मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

सौतेली बेटी से रेप करता रहा बाप

नागपुर। रिश्ते को शर्मसार करने वाला एक मामला सामने आया है। हैवान बाप अपनी सौतेली बेटी का पिछले चार साल से रेप कर रहा था। पुलिस ने सोमवार को बताया कि नागपुर में जरीपटका इलाके में एक 53 वर्षीय व्यक्ति पर उसकी नाबालिग सौतेली बेटी के साथ पिछले चार साल से बलात्कार करने का मामला दर्ज किया गया है।


एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि आरोपी अपनी सौतेली बेटी को पॉर्न वीडियो दिखाता था और घर के भीतर ही उसका रेप करता। अब वह 17 साल की है। यह वह पिछले चाल साल से किया करता था। उन्होंने कहा कि पीड़िता की मां घटना के बारे में पता चलने पर दो बार घर छोड़कर चली गई थी, मगर बाद में फिर आरोपी के पास लौट आई। हालांकि, जब 1 अप्रैल को आरोपी ने फिर उसकी बेटी का रेप किया, तो मां इस बार चुप नहीं बैठी और उनसे पुलिस से संपर्क किया और मामला दर्ज कराया। अधिकारी ने बताया कि आरोपी पिता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।


रेलवे प्रणाली-सारणी में करेगा बदलाव

नई दिल्ली। रेलवे 14 अप्रैल को लॉकडाउन खत्म होने के बाद संभावित ट्रेन परिचालन को लेकर तैयारियों में जुट गया है। कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने को लेकर कुछ प्रस्तावों पर विचार कर रहा है। इसके तहत यदि परिचालन शुरू किया जाता है तो यात्रियों को मास्क पहनने के निर्देश देने समेत उनके स्वास्थ्य की जांच करने और यात्रियों के बीच दूरी रखने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।


लॉकडाउन के मद्देनजर स्थगित की गई यात्री सेवाएं कब बहाल होंगी, इस बारे में अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है लेकिन अधिकारियों ने कहा है कि सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद इसे चरणबद्ध तरीके से बहाल किया जा सकता है। अधिकारियों ने बताया कि ट्रेन सेवाएं बहाल करने के बारे में फैसला आगामी हफ्ते में लिए जाने की संभावना है।


एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यह संवेदनशील समय है और हम फिलहाल राजस्व अर्जित करने के बारे में नहीं सोच रहे हैं। मुख्य जोर यात्री सुरक्षा पर और (कोरोना वायरस) महामारी के नहीं फैलने पर है। सरकार जब हरी झंडी दिखा देगी तब समय आने पर ट्रेनें चलेंगी। हालांकि अभी तक हमने कोई फैसला नहीं लिया है। रेलवे के विभिन्न जोनों में अधिकारी उन ट्रेनों और मार्गों को चिह्नित कर रहे हैं जिन्हें बोर्ड की मंजूरी के साथ बहाल किया जा सकता है। अधिकारियों ने कहा कि मुख्य तौर पर ध्यान इस पर देना है कि क्या प्रवासी कामगारों को ले जाने वाले मार्गों और जो लोग यात्रा नहीं कर रहे हैं तथा कोविड-19 के अत्यधिक संक्रमण वाले स्थानों पर रुके हुए हैं, को शुरू में बहाल किया जा सकता है।


उन्होंने कहा कि रेलवे को यह भी ध्यान में रखना होगा कि लॉकडाउन कैसे खुलने वाला है। यदि यह चुनिंदा तरीके से होता है तो फिर ट्रेनें सिर्फ उन्हीं इलाकों में परिचालित होंगी जहां लॉकडाउन (उस वक्त) हट गया होगा। रेलवे द्वारा 19 मार्च के उस आदेश को भी जल्दबाजी में रद्द नहीं करने की संभावना है, जिसके तहत यह कहा गया था कि अनावश्यक यात्रा को हतोत्साहित करने के लिए लॉकडाउन के बाद की भी अवधि में रोगियों, छात्रों और दिव्यांगों को छोड़ कर अन्य यात्रियों के लिए किराये में रियायत स्थगित की जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि ट्रेन सेवाएं बहाल होने के बाद यात्रियों की सुरक्षा के लिए जरूरी प्रोटोकॉल पर भी रेलवे चर्चा कर रहा है। वे ट्रेनों में सवार होने वाले यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग और अन्य तरीकों से जांच करने पर भी विचार कर रहे हैं।


रेलवे के व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण को डीआरडीओ की हरी झंडी


