मंगलवार, 24 मार्च 2020

उत्तराखंडः 4 अप्रैल तक अदालत अवकाश

नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने आगामी चार अप्रैल तक के पुनः अवकाश का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। उल्लेखनीय है कि एक से 14 अप्रैल के लिए पहले ही उच्च न्यायालय से अवकाश का नोटिफिकेशन जारी हो चुका है। इस प्रकार अब उच्च न्यायालय में 14 अप्रैल तक अवकाश रहेगा, और न्यायालय 15 अप्रैल को खुलेगा। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने निचली अदालतों के लिए भी 4 अप्रैल तक अवकाश घोषित कर दिया है। 
मंगलवार को उत्तराखंड उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल हीरा सिंह बोनाल ने इस बाबत नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। नोटिफिकेशन के अनुसार कोरोना विषाणु के प्रसार को रोकने के दृष्टिगत उच्च न्यायालय में 26, 27, 30 व 31 मार्च तथा 1 अप्रैल को अवकाश रहेगा। इन अवकाशों को 26 एवं 28 से 31 दिसंबर के क्रिसमस अवकाशों में समायोजित किया जाएगा। यानी 26 एवं 28 से 31 दिसंबर को पूर्व घोषित अवकाशों के बावजूद उच्च न्यायालय खुला रहेगा। इसके साथ ही एक अन्य नोटिफिकेशन के अनुसार राज्य सरकार के 31 मार्च तक घोषित ‘लॉक डाउन’ एवं बार एसोसिएशन द्वारा किए गए निवेदन के दृष्टिगत उच्च न्यायालय ने निचली अदालतों में 26 मार्च से चार अप्रैल तक अवकाश घोषित कर दिया है। अलबत्ता, अत्यधिक आवश्यकता वाले मामलों पर सुनवाई करने के लिए जिला न्यायाधीश निर्णय ले सकेंगे। इस दौरान गिरफ्तार लोगांे के रिमांड एवं जमानत के मामलों पर अन्य अवकाश के दिनों में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया ही अपनाई जा सकेगी। इन छुट्टियों के बदले सभी अदालतें आने वाली गर्मियों और सर्दियों की छुट्टियों में कार्य करेंगे।


सीमा पर पुलिस की व्यापक जांच

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए रायबरेली जनपद की ओर से आने वाले लोगों की हो रही है व्यापक चेकिंग


रायबरेली फतेहपुर बार्डर असनी पुल पर हुसैनगंज पुलिस कर रही है कोरोना वायरस संदिग्धों की चेकिंग,साथ में डाक्टरों की मोबाइल टीम भी मुस्तैद।


हुसैनगंज फतेहपुर। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए जहां प्रदेश सरकार ने UP के 16 जिलों को लॉक डाउन कर दिया है।इसके साथ ही अन्य जनपदों में भी महामारी को लेकर पुलिस प्रशासन मुस्तैदी के साथ लगा हुआ है।बाहर के प्रांतों से आने वाले संदिग्ध लोगों पर नजर रखी जा रही है,लोगो से कहा गया है कि गांव में बाहर से कोई भी व्यक्ति आता है तो उसकी सूचना तुरंत पुलिस,112,ग्राम प्रधान,व सोशल वर्कर को दे,पुलिस उसकी जांच करेगी,आज सुबह से ही हुसैनगंज पुलिस असनी पुल पर रायबरेली जनपद से आने वाले प्रत्येक व्यक्ति से पूंछताछ कर रही है।प्रभारी निरीक्षक निशीकांत राय ने बताया कि खासकर  बाहर से आने वाले सभी लोगों की चेकिंग की जा रही है,इसके साथ ही लोगो को जागरूक भी किया जा रहा है,अगर कोई भी बाहरी व्यक्ति गांव में आता है तो इसकी सूचना पुलिस को दी जाए।देश में तेजी से फैल रहे कोरॉना वायरस को लेकर लोग दहशत में है।पुलिस के साथ साथ डॉक्टरों की मोबाइल टीम को भी लगाया गया है,जो बाहर से आने वाले संदिग्ध कोरोना वायरस की जांच के लिए मुस्तैद है।


यूपीः बैंकों में 2 बजे तक होगा काम

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लॉकडाउन वाले 16 शहरों में बैंकिंग काम सुबह 10 बजे से दो बजे होगा। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति उत्तर प्रदेश ने यह निर्देश प्रदेश के 16 शहरों के जिला स्तरीय बैंकर्स समिति को भेज दिया है।


