मंगलवार, 29 सितंबर 2020

कोरोना टेस्ट की संख्या बढ़ाने के आदेश

लखनऊ। शासन द्वारा टेस्ट की संख्या बढ़ाने के आदेश के बाद स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी मरने वालों का भी कोरोना टेस्ट कर दे रहे हैं। मथुरा के बाद अब ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सामने आया है। यहाँ 5 वर्ष पहले मृत महिला की जाँच कर दी। साथ ही बताया जा रहा है कि परिवार के 6 लोगों की भी इस दौरान जाँच करा दी गई। जानकारी के मुताबिक पटेल नगर निवासी रवि ने कोरोना के लक्षण आने के बाद निजी पैथॉलजी में अपनी जांच करवाई जिसकी रिपोर्ट 17 सितंबर को पॉजिटिव पाई गई।


जिसके अगले दिन बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम उनके घर पहुंच गई और उनके परिवार के सभी 6 लोगों के सैंपल ले लिए। इनमें उनके पड़ोसियों के भी नाम शामिल हैं। लेकिन पोर्टल पर रवि के परिवार में 13 लोगों के नाम दिख रहे हैं। इनमें उनके पड़ोसियों के भी नाम शामिल हैं। पड़ोसियों का दावा है कि उनके सैंपल लिए ही नहीं गए।इतना ही नहीं पोर्टल पर कामिनी सिंह की भी एंट्री है। उनकी उम्र 60 साल लिखी है और एंटीजन टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव है। जबकि उनका निधन पांच साल पहले ही हो चुका है।             


नाले में मिले बच्चे की कहानी ने चौंकाया

नैनीताल। नाले में रोते मिले शिशु की मां के बाद अब पिता का भी पता चल गया है। मां नाबालिग निकली थी और अब पिता भी उस नाबालिग का जीजा निकला है। यह खुलासा बच्चे के डीएनए से मिलान की रिपोर्ट आने के बाद हुआ है। पुलिस ने नाबालिग के जीजा को गिरफ्तार कर लिया है। घटना फरवरी की है। नगर के स्टाफ हाउस सात नंबर क्षेत्र में एक नाले में सुबह के वक्त एक शिशु रोता हुआ राहगीरों ने देखा था। राहगीरों ने नवजात को बीडी पांडे जिला अस्पताल पहुंचाया। जहां प्राथमिक उपचार के बाद हल्द्वानी रेफर कर दिया। हल्द्वानी में उपचार से बच्चा ठीक हो गया। इधर, जिलाधिकारी सविन बंसल ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए पुलिस को निर्देशित किया था कि बच्चे की मां का पता लगाने वाले को इनाम दिया जाएगा। उसके बाद पुलिस ने 7 फरवरी को प्रकरण में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। और जांच शुरू कर दी गई। जांच के दौरान ही पुलिस एक नाबालिग के करीब पहुंच गई, नाबालिग ने बच्चा उसी का है, यह बात स्वीकार कर ली। नाबालिग को पुलिस ने मजिस्ट्रेट के समक्ष वेश किया और 164 के बयान दर्ज कराए। हालांकि उस वक्त नाबालिग ने अपने चचेरे भाई पर दुष्कर्म का आरोप लगा दिया। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। साथ ही किशोर का डीएनए सेम्पल जांच के लिए भेजा गया। लेकिन आरोपित किशोर ने आत्महत्या कर ली। आत्महत्या के बाद किशोर के लिए गए डीएनए सैम्पल की रिपोर्ट आ गई। जिसमें बच्चे से वह मेल नहीं खाई। पुलिस को लगा कि नाबालिग झूठ बोल रगी है और उसने गुमराह कर दिया। बाद में उसके रिलेशन के आधार पर फिर से चार लोगों का डीएनए भेजा । अब उसकी भी रिपोर्ट आ गई। जिसमें नाबालिग के जीजा से बच्चे का डीएनए मेल खा गया है। इस रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने स्टाफ हाउस सात नंबर निवासी धनीराम के खिलाफ आईपीसी की धारा 201, 307, 315, 376 और 3/4 पोक्सो अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर कोर्ट में पेशी के बाद उसे जेल भेज दिया है।           


