शुक्रवार, 8 जनवरी 2021

मुंबई हमले के आतंकी सरगना को 15 साल कैद

हरिओम उपाध्याय 

नई दिल्ली/इस्लामाबाद। मुंबई हमले का सरगना और लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर जकी उर रहमान लखवी को पाकिस्तान की एक अदालत ने टेरर फंडिंग मामले में कुल 15 साल कैद की सजा सुनाई है। बीते दिनों लखवी को आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। उसे आतंकवाद निरोधक विभाग यानी सीटीडी ने गिरफ्तार किया था। लखवी मुंबई हमला मामले में साल 2015 से ही जमानत पर था लेकिन एफएटीएफ के खौफ और अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तानी सरकार को आखिरकार उस पर शिकंजा कसना पड़ा। समाचार एजेंसी रॉयटर ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि लखवी को टेरर फंडिंग के तीन अलग अलग अपराधों में पांच-पांच साल की सजा सुनाई गई है। साथ ही एक-एक लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। पंजाब के आतंकवाद निरोधक विभाग यानी सीटीडी पंजाब की खुफिया सूचना पर एक अभियान के बाद लखवी को आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। बीते दिनों पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में आतंकवाद निरोधक विभाग यानी सीटीडी के अधिकारियों ने लखवी से पूछताछ भी की थी। 
लखवी को 26 नवंबर 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले का मास्टर माइंड बताया जाता है। पूरे आतंकी हमले को अंजाम देने में उसकी भूमिका रही थी। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक, जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद के नेतृत्व में ही लश्कर-ए-तैयबा ने साल 2008 में मुंबई हुए आतंकी हमलों को अंजाम दिया था। इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी जबकि तीन सौ लोग घायल हुए थे। मुंबई आतंकी हमले के बाद भारत को लखवी की तलाश है। अमेरिका में भी वह इसी आतंकी हमले में वांछित है। 

भारत, अफगानिस्तान तथा बांग्लादेश में प्रतिबंधित कौमार्य परीक्षण पर आखिरकार पाकिस्तान के पंजाब में भी लगी रोक। सीटीडी के मुताबिक, लखवी पर एक दवाखाना चलाने के लिए जुटाए गए धन का इस्तेमाल आतंकवाद के वित्त पोषण में करने का आरोप है। लखवी और अन्य ने इस दवाखाने से जुटाए गए धन को एकत्रित किया और इसका इस्तेमाल टेरर फंडिंग में किया। लखवी के खिलाफ मुकदमा लाहौर स्थित आतंकवाद निरोधक अदालत में चला। 
लश्कर-ए-तैयबा और अल-कायदा से जुड़े होने और आतंकवाद के लिए रकम, योजना और सहायता मुहैया कराने के साथ साथ हमलों की साजिशें रचने को लेकर लखवी को संयुक्त राष्ट्र ने साल 2008 में ही वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया था। संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों में घोषित आतंकियों और समूहों की संपत्ति जब्त करने, यात्रा प्रतिबंध लगाए जाने जैसे प्रावधान हैं। हालाकि बाद में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अल- कायदा प्रतिबंध समिति ने लखवी को निजी खर्च के लिए डेढ़ लाख रुपये के मासिक भुगतान की इजाजत दे दी थी। 
इसी का फायदा उठाकर वह पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहा था और आतंकियों के लिए धन मुहैया कर रहा था। माना जा रहा है कि आतंकवादियों पर शिकंजा कसने के लिए इमरान खान की सरकार पर पड़ रहे अंतरराष्ट्रीय दबाव और एफएटीएफ की कार्रवाई के डर के चलते ही लखवी के खिलाफ यह कदम उठाया गया है। पाकिस्तान साल 2018 से ही टेरर फंडिंग और आतंकवादियों को संरक्षण देने के कारण फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बना हुआ है। फरवरी महीने में एफएटीएफ की बैठक होनी है जिसमें आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की ओर से उठाए गए कदमों की समीक्षा होगी। इसी बैठक में पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ एक्शन को लेकर सफाई देनी होगी। पाकिस्तान पर आरोप लगते रहे हैं कि उसने आतंकियों की फंडिंग रोकने के लिए पुख्ता उपाय नहीं किए हैं। इस बार पाकिस्तान को यह बताना होगा कि उसने क्या प्रभावी कदम उठाए हैं। माना जा रहा है कि आर्थिक बदहाली की मार झेल रही इमरान सरकार ने ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए ही दिखावे के तौर पर यह कदम उठाया है।  


 

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