द्वारा डेवलप की जा रही कोरोना वायरस की वैक्सीन को इसी दिसंबर तक उपयोग के लिए तैयार किया जा सकता है। भारत में इस वैक्सीन के उत्पादन का ठेका लेने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ने यह दावा किया है। पुणे की इस कंपनी के प्रमुख आदर पूनावाला ने कहा कि इस वैक्सीन की 10 करोड़ खुराक अगले साल की दूसरी या तीसरी तिमाही तक तैयार कर ली जाएगी। आदर पूनावाला ने कहा कि यदि सरकार इस वैक्सीन के उत्पादन का लाइसेंस आपात स्थिति वाले प्रावधान के तहत देती है तो हम दिसंबर तक इसे उपयोग के लिए बाजार में उतार देंगे। उन्होंने आगे कहा कि सरकार यदि इसे आपात स्थित वाले प्रावधान के तहत लाइसेंस नहीं देगी तब भी हमारा ट्रायल दिसंबर तक पूरा हो जाएगा और हम इसे जनवरी तक मार्केट में उतार देंगे। उन्होंने कहा कि भारत में इस वैक्सीन को जनवरी तक बाजार में लाने से पहले हमें यह देखना होगा कि ब्रिटेन में भी वैक्सीन का परिक्षण पूरा हो चुका हो। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार की नजर इस वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल पर है। जो अभी जारी है। इसके परिणाम ठीक रहे तो सरकार आपात स्थिति में मंजूरी वाले प्रावधान के तहत लाइसेंस देने पर फैसला करेगी। इसमें यह भी कहा गया है कि आने वाले दिनों में देश कोरोना के हालात को भी देखते हुए इस बारे में फैसला लिया जाएगा।                                           


दिल्‍ली में इस दिवाली नहीं फोड़े जाएंगे पटाखे

दिल्‍ली में इस दिवाली नहीं फोड़े जाएंगे पटाखे, 3 नवंबर से शुरू होगा पटाखा विरोधी अभियान


नई दिल्ली। आप सभी जानते ही हैं कि इस समय देश की राजधानी दिल्‍ली में प्रदूषण बहुत अधिक बढ़ चुके है। उसी प्रदूषण को लेकर राज्‍य सरकार सख्‍त हो गई है। ऐसे में दिल्‍ली में दिवाली आने को देखते हुए 3 नवंबर से पटाखा विरोधी अभियान शुरू हो जाएगा, ताकि बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण में लाया जा सके। दरअसल दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बीते बुधवार को इस बारे में बात की। हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि, ‘दिवाली पर्व के मद्देनजर दिल्ली सरकार तीन नवंर से पटाखे विरोधी अभियान शुरू करेगी।’ केवल यही नहीं बल्कि पर्यावरण मंत्री राय ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर स्थिति की गंभीरता पर विचार करते हुए लोगों से पटाखे नहीं जलाने के लिए कहा। उन्होंने कहा- ‘पटाखे ना जलाये जाए।’
वैसे मंत्री ने इससे पहले विपक्षी विधायकों और सांसदों को इस अभियान में शामिल होने का न्योता भी दिया था। उन्होंने हाल ही में कहा कि, ‘सुप्रीम कोर्ट के 2018 में आये आदेश के अनुसार इस दिवाली पर सिर्फ ‘हरित’ पटाखे ही बनाए, बेचे और इस्तेमाल किये जा सकेंगे। पटाखों और पराली जलाने से निकलने वाला धुआं हर साल दिल्ली की हवा को खतरनाक बना देता है।’ इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि, ”सरकार 3 नवम्बर से पटाखा विरोधी अभियान शुरू करने जा रही है। इसे मद्देनजर रखते हुए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति और शहर पुलिस के 11 विशेष दस्ते पटाखा निर्माण इकाइयों का निरीक्षण करेंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई पुराना स्टॉक तो नहीं बचा है। वास्तव में, मैं दिल्ली के लोगों से ‘पटाखे नहीं’ अभियान शुरू करने की अपील करता हूं। उन्हें कोविड-19 महामारी के मद्देनजर स्थिति की गंभीरता पर विचार करते हुए पटाखों को नहीं जलाना चाहिए।             