उत्तर रेलवे के वर्कशॉप में बने व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) के दो नमूनों को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने हरी झंडी दे दी है। इससे रेलवे इकाइयों में इनके उत्पादन का मार्ग प्रशस्त हो गया है। ये उपकरण रक्त या शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ को रोक पाने में कारगर साबित हुए हैं।
उत्तर रेलवे ने रविवार को कहा-अब इन पीपीई का विनिर्माण भारतीय रेल द्वारा किया जाएगा, इसे रेलवे अस्पतालों में कोविड रोगियों का इलाज करने वाले चिकित्सक इस्तेमाल करेंगे। उल्लेखनीय है कि देश में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे चिकित्साकर्मियों के लिए पीपीई की काफी कमी है। उत्तर रेलवे के प्रवक्ता दीपक कुमार ने बताया कि अभी रेलवे प्रतिदिन 20 पीपीई बना पा रहा है, लेकिन आने वाले हफ्तों में प्रतिदिन 100 बनाने में सक्षम होगा।


13 लाख रेल कर्मियों को आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करने को कहा


भारतीय रेलवे ने अपने 13 लाख कर्मचारियों और उनके परिवारों को स्वास्थ्य मंत्रालय के एप आरोग्य सेतु को डाउनलोड करने के लिए कहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दो अप्रैल को यह एप शुरू किया था। इस मोबाइल एप से लोगों को यह पता लगाने में मदद मिलती है कि उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमण का खतरा है या नहीं।


इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत आने वाले नेशनल इंफोर्मेटिक्स सेंटर ने विकसित किया है। रेलवे ने कहा कि यह एप भारत में कोरोना वायरस संकट से निपटने में काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। शुरू किए जाने के बाद सिर्फ तीन दिनों में ही आरोग्य सेतु एप को गूगल प्ले स्टोर से 50 लाख से अधिक लोगों ने डाउनलोड किया है। यह एप 11 भाषाओं में उपलब्ध है।


भारत की मदद को आगे आया चीन

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में भारत को चीन ने पीपीई किट दान किया है। कोरोना वायरस के संक्रमण के इलाज में चिकित्साकर्मियों के इस्तेमाल में आने वाले निजी सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) की 1.7 लाख किट चीन से भारत को सोमवार को मिल गई। स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि चीन ने भारत को कोरोना संकट से निपटने के लिये सहायता के रूप में ये किट दी हैं।


मंत्रालय के अनुसार, देश में निर्मित 20 हजार पीपीई की आपूर्ति होने के साथ ही अब अस्पतालों को 1.90 लाख पीपीई की आपूर्ति कर दी जाएगी। देश में पीपीई की मौजूदा उपलब्धता 3,87,473 हो गयी है। मंत्रालय के अनुसार राज्यों को केन्द्र सरकार की ओर से अब तक 2.94 लाख पीपीई की आपूर्ति कर दी गयी है। इसके अलावा देश में ही बने दो लाख एन95 मास्क भी अस्पतालों को मुहैया कराये गये हैं। इसके अलावा अन्य स्रोतों से मिले इस श्रेणी के 20 लाख मास्क की पहले ही अस्पतालों को आपूर्ति कर दी गयी है।


जानें क्या है पीपीई
पीपीई किट यानी पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट्स। नाम से ही स्पष्ट है कि ऐसे सामान जिससे संक्रमण से खुद को बचाने में मदद मिले। कोरोना वायरस चूंकि संक्रामक बीमारी है इसलिए इससे बचने के लिए लोग मास्क पहन रहे हैं, बार-बार हाथ साफ कर रहे हैं, लोगों से दूरी बनाकर बात कर रहे हैं। आम लोगों तो मास्क और दास्ताने का इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन कोरोना मरीजों के इलाज में लगे डॉक्टर, नर्स, कंपाउंडर और मेडिकल स्टाफ को सिर से पांव तक वायरस संक्रमण से बचाव के लिए कई तरह की चीजें पहननी होती हैं और ये सारी चीजें पीपीई किट्स हैं।


अलग-अलग बीमारियों के लिए अलग तरह के पीपीई किट्स हो सकते हैं लेकिन आम तौर पर मास्क, ग्लोव्स, गाउन, एप्रन, फेस प्रोटेक्टर, फेस शील्ड, स्पेशल हेलमेट, रेस्पिरेटर्स, आई प्रोटेक्टर, गोगल्स, हेड कवर, शू कवर, रबर बूट्स इसमें गिने जा सकते हैं। इनमें से बहुत कुछ पहने डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ हम-आप आए दिन देखते रहते हैं। इन सारी चीजों का मकसद एक ही है- मरीज से वायरस इलाज कर रहे लोगों में ना फैल जाए। हालांकि हमने दिल्ली समेत पूरे देश में देखा है कि कोरोना मरीजों का इलाज करते-करते कई डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ खुद कोरोना के मरीज बन गए हैं। हालांकि ये साफ नहीं हो पाया है कि इन लोगों में संक्रमण कैसे फैला- इलाज के दौरान पीपीई किट का इस्तेमाल नहीं हुआ या पीपीई किट पहनने के बाद भी कोरोना वायरस ने संक्रमित कर लिया।


