रविवार, 19 जून 2022

सरकार को योजना वापस लेने के लिए मजबूर करेंगे

सरकार को योजना वापस लेने के लिए मजबूर करेंगे

अकांशु उपाध्याय  
नई दिल्ली। अग्निपथ योजना को लेकर अब राजनीतिक संग्राम छिड़ा हुआ है। प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी के नेता बड़ी संख्या में दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि युवा देश की सेवा करने के लिए पूरे जीवन भर सेना में भर्ती होना चाहते हैं। लेकिन केंद्र सरकार के गलत फैसले के कारण इस योजना का विरोध हो रहा है। सरकार को इस योजना को वापस लेना चाहिए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से आज उनका जन्मदिन नहीं मनाने की अपील की है।
कांग्रेस के सत्याग्रह में प्रियंका गांधी, सचिन पायलट, दिग्विजय सिंह, केसी वेणुगोपाल, अधीर रंजन चौधरी सहित पार्टी के कई और दिग्गज नेता मौजूद है। इस दौरान पार्टी नेता सचिन पायलट ने कहा कि कोविड के बहाने से आपने 2 साल से भर्तियां रोक रखी थी। 1.25 लाख भर्तियां केवल फौज में खाली है। आप सिर्फ भ्रमित कर लोगों का भविष्य खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। हम सत्याग्रह कर सरकार को यह योजना वापस लेने के लिए मजबूर करेंगे।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि देश की सेवा करने के लिए पूरे जीवन भर सेना में भर्ती होना चाहते हैं। ये जो भी हो रहा है गलत हो रहा है। इस योजना को वापस लेना चाहिए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से रविवार को उनका जन्मदिन नहीं मनाने की अपील की है। राहुल ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से एक संदेश में कहा कि देश के युवा परेशान हैं और सड़कों पर विरोध कर रहे हैं, कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उनके साथ खड़ा होना चाहिए। एक ट्वीट में कांग्रेस नेता ने कहा कि बार-बार नौकरी की झूठी उम्मीद दे कर, प्रधानमंत्री ने देश के युवाओं को बेरोज़गारी के ‘अग्निपथ’ पर चलने के लिए मजबूर किया है। 8 सालों में, 16 करोड़ नौकरियां देनी थीं मगर युवाओं को मिला सिर्फ़ पकोड़े तलने का ज्ञान। देश की इस हालत के ज़िम्मेदार केवल प्रधानमंत्री हैं।

असम: 3 हजार से अधिक प्रभावित लोगों को बचाया

असम: 3 हजार से अधिक प्रभावित लोगों को बचाया

इकबाल अंसारी  
गुवाहाटी। बाढ़ प्रभावित असम में सेना का बड़े पैमाने पर राहत अभियान जारी है और अब तक तीन हजार से अधिक प्रभावित लोगों को बचाया जा चुका है। एक बयान में कहा गया है कि सेना के जवान असम के होजई, बक्सा, नलबाड़ी, बारपेटा, दरांग, तामूलपुर और कामरूप में बाढ़ राहत अभियान चला रहे हैं। सेना ने बाढ़ राहत कार्यों के लिए असम के विभिन्न स्थानों पर 11 समग्र कॉलम तैनात किए हैं।
बयान में कहा गया,“असम के विभिन्न हिस्सों में भारी बारिश जारी है तथा खतरे के निशान से ऊपर बहने वाली नदियां ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बाढ़ एवं जलजमाव का कारण बन रही हैं। सेना बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद में जुटी हुई है।” असम में बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो गई है।
शनिवार को आठ नई मौतों के साथ मरने वालों की संख्या बढ़कर 62 हो गई है। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) की नवीनतम क्षति रिपोर्ट के अनुसार, कुल 118 राजस्व मंडलों सहित राज्य के 32 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं। फसल प्रभावित क्षेत्र 66455.82 हेक्टेयर हैं।
एएसडीएमए ने कहा कि पिछले 24 घंटों में आठ और लोगों की जान चली गई और कुल 62 लोगों की जान चली गई (बाढ़ में 51 और भूस्खलन में 11 लोगों की मौत हुई है)। शनिवार तक सभी प्रभावित क्षेत्रों में 514 राहत शिविर और 302 राहत वितरण केंद्र खोले जा चुके हैं।

