रविवार, 10 जनवरी 2021

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ प्रचार रथ का भ्रमण किया

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ अभियान के प्रचार रथ की पूजन अर्चन पश्चात नगर भ्रम
शिव जायसवाल
बालोद। अयोध्या में बनने वाले श्रीराम मंदिर निर्माण के प्रचार प्रसार हेतू बालोद शहर में प्रचार रथ का भ्रमण किया जा रहा है। शनिवार को शहर के हनुमान मंदिर से प्रचार रथ की पूजा अर्चना पश्चात नगर भ्रमण के लिए रवाना किया गया। श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए 15 से 31 जनवरी तक विशेष अभियान संचालित किया जा रहा है।
प्रचार रथ नगर के हर मोहल्ले में पहुंचकर प्रसार करेगा और आयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण हेतु निधि समर्पण करने के लिए लोगो को जागरूक करेगा। इसके अलावा 15 जनवरी से प्रारम्भ होने वाले महाअभियान की जानकारी लोगो तक पहुंचाएगा।
प्रचार रथ पर आयोध्या में बनने वाले राम मंदिर का चित्रण किया गया है। साथ ही अन्य महत्वपूर्ण जानकारी भी इस प्रचार रथ में अंकित की गई है।

मोबाइल पर 75% सीखने की क्षमता आखों पर निर्भर

वाशिंगटन डीसी। बच्चों की 75% सीखने की क्षमता आंखों पर निर्भर है। आंख की जांच करने के लिए इसकी शुरुआत जन्म से हो जानी चाहिए। कम वजन वाले और समय से पहले पैदा हुए बच्चे की आंखों की जांच जरूरी होनी चाहिए। नवजात को रतौंधी से बचाने के लिए विटामिन-ए की खुराक जरूर पिलवाएं।
3 साल की उम्र के बाद पहली ग्रेड में जाने से पहले एक बार आंखों की जांच कराएं। इसके बाद हर 2 दो साल पर आई टेस्ट करा सकते हैं।
बच्चों में ये लक्षण दिखें तो नजरअंदाज न करें
आंखों में संक्रमण, पुतलियों पर सफेदी, जन्मजात मोतियाबिंद, डिजिटल स्ट्रेन जैसी दिक्कतों की वजह जानने के लिए आंखों की जांच जरूरी है। इसके अलावा सिरदर्द रहना, आंखों में पानी भरना, जलन होना और बार-बार रगड़ना भी आंखों में परेशानी होने का इशारा करते हैं। बच्चों में ऐसे लक्षण दिखने पर आई एक्सपर्ट की सलाह ले
बच्चे गैजेट्स के साथ समय बिताते हैं। तो ये ध्यान रखें
गैजेट्स से निकलने नीली रोशनी आंखों पर लगातार पड़ने से इनमें पहले रुखापन आता है फिर मांसपेशियों पर जोर पड़ता है। लम्बे समय तक ऐसा होने से आंखें कमजोर हो जाती हैं। इनकी दूर की नजर कमजोर होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसे मायोपिया कहते हैं। लगातार ऐसा होने पर चश्मा लग सकता है। और जो पहले से लगा रहे हैं। उनका नम्बर बढ़ सकता है।
एक हालिया रिसर्च के मुताबिक, अगर बच्चों में गैजेट का इस्तेमाल ऐसे ही बढ़ता रहा तो 2050 तक 50 फीसदी बच्चों को चश्मा लग जाएगा। बच्चे गैजेट का इस्तेमाल करते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखें…
लैपटॉप की स्क्रीन और आंखों के बीच कम से कम 26 इंच की दूरी होनी चाहिए।
मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं। तो यह दूरी 14 इंच होनी चाहिए। हालांकि यह हाथों की लम्बाई पर भी निर्भर करता है।
स्क्रीन की ब्राइटनेस और कंट्रास्ट को कम रखें, ताकि आंखों पर ज्यादा जोर न पड़े
स्क्रीन पर एंटीग्लेयर शीशा हो तो बेहतर है। या फिर खुद एंटीग्लेयर चश्मा लगाएं।
स्क्रीन पर दिखने वाले अक्षरों को सामान्य तौर पर पढ़े जाने वाले अक्षरों के साइज से 3 गुना ज्यादा रखें।

