शनिवार, 11 अप्रैल 2020

इंदौर में 3 कोरोना संक्रमित ने तोड़ा दम

इंदौर। शहर में 24 घंटे में कोरोना वायरस संक्रमण 7 लोगों की मौत हो गई। देर रात जारी रिपोर्ट में 3 और मौतों की पुष्टि की गई है। इनको मिलाकर इंदौर शहर में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 30 पहुंच गई है। शुक्रवार शाम तक जहां 4 मौत की पुष्टि हुई थी। वहीं इंदौर मेडिकल कॉलेज ने शनिवार अलसुबह 4 बजे तीन और मौत की पुष्टि की, इसमें से एक की मौत 8 अप्रैल को हुई थी। जबकि दो की मौत 10 अप्रैल को हुई थी।
शुक्रवार को कोरोना वायरस से प्राइवेट प्रैक्टिशनर डॉक्टर की मौत हो गई। गुरुवार को भी इंदौर में एक निजी चिकित्सक की मौत कोरोना वायरस के संक्रमण से हुई थी। शाम को आई रिपोर्ट में शहर में 14 नए मरीज मिले। इसी के साथ कुल पॉजिटिव की संख्या 249 पर जा पहुंची। यह पूरे प्रदेश में मिले कुल मरीजों का 50 प्रतिशत है। ब्रह्मबाग कॉलोनी निवासी 65 साल के जिस डॉक्टर की मौत हुई है, वह जिला आयुष अधिकारी धार रह चुके हैं। रिटायरमेंट के बाद से ही वह इंदौर में प्रैक्टिस कर रहे थे। ब्रह्मबाग निवासी इस डॉक्टर के क्लीनिक में आसपास के उस क्षेत्र से भी मरीज पहुंचे थे जहां कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज अधिक संख्या में मिले थे। 2 दिन पहले ही उन्हें एमआरटीबी अस्पताल में भर्ती किया गया। इसके पहले किसी प्राइवेट अस्पताल में उनका उपचार किया जा रहा था। मौत की पुष्टि सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जड़िया ने की है।
शुक्रवार को 14 नए मरीज सामने आए। जिन्हें मिलाकर अब कुल संक्रमित लोगों की संख्या 249 तक पहुंच चुकी है। इंदौर में अब तक कोरोना पॉजिटिव मरीजों के स्वस्थ होने की संख्या 28 हो चुकी है जो देश में सबसे अधिक है। मेडिकल कॉलेज से जारी बुलेटिन के अनुसार कुल मरीजों में से 176 मरीजों की हालत स्थिर है। 13 मरीज अभी भी गंभीर स्थिति में हैं।
इन कॉलोनियों से मिले 14 नए मरीज
रिपोर्ट के अनुसार उमेश नगर से एक ही परिवार के दो मरीज सामने आए हैं। वहीं तिलक नगर से भी दो मरीज एक ही परिवार के मिले हैं। इसके अलावा नंदन कॉलोनी, परदेसीपुरा, स्कीम नंबर 71, गुमास्ता नगर, लालबाग श्रवण कॉलोनी, पुलिस कॉलोनी, इकबाल कॉलोनी, स्वामीनारायण नगर, विहार कॉलोनी और अहिल्या पलटन से भी एक-एक मरीज सामने आए हैं।
सर्वे के दौरान मिले 304 संदिग्ध
शहर में जिन क्षेत्र से सबसे अधिक मरीज मिले हैं वहां पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा सर्वे कराया जा रहा है। इसमें 304 संदिग्ध मरीजों के सैंपल जांच के लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज भेजे गए हैं। इसके अलावा एमवाय अस्पताल से 83, सिविल हॉस्पिटल महू से 56, मयूर अस्पताल से 5, जीएचआरसी से 17, विशेष अस्पताल से 3, सिनर्जी अस्पताल से 4, डेंटल हॉस्पिटल से 44,सुयश हॉस्पिटल से 8, अरिहंत अस्पताल से 2, अरविंदो अस्पताल से 8, सीएचएल अस्पताल से 2 और बॉम्बे हॉस्पिटल से 27 सैंपल प्राप्त हुए हैं।


