सोमवार, 23 मार्च 2020

लॉकडाउन का सख्ती से पालन करें

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के मामले देश में लगातार बढ़ते जा रहे हैं। देश के दस से अधिक राज्यों में सरकार ने लॉकडाउन का ऐलान किया है, इसके बावजूद लोग लगातार घरों से बाहर निकल कर रहे हैं। अब इसपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सख्ती जताई है। पीएम ने लिखा है कि लोग लॉकडाउन का पालन नहीं कर रहे हैं, सरकारें कानून का पालन करवाएं।


लॉकडाउन की स्थिति पर प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा, लॉकडाउन को अभी भी कई लोग गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। कृपया करके अपने आप को बचाएं, अपने परिवार को बचाएं, निर्देशों का गंभीरता से पालन करें. राज्य सरकारों से मेरा अनुरोध है कि वो नियमों और कानूनों का पालन करवाएं। आपको बता दें कि कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों की वजह से दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान समेत देश के 10 से अधिक राज्यों में लॉकडाउन की स्थिति है। लेकिन सोमवार सुबह जो स्थिति दिखी उसमें कई जगह लोग सड़कों पर दिखे. दिल्ली-नोएडा एक्सप्रेस-वे पर तो सोमवार सुबह ही जाम लग गया था, इसी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ट्वीट सामने आया है। जनता कर्फ्यू में भी कुछ जगह सामने आई थी भीड़ः लॉकडाउन से पहले रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो जनता कर्फ्यू का ऐलान किया था, उसमें भी कई लोग सड़कों पर नज़र आए थे। शाम 5 बजे जब डॉक्टरों-मीडियाकर्मियों-पुलिसकर्मियों का आभार व्यक्त करने के लिए जो थाली और ताली बजाई गई, उस दौरान कई शहरों में लोग सड़कों पर आए और रैली निकालकर तालियां बजाई। इसी के बाद लॉकडाउन को देश के अन्य राज्यों ने भी लागू कर दिया था। बता दें कि दिल्ली में भी कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन लगाया गया है, साथ ही धारा 144 लगाई गई है ताकि एक जगह लोग इकट्ठे ना हो पाएं। अगर देश के मामलों की बात करें तो अभी तक भारत में कोरोना वायरस के 434 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, जबकि देश में 9 लोगों की मौत इस वायरस की वजह से हुई है।


नाराजगीः अधिकारियों की क्लास लगाई

पटना। कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए बिहार में लॉकडाउन लागू होने के बावजूद लापरवाही पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नाराज हो गए हैं। मुख्यमंत्री ने लॉकडाउन के बावजूद सड़क और बाजार में लोगों की मौजूदगी को लेकर अधिकारियों की क्लास लगाई है।


सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मीडिया रिपोर्ट के जरिए नीतीश कुमार को जैसे ही इस बात की जानकारी मिली है कि लोग डाउन प्रभावी तरीके से लागू नहीं हो रहा है तो उन्होंने राज्य के बड़े अधिकारियों को तुरंत इस मामले पर एक्शन लेने को कहा है।


देश में 9 लोगों की मौत, 434 संक्रमित

नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस से एक और शख्स की मौत हो गई है, पश्चिम बंगाल में 55 साल के एक शख्स की मौत हुई है, इस जानलेवा बीमारी से देश में अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, देश में कोरोना के मरीजों की संख्या 434 है।अकेले 24 घंटे में 50 से अधिक नए मरीज आए हैं और 4 मौतें हुई हैं, दिल्ली, राजस्थान, बिहार, पंजाब, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश में कोरोना वायरस की वजह से 31 मार्च तक लॉकडाउन है, इसके अलावा उत्तर प्रदेश के 16 जिलों को भी 25 मार्च तक लॉकडाउन किया गया है।


चिकित्सकों ने बताया है कि 13 मार्च से वह सर्दी, खांसी और बुखार जैसे लक्षणों से पीड़ित थे, 16 मार्च को उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी थे जिसके बाद आमरी अस्पताल में लाकर भर्ती किया गया था। 19 मार्च को उनके कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी।  बेलियाघाटा नाइसेड में उनके खून के नमूने की जांच हुई थी, जिसमें संक्रमण की पुष्टि होने के बाद उन्हें विशेष आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट कर इलाज शुरू कर दिया गया था। हालत गंभीर होने की वजह से उस शख्स को वेंटिलेशन पर रखा गया था। बताया गया है कि कोरोना की वजह से शरीर के अधिकतर अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। सोमवार दोपहर हृदयाघात के बाद उनकी मौत हो गयी। इसके बारे में राज्य स्वास्थ्य विभाग को जानकारी दे दी गयी है। बताया गया है कि अधेड़ के परिजनों को भी आइसोलेट कर एमआर बांगुर अस्पताल में रखकर इलाज किया जा रहा है। संक्रमित होने के बाद वह जिसके जिसके संपर्क में आये थे, उन्हें भी चिन्हित किया गया है और उन्हें अलग-अलग जगहों पर पृथक कर दिया गया है।


