मंगलवार, 29 सितंबर 2020

झीरम घाटी हमले की न्यायिक जांच के आदेश

अकांशु उपाध्याय


नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 2013 के झीरम घाटी नक्सली हमले की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग द्बारा अतिरिक्त गवाहों से पूछताछ से इंकार के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका मंगलवार को खारिज कर दिया। इस हमले में राज्य के कांग्रेस नेताओं समेत 29 लोगों की मौत हो गई थी। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हो सकता है कि राज्य सरकार ने आयोग का कार्यकाल बढ़ाया हो लेकिन पैनल ने कार्यवाही बंद कर दी है। पीठ ने कहा, ”आप चाहते हैं कि अतिरिक्त गवाहों से पूछताछ की जाए, लेकिन आयोग सहमत नहीं है। हो सकता है कि आपने आयोग का कार्यकाल बढ़ाया हो लेकिन आयोग ने इसकी कार्यवाही बंद कर दी है। इस पीठ में न्यायमूर्ति आर एस रेड्डी और एम आर शाह भी शामिल थे।                 


लॉकडाउन खत्म, सब्जी के दाम सस्ते

रायपुर। शहर अनलॉक होते ही आज शहर के मुख्य बाजार शास्त्री बाजार, पुरानी बस्ती, आमापारा, रावण भाठा सहित पाश कालोनियों स्थित सब्जी बाजारों में लाकडाउन अवधि की तुलना में चोरी छिपे बिक रही महंगी सब्जियों के मुकाबले आज सब्जियों की कीमतों में गिरावट देखी गई। वहीं 21 सितंबर को लॉकडाउन लगने की सूचना के साथ ही आलू प्याज एवं अन्य हरी सब्जियों के दामों में आसमान में चढ़ी कीमतों के चलते लोगों को महंगी सब्जी का उपयोग करने पर मजबूर होना पड़ा। वहीं आज शहर के बाजारों में आलू एवं प्याज 35 से 40 रुपये किलो बिकी। टमाटर 40-60 रुपये किलो एवं अन्य सब्जियों के दाम भी 40 से 60 रुपये किलो की दर पर बिके। सब्जियों के दामों में बाहर से आवक बढऩे के साथ ही कीमतों में गिरावट आने की संभावना व्यक्त की गई है। वहीं मुनगा की दर में गिरावट नहीं आने के कारण आज बाजार में मुनगा 80 रुपये किलो बिका। कुंदरू 30-40, भटा 40, लौकी 30-40, बरबटी 40, करेला 60, गोभी 60, पत्ता गोभी 30-40, लालभाजी 50, चौलाई भाजी 50, शिमला 50 रुपये आदि रहा।               


काली मिर्च की खेती एवं प्रमुख प्रजातियां

 काली मिर्च(पाईपर) एक बहुवर्षीय आरोही बेल है। इसके फल को मसाला तथा औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। भारत विश्व में काली मिर्च का प्रमुख उत्पादक, उपभोक्ता एवं निर्यातक देशों में से एक है।


भारत में काली मिर्च की खेती मुख्य रूप से केरल, कर्नाटक तथा तमिलनाडू राज्यों में होती है। भारत में इसका उत्पादन औसतन 55-60 हजार टन है।



जलवायु:- काली मिर्च को खेती के लिए पर्याप्त वर्षा तथा आर्द्रता की आव्यशकता होती है। अतः इसकी खेती पश्चिम घाट के उपपर्वतीय क्षेत्र में अधिक होती है। यहाँ की गरम और आर्द्र जलवायु इसकी खेती के लिए बहुत अच्छी है। इसकी फसल 10 डिग्री से 40 डिग्री तापमान को सहन कर सकती है। पौधों की वृद्धि के लिए 125-200 से.मी. वार्षिक वर्षा आदर्श है।


मिट्टी:- काली मिर्च की खेती अनेक प्रकार की मिट्टी में सफलतापूर्वक की जा सकती है। लेकिन लाल लैटराइट मिट्टी इसकी खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त तथा आदर्श है जिसका पी.एच.मान 5.5 से 6.5 के बीच हो।


कुछ प्रमुख प्रजातियाँ:- पन्न्युर-1, पन्न्युर-3 और पन्न्युर-8, पन्न्युर आई आई एस आर-गिरिमुंडा तथा आई आई एस आर–मलबार एक्सल, अनुसंधान संस्थान (केरल) द्वारा विकसित दो संकर प्रजातियाँ हैं।


