बुधवार, 9 सितंबर 2020

सबका ख्वाब होता है ऐसी कामयाबी पाना

नई दिल्ली। इंस्टाग्राम पर इस पोस्ट के साथ ही करिश्माई खेल व कप्तानी और बेमिसाल मिजाज वाले 39 वर्षीय महेंद्र सिंह धोनी ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। यह ऐसे अध्याय को अंत था, जिसके पन्ने ऐसी कामयाबियों से भरे हैं जो दुनिया के किसी भी क्रिकेटर का ख्वाब हो सकता है। अप्रत्याशित फैसलों से विरोधी टीमों को चौंकाने वाले धोनी के इस ऐलान ने फैंस को चौंकाया कम, मायूस ज्यादा किया। खेल को पढ़ने की उनकी महारत के कारण डिसिजन रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) को धोनी रिव्यू सिस्टम कहा जाता था, जाहिर है संन्यास का फैसला लेते हुए भी उन्होंने ऐसी ही धोनी का अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर जब खत्म हो चुका है। तो पीछे मुड़कर देखने पर पता चलता है कि रांची के इस राजकुमार ने कैसे शून्य से शुरूआत कर शिखर को चूमा।


धोनी के तकरीबन 15 साल के अंतर्राष्ट्रीय करिअर ने छोटे शहरों के नौजवानों की आंखों को एक बड़ा सपना दे दिया। महानगरों से आने वाले खिलाड़ियों के वर्चस्व वाले खेल को धोनी ने नये व्याकरण और मुहावरे तो दिए ही, कप्तान रहते भारतीय क्रिकेट का चेहरा बदलकर रख दिया। पूरे दमखम से आखिरी क्षणों तक विरोधी टीमों से जूझने, नौजवान खिलाड़ियों में भरोसा दिखाने जैसी सौरव गांगुली की क्रिकेट विरासत को नया अर्थ और आयाम देते हुए धोनी ने उसे विराट कोहली तक बेहतर ढंग से पहुंचाया। इस दौरान भारतीय क्रिकेट टीम कीर्तिमान-दर-कीर्तिमान बनाती गयी। धोनी दुनिया के ऐसे इकलौते कप्तान बन गए जिनकी झोली में आईसीसी के तीनों टूर्नामेंट की खिताबी जीत है। टी-20 विश्वकप, चैम्पियंस ट्रॉफी और एकदिवसीय विश्वकप। ये सभी धोनी की कप्तानी के कौशल को बयान करते हैं। इतना ही नहीं सितारों से सजी रहने वाली भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम भी धोनी की कप्तानी में 2009 में पहली बार नंबर वन बनी।


वह भी तब जबकि टेस्ट की रंगत क्रिकेट की अंकतालिकाओ से कहीं परे है। क्या वह गर्व और खुशी का क्षण किसी गणना या तालिका में समा सकता है कि 2007 में टी-20 वर्ल्डकप जब पहली बार आयोजित किया गया तो वह खिताब भारत के नाम रहा। वह भी ऐसे खिलाड़ी की अगुवाई में जो महज तीन साल पहले टीम में आया ही था। चयनकर्ताओं ने युवराज सिंह की जगह धोनी को इस युवा टीम का कप्तान बनाने का दांव खेला। इस टीम में सचिन, सौरव और द्रविड़ जैसे सितारे नहीं थे। जोगिंदर शर्मा जैसे लगभग गुमनाम से गेंदबाज ने धोनी के हौसले की बदौलत फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ आखिरी क्षणों में ऐसा कमाल दिखाया कि पाकिस्तानी खिलाड़ी मैदान पर ठगे से रह गए।