साहू आशीष


पड़ोसी देशों की मदद का शुक्रिया

नई दिल्ली। देश में कोरोना से हाहाकार मचा हुआ है। केंद्र व राज्य सरकारे कोरोना से लड़ने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में पड़ोसी देशों ने भारत की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश, अफगानिस्तान और श्रीलंका के नेताओं का सार्क कोविड- 19 इमरजेंसी फंड के लिए शुक्रिया कहा है।


पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका को धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने 1 मिलियन डॉलर के सहयोग के लिए अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी को शुक्रिया कहा। इसके अलावा पीएम मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे का भी 5 मिलियन डॉलर के योगदान के लिए आभार व्यक्त किया। पीएम मोदी ने कहा कि हमारे आपसी सहयोग से हम इस बीमारी प्रभावी ढंग से लड़ पाएंगे। बता दें कि पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को भी शुक्रिया कहा। उन्होंने कहा, COVID19 इमरजेंसी फंड में 1.5 मिलियन डॉलर के योगदान के लिए मैं प्रधानमंत्री शेख हसीना का आभारी हूं। हमारे एक साथ आने और साथ मिलकर काम करने से हम कोविड 19 से जुड़ी सभी चुनौती का सामना कर पाएंगे। वहीं दूसरी और प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि पीएम मोदी ने इलेक्ट्रानिक मीडिया के प्रमुखों से बातचीत की। पीएम ने कहा कि कोरोना वायरस एक आजीवन चुनौती है और इसे नए समाधानों से निपटने की जरूरत है। पीएम ने कहा कि पत्रकारों, कैमरापर्सन और टेकनीशियनों के अथक प्रयास राष्ट्र की महान सेवा है।


दिल्लीः 65 हजार करोड़ का बजट पेश

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में लॉकडाउन के बीच वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार को दिल्ली विधानसभा में आगामी वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 65 हजार करोड़ रुपये का बजट पेश किया। अपने बजट भाषण में राजधानीवासियों के लिए अनेक जनहित की योजनाओं का ऐलान किया। इसमें उनकी प्राथमिकता शिक्षा है। आगे जानिए दिल्ली सरकार के इस बजट में क्या-क्या खास हैं।


नए बजट में यह है खास बातेंः 2024 में दुनिया के एडुकेशन मैप पर हैप्पीनेस क्लास को लाएंगे।
देश भक्ति का पाठ्यक्रम लाएंगे। बड़ी क्लास के सभी बच्चो को अखबार देंगे।
इंग्लिश स्पीकिंग क्लास जारी रहेगी, इसके लिए 12 करोड़ प्रस्तावित।
इंफ्रास्ट्रक्चर में 15 नए स्कूल, डिजिटल क्लास रूम बनाएंगे।
100 करोड़ का खर्च, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एडुकेशन को लेकर। हेल्थ कार्ड जारी होगा। पैरेंट का वर्क शॉप किया जाएगा।
2034 कि दुनिया के लिए बच्चों को तैयार करेंगे।
सिलेबस में राज्य बोर्ड का गठन, अपना बोर्ड होगा।
अर्ली एजुकेशन के लिए कानून लाएंगे। 145 स्कूल ऑफ एक्सेलेंस खोले जाएंगे। आयुष्मान योजना लागू करेगी दिल्ली सरकाारः अलग बोर्ड बनाने को लेकर काम करेगी दिल्ली सरकार
बता दें कि हर बार की तरह इस बार भी मनीष सिसोदिया ने शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था पर जोर देते हुए इनमें और सुधार के लिए कई कदम उठाए जाने की बात कही है। वित्त मंत्री ने दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय स्तर की बनाने पर जोर देते हुए इसके लिए कई नए काम शुरू किए जाने का भी विश्वास दिलाया। सबसे खास बात यह है कि नए वित्त वर्ष से दिल्ली सरकार केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना को दिल्ली में लागू करने की मंजूरी देने जा रही है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार दिल्लीवासियों को अलग से हेल्थ कार्ड भी जारी करेगी। इसके साथ ही दिल्ली की कच्ची कॉलोनियों में अनेक विकास कार्यों को कराए जाने का प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए कई नए काम भी किए जाएंगे।