प्रवर्द्धन:- काली मिर्च के पौधों को विकसित करने की तीन प्रमुख विधियां हैं। लम्बे इंटर नोड युक्त तना से, भुस्तरीय प्ररोह से तथा फल युक्त पार्श्व शाखाओं से।


रोपण:- काली मिर्च के पौधों को अनेक तकनीक के माध्यम से उगाया जा सकता है।

परम्परागत विधि:- उच्च उपज वाले स्वस्थ पौधों का चयन करें। उसके प्ररोह के निचले भाग को मिट्टी में दबाकर रखतें हैं तथा जड़ निकलने तक छोड़ देते हैं। फरवरी-मार्च के महीने में इसकी 2-3 नोडों को काटकर अलग करके प्रत्येक को नर्सरी वेड़ों या पोटिंग मिश्रण युक्त पोलीथीन बैगों में रोपण करते हैं। रोपित पौधों को छाया में रखा जाता है तथा नियमित सिंचाई करना आवश्यक है।


काली मिर्च में लगने वाले रोगप्रबंधन तथा रोपण।


पौधशाला में हानि पहुँचाने वाले रोग


फाइटोफथोरा रोग – पौधशाला में इस रोग को पौधे के पत्तों, तना तथा जड़ों में देखा जा सकता है।इसमें पत्तों पर काले रंग की चित्ती के निशान पड़ जाते है।


प्रबंधन – रोकथाम के लिए बोर्डियों मिश्रण (1%) का छिड़काव करें।


एन्थ्राकनोज रोग – यह रोग एक कवक के द्वारा होता है। इस संक्रमण में पत्तों पर भूरे-पीले तथा काले–भूरे रंग की अनियमित चित्तियाँ पड़ जाती हैं प्रबंधन – नियंत्रण के लिए 1% बोर्डियों मिश्रण या कारबेन्डाजिम (0.1%) का छिड़काव करें।


पर्ण चित्ती रोग – यह राइजोक्टोनिया सोलानी नामक कवक के द्वारा होता है।


मूल म्लानी रोग – यह रोग स्केलेरोटियम रोलफसी नामक कवक के द्वारा होता है।


रोपण:- मानसून के शुरू होने के साथ हीं सहायक वृक्ष के सहारे उत्तर दिशा में 50 से.मी. गहरे गढ्डे खोद लेते हैं। गड्ढों से गड्ढों की दूरी 30 से.मी. होनी चाहिए, इन गड्ढों में मृदा तथा खाद को 5 कि.ग्राम प्रति गढ्डे की दर से भरना चाहिए।


रोपण के समय नीम केक, ट्राईकोडरमा हरजियानमतथा 150 रोक फासफेट प्रति गढ्डा की दर से डालना चाहिए। वर्षा प्रारंभ होते ही 2-3 काली मिर्च के पौधे को गढ्डे में अलग-अलग स्थान पर रोप दें।


खाद और उर्वरक:- पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए खाद और उर्वरक की पर्याप्त मात्रा डालना चाहिए। जैविक खाद 10 कि. ग्राम प्रति पौधा तथा नीम केक को 1 कि. ग्राम प्रति पौधा की दर से मई माह में डालना चाहिए।


अधिक अम्लीय मिट्टी रहने पर एक वर्ष के अंतराल पर 500 ग्राम प्रति पौधा की दर से चुना अथवा डोलोमाइटका उपयोग अप्रैल–मई महीने में कर सकते हैं।           


सोने-चांदी की किमतों में आया बडा बदलाव

नई दिल्ली। सोना और चांदी के भाव में तेजी देखने को मिली। देश भर के सर्राफा बाजारों में आज 24 कैरेट सोना 648 रुपये प्रति 10 ग्राम महंगा होकर 50,405 रुपये पर खुला। वहीं चांदी के रेट में आज 1,439 रुपये की तेजी आई और दाम 59,510 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया।