भारत के नाम यह खिताब आया. 2007 में जिस अप्रत्याशित ढ़ंग से धोनी को टी-20 वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया और 2008 में भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया था। उतने ही अप्रत्याशित लहजे में धोनी ने कप्तानी छोड़ भी दी वह भी तब जबकि इस पद पर बने रहने के लिए उनके पर जोर आजमाइश का तर्क था। धोनी ने 2014 में अचानक टेस्ट टीम की कप्तानी छोड़ी और 2017 के शुरुवात में वन डे और टी 20 की कप्तानी छोड़कर विराट कोहली के लिए रास्ता साफ कर दिया। धोनी को कप्तानी दिया जाना एक प्रयोग था जिसमें टीम इंडिया को नई राह दिखाई।


कश्मीर में 2 संदिग्ध आतंकी किए अरेस्ट

श्रीनगर। जम्मू और कश्मीर के कुलगाम जिले में जवाहर टनेल के पास सुरक्षा बलों ने दो संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद बरामद किया गया है। अधिकारियों ने बुधवार को ये जानकारी दी।


भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने संयुक्त अभियान चलाया जिसमें ये गिरफ्तारी हुई। सेना ने एक बयान में कहा, जवाहर टनेल के पास दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस को विशेष सूचना मिली थी जिसके आधार पर ये ऑपरेशन लांच किया गया। जो हथियार बरामद किए गए हैं उनमें एके-47 राइफल के साथ दो मैगजिन, एक एम-4 यूएस कार्बाइन के साथ तीन मैगजिन और 6 चीनी पिस्टल 12 मैगजिन के साथ शामिल हैं।                 


वायु सेना का अभिन्न हिस्सा होगा राफेल

अकाशुं उपाध्याय

नई दिल्ली। बहुचर्चित राफेल विमान आधिकारिक रूप से कल वायु सेना में शामिल हो जाएंगे। इस मौके पर रक्षा मंत्री समेत कई अधिकारी भी मौजूद रहेंगे।

वायुसेना दुनिया के अत्याधुनिक पांच राफेल लड़ाकू विमानों को गुरुवार को अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर औपचारिक रूप से अपने बेड़े में शामिल करेगा। इस दौरान आयोजित होने वाले समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, फ्रांसीसी रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली और तमाम सैन्य अधिकारी मौजूद रहेंगे। भारत और फ्रांस के रक्षा मंत्री इस दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रक्षा संबंधों और सुरक्षा सहयोग के मुद्दे पर भी चर्चा करेंगे।राफेल को वायु सेना में आधिकारिक रूप से शामिल करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए फ्रांसीसी रक्षा मंत्री खुद भारत आ रही हैं। वे गुरुवार सुबह अंबाला पहुंच जाएंगी। गौरतलब है कि भारत ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए समझौता किया है। फ्रांसीसी विमानन कंपनी दसाल्ट एविएशन द्वारा उत्पादित इन विमानों को अभी औपचारिक रूप से वायुसेना में शामिल नहीं किया गया है।                 

मृत्युदंड जैसा साबित हुआ 'लॉकडाउन'

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि कोरोना महामारी को लेकर बिना सोचे समझे लॉकडाउन का फैसला किया गया।  उन्होंने लॉकडाउन को लेकर एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला बोला है। 