दहशतः 24 से एम्स में ओपीडी बंद

नई दिल्ली। कोरोना वायरस का कहर जारी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार भारत में कोरोना वायरस (COVID-19) के पॉजिटिव मामलों की संख्या 415 हो गई है। वहीं इससे अभी तक 8 लोगों की मौत हुई है। वायरस के बढ़ते मरीजों और जांच के चलते दिल्ली में  अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अब बाहरी मरीजों के लिए ओपीडी सेवा मंगलवार से बंद रहेगी। यह जानकारी एम्स द्वारा सोमवार को जारी एक सर्कलुर में दी गई है।


ओपीडी सेवाएं बंद होने से हजारों मरीजों को तगड़ा झटका लगा है। हांलाकि एम्स का कहना है कि कोरोना के खतरे को देखते हुए ओपीडी सेवा बंद करने का फैसला किया गया है। इससे पहले एम्स प्रशासन रुटीन सर्जरी को बंद कर दिया था। जिन मरीजों ने पहले से इलाज के लिए डॉक्टरों से समय लिया है, उन्हें भी मैसेज भेजकर अप्वाइंटमेंट रद कर उसे आगे बढ़ाने को कहा जा रहा है।


बता दें कि इससे पहले रांची के रिम्स व सदर अस्पताल के ओपीडी भी सोमवार से बंद किए जा चुके हैं। दोनों अस्पतालों में केवल कोरोना के संदिग्धों की जांच व उपचार के अलावा आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं चालू रहेंगी। सिविल सर्जन डॉ वीबी प्रसाद ने कहा कि सामान्य ओपीडी बंद रहेगीं लेकिन हमारे सभी चिकित्सक इमरजेंसी सेवा में तैनात रहेंगे।


वहीं, रिम्स निदेशक डॉ. डीके सिंह, अधीक्षक डॉ. विवेक कश्यप ने विभागाध्यक्षों एवं जूनियर डॉक्टरों की राय पर ओपीडी बंद करने का निर्णय लिया है। इससे कोरोना के मरीजों को बेहतर उपचार व्यवस्था उपलब्ध कराई जा सकेगी। रिम्स में मरीजों व परिजनों की अनावश्यक भीड़ को भी कम किया जा सकेगा। इससे उसके फैलाव को रोका जा सकेगा। रिम्स के जूनियर डॉक्टरों ने शनिवार को रिम्स अधीक्षक से मिलकर सामान्य ओपीडी सेवा को बंद कर इमरजेंसी सेवा को दुरुस्त करने का आग्रह किया था।


धार्मिक स्थान पर जा छिपे लोग

पटना। बिहार की राजधानी से बड़ा मामला सामने आया है। यहां पटना में एक धार्मिक स्थल में कुछ विदेशियों को छिपाकर रखने की खबर मिल रही है। मामला पटना के भीड़भाड़ वाले कुर्जी इलाके का है। सोमवार सुबह पुलिस ने घटना की सूचना पर पहुंचकर छापा मारा है। जिसके बाद यहां गेट नंबर 74 के पास स्थित एक धार्मिक स्थल से 12 विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है मामले में पूछताछ जारी है।


बताया जा रहा है कि पटना के बिहटा थाना क्षेत्र के एक धार्मिक स्थल में छिपे हुए 12 विदेशी नागरिकों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। हिरासत में लिए गए लोगों में से दस लोग किर्गिस्तान के रहने वाले  हैं और बाकी दो लोग गाइड बताए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों ने जब देखा तो हंगामा किया जिसके बाद पुलिस ने आकर सभी विदेशी नागरिकों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है। लोगों ने संदिग्ध बताते हुए धार्मक स्थल को बंद करने की मांग की है।


पूछताछ में सामने आया है कि ये लोग जनवरी में पटना आए थे। इनके पास जो वीजा पासपोर्ट मिला है, वो पूरी तरह से सही है। इनको केवल मेडिकल जांच के लिए भेजा गया है।मेडिकल जांच के बाद पुलिस उन्हें छोड़ देगी। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इनलोगों ने अपना मेडिकल जांच नहीं करवाया है। आसपास के मोहल्ले वालों ने इसका विरोध किया। हंगामा के बाद पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने अपने साथ 12 विदेशियों को अपने साथ ले गई।


 


 


