शनिवार, 9 मई 2020

कार्रवाई बता डराया, वसूले 20 हजार

रायपुर/कोरबा। बालको थाना के एक आरक्षक पर 50 हजार की वसूली करने का मामला किसी तरह शांत करा कर बैठे पुलिस अधिकारियों ने अभी चैन की सांस ली ही थी कि एक एसआई ने भी लॉक डाउन के बहाने दबंगई दिखाकर वसूली कर ली। पुलिस अधिक्षक अभिषेक मीणा से पाली थाना में पदस्थ एसआई अशोक शर्मा द्वारा भयादोहन कर गाली-गलौज करने एवं जेल में भेजने की धमकी दिए जाने की शिकायत का मामला सामने आया है। जिला मुख्यालय आकर निलेश गुप्ता पिता नारायण लाल गुप्ता, निवासी पाली तहसील पाली ने लिखित शिकायत में बताया है कि 23 अप्रैल 2020 को शाम 5 बजे अपने बीमार दादी के लिए दवाई लेने गया था, घर के सामने बाजार रोड पर दवाई लेके आ रहा था तभी पाली थाना में पदस्थ एसआई अशोक शर्मा एवं अन्य पुलिसगण द्वारा अपने वाहन से उसके घर के सामने बाजार रोड के पास पहुंच कर गाली देने लगे तथा जेल भेजूंगा कहकर अपने गाड़ी में बैठा लिए।


गाड़ी में बैठाकर सैला होते हुए लाफा ले गये और वहां पर दो शराब बनाने वाले को पकड़े तथा मुझे भी अपने गाड़ी में ही बैठाकर तीन घंटे तक इधर-उधर घुमाएं। तीन घंटे पश्चात थाना पाली लेकर आए, फिर मेरे पिता को बुलवाये। मेरे पिता अपने दोस्त के साथ थाना पहुंचे तब मेरे सामने ही मेरे पिता को भी  गाली गलौच किए। तब मेरे पिता को बोले की तुमको मेरे घर को पोतवाने के लिए बोला था, तुमने नहीं पोतवाया और अपने वाहन एजेंसी में मेरे स्कुटी को कम रेट में काटे थे, इसलिए आज तेरे बेटे को कार्यवाही कर जेल भेजूंगा। तब बहुत ही हाथ पैर जोड़ने के बाद कहा कि 20,000 रुपये दोगे तो तेरे बच्चे को छोडूंगा। 20,000 रुपये नहीं देने पर तेरे बेटे को जेल में सड़ा दूंगा। तब मेरे पिता द्वारा 20,000 रुपये लाकर एसआई शर्मा को दिया गया तब मेरे को रात्रि 10 बजे छोड़े एवं नगर पंचायत पाली द्वारा 1000 रुपये का रसीद काटकर दिया गया, जो पैसा मैने अलग से दिया है, जिसकी रसीद की कॉपी आवेदन के साथ सलग्न किया है।


दरोगा ने काम नहीं किया, ना पैसे लौटाए

कवर्धा। चाकूबाजी में गिरफ्तार आरोपी दुर्गेश साहू के पिता गंगाधर साहू ने दशरंगपुर चौकी प्रभारी मानसिंग पर ठगी का आरोप लगाया है। मामले की लिखित शिकायत पुलिस कप्तान केएल ध्रुव से की गई है। शिकायतकर्ता गंगाधर उमरावनगर जिला बेमेतरा का रहने वाला है। बताया कि उसका बेटा दुर्गेश साहू 21 फरवरी को चाकूबाजी के मामले में पकड़ा गया था। घटना के दूसरे यानी 22 फरवरी को सूचना मिलने पर वह अपने पिता व साला के साथ दशरंगपुर चौकी पहुंचा। आरोप है कि चौकी प्रभारी मानसिंग ने मामला खत्म करने के लिए 40 हजार रुपए की मांग की। बेटे को बचाने व कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसने से बचने के लिए गंगाधर ने पैसे दे दिए। 6 मई को कोर्ट में उसके बेटे की पेशी थी। पेशी के पहले मेडिकल जांच के लिए पैसे लगेंगे करके पुलिस ने 3 हजार रुपए और ले लिया। लेकिन कोर्ट में पेशी के बाद उसके बेटे को जेल भेज दिया गया। अब शिकायतकर्ता गंगाधार ने एसपी से लिखित में शिकायत कर चौकी प्रभारी से रुपए वापस दिलाने मांग कर रहे हैं।