राहुल गांधी ने बुधवार को जारी किए अपने चौथे वीडियो में कहा कि अचानक किए गए इस लॉकडाउन से गरीब, मजदूर एवं एमएसएमई बिजनेस करने वाले काफी प्रभावित हुए हैं। यह असंगठित वर्ग के लिए मृत्युदंड जैसा साबित हुआ। ‘लॉकडाउन की बात’ शीर्षक से जारी चौथे वीडियो में राहुल गांधी ने कहा कि कोरोना के नाम पर अचानक लगा लॉकडाउन असंगठित क्षेत्र पर नोटबंदी औरजीएटी के बाद तीसरा वार है। बिना सोचे-विचारे लगा यह लॉकडाउन छोटे दुकानदार, स्मॉल एंड मीडियम बिजनेस वालों पर, किसान और मजदूरों के हितों पर हमला है। लोग रोज कमाते रोज खाते हैं। छोटे और मध्यम वर्ग के व्यापार के साथ भी ऐसा ही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि कोरोना से 21 दिन की लड़ाई होगी, लेकिन इस 21 दिन में असंगठित क्षेत्र के रीड की हड्डी ही टूट गई। हालांकि कोरोना अब भी विकराल मुंह खोले खड़ा है। उन्होंने कहा कि भूख और विस्थापन से मौत, उद्योगों पर ताला और बेहिसाब बेरोजगारी मोदीजी का मास्टरप्लान है। किसान, मजदूर और लघु व मध्यम वर्ग के उद्योगों ने भारत की अर्थव्यवस्था को खड़ा किया, जिसे बर्बाद कर इस सरकार ने अर्थव्यवस्था को गर्त में डाला है। अपने इस वीडियो में राहुल गांधी ने एक बार फिर कांग्रेस के ‘न्याय’ योजना की तरफदारी की। उन्होंने कहा कि जब लॉकडाउन के बाद खुलने का समय आया तो कांग्रेस ने कई बार सरकार से कहा कि वो गरीबों की आर्थिक मदद करें। इसके लिए ‘न्याय’ जैसी एक योजना लागू करनी पड़ेगी, बैंक के अकाउंट में सीधा पैसा डालना पड़ेगा लेकिन सरकारी ने ऐसा नहीं किया। यहीं नहीं कांग्रेस ने छोटे एवं मध्यम वर्ग के व्यापारियों के लिए पैकेज तैयार करने को कहा ताकि उन्हें बचाया जा सके। यहां भी सरकार चुप रही। गरीब जरूरतममंदों की मदद के बजाय सरकार ने गिने-चुने अमीर बिजनसमैनों का लाखों करोड़ों रुपये टैक्स माफ किया।


लॉकडाउन के लिए सरकार को दोषी ठहराते हुए राहुल ने वीडियो के आखिर में फिर कहा कि यह ‘लॉकडाउन’ कोरोना पर नहीं बल्कि हिंदुस्तान के गरीबों पर आक्रमण था। हमारे युवाओं के भविष्य पर आक्रमण था। लॉकडाउन मजदूर किसान और छोटे व्यापारियों पर आक्रमण था। हमारी असंगठित अर्थव्यवस्था पर आक्रमण था। ऐसे में हमें इस बात को समझना होगा और इस आक्रमण के खिलाफ सबको एक साथ मिलकर खड़ा होना होगा।               