इंडियन बैंक एसोसिएशन के निर्देश पर सोमवार को राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति उप्र. के कन्वेनर डॉ. रामजस यादव ने बताया कि यह व्यवस्था उन शहरों में लागू होगी, जहां पर सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा की है। इनमें आगरा, लखनऊ, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, मुरादाबाद, वाराणसी, लखीमपुर खीरी, बरेली, आजमगढ़, कानपुर, मेरठ, प्रयागराज, गोरखपुर, अलीगढ़ और सहारनपुर शामिल हैं। यह व्यवस्था 25 मार्च तक ही अमल में लाई जाएगी। साथ ही एटीएम की सुविधा जारी रहेगी। समिति ने यह भी निर्णय लिया है कि बैंक में एक साथ पांच से ज्यादा लोग प्रवेश नहीं कर पाएंगे। इसकी व्यवस्था जिला प्रशासन को करनी होगी। यही नहीं जिन खातों को एटीएम की सुविधा उपलब्ध कराई गई है उन खातों से नगदी निकासी एटीएम से ही करानी होगी।


बुखारः युवती पर बना जांंच का दबाव

रामबहादुर निषाद 


जहानाबाद। फतेहपुर में नोएडा से मजदूरी कर लौटी युवतियों को ग्रामीणों ने जांच कराने का बनाया दबाव।
मिली जानकारी के अनुसार थाना जहानाबाद क्षेत्र के मोहल्ला पोजेपुर निवासी रामकिशोर की पुत्री नोएडा में रहकर नौकरी कर रही थी। बीते दिनों जनता कर्फ्यू के दिन 22 मार्च नोएडा छोड़कर अपने गृह निवास आई तो मोहल्ले वासियों को  उन पर बुखार की सूचना मिलते ही जांच का दबाव बनाने लगे। कोविड कोरोना वायरस के भय का आतंक दिनों इस कदर हावी है कि लोग बाहर से आए हुए लोगों को शक भरी निगाह से निहारने का काम कर रहे हैं। जिसके चलते नोएडा से जैसे ही वापस आयी युवतियां अपने घर पहुंची तो मोहल्ले वालों को जानकारी हुई कि उपरोक्त युवतियों को बुखार के लक्षण दिख रहे हैं। जिस पर लोगों ने स्वास्थ्य विभाग सहित विभिन्न विभागों में जांच की गुहार लगाई। जिस पर डिप्टी सीएमओ नोडल अधिकारी के.के. श्रीवास्तव ने बताया दोनों युवतियों को सावधानी बरतने को कहा गया है। उन पर कोरोना जैसा कोई मर्ज नहीं हैं। इस संबंध में ग्राम प्रधान संतोष कुमार ने बताया जैसे ही उन्हें जानकारी मिली तो  उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को जानकारी देकर उपचार की बात कहीं। स्वास्थ्य विभाग ने उक्त युवतियों में कोरोना जैसे किसी भी प्रकार के लक्षणों से इनकार किया गया।


'लॉकडाउन' के पीछे का सच

लोक डाउन के पीछे की सच्चाई


 अकाशुं उपाध्याय/इकबाल अंसारी 
गाजियाबाद। वैश्विक महामारी कोविड-19 मानव जीवन से मौत का खेल, खेल रहा है। मानव समाज इस महामारी से बचने के लिए पर्यत्नशील है। वायरस का संक्रमण नियंत्रित करने के सरकार के प्रयास पर्याप्त हो सकते हैं। लेकिन जनता के एक तबके को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। जनपद गाजियाबाद में लोोककडाउन से मजदूर वर्ग खासी मुसीबतों का सामना कर रहा है। आप स्वयं अनुमान लगा सकते हैं जो प्रतिनिधि चुनाव में वोट के लिए उसी मजदूर वर्ग का क्या-क्या पकड़ता नजर आता है? आज उसके लिए उसकी सुध लेना कितना जरूरी है? सामान्यतः मजदूर एक इंसान हैं, लेकिन जनप्रतिनिधि शायद कुछ और है। प्रदेश केे सर्वाधिक घनी आबादी वाले क्षेत्र में लोक डाउन का कितना दुष्प्रभाव पड़ रहा है? मजदूर वर्ग के लिए कोई भी आगे आने वाला नहीं है। आज विषम परिस्थितियों में मजदूर वर्ग को उसके हाल पर छोड़ दिया गया है।
 सर्वेक्षण में यह बात स्पष्ट हो गई है। संकट के समय जो शासक जनता को समर्पित रहता है, उसका भारी अकाल पड़ गया है। जनपद स्थित लोनी नगर पालिका के 55 वार्डों में स्थित किसी भी सभासद के पास ऐसा कोई आंकड़ा या जानकारी नहीं है कि उनके वार्ड में ऐसे कितने मजदूर हैं। जो अति आवश्यक सामग्री के अभाव से ग्रसित है। इनमें ज्यादातर हस्तचालित रिक्शा चालक, कूड़ा बीनने वाले, बेलदारी-पल्लाधारी करने वाले आदि मजदूर और उनके परिवारों के सामने भयानक संकट उत्पन्न हो गया है। अफसोस की बात तो यह है। ज्यादातर जनप्रतिनिधियों के पास समस्या से जूझने की कोई भी योजना नहीं है। विशेष बात तो यह है कि जनप्रतिनिधियों के घर-कार्यालय पर सामान्य उपयोग में सैनिटाइजर आदि उपकरण भी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में मजदूर वर्ग का 'राम रखवाली' है। ज्यादातर मजदूर गैर पंजीकृत है। उनके प्रति सरकार का कोई दायित्व नहीं है? 