पीपीई किट में जितने भी तरह के सामान आते हैं, सबके इस्तेमाल करने के नियम और तौर-तरीके हैं। हर सामान को पहनने का सही तरीका है। ऐसा नहीं हो तो पहनने के बाद भी संक्रमण का खतरा बना रहता है। डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ को इस्तेमाल से पहने ये देखना होता है कि किस तरह के पीपीई किट की जरूरत है। फिर उसे कैसे सही तरीके से पहनना है, एडजस्ट करना है, ये भी देखना होता है। इस्तेमाल के बाद पीपीई किट को सही तरह से कचरे में फेंकना ताकि उससे आगे किसी को संक्रमण ना हो, इसका बहुत ज्यादा ध्यान रखना होता है।


बिना कार्ड, दिल्ली में मिलेगा राशन

नई दिल्ली। बगैर राशन कार्ड वाले लोगों को मंगलवार से राशन मिलने लगेगा। दिल्ली सरकार ने इसके लिए 421 सरकारी स्कूलों में अलग से राशन वितरण केंद्र बनाए हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को इस संबंध में जानकारी दी।


उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के इस कठिन समय में हम किसी को भूखा नहीं रहने देंगे। मंगलवार से बगैर राशन कार्ड वाले लोगों को भी राशन मिलने लगेगा। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अभी ऐसे 10 लाख लोगों के लिए राशन की व्यवस्था की गई है। राशन कार्डवालों को 7.5 किलो राशन मिल रहा था, मगर बगैर राशन कार्ड वालों को 5-5 किलो राशन मिलेगा। इसमें 4 किलो गेहूं और एक किलो चावल होंगे। इसके बदले उनसे कोई पैसा नहीं लिया जाएगा।


वर्तमान में चल रही दुकानों से अलग होंगी
यह दुकानें वर्तमान में चल रही 2200 दुकानों से अलग होंगी। दिल्ली सरकार इससे पहले राशनकार्ड धारक 71 लाख लोगों को मुफ्त में राशन बांटने का काम कर रही है।


राशन वितरण केंद्रों पर भीड़ न लगाएं
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोगों से अपील की है कि सबको राशन मिलेगा, इसलिए लोग राशन वितरण केंद्र पर भीड़ न लगाएं। सांसदों, विधायकों व पार्षदों की जिम्मेदारी है कि वह अपने इलाके में सामाजिक दूरी का पालन कराएं। उन्होंने कहा कि 10 लाख लोगों की व्यवस्था की गई है। अगर जरूरत पड़ी तो और राशन आएगा, लेकिन लोग राशन लेते समय दुकानों पर भीड़ न लगाएं। कोरोना से बचने के लिए सामाजिक दूरी का ख्याल रखें।


दूरी बनाए रखें
मुख्यमंत्री राशन लेने वालों से अपील की है कि वे राशन लेते समय पर्याप्त दूरी बनाए रखें, ताकि कोरोना संक्रमण का खतरा न हो।


धर्मगुरुओं ने कहा, घर से ना निकले

नई दिल्ली। कोरोना वायरस से देश और दुनिया में जंग जारी है। पूरे देश में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है। लॉकडाउन के बीच ही 9 अप्रैल गुरुवार को शब-ए-बारात भी है। मुस्लिम समुदाय के लिए ये इबादत की रात होती है। लोग इस दिन अपने बुजुर्गों की कब्र पर जाते हैं। हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते उलेमाओं ने इस बार घर से ही इबादत करने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बाहर न निकलने की अपील की है। शब-ए-बारात की रात में कब्रिस्तान न जाने की भी सलाह दी गई है।


दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद के शाही मौलाना मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कहा कि शब-ए-बारात इबादत की रात है। इस दिन कब्रिस्तान जाना जरूरी नहीं होता है। इसीलिए सभी अपने घरों में ही रहकर इबादत करें और अपने रिश्तेदारों के अलावा पूरे मुल्क व दुनिया की सलामती के लिए दुआ करें। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने का एक यही तरीका है कि हम अपने-अपने घरों में रहें। लॉकडाउन का पालन करें और कानून को अपने हाथ में न लें।


मौलाना अब्दुल हमीद नोमानी ने कहा कि शब-ए-बारात को अपने घर से ही मनाएं. मौजूदा समय में बीमारी से अपनी और दूसरों की जान बचाना फर्ज है और ज्यादा जरूरी है। कोरोना के चलते जब दुनिया भर की मस्जिदें बंद हैं और लोग अपने-अपने घरों से नमाज पढ़ रहे हैं तो घर से ही शब-ए-बारात की रात इबादत करें। उन्होंने कहा कि कब्रों पर जाना जरूरी नहीं है, इसीलिए घरों से ही अपने बुजुर्गों की मगफरत (माफी) की दुआ करें। इस वक्त सबसे ज्यादा उनके लिए दुआ करना जरूरी है, जो लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर इस बीमारी से दूसरे लोगों की जान बचाने में जुटे हैं।