बिजली बंद करने की अपीलः यादव

लखनऊ। विपक्षी दल बढ़ती बेरोजगारी को मुद्दा बनाते हुए भाजपा को घेरने में जुटे हैं। इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लोगों से आज रात 9 बजे 9 मिनट के लिए घरों की बिजली बंद करने की अपील की है।
अखिलेश ने बुधवार को युवाओं का आह्वान करते हुए ट्वीट किया, ‘मुट्ठियां जब बंध जाती हैं नवजवानों की, नींद उड़ जाती है ‘जुल्मी हुक्मरानों’ की। उन्होंने कहा​ कि आइए युवाओं व उनके परिवार की बेरोजगारी-बेकारी के इस अंधेरे में हम आज रात 9 बजे, 9 मिनट के लिए बत्तियां बुझाकर क्रांति की मशाल जलाएं, उनकी आवाज में आवाज मिलाएं।समाजवादी पार्टी लगातार बेरोजगारी, युवाओं के मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर बनी हुई है। अखिलेश ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में उत्तर प्रदेश को देश में दूसरा स्थान मिलने पर भी सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने अनियोजित लाॅकडाउन और गलत आर्थिक नीतियों की वजह से अर्थव्यवस्था के पटरी से उतरने का आरोप लगाया है। इस वजह से फैक्टरियों के बंद होने, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, विनिर्माण, संचार, होटल आदि व्यवसाय पूरी तरह से चौपट होने का आरोप लगाते हुए बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरा है।
नीट-जेईई परीक्षा के आयोजन को लेकर भी पार्टी ने प्रदेश में प्रदर्शन किया। इससे पहले पार्टी की युवा इकाई बढ़ती बेरोजगारी के विरोध में थाली बजाकर भी प्रदर्शन कर चुकी है। इसमें भाजपा के शासनकाल में प्रदेश में बेरोजगारी चरम पर होने और रोजगार नहीं मिलने के कारण नवजवानों में निराशा का भाव बढ़ने की बात कही गई। निजीकरण को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा गया। 
अखिलेश यादव ने कहा है कि युवाओं ने युवा व छात्र विरोधी भाजपा सरकार के खिलाफ जगह-जगह संघर्ष छेड़ दिया है। युवाओं के गुस्से के तूफान से भाजपा के झूठे दावों के तम्बू उखड़ गये हैं। भाजपा के लोग युवा आक्रोश से बचने के लिए मुंह छिपाए बैठे हैं। सपा सरकार से युवाओं, छात्रों, परीक्षार्थियों व अभ्यर्थियों की समस्याओं के समयबद्ध समाधान के लिए ‘यूथ-चार्टर’ जारी करने की भी मांग कर चुकी है।               


खुद तय करें मालिक कौन ? 'विश्लेषण'



पिछले छह सात सालों में सत्तर सालों में जो कुछ भी नागरिकता के नाम पर हमें लड़ भिड़कर मिल पाया था वह सब बेहद क्रूर चालाकियों द्वारा हमसे छीन लिया गया है। जैसे कि हमारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, इस बारे में डा. कफील का उदाहरण सामने है। हमारे मीडिया का वह भरोसेमंद चरित्र जिसे अब भाँड़मंडली में बदल दिया गया है। हमारे न्यायालय, हमारी सी बी आई, जिसे पहले ये ही लोग तोता कहते थे, अब उस तोते को केन्द्रीय सरकार के मुखौटे में बदल दिया गया है। वे सारी नागरिकताएँ जिन पर हमें अपने आजाद नागरिक होने का गर्व और भरोसा था, वह सब भरोसाहीन कर दिया गया है।


इतना ही क्यों अब तो सांसदों से कोरोना के बहाने सवाल पूछने का हक भी छीन लिया गया गया है। याद करिए हमारा वह लाल किला, जिसे शाहजहाँ ने बनवाया था, अब किसी ठेकेदार के हवाले कर दिया गया है। हमारी वह रेल जो हमारे द्वारा चुकाए गए कर से बनी थी,उसके सारे विकास में हमारा पैसा लगा था, अब बेची जा रही है। जनता की संपत्ति को पूँजीपतियों के हवाले की जा रही है। जनता की कमाई से बनाई गईं इन राष्ट्रीय संपदाओं को प्राइवेट कंपनियों के हवाले कर हमें एक ऐसी व्यवस्था की ओर ले जाया जा रहा जिसमें हमारी सुविधाएं ही नहीं, हमारी नौकरियों के उन अधिकारों को भी छीना जा जा रहा जिनमें हमारे जीने और मरने को चंद पूँजीपति और उनके मैनेजर तय करेंगे। तब पेंशन भी मिलेगी या नहीं, हम अपने देश के स्वतंत्र अधिकार प्राप्त नागरिक रह भी पाएँगे या नहीं यह आप सोचें। एक ओर एक दो सालों तक सांसद रहकर आजीवन पेंशन कबाड़ेंगे दूसरी ओर तीस पैंतीस साल की सेवा कर चुकने के बाद भी पेंशन पाने का हक हमारा नहीं बचेगा।


सोचें कि इन सांसदों और मंत्रियों को क्या हमने यही कारनामे करने के लिए चुना और भेजा था या अपने अधूरे रहे सपनों को पूरा करने के लिए? यह कहते हुए बेहद पीड़ा महसूस कर रहा हूँ कि ये हमारे चुने हुए प्रतिनिधि हैं या हमारे देश और समाज के मालिक? और हम इनकी बेबस प्रजा।तय करिए कि मालिक हम हैं या हमारे ये प्रतिनिधि?