जमीर से अच्छा, जिस्म का सौदा

अनिल अनूप


आपने सोचा है कि ऐसा भी हो सकता है कि कोई लड़की इस धंधे में किसी ज़ोर, ज़बरदस्ती से नहीं ना ही किसी मज़बूरी से बल्कि अपने महंगे मंहगे शौक पूरे करने के लिए आती है?
आज आपको ऐसी ही एक हाई प्रोफाइल कॉल गर्ल से हुई बातचीत के आधार पर बताते है कि आज वेश्यावृत्ति किस तरह आसानी से पैसा कमाने वाला एक ऐसा धंधा बन गया है जिसमे बहुत सी खुले विचारों की लड़कियां अपनी मर्ज़ी से आती है.
जहां इंटरव्यू होना था वह एक आलीशान कमरा था। फर्श पर बेहतरीन कार्पेट, दीवारों पर नायाब पेटिंग्स, छत पर टंगा भव्य झाड़फानूस और अनेक खूबसूरत लाइटें; साथ में भव्य सोफे और देवदार की कांच लगी नक्काशीदार दर्शनीय मेज। दीवार पर बनी लकड़ी की अल्मारियों में किताबें, शोपीस और खूबसूरत मूर्तियां।
जब अनीता जी इंटरव्यू के लिए आकर बैठी तो लगा कोई महारानी बैठी है। मैरून रंग की बेशकीमती सिल्क की साड़ी, मैचिंग स्लीवलेस ब्लाउज, गले में छोटा सा लेकिन रत्नजडि़त हार और एक हाथ में राडो की घड़ी तो दूसरे हाथ में सिर्फ एक हीरे का कंगन। तीखे नाक-नक्श और संतुलित मेकअप, करीने से कटे कंधों पर बिखरे घने बाल, व्यायाम से साधा हुआ सुगठित शरीर और साथ में इतनी गहरी मुस्कान कि पता लगाना मुश्किल, बनावटी है या असली।
देखिए जरा समय के पाबंद रहिए और समय से अपना इंटरव्यू खत्म कीजिए। मैं समय की भारतीय अवधारणा में विश्वास नहीं रखती, मेरे लिए एक-एक मिनट कीमती है। – अनीता जी ने घड़ी देखते हुए कहा। मुस्कराहट के साथ स्वर में ऐसी सख्ती दुर्लभ होती है।
मैंने पैड संभाला और मोबाइल का रिकाॅर्डर आॅन करके मेज पर रख दिया। मेज पर रखा काॅफी का कप उठा कर एक सिप लिया और पहला सवाल पूछा।
जी बिलकुल! तो मेरा पहला सवाल है कि आप इस प्रोफेशन में कैसे आयीं?
देखिए मेरा इस प्रोफेशन में आना कोई बड़ी घटना नहीं है। जब दुनिया मुद्रा, आई मीन करेंसी, के चारों ओर घूम रही है तो हर इंसान की ये मजबूरी है कि वह कोई ऐसा काम करे जिसके बदले में उसे पैसे मिलें वर्ना वो चाहे आईन्स्टीन हो या मोजार्ट उसे धकिया कर हाशिए पर फैंक दिया जाएगा। मुद्रा एक प्रतीक थी, सुविधा के लिए बनायी गयी थी। लेकिन प्रतीक की जगह वह खुद ही सब कुछ बन बैठी, जैसे आप अपने पिता की मूर्ति बना लें और उसे ही अपने बाप समझें। और पैसे मिलने का एक ही तरीका है कि हम अपना कुछ बेचें। जब हम बाजार में बेचने निकलते हैं तो ज्यादातर दुकानें कबाडि़यों की नजर आती है जो ’क्राइम एंड पनिशमेंट’ और ‘रंगीली रातों’ को एक ही भाव खरीदते हैं। ऐसे में फिर आपके पास यही रास्ता बचता है कि आप धूर्त हो जाएं और वो बेचें जो आपके पास है ही नहीं या किसी और का छीनें। इसलिए मुझे लगा अपना जमीर बेचने से अच्छा है कि हम अपना जिस्म बेचें। कम से कम अपने खुद के सामने तो नजर उठा कर बात कर सकेंगे। मैंने इस प्रोफेशन में आने का डिसीजन लिया और मुझे इस पर गर्व है।
आपको गर्व है?? आपको किसी तरह का शर्म का अहसास नहीं होता?
क्या बकवास कर रहे हैं आप? इसमें शर्म की क्या बात है? शर्म की बात तो तब होती जब मैं किसी सरकारी नौकरी में जाकर देश की बर्बादी में हाथ बंटाती या लुटेरे कारपोरेट के समूह में शामिल हो जाती। मल्टी नैशनल कंपनी में अपना दिमाग बेचकर जिंदगी होम करने वाले हाइली पेड बंधुआ मजदूरों से मैं लाख गुना बेहतर हूं। अपनी मर्जी से काम करती हूं, अपनी शर्तों पर काम करती हूं। किसी को धोखा नहीं देती। मैं एक एन्ट्रप्रेन्योर हूं, इसमें शर्म की नहीं गर्व की बात है। कानूनी काम करती हूं और पूरा टैक्स भरती हूं।