नवाचार से मिल रहा है त्वरित न्याय: गहलोत

नवाचार से मिल रहा है त्वरित न्याय: मुख्यमंत्री गहलोत


नई दिल्ली/जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को कहा कि पुलिस ढांचे में नवाचारों से आम जनता को त्वरित न्याय दिलाने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि राज्य में दुष्कर्म के मामलों की जांच में लगने वाला औसत समय 267 दिनों से घटकर 118 दिन हो गया है।
गहलोत राज्य में कानून-व्यवस्था व अपराध नियंत्रण से जुड़े मुद्दों की समीक्षा कर रहे थे। थानों में महिला हेल्प डेस्क, स्वागत कक्ष निर्माण, छात्रा आत्मरक्षा कौशल योजना, मुकदमों के त्वरित निस्तारण, थानों में आवश्यक रूप से प्राथमिकी दर्ज करने की व्यवस्था, राजकॉप सिटीजन ऐप, कमांड व कंट्रोल सेन्टर की स्थापना जैसे नवाचारों का जिक्र करते हुए गहलोत ने कहा कि इनसे राज्य में आमजन को त्वरित न्याय मिलने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि महिला अपराधों के विरूद्ध विशेष अन्वेषण इकाई के गठन से दुष्कर्म के मामलों की तफ्तीश में लगने वाला औसत समय 267 दिनों से घटकर 118 दिन रह गया है। साथ ही राज्य में महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराधों की लम्बित जांचों का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत 34 प्रतिशत के मुकाबले नौ प्रतिशत ही है। गहलोत ने कहा कि नवाचारों के कारण महिलाएं अपने साथ हुए अपराधों की शिकायत दर्ज करने के लिए बिना किसी डर के थाने पहुंच रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि नवाचारों से महिला अपराध के पंजीकरण में बढ़ोतरी हुई है व मुकदमों के त्वरित निस्तारण में गति आई है। इसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि बलात्कार के प्रकरणों में जहां पहले 30 प्रतिशत से भी ज्यादा मामले सीधे पुलिस के पास आने की बजाए अदालत के माध्यम से आते थे वे अब घटकर लगभग 13 प्रतिशत तक आ गए हैं।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया तथा साइबर तकनीक का दुरूपयोग कर इनके माध्यम से होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के लिए राजस्थान पुलिस को खुद को तैयार करना चाहिए। गहलोत ने कहा कि हमारा प्रयास है कि राजस्थान अपराधों की रोकथाम और त्वरित न्याय की दिशा में देश का आदर्श राज्य बने। इसके लिए पुलिस को संसाधन उपलब्ध करवाने में किसी तरह की कमी नहीं रखी जाएगी।                


प्रदूषण की रोकथाम के लिए नए 'कानून'

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की रोकथाम के लिए नए कानून को मंजूरी, जानें क्या होगा खास


नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की रोकथाम के लिए नये कानून को मंजूरी दे दी है। इसके तहत इपका को खत्म कर उसकी जगह एक नया कमीशन बनाया जाएगा। जो प्रदूषण कम करने के कानून का क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगा। कमीशन को शक्तिशाली बनाया गया है। उसके आदेश का क्रियान्वयन न करने पर पांच साल तक की सजा और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। केंद्र सरकार द्वारा बुधवार देर रात जारी अध्यादेश कमीशन फार एयर क्वालिटी मैनेजमेंट इन नेशनल कैपिटल रीजन एंड एडजारनिग एरिया 2020 में भूरेलाल के नेतृत्व वाली अथारिटी इपका को खत्म कर नया कमीशन बनाने की बात कही गई है। कमीशन के तहत तीन सब कमेटियां होंगी जिनमें एक प्रदूषण के स्रोतों की निगरानी और पहचान करेगी। दूसरी रोकथाम के लिए कानून का क्रियान्वयन करेगी। तीसरी सब कमेटी शोध और विकास का कार्य करेगी। बता दें कि हाल में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वह एनसीआर में प्रदूषण की रोकथाम के लिए नया कानून ला रही है। राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत सूचीबद्ध 23 राज्यों में दिल्ली, झारखंड और उत्तर प्रदेश सर्वाधिक प्रदूषित राज्यों में दर्ज किए गए हैं। कार्बन कापी और रेस्पायरर लिविंग की तरफ से किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है। इस अध्ययन में 23 राज्यों में एनसीएपी में शामिल 122 शहरों में वायु निगरानी के तीन साल के आंकड़ों (2016-18) का इस्तेमाल किया गया है। जिसमें पीएम-10 की मात्रा को मुख्य आधार बनाया गया है। कार्बन कापी और रेस्पायरर लिविंग की बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में तीन सालों के दौरान पीएम-10 की मात्रा सबसे ज्यादा रही है। झारखंड और उत्तर प्रदेश क्रमश: दूसरे एवं तीसरे स्थान पर रहे हैं। जबकि पीएम 2.5 की मात्रा के हिसाब से दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार सबसे ज्यादा प्रदूषित राज्य पाए गए हैं।                  


