रविवार, 26 जून 2022

संगरूर लोकसभा उपचुनाव में शिकस्त दी: मान

संगरूर लोकसभा उपचुनाव में शिकस्त दी: मान 

अमित शर्मा

चंडीगढ़। पंजाब संगरूर लोकसभा का उपचुनाव में सिमरनजीत सिंह मान ने जीता। उन्होंने आम आदमी पार्टी के गुरमेल सिंह को शिकस्त दी। आपको बता दें कि ये वही आम आदमी पार्टी है जिसने अभी विधानसभा चुनाव में 117 में 92 सीटें जीती थीं। आम आदमी पार्टी को संगरूर लोकसभा से उपचुनाव में करारी शिकस्त मिली है। अकाली दल अमृतसर के सिमरनजीत सिंह मान विजेता बने हैं। 

शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के सिमरनजीत सिंह मान ने कहा कि उन्होंने संगरूर लोकसभा उपचुनाव जीत लिया है। यह हमारी पार्टी के लिए एक बड़ी जीत है। उन्होंने कहा कि हमने इस उपचुनाव में सभी राष्ट्रीय दलों को हराया है। मेरी प्राथमिकता संगरूर की खराब आर्थिक स्थिति सहित कर्ज में डूबे किसानों की स्थिति का मुद्दा उठाना होगा। हम पंजाब सरकार के साथ काम करेंगे।पंजाब के विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत पाने वाली आम आदमी पार्टी आज संगरूर लोकसभा के उपचुनाव में अपनी ही जमीन पर शिकस्त खा गई। 

आपको बता दें कि इस सीट से पंजाब के मौजूदा मुख्यमंत्री भगवंत मान सांसद हुआ करते थे। अकाली दल अमृतसर के सिमरनजीत सिंह मान ने आप के उम्मीदवार को शिकस्त दे दी।इसके पहले भगवंत मान के सीएम बनने के बाद खाली हुआ संगरूर लोकसभा सीट पर उपचुनाव के वोटों की गिनती आज सुबह से जारी हुई थी। आपको बता दें यहां मतदान प्रतिशत काफी कम रहा है। मतगणना से पहले ऐसा लग रहा था कि इस सीट पर आप, कांग्रेस, अकाली और बीजेपी के बीच टक्कर होगी लेकिन मुकाबला शिअद (ए) और आम आदमी पार्टी के बीच रहा जिसमें शिअद (ए) ने बाजी मारी।इस उपचुनाव में सिर्फ 45.30% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। जबकि 2019 के लोकसभा चुनावों में, 72.40% मतदाता मतदान करने के लिए निकले थे। संगरूर संसदीय चुनावों में सबसे कम मतदान 1991 में हुआ था, जब केवल 10.9% लोगों ने मतदान किया था। यह वह समय था, जब पंजाब में आतंकवाद का बोलबाला था।

सबसे अधिक मतदान सीएम भगवंत मान के निर्वाचन क्षेत्र में हुआ, जो कि 48.26% है। जबकि विधानसभा चुनाव जो सिर्फ चार महीने पहले हुआ था, तब 77.32% मतदान हुआ था। सबसे कम मतदान बरनाला विधानसभा क्षेत्र में हुआ है।आप ने संगरूर जिला प्रभारी गुरमेल सिंह को मैदान में उतारा है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के पूर्व धूरी विधायक दलवीर सिंह गोल्डी, जबकि भाजपा उम्मीदवार बरनाला के पूर्व विधायक केवल ढिल्लों हैं। ये 4 जून को ही पार्टी में शामिल हुए थे।

2014 के आम चुनावों में संगरूर लोकसभा क्षेत्र का मतदान प्रतिशत 77.21% था, जबकि 2009 के संसदीय चुनावों में यह 74.41% था। 2004 में इस संसदीय क्षेत्र से 61.6% मतदाताओं ने मतदान किया था, जबकि 1999 के चुनावों में 56.1% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। 1998 के चुनावों में 60.1% मतदान हुआ था, जबकि 1996 के संगरूर लोकसभा चुनाव में यह 62.2% था।