हरिजन आबादी, खलिहान पर अवैध कब्जा

दबंगों द्वारा खलिहान एंव हरिजन आबादी पर अवैध कब्जा


रिपोर्टर – नियाजुदीन अंसारी जिला संवाददाता


कुशीनगर। दुदही विकास खण्ड के अन्तर्गत ग्राम पंचायत बांसगांव टोला विन्दटोली के स्वर्गीय हलखोरी पासवान के घर के पास सार्वजनिक खलिहान एवं हरिजन आबादी की भूमि पर दबंगो एवं प्रभावशाली लोगों ने जबरन अवैध कब्जा कर पक्का मकान बनवा रहे हैं। जिसकी शिकायत कई लोगों ने तहसील दिवस से लगायत सम्बन्धित अधिकारियों से प्रार्थना पत्र देकर कई बार चक्कर लगाया लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। बताते चले कि ग्राम पंचायत बांस गांव टोला बिन्द टोली हलखोरी पासवान के घर के पास गाटा संख्या 4898/0:097 हेक्टेयर भूमि पर सार्वजनिक खलिहान एवं गाटा संख्या 4897/0:194 हेक्टेयर हरिजन आबादी के नाम से सरकारी अभिलेख खतौनी में अंकित हैं। जिस पर कुछ दबंग एवं प्रभावशाली लोगों ने जबरन अवैध कब्जा कर पक्का बनवा लिये है। जिससे किसानो की फसल की मढाई नहीं हो पा रही है। जिसकी सूचना तहसील दिवस पर तमकुहीराज तहसील में लिखित सूचना दे दिया है लेकिन अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सनद रहे कि ग्राम पंचायत बांस गांव के ग्रामीणो ने गांव के कुछ दबंग एवं प्रभावशाली लोगों पर सार्वजनिक खलिहान एवं हरिजन की जमीन पर पक्का मकान की निर्माण करायें जाने का आरोप जडा है। ग्रामीणों का कहना है कि हल्का लेखपाल द्वारा इसकी पैमाइश कर सार्वजनिक खलिहान एवं हरिजन आबादी के पक्ष मे क्लीनचिट दे दिया है। लोगों का कहना है कि सार्वजनिक खलिहान पर अवैध कब्जा होने से किसानो को फसल की मढाई करने मे परेशानी हो रही है। ग्रामीणों ने सार्वजनिक खलिहान एवं हरिजन आबादी की भूमि पर से अवैध कब्जा हटवाने की मांग की है।


'फितरा' अगर अनाज है तो करे तक़सीम

रमज़ानुल मुबारक के महीने में फितरा अगर अनाज है तो 02 किग्रा 45 ग्राम या नक़द 41 रू के हिसाब से करे तक़सीम


रिपोर्टर – नियाजुदीन अंसारी जिला संवाददाता


कुशीनगर। जनपद के विकास खण्ड दुदही के सुन्नी जामा मस्जिद दूदही व मदरसा गौसिया फैज़ुल उलूम दुदही मईहरवा के प्रधानाचार्य मौलाना अब्दुल शकूर साहब ने बताया कि रमजान शरीफ का महीना बहुत ही बरकत वाला महीना है। इस महीने में जो भी शक्श सच्चे दिल से खुदा से जो मांगता है वो मिल जाता है। इस महीने में लोग रोज़ा रखते है कुरान की तिलावत करते है। नमाज़ पढ़ते है। खुदा की इबादत करके खुदा को राजी कर अपने गुनाहे कबीरा और गुनहे सगीरा को माफ कराते है। उल्लेखनीय है कि इस पवित्र महीने में मुस्लिम धर्म गुरु ने लोगो से अपील किया कि इस कोरोना वायरस जैसी बीमारी से निपटने के लिये सरकार का दिशा निर्देश का पालन करे। और खुदा से दुआ करे इस बीमारी से हमारा मुल्क महफूज हो सके। मुस्लिम धर्म गुरु ने बताया कि इस संकट की घड़ी में हम सभी लोगो का फर्ज बनता है कि अबकी बार ईद नही मनाएंगे बाज़ारों में जाकर कोई कपडे की खरीदारी नही करेंगे। जो पैसा बचेगा उस पैसे को गरीबो में खर्च करेंगे ताकि मेरा कोई भी भी भूखा न रहे। मीडिया से बात करते हुए बताया कि इस रमजान के महीने में फितरा अपना और अपने बच्चों का अगर अनाज हो तो 02 किलो 45 ग्राम प्रति आदमी पर लागू होता है। या उसकी कीमत 41 रुपये प्रति आदमी के हिसाब से इस महामारी में गरीबो में वितरण करे। इसके साथ साथ अपने मदरसों का भी ख्याल करे।


