शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

गुजरात भाजपा का मजबूत गढ़ रहा और अब भी है

गुजरात में नये सियासी समीकरण 

गांंधीनगर। इसमें कोई संदेह नहीं, कि गुजरात भाजपा का लम्बे अर्से से मजबूत गढ़ रहा है और अब भी है। गुजरात के ही नेता और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस बात को नगर निकाय चुनाव के नतीजे आने के बाद विशेष रूप से कहा है, कि गुजरात भाजपा का गढ़ था। भाजपा का गढ़ है और भाजपा का गढ़ रहेगा। उन्होंने कहा, कि स्थानीय निकाय के चुनावों ने यह साबित भी कर दिया है। अमित शाह की बात में दम है... गुजरात में नगर निकाय के चुनाव 21 फरवरी 2021 को सम्पन्न हुए और 24 फरवरी को नतीजे मिले। नगर निकाय की 576 सीटों में भाजपा को 483 सीटों पर सफलता मिलने का मतलब भी यही है। कि अमित शाह ठीक कह रहे हैं। इस चुनाव में कुछ अन्य संकेत भी मिले हैं। इनमें पहला संकेत है। कि गुजरात में कांग्रेस और भाजपा के बाद अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) ने भी हाजिरी दर्ज करा दी है। आप को सूरत में 27 सीटों पर विजयश्री हासिल हुई है। हालांकि अहमदाबाद, बड़ोदरा, जामनगर, भावनगर और राजकोट में पार्टी का कोई उम्मीदवार जीत दर्ज नहीं कर सका। इसके बावजूद आम आदमी पार्टी की 27 सीटों पर जीत इसलिए मायने रखती है। क्योंकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को सिर्फ 55 सीटों पर ही जीत नसीब हो पायी। गुजरात के 6 नगर निगमों में कुल 144 वार्डों में भाजपा ही भाजपा छायी रही लेकिन सूरत में आप की घनी बदली बदलाव के संकेत तो कर ही रही है। सवाल उठता है। कि क्या गुजरात के लोग भाजपा और कांग्रेस की राजनीति से त्रस्त थे। गुजरात के लोगों को एक विकल्प चाहिए था और आम आदमी पार्टी के रूप में उनको यह विकल्प मिला है। आप का गुजरात में राज्यस्तर का कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो राज्यव्यापी अपील पैदा करता हो। ऐसे में सूरत में आप को सफलता क्यों मिली। जानकारों का कहना है। कि पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति (पास) और कांग्रेस के बीच खींचतान के चलते कांग्रेस के पास से जुड़े लोग आप से जुड़ कर चुनाव लड़े। सौराष्ट्र पाटीदार समाज बहुल क्षेत्र में इन कार्यकर्ताओं ने आप प्रत्याशियों के समर्थन में जबरदस्त माहौल बनाया। इसका परिणाम सामने है। गुजरात की अहमदाबाद- वडोदरा-सूरत-राजकोट-भावनगर और जामनगर में भाजपा ने अपनी सत्ता बरकरार रखी है। कांग्रेस को इन चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा। कुल 576 में से 575 सीटों में से भाजपा ने 483 सीटों पर कब्जा कर लिया। कांग्रेस को 55 सीट से संतोष करना पड़ा। अहमदाबाद की एक सीट निर्विरोध घोषित होने से 575 सीटों के लिए मतदान हुआ था। गत 23 फरवरी को मतगणना शुरू होने पर सबसे चौंकाने वाले परिणाम 120 सदस्यीय सूरत महानगर पालिका में सामने आए-जहां कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला। आम आदमी पार्टी ने गुजरात की चुनावी राजनीति में सफल एंट्री करते हुए रिकॉर्ड 27 सीटों पर जीत दर्ज की। जामनगर महानगर पालिका में बसपा को भी तीन सीटें मिलीं। आम आदमी पार्टी (आप) ने कांग्रेस की 90 फीसदी सीटों पर कब्जा कर लिया है। ये सभी सीटें पाटीदार क्षेत्रों की हैं। पिछली बार कांग्रेस ने 36 सीटें जीती थीं। इस बार इनमें से 27 आप ने हासिल कर ली हैं। पाटीदार क्षेत्रों के अलावा आप को अन्य किसी क्षेत्र में जीत नहीं मिली है। पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पास) ने पिछली बार कांग्रेस का समर्थन किया था इस बार विरोध में थी। पास अनामत आंदोलन के दौरान उसके कार्यकर्ताओं पर किए केस वापस नहीं लेने से अभी भी भाजपा से नाराज है। इस बार वह आप की तरफ झुक गई और उसे 27 सीटों पर जीत दिला दी। इनमें से अधिकतर वही सीटें हैं। जिन पर 2015 में कांग्रेस जीती थी।