फैसला आने से पहले ही यूपी में हाई अलर्ट

लखनऊ। 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिराये जाने के मामले का कल (बुधवार) को फैसला आने से पहले अयोध्या समेत समूचे उत्तर प्रदेश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। सीबीआई के विशेष अदालत के न्यायाधीश एस के यादव 32 आरोपियाें के समक्ष सुबह दस बजे फैसला सुनायेंगे हालांकि कई आरोपी वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये अदालत में अपनी उपस्थिति दर्ज करायेंगे लेकिन इनमें से कुछ निजी तौर पर अदालत में मौजूद होंगे।करीब 28 साल के लंबे अंतराल के बाद आने वाले ऐतिहासिक फैसले की संवेदनशीलता के मद्देनजर सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किये गये हैं। नेपाल सीमा समेत सभी जिलों में सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट में रहने के निर्देश दिये गये हैं। इस मौके पर राम की नगरी अयोध्या में सुरक्षा बलों की पैनी नजर रहेगी जहां फैसले के समय कुछ आरोपी मौजूद होंगे। अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने मंगलवार को कहा कि सीबीआई अदालत के फैसले के मद्देनजर सभी जिलों में सुरक्षा बलों को मुस्तैद रहने को कहा गया है। अयोध्या में सुरक्षा के खास इंतजाम किये गये हैं। आरोपियों के वकीलों के अनुसार पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. मुरली मनोहर जोशी की उम्र का लिहाज करते हुये अदालत में निजी तौर पर उपस्थित रहने से छूट दी गयी है। वे वीडियाे कांफ्रेसिंग के जरिये अपनी मौजूदगी अदालत में दर्ज करायेंगे। इस दौरान उनके आवास के बाहर पुलिस तैनात रहेगी और अगर जरूरत पड़ी तो उन्हे घर में नजरबंद किया जा सकता है। इसी प्रकार कोरोना संक्रमण से ग्रसित मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के अलावा कोरोना से उबरने के बावजूद लगातार आक्सीजन पर चल रहे महंत नृत्य गोपाल दास अदालत में उपस्थित नहीं होंगे। मामले के आरोपी सतीश प्रधान समेत कुछ अन्य आरोपियों को भी बीमारी के कारण अदालत में मौजूद रहने से छूट प्रदान की गयी है। वकीलों ने बताया कि फैसला विस्तृत होगा क्योंकि सभी 32 आरोपियों पर आईपीसी की अलग अलग धाराओं के तहत मामले दर्ज हुये है। इसलिये अगर वह दोषी पाये जाते हैं तो सजा भी अलग अलग होगी।         


संघर्ष से भरपूर रहा है तेवतिया का कैरियर

आईपीएल 2020- 6 गेंदों में 5 छक्के मारने वाले राहुल तेवतिया का संघर्ष भरा रहा है कैरियर,जाने कौन है राहुल


तेवतिया। आईपीएल 2020 में शुरुआती मैच में ही क्रिकेट के जिस चमकते हुए सितारे का नाम सामने आया है। वह है राहुल तेवतिया राजस्थान रॉयल्स के ऑल राउंडर राहुल तेवतिया ने संडे को जिस तरह किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ ऐतिहासिक जीत दिलाने में कामयाबी हासिल की उससे भी ज्यादा चर्चा सोशल मीडिया में आईपीएल फैंस की 18वें ओवर में छह गेंदों में 5 छक्के लगाने की है। इससे पहले राहुल तेवतिया को बहुत कम लोग जानते थे लेकिन एक मैच में राहुल तेवतिया को आईपीएल में इस साल का चमकता सितारा बना दिया हालांकि अभी पूरा आईपीएल बाकी है।
आईपीएल2020- आरआर के इस खिलाड़ी ने एक ओवर में 5 छक्के लगाकर केएक्सआईपी के मुंह ने छीन लिया मैच, बनाया यह रिकॉर्ड।
दरअसल राहुल तेवतिया शुरुआत के दौर से ही संघर्षशील रहे हैं क्योंकि हरियाणा के राहुल तेवतिया बचपन से ही क्रिकेट के शौकीन रहे और क्रिकेट में अपना कैरियर बनाते हुए उन्हें हर टीम में जगह बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ा क्योंकि वहां उनके प्रतिद्वंदी यूज़वेंद्र चहल, अमित मिश्रा मौजूद थे। 2019 तक अपनी खास पहचान न बना पाने वाले राहुल तेवतिया का 2020 आईपीएल का शुरुआती मैच ही काफी रोमांच भरा रहा किंग्स इलेवन पंजाब के मुंह से जीत छीन कर लाने वाले राहुल तेवतिया ने न सिर्फ एक ओवर में 5 छक्के लगाए बल्कि बेहतरीन अर्धशतकीय पारी भी खेली। लोगों की नजरों में आने के बाद अब राहुल तेवतिया के लिए चुनौतियां और बढ़ गई हैं कि वह खुद को आगे कैसे बेहतर साबित करेंगे।                