जरूरतमंदों की सेवा में जुटे आरएसएस

RSS भी जुटा जरूरतमदों को भोजन राशन मास्क सैनेटाइज़र आदि का वितरण करने में ।


संघ ने जरूरतमंदो की मदद के लिए नगरों व ब्लॉक में व्यापक योजना की है तैयार :- किसलय


रुड़की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी  कोरोना वायरस से लड़ाई में जुटा हुआ है संघ लोकडाउन में मजदूरों,किराये का कमरा लेकर रह रहे छात्रों को व जरूरतमदों को भोजन,रासन,मास्क,सैनेटाइज़र आदि का वितरण कर रहा है। स्वयंसेवक शहर से लेकर गांव तक लोगो को सोशल डिस्टेंसिंग व लोकडाउन की अहमियत भी बता रहे है। आरएसएस के उत्तराखंड प्रान्त प्रचार प्रमुख किसलय कुमार ने बताया कि कोरोना से लड़ने के लिये लॉकडाउन व सोशल डिस्टनसिंग ही एकमात्र उपाय है । ऐसे में संघ ने जरूरतमंदो की मदद के लिए नगरों व ब्लॉक में व्यापक योजना तैयार की है। रुड़की नगर व आसपास में प्रत्येक बस्ती में 80 प्रशिक्षित संघ के कार्यकर्ता जिनकी टोली में 10 से 15 तक कार्यकर्ता अपनी अपनी शाखा छेत्रो में सेवा कार्य कर रहे है। अभी तक 820 परिवारों को राशन किट दी गई है, 2600 तैयार भोजन पैकेट , 25 घुमंतू परिवारों को खाद्य सामग्री दी गयी, 850 मास्क वितरित किये गए , 380 सेनेटाइजर जरूरतमंदों को वितरित किये गए इसी के साथ ही पुलिस प्रशासन को सहयोग करने की दृष्टि से 50 कार्यकर्ता आवश्यकता अनुसार लगे हुए है। इसके साथ ही सफाई कर्मचारियों का सम्मान शहर में अनेक स्थानों पर मास्क, सेनेटाइजर, फल व पुष्प वर्षा करके किया जा रहा है। आकश्मिक सेवाओ के लिए प्रशाशनिक सहयोग प्रदान करने के लिए 10 स्वयंसेवक सुचिबध किये गए है। वृद्धजनों व असहायो को आवश्यक सामग्री व दवाई आपूर्ति के लिए 30 स्वयंसेवक सेवा में लगे है। दुकानों पर गोले आदि बनाने के लये 43 कार्यकर्ताओ ने सहयोग किया है इसके साथ ही शाखाओ ने लॉकडाउन का प्रचार करने के लिए लाउडस्पीकर से भी समाज को सूचित किया है इसके अलावा स्वयंसेवक इलाको को सनेटाइज़ भी कर रहे है साथ ही संघ का संगठन सेवा भारती के माध्यम से पुलिस के वाहनों को व ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों को भी सनेटाइज़ कर रहा है । कच्चे राशन की आवश्यकता वाले परिवरों को चिन्हित कर उन तक रासन पोहोचाया जा रहा है घुमंतू पशुओ के लिए गौसेवा विभाग द्वारा चारे की व्यवस्था की जा रही है इस अभियान में डॉ बृजपाल, प्रवेश , तेजपाल , विवेक, राजपाल, संजय कक्कड़, नर सिंह , अमित, अंग्रेशपाल, क्रांति, त्रिभुवन , बालेश , महेंद्र काला , अनुज , रमेश , वीरेंद्र , मयंक भाटिया , वंशज, जलसिंह , प्रवीण ,अमित,जितेंद्र,सोनू, अरविंद , मनोज , मोहित अग्रवाल , सुशील मधोक , राजेश , डॉ विनोद , सुधांशु वत्स , अवनीश , आकाश , संजीव , अनिल गोयल , नितिन , नवीन , सहदेव , संजय कुमार आदि कार्यकर्ता लगे हुए है।