2015 में वार्ड- 2 में 3, वाॅर्ड- 3, 4, 5, 15, 16, 18 और 29 में कांग्रेस की पैनल जीती थी। इस बार आप की पैनल ने वाॅर्ड-2, 3, 4, 5, 16 और 17 की सभी सीटें जीत ली हैं। पिछली बार वार्ड-29 में कांग्रेस की पैनल जीती थी। वार्ड-24 लिंबायत में कांग्रेस के 2, वार्ड-11 में 2 और वार्ड-28 में 1 उम्मीदवार जीता था। वार्ड-7 में 2वार्ड 8 में एक और वार्ड-2 में एक सीट भाजपा की हथिया ली है। अब वह मनपा में कांग्रेस की जगह विपक्ष की भूमिका में बैठेगी। उसे जनता के मुद्दों को मजबूती से उठाना होगा। तभी वह स्थानीय राजनीित में आगे का सफर तय कर पाएगी।सूरत में 'आप' की जीत से झल्लाए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पाटिल ने कहा कि सोने की थाली में लोहे का कील ठोंक दिया गया है। इसका भी रास्ता निकालूंगा। गुजरात की 6 महानगर पालिकाओं में भाजपा की भव्य विजय हुई है। और कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया हो गया है। हालांकि सूरत में आम आदमी पार्टी की जीत उल्लेखनीय है। अहमदाबाद के खानपुर में भाजपा कार्यालय पर जीत का जश्न शुरू हो गया था। गुजरात के सूरत में हुए म्युनिसिपल चुनावों में आम आदमी पार्टी ने जबर्दस्त प्रदर्शन किया है। सूरत में आम आदमी पार्टी (आप) को 27 सीटों पर जीत मिली है। आप के इस प्रदर्शन से उत्साहित होकर पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल 26 फरवरी को गुजरात का दौरा करने वाले हैं। वहां वह एक रोड शो में हिस्सा लेंगे। अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा, गुजरात ने एक नई राजनीति की शुरूआत की है। ईमानदार राजनीति, काम की राजनीति, अच्छे स्कूलों की राजनीति, सस्ती और 24 घंटों की बिजली की राजनीति, अच्छे अस्पतालों की राजनीति। हम सब मिलकर गुजरात को संवारेंगे। मैं 26 फरवरी को सूरत आ रहा हूं आपका शुक्रिया करने। अपने दूसरे ट्वीट में अरविंद केजरीवाल ने लिखा है। गुजरात के नगर निगम चुनाव में आप का शानदार प्रदर्शन हुआ है। मैं गुजरात के लोगों का तहे दिल से शुक्रिया करना चाहता हूं। मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूं हमारा एक-एक उम्मीदवार अपनी जिम्मेदारी पूरी इमानदारी से निभाएगा। गुजरात निकाय चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। सूरत नगर निकाय की। यहां की सभी 120 सीटों के परिणाम आ चुके हैं। जिसमें बीजेपी को 93 सीटों पर जीत मिली है तो आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने पहले चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए 27 सीटों पर जीत दर्ज की। हालांकि कांग्रेस का इस बार खाता भी नहीं खुला। वो पार्टी जिसने यहां की सत्ता पर एकछत्र राज किया हो उसका ये हाल होना कहीं न कहीं इस पार्टी के भविष्य के अंधकार को दर्शा रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यहां के परिणामों पर खुशी जताते हुए कहा है। कि नई राजनीति की शुरुआत करने के लिए गुजरात के लोगों को दिल से बधाई। आप की इस जीत से बीजेपी के वोट बैंक पर असर पड़ा है। लेकिन कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया ही हो गया। उसका यहां खाता भी नहीं खुला। वहीं दूसरी तरफ आप के जीतने वाले सभी उम्मीदवार 22 से 40 साल की उम्र के हैं। इनके सोशल मीडिया पर अच्छे-खासे फॉलोअर्स हैं। क्या यह गुजरात में नये सियासी समीकरण का संकेत है।

