मंगलवार, 29 सितंबर 2020

सस्ता हुआ डीजल, पेट्रोल का भाव स्थिर

लगातार चौथे दिन सस्‍ता हुआ डीजल, पेट्रोल का भाव स्थिर।


नई दिल्‍ली। अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में कच्‍चे तेल की कीमत में जारी सुस्‍ती का असर घरेलू बाजार में देखने को मिल रहा है। तेल विपणन कंपनियों ने लगातार चौथे दिन डीजल की कीमत में 8 पैसे प्रति लीटर की कटौती की है। हालांकि पेट्रोल की कीमत में कोई बदलाव नहीं किया गया है। 
इंडियन ऑयन की वेबसाइट के मुताबिक दिल्‍ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में डीजल की कीमत घटकर क्रमश। 70.63 रुपये, 77.04 रुपये, 76.10 रुपये और 74.15 रुपये प्रति लीटर हो गया है। वहीं, पेट्रोल की कीमत पूर्ववत क्रमश। 81.06 रुपये, 87.74 रुपये, 84.14 रुपये, और 82.59 रुपये प्रति लीटर है। 
इसी तरह देश के अन्‍य प्रमुख शहरों में डीजल की कीमत घटकर क्रमश। नोएडा में 71.14 रुपये, रांची में 74.75 रुपये, लखनऊ में 71.05 रुपये और पटना में 76.24 रुपये प्रति लीटर हो गया है। वहीं, पेट्रोल की कीमत पूर्ववत क्रमश। नोएडा में 81.58 रुपये, रांची में 80.73 रुपये, लखनऊ में 81.48 रुपये और पटना में 83.73 रुपये प्रति लीटर के भाव पर उपलब्‍ध है।                   


बिल को लेकर प्रसपा ने किया प्रदर्शन

केन्द्र सरकार की किसान विरोधी बिल को लेकर प्रसपा ने किया प्रदर्शन एवं दिया ज्ञापन।


रायबरेली। पूरे देश में कोरोना जैसी महामारी के दुष्प्रभाव का शिकार और लॉकडाउन के कारण लोगों का कारोबार चौपट हो गया है। लाक डाउन के चलते देश की अवस्था चरमरा गई है। जिसको लेकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया ने आज मा0 राज्यपाल को संबोधित एक विज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा है। जिसमें उन्होंने कहा है। कि सरकारी विभागों का निजीकरण तत्काल प्रभाव से रोका जाए कृषि क्षेत्र में लाए गए अध्यादेशो को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए, श्रम विभाग से संबंधित अधिनियम में संशोधन को वापस लिया जाए। किसानों की दयनीय स्थिति को देखते हुए कर्ज माफी कर्ज माफ एवं नलकूपों को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराई जाए तथा बिजली की बढ़ी दरों को वापस लिया जाए । इन नेताओं ने कहा कि किसानों को पर्याप्त मात्रा में सस्ती दरों पर खाद उपलब्ध कराते हुए प्रत्येक किसान को आयुष्मान भारत योजना के दायरे में लेकर उन्हें फ्री इलाज की व्यवस्था की जाए। सरकारी क्षेत्र में अधिक से अधिक रोजगारो को बढ़ावा देते हुए नए पदों का सृजन किया जाए। लॉक डाउन की अवधि में कारोबार की दुर्दशा को देखते हुए व्यापारियों को बिजली का बिल का कारोबारी कर्ज एवं टैक्स में छूट प्रदान की जाए । संपूर्ण जनपद में व्यापारियों को 24 घंटे कारोबार की अनुमति और माहौल प्रदान किया जाए । जिलाध्यक्ष आफताब अहमद उर्फ रज्जु खान एडवोकेट ने कहा कि शहर में अक्सर देखा गया है। कि पुलिस बाजारों दुकानों के आसपास मोटरसाइकिलों की चेकिंग लगाकर कारोबार का माहौल भंग करती है। इस व्यवस्था को बंद किया जाए। शिक्षित बेरोजगार युवकों को रोजगार मिलने तक बेरोजगारी भत्ता दिया जाए । प्राइवेट विद्यालयों में लॉकडाउन अवधि में अभिभावकों की फीस वसूली की जांच कराकर विद्यालय प्रबंधन पर सख्त कार्रवाई की जाए। प्रत्येक नागरिक को स्नातक स्तर तक मुफ्त शिक्षा का अधिकार प्रदान किया जाए आदि मांगों को लेकर पार्टी ने आज जोरदार प्रदर्शन किया।                 