हाथरस की बेटी हार गई जिंदगी की जंग

हाथरस के बेटी हार गई जिंदगी की जंग, एम्स में तोड़ा दम।


लखनऊ। पिछले 15 दिनों से जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही हाथरस गैंगरेप पीड़िता आखिरकार जिंदगी की जंग हार गई। चार हैवानों ने 19 साल की महिला से गैंगरेप करने के बाद उनकी जीभ काट दी थी। इसके बाद गंभीर रूप से घायल पीड़िता को पहले अलीगढ़ मुस्लिम विश्‍वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया था। बाद में उनकी गंभीर हालत को देखते हुए दिल्‍ली स्थित सफदरजंग अस्‍पताल रेफर कर दिया गया था।
मंगलवार सुबह गैंगरेप पीड़िता ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इससे पहले आरोपियों ने महिला की गला घोट कर हत्‍या करने की भी कोशिश की थी। इस दौरान पीड़िता ने खुद को बचाने की जीतोड़ कोशिश की थी। इस पर आरोपियों ने उनकी जीभ तक काट दी थी। इस घटना में वह बुरी तरह जख्‍मी हो गई थीं। उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उन्‍हें अलीगढ़ से दिल्‍ली लाया गया। एम्‍स में उनका इलाज चल रहा था, लेकिन डॉक्‍टर गैंगरेप पीड़िता को बचा नहीं सके।
दिल्‍ली एम्‍स रेफर किए जाने से पहले जेएनएमसी के सुपरिंटेंडेंट डॉक्‍टर हैरिस मंजूर खान ने न्‍यूज एजेंसी पीटीआई बताया था कि गैंगरेप पीड़िता वेंटिलेटर पर है। अस्‍पताल के प्रवक्‍ता ने बताया था कि विक्टिम के दोनों पैर लकवाग्रस्‍त हो गए थे। इसके अलावा उनका एक हाथ भी आंशिक तौर पर पारालाइज्‍ड हो गया था। पीड़िता की गंभीर हालत को देखते हुए परिजनों ने बेहतर इलाज के लिए दिल्‍ली में दिखाने की इच्‍छा व्‍यक्‍त की थी, जिसके बाद गैंगरेप विक्टिम को एम्‍स रेफर कर दिया गया था जहां उनकी मौत हो गई।
बता दें कि हाथरस के थाना चंदपा क्षेत्र के एक गांव में अपनी मां के साथ खेत पर चारा लेने के लिए गई युवती के साथ गांव के ही दबंगों ने पहले तो दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया। उसके बाद उसे जान से मारने की कोशिश की, लेकिन युवती के चीखने-चिल्लाने से मौके पर ग्रामीणों को आता देख दबंग वहां से फरार हो गए। इसके बाद पीड़ित युवती के परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने गंभीर रूप से घायल युवती को अलीगढ़ के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था।
इससे पहले हाथरस के पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर  ने बताया था कि 14 सितंबर को हुये इस सामूहिक दुष्कर्म के मामले में चारों नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं, पीड़िता के परिजनों का आरोप है कि गांव में दबंग लोगों ने उन्नाव जैसी जघन्य घटना को दोहराने की बात करते हुए जान से मारने की धमकी दी थी।                 


ट्रेनिंग देने के लिए मजबूर पूर्व 'हॉकी स्टार'

भोपाल: पूर्व हॉकी स्टार मीर रंजन नेगी फुटपाथ पर ट्रेनिंग देने के लिए मजबूर, सरकार से मांगा एक मैदान।