भारत को सऊदी ने दिया तोहफा, झटका

भारत को सऊदी ने दिया दिवाली तोहफा तो पाक को झटका, पाक और गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान के नक्शे से हटाया


रियाद/ इस्लामाबाद। सऊदी अरब ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए कश्मीर (पीओके) और गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान के नक्शे से हटा दिया है। पीओके कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा ने बुधवार को ट्वीट कर यह दावा किया। उन्होंने एक तस्वीर भी ट्वीट की, जिसमें कैप्शन दिया गया था। भारत के लिए सऊदी अरब का दिवाली तोहफा- पाकिस्तान के नक्शे से गिलगित-बाल्टिस्तान और कश्मीर को हटाया। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार बताया कि सऊदी अरब ने 21-22 नवंबर को जी-20 शिखर सम्मेलन के आयोजन की अपनी अध्यक्षता के लिए एक 20 रियाल (सऊदी मुद्रा) का बैंकनोट जारी किया। यह बताया गया कि बैंकनोट पर प्रदर्शित विश्व मानचित्र में गिलगित-बाल्टिस्तान और कश्मीर को पाकिस्तान के हिस्सों के रूप में नहीं दिखाया गया है। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि सऊदी अरब का कदम पाकिस्तान को अपमानित करने के प्रयास से कम नहीं है। भारत ने गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव पर आपत्ति जताई थी। बता दें कि पाक अक्सर हर मंच पर कश्मीर मुद्दा उठाने की कोशिश करता रहा है और ऐसे में सऊदी का यह कदम उसके लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। इससे पहले विदेश मंत्रालय ने सितंबर में कहा था कि उन्होंने 15 नवंबर को होने वाले तथाकथित गिलगित-बाल्टिस्तान विधानसभा के चुनावों के बारे में रिपोर्ट देखी है और इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। विदेश मंत्रालय ने कहा, भारत सरकार ने पाकिस्तान सरकार को कड़ा विरोध जताया और दोहराया कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, तथाकथित गिलगित और बाल्टिस्तान सहित, भारत का एक अभिन्न हिस्सा हैं।                   


एससी ने ममता सरकार को लगाई फटकार

देश को आजाद रहने दीजिए…सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को क्यों लगाई फटकार, जानें क्या है पूरा मामला