गृहमंत्री ने पत्र लिखकर जताया दुख

नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर राज्य सरकार के रवैये पर दुख जताया है। गृहमंत्री ने कहा कि यह दुखद है कि राज्य के प्रवासी श्रमिकों को वापस भेजने के क्रम में केंद्र को बंगाल सरकार से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है। शाह ने ममता मुखर्जी पर प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई जाने वाली श्रमिक ट्रेनों को मंजूरी नहीं देने का भी आरोप लगाया है।
गृहमंत्री ने ममता बनर्जी को लिखे पत्र में कहा कि पश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिकों को दूसरे राज्‍यों से बंगाल पहुंचाने वाली श्रमिक रेलगाड़ियों को राज्य सरकार द्वारा अनुमति नहीं प्रदान करना पश्चिम बंगाल के श्रमिकों के साथ अन्‍यायपूर्ण है। राज्य सरकार का यह पश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिकों को कठिन परिस्थिति में धकेल सकता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अभी तक दो लाख से ज्‍यादा प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्‍य पहुंचा चुका है। बस पश्चिम बंगाल सरकार के असहयोग की नीति के चलते वहां के प्रवासी श्रमिकों को परेशानी हो रही है।
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में हर रोज कोरोना के नए मामले सामने आने के साथ कंटेनमेंट जोन की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। वर्तमान में राज्य में कुल कंटेनमेंट जोन की संख्या 561 तक पहुंच गई है। वहीं पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमितों की 1678 है, जिसमें 88 की मौत हो चुकी है और 1195 केस एक्टिव हैं।


रेल हादसे के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार

बृज बिहारी दुबे


नई दिल्ली। देशभर में जारी कोरोना वायरस महामारी के बीच लॉकडाउन की मार झेल रहे प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा को लेकर कांग्रेस नेती पी. चिदंबरम ने केंद्र को दोषी ठहराया है। उनका कहा है कि कांग्रेस ने बहुत पहले ही गरीब मजदूरों की दिक्कतों को सरकार के सामने रखा था लेकिन केंद्र ने उनकी बातों पर ध्यान ही दिया। ऐसे में जब महाराष्ट्र में रेल हादसे में प्रवासी मजदूरों की जान गई है तो ये सरकार मगरमच्छ के आंसू बहा रही है।
पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने शनिवार को कहा कि लॉकडाउन के बाद समाज के कई वर्गों की समस्याओं को लेकर कांग्रेस पार्टी ने सरकार से लोगों को मदद पहुंचाए जाने की मांग की थी। चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, “बिना नौकरी, खाना और पैसे की के कारण फंसे प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे को सबसे पहले कांग्रेस ने उठाया था। कांग्रेस ही थी जिसने कहा था कि सबसे गरीब 50 फीसदी परिवारों को नकद और अनाज दिया जाना चाहिए और इस सुविधा का लाभ प्रवासी श्रमिकों को मिलना चाहिए। हालांकि सरकारों ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया।
कांग्रेस ने ही अपने गृह राज्य जाने वाले प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था की बात को उठाया था, जिस पर फैसला लेने में केंद्र ने 38 दिन लगा दिए। वो कांग्रेस ही है जिसने लोगों का ध्यान इस ओर खींचा की लॉकडाउन की स्थिति में ट्रेन और बसों का संचालन बंद होने के बावजूद हजारों लोग पैदल ही घर के लिए निकल रहे हैं। पार्टी की इस चेतावनी पर भी केंद्र की मोदी सरकार ने ध्यान नहीं दिया गया। अब जब महाराष्ट्र में रेल हादसे में प्रवासी मजदूरों की जान गई है तो केंद्र सरकार मगरमच्छ के आंसू बहा रही है।” उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि हमारे राजमार्गों और रेलवे पटरियों पर हर रोज ऐसी त्रासदी देखने को मिलती है लेकिन केंद्र सरकार ही है जिसे ये सब दिखाई नहीं देता।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने प्रवासी श्रमिकों के राहत व बचाव कार्य को केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री के नेतृत्व में मल्टीमॉडल एजेंसी का गठन किया जाए। उन्होंने यहां तक कहा कि अगर इस मानवीय संकट को हल करने क लिए सशस्त्र बल के समर्थन की जरूरत पड़ती है तो उसे भी आजमाना चाहिए। इस दौरान औरंगाबाद दुर्घटना को लेकर पटेल ने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रवासी श्रमिकों की समस्या को संभालने में रेल मंत्रालय पूरी तक असमर्थ है।