7 किलों गांजा पकड़ा, 2 आरोपी गिरफ्तार

पुलिस की बड़ी कार्रवाई।पिकअप से 2 क्विंटल 70 किलो गांजा पकड़ा 2 आरोपी गिरफ्तार।


जितेंद्र सिन्हा


राजिम। राजिम पुलिस को आज बड़ी कामयाबी मिली है। पिकअप में लाखों का गांजा लेकर जाते हुए दो आरोपियों को पुलिस ने पकड़ा है। जब्त गांजा की कीमत 30 लाख रुपए बताई जा रही है। पुलिस ने बताया कि राजिम के पंडित श्यामाचरण शुक्ल चौक को चेकिंग पॉइंट बनाया गया है। जहां चौबीसों घंटे पुलिस द्वारा गाड़ियों की तलाशी ली जा रही है। आज सुबह 8:30 बजे कार्यवाहक थाना प्रभारी सब-इंस्पेक्टर रामेश्वरी बघेल और एएसआई छबिल दांडेकर चेक पॉइंट पर तैनात थे। और रोज की तरह प्रत्येक गाड़ियों की चेकिंग कर रहे थे।
इसी दौरान रायपुर की ओर जा रही पिकअप क्रमांक सीजी 04 एनसी 9816 को रोक कर तलाशी ली गई गाड़ी में कार्टून के भीतर छोटे-छोटे पैकेट में छिपाकर गांजा रखा गया था। पुलिस ने कुल 2 क्विंटल 70 किलो गांजा जब्त किया। जब्त गांजा की कीमत लगभग 30 लाख रूपए आंकी गई है।
मौके पर कार्रवाई कर गाड़ी, गांजा और आरोपी कृष्णा यादव और बलराम निषाद को पकड़कर थाना ले जाया गया है। जहां आगे की कार्रवाई की जा रही है। आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि ओडिशा से गांजा लेकर रायपुर जा रहे थे. ऐसे में सवाल उठता है। कि आरोपी लगभग 200 किमी का रास्ता तय करते हुए गांजा लेकर राजिम तक आ गए और रास्ते में गरियाबंद की किसी भी पुलिस ने उन्हें नहीं पकड़ सका। ऐसे में रास्ते में आने वाले पुलिस थानों और चेकिंग पॉइंट में तैनात पुलिसकर्मियों की क्षमता पर संदेह उठ रहे हैं।               


बेटे की करतूत पर माता-पिता ने लगाई फांसी

बेटे की करतूत पर माता-पिता ने लगाई फांसी, किसी को नही दिखा पा रहे थे। 


जोधपुर। बेटा एक शादीशुदा महिला को लेकर भागा तो उसके माता-पिता ने बदनामी के डर से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। दरअसल दिल को झकझोर देने वाली यह घटना जोधपुर जिले के देव नगर थाना क्षेत्र की है। जहां एक परिवार के पति-पत्नी अपने बेटे की करतूत से इस कदर दुखी हुए कि उन्होंने फांसी का फंदा लगाकर रविवार के दिन आत्महत्या कर ली।
स्थानीय लोगों ने बताया कि जब उन्होंने घर का दरवाजा खटखटाया तो अंदर से कोई जवाब नहीं आया। जिसको लेकर उनको कुछ अनहोनि की शंका हुई। कुछ लोगों ने खिड़की से देखा तो मृतक विष्णु दत्त और उनकी पत्नी मंजू देवी फांसी के फंदे पर लटके हुए थे। इस घटना के बाद इलाके में सनसनी फैल गई और मौके पुलिस को सूचित कर बुला लिया गया। शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।
पुलिस के मुताबिक मृतक विष्णु दत्त और उसकी पत्नी मंजू देवी पिछले काफी समय से मानसिक तनाव में चल रहे थे। क्योंकि कुछ दिन पहले उनका बेटा एक शादीदुशा महिला को लेकर भाग गया था। वह काफी समय से किसी को अपना चेहरा तक नहीं दिखा रहे थे। अंदर ही अंदर वह घुट रहे थे।               


इंटरनेशनल इंडिया ने भारत में रोका कामकाज

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने भारत में रोका कामकाज, सरकार पर लगाया बड़ा आरोप।