कानूनी?
जी हां कानूनी! अगर आपकों कानूनों की जानकारी नहीं है तो पहले थोड़ा पढ़ कर आएं फिर इस पर बात करेंगे।
अच्छा ये बताइए आपकी धर्म और ईश्वर के बारे में क्या धारणा है? आप किसे मानती हैं?
निहायत वाहियात सवाल है। इससे बेहतर सवाल होता कि आप ये पूछते कि मैं कौन-सा सेनेटरी नैपकिन या किस कंपनी की हेयर रिमूविंग क्रीम इस्तेमाल करती हूं। देखिए, धर्म एक नितांत व्यक्तिगत चीज है और उसका कोई छोटे-से-छोटा भाग भी प्रकट हो रहा है तो वह अश्लीलता है।
आपने कभी शादी, परिवार के बारे में सोचा है?
जी हां कई बार सोचा है लेकिन हर बार मन नकारात्मक भावों से भर गया है। देखिए जिस ढंग से हमारे यहां शादियां होती हैं वो बड़ा घिनौना है। जाति, धर्म, लालच और अन्याय उसमें इस तरह भरा है कि किसी जागरुक व्यक्ति के लिए शादी करना आसान नहीं है। सामाजिक मान्यता प्राप्त और थोड़ी-बहुत सामाजिक सुरक्षा और पेंशन वगैरह की सुविधा प्राप्त वेश्याओं को पत्नी कहा जाता है। लेकिन उनके पास काॅल गल्र्स जैसे अधिकार नहीं होते। रही परिवार की बात, तो मेरा परिवार बहुत बड़ा है और उसमें ज्यादातर सदस्य जैनेटिक रूप से नहीं जुड़े हैं। जैनेटिक परिवार तो मजबूरी और स्वार्थ की डोर से बंधे होते हैं।
देश के हालात पर आपकी राय?
देखिए इस सवाल की इतनी बेइज्जती हो चुकी है कि मैं इसका जवाब नहीं देना चाहूंगी। हर आदमी चाहे वो कितना ही जाहिल और निकम्मा क्यों न हो इस सवाल का जवाब एक्सपर्ट की तरह देता है।
समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी के बारे में कुछ कहना चाहेंगी आप?
हमारे समाज के ऊपर दो सबसे बड़े घाव हैं – मौत और सेक्स। इन्हीं दो से भागता है और इन्हीं दोनों के फोबिया और मेनिया के बीच पेंडुलम की तरह झूलता रहता है। पूरी जिंदगी इन दो पाटों के बीच पिस कर रह गयी है। जो इलाज किए गए वो बीमारी से भी ज्यादा खतरनाक निकले। लोगों को नियंत्रित करने के लिए धर्म ने सेक्स का सहारा लिया और खाने, पीने, सोने जैसी साधारण और सहज चीज को टैबू करके उसे असाधारण ताकत दे दी और ‘फ्रैंकस्टीन’ बना दिया। नतीजा ये हुआ कि हमारी गालियों से लेकर विज्ञापनों या फिल्मों तक, मंदिरों से लेकर घरों तक हर चीज सेक्स से सन गयी। हमारी पूरी पीढ़ी ही इन्टरनेट के सामने बैठ गयी दूसरों को सेक्स करता हुआ देखने के लिए। उससे भी तृप्ति नहीं मिली तो आज वीभत्स से वीभत्स तरीके खोज रही है सेक्स के। इन्टरनेट के लिए सैक्स कर रही है! मौत के लिए तो मैं कुछ नहीं कर सकती लेकिन सेक्स को लेकर बने इस कैंसर के लिए मैं कुछ सकारात्मक करने की कोशिश करती हूं। एक हीलर की तरह काम करती हूं। कई लोगों को मैंने ठीक किया है। सीनियर सिटीजन्स और डिफरेन्टली एबल्ड लोगों के साथ भी मैंने कई बार बिना किसी फीस के काम किया है।
बलात्कार के मामलों पर आपका क्या कहना है?
ये सवाल भी अपनी गरिमा खो चुका है। सब के सब या तो बलात्कार कर रहे हैं या बलात्कार पर अपनी राय दे रहे हैं। एक बीमार समाज का सबसे खास लक्षण बलात्कार होता है। जब बीमारी है तो लक्षण भी रहेंगे। फिलहाल बीमारी को दूर करने की मंशा मुझे तो कहीं दिखती नहीं।
अच्छा इंटरव्यू के लिए आपका धन्यवाद। मेरा किसी से एपाॅइन्टमैंट है, मुझे अब जाना होगा। आप काॅफी और लेंगे? – अनीता जी घड़ी देखते हुए बोलीं।
नहीं काॅफी तो नहीं! लेकिन मैडम कुछ सवाल रह गए हैं।