लॉक डाउन के बाद बढ़ेगा संक्रमण

नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारी डॉ. डेविड नाबारो ने कहा है कि भारत में कोरोना वायरस के केस इसलिए कम हैं। क्योंकि यहां की सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए जरूरी कदम बहुत जल्दी उठा लिए थे। उन्होंने यह भी कहा कि नियंत्रण से पहले जुलाई में यह बीमारी अपनी चरम पर होगी। उन्होंने कहा, एक बार जब लॉकडाउन हटा लिया जाएगा तो और ज्यादा केस आएंगे लेकिन लोगों को इससे घबराना नहीं चाहिए। आने वाले महीनों में और ज्यादा केस आएंगे लेकिन उनमें स्थिरता बनी रहेगी।



उन्होंने आगे कहा कि लॉकडाउन हटने के बाद केसों की संख्या में छुटपुट बढ़ोत्तरी होगी। लेकिन इसके बाद इसमें नियंत्रण पा लिया जाएगा। डॉ. नाबारो ने कहा कि वह इस बात से सहमत हैं कि जुलाई के आखिरी तक केस बढ़ेंगे लेकिन आगे हालात सुधर जाएंगे। उन्होंने लॉकडाउन की वजह से कोविड-19 का संक्रमण फैलने से रुक गया है. लेकिन महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और दिल्ली सहित कुछ शहरी इलाकों में फैला भी है। लेकिन तुरंत उठाए गए कदमों से भारत ने इसको फैलने नहीं दिया. जहां आबादी का इतना घनत्व हो वहां पर इसको नियंत्रित करना काफी मुश्किल होता है। उन्होंने कहा कि भारत में अभी जितने केस हैं वह आबादी के हिसाब से काफी कम हैं। डॉ. नाबारो का कहना है कि इस बीमारी से बुजुर्गों की काफी मौतें हुई हैं लेकिन भारत में यह आंकड़ा भी काफी कम है। गौरतलब है कि भारत में अब तक 56,000 केस सामने आ चुके हैं जिसमें 1,850 की मौत हुई है।


फाइनल ईयर छात्रों की होगी परीक्षा

यूनिवर्सिटी के छात्र, नये शिक्षा सत्र के लिए ये हुआ है निर्णय, इस राज्य ने जारी किया आदेश



मुुंबई। महाराष्‍ट्र में कोरोना वायरस महामारी के चलते राज्‍य के उच्‍च शिक्षा विभाग एवं तकनीकी विभाग मंत्री ने फैसला किया है कि राज्‍य में सभी विश्‍वविद्यालयों के छात्रों को जनरल प्रमोशन दिया जाएगा। सिर्फ फाइनल ईयर के छात्रों को परीक्षा देना होगी। राज्य के उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत ने कहा, महाराष्ट्र में सभी विश्वविद्यालय के छात्रों को अंतिम वर्ष में छोड़कर COVID19 लॉकडाउन के कारण परीक्षा के बिना अगली कक्षा में पदोन्नत किया जाएगा। अंतिम वर्ष की परीक्षाएं जुलाई में होंगी।


स्नातक और स्नातकोत्तर के अंतिम वर्ष के छात्र ही परीक्षा देंगे, जबकि प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों को अगली कक्षा में प्रोन्नति दी जाएगी। प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों को अगली कक्षा में प्रोन्नति देते समय ग्रेड और अंक दिए जाएंगे। परीक्षा एक जुलाई से 30 जुलाई के बीच होगी। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन की वजह से 13 गैर कृषि विश्वविद्यालयों की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई थीं। यदि कोई छात्र अपने ग्रेड से संतुष्ट नहीं होता तो वह परीक्षा में बैठने का विकल्प चुन सकता है।
इस संबंध में विश्वविद्यालय स्तर पर निर्णय लिया जा सकता है। यदि छात्र इस परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो जाता है तो उसे अगली कक्षा में प्रोन्नति दे दी जाएगी, लेकिन उस विषय की दुबारा परीक्षा देनी होगी, जिसमें वह फेल हुआ है। नया शैक्षणिक सत्र विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशों के अनुरूप एक सितंबर से शुरू हो। सभी परीक्षाओं के परिणाम की घोषणा 15 अगस्त को की जाएगी।सामंत ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे के साथ चर्चा के बाद निर्णय किया गया।