कोरोना संक्रमण के चलते उत्तर प्रदेश के सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने शब-ए-बारात के मद्देनजर सभी धर्मस्थलों (मस्जिद-मकबरा) और कब्रिस्तानों के ट्रस्टियों और प्रबंध समितियों को निर्देश दिया है कि लोगों को परिसर में प्रवेश न दें। सुन्नी वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सैयद मोहम्मद शोएब ने कहा कि शब-ए-बारात के मौके पर सभी लोग धार्मिक स्थलों और कब्रिस्तानों पर जाने के बजाय घर के ही इबादत करें। साथ ही मुस्लिम धर्मगुरुओं से अपील की है कि लोगों को घर से इबादत के लिए प्रोत्साहित करें।


लखनऊ ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि किसी भी सूरत में घरों से बाहर न निकलें और घर में रहकर ही इबादत करें। कब्रिस्तान में अपने पुरखों व परिवारजनों की कब्रों पर न जाएं बल्कि फातेहा घर पर ही पढ़ें। उन्होंने कहा कि शब-ए-बारात गुनाहों से निजात की रात है। ऐसे में हमें गुनाह से बचना भी है और जहां तक गरीबों के भोजन कराने की बात है तो इससे अच्छा और क्या मौका होगा।


शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने भी शब-ए-बारात पर कहा कि कोई भी कब्रिस्तान न जाए। आतिशबाजी कर जश्न भी न मनाए। ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने भीड़ इकट्ठा कर किसी भी आयोजन करने से मना किया। वहीं, बरेली के मौलाना फहीम अहमद अजहरी ने भी कहा कि समाज के लोग शब-ए-बारात के मौके पर घरों में ही इबादत करें और इस बार कब्रिस्तान न जाएं।


शब-ए-बारात की अहमियत


इस्लाम में शब-ए-बारात का बड़ा महत्व है। बरेली के इमाम अध्यक्ष मौलाना रिफाकत सकलैनी ने बताया कि वैसे तो साल के सभी दिन रात समान हैं, लेकिन इस्लाम में पांच रातें सभी रातों से ज्यादा अहम मानी जाती हैं। इनमें ईद की रात, बकरीद की रात, मेअराज की रात, रमजान में शबे कद्र और पांचवीं रात शब-ए-बारात है। इस रात को की जाने वाली हर जायज दुआ को अल्लाह जरूर कुबूल करते हैं, इस पूरी रात लोगों पर अल्लाह की रहमतें बरसती हैं। इस रात में पूरे साल के गुनाहों का हिसाब-किताब भी किया जाता है और लोगों की किस्मत का फैसला भी होता है।


इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से आठवां यानी शाबान के महीने की 15वीं तारीख की रात में शब-ए-बारात मनाई जाती है। इस रात को लोग न सिर्फ अपने गुनाहों से तौबा करते हैं बल्कि अपने उन बुजुर्गों की मगफिरत के लिए भी दुआ मांगते हैं जिनका इंतकाल हो चुका होता है। यही वजह है कि लोग इस मौके पर कब्रिस्तान भी जाते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते मुस्लिम उलेमाओं ने इस बार कब्रिस्तान पर नहीं जाने की अपील की है।


प्रतिदिन 8 अरब डॉलर का नुकसान

नई दिल्ली। लॉकडाउन खत्म होने की मियाद जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है, अब लोग एक ही सवाल पूछ रहे हैं कि 14 अप्रैल के बाद क्या होगा? क्या लॉकडाउन खत्म हो जाएगा या फिर इसे एक बार फिर से बढ़ाया जाएगा। या फिर कुछ ही इलाकों में लॉकडाउन से छुटकारा मिलेगा। भारत में अभी कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए एक अरब से ज्यादा की आबादी लॉकडाउन के दायरे में है। इसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान हो रहा है।


लॉकडाउन से क्रमवार तरीके से मिलेगी राहत


सरकार से मिल रहे संकेत बताते है कि 14 अप्रैल के बाद एक ही बार में देश से लॉकडाउन नहीं हटाया जाएगा। प्रधानमंत्री आवास, कैबिनेट मीटिंग, राज्य सरकारों की मीटिंग से मिल रहे संकेत बताते हैं कि देश में क्रमवार तरीके से लॉकडाउन हटाया जा सकता है। इसके लिए एक टाइमलाइन तैयार की जाएगी, जिसकी घोषणा होनी बाकी है। नरेंद्र मोदी सरकार के एक सीनियर मंत्री ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा कि सरकार Rational lockdown के आइडिया पर गौर कर रही है। इसके तहत क्रमवार तरीके से देश को लॉकडाउन से बाहर निकालने पर जोर दिया जाएगा।