बेहाल दुनिया को चीन का सहारा

कोरोना से बेहाल दुनिया को चीन का सहारा
नई दिल्ली। चीन के शहर कोरोना के कहर को कमोबेश शिकस्त देने के बाद अब चीन में जिंदगी पटरी पर तेजी से लौट रही है। हालांकि, इसे पूरी तरह से सामान्य होने में अभी और लंबा वक्त लग सकता है। कोरोना के कारण सर्वाधिक प्रभावित हुए वुहान शहर में बाजार-दफ्तर और फैक्ट्रियां अब धीरे-धीरे खुल रहे हैं। आपको याद होगा कि चीन सरकार ने एक करोड़ से अधिक आबादी वाले औद्योगिक शहर वुहान में जनवरी के अंत में लॉकडाउन लगा दिया था, ताकि कोरोना वायरस को फैलने से रोका जाए। लगभग साढ़े तीन महीने लॉक डाउन के कदम के नतीजे तो बेहतर आए। अब स्थिति वह है कि चीन की ग्रेट वॉल में भी पर्यटक आने लगे हें। हालांकि, उनकी संख्या काफी कम ही है। चीन में ये स्थितियां तब की हैं, जब सारी दुनिया में कोरोना से बचने के लिए कहीं लॉकडाउन लगा हुआ है तो कहीं बिना लॉकडाउन के हाहाकार मचा हुआ है। अभी किसी को कोई आइडिया नहीं है कि हम कोरोना पर कब पूरी तरह काबू पा लेंगे। दुनिया भर के लोग अपने-अपने घरों में कैद है। यानी चीन एक तरह से अब आर्थिक लाभ की स्थिति में आ गया हैं। जब सारी दुनिया में विभिन्न वस्तुओं की मांग बढ़ने लगेगी तो वे चीन की तरफ ही तो देखेंगे। चीन से ही उन्हें आपूर्ति होगी। क्योंकि, उनके अपने देशों में तो उत्पादन ठप पड़ा हुआ है। इसमें कमोवेश भारत भी शामिल है। भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को तो चीन ने घुटनों के बल पर लगाकर खड़ा कर दिया है। वैसे, इसमें हमारी अपनी काहिली भी कम नहीं है कि हमने अपने को आत्मनिर्भर बनाने की पर्याप्त चेष्टा ही नहीं की। चीन से भारत बनी-बनाई चीजें, खासकर तरह-तरह की मशीनरी, टेलिकॉम उपकरण,बिजली के सामान, खिलौने, इलेक्ट्रिकल मशीनरी व उपकरण, मैकेनिकल मशीनरी व उपकरण, बने-बनाये फर्नीचर प्रोजेक्ट गुड्स, जेनेरिक दवाएं बनाने के लिए जरूरी कच्चा माल, आर्गेनिक केमिकल, लौह व इस्पात आदि प्रमुख चीजें मंगाता है। वैसे भारत में यह सामर्थ्य और शक्ति दोनों ही विधमान है कि हम इनमें से ज्यादातर चीजे देश के भीतर खुद ही और ज्यादा बढ़िया बना सकते हैं । पिछले कुछ सालों से बिजली व दूरसंचार उपकरणों के आयात में काफी तेजी आई है।
हालांकि चीन की अर्थव्यलस्था भी फिलवक्त कोरोना के असर के कारण लगभग निचुड़ सी चुकी है। पर उसमें अपने को खड़ा करने की क्षमता, शक्ति और अनुशासन तो है ही । चीन में भी फैक्ट्रियों में उत्पादन तेजी से घटा है। विदेशों से होने वाली मांग भी कम होती जा रही है। चीन का पिछले साल (जनवरी-फरवरी)की तुलना में इस साल इन दो महीनों में आयात 17.2 फीसद घटा है। चीन से मिल रही पुख्ता जानकारियों के अनुसार, वहां पर फैक्ट्री उत्पादन इस माह के अंत तक ही काफी हद तक गति पकड़ने लगेगा। तो यह समझ लें कि कोरोना की मार से उबरता चीन अब दुनिया को तमाम जरूरी