सोशल मीडिया: फेसबुक ने खातों पर लगायी रोक

सोशल मीडिया: फेसबुक ने खातों पर लगायी रोक

नेपीडॉ। सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक ने बृहस्पतिवार को बताया कि वह एक फरवरी को म्यांमार की सत्ता पर सेना के कब्जे के मद्देनजर सेना से जुड़े सभी खातों और उसके कब्जे वाली कंपनियों के विज्ञापनों पर रोक लगा रही है। फेसबुक ने एक बयान में कहा कि वह म्यांमार में तख्तापलट के बाद के हालात को आपातकाल समझती है और यह प्रतिबंध घातक हिंसा समेत तख्तापलट के बाद हुई घटनाओं के मद्देनजर लगाया गया है। कंपनी तख्तापलट के बाद से सेना के नियंत्रण वाले मयावाड्डी टीवी और सरकारी टेलीविजन प्रसारक एमआरटीवी समेत सेना से जुड़े कई खातों को पहले ही प्रतिबंधित कर चुकी है। फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया मंचों को 2017 में काफी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा था। उस समय मानवाधिकार समूहों ने आरोप लगाया था, कि उसने म्यांमार के मुस्लिम रोहिंग्या अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत पैदा करने वाली सामग्रियों को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए। जुंटा ने फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया मंच को बाधित करने की कोशिश की है। लेकिन उसके प्रयास निष्प्रभावी रहे।