अफसोस इन दिनों मध्यवर्ग के सुविधाजीवी समूहों को भयानक आत्ममुग्धता घेरे हुए है। पेट भर खाने पीने ,ऐशो आराम से जीने को ही ये परमपुरुषार्थ मान बैठे हैं। अपना चेहरा ही इन्हें दुनिया का सबसे खूबसूरत चेहरा और सामाजिक सच समझ में आ रहा। और उधर हमसे हमारा स्वदेश और हमारी वे स्वाधीनताएँ छीनी जा रहीं जिन्हें पूज्य लोकमान्य तिलक ने हमारा जन्मसिद्ध अधिकार कहा था और हम बेखबर हैं।





(विजय बहादुर सिंह हिंदी के प्रसिद्ध लेखक हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)               


'भूख हड़ताल' पर कर्मियों का टेंट उखाड़ा

अश्वनी उपाध्याय


गाजियबाद। कोरोना काल की फीस माफ करने व अन्य मांगों को लेकर गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अनिश्चित-कालीन भूख हड़ताल के आठवे दिन प्रशासन ने धरनास्थल पर लगाए गए टेंट को उखाड़ दिया। साथ ही विरोध कर रहे एसोसिएशन के पांच लोगों को हिरासत में ले लिया। इस दौरान एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा त्यागी ने प्रशासन पर तानाशाही रैवया अपनाने का आरोप लगाते हुए अभिभावकों से शांति बनाए रखने की अपील की है। सीमा त्यागी हालत बिगड़ने पर एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं।


उल्लेखनीय है कि दो सितम्बर से कोरोना काल के दौरान की फीस माफी व अन्य मांगों को लेकर गाजियाबाद पैरेंटस एसोसिएशन की तीन महिला पदाधिकारी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं। लेकिन तीनों की तबीयत खराब होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद अनेक लोग धरने पर बैठ गए। बुधवार को आठवां दिन था। आज कुछ लोग वहां पहुंचे और जिला प्रशासन का आदेश बताते हुए उनसे धरना समाप्त करने को कहा लेकिन प्रदर्शकारी नहीं माने तो उनका टेंट जबरन हटा दिया गया और धरनारत लोगों को वहां से खदेड़ दिया गया।मौके पर पहुंची पुलिस एसोसिएशन के पांच लोगों को हिरासत में पुलिस लाइन ले गई। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, कर्णी सेना समेत तमाम राजनीतिक दलों व समाज सेवी संगठनों ने धरना स्थल पर पहुंचकर अपना समर्थन देने की घोषणा की है। वहीं पदाधिकारी विवेक त्यागी ने कहा है कि भूख हड़ताल का आज आठवां दिन था लेकिन प्रशासन ने आंदोलन को खत्म करने की नीयत से धरना स्थल पर लगाए गए टेंट आदि को तोड़ दिया और सारा सामान नगर निगम के वाहन में रखकर ले गए। पांच लोगों को हिरासत में ले लिया है। त्यागी का कहना है कि प्रशासन का यह दमनात्मक रैवया है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आंदोलन को समाप्त नहीं किया जाएगा बल्कि और मजबूती के साथ चलाया जाएगा।             


हैदराबाद ने जीता टॉस, बल्लेबाजी का फैसला किया

हैदराबाद ने जीता टॉस, बल्लेबाजी का फैसला किया  इकबाल अंसारी  हैदराबाद। इंड‍ियन प्रीम‍ियर लीग (IPL) 2024 सीजन में सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) और...