झारखंड में बर्ड फ्लू ने दी दस्तक

विवेक चौबे


रांची। काेराेना वायरस के खतराें के बीच झारखंड में बर्ड फ्लू (एच5 एन1) ने भी दस्तक दे दी है। बर्ड फ्लू से ओरमांझी जू में पक्षियाें की माैत के बाद पशुपालन विभाग ने राज्य में अलर्ट जारी कर दिया है। सभी जिलाें काे बर्ड फ्लू पर निगरानी रखने, मुर्गियाें के आवागमन व बिक्री पर नजर रखने काे कहा है।


इसके लिए टीम भी बना दी है। जू के निदेशक वेंकटेश्वर ने बताया कि 23 फरवरी काे जू में दाे गरुड़, तीन उल्लू व दाे सफेद आइबीस पक्षी की माैत हाे गई थी। काेलकाता व भाेपाल भेजे गए सैंपल से हुई पुष्टि हुईः काेराेना व बर्ड फ्लू के सिर्फ लक्षण एक जैसेे, और काेई समानता नहीं। रिम्स के डाॅ. जेके मित्रा ने बताया कि बुखार, कफ, नाक बहना, सिर में दर्द, गले में सूजन, मांसपेशियाें में दर्द, उल्टी लगना, शरीर के निचले हिस्से में दर्द अाैर सांस में परेशानी बर्ड फ्लू के लक्षण हैं। बर्ड फ्लू अाैर काेराेना वायरस के लक्षण मिलते-जुलते हैं, लेकिन और काेई बायाेलाॅजिकल समानता नहीं है। रांची में इलाज उपलब्ध, दवा का पर्याप्त स्टॉकस्टॉकः के मुताबिक यहां बर्ड फ्लू के इलाज की व्यवस्था है। अस्पताल-दुकानों में दवा एंटीवायरल ड्रग ओसेल्टामिविर (टैमीफ्लू) व जानामिविर (रेलेएंजा) का पर्याप्त स्टॉक है।सावधानियां जरूरीः मरे हुए पक्षियों से दूर रहें,बर्ड फ्लू वाले क्षेत्र में नॉनवेज ना खाएं,जहां से नॉनवेज खरीदें, वहां सफाई का ध्यान रखें,कोशिश करें कि मास्क पहनकर बाहर निकलें,आसपास किसी पक्षी की मौत होती है तो इसकी सूचना संबंधित विभाग को दें।


आपात स्थिति मे छोड़े घरः सीएम

चंडीगढ़। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने पंजाब वासियों को स्वास्थ्य सुरक्षा के साथ जुड़े सभी कदम उठाने और खास तौर पर समय-समय पर हाथ धोने और आपात कार्य न होने की सूरत में अपना घर न छोड़ने की अपील की है। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने लोगों को अपील करते हुए कहा, ‘घरों से बाहर न निकल कर इस वायरस के आगे फैलने को रोकने में मदद करें। उन्होंने कहा, बंद के समय के दौरान खाद्य, किराना और दवा आदि जैसी जरूरी वस्तु की दुकान को छोड़कर बाकी सभी कारोबार और दुकान बंद रहेंगी। इसी तरह जल सप्लाई, सेनिटेशन और बिजली जैसी सभी जरूरी सेवाएं भी बनी रहेंगी। सार्वजनिक यातायात पर लगाए हुए प्रतिबंध भी 31 मार्च तक जारी रहेंगे। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि जो नागरिक हाल ही में विदेश में आए हैं, उनको घर में अलग रहने की जरूरत है और यदि इस वायरस से किसी किस्म का लक्षण दिखाई दे तो तुरंत पास के सरकारी अस्पताल में रिपोर्ट किया जाए।


मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कहा के राज्य स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित किया जा चुका हैं। इसी तरह सभी जिला मुख्यालायों में भी एसे कंट्रोल रूम स्थापित किए गए हैं। किसी किस्म की जरूरत के लिए अपेक्षित और तत्काल कदम उठाने का भरोसा देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के लोग 181 और 104 हैल्पलाइन नंबरों के द्वारा सरकार तक पहुंच कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कारोबारियों को भी अपील की कि न केवल जरूरी वस्तुओं की उचित सप्लाई को यकीनी बनाया जाए बल्कि किसी किस्म की कालाबजारी और मुनाफाखोरी का भी त्याग किया जाए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार किसी को भी अपने निजी लाभ के लिए मौके का लाभ लेने की इजाजत नहीं देगी।


मुख्य सचिव करन अवतार सिंह ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक जगह पर 10 से अधिक व्यक्तियों के एकत्रित होने पर रोक होगी। डिप्टी कमीश्नरों को सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का सख्ती के साथ पालन को यकीनी बनाने के लिए हिदायतें दी गई हैं। स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया कि सभी व्यक्तियों को अपने घरों में रहना चाहिए और वह जरूरी सेवाओं/वस्तुओं या रोजगार/ड्युूटी के लिए अपना घर छोड़ सकते हैं।


देश हित में खत्म किया धरना-प्रदर्शन

घंटाघर की प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कोरोना वायरस के मद्देनजर देश हित मे स्थगित किया धरना प्रदर्शन…


लखनऊ। सीएए एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ जहां पूरे देश में लगातार महिलाओं का धरना प्रदर्शन चल रहा था वही उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी ऐतिहासिक घंटाघर पर पिछले 66 दिनों से उक्त कानून के खिलाफ लगातार महिलाओं का धरना प्रदर्शन जारी था, मगर दुनिया में फैले कोरोना वायरस जैसी भयानक बीमारी का अपने देश भारत में भी पैर पसारने के चलते 66 दिनों से प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने देश हित में और कोरोना वायरस जैसी बीमारी से लड़ने के लिए आज 67 वें दिन यानी 23 मार्च 2020 में धरने को स्थगित कर दिया है।


जैसा कि आप सभी जानते हैं कि नागरिकता संशोधन कानून एनपीआर और एनआरसी के विरोध में पूरे देश में लगातार प्रदर्शन जारी थे और शाहीन बाग में महिलाओं ने ऐसे बिल और कानून के खिलाफ जंग छेड़ी थी, वही लखनऊ के ऐतिहासिक घंटाघर पर भी महिलाओं ने उक्त कानून का पुरजोर विरोध किया जिसमें उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा, कभी पानी, खाना, दवाई जैसी कई तरह की सुविधाओं के भाव में भी धरने को लगातार जारी रखा और पुलिस प्रशासन की सख्ती को भी झेलना पड़ा। मगर अपने इरादों से मजबूत महिलाओं ने किसी भी तरह की परेशानियों से हार ना मानते हुए 66 दिनों तक लगातार प्रदर्शन जारी रखा, पुलिस ने कई बार बल का प्रयोग भी किया और कई तरह से धरने को खत्म करने की कोशिश में कई बार कड़े कदम उठाए और उक्त प्रदर्शन में पुलिस की बर्बरता भी सामने आई, फिर भी महिलाएं निडर और जान की परवाह किए बगैर धरने पर बैठी रही।


इस प्रदर्शन के बीच महिलाओं और उनके घर वालों झेलनी पड़ीं सैकड़ो परेशानियां…


लखनऊ का ऐतिहासिक घंटाघर भी महिलाओं के प्रदर्शन से एक बार फिर इतिहास में अपनी जगह बना गया। कड़कड़ाती ठंड, जबरदस्त बारिश और ओलावृष्टि के साथ ही भयंकर गर्मी की मार झेलने के बाद भी महिलाओं के हौसले नहीं टूटे थे, परंतु एक तरह की राष्ट्रीय आपदा कोरोना वायरस के रूप में भारत में प्रवेश कर गई जिसके चलते महिलाओं ने समझदारी और देशभक्ति का परिचय देते हुए लंबे समय से चल रहे इस धरना प्रदर्शन को स्थगित कर देशभक्ति का सबूत तो दिया ही साथ ही पुलिस कमिश्नर लखनऊ को पत्र लिखकर देश हित मे धरना स्थगित करने की बात कही और पुलिस कमिश्नर को लिखे पत्र के ज़रिए सरकार से यह भी कहा कि हम सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस भयानक बीमारी से लड़ने और देश को इस आपदा से बचाने के लिए साथ खड़े हैं।