युवाओं से अपना प्रदर्शन वापस लेने का अनुरोध

युवाओं से अपना प्रदर्शन वापस लेने का अनुरोध

इकबाल अंसारी
तिरुवनंतपुरम। केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने रविवार को कहा कि अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे युवा, उन्हें इससे (योजना से) होने वाले लाभों और सशस्त्र बलों से अनजान हैं। साथ ही, उन्होंने युवाओं से अपना प्रदर्शन वापस लेने का अनुरोध किया। मुरलीधरन ने यहां संवाददाताओं से कहा कि थलसेना, नौसेना और वायुसेना में चार साल के अल्पकालिक अनुबंध के आधार पर साढ़े 17 से 21 वर्ष की आयु के युवाओं की भर्ती की योजना को लेकर उन्हें (युवाओं को) आशंकित होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि युवा इसके बारे में जाने बिना इसका विरोध कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जहां तक युवाओं के भविष्य, सशस्त्र बलों के कल्याण और राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल है, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इससे समझौता नहीं किया है। उन्होंने इस योजना का विरोध कर रहे युवाओं से प्रदर्शन वापस लेने का आग्रह किया। मुरलीधरन का यह बयान केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन द्वारा मोदी से इस योजना को स्थगित करने का आग्रह करने के एक दिन बाद आया है। विजयन ने कहा था कि इस योजना का विरोध होना भारत के युवाओं की भावनाओं का स्पष्ट संकेत है।

सांप्रदायिक तनाव: फिक्स्ड-लाइन इंटरनेट सेवाएं बहाल

सांप्रदायिक तनाव: फिक्स्ड-लाइन इंटरनेट सेवाएं बहाल

इकबाल अंसारी
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के भद्रवाह शहर में सांप्रदायिक तनाव के बाद पिछले 10 दिनों से निलंबित फिक्स्ड-लाइन इंटरनेट सेवाएं रविवार को बहाल कर दी गईं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कस्बे में लगातार दूसरे दिन सुबह सात बजे से 12 घंटे के लिए कर्फ्यू में ढील दी गई, क्योंकि पिछले 24 घंटों के दौरान कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है और कुल मिलाकर स्थिति सामान्य एवं काफी हद तक शांतिपूर्ण रही।
अधिकारियों ने बताया कि मौजूदा कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के बाद, जिला प्रशासन ने सुबह 11 बजे से ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं बहाल करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को फिर से शुरू करने का निर्णय दिन में बाद में लिया जाएगा। हाल ही में हटाई गई भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर की गई कथित विवादित टिप्पणी को लेकर हुए प्रदर्शन और स्थानीय दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट डालने से उत्पन्न सांप्रदायिक तनाव के बाद भद्रवाह शहर में नौ जून को कर्फ्यू लगा दिया गया था।
शहर में पहली बार 15 जून को दो घंटे, 16 जून को दो चरणों में पांच घंटे, 17 जून को चार घंटे और 18 जून को 12 घंटे के लिए कर्फ्यू में ढील दी गई और यह अवधि शांतिपूर्वक बीत गई। अधिकारियों ने बताया कि शहर में शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों के साथ पुलिस बल को तैनात किया गया है। इस बीच, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (भद्रवाह) दिल मीर ने एक परामर्श जारी किया, जिसमें इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को सोशल मीडिया पर ‘आपत्तिजनक सामग्री’ साझा करने के लिए कानून की संबंधित धाराओं के अनुसार कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई।