वस्तुओं की सप्लाई करके अरबों डॉलर कमाएगा। वह अब इस आर्थिक आन्दोलन की तैयारी में जुट गया है । जब चीन में कोरोना का प्रभाव अपने चरम पर था, तब वहां से अन्य देशों के उद्योगों को जरूरी माल की सप्लाई थम सी गई थी। इसके चलते अन्य देशों को 50 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। संयुक्त राष्ट्र ने यह आंकड़ा जारी किया है। पिछले जनवरी महीने में कोरोना और चीनी नव वर्ष के कारण हुए अवकाश में लाखों मजदूर अपने घरों को भी चले गए थे। इस कारण वहां पर फैक्ट्री उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित हुआ था। पर जैसा की पहले उल्लेख किया जा चुका है, वहां पर हालात सुधरने के बाद अब 70 फीसद कंपनियां सक्रिय हो गई हैं, जो मुख्य रूप से अपने माल का विश्व भर में एक्सपोर्ट ही करती हैं। इस तरह का दावा चीन के वाणिज्य मंत्रालय का है। न्यूयार्क टाइम्स और दि ग्राजियन जैसे अखबारों का दावा है कि चीन के अति महत्वपूर्ण आधुनिक शहर शिंघाई में नाइट क्लब चालू हो गए हैं। वहां पर लोग मदिरापान अब निश्चिन्त होकर पहले की तरह ले रहे हैं । मैं शिंघाई 1990 में गया था । उस समय भी वह मुम्बई से ज्यादा आधुनिकता से ओत प्रोत लग रहा था। मेरी अनुवादक एक सरकारी डॉक्टर नवयुवती थी जो अतिरिक्त कमाने के लिये अनुवादक का काम कर रही थी ।मैंने उससे पुछा कि तुम्हारे पिता प्रोफेसर हैं,माता नर्स है,तुम डॉक्टर हो । यह ठीक है कि सरकारी नौकरी में पैसा ज्यादा नहीं मिलता,पर बांड समाप्त होने पर प्राइवेट अस्पताल में काम तो मिल सकता है ? उसने बहुत ही बेबाकी से कहा कि मुझे इंतजार नहीं करना । जल्दी-जल्दी ढेर सारे पैसे कमाकर अमेरिका भागना है और वहां डॉक्टर की जॉब पानी है और किसी बड़े पैसे वाले अमेरिकी लड़के से शादी करके मौज की जिन्दगी बितानी है । मैंने पूछा कि अपने माँ-बाप को अकेले छोड़कर चली जाओगी? उसने शरारत भरे नजरों से मुस्कराते हुये कहा, “जब अमरीकी पति हो जायेगा तब मुझे भी नागरिकता मिल जायेगी अमेरिका की और तब मेरे मम्मी-पापा को भी तो वहां का ग्रीन कार्ड मिल ही जायेगा न ? यह तो 1990 में चीन की नवयुवतियों की मानसिकता थी,तब आज के दिन क्या होगी यह तो कोई भी कल्पना कर ही सकता है ? और तो और, उनमें आने वाले लोग मास्क भी नहीं पहन रहे। इससे साफ है कि चीन में जीवन अब तो सामान्य होने ही लगा है। उधर, बीजिंग की मुख्य सड़कों पर यातायात भी रफ्तार पकड़ रहा है। यानी लोगबाग घरों से कामकाज के लिए निकल रहे हैं। आम जनता को पार्कों में घूमते हुए भी देखा जा सकता है।