माफियाओं पर योगी सरकार का हंटर चलेगा तेज

माफियाओं पर योगी सरकार का हंटर चलेगा तेज़- दागी खाकी वालो की भी खैर नहीं राशिद अली
हरिओम उपाध्याय 
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माफियाओं के खिलाफ जारी प्रदेशव्यापी अभियान को और तेज करने के निर्देश दिए हैं। जोनल पुलिस महानिदेशकों के साथ प्रदेश की कानून-व्यवस्था की समीक्षा करते हुये श्री योगी ने गुरूवार को कहा कि माफियाओं को नेस्तनाबूद करने के लिए जो कुछ भी जरूरी हो, पूरी तत्परता से करें। हर एक कार्रवाई योजनाबद्ध ढंग से फोकस्ड होकर की जाए। इसमें किसी तरह की सुस्ती स्वीकार्य नहीं है। हर एक माफ़िया के खिलाफ होने वाली कार्रवाई का भरपूर प्रचार-प्रसार भी हो। यह अन्य माफियाओं और अराजक प्रवृत्ति के लोगों के लिए खुली चेतावनी जैसा होगा। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी, पुलिस महानिदेशक और एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार की मौजूदगी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी जोनल एडीजी को साफ तौर पर निर्देशित किया कि वह थाना और सर्किल स्तर की गतिविधियों पर स्वयं नजर रखें। इसकी रिपोर्ट बनाएं और मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजें। यह सुनिश्चित करें कि पुलिस घटनाओं के दृष्टिगत प्रो-एक्टिव रहे। मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव गृह से माफियाओं के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट व अन्य कानूनों के तहत हुई कार्रवाई और वसूली गई संपत्तियों के विवरण भी लिया। प्रदेश में जल्द होने जा रहे पंचायत चुनावों और अगले तीन माह के भीतर पड़ने वाले पर्व-त्योहारों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने जोनल अपर पुलिस महानिदेशकों को निर्देश दिया कि वह जिलाधिकारियों और एसएसपी/एसपी से संवाद करते हुए यह सुनिश्चित करें कि किसी भी दशा में खराब रिकॉर्ड अथवा संदिग्ध छवि वाले पुलिसकर्मियों को महत्वपूर्ण पोस्टिंग न मिले। बेहतर हो ऐसे पुलिस कार्मिकों की सूची तैयार की जाए। थाना और सर्किल स्तर से ऐसी शिकायतें प्राप्त होना उचित नहीं है। इस पर गंभीरता से कार्यवाही हो। अगर कहीं कोई समस्या हो तो तत्काल शासन से संपर्क करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति बीते चार वर्षों में बहुत अच्छी हुई है। इसे और बेहतर बनाये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जारी किए गए शस्त्र लाइसेंसों की सतत समीक्षा की जाए। पंचायत चुनावों के दृष्टिगत शस्त्र जमा कराने की कार्यवाही भी तेजी से पूरी की जाए। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव, अगले वर्ष के विधानसभा चुनाव का रिहर्सल सरीखा है। अराजक और आपराधिक प्रवृत्ति के लोग अपनी कुत्सित कोशिश करेंगे। ऐसे लोगों पर एडीजी कार्यालय स्तर से भी नजर रखी जानी चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से फेक न्यूज अथवा समाज में वैमनस्य फैलाने वालों की सतत मॉनिटरिंग के भी निर्देश दिए। समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री शशि प्रकाश गोयल और प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री संजय प्रसाद भी उपस्थिति रहे।