अकांशु उपाध्याय


नई दिल्ली। सरकार की आलोचना के लिए आम नागरिकों को परेशान नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की और कोलकाता पुलिस को फटकार लगाई। जिसमें दिल्ली की एक महिला को कोलकाता पुलिस ने आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट के लिए समन भेजा था। दरअसल, महिला ने कोलकाता के एक भीड़भाड़ वाले राजा बाजार क्षेत्र के दृश्य को साझा किया था और इन तस्वीरों के जरिए कोरोना लॉकडाउन को लागू करने के लिए ममता बनर्जी सरकार की गंभीरता पर सवाल उठाया था। ऐसे में खतरनाक ट्रेंड होगा: कथित फेसबुक पोस्ट को एफआईआर के लिए अनुपयुक्त मानते हुए सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि अगर राज्यों की पुलिस इस तरह से आम लोगों को समन जारी करने लग जाएगी, तो यह एक खतरनाक ट्रेंड हो जाएगा और ऐसे में कोर्ट को आगे बढ़कर अभिव्यक्ति की आजादी के संवैधानिक अधिकार की रक्षा करनी होगी, जो कि संविधान के आर्टिकल 19(1)A के तहत हर नागरिक को मिला हुआ है।देश को आजाद रहने दीजिए: सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की और कहा कि ऐसा लग रहा है जैसे आप उस महिला को सबक सिखाना चाहते हैं कि सरकार के खिलाफ लिखने की हिम्मत कैसे हुई। बेंच ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति सरकार के खिलाफ टिप्पणी करता है और आप (राज्य) कहते हैं कि वो कोलकाता, चंडीगढ़ या मणिपुर में उपस्थित हो और फिर आप कहेंगे कि हम तुम्हें सबक सिखाएंगे। ये एक खतरनाक ट्रेंड है। इस देश को आजाद बने रहने दीजिए। सुप्रीम कोर्ट ने 29 सितंबर के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें याचिकाकर्ता को जांच में सहयोग करने के लिए कोलकाता में उपस्थित होने को कहा था। जांच अधिकारी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से याचिकाकर्ता से पूछताछ करने या यहां तक कि दिल्ली में जाकर तथ्यों की छानबीन करने की स्वतंत्रता दी गई थी। ममता सरकार की ओलोचना पर 13 मई को एफआईआरः सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी 29 साल की रोशनी बिस्वास नाम की महिला की याचिका पर आई है। याचिकाकर्ता रोशनी बिस्वास नाम की महिला ने कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। रोशनी पर बेलीगंज पुलिस थाने में 13 मई को आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट को लेकर एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने महिला को फेसबुक पोस्ट को लेकर कोलकाता पुलिस के सामने पेश होने को कहा था। अपने फेसबुक पेज पर किए पोस्ट में महिला ने राजा बाजार इलाके में लॉकडाउन की धज्जियां उड़ाए जाने पर ममता सरकार की आलोचना की थी। फेसबुक पोस्ट के लिए इन धाराओं में एफआईआरः यह प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता के तहत धार्मिक समूहों (धारा 153 ए) के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने, धार्मिक भावनाओं को भड़काने (धारा 295 ए), मानहानि (धारा 500), शांति भंग (धारा 504), सार्वजनिक शरारत ( धारा 505) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम के  अन्य संबंधित प्रावधान तहत दर्ज की गई है। हालांकि, रोशनी को 5 जून को कलकत्ता हाईकोर्ट से राहत मिली थी और कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। कोलकाता पुलिस ने उन्हें आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 41 ए के तहत समन जारी किया और मामले में पूछताछ करने के लिए कोलकाता में उपस्थित होने के लिए कहा। रोशनी ने प्राथमिकी को रद्द करने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जबकि यह याचिका अभी भी लंबित थी, हाईकोर्ट ने रोशनी को 29 सितंबर को पुलिस के सामने पेश होने का निर्देश दिया। इसके बाद रोशनी ने कोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट में और किसने क्या कहाः 29 साल की रोशनी बिस्वास की ओर से सप्रीम कोर्ट में सीनियर वकील महेश जेठमलानी कहा, ‘मेरे मुवक्किल से संज्ञेय अपराध कहां हुआ है? साथ ही मेरे मुवक्किल ने विवादित पोस्ट्स से किसी भी तरह के जुड़ाव से इनकार किया है। वो रोशनी को कोलकाता इसलिए बुलाना चाहते हैं क्योंकि धमकाया जा सके।’याचिकाकर्ता को परेशान किए जाने के किसी भी प्रयास से इनकार करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार के वकील आर. बसंत ने कहा कि आखिर सरकार रोशनी के खिलाफ क्यों होगी। उन्होंने कहा कि धारा 41 एक कार्वयवाही के में कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि रोशनी हाईकोर्ट के सामने स्वीकार कर चुकी हैं कि वो लॉकडाउन के बाद पुलिस के सामने उपस्थित होंगी। हम उन्हें बस कुछ सवाल पूछने के लिए बुलाना चाहते हैं, परेशान करने के लिए नहीं।कोर्ट की सख्त टिप्पणी इस पर पीठ ने टिप्पणी की, ‘अगर किसी ने गलत किया है, तो हम नागरिकों को बताने के लिए इस देश में पहले संस्थान होंगे कि उन्हें कानून का जवाब देना चाहिए, मगर इसके लिए नहीं। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए यहां रहना होगा कि आम नागरिकों को इस तरह परेशान न किया जाए। हमारे पास एक राज्य से दूसरे राज्य में बुलाए जाने वाले लोगों के खिलाफ मजबूत आरक्षण है क्योंकि उन्होंने सरकार की आलोचना की है।’ अदालत ने याचिका पर बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया और जवाब देने के लिए बंगाल सरकार को चार सप्ताह का समय दिया। इस बीच, इसने हाईकोर्ट को वर्तमान आदेश से प्रभावित हुए बिना एफआईआर को रद्द करने की याचिका पर आगे की सुनवाई करने का निर्देश दिया है।             


'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन

'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन   मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए स्कूली बच्चों ने निकाला रैली कौशाम्बी। एन डी कान...