 यानी चीन ने तो अब भले ही सख्त अनुशासन के बल पर ही,मोटा-मोटी कोरोना पर विजय पा ली है। यह खबर शेष दुनिया के लिए सुकून देनी वाली तो है ही । पर अभी तो ऐसा ही लगता है कि सारी दुनिया को चीन के आयात पर निर्भर रहना होगा। अगर बात दुनियाभर की प्रमुख फार्मा सेक्टर की कंपनियों की करें तो वे अपनी जेनेरिक दवाएं बनाने और उनके निर्यात करने में काफी हद तक चीन पर ही निर्भर रहती है। इन्हें दवाओं के उत्पादन लिए चीन से एक्टिव फ़ार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट्स (एपीआई) आयात करना पड़ता है। इसे आप दवाइयां बनाने का कच्चा माल कह सकते हैं। अगर बात भारत की करें तो इन दवाओं को बनाने के लिए लगभग 75 प्रतिशत कच्चा माल तो चीन से लेना पड़ता है। जमीनी हकीकत तो यही है,आज के दिन । तो आप समझ ही सकते है कि भारत की फार्मा कंपनियों के सामने इस वक्त कितना बड़ा संकट पैदा हो चुका है। अभी से ही बाजारों से आंखों में प्रेशर खत्म करने के लिए डाली जानी वाली दवा लुमिगिन गायब है। इसकी वजह यही है कि इसे भारतीय कंपनियां बना ही नहीं पा रही है, क्योंकि उनके पास कच्चा माल ही नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल करीब दस दवाएं ऐसी हैं जिनका उत्पादन चीन के कच्चे माल से ही संभव है। यह सच में एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि हमारा फार्मा सेक्टर बहुत हद तक चीन पर आश्रित है। भारत ने साल 2018-19 में दुनिया के 150 से भी अधिक देशों में 9 करोड़ डॉलर से अधिक मूल्य की दवाएं निर्यात कीं थीं। पर यह हुआ तो इसलिए क्योंकि हमें चीन से लगातार कच्चा माल मिल रहा था। एक संकेत अब साफ नजर आ रहा है कि कोरोना से खस्ताहाल भारत की अर्थव्यवस्था को चीनी मदद की जरूरत तो पड़ती रहेगी। अच्छी बात ये है कि डोकलम विवाद के बाद दोनों देशों के शिखर नेताओं भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिन की समझदारी से दोनों देशों के संबंध मधुर हो रहे हैं। चीनी राष्ट्रपति पिछले साल भारतके दौरे पर आए भी थे। तब उनका भारत में अभूतपूर्व स्वागत भी हुआ था। हालांकि इसमें कोई शक ही नहीं है कि 1962 के युद्ध की कड़वी यादें अब भी भारतीय जनमानस के जेहन ताजा हैं। फिर जो कुछ भी कहिए, भारत और चीन ने एक सार्वभौम पडोसी राष्ट्रों के रूप में द्विपक्षीय रिश्ते में एक लम्बी दूरी तय कर ली हैं। चीनी कंपनियां भारत में भारी निवेश को लेकर खासा सकारात्मक रुख अपना रही है। दिल्ली से सटे गुरुग्राम में हजारों चीनी नागरिक भी रह रहे हैं। ये भारत में कार्यरत विभिन्न चीनी कंपनियों के पेशेवर हैं। मतलब चीन का प्राइवेट सेक्टर अब भारत से संबंध सुधारना चाहता है। उसे भारत के विशाल बाजार की जानकारी है, और मजे की बात तो यह है कि चीन की सभी देशी- विदेशी कंपनियों में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी यानि चीन की सरकार का उन्से 50 प्रतिशत शेयर होता है । कोरोना की मार से उबरते चीन की तरफ सारी दुनिया आज आशा भरी निगाहों से देख रही है। भारत भी इसमें अछूता नहीं है। अब चीन का दायित्व है कि वे कोरोना से बेहाल दुनिया के जख्मों पर मरहम लगाए। हां, इस क्रम में उसकी अर्थ व्यवस्था तो विकास की बुलंदियों की तरफ बढती ही रहेगी।


