पंचायती चुनाव के बिगुल बजने से पहले हुई हलचल शुरू, ग्रामीण पंचायतों के दबंग महारथियों के चेहरों पर छायीं चिंता की लकीरें, हार जीत की गणित से कहीं ज्यादा अघोषित शासनादेश है उलझन की बजह।
मथुरा। पंचायत के महारथियों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आ रही हैं, एक ऐसे नियम की कानाफुंसी हर जगह हो रही है जो अभी तक बना नहीं है, बावजूद इसके पंचायत चुनाव लडने के इच्छुक प्रत्याशियों की चिंता का सबब बना हुआ है। कुछ संभावित प्रत्याशी इसका तोड निकालने में अभी से लग गये हैं जबकि शासन द्वारा जारी होने वाले नियम का खुलासा अभी नही हुआ है।
जनसंख्या नियंत्रण को प्रोत्साहित करने के लिए पंचायत चुनाव में दो से अधिक बच्चे होने पर चुनाव लड़ने से रोक लगाने की तैयारी से सियासी खेमे में हलचल बढ़ गई है। इससे जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य के साथ ही प्रधान पद की तैयारी कर रहे लोगों को भी झटका लग सकता है। इन दिनों गांवों में पंचायत चुनाव की तैयारियां चल रही हैं, चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों ने अपनी पैंठ बनाना शुरू कर दिया है। वहीं दो से अधिक बच्चे होने वालों की चिंता बढ़ गई है, उनका मानना है कि यदि यह कानून आता है तो उनकी राजनीति हमेशा के लिए खत्म हो जायेगी, यही वजह है कि वे चिंतित दिखाई दे रही हैं जबकि ग्रामीणों का मानना है कि यह कानून बनना चाहिए, ताकि जनसंख्या पर नियंत्रण करने में मदद मिल सके।
ग्राम पंचायत कारब में प्रधानी की तैयारी कर रहे धर्मेन्द्र सिंह ने कहा कि देश में कई राज्यों में दो से अधिक बच्चे होने पर पंचायत चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य होने का नियम है, उन्होंने कहा कि सरकार को यह नियम लागू करना चाहिए, करतार सिंह ग्राम पंचायत विधोनी ने कहा कि यह स्वागत योग्य कदम है, इस तरह के नियम ऊपर से नीचे तक प्रत्येक चुनाव पर लागू होने चाहिए, सिर्फ पंचायत चुनावों के लिए अलग से नियम बनाना तर्कसंगत नहीं है ।
ग्राम पंचायत रायपुर के डिगम्बर सिंह कहते हैं कि यह निर्णय समाज में जागरूकता लाने का सरकार द्वारा एक प्रयास है, यदि सरकार के प्रयास से जनसंख्या नियंत्रण में सफलता मिलती है तो उन्हें प्रधानी जाने पर भी उन्हें दुख नहीं होगा, इस कानून के बनने से जनसंख्या पर काफी हद तक नियंत्रण लग सकेगा।
ग्राम पंचायत सौंसा के करण ठाकुर कहते हैं कि पंचायत चुनाव में दो बच्चे वाला नियम लागू होने पर जनसंख्या नियंत्रण में सरकार को काफी राहत मिलेगी, हालांकि केवल कहने वालों से कोई नियम लागू नहीं होता, उन्होंने कहा सरकार को जिला पंचायत अध्यक्ष एवं क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के चुनाव सीधे जनता से कराने चाहिए।