1.जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेयः- जिला अधिकारी के द्वारा सीधा संदेश दिया गया है। भुखमरी, तंगहाली के लिए विशेष तौर पर टीम गठित की गई है, जो ऐसे उपेक्षित वर्ग को चिन्हित कर रही है। खदान्न सहित सरकारी योजनाओं का लाभ जल्द ही प्रदान किया जाएगा।
2.उप-जिलाधिकारी खालिद अंजुम खान:- शासनादेश के दिशा अनुरूप कार्य किया जा रहा है। यदि कोई अन्य सर्कुलर जारी होगा तो कठोरता से नियम अनुसार पालन किया जाएगा। क्षेत्र में 11000 से अधिक श्रमिक कार्यरत है। जिनका आवश्यक विवरण श्रम-विभाग को भेज दिया गया है। 600 से अधिक कार्डधारक, श्रमिक चिन्हित किए गए हैं। गैर पंजीकृत श्रमिकों को चिन्हित करने का कार्य किया जा रहा हैं। सभी को जल्द से जल्द खदान्न आदि की पूर्ति का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा। यदि बावजूद इसके भी कोई अपेक्षित रहेगा तो मानवीय आधार पर हम हर संभव सहयोग करेंगे।
3. नंदकिशोर गुर्जर विधायक:- स्थानीय विधायक नंदकिशोर गुर्जर से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि यह एक गंभीर समस्या है। इस पर अभी होमवर्क नहीं किया गया है। जल्द ही हम इस समस्या के विरुद्ध कोई निर्णय लेंगे।
4.रंजीता धामा अध्यक्ष:- नगर पालिका अध्यक्ष से संपर्क करने का प्रयास किया गया। लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका। संभवतः ऐसे संकट के समय उनका अपना बचाव अधिक आवश्यक है। जनता के प्रति उनके दायित्व का कोई मूल्य नहीं है।


डगमगाया इमान, बढ़ गई कालाबाजारी

रुद्रपुर। तीन दिन तक टोटल लॉक डाउन की सूचना पर महानगर के व्यापारियों का ईमान डगमगा गया। व्यापार मंडल के पदाधिकारियों के जिला प्रशासन को दिए आश्वासन के बाद भी आवश्यक वस्तुओं की कालाबाजारी धड़ल्ले से की गई, मगर व्यापार मंडल के पदाधिकारी व जिला प्रशासन के अफसर इन कालाबाजारी करने वालों पर अंकुश नहीं लगा सके। राष्ट्रीय आपदा के वक्त लोगों की सामान खरीदने की मजबूरी का फायदा उठाया गया। यह हाल महानगर का मंगलवार की सुबह दिखाई दिया।


यूं तो जिला प्रशासन ने सुबह सात बजे से दस बजे तक का वक्त आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी के लिए मुकर्रर किया था, लेकिन सुबह छह बजे ही किराने की दुकानें खुल गई थी। दुकानों पर खरीदारों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। राष्ट्रीय आपदा में भी व्यापारियों ने अपना ईमान डिगा दिया। दालें, सोयाबीन की बरी, आटा, चावल तक के दामों पर बढ़ोत्तरी कर दी गई। यह हाल उस थोक व्यापारी ने किया जो खुद को भाजपा के साथ ही व्यापारी नेता भी कहलाते हैं। जब थोक वस्तुओं के दाम बढ़े तो रिटेल वस्तुओं के भी दाम बढ़ गए। बाजार से लेकर गली मोहल्लों तक में किराने की दुकानों पर खरीदारों की अभूतपूर्व भीड़ थी। दरअसल प्रशासन ने आगामी तीन दिन के लिए पूरी तरह लॉक डाउन का ऐलान किया है। लोगों को यह महसूस होने लगा है कि जिला प्रशासन के अधिकारी इस लॉक डाउन को आगे भी बढ़ा सकते हैं।