भोपाल। बॉलीवुड की ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘चक दे इंडिया’ किसे याद नहीं होगी। ये फिल्म एक हॉकी कोच के जज्बे और उसके समर्पण की दास्तान थी। उस फिल्म के रियल लाइफ हीरो और पूर्व भारतीय हॉकी कोच मीर रंजन नेगी अब एक नए मोर्चे पर जूझ रहे हैं। वो इंदौर में हॉकी की नई पौध को मैदान दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
सपना है कि हॉकी में देश को गोल्ड मेडल मिले और सुविधाओं का आलम ये है कि हॉकी की नई पौध को तैयार करने के लिए मैदान नहीं, बल्कि फुटपाथ मिला है।जिनकी जिंदगी पर बनी फिल्म चक दे इंडिया देश की सबसे सुपरहिट स्पोर्ट्स फिल्म साबित हुई। जिसमें मीर रंजन नेगी का किरदार बॉलीवुड के सबसे बड़े सुपरस्टार शाहरुख खान ने निभाया था।
इंदौर नगर निगम ने खेल का मैदान ही छीन लिया।
इस तरह सख्त और सीमेंटेड सतह पर हॉकी की नई नस्ल तैयार करना मीर रंजन नेगी की चॉइस नहीं, मजबूरी है। मजबूरी इसलिए क्योंकि इंदौर नगर निगम प्रशासन ने इनका खेल का मैदान ही छीन लिया। इस पर मीर रंजन नेगी ने कहा, ”हम स्टेडियम नहीं चाहते,एक मैदान चाहते हैं।जिसमें तारबाड़ हो बस। हॉकी ने मुझे बहुत कुछ दिया। मैं विश्वास दिलाता हूं मैं यहां से अंतर्राष्टरीय खिलाड़ी दूंगा.”
मीर रंजन नेगी दो साल पहले मुंबई छोड़कर सिर्फ इसलिए आए थे ताकि वो अपनी कर्मभूमि इंदौर में हॉकी की नई नस्ल तैयार कर सकें। ऐसा वो कर भी रहे हैं लेकिन बिना मैदान के, जबकि फुटपाथ पर हॉकी की ट्रेनिंग के खतरे भी हैं। स्टेडियम जब मिलेगा, तब मिलेगा। मीर रंजन नेगी के सामने ये एक नया चैलेंज है, उनके ऊपर सीमेंट कंकरीट वाली सतह पर चैम्पियन तैयार करने का जिम्मा है।             


गुस्से में तोड़ा विवादित ढाचा, आएगा फैसला

अयोध्या में विवादित ढांचा साजिशन गिराया गया या कारसेवकों के गुस्से में तोड़ा गया? कल आएगा फैसला।


अयोध्या। 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में लखनऊ की सीबीआई अदालत कल फैसला सुनाने वाली है। इस मामले में बीजेपी के कई दिग्गज नेता आरोपी हैं। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह, विनय कटियार, महंत नृत्य गोपाल दास, चंपत राय और साध्वी ऋतम्भरा। ये वो बड़े चेहरे हैं जिनपर कल अयोध्या में विवादित ढांचे के विध्वंस मामले में फैसला आने वाला है।
ये फैसला ऐसे समय में आने जा रहा है जब सुप्रीम कोर्ट से राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला आ चुका है और राम मंदिर निर्माण का काम भी शुरू हो चुका है। सीबीआई अदालत तय करेगी कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा साजिशन गिराया गया था या कारसेवकों के गुस्से में ढांचा तोड़ा गया।
इस मामले में कुल 49 आरोपी थे जिनमें 17 आरोपियों की मौत हो चुकी है। बाकी बचे 32 मुख्य आरोपियों पर फैसला आएगा। कोर्ट ने सभी आरोपियों को फैसले के दिन व्यक्तिगत तौर पर पेश होने को कहा है। हालांकि कोरोना की वजह से उम्रदराज और बीमार आरोपियों को व्यक्तिगत पेशी से छूट मिलने की संभावना है।
क्या है पूरा मामला।
साल 1992 में 6 दिसंबर के दिन रामजन्मभूमि परिसर में कारसेवा की इजाजत सुप्रीम कोर्ट से मांगी गई थी।कहा गया कि रामभक्त अयोध्या में सरयू का जल और एक मुट्ठी मिट्टी राम चबूतरे पर चढ़ाएंगे। तत्कालीन बीजेपी सरकार ने कोर्ट में हलफनामा देकर दावा किया था कि कार सेवक सिर्फ कारसेवा करके लौट जाएंगे। लेकिन लाखों की संख्या में इकट्ठा रामभक्तों ने विवादित ढांचे को ध्वस्त कर दिया। ढांचा गिराए जाने के बाद तत्कालीन कल्याण सिंह की सरकार ने घटना की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया। बाद में सरकार ने ढांचा गिराए जाने के मामले में जांच का आदेश दिया।
इस मामले की पहले सीआईडी ने जांच शुरू की लेकिन बाद में ये पूरा मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामले पर कोर्ट के फैसले से पहले उमा भारती ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को चिट्ठी लिखकर कहा है कि वो जेल जाने को तैयार हैं लेकिन इस मामले में जमानत नहीं लेंगी।                 


हैदराबाद ने जीता टॉस, बल्लेबाजी का फैसला किया

हैदराबाद ने जीता टॉस, बल्लेबाजी का फैसला किया  इकबाल अंसारी  हैदराबाद। इंड‍ियन प्रीम‍ियर लीग (IPL) 2024 सीजन में सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) और...