सेवा प्रदाता को मास्क अनिवार्यः डीएम

जौनपुर। जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि जनपद में खाद्यान्न, सब्जी, किराना, पशु चारा, दूध, फल आदि के थोक और फुटकर दुकाने सभी पूर्व की भांति सुबह 6.00 बजे से 11.00 बजे तक खुलेगी। मेडिकल की दुकानें 24 घंटे खुली रहेंगी। उन्होंने बताया कि जौनपुर शहर के बाहर से भी कुछ फुटकर दुकानदार शहर में थोक दुकानदारों के पास सामान लेने आते हैं और वह गाड़ी लेकर आते हैं उनको कोई न रोके, उनको आने दिया जाए। खाद्यान्न सामग्री से लदे हुए या खाली खाद्यान्न सामग्री को ढोने वाली किसी गाड़ी को रोका नहीं जाएगा। जो फुटकर दुकानदार सामान खरीदने आ रहे हैं उनको भी न रोका जाए। थोक सब्जी मंडी में थोक विक्रेता व फुटकर विक्रेता और उनके कर्मचारियों को भी आने जाने से न रोका जाए। किराना के फुटकर दुकानदार अपनी दुकान पर सामान इस शर्त के साथ बेच सकेंगे कि वे एक-एक मीटर दूरी पर अपनी दुकान के सामने गोले बनाएं और उपभोक्ता उन्हीं गोलो में खड़े हो। इसके लिए दुकानदार स्वयं व्यवस्था भी सुनिश्चित करेंगे। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी अपने भ्रमण के दौरान भी यह  सुनिश्चित कराएंगे। जिलाधिकारी ने जनता से भी अपील किया है कि अनावश्यक रूप से बाजारों मे न जाए। डोर स्टेप डिलीवरी की भी व्यवस्था है वह आपके घर के सामने आएंगे और आप फल, सब्जी, खाद्यान्न सामग्री उनसे खरीद सकते हैं। बहुत मजबूरी हो तो अपने मोहल्ले की दुकान से खरीदारी करें। अपने मोहल्ले के दुकानदार का फोन नंबर अपने पास रखें, उसको फोन करके अपने सामान का आर्डर कर दे और वह आपके घर सामान पहुंचा देगा। सभी सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करें, बिना मास्क लगाए कोई भी घर के बाहर नहीं निकलेगा। दुकानदार एवं दुकान के कर्मचारी भी मास्क लगाकर के ही रहेंगे और सोशल डिस्टेंसिग को हर हाल में खुद पालन करेंगे और पालन करवाएंगे। थोक और फुटकर व्यापारी अपने कर्मचारियों का भी पास बनवा ले, जिससे कोई पुलिस वाला उनको रास्ते में रोकें नहीं। फिरोसेपुर का क्षेत्र, बड़ी मस्जिद का क्षेत्र व लाल दरवाजा का चिन्हित क्षेत्र जहां कोरोना वायरस पीड़ित केस मिले हैं, चिन्हित क्षेत्रों मे न कोई दुकान खुलेगी न कोई घर के बाहर निकलेगा। वहां डोर स्टेप डिलीवरी शतप्रतिशत होगी।