कर्नाटक में 31 मार्च तक लॉकडाउन

बेंगलुरु। कोविड-19 पॉजिटिव परीक्षणों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर पूरे कर्नाटक को लॉक डाउन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री बी.एस.येदियुरप्पा ने मंगलवार को इसकी घोषणा की, जो 31 मार्च तक लागू रहेगी।


येदियुरप्पा ने ट्वीट किया, “कोविड-19 संकट के कारण बनी हुई स्थिति को देखते हुए हमने न केवल 9 जिलों बल्कि पूरे कर्नाटक राज्य को लॉकडाउन करने का निर्देश दिया है। यह लॉकडाउन मंगलवार से 31 मार्च तक के लिए किया गया है। मेरा सभी नागरिकों से अनुरोध है कि सहयोग करें और घरों में रहें।” इससे पहले उन जिलों में ही लॉकडाउन किया गया था, जहां कोविड-19 के केस आए थे। डॉलर्स कॉलोनी स्थित अपने घर से येदियुरप्पा ने कहा कि सभी लोग आने वाले उगाडी त्यौहार को अपने घरों में साधारण तरीके से मनाएं। इस घातक वायरस के डर से कर्नाटक सरकार ने करगा उत्सव भी रद्द कर दिया है। येदियुरप्पा ने खाद्य और भोजन सामग्री की पर्याप्त आपूर्ति का आश्वासन दिया है। येदियुरप्पा ने कहा, “ज्यादा मात्रा में खरीददारी करने और डरने की जरूरत नहीं है। खाद्य और भोजन सामग्री की दुकानें खुली रहेंगी। आप सभी के सहयोग से हम इस स्थिति से लड़ सकते हैं।” वहीं लॉकडाउन के दौरान उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसी बीच, मंगलवार का शहर के केआर मार्केट में लोग लॉकडाउन का उल्लंघन कर घूमते हुए नजर आए। ऐसे लोगों को पुलिस ने जबरदस्ती घर भेजा और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों को बंद कराया। बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त भास्कर राव ने ट्वीट किया, “नागरिकों से अनुरोध है कि वे यह सुनिश्चित करें कि ‘घर के अंदर रहें का नियम’ लागू है। कानून का कोई खतरा नहीं है। बतौर नागरिक अपनी भूमिका अदा करें। हमारे जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं है। कृपया अपने लिए घर में ही रहें।


केंद्र शासित राज्यों में कंप्लीट लॉकडाउन

नई दिल्ली। देश के 32 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के 560 जिलों में कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए पूरी तरह लॉकडाउन कर दिया गया। इसी बीच, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और ओडिशा के कुछ क्षेत्रों ऐसे हैं, जहां धाराएं ही लगाई गई हैं। तीनों राज्यों में कुल 58 जिले बंद हैं।


वहीं लक्षद्वीप में आंशिक लॉकडाउन किया गया है। यात्री जहाजों को द्वीप में प्रवेश करने से प्रतिबंधित किया गया है और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 लागू है। भारत में कोविड-19 के कुल मामलों की संख्या अब 500 पर पहुंच चुकी है, जिसमें नौ मौतें भी शामिल हैं।


गरीब-मजदूरों की मदद करेंः कपिल

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने अपनी पार्टी की मांग को दोहराते हुए कहा है कि कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में बेरोजगार गरीबों की आर्थिक मदद करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 10 हजार रुपये दिए जाने चाहिए।


सिब्बल ने कहा, “युद्ध में हों तो प्रतिक्रिया भी युद्ध स्तर पर करें।” कांग्रेस सांसद ने सरकार से आग्रह किया कि वह तेजी से इस बाबत कार्य करे और दरवाजे तक मुसीबत आने का इंतजार न करे। हालांकि, उन्होंने शटडाउन को सकारात्मक कदम बताते हुए कहा कि ढेर सारे लोग बेरोजगार हो गए हैं, जैसे प्रवासी, असंगठित क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले, कृषि श्रमिक, बेरोजगार और दिहाड़ी मजदूर। इन सभी को संकट से उबारने के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से प्रत्येक को 10 हजार रुपये प्रदान किए जाने चाहिए। कांग्रेस ने पहले ही गरीबों के लिए वित्तीय पैकेज की मांग की है। कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए कथित तौर पर तैयारियों को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को बताया कि उन्हें क्या करना चाहिए, लेकिन यह नहीं बताया कि बीमारी को रोकने के लिए सरकार क्या करेगी।कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय माकन ने ट्वीट किया, “हम जानते हैं कि प्रधानमंत्री एक वित्तीय पैकेज की घोषणा कर सकते हैं, और हमें उम्मीद है कि यह उनके पूंजीवादी दोस्तों के लिए नहीं होगा बल्कि गरीबों, दिहाड़ी मजदूरों और अन्य लोगों के लिए होगा, जो बेरोजगार हो गए हैं।