“खरीद-फरोख्त” का आरोप, उच्च जांच की मांग

 “खरीद-फरोख्त” का आरोप, उच्च जांच की मांग 
कविता गर्ग  
मुंबई। शिवसेना कार्यकर्ताओं के एक समूह ने महाराष्ट्र में मौजूदा राजनीतिक संकट को लेकर जम्मू में रविवार को प्रदर्शन किया और भाजपा पर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार को गिराने के वास्ते “खरीद-फरोख्त” में भूमिका होने का आरोप लगाते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की। शिवसैनिकों ने जम्मू के बाहरी इलाके चन्नी में पार्टी मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे का पुतला भी फूंका, जो पार्टी के अन्य विधायकों और निर्दलीय विधायकों के साथ भाजपा शासित असम के एक होटल में ठहरे हैं।
जम्मू कश्मीर शिवसेना के प्रमुख मनीष साहनी ने पत्रकारों से कहा, “ हम ठाकरे परिवार के बिना शिवसेना की कल्पना नहीं कर सकते हैं और जिन्होंने नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह किया है, वे गद्दार हैं जो एक राष्ट्रीय पार्टी के इशारे पर काम कर रहे हैं जो महाराष्ट्र में सत्ता में आने के लिए बेताब है।” प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे साहनी ने दावा किया कि गुवाहाटी में शिवसेना के अधिकांश विधायकों को बंधक बनाकर रखा जा रहा है।
उन्होंने कहा, “जब वे महाराष्ट्र की धरती पर लौटेंगे तो लोगों को असलियत पता चलेगी…प्रभाव, धनबल, ब्लैकमेलिंग और एजेंसियों के दुरुपयोग ने एमवीए सरकार को अस्थिर करने की कोशिश में बड़ी भूमिका निभाई है।” महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट के पीछे भाजपा की कथित भूमिका की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि असम में भाजपा सरकार बाढ़ प्रभावित लोगों तक पहुंचने के बजाय ‘गद्दारों की मेजबानी’ कर रही है।

गृहमंत्री: ड्रग्स राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती

गृहमंत्री: ड्रग्स राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती
अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नशीली दवाओं को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती बताते हुए कहा है कि इसके समूल नाश के लिए जन भागीदारी बेहद जरूरी है। शाह ने रविवार को नशीली दवाओं के सेवन और अवैध तस्करी के खिलाफ हर वर्ष 26 जून को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय दिवस के मौके पर सिलसिलेवार ट्वीट में यह बात कही।
उन्होंने कहा, ड्रग्स की समस्या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती है। मोदी जी के नेतृत्व में गृह मंत्रालय ने इस लड़ाई को समन्वयित और संस्थागत बनाया है। लेकिन इसके समूल नाश के लिए जनभागीदारी आवश्यक है, आइए हम सब मिलकर मोदी जी के ड्रग्स मुक्त भारत के संकल्प को पूरा करने में अपना योगदान दें।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, मोदी सरकार की ड्रग्स के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति रही है। नशीली दवाओं के दुरुपयोग व अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस पर मैं मोदी जी के ड्रग्स मुक्त भारत के संकल्प को पूरा करने में लगे राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के कर्मियों, गैर सरकारी संगठनों व इससे जुड़े वालंटियर्स को उनके प्रयासों के लिए बधाई देता हूँ।

50 से अधिक देशों में मंकीपॉक्स का प्रकोप जारी

50 से अधिक देशों में मंकीपॉक्स का प्रकोप जारी
सुनील श्रीवास्तव 
लंदन। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि 50 से अधिक देशों में मंकीपॉक्स के बढ़ते प्रकोप पर करीबी नजर रखी जानी चाहिए, लेकिन फिलहाल इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति घोषित करने की आवश्यकता नहीं है।

डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन समिति ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा कि प्रकोप के कई पहलू ‘‘असामान्य’’ थे और माना कि मंकीपॉक्स के खतरों पर वर्षों से गौर नहीं किया गया है। हालांकि, समिति ने कहा कि मंकीपॉक्स कुछ अफ्रीकी देशों में अब महामारी नहीं रह गया है।बयान के मुताबिक, ‘‘कुछ सदस्यों ने अलग-अलग विचार व्यक्त किए हैं। हालांकि, समिति ने डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक को सर्वसम्मति से यह सुझाव देने का निर्णय लिया है कि मंकीपॉक्स को इस स्तर पर ‘‘वैश्विक आपातकाल की स्थिति’’ नहीं घोषित करना चाहिए।’’

हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने प्रकोप की ‘‘आपातकालीन प्रकृति’’ की तरफ इशारा किया है और कहा है कि इसके प्रसार को नियंत्रित करने के लिए ‘‘तेजी से कदम उठाने’’ की जरूरत है।

समिति ने कहा कि प्रकोप पर ‘‘करीबी नजर रखने और कुछ हफ्तों के बाद स्थिति की समीक्षा किए जाने की आवश्यकता है।’’