नई दिल्ली। एमनेस्टी इंटरेशनल इंडिया ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाकर आज से भारत में अपना कामकाज रोक दिया है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरेशनल इंडिया ने सरकार पर पीछे पड़ जाने का आरोप लगाया है। संस्था का कहना है कि सरकार ने एक कार्रवाई के तहत उसके अकाउंट बैंक फ्रीज कर दिए थे, जिस वजह से संस्था का कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया और अधिकतर स्टाफ को निकालना भी पड़ा।
एमनेस्टी ने प्रेस रिलीज में कहा, ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया 10 सितंबर को जानकारी मिली कि भारत सरकार की ओर से संस्था के बैंक अकाउंट फ्रीज कर दिए गए हैं। संस्था का कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया। अपने स्टाफ को निकालने के लिए हमे मजबूर होना पड़ा.’
संस्था का कहना है कि सरकार की कार्रवाई करने की वजह संस्था द्वारा दिल्ली दंगों में दिल्ली पुलिस और भारत सरकार की भूमिका की जवाबदेही तय करने की मांग और जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ आवाज उठाना है।
बता दें, पिछले कुछ महीनों से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के खिलाफ विदेशी मुद्रा विनिमय के धोखाधड़ी के एक मामले में जांच कर रही है। ईडी ने बेंगलुरू स्थिति ऑफिस की तलाशी भी ली है। विदेश मुद्रा विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत केंद्रीय जांच एजेंसी दस्तावेजों की तलाश भी की। ईडी विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के धन से संबंधित एनजीओ के खातों की केंद्रीय गृह मंत्रालय की पहले से चल रही जांच के संदर्भ में फेमा के संभावित और कथित उल्लंघन की पड़ताल कर रही है।               


पर्यटकों के लिए रिपोर्ट की अनिवार्यता खत्म

उत्तराखंड में पर्यटकों के लिए कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट की अनिवार्यता खत्म।


पंकज कपूर


देहरादून। उत्तराखंड राज्य में बाहरी प्रदेशों से आनेवाले पर्यटकों के लिए अब कई नियमों में बदलाव किये गए है। अब उत्तराखंड चारधाम यात्रा हेतु बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटकों के लिए कोरोना रिपोर्ट की अनिवार्यता को शासन ने खत्म कर दिया है। अब पर्यटकों को कोविड-19 की नेगेटिव आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट दिखने की नहीं होगी।


अब उत्तराखंड राज्य के बाहर के निवासी बिना कोरोना रिपोर्ट के देवस्थानम् बोर्ड की वेबसाइट पर चार धाम यात्रा हेतु ई-पास हेतु पहचान पत्र (आईडी) एवं निवास प्रमाण के आधार पर पंजीकरण कर सकते तथा बेरोकटोक यात्रा पर आ सकते हैं। इस दौरान कोरोना बचाव के मानकों का पालन करने की सलाह दी गयी है। तीर्थयात्रियों को मंदिरों में प्रवेश से पहले थर्मल स्क्रीनिंग अनिवार्य होगी, सोशियल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान रखा जायेगा, मास्क पहनना अनिवार्य रहेगा तथा सेनिटाईजर का यथासंभव प्रयोग होगा। सोमवार देर शाम उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम् प्रबंधन बोर्ड द्वारा इस संबंध में मानक प्रचालन विधि (एसओपी) जारी की गयी तथा आदेश जारी किये गये हैं।
आयुक्त गढ़वाल/उत्तराखंड।चारधाम देवस्थानम् प्रबंधन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन ने आदेश जारी करते हुए बताया, कि अब उत्तराखंड से बाहर के प्रदेशों से चारधाम आने वाले तीर्थयात्रियों हेतु कोरोना की आरटी पीसीआर, 72 घंटे पहले जांच की नेगेटिव रिपोर्ट तथा क्वारंटीन अवधि के मानक की अनिवार्यता अब समाप्त हो गयी है। तीर्थ यात्री देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट https://badrinath-kedarnath.gov.in/ पर बिना कोरोना रिपोर्ट के ई-पास बना सकते है।
कोरोना के लक्षण पाये जाने पर संबंधित जिला प्रशासन/स्वास्थ्य विभाग द्वारा आरटीपीसीआर/रेपिड एंटीजन/ट्रुरेंटा/सीबीएएनएएटी कोरोना टेस्ट लिया जा सकेगा साथ ही परिजनों एवं संपर्क में रहे लोगों का कोरोना टेस्ट लिया जायेगा ताकि बचाव के उपायों को प्रभावी ढ़ग से लागू किया जा सके।
हेली सेवा से चारधाम यात्रा पर आनेवाले तीर्थयात्रियों के कोरोना जांच की जिम्मेदारी संबंधित हेलीकंपनियों की होगी हेली पेड पर थर्मल स्क्रीनिंग आदि की पूर्ण व्यवस्था करनी अनिवार्य होगी। बताया कि उपरोक्त दिशा-निर्देश उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के द्वारा जारी मानक प्रचालन विधि (एसओपी) के अतिरिक्त होंगे। तथा चार धाम आने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या पूर्ववत रहेगी श्री बदरीनाथ हेतु 1200, श्री केदारनाथ हेतु 800, श्री गंगोत्री हेतु 600 तथा श्री यमुनोत्री हेतु 450 यात्री प्रतिदिन दर्शन की अनुमति रहेगी।             