लॉकडाउन की वजह से चरमरा रही अर्थव्यवस्था


सरकार का आकलन है कि लॉकडाउन की वजह से कोरोना वायरस को कंट्रोल करने में बहुत मदद मिली है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से लोगों और अर्थव्यवस्था को गहरी चोट पहुंच रही है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि एक फौरी आकलन बताता है कि भारत की रोजाना जीडीपी लगभग 8 बिलियन डॉलर है। अगर लॉकडाउन को 30 दिनों तक खींचा जाता है तो लगभग 250 बिलियन डॉलर का नुकसान देश को होगा। अगर लॉकडाउन को जल्दी हटा लिया जाता है तो वित्तीय वर्ष 2020-21 में इस नुकसान को पाटा जा सकता है। लेकिन अगर लॉकडाउन लंबा खिंचा तो रिकवरी असंभव हो जाएगी।


हालांकि सरकार के सामने चुनौती गंभीर है। कोरोना के विश्वव्यापी खतरे और दुनिया में इसके कहर को देखते हुए सरकार एकतरफा फैसला नहीं लेना चाहती है। इसलिए मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान प्रधानमंत्री ने सहमति का रास्ता चुना और राज्यों से कहा कि वे लॉकडाउन से एग्जिट का प्लान तैयार करके भेजें।


बता दें कि कोरोना के लगातार बदलते आंकड़ों से राज्यों के सामने लॉकडॉउन का एग्जिट प्लान तैयार करना मुश्किल है, क्योंकि कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या रोजाना आ रही है। सूत्रों के मुताबिक मंत्रियों की रिपोर्ट इस सप्ताह के अंत तक का सकती है, इसके बाद पीएम एक बार मुख्यमंत्रियों के साथ एक बार फिर से बैठक करेंगे।


कल्याणकारी योजनाओं से राज्यों पर असर


लॉकडाउन की वजह से राज्यों को भारी वित्तीय नुकसान हो रहा है। इसके अलावा लॉकडाउन के प्रभाव में आए लोगों के लिए शुरू किए गए कल्याणकारी योजनाओं की वजह से भी उनके खजाने पर असर हो रहा है, लेकिन ऐसा लंबे समय तक नहीं हो सकता है, क्योंकि कुछ दिनों बाद फंड के लिए राज्य सरकारें केंद्र के पास ही आएंगी।


क्षेत्रवार एग्जिट प्लान पर विचार


केंद्र और राज्य सरकारें फेजवाइज और क्षेत्रवार तरीके से लॉकडाउन से निकलने की संभावना पर विचार कर रही है। वैसे इलाके जहां ज्यादा केस आ रहे हैं वो 14 अप्रैल के बाद भी लॉकडाउन में रह सकते हैं। जबकि बाकी इलाकों को राहत दी जा सकती है।


कई राज्य ऐसे इलाकों की पहचान कर रहे हैं। इन इलाकों में सोशल डिस्टेंसिंग को बरकरार रखने के लिए लॉकडाउन हटाने के बाद धारा-144 लागू रखा जा सकता है।


अंतरराज्यीय परिवहन के पक्ष में नहीं है राज्य


कोरोना के संक्रमण को देखते हुए कई राज्य अभी भी एक से दूसरे राज्यों में परिवहन व्यवस्था शुरू करने के पक्ष में नहीं है। इसलिए बसों के चलने की संभावना खत्म हो जाती है। जहां तक ट्रेनों का सवाल है, तो जब तब राज्य इजाजत नहीं देते ट्रेनें नहीं चलाई जा सकती हैं।


केंद्रीय कर्मचारियों का रोस्टर तैयार कर रही है सरकार


केंद्र सरकार लॉकडाउन खत्म होने के बाद की अवधि के लिए अपने कर्मचारियों की ड्यूटी का रोस्टर तैयार कर रही है। इससे संकेत मिलता है कि लॉकडाउन को पूरी तरह से खत्म किए जाने की संभावना नहीं है।


अमेरिका को भारत से दवा की आशा

वाशिंगटन। अमेरिका में कोरोना वायरस का संकट तेजी से बढ़ रहा है। कोरोना मरीजों के इलाज के लिए ट्रायल के तौर पर भारत से दवा की सप्लाई की उम्मीद कर रहे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपनी मांग दोहराई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मीडिया को संबोधित कर कहा कि अगर भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के ऑर्डर की आपूर्ति करने को मंजूरी देता है तो हम इसकी सराहना करेंगे, अगर ऐसा नहीं होता है तब भी कोई बात नहीं। बता दें कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा मलेरिया के लिए होता है, जिसका भारत प्रमुख निर्यातक रहा है।


समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि इस संबंध में मैंने रविवार की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की और मैंने कहा कि अगर आप हमारी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के सप्लाई को अनुमति दे रहे हैं, तो हम इसकी सराहना करेंगे। अगर वह इसकी अनुमति नहीं देते हैं तो भी कोई बात नहीं। लेकिन वे हमसे भी इसी तरह की प्रतिक्रिया की उम्मीद रखें।