उसने यह भी कहा अगर कुछ नए घटनाक्रम सामने आते हैं-जैसे कि यौनकर्मियों के बीच प्रसार, अन्य देशों में या उन देशों में संक्रमण का फैलना, जहां पहले से ही मंकीपॉक्स के मामले हैं, मामलों की गंभीरता में वृद्धि या प्रसार की बढ़ती दर तो वह फिर से स्थिति का मूल्यांकन करने की सिफारिश करेगी।

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधोनोम घेब्रेयेसस ने बृहस्पतिवार को उन देशों में मंकीपॉक्स के प्रसार को लेकर चिंता जताने के बाद आपातकालीन समिति की बैठक बुलाई थी, जहां पहले इस महामारी की सूचना नहीं थी।

डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा, ‘‘वर्तमान प्रकोप विशेष रूप से नए देशों और क्षेत्रों में तेजी से फैल रहा है और संवेदनशील आबादी के बीच इसके प्रसार का जोखिम बढ़ गया है, जिसमें कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोग, गर्भवती महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।’’

मंकीपॉक्स के कारण मध्य और पश्चिम अफ्रीका में दशकों से लोग संक्रमित हुए हैं, लेकिन पिछले महीने तक एक ही समय में कई देशों में या प्रभावित मुल्कों की यात्रा न करने वाले लोगों में इस संक्रमण के मामले सामने नहीं आए थे।

आपातकाल, ‘लोकतंत्र को कुचलने’ का प्रयास: पीएम

आपातकाल, ‘लोकतंत्र को कुचलने’ का प्रयास: पीएम
अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। 26 जून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत में 1975 में लगाए गए आपातकाल के दौरान ‘लोकतंत्र को कुचलने’ का प्रयास किया गया था।
उन्होंने कहा कि दुनिया में ऐसा कोई और उदाहरण खोजना मुश्किल है, जहां लोगों ने लोकतांत्रिक तरीकों से ‘तानाशाही मानसिकता’ को हराया।
रेडियो पर प्रसारित अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल के दिनों को याद किया और कहा कि उस दौरान सभी अधिकार ‘छीन’ लिए गए थे।
देश में 25 जून 1975 को आपातकाल लागू करने की घोषणा की गई थी, जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। 21 मार्च 1977 को आपातकाल हटा लिया गया था।
मोदी ने कहा, “आपातकाल के दौरान सभी अधिकार छीन लिए गए थे। इन अधिकारों में संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार शामिल था। उस समय भारत में लोकतंत्र को कुचलने का प्रयास किया गया था। देश की अदालतों, सभी संवैधानिक संस्थाओं, प्रेस, सब को नियंत्रण में ले लिया गया था।
उन्होंने कहा कि सेंसरशिप इतनी सख्त थी कि बिना मंजूरी के कुछ भी प्रकाशित नहीं किया जा सकता था।
प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे याद है, जब प्रसिद्ध गायक किशोर कुमार जी ने सरकार की तारीफ करने से इनकार कर दिया था, तब उन्हें प्रतिबंधित कर दिया गया था, उन्हें रेडियो पर आने की अनुमति नहीं थी।
उन्होंने जोर देकर कहा कि कई प्रयासों, हजारों गिरफ्तारियों और लाखों लोगों पर अत्याचार के बावजूद लोकतंत्र में भारतीयों का विश्वास नहीं डगमगाया।

मोदी ने कहा, “सदियों से हमारे भीतर बसे लोकतांत्रिक मूल्यों, हमारी रगों में बहने वाली लोकतंत्र की भावना की आखिरकार जीत हुई।
उन्होंने कहा कि भारत के लोगों ने लोकतांत्रिक तरीकों से आपातकाल से छुटकारा पाया और लोकतंत्र को बहाल कराया।
प्रधानमंत्री ने कहा, “लोकतांत्रिक तरीकों से तानाशाही मानसिकता को हराने का दुनिया में ऐसा उदाहरण मिलना मुश्किल है।
उन्होंने कहा, “आपातकाल के दौरान मुझे भी देशवासियों के संघर्ष का साक्षी बनने और उसमें योगदान देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आज जब देश अपनी आजादी के 75 वर्षों का जश्न मना रहा है, तब हमें आपातकाल के काले दौर को नहीं भूलना चाहिए। आने वाली पीढ़ियां भी इसे न भूलें।