पकड़ा गया शिवसेना-कांग्रेस का विरोध

कृषि कानूनः पकड़ा गया शिवसेना-कांग्रेस का विरोध, महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार ने अगस्त में लागू किया था।


उमय सिंह साहू


मुंबई। कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल केंद्र सरकार के नए कृषि कानून का खुलकर विरोध कर रहे हैं। इस बीच खुलासा हुआ है कि महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार ने अगस्त में ही इसपर अध्यादेश जारी कर दिया था। महाराष्ट्र सरकार में शामिल कांग्रेस और एनसीपी ने बिल का खुलकर विरोध किया है। वहीं, शिवसेना की भूमिका चिट भी मेरा पट भी मेरा रही है।
बता दें कि 10 अगस्त 2020 को राज्य सरकार ने केंद्र द्वारा लाए गए किसान बिल के तीनों अध्यादेशों को सख्ती से लागू करने के आदेश दिए थे। पिछले महीने तक महाराष्ट्र उन शुरूआती राज्यो में था, जो इस अध्यादेश को तत्काल और सख्ती से लागू करना चाहते थे। दो पेज पेज के इस ऑर्डिनेंस को 10 अगस्त 2020 के दिन मार्केटिंग के स्टेट डायरेक्टर सतीश सोनी ने सभी बाजार समिति को सख्ती से लागू करने को कहा था।
कृषि विधेयकों पर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की अलग-अलग भूमिका देखने को मिली हैं। हालांकि बोलने के नाम पर तीनों ने इस बिल का विरोध किया है।
शिवसेना भी हमारे साथ- कांग्रेस
दो दिन पहले ही महाराष्ट्र सरकार में राजस्व मंत्री और कांग्रेस नेता बाला साहेब थोराट ने कहा था कि महाराष्ट्र में इन कानूनों को लागू नहीं किया जाएगा। थोराटा ने कहा, “संसद द्वारा पारित बिल किसान विरोधी है। इसलिए हम इसका विरोध कर रहे हैं।महाविकास अघाड़ी भी इसका विरोध करेगी और महाराष्ट्र में इसे लागू नहीं होने देगी। शिवसेना भी हमारे साथ है। हम एक साथ बैठेंगे और एक रणनीति बनाएंगे.”
इस खुलासे के बाद सवाल खड़ा होता है कि अगर कांग्रेस और एनसीपी इस कानून की विरोधी है तो राज्य में पहले ही अध्यादेश  कैसे जारी कर दिया गया, वो भी तब जब इन कृषि विधेयकों पर कोई विचार ही नहीं किया गया था।
कांग्रेस समेत विपक्षी दलों का विरोध प्रदर्शन जारी।
बता दें कि कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दल कृषि संबंधी कानूनों के खिलाफ विभिन्न राज्यों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कई नेताओं ने ऐलान किया कि वे इन कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।पंजाब में किसानों का ‘रेल रोको’ आंदोलन जारी है।किसानों ने प्रदर्शनों को दो अक्टूबर तक जारी रखने की घोषणा की है। किसान-मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले प्रदर्शनकारी 24 सितंबर से जालंधर, अमृतसर, मुकेरियां और फिरोजपुर में रेल पटरियों पर बैठे हैं। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, तेलंगाना, गुजरात, गोवा, ओडिशा और तमिलनाडु में कांग्रेस और विपक्षी दलों ने प्रदर्शन किया।               