 


सरकार और पुलिस प्रशासन के लिए चुनौती था प्रदर्शन, मुकदमें और गिरफ्तारियां कर पुलिस ने निकाली थी खुन्नस…


यह धरना प्रदर्शन जहां एक तरफ सरकार और पुलिस प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ था वही न जाने कितने बेकसूर लोगों के खिलाफ अनगिनत मुकदमे भी दर्ज हुए कितने लोगों को जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा और इस धरने में 3 मासूम जाने भी गई जिसमें दो वृद्ध महिलाएं और एक जवान युवती ने अपने प्राणों की आहुति देकर यानि शहादत में अपना नाम लिखवा कर देश के भविष्य के लिए कुर्बानी दे दी। मगर सरकार का रवैया नहीं बदला और आखिर एक ऐसी आपदा पूरी दुनिया के कई देशों के साथ ही भारत में भी प्रवेश कर गई जिससे भयानक महामारी तक संभावित है, इसी के मद्देनजर महिलाओं ने धरने को समाप्त करने या स्थगित करने का देश हित में फैसला लिया और अपने अपने घर वापस लौट गई।


 


प्रदर्शन स्थगित होने पर सरकार और पुलिस प्रशासन ने ली राहत की सांस…


वही धरना खत्म होने पर पुलिस प्रशासन और सरकार ने राहत की सांस ली और पुलिस प्रशासन ने महिलाओं को सुरक्षित उनके घर पहुंचाया महिलाओं का कहना था की हम पहले भी देश के आने वाले भविष्य के लिए इस आंदोलन के जरिए लड़ रहे थे और अब कोरोना वायरस जैसी भयानक बीमारी और आपदा से लड़ने के लिए तैयार हैं और हर कदम पर सरकार के साथ हैं इस वक्त किसी भी तरह के कानून से ज्यादा जरूरी है कोरोना वायरस जैसे बीमारी से लड़ने की इसलिए हम अपनी स्वेच्छा से देश हित में इस धरने को स्थगित करते हैं। अगर सरकार ने CAA, NPR और NRC को वापस नहीं लिया तो हम इस कानून और सरकार के खिलाफ फिर से बड़ा आंदोलन और धरना प्रदर्शन शुरू कर देंगे।


जुनैद खान “पठान” की रिपोर्ट…


संकट की इस घड़ी में हम सब साथ

संकट की इस घड़ी में हम आपके साथ हैं!

कोटा। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान के अंदर जब जब भी वह राज्य के मुख्यमंत्री रहे तब तब उन्होंने राज्य के एक जिम्मेदार व्यक्ति का जो फर्ज होना चाहिए। वह फर्ज मुस्तैदी के साथ निभाया, चाहे वह प्राकृतिक आपदा से लड़ते हुए समस्या का समाधान करने का मामला हो या फिर कोरोना जेसी घातक बीमारी से प्रदेश की जनता को बचाने का मामला हो। अशोक गहलोत ने हमेशा संवेदन शीलता दिखाई है, गहलोत सरकार कोरोना को लेकर पहले दिन से ही इस समस्या के समाधान के लिए एक्टिव हो गई थी,  वैसे भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश के अंदर बीमारी और बीमार मरीजों के लिए हमेशा संवेदनशील रहे हैं उनकी प्रदेशवासियों को " मुफ्त इलाज" की योजना देश और विदेश में चर्चित रही है आज भी प्रदेश की जनता उसका लाभ उठा रही है!
राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों ने अपना 1 दिन का वेतन कोरोना बीमारी से निपटने के लिए राज्य सरकार को देने की घोषणा की है राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का यह कदम सराहनीय है!
क्या राजस्थान के 200 विधायक अपने विधायक कोष के पैसों मैं से एक बड़ी रकम अपने विधानसभा क्षेत्रों के अस्पतालों पर खर्च करेंगे करना चाहिए क्योंकि वैसे भी ज्यादातर विधायक विधायक कोष का पैसा पूरी तरह से खर्च नहीं कर नहीं कर पाते हैं यह अवसर है विधायक अपने अपने विधानसभा क्षेत्र के अस्पतालों मैं कोरोना से लड़ने के लिए उपकरण और अन्य सामग्री पहुंचाएं एक कदम जनता बढ़ा रही है दूसरा कदम सरकार एक कदम विधायक भी बढ़ाएं!
                   देवेंद्र यादव


'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन

'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन   मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए स्कूली बच्चों ने निकाला रैली कौशाम्बी। एन डी कान...