गाड़ी की बेवजह चेकिंग नहीं कर सकेगी, ट्रैफिक पुलिस

गाड़ी की बेवजह चेकिंग नहीं कर सकेगी, ट्रैफिक पुलिस

कविता गर्ग 

मुंबई। मुंबईवासियों के लिए बड़ी खबर है। अब ट्रैफिक पुलिस उनकी गाड़ी की बेवजह चेकिंग नहीं कर सकेगी। दरअसल, बीते दिनों तत्कालीन कमिश्नर ऑफ पुलिस ने एक सर्कुलर ट्रैफिक डिपार्टमेंट को जारी किया। जिसके अनुसार अब आपके वाहन बिना वजह नहीं रोकी जाएगी। नए नियम के अनुसार ट्रैफिक पुलिस वाले गाड़ियों की जांच नहीं करेंगे। जहां चेक नाका है, वहां ट्रैफिक मॉनिटरिंग की जाएगी। किसी वाहन चालक को तभी रोका जाएगा, तब उससे ट्रैफिक की स्पीड पर असर पड़ रहा हो।

दरअसल ट्रैफिक पुलिस सिर्फ शक के आधार पर गाड़ियों को रोककर उनकी जांच करने लगते हैं। जिससे सड़क पर यातायात प्रभावित होता है। सभी ट्रैफिक पुलिस को वाहनों की जांच करने से रोकने के लिए कहा गया है। इसके रोड पर ट्रैफिक बढ़ जाता है। उन्हें आवाजाही पर निगरानी रखने को प्राथमिकता देने के लिए कहा गया है। सर्कुलर के अनुसार यदि मोटर चालक नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। तब उन्हें पुलिस मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्रवाई कर सकती है।ट्रेफिक और स्थानीय पुलिसकर्मी संयुक्त नाकाबंदी के दौरान यातायात पुलिस सिर्फ उल्लंघन के खिलाफ कार्रवाई करेगी। गाड़ियों की जांच नहीं करेगी। यदि निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है, तो संबंधित यातायात चौकी के सीनियर निरीक्षक जिम्मेदार होगा। ट्रैफिक पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यातायात पुलिस को संदेह के आधार पर वाहनों की जांच नहीं करनी चाहिए और न रोकना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हमारे जवान पहले की तरह ट्रैफिक अपराधों के खिलाफ कार्रवाई जारी रखेंगे। वह उल्लंघन करने वालों को रोका जाएगा।

100 से ज्यादा सिख-हिंदुओं को ई-वीजा जारी किया

100 से ज्यादा सिख-हिंदुओं को ई-वीजा जारी किया

अकांशु उपाध्याय/अखिलेश पांडेय
नई दिल्ली/काबुल। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में गुरुद्वारे पर हमले के बाद भारत सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए 100 से ज्यादा सिख-हिंदुओं को ई-वीजा जारी किया है। अफगान सिखों की शऱण की गुहार के बाद भारत ने यह कदम उठाया है। भारत सरकार की ओर से जारी किए गए ई-वीजा को ऑनलाइन आवेदन के जरिए भी हासिल किया जा सकता है। इससे पहले गृह मंत्रालय की तरफ से पिछले साल 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबानियों के कब्जे के वक्त भी ई-वीजा जारी किया गया था। बता दें कि शनिवार को हुए इस हमले में एक सिख सहित दो लोगों की मौत हो गई और सात अन्य घायल हो गए। यह हमला तब हुआ, जब बंदूकधारियों ने एक हथगोला फेंका जिससे गुरुद्वारे के गेट के पास आग लग गई। 
हालांकि, अफगान सुरक्षाकर्मियों ने विस्फोटक लदे एक गाड़ी को गुरुद्वारे में एंट्री करने से रोककर एक अन्य बड़ी घटना को टाल दिया।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने हमले के बाद कहा कि काबुल में गुरुद्वारे पर हमले की खबरों से बहुत चिंतित हैं। विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने कहा है कि गुरुद्वारा कार्ते परवान पर हुए कायरतापूर्ण हमले की सभी को कड़े शब्दों में निंदा करनी चाहिए। हमले की खबर मिलने के बाद से हम घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहे हैं। हमारी पहली और सबसे महत्वपूर्ण चिंता समुदाय के कल्याण के लिए है। गौरतलब है कि काबुल के एक गुरुदारे में मार्च 2020 में हुए आत्मघाती हमले में कम से कम 25 सिख मारे गए थे और आठ अन्य लोग घायल हुए थे। यह हमला अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक सिख समुदाय पर हुए सबसे घातक हमलों में से एक था। शोर बाजार इलाके में हुए इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट ने ली थी।