भारत ने क्या दिया था जवाब


दरअसल, कोरोना संकट से घिरे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के ऑर्डर की आपूर्ति करने के आग्रह पर भारत ने कहा है कि एक जिम्मेदार देश होने के नाते हमसे जितना हो सकेगा, हम मदद करेंगे। भारत ने अमेरिका को स्पष्ट तौर पर बताया कि हम अपने 1.30 अरब आबादी को कोरोना वायरस महामारी से सुरक्षित करने के बाद ही कोरोना वायरस के मरीजों और स्वास्थ्यकर्मियों के रोगनिरोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की आपूर्ति करेंगे।


सरकारी सूत्रों की मानें तो, भारत महामारी के संभावित सबसे खराब स्थिति से निपटने के मद्देनजर अपनी आबादी के लिए दवा का स्टॉक कर रहा है और सभी भारतीयों के लिए पर्याप्त होने के बाद ही इस दवा के निर्यात पर लगी रोक के आदेश को हटाएगा। भारत के अलावा, अन्य देश भी ऐसा ही कर रहे हैं। बता दें कि भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है, जिसका उपयोग मलेरिया के के लिए किया जाता है। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन मलेरिया की दशकों पुरानी दवा है।


25 मार्च से लगी है दवा के निर्यात पर रोक
दरअसल, विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 25 मार्च को इस दवा के निर्यात पर रोक लगा दी थी। हालांकि, डीजीएफटी ने कहा था कि मानवता के आधार पर मामले-दर-मामले में इसके कुछ निर्यात की अनुमति दी जा सकती है। अमेरिका में कोरोना वायरस संक्रमण के तीन लाख से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। अभी तक इस वायरस से अमेरिका में 8,000 से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है।


ट्रंप ने की दवा की सप्लाई की अपील
आज सुबह प्रेस ब्रीफिंग में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, 'मैंने सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की। उन्होंने काफी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट्स बनवाई हैं। भारत इस पर गंभीरता से काम कर रहा है।' अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि वह भी इन टैबलेट्स का सेवन करेंगे। उन्होंने कहा, 'संभव है कि मैं भी इसे लूं। हालांकि, इसके लिए मुझे पहले डॉक्टर्स से बात करनी होगी।' उन्होंने आगे कहा कि मैं सराहना करूंगा कि अगर भारत हमारे द्वारा ऑर्डर की गईं टैबलेट्स की खेप को जारी करेगा। उन्होंने कहा, 'भारत ने काफी संख्या में यह टैबलेट्स बनाई हैं। उन्हें अपने अरब से अधिक लोगों के लिए इसकी जरूरत है।'


अमेरिका में कोरोना की स्थिति
कोरोना वायरस की वजह से दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका में कोहराम मचा हुआ है। कोरोना वायरस से पिछले 24 घंटों में अमेरिका में 1150 लोगों की मौत हुई है। इससे एक दिन पहले भी अमेरिका में 1200 लोगों की जान चली गई थी। अमेरिका में कोरोना से मरने वालों की संख्या 10 हजार के ऊपर पहुंच गई है।


कोविड-19 के खिलाफ हो धन उपयोग

नई दिल्‍ली। कांग्रेस की अंतरिक अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख है। इस पत्र में सोनिया गांधी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले का समर्थन किया है, जिसमें सांसदों के वेतन में 30 फीसद की कमी करने का फैसला लिया गया है। सोनिया गांधी ने इस पत्र में लिखा है- ‘ यह एक सराहनीय कदम है। इस पैसे का उपयोग कोविड -19 के खिलाफ लड़ाई के लिए बहुत आवश्यक है। यह समय की आवश्यकता है।


 


मैसेज फॉरवर्ड में व्हाट्सएप का बदलाव

कुंती ध्रुव


नई दिल्ली। व्हाट्सएप और सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस को लेकर फैलाए जा रहे अफवाह को लेकर व्हाट्सएप ने बड़ा फैसला लिया है। व्हाट्सएप ने मैसेज फॉरवर्डिंग को सीमित कर दिया है। व्हाट्सएप यूजर्स अब किसी मैसेज को एक बार में ही सिर्फ एक ही यूजर को फॉरवर्ड कर सकेंगे। फेसबुक के मालिकाना हक वाले वॉट्सऐप ने कहा है कि अब किसी फॉरवर्ड मेसेज को सिर्फ एक चैट के साथ ही शेयर किया जा सकेगा। यानी अब वॉट्सऐप यूजर्स एक से ज्यादा चैट में फॉरवर्ड मेसेज नहीं शेयर कर पाएंगे। इंस्टेंट मेसेजिंग ऐप ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी है। वॉट्सऐप इस फीचर को रोलआउट कर रहा है। कंपनी ने यह कदम coronavirus को लेकर अपने प्लैटफॉर्म के जरिए फैल रही गलत जानकारी और फर्जी खबरों को रोकने के लिए उठाया है।