उपचुनाव में 6,104 वोटों से जीत हासिल: भाजपा

उपचुनाव में 6,104 वोटों से जीत हासिल: भाजपा
इकबाल अंसारी 
त्रिपुरा। अगरतला 26 जून त्रिपुरा के मुख्यमंत्री व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार माणिक साहा ने टाउन बारदोवली सीट पर हुए उपचुनाव में रविवार को 6,104 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। निर्वाचन आयोग ने यह जानकारी दी। साहा को 17,181 मत मिले, जो क्षेत्र में पड़े कुल वोटों का 51.63 प्रतिशत है।
वहीं, उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के आशीष कुमार साहा को 11,077 वोट हासिल हुए, जो कुल वोटों का 33.29 प्रतिशत है।
वाम मोर्चे की तरफ से फॉरवर्ड ब्लॉक के उम्मीदवार रघुनाथ सरकार तीसरे स्थान पर रहे। उन्होंने 3,376 (10.15 फीसदी) वोट हासिल किए।
तत्कालीन मुख्यमंत्री बिप्लब देब के अचानक इस्तीफा देने के बाद राज्यसभा सांसद माणिक साहा को पिछले महीने राज्य का मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया था। मुख्यमंत्री बने रहने के लिए उन्हें यह उपचुनाव जीतना था।
नियमानुसार विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद अब वह सांसद पद से इस्तीफा दे देंगे।
आशीष कुमार साहा के भाजपा विधायक के रूप में इस्तीफा देने और फरवरी में कांग्रेस में शामिल होने के बाद टाउन बारदोवली सीट पर उपचुनाव हुआ था।

देश रास्ते पर लाएंगे, जिसपे आजादी के बाद चला

देश रास्ते पर लाएंगे, जिसपे आजादी के बाद चला
अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। जहां भाजपा ‘हिंदुत्व’ पर समर्थन जुटाने में लगी हुई है, वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने यह कहकर इस कदम का मुकाबला करने की कोशिश की कि पूरा देश ‘हिंदुत्व’ की चपेट में नहीं आया है।
सलमान खुर्शीद ने कहा, “यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जिसे मैं चंद शब्दों में समझा सकता हूं। मैं यह मानने को तैयार नहीं हूं कि पूरा देश हिंदुत्व के वश में आ गया है। आंकड़ों या मेरी समझ के अनुसार ऐसा नहीं हुआ है, हालांकि, निश्चित रूप से बड़ी संख्या में लोग उनके साथ खड़े हुए हैं और उन्हें सत्ता में लाए हैं।
सलमान खुर्शीद ने अग्निपथ योजना के पीछे सशस्त्र बलों के ‘चरित्र’ पर उठाए सवाल
“जब कोई सरकार एक नए राजनीतिक विचार के साथ आती है, तो लोग उसका लाभ भी उठाते हैं। कुछ लोग कांग्रेस के प्रति द्वेष के कारण भाजपा में गए हैं, लेकिन यह स्थायी नहीं है।
उन्होंने आगे कहा, “अगर हम अपनी बात ठीक से नहीं रख सकते हैं, तो निश्चित रूप से दूसरों की बात प्रबल होगी। इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे पास कहने के लिए कुछ नहीं है। हमें अपनी कहानी निश्चित रूप से बतानी चाहिए और इसे सही तरीके से बताया जाना चाहिए। हम निश्चित रूप से भारत को उस रास्ते पर वापस लाएंगे, जिस पर वह आजादी के बाद चला था।
छत्तीसगढ़, एमपी और राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव के मुद्दों पर खुर्शीद ने कहा, ”उदयपुर में चिंतन शिविर के बाद पार्टी में नई नियुक्तियां हो रही हैं, संगठन को मजबूत करने का काम किया जा रहा है. आगामी चुनाव के लिए टीम बनाने पर भी काम चल रहा है। हमारे मीडिया विभाग को भी मजबूत किया जा रहा है। इसका परिणाम आने वाले समय में देखने को मिलेगा।
बीजेपी बुलडोजर का इस्तेमाल कर रही है, क्या इससे कांग्रेस पर राजनीतिक असर पड़ेगा। इस सवाल पर उन्होंने कहा, “अगर कोई अपराध करता है, तो उस अपराध की सजा कानून के तहत समान हो सकती है, आप तय नहीं कर सकते कि क्या सजा दी जाएगी। लोग 50 साल से घर बना रहे हैं, अब उन्हें पता चल रहा है कि कौन सा घर वैध है और कौन सा नहीं। बुलडोजर कार्रवाई की वैधता पर संसद में चर्चा होनी चाहिए। अभी लोग इतने डरे हुए हैं कि वे इस मुद्दे पर खुलकर बात भी नहीं कर रहे है।
ज्ञानवापी मुद्दे पर उन्होंने कहा कि, ”कानून के तहत जो कुछ भी किया जाना चाहिए, वह कानून के अनुसार किया जाना चाहिए और उस पर एक कानून है। अब कोर्ट को तय करना है कि 1991 के पूजा स्थल अधिनियम के तहत क्या करना है।

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