गूगल ने 'फादर्स डे' के मौके पर खास डूडल बनाया

गूगल ने 'फादर्स डे' के मौके पर खास डूडल बनाया 

सुनील श्रीवास्तव/अकांशु उपाध्याय 
वाशिंगटन डीसी/नई दिल्ली। भारतीय घरों में पिता की छवि ऐसी मानी जाती है कि पापा हमेशा सख्त रहते हैं, डांटते हैं। यही वजह है कि लड़का हो या लड़की अधिकतर बच्चे अपनी मां से हर बात शेयर कर लेते हैं, लेकिन पिता से कहने में डरते हैं या हिम्मत नहीं कर पाते। हालांकि, ऐसा नहीं है कि पिता बच्चों को प्यार नहीं करते।
बच्चे जब धीरे-धीरे बड़े होते हैं और उन्हें जिम्मेदारियों की समझ होने लगती है, तो अहसास होता है कि पिता क्या होता है और पिता की क्या भूमिका होती है। पिता के प्रेम, त्याग को सम्मान देने के लिए दुनिया के तमाम देशों में फादर्स डे मनाया जाता है। पिता को स्पेशल फील कराने के लिए हर साल जून महीने के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है। सर्च इंजन गूगल ने पिछले साल की तरह, इस साल भी फादर्स डे के मौके पर आज, 19 जून 2022 को एक खास डूडल बनाया है। फादर्स डे पर गूगल के डूडल में छोटे और बड़े हाथ दिखाई दे रहे हैं। पापा को समर्पित फादर्स डे के डूडल में साफ दिखाई दे रहा है कि बच्चा किस तरह से पिता की छवि बनता है।

आइए जानते हैं कि फादर्स डे मनाने की शुरुआत कब और कैसे हुई ?

फादर्स डे मनाने की शुरुआत 1910 से हुई थी। माना जाता है कि वॉशिंगटन के स्पोकन शहर में रहने वाली लड़की सोनोरा डॉड ने फादर्स डे की शुरुआत की थी। सोनोरा की मां के निधन के बाद पिता ने ही अकेले उनकी परवरिश की। पिता ने एक मां की तरह बेटी को प्यार दिया तो एक पिता की तरह सुरक्षा की। सोनोरा के पिता उन्हें कभी मां की कमी का अहसास नहीं होने देते थे। सोनोरा के मन में ख्याल आया कि जब मां के मातृत्व को समर्पित मदर्स डे मनाया जा सकता है तो फिर पिता के प्रेम और स्नेह के सम्मान में फादर्स डे भी मनाना चाहिए।
सोनोरा के पिता का जन्मदिन जून में होता था। इसलिए उन्होंने जून में फादर्स डे मनाने की मांग को लेकर याचिका दायर की। जिसे मान लिया गया और 19 जून 1910 को पहली बार फादर्स डे मनाया गया। इसके बाद साल 1916 में अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने फादर्स डे मनाने के प्रस्ताव को भी स्वीकार किया। साल 1924 में राष्ट्रपति कैल्विन कूलिज ने फादर्स डे को राष्ट्रीय आयोजन घोषित कर दिया। बाद में 1966 में राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने फादर्स डे को जून के तीसरे रविवार को मनाने का ऐलान किया।

पंजाब किंग्स ने जीता टॉस, गेंदबाजी का फैसला

पंजाब किंग्स ने जीता टॉस, गेंदबाजी का फैसला  इकबाल अंसारी  चेन्नई। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2024 सीजन में चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) और पं...