अभिव्यक्ति' को सलाखें नहीं, 'आजादी' चाहिए

अभिव्यक्ति' को सलाखें नहीं 'आजादी' चाहिए
अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। किसी मसले पर सरकार से असहमति रखना देशद्रोह नहीं हो सकता है। लेकिन जब देश में किसान आंदोलन चल रहा हो। उस दशा में विदेशी लोगों से मिलकर टूलकिट को वायरल करना क्या गलत कार्य नहीं है। ग्रेटा थनबर्ग और दिशा के बीच हुए चैट खुद इसकी गवाही देते हैं। दिशा ने खुद पर शिकंजा कसने की बात चैट में कही थी। देशद्रोह के नाम पर किसी को बेवजह परेशान नहीं किया जाना चाहिए लेकिन टूलकिट की सच्चाई भी देश के सामने आनी चाहिए। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने जलवायु एक्टिविस्ट दिशा रवि को एक लाख के निजी मुचलके पर चर्चित टूलकिट मामले में तिहाड़ जेल से रिहा करने का आदेश दिया है। अदालत के आदेश के बाद दिल्ली पुलिस खुद कठघरे में खड़ी हो गई है। सवाल उठता है कि क्या सरकार के खिलाफ बोलना, लिखना देशद्रोह है। वास्तव में अगर ऐसा है। तो यह उन्मुक्त लोकतंत्र की अंतिम सांस है। अदालत की तरफ से जो तीखी टिप्पणी की गई है। उसका साफ संदेश भी तो यही है। अदालत की तरफ से यह संदेश देने की कोशिश की गई है। कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को किसी तरह बाधित न होने दिया जाए। सरकार से असहमति का यह मतलब देशद्रोह नहीं होता है। अपनी बातों को समझाने के लिए अदालत ने ऋग्वेद का भी उदाहरण दिया है। जमानत आम आदमी का अधिकार भी है। अगर उसने कोई बड़ा जुर्म नहीं किया है। इस मामले में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। हालांकि अदालत ने साफ तौर पर कह दिया है कि टूलकिट में हिंसा फैलाने की कोई बात नहीं है। इससे साफ जाहिर होता है। कि दिशा रवि और दूसरे लोग भविष्य में देशद्रोह के आरोप से मुक्त हो सकते हैं। पटियाला हाउसकोर्ट ने साफ तौर पर कहा है। कि किसी भी देश के नागरिक देश को दिशा देने वाले होते हैं। उन्हें सिर्फ इसलिए जेल नहीं भेजा जा सकता है। कि वह सरकार की नीतियों से सहमत नहीं हैं। सरकार से असहमति और नीतियों का विरोध लोकतंत्र को और पारदर्शी एवं स्वस्थ बनाता है। नागरिकों की आलोचनाओं को दृष्टिगत रखते हुए सरकारें अपनी कार्यप्रणाली और करतब में विशेष सुधार ला सकती हैं। देश में सजग नागरिक मजबूत राष्ट्रवाद का द्योतक है। सरकार की हां में हां मिलाने वाले लोगों से भले इस तरह के सजग नागरिक हैं। अदालत की तरफ से ऋग्वेद का उदाहरण देते हुए कहा गया है। कि अलग-अलग विचारों को रखना हमारी सभ्यता और मजबूत लोकतंत्र का आधार है। किसी भी मुद्दे पर सरकार से असहमति सामान्य सी बात है। हमें इस तरह के विचारों से कोई असहमति नहीं होनी चाहिए। जबकि दिल्ली पुलिस ने दिशा रवि की जमानत का विरोध किया। पुलिस ने कहा कि उन्होंने व्हाट्सएप ग्रुप बनाया और टूलकिट को एडिट किया। पुलिस की दलील को अदालत ने अमान्य कर दिया और कहा कि व्हाट्सएप ग्रुप बनाना कोई राष्ट्र द्रोह नहीं होता है। अदालत ने कहा कि दिशा रवि की तरफ से की गई गतिविधियों का कोई ऐसा लिंक भी नहीं मिला है। जो देशद्रोह की श्रेणी में आता हो, जिसके आधार पर उसे जमानत न दी जाए। अदालत की तरफ से की गई तल्ख टिप्पणियों का संज्ञान हमें लेना चाहिए। बेवजह किसी भी नागरिक को परेशान नहीं करना चाहिए। अभिव्यक्ति की आजादी बनाए रखना भी स्वस्थ लोकतंत्र की परंपरा और सरकारों का दायित्व भी है। टूलकिट मामले में दिशा रवि और दूसरे लोगों को अदालत से राहत भले मिल गईं हो लेकिन दिल्ली के लाल किले पर 26 जनवरी को जो कुछ हुआ वास्तव में इसे हम उचित नहीं ठहरा सकते हैं। दिल्ली पुलिस की जांच में जो तथ्य सामने आए हैं। उससे तो यहीं लगता है। कि पंजाब में खालिस्तान से जुड़े लोग एक बार फिर आतंकवाद की नाग फनियां उगाना चाहते हैं। किसान आंदोलन की आड़ में अपनी साजिश को कामयाब करना चाहते हैं। देश में टूलकिट पर राजनीतिक सरगर्मियां भी खूब हुई। दिशा रवि और अन्य की गिरफ्तारी को लेकर सत्ता के खिलाफ विपक्ष लामबंद भी हुआ लेकिन दिल्ली पुलिस की प्राथमिक जांच में जो तथ्य सामने आए उससे तो यही साबित होता है। कि कनाडा में बैठे खालिस्तान संगठन और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने मिल कर इस साजिश को अंजाम दिया। हालांकि अभी जांच की प्रक्रिया लम्बी चलेगी लेकिन दिशा और अन्य की जमानत के बाद दिल्ली पुलिस को झटका लगा है। उसकी पारदर्शिता भी बेनकाब हुई है। उसका उत्साह भी कमजोर पड़ सकता है। टूलकिट एक गूगल दस्ताबेज है जिसे अपनी सुविधा के अनुसार एडिट किया जा सकता है। सोशलमिडिया पर यह किट अपने संगठन से जुड़े लोगों के बीच वायरल की जाती है। इस टूलकिट में सारी बातें बिस्तार से लिखी होती हैं। जिसमें आंदोलन को कैसे तेज करना है। किन लोगों को जोड़ना है। जिसके पास अधिक फॉलोवर होते हैं। उसे वरीयता के आधार पर जोड़ा जाता है। इसमें सारी बातें लिखित होती हैं। अदालत की तरफ से टूलकिट मामले में दिशा रवि और दूसरे लोगों को जमानत भले मिल गईं हो लेकिन यह मामला देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। दिल्ली पुलिस की जांच में अब तक जितने लोगों के नाम आए हैं। उनमें अधिकांश पर्यावरणविद और जलवायु एक्टिविस्ट हैं। सभी युवा और ग्लोबल स्तर पर चर्चित चेहरे हैं लेकिन इसमें खालिस्तान संगठन की भूमिका भी उभर कर आयीं है। ग्रेटा और तमाम विदेशी चेहरे भी बेनकाब हुए हैं। सवाल उठता है। कि टूल किट का उपयोग कर देश और विदेश में बैठे लोगों ने किसान आंदोलन को भड़काने का काम क्यों किया। मैं यह मानता हूँ। कि किसी मसले पर सरकार से असहमति रखना देशद्रोह नहीं हो सकता है। लेकिन जब देश में किसान आंदोलन चल रहा हो, उस दशा में विदेशी लोगों से मिलकर टूलकिट को वायरल करना क्या गलत कार्य नहीं है। ग्रेटा थनबर्ग और दिशा के बीच हुए चैट खुद इसकी गवाही देते हैं। दिशा ने खुद पर शिकंजा कसने की बात चैट में कही थी। देशद्रोह के नाम पर किसी को बेवजह परेशान नहीं किया जाना चाहिए लेकिन टूलकिट की सच्चाई भी देश के सामने आनी चाहिए।