कुछ शर्तो के साथ बिकेगा मीट-मछली

लखनऊ। लॉकडाउन में ठप पड़े मीट-मछली के कारोबार को कुछ शर्तों के साथ शुरू कराने की तैयारी है। इसके तहत मुर्गे के मांस और मछली की अलग-अलग दुकानें खुलवाई जाएंगी और वहां सोशल डिस्टेंसिंग एवं साफ सफाई के निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाएगा। केंद्र सरकार ने मीट-मछली एवं अंडे के उत्पादन एवं उसके कारोबार को अत्यावश्यक वस्तु एवं सेवाओं में शामिल किया है। राज्य सरकार ने भी केंद्र के दिशा-निर्देशों को आत्मसात करते हुए इन्हें आवश्यक वस्तु एवं सेवा के रूप में स्वीकार तो किया लेकिन गंदगी की वजह से इसकी बिक्री पर रोक लगा दी। लगातार बंदी के कारण अब इस क्षेत्र में लगे उत्पादक एवं कारोबारियों के आर्थिक हालत बिगड़ते जा रहे हैं। बीते 24 मार्च से लेकर 2 अप्रैल तक राज्य सरकार ने मीट,मछली एवं अंडे के उत्पादन एवं उसकी बिक्री को आवश्यक सेवा में शामिल करने संबंधी आदेश एवं दिशा-निर्देश जारी कर सभी जिला प्रशासन तो जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। 2 अप्रैल को मुख्य सचिव द्वारा जारी सर्कुलर में मीट, मछली ऑफ अंडे के कारोबार को सुचारू रूप से चलाए जाने के बारे में विस्तार से दिशा-निर्देश जारी किया गया।


कोरोना का राजनीति करण दुर्भाग्यपूर्ण

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर निशाना साधते हुए उस पर कोरोना का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है। साथ ही सरकार को याद दिलाया कि भूख का आइसोलेशन नहीं हो सकता। अखिलेश यादव ने शुक्रवार को ट्वीट कर यह तंज किया। ट्वीट में कहा गया कि कोरोना का ‘राजनीतिकरण’ दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे मूल मुद्दों से ध्यान हटता है और सरकार से पूछे जानेवाले सही क्वारंटाइन, स्क्रीनिंग, संक्रमण की जांच, इलाज तथा दूध-दवाई, सब्ज़ी-खाद्यान्न की आपूर्ति जैसे उचित प्रश्न पीछे छूट जाते हैं। सरकार याद रखे ‘भूख’ का आइसोलेशन नहीं हो सकता।


अंतिम संस्कार भी नहीं हुआ नसीब

मुंबई में फंसा लखनऊ का युवक लॉकडाउन के चलते नहीं पहुंच पाया घर
लखनऊ। देश में कोरोना का कहर जारी है। पूरे भारत में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन लागू है। जिसकी वजह से लोग बाहर फंसे हुए है और अपने घर नहीं पहुंच पा रहे है। यूपी की राजधानी लखनऊ का युवक भी मुंबई में लॉकडाउन के चलते फंसा हुआ है। जिसके कारण वह अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका। दरअसल, वह कमाने के लिए मुंबई गया था और वहीं फंस गया। इधर उनके पिता की मौत हो गई। वह अपने पिता को न कंधा दे पाया और न ही अंतिम यात्रा में शामिल हो सका। मुंबई कमाने गया युवक लॉकडाउन की वजह पिता की मौत पर घर नहीं आ पाया। उसने वीडियो कॉल पर पिता के अंतिम दर्शन कर विदाई दी। लखनऊ के ग्राम सभा जिंदौर निवासी जमाल (65) का बड़ा बेटा नेहाल मुंबई में एक कारखाने में काम करता है। करीब 6 माह पूर्व वह मुंबई गया था तब से वापस नहीं लौटा। पिता की बीमारी की खबर पाकर घर आने की तैयारी कर ही रहा था। तब तक लॉकडाउन की घोषणा हो गई और वह मुंबई में ही फंस गया। पिता की ज्यादा हालत खराब हुई तो वह बेटे को काफी याद करने लगे। बेटे के इंतजार में पिता कई दिनों से बेचैन थे। बेटे की राह देखते देखते ही गुरुवार को पिता की सांसें थम गई। घर में जमाल की पत्नी और उनके दो छोटे बेटे सवाब और साहब हैं। नेहाल अपने पिता के अंतिम दर्शन भी नहीं कर सका।


पंजाब किंग्स ने जीता टॉस, गेंदबाजी का फैसला

पंजाब किंग्स ने जीता टॉस, गेंदबाजी का फैसला  इकबाल अंसारी  चेन्नई। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2024 सीजन में चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) और पं...