उमर की नजरबंदी का आदेश निरस्त

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर सरकार ने मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत चल रही नजरबंदी के आदेश को रद्द कर दिया है। जम्मू-कश्मीर सरकार के प्रवक्ता रोहित कंसल ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के पीएसए नजरबंदी आदेश को निरस्त कर दिया गया है।


सूत्रों ने कहा कि उमर अब्दुल्ला अब श्रीनगर में हरि निवास जलवायु को छोड़ देंगे। अब्दुल्ला वहां 5 अगस्त, 2019 से नजरबंदी में रह रहे हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के सूत्रों ने कहा, “वह शीघ्र ही गुपकर रोड स्थित अपने निवास पर पहुंचेंगे, लेकिन कोविड-19 लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए, किसी को भी उमर साहब से मिलने की अनुमति नहीं दी जाएगी।” ऐसे हालातों में उमर के अपनी रिहाई के बाद मीडिया को संबोधित करने की भी संभावना नहीं है। बता दें कि उमर की रिहाई से कुछ दिन पहले ही उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की भी रिहाई हुई थी। उमर की बहन सारा पायलट द्वारा दायर एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे जल्द ही उमर अब्दुल्ला को रिहा करने का इरादा रखते हैं या नहीं। अब केवल एक पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती नजरबंद हैं। सूत्रों ने बताया कि इस सप्ताह के अंत तक उनकी भी रिहाई की संभावना है।


शिवराज के सामने अब ज्यादा चुनौती

मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने इस बार ज्यादा हैं चुनोतियाँ


शेख़ नसीम 


भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार को सत्ता से बेदखल करके प्रदेश के चौथी बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने वाले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ और कद्दावर नेता शिवराज सिंह चौहान के सामने पहले के मुकाबले इस बार ज्यादा चुनोतियाँ हैं सबसे पहले कोरोना वायरस से निपटने की चुनोती इसके बाद कांग्रेस से बगावत करके कांग्रेस की सरकार को गिराने वाले और अब भाजपा में शामिल हुए बागी विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल कर और 25 सीटों पर होने वाले आगामी उपचुनाव में उनको भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़वाना एवं भाजपा के पुराने नेता और कार्यकर्ताओं से आपसी तालमेल बिठाना ये वो चुनोतियाँ हैं जिससे मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को निपटना हैं।


कांग्रेस के बागी विधायकों में से 10 विधायको का मंत्री बनने तय हैं जिसमे से कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे 6 पूर्व मंत्री शामिल हैं लेकिन भाजपा सरकार में मंत्री रहे उन विधायको को शिवराजसिंह चौहान कैसे डील करते हैं और किस- किसको मंत्री बनाते हैं ये देखने वाली बात हैं शिवराज सरकार में पहले जो मंत्री थे उनमें से अगर किसी एक को भी मंत्री नही बनाया गया तो ये शिवराज सरकार के लिए घातक होगा। दूसरी और आगामी 25 सीटों पर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव में 22 कांग्रेस के विधायक जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं उनको उन्ही के क्षेत्र से टिकट देना भाजपा के स्थानीय दावेदारों को नाराज़ करने वाला फैसला होगा और हो सकता हैं उस दौरान भाजपा के टिकट के दावेदार बगावत पर उतर जाए बहरहाल शिवराज सिंह चौहान के सामने अबकी बार ज्यादा चुनोतियाँ हैं और शिवराजसिंह इन चुनोतियो से कैसे निपटते हैं ये तो आने वाला समय ही बताएगा।


हैदराबाद ने जीता टॉस, बल्लेबाजी का फैसला किया

हैदराबाद ने जीता टॉस, बल्लेबाजी का फैसला किया  इकबाल अंसारी  हैदराबाद। इंड‍ियन प्रीम‍ियर लीग (IPL) 2024 सीजन में सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) और...