मास्क के चेकिंग अभियान का पोस्ट हुआ वायरल

यूपी के सभी जिलों में मास्क के चेकिंग अभियान का पोस्ट हुआ वायरल, यूपी पुलिस ने किया खंडन

लखनऊ। यूपी पुलिस तीस, तीन तक लगातार मास्क चेकिंग अभियान चलाने जा रही है। मास्क नहीं लगाने पर चालान के साथ जेल भी होगी। सोशल मीडिया पर यूपी पुलिस द्वारा मास्क चेकिंग अभियान के इस तरह का मैसेज तेजी से वायरल रहा। दरअसल इस मैसेज में पुलिस का लोगो भी लगा होने के कारण लोग इसे सच मानने लगे। यह मैसेज व्हाट्सएप ग्रुप से होता हुआ कई जगहों पर वायरल हो गया। यूपी पुलिस ने ट्वीट कर इस मैसेज को फर्जी बताया है। यूपी पुलिस का कहना है। कि वो इस तरह का कोई अभियान नहीं चलाने जा रही है।
उत्तर प्रदेश पुलिस के नाम से वायरल हो रहे फर्जी पोस्टर में लिखा था। कि 'कल (26 फरवरी) प्रातः 9 बजे से उत्तर प्रदेश के सभी थाना क्षेत्रों में मास्क चेकिंग का 30 दिनों तक अभियान चलाया जाएगा।
सभी शहर और ग्रामवासी मास्क का प्रयोग करें और चालान की कार्रवाई से बचें और साथ ही 10 घंटे की अस्थायी कारावास ( जेल) सजा से भी बचें। इतना ही नहीं, वायरल पोस्टर में निवेदक के रूप में उत्तर प्रदेश पुलिस लिखा हुआ था। जिस वजह से लोग इस बात पर यकीन करते हुए इस पोस्टर को सभी सोशल मीडिया ग्रुपों में शेयर करते रहे।
उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा मास्क चेकिंग का 30 दिन का ऐसा कोई भी अभियान नही चलाया जा रहा है। और न ही ऐसी कोई सूचना प्रसारित की गई है।
अतः ऐसी भ्रामक खबरों पर ध्यान न दें, जो भी इस प्रकार की भ्रामकता फैलायेगा, उसके विरुद्ध आवश्यक विधिक कार्यवाही की जाएगी।

कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोग द्वारा दिये गए निर्देश

निर्वाचन तैयारियों सम्बन्धी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोग द्वारा दिये गए आवश्यक निर्देश

कुशीनगर। मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ल द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के समस्त जिलाधिकारी व सम्बन्धित अधिकारी के साथ निर्वाचन सम्बन्धी सभी आवश्यक पहलुओ पर चर्चा की गई और आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए गए। मतदाता पहचान पत्र की समीक्षा दौरान जनपद स्तर से वेंडर को दिए गए डाटा से पहचान पत्रों को मिलान कर लेने का निर्देश दिया गया। इसी प्रकार,रैपिड एपिक अन्तर्गत डाटा अपलोड कराकर वेंडर को दिए जाने थे। फिर उसे बंटवाया जाना भी सुनिश्चित किये जाने का निर्देश दिए गए इसी प्रकार जिन मतदाताओं का के पहचान पत्र में फ़ोटो नही हैं। की भी समीक्षा की गई और ऐसे प्रकरण कुशीनगर जनपद के 3 मामले थे। जिसे जिलाधिकारी द्वारा शीघ्र उपलब्ध कराते हुए प्रभावी कार्यवाही किये जाने का आश्वासन दिया गया जनपदों में वेयर हाउस निर्माण की समीक्षा दौरान कुशीनगर में निर्धारित अवधि 28 फरवरी तक पूर्ण कर लिए जाने की बात जिलाधिकारी द्वारा कही गई इसके अलावे अन्य बिंदुओं पर भी समीक्षा की गई इस अवसर पर जिलाधिकारी एस राजलिंगम के साथ अपर जिलाधिकारी विंध्यवासिनी राय, जॉइंट मजिस्ट्रेट कसया, उप जिलाधिकारी खडडा, पडरौना, कप्तानगंज, हाटा, व सहित तहसीलदार व निर्वाचन कार्यालय के अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित रहे।

जम्मू में मिले पाकिस्तानी सिग्नल, एजेंसियां अलर्ट

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के साथ लगने वाली सीमा के समीप पाकिस्तानी टेलीकॉम ऑपरेटरों के सिग्नल मिलने से पहले से ही अलर्ट पर चल रही सुरक्षा एजेंसियों ने जम्मू के बाहरी इलाकों में अब रेडियो चैनल के सिग्नल मिलने के बाद सुरक्षा और कड़ी कर दी है। प्रदेश के सिधरा-कुंजवानी बाय-पास रोड पर कई लोगों के मोबाइल फाेन,गाड़ियों के म्यूजिक और रेडियो सिस्टमों में पाकिस्तान के रेडियो चैनल भी सुनाई दिये और कई लोगों को पाकिस्तानी रेडियो चैनल के प्रोग्राम भी बड़ी आसानी से सुनाई दिए। पाकिस्तानी रेडियो चैनल के सिग्नल इतने मजबूत हैं, कि जम्मू के कई इलाकों में स्थानीय रेडियो सिग्नल ठीक से लोगों को सुनाई भी नहीं दे रहे।

पंजाब किंग्स ने जीता टॉस, गेंदबाजी का फैसला

पंजाब किंग्स ने जीता टॉस, गेंदबाजी का फैसला  इकबाल अंसारी  चेन्नई। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2024 सीजन में चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) और पं...