अनलॉकः पांचवें चरण को लेकर अटकलें तेज

नई दिल्ली। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के इरादे से मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी। लॉकडाउन के कारण ठप हो चुकी आर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अनलॉक की घोषणा की थी। 30 सितंबर यानी कल अनलॉक के चौथे चरण के खत्म होते ही देश इसके पांचवें चरण में प्रवेश कर जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा आज किसी भी वक्त इसके लिए गाइडलाइन्स जारी की जा सकती है। एक सितंबर को शुरू हुए अनलॉक 4 में केंद्र सरकार ने पहली बार मेट्रो सेवाओं को फिर से शुरू करने जैसी विभिन्न महत्वपूर्ण छूट दी थी। इसके साथ ही कक्षा 9-12 के लिए स्कूलों का आंशिक रूप से फिर से खोला गया। अब, एक अक्टूबर से शुरू होने वाले अनलॉक के पांचवें चरण के को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। पिछले सप्ताह सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ अपनी बैठक में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘ माइक्रो कंटेंटमेंट’ जोन का सुझाव दिया। त्योहारी सीज़न की वजह से उम्मीदें हैं कि केंद्र अनलॉक के लिए और गतिविधियां खोल देगा।                 


झीरम घाटी हमले की न्यायिक जांच के आदेश

अकांशु उपाध्याय


नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 2013 के झीरम घाटी नक्सली हमले की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग द्बारा अतिरिक्त गवाहों से पूछताछ से इंकार के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका मंगलवार को खारिज कर दिया। इस हमले में राज्य के कांग्रेस नेताओं समेत 29 लोगों की मौत हो गई थी। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हो सकता है कि राज्य सरकार ने आयोग का कार्यकाल बढ़ाया हो लेकिन पैनल ने कार्यवाही बंद कर दी है। पीठ ने कहा, ”आप चाहते हैं कि अतिरिक्त गवाहों से पूछताछ की जाए, लेकिन आयोग सहमत नहीं है। हो सकता है कि आपने आयोग का कार्यकाल बढ़ाया हो लेकिन आयोग ने इसकी कार्यवाही बंद कर दी है। इस पीठ में न्यायमूर्ति आर एस रेड्डी और एम आर शाह भी शामिल थे।                 


लॉकडाउन खत्म, सब्जी के दाम सस्ते

रायपुर। शहर अनलॉक होते ही आज शहर के मुख्य बाजार शास्त्री बाजार, पुरानी बस्ती, आमापारा, रावण भाठा सहित पाश कालोनियों स्थित सब्जी बाजारों में लाकडाउन अवधि की तुलना में चोरी छिपे बिक रही महंगी सब्जियों के मुकाबले आज सब्जियों की कीमतों में गिरावट देखी गई। वहीं 21 सितंबर को लॉकडाउन लगने की सूचना के साथ ही आलू प्याज एवं अन्य हरी सब्जियों के दामों में आसमान में चढ़ी कीमतों के चलते लोगों को महंगी सब्जी का उपयोग करने पर मजबूर होना पड़ा। वहीं आज शहर के बाजारों में आलू एवं प्याज 35 से 40 रुपये किलो बिकी। टमाटर 40-60 रुपये किलो एवं अन्य सब्जियों के दाम भी 40 से 60 रुपये किलो की दर पर बिके। सब्जियों के दामों में बाहर से आवक बढऩे के साथ ही कीमतों में गिरावट आने की संभावना व्यक्त की गई है। वहीं मुनगा की दर में गिरावट नहीं आने के कारण आज बाजार में मुनगा 80 रुपये किलो बिका। कुंदरू 30-40, भटा 40, लौकी 30-40, बरबटी 40, करेला 60, गोभी 60, पत्ता गोभी 30-40, लालभाजी 50, चौलाई भाजी 50, शिमला 50 रुपये आदि रहा।               


काली मिर्च की खेती एवं प्रमुख प्रजातियां

 काली मिर्च(पाईपर) एक बहुवर्षीय आरोही बेल है। इसके फल को मसाला तथा औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। भारत विश्व में काली मिर्च का प्रमुख उत्पादक, उपभोक्ता एवं निर्यातक देशों में से एक है।


भारत में काली मिर्च की खेती मुख्य रूप से केरल, कर्नाटक तथा तमिलनाडू राज्यों में होती है। भारत में इसका उत्पादन औसतन 55-60 हजार टन है।



जलवायु:- काली मिर्च को खेती के लिए पर्याप्त वर्षा तथा आर्द्रता की आव्यशकता होती है। अतः इसकी खेती पश्चिम घाट के उपपर्वतीय क्षेत्र में अधिक होती है। यहाँ की गरम और आर्द्र जलवायु इसकी खेती के लिए बहुत अच्छी है। इसकी फसल 10 डिग्री से 40 डिग्री तापमान को सहन कर सकती है। पौधों की वृद्धि के लिए 125-200 से.मी. वार्षिक वर्षा आदर्श है।