नौकरी करने वालों के लिए बुरी खबर

नई दिल्ली। अगर आप किसी कंपनी में नौकरी करते हैं तो यह खबर आपके लिए है। साल में आपको जो बोनस मिलता है और महीने में सैलरी के जो मिनिमम रुपये मिलते हैं, उस पर कंपनियों की नजर है। कंपनियां चाहती हैं कि दो-तीन साल के लिए ऐसा नियम बन जाए कि यह देना ही न पड़े। कंपनी अपने हिसाब से नियम बनाकर ऐसा करना चाहती हैं। कंपनियों ने ये सुझाव केंद्र सरकार को दिए हैं। कंपनियों की ये बात अगर सरकार ने मानी तो यह नियम लागू भी हो सकते हैं। एम्प्लॉयर्स एसोसिएशन के तत्वाधान में कंपनियों के प्रतिनिधि श्रम मंत्री संतोष गंगवार से मिले। फिर एसोसिएशन ने कुछ सुझाव दिए हैं। सरकार से अनुरोध किया गया है कि दो-तीन साल के लिए लेबर कानूनों में छूट दी जाए ताकि कर्मचारियों को न तो मिनिमम वेज देना पड़े और न ही बोनस देना पड़े। जो सैलरी वर्कर्स को देंगे या जो दिहाड़ी वर्कर्स को देंगे वो Corporate Social Responsibility के अंतर्गत आए। इसके तहत कंपनियों को भलाई के काम में सरकार छूट देती है। यह भी कहा कि काम करने के वक्त को 12 घंटे तक बढ़ा दिया जाए। श्रमिकों के साथ होने वाले विवाद के लिए डिस्प्यूट एक्ट में भी छूट दी जाए ताकि लेबर मामलों में मुकदमेबाजी का चक्कर कम हो.कारखाना चलाने के लिए मिनिमम 50% कर्मचारी की अनुमति दी जाए। अभी‌ लॉकडाउन खुलने के बाद एक तिहाई कर्मचारी के लिए अनुमति मिली है।
पीएम गरीब कल्याण योजना में पीएफ वाली योजना का फायदा कंपनियों को ज्यादा दिया जाए। इस योजना में सरकार कर्मचारी और कंपनी दोनों का हिस्सा सरकार जमा करती है। इसके अलावा कंपनी चलाने के लिए सरकार पैकेज दे, साथ ही बिजली की सप्लाई पर सब्सिडी दी जाए।


स्वास्थ्य विभाग में 17 हजार पदों पर भर्ती

 महाराष्ट्र सरकार स्वास्थ्य विभाग में करेगी 17,000 पदों पर भर्ती


मुंबई। महाराष्ट्र कोरोना वायरस के मरीजों की बढ़ती संख्या से जूझ रहा है, ऐसे में महाराष्ट्र सरकार राज्य भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग में 17,000 रिक्त पदों पर भर्ती करने की योजना बना रही है। उम्मीद जताई जा रही है नियुक्ति की प्रक्रिया लॉकडाउन के दौरान ही की जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने गुरुवार को कहा कि सरकार अगले दो दिनों में प्रमुख स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पदों को भरने के लिए भर्ती निकालेगी। जो कोरोना वायरस प्रकोप के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।


उन्होंने कहा, अगले दो दिनों में, मैं मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के साथ मिलकर पता लगाऊंगा कि राज्य भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग में 17,000 रिक्त पदों को कैसे भरा जाए। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन देशभर में 17 मई तक जारी है, लेकिन हम योग्य लोगों की भर्ती के लिए एक समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं। क्योंकि सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत कुछ भर्तियां होनी अभी बाकी है।


महाराष्ट्र के बाद गुजरात बना सिरदर्द

मुंबई। कोरोना वायरस के मामले में महाराष्ट्र के बाद गुजरात सबसे बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। गुजरात में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और यह आंकड़ा 7 हजार पार कर चुका है। इस बीच एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया सहित विशेषज्ञों की एक टीम अहमदाबाद भेजी गई है। माना जा रहा है कि एम्स डायरेक्टर को केंद्र सरकार ने अमहदाबाद की स्थिति को देखने और वहां के डॉक्टरों को गाइड करने के लिए भेजा गया है।


आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि केंद्र से मिले निर्देशों के बाद गुलेरिया और एम्स के मेडिसिन विभाग के डॉ मनीष सुनेजा शुक्रवार शाम भारतीय वायु सेना के विशेष विमान से अहमदाबाद रवाना हुए। ये दोनों सिविल अस्पताल और एसवीपी अस्पताल का दौरा करेंगे और वहां के डॉक्टरों को कोरोना से निपटने में गाइड करेंगे। एक अधिकारी के मुताबिक, ‘वे अहमदाबाद के सिविल अस्पताल और एसवीपी अस्पताल का दौरा कर हालात का जायजा लेंगे। दोनों विशेषज्ञ डॉक्टरों से बात करके फीडबैक देंगे और फिर रवाना हो जाएंगे।’ गौरतलब है कि एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बीते दिनों ही कहा था कि भारत में कोरोना वायरस जून-जुलाई में अपने चरम पर होगा। गुजरात में बीते 24 घंटे में कोविड-19 के 390 नए मामले सामने आने के बाद शुक्रवार को संक्रमितों की संख्या बढ़कर 7,403 हो गई है। प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) जयंती रवि ने बताया कि बीते 24 घंटे के दौरान 24 लोगों की मौत के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 449 हो गई। उन्होंने बताया कि 163 मरीजों को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी भी दी गई। राज्य में अभी तक 1,872 संक्रमित लोग स्वस्थ हो चुके हैं। अभी तक कुल 1,05,387 नमूनों की जांच की गई है।


उन्होंने कहा, ‘गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के अनुरोध पर केन्द्र सरकार ने एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया और डॉक्टर मनीष सुरेजा को शनिवार को गुजरात भेजने का फैसला किया है ताकि मृत्युदर कम करने में राज्य की मदद की जा सके।’


सोने में निवेश के लिए सुनहरा मौका

सोने में निवेश के लिए एक और मौका, 11 मई से इस भाव पर सोना बेचेगी मोदी सरकार
नई दिल्ली। मोदी सरकार सोने में निवेश के लिए एक और मौका 11 मई से देने जा रही है। आप अगर कोराेना संकट के बीच सबसे सुरक्षित निवेश माने जाने वाले गोल्ड में निवेश करना चाहते हैं तो यह आपके लिए स्वार्ण बॉन्ड में निवेश का सुनहरा मौका है। सरकारी स्वर्ण बांड की अगली किस्त के लिए निर्गम मूल्य 4,590 रुपये प्रति ग्राम तय किया गया है। अप्रैल सीरीज में गोल्ड बांड का भाव 4,639 प्रति ग्राम तय किया गया था। भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को एक बयान में इसकी जानकारी दी।सॉवरेन गोल्ड बांड योजना 2020-21 की दूसरी श्रृंखला 11 मई 2020 से खुलकर 15 मई 2020 तक अभिदान के लिए खुली रहेगी। पहली श्रृंखला जारी करते समय स्वर्ण बांड का निर्गम मूल्य 4,639 रुपये प्रति ग्राम था।


रिजर्व बैंक ने पिछले महीने कहा था कि सरकार 20 अप्रैल से सितंबर तक, छह चरणों में सॉवरेन स्वर्ण बांड जारी करेगी। भारत सरकार की ओर से ये बांड रिजर्व बैंक जारी करेगा। भारत सरकार ने ऑनलाइन आवेदन करने वाले और डिजिटल माध्यम से भुगतान करने वाले निवेशकों को निर्गम मूल्य में 50 रुपये ग्राम प्रति ग्राम की छूट देने का निर्णय लिया है। ऐसे निवेशकों के लिये स्वर्ण बांड की कीमत 4,540 रुपये प्रति ग्राम होगी।


पहली सीरीज में 822 करोड़ का निवेश


पहली सीरीज में 20 अप्रैल से लेकर 24 अप्रैल के बीच इसका सब्सक्रिप्शन हो चुका है। पहली किस्त 28 अप्रैल को जारी की गई। गोल्ड बांड की अप्रैल सीरीज को लेकर निवेशकों में जबरदस्त क्रेज दिखा है। आरबीआई द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक अप्रैल सीरीज को 17.73 लाख यूनिट के लिए करीब 822 करोड़ का सब्सक्रिप्शन मिला। यह अक्टूबर 2016 के बाद सबसे ज्यादा सब्सक्रिप्शन है। अप्रैल सीरीज में गोल्ड बांड का भाव 4,639 प्रति ग्राम तय किया गया था।


'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन

'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन   मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए स्कूली बच्चों ने निकाला रैली कौशाम्बी। एन डी कान...