Press Trust of India

@PTI_News
 WhatsApp's new limit on frequently forwarded messages aimed at combating spread of fake news, misinformation amid COVID-19 pandemic
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12:41 PM - Apr 7, 2020
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मेसेजिंग ऐप के जरिए अफवाहों के फैलने के चलते अब यह लिमिट 1 चैट के लिए ही तय की गई है। खास बात है कि वॉट्सऐप का यह फीचर ऐसे समय में आया है जबकि वॉट्सऐप लॉकडाउन के समय में लोगों को आपस में कनेक्ट रखने के लिए खासा ऐक्टिव है। बता दें कि अगर किसी यूजर को लगातार फॉरवर्ड किया जा रहा मेसेज मिलता है। वह उसे आगे 5 बार फॉरवर्ड कर सकता है। लेकिन नए नियमों के मुताबिक अब सिर्फ एक सिंगल चैट को ही यह मेसेज भेजा जा सकेगा। 2019 में इस लिमिट को 5 चैट के लिए तय किया गया था।


वॉट्सऐप ने इस फीचर को ऐसे समय में जारी किया गया है जबकि दुनियाभर में लोग सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर फैल रही अफवाहें और फर्जी खबरों को रोकने में लगे हैं। इसी सिलसिले में हाल ही में वॉट्सऐप पर एक फीचर देखा गया था जिसके जरिए यूजर्स वॉट्सऐप फॉरवर्ड मेसेज को गूगल पर सर्च कर यह जान सकेंगे कि वह फेक तो नहीं। यह फीचर अभी वॉट्सऐप के ऐंड्रॉयड व आईओएस वर्जन के बीटा ऐप पर उपलब्ध है।


दुर्भाग्यपूर्णः श्रेय लेने की राजनीति

देहरादून। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश (Dr.Indira Hridayesh) ने हल्द्वानी में प्रशासन द्वारा गरीबों को खाद्यान्न वितरण किए जाने पर भाजपा संगठन पर निशाना साधा है नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हरदेश का कहना है कि खाद्यान्न की कोई कमी नहीं है। लेकिन भाजपा संगठन प्रशासन को जबरन दबाव में लेकर वितरण व्यवस्था को खराब करने में तुला हुआ है जिस वजह से जरूरतमंद गरीबों को खाद्यान्न रसद मुहैया कराने में दिक्कत हो रही है। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हरदेश का कहना है कि भाजपा संगठन शहर में प्रशासन द्वारा बांटे जा रहे खाद्यान्न रसद को अपने हिसाब से बटवा ने की लिए दबाव बना रहा है जो कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।


इंदिरा हृदयेश ने न सिर्फ वितरण व्यवस्था पर सवाल उठाए बल्कि भाजपा संगठन पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इस विपत्ति के समय में भी भाजपा संगठन इस खाद्यान्न वितरण व्यवस्था के बहाने संगठन में लाभ लेना चाह रहा है जो कि बिल्कुल भी गलत है खाद्यान्न वितरण व्यवस्था की कमी की वजह से लोग निराश हैं और इसमें भारतीय जनता पार्टी के संगठन का पूरा दोष है।


यूपी में 31 से अधिक इलाके किए सील

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के 31 से अधिक इलाकों को पूरी तरह से सील कर दिया गया है, जिससे क्षेत्रों में कोई भी आवाजाही नहीं हो पा रही है। जिन इलाकों को सील किया गया है, ये वो इलाके हैं जहां पिछले 48 घंटों में कोरोनावायरस पॉजिटिव केस पाए गए हैं। रायबरेली जिले में दिल्ली से लौटे दो तब्लीगी जमातियों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद सोमवार को यहां के दस इलाकों को सील कर दिया गया था। रायबरेली के पुलिस अधीक्षक स्वप्निल ममगाई ने कहा कि नगर कोतवाली क्षेत्र में 200 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है और निजामुद्दीन मरकज से लौटे दो जमातियों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद पूरे इलाके को सील कर दिया गया है। ये दोनों एक ‘धर्मशाला’ में रह रहे थे।


उन्होंने कहा कि अग्निशमन दल और स्वास्थ्य कर्मचारी लगातार इन क्षेत्रों की सफाई कर रहे हैं। इसी तरह, सीतापुर जिले के खैराबाद को भी सोमवार को सील कर दिया। यहां सादिक नाम के व्यक्ति के स्वामित्व वाले घर में 8 बांग्लाादेशी रह रहे थे। यहां एक का कोविड -19 परीक्षण पॉजिटिव आया था।