मिट्टी:- काली मिर्च की खेती अनेक प्रकार की मिट्टी में सफलतापूर्वक की जा सकती है। लेकिन लाल लैटराइट मिट्टी इसकी खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त तथा आदर्श है जिसका पी.एच.मान 5.5 से 6.5 के बीच हो।


कुछ प्रमुख प्रजातियाँ:- पन्न्युर-1, पन्न्युर-3 और पन्न्युर-8, पन्न्युर आई आई एस आर-गिरिमुंडा तथा आई आई एस आर–मलबार एक्सल, अनुसंधान संस्थान (केरल) द्वारा विकसित दो संकर प्रजातियाँ हैं।


प्रवर्द्धन:- काली मिर्च के पौधों को विकसित करने की तीन प्रमुख विधियां हैं। लम्बे इंटर नोड युक्त तना से, भुस्तरीय प्ररोह से तथा फल युक्त पार्श्व शाखाओं से।


रोपण:- काली मिर्च के पौधों को अनेक तकनीक के माध्यम से उगाया जा सकता है।

परम्परागत विधि:- उच्च उपज वाले स्वस्थ पौधों का चयन करें। उसके प्ररोह के निचले भाग को मिट्टी में दबाकर रखतें हैं तथा जड़ निकलने तक छोड़ देते हैं। फरवरी-मार्च के महीने में इसकी 2-3 नोडों को काटकर अलग करके प्रत्येक को नर्सरी वेड़ों या पोटिंग मिश्रण युक्त पोलीथीन बैगों में रोपण करते हैं। रोपित पौधों को छाया में रखा जाता है तथा नियमित सिंचाई करना आवश्यक है।


काली मिर्च में लगने वाले रोगप्रबंधन तथा रोपण।


पौधशाला में हानि पहुँचाने वाले रोग


फाइटोफथोरा रोग – पौधशाला में इस रोग को पौधे के पत्तों, तना तथा जड़ों में देखा जा सकता है।इसमें पत्तों पर काले रंग की चित्ती के निशान पड़ जाते है।


प्रबंधन – रोकथाम के लिए बोर्डियों मिश्रण (1%) का छिड़काव करें।


एन्थ्राकनोज रोग – यह रोग एक कवक के द्वारा होता है। इस संक्रमण में पत्तों पर भूरे-पीले तथा काले–भूरे रंग की अनियमित चित्तियाँ पड़ जाती हैं प्रबंधन – नियंत्रण के लिए 1% बोर्डियों मिश्रण या कारबेन्डाजिम (0.1%) का छिड़काव करें।


पर्ण चित्ती रोग – यह राइजोक्टोनिया सोलानी नामक कवक के द्वारा होता है।


मूल म्लानी रोग – यह रोग स्केलेरोटियम रोलफसी नामक कवक के द्वारा होता है।


रोपण:- मानसून के शुरू होने के साथ हीं सहायक वृक्ष के सहारे उत्तर दिशा में 50 से.मी. गहरे गढ्डे खोद लेते हैं। गड्ढों से गड्ढों की दूरी 30 से.मी. होनी चाहिए, इन गड्ढों में मृदा तथा खाद को 5 कि.ग्राम प्रति गढ्डे की दर से भरना चाहिए।


रोपण के समय नीम केक, ट्राईकोडरमा हरजियानमतथा 150 रोक फासफेट प्रति गढ्डा की दर से डालना चाहिए। वर्षा प्रारंभ होते ही 2-3 काली मिर्च के पौधे को गढ्डे में अलग-अलग स्थान पर रोप दें।


खाद और उर्वरक:- पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए खाद और उर्वरक की पर्याप्त मात्रा डालना चाहिए। जैविक खाद 10 कि. ग्राम प्रति पौधा तथा नीम केक को 1 कि. ग्राम प्रति पौधा की दर से मई माह में डालना चाहिए।


अधिक अम्लीय मिट्टी रहने पर एक वर्ष के अंतराल पर 500 ग्राम प्रति पौधा की दर से चुना अथवा डोलोमाइटका उपयोग अप्रैल–मई महीने में कर सकते हैं।           


हैदराबाद ने जीता टॉस, बल्लेबाजी का फैसला किया

हैदराबाद ने जीता टॉस, बल्लेबाजी का फैसला किया  इकबाल अंसारी  हैदराबाद। इंड‍ियन प्रीम‍ियर लीग (IPL) 2024 सीजन में सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) और...