शनिवार, 12 जून 2021
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जेडीयू को भी मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अज्ञातवास पर रहने वाले जेडीयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने वापसी की है। आरसीपी सिंह कोरोना संक्रमण के दौरान राजनीतिक तौर पर सक्रिय नहीं थे। कोरोना की दूसरी लहर जब कमजोर पड़ी और संक्रमण के मामले कम हुए तो यह सवाल उठने लगा कि आखिर आरसीपी सिंह क्यों अज्ञातवास पर हैं। बिहार के राजनीतिक गलियारे में तरह-तरह की चर्चा भी तेज हो गई। लेकिन अब जेडीयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने वापसी कर ली है। वापसी के साथ उन्होंने पार्टी कार्यालय में बैठकों का सिलसिला भी शुरू कर दिया है। आरसीपी सिंह ने आज जनता दल यूनाइटेड कार्यालय स्थित कर्पूरी सभागार में पार्टी के अलग-अलग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्षों के साथ बैठक की। इस बैठक में पार्टी के कई पदाधिकारी भी शामिल हुए। इस दौरान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा भी मौजूद थे। इसके पहले आरसीपी सिंह ने शुक्रवार को पार्टी के चिकित्सा प्रकोष्ठ की बैठक की थी और कोरोना वायरस की संभावित तीसरी लहर से बचने के लिए टीकाकरण अभियान को रफ्तार देने का टास्क के जेडीयू के नेताओं को दिया था।
आरसीपी सिंह ने कहा था कि कोरोना की तीसरी लहर से केवल वैक्सीन ही बचा सकती है। ऐसे में पार्टी के चिकित्सा प्रकोष्ठ की तरफ से टास्क फोर्स बनाकर टीकाकरण अभियान को सौ फ़ीसदी कामयाब बनाने की जरूरत है। आपको याद दिला दें कि आरसीपी सिंह जब संक्रमण के दौरान सक्रिय नहीं थे। तब लगातार सोशल मीडिया समेत राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा हो रही थी कि क्या उनके अज्ञातवास से जेडीयू में उपेंद्र कुशवाहा का कद बड़ा होता जा रहा है। हालांकि फर्स्ट बिहार ने आपको उस वक्त भी बताया था कि आरसीपी सिंह के नहीं रहने के बावजूद नीतीश कुमार और उनके बीच जो ट्यूनिंग है उस पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। तमाम चर्चाओं के बावजूद आरसीपी सिंह नीतीश कुमार की पसंद है और उनके सबसे ज्यादा करीबी भी हैं। अब आरसीपी सिंह ने दूसरी लहर कमजोर पड़ने के बाद राजनीतिक सक्रियता बढ़ाई है।
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रिकवरी के बाद मरीजों में सुनाई देने की शक्ति कम
दिल्ली के रहने वाले डॉक्टर सौरभ नारायण पिछले साल कोरोना वायरस की चपेट में आए थे। इसी के चलते उन्हें एक प्राइवेट अस्पताल के आईसीयू में 21 दिन बिताने पड़े, जिसके बाद वे रिकवर हो गए। हालांकि उसके बाद से अब इन्हें पहले की तरह सुनाई नहीं देता। लेकिन यह बात इन्हें इतनी देर से समझ में आई कि अब हियरिंग एड के बिना इनका इलाज नहीं हो सकता यानी यह कभी पहले की तरह ठीक तरीके से नहीं सुन पाएगें। वे दाएं कान से सुनने की शक्ति लगभग खो चुके हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो राजधानी दिल्ली के सरकारी अस्पताल अंबेडकर अस्पताल में पिछले 2 महीने में ऐसे 15 मरीज आ चुके हैं जिनके कान में या तो दर्द है या फिर उन्हें सुनाई देना बहुत कम हो चुका है। यह सभी मरीज कोरोना वायरस की बीमारी से रिकवर हुए मरीज है। ज्यादातर मामलों में मरीज इतनी देरी से डॉक्टर तक पहुंच रहे हैं कि उनकी सुनाई देने की शक्ति को वापस लौटाने का, यानी समय पर इलाज का वक्त जा चुका है।
ऐसा होने पर 72 घंटे में इलाज जरूरी
अंबेडकर अस्पताल में ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि, अगर आपके कान में भी दर्द होता है, कान में भारीपन महसूस होता है, सीटी बजती है या आपको लगता है कि आपको कम सुनाई दे रहा है तो 72 घंटे के अंदर डॉक्टर से मिलना बेहद जरूरी है। शुरुआत में इस हियरिंग लॉस को दवाओं से रोका जा सकता है। लेकिन अगर ज्यादा वक्त बीत जाता है तो फिर रिकवरी मुमकिन नहीं है।
भाजपा व शिवसेना मिलकर बना सकती है सरकार
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने अपने बयान में कहा कि इस मुद्दे को लेकर मैंने भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से चर्चा की है और जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में भी इस पर चर्चा की जाएगी। रामदास अठावले का यह बयान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात करने के कुछ दिन बाद आया है। उद्धव ने मंगलवार को पीएम मोदी से मुलाकात की थी। उद्धव ठाकरे ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमारी सभी बातों को गंभीरता पूर्वक सुना। उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण, जीएसटी समेत कई संवदेनशील मुद्दों पर वार्ता हुई। पीएम नरेंद्र मोदी से रिश्तों और मुलाकात को लेकर पूछे गए सवालों को लेकर उद्धव ठाकरे ने बेबाकी से जवाब दिए। भले ही राजनीतिक रूप से साथ नहीं हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हमारा रिश्ता खत्म हो गया है। मैं कोई नवाज शरीफ से मिलने नहीं गया था। इसलिए यदि मैं उनसे व्यक्तिगत मुलाकात करता हूं तो इसमें गलत क्या है। इसके बाद शिवसेना और भाजपा के फिर से एक साथ आने के कयास लगाए जा रहे हैं।
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