लखनऊ के पूरे सदर बाजार क्षेत्र को शुक्रवार शाम सील कर दिया गया था। यहां एक मस्जिद में तब्लीगी जमात के 12 सदस्य पाए गए जिनमें से 11 का इस घातक वायरस के लिए परीक्षण पॉजिटिव आया था। सील किए गए सदर बाजार के निवासी रमेश भसीन ने आईएएनएस को फोन पर बताया कि उन्हें अपने दरवाजे पर खड़े होने या खिड़कियों के माध्यम से पड़ोसियों से बात करने की भी अनुमति नहीं दी जा रही है।


वाराणसी में चार इलाकों को भी सील कर दिया गया है। इनमें मदनपुरा, बजरडीहा, गंगापुर और लोहता शामिल हैं। इसके अलावा प्रतापगढ़, हाथरस, गाजीपुर, आजमगढ़ और कानपुर के विभिन्न इलाकों को भी सील कर दिया गया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “सभी सील हुए क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है और संक्रमण को रोकने के लिए यह किसी भी तरह के मूवमेंट को रोक दिया गया है।”यह पूछे जाने पर कि लॉकडाउन अवधि में इलाकों को सील करने की जरूरत क्योिं पडी तो पुलिस अधिकारी ने बताया, “लॉकडाउन में, आवाजाही पर प्रतिबंध होता है, आपात स्थिति होने पर ही लोग बाहर जा सकते हैं। लेकिन जब हम किसी क्षेत्र को सील करते हैं, तो वहां किसी को भी घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं होती है और आपात स्थिति होने पर हम उनके पास पहुंचते हैं।”


अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, कानून और व्यवस्था, पी.वी. रामसस्त्रि ने कहा कि जिला पुलिस प्रमुखों और दो पुलिस आयुक्तों को एक निर्देश जारी किया गया है, जिसमें किसी भी स्थिति के प्रभावी संचालन के लिए एक रैपिड एक्शन टीम (आरएटी) और राज्य में कोरोना फैलने के कारण उत्पन्न हुई किसी भी स्थिति में अन्य विभागों के साथ समन्वय के लिए एक नोडल कोरोना सेल की स्थापना करने को कहा गया है।उन्होंने कहा, “एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जिसमें अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रों के अनुसार जोखिम वाले क्षेत्रों से निपटने का एक उचित तरीका बताया गया है, उसे भी सभी जिलों के साथ साझा किया गया है।” उन्होंने कहा कि किसी भी ऑपरेशन को शुरू करने के लिए जरूरी उपकरण राज्य के सभी जिलों के पुलिस प्रमुखों को उपलब्ध कराए गए हैं।


भूख से पीड़ित की डीएम से गुहार

हरिहरपुर। कोरोना वायरस को लेकर हुए लॉकडाउन में मजदूरों की रोजी-रोटी छिन गई है। सरकार और प्रशासन भले ही लोगों तक मदद पहुंचाने की बात कर रहा है, लेकिन ऐसा ही परिवार हैं जिन तक अब भी मदद नहीं पहुंच सकी है। ऐसे ही एक मामला नगर पंचायत हरिहरपुर में सामने आया है।
यहां एक ही परिवार के कई सदस्यों को भोजन के लिए परेशान होना पड़ रहा है। परिवार को न ही कोई सरकारी सहायता मुहैया हुई और न ही कोटे का राशन मिला। मजबूरी में बच्चों को रिश्तेदारी में भेजना पड़ा। पीड़ित परिजनों ने डीएम से सहायता की गुहार लगाई है। नगर पंचायत हरिहरपुर के वार्ड नंबर चार पटेल नगर निवासी भइयाराम व उनका परिवार लॉकडाउन की वजह से राशन नहीं मिलने से परेशान है। घर के मुखिया भइयाराम का कहना है कि उन्हें अब तक सरकारी सहायता के नाम पर कुछ भी नहीं मिला है।


यहां तक कि पीड़ित परिवार के किसी भी सदस्य के नाम से राशन कार्ड भी नहीं बना है। जिसके कारण कोटे का राशन भी नहीं मिला। परिवार के भरण पोषण का जरिया मजदूरी है जो लॉकडाउन की वजह से बंद है। ऐसे में परिवार के सदस्यों के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजार करना मुश्किल हो गया है।


परिवार में कुल तीन पुरूष, दो विधवा, एक विकलांग महिला और नौ छोटे-छोटे बच्चे हैं। जब खाने बगैर परिवार के लोग परेशान हुए तो छोटे बच्चों को एक रिश्तेदार के घर भेज दिया गया। परिवार के अन्य सदस्य कहां जाएं। भूख से परेशान पीड़ित परिजनों ने डीएम से सहायता की गुहार लगाई है। डीएम रवीश गुप्त ने बताया कि तहसील प्रशासन के माध्यम से पीड़ितों तक राशन आदि उपलब्ध कराया जाएगा।


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