सब्जियों के बाद महंगी हुई सब दालें

नई दिल्ली। कोरोना के इस संकट में आम आदमी की मुश्किलें रोजाना बढ़ती जा रही हैं। एक ओर बीते दो महीने से सब्जियों की कीमतों में तेजी का दौर जारी है, वहीं, अब दालों की कीमतें भी बढ़ने लगी हैं। दिल्ली समेत कई बड़े शहरों में दालों की कीमत 15 से 20 रुपये तक बढ़ चुकी है। पिछले साल इस अवधि में चना दाल की कीमत 70-80 रुपये प्रति किलो थी लेकिन इस बार यह 100 रुपये के पार पहुंच चुकी है। अरहर दाल 115 रुपये प्रति किलो में बिक रही है। कारोबारियों की मांग है कि सरकारी एजेंसी नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन (नेफेड) को सप्लाई बढ़ाने के लिए अपना स्टॉक रिलीज करना चाहिए। सप्लाई में गिरावट आई है, जबकि, डिमांड लगातार बढ़ रही है, इसलिए कारोबारियों ने 2020-21 के लिए आयात कोटा जारी करने की मांग की है। हालांकि, सरकार का मानना है कि आपूर्ति की स्थिति ठीकठाक है और अगले तीन महीने में खरीफ सीजन की फसल बाजार में आनी शुरू हो जाएगी। इस साल बंपर पैदावार का अनुमान है।             


बिहार के नवोदित कलाकार की संदिग्ध मौत

मुंबई। इस वक्त की बड़ी खबर मुजफ्फरपुर से आ रही है, जहां बिहार के एक नवोदित कलाकार की मुंबई में संदेहास्पद मौत हो गई है। मृतक कलाकार का नाम अक्षत उत्कर्ष है जो मुंबई में फिल्म इंडस्ट्री में कार्यरत थे। जानकारी के मुताबिक, अक्षत बॉलीवुड के नवोदित कलाकार थे। वह मूल रूप से मुजफ्फरपुर के सिकंदरपुर के रहने वाले थे। मृतक के परिजनों ने अक्षत उत्कर्ष की संदेहास्पद मौत के बाद हत्या का आरोप लगाया है। मृतक के मामा रंजीत सिंह ने बयान देते हुए कहा कि रविवार की रात 9 बजे अक्षत की पिता से बात हुई थी, लेकिन इसके बाद देर रात उसकी मौत की खबर मिली। इसके साथ ही अक्षत के मामा ने मुंबई पुलिस पर भी सहयोग न करने का आरोप लगाया है। अक्षत मूल रूप से मुजफ्फरपुर के सिकंदरपुर के रहने वाले थे और विजयंत चौधरी उर्फ राजू चौधरी के पुत्र थे। उनका शव मुंबई से कुछ देर पहले ही पटना एयरपोर्ट पर पहुंचा है। अक्षत के परिजनों का आरोप है कि मुंबई पुलिस ने इस मामले में किसी तरह का सहयोग नहीं किया है। साथ ही किसी भी तरह की प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। मालूम हो कि इससे पहले भी मुंबई में ही बिहार के रहने वाले बॉलीवुड के स्टार एक्‍टर सुशांत सिंह राजपूत की भी संदेहास्पद मौत हो चुकी है और उनकी मौत की गुत्थी भी अभी तक सुलझ नहीं सकी है।             


सरकार ने किसानों को दिया बड़ा तोहफा

नई दिल्ली। किसानों को अब सोलर पंप के लिए सस्ती दरों पर कर्ज मिल सकेगा। इसको लेकर सरकार ने बड़ा ऐलान किया है। सरकार ने सोलर पंप के लिए एग्री इंफ्रा फंड का इस्तेमाल करने का फैसला लिया है। मौजूदा समय में सरकार के पास 1 लाख करोड़ रुपये का एग्री इंफ्रा फंड है। एग्री इंफ्रा फंड से किसानों को सस्ता कर्ज मिलेगा। साल 2022 तक 17.50 लाखसोलर पंप लगाने का लक्ष्य है। आपको बता दें कि हाल में रिजर्व बैंक ने भी छोटे किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए सोलर पंप के कर्ज़ से जुड़े नियमों में बदलाव किाय है। रिज़र्व बैंक के नए नियमों के तहत किसानों को सोलर प्लांट्स लगाने और कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट्स के लिए आसानी से लोन मिल सकेगा।


'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन

'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन   मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए स्कूली बच्चों ने निकाला रैली कौशाम्बी। एन डी कान...