दिल्ली के पूर्व पर्यटन मंत्री सोमनाथ का अमेठी दौरा

अमेठी। दिल्ली की केजरीवाल सरकार में विधायक सोमनाथ भारती अमेठी दौरे पर पहुंचे विकास खण्ड जगदीशपुर स्थित लखनऊ रोड पर रामलीला मैदान के निकट एक मैरिज हाल में आम आदमी पार्टी के अमेठी मीडिया प्रभारी आवेश हनफी द्वारा सदस्यता अभियान के तहत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जहां कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिल्ली के पूर्व पर्यटन मंत्री व विधायक शोभनाथ भारती का आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने माल्यार्पण कर स्वागत किया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए शोभनाथ भारतीे ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा सरकार सिर्फ जुमले बाजी में निपुण है। जबकि धरातल पर कोई काम नही कर रही वही हमारे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में जो काम किए हैं। उसकी चर्चा और बखान पूरा देश ही नहीं बल्कि विश्व के विभिन्न देशों में दिल्ली माडल की प्रशंसा हो रही है। चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो या स्वास्थय महिला सुरक्षा हो या बिजली पानी का मामला हो या आम आदमी की बुनियादी ज़रूरतें हो सभी सुविधाएं मुहैया करा रही हैं। यही वजह है कि दिल्ली वाले हर बार अरविंद केजरीवाल को बतौर मुख्यमंत्री चुनते हैं।जबसे अरविंद केजरीवाल ने उत्तर प्रदेश में 2022में होने वाले विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है। भाजपा के नेता व मंत्री उन पर टूट पड़े हैं। और वह दिल्ली गवर्नेन्स माडल और यूपी गवर्नेन्स माडल की तुलना करने में लगे हुए हैं।
भाजपा के नेता व प्रदेश सरकार के स्वास्थय मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने दिल्ली विकास माडल और यूपी विकास माडल पर बहस करने की चुनौती दे दिया तो दिल्ली के उप मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसौदिया ने उस चुनौती को स्वीकार किया और लखनऊ आए लेकिन उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री नदारद हो गए ।यही नहीं जब मनीष सिसौदिया उत्तर प्रदेश के स्कूलो को देखने के लिए निकले तो प्रशासन ने उन्हें रोकना शुरू कर दिया और उन्होंने कहा कि विकास और अच्छे काम दिखाने के लिए होते हैं। छिपाने के लिए नहीं होते ।
जब उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलो को छिपाना शुरू कर दिया तो स्कूलों की हालत दिखाने के लिए आम आदमी पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी सांसद संजय सिंह अमेठी प्रभारी हितेश सिंह की अगुवाई में सेल्फी विद सरकारी अभियान शुरू किया गया है। जिसके तहत प्रदेश के प्रत्येक जिले के कार्यकर्ता सरकारी स्कूल जाकर सेलफी ले रहे हैं। और स्कूलो के हालात से जनता को अवगत करा रहे हैं ।इस अभियान से उत्तर प्रदेश सरकार बौखला गई है। चूँकि यहाँ के सरकारी स्कूलो की हकीकत किसी से छिपी नहीं है। बरसात में यह स्कूल स्वीमिंग पूल बन जाते हैं और छात्र छात्राओं को मुसीबत का सामना करना पड़ता है। मिड डे मील की स्थिति जस की तस बनीं हुई है।
कहीं कहीं तो बरसात के समय बच्चे टपकती छत के नीचे पढाई करने के लिए मजबूर होते हैं कहीं शौचालय ही नहीं है तो शौचालय बने हुए हैं। लेकिन बदहाली की वजह से इस्तेमाल में नहीं है।जो सिर्फ शोपीस बने हुए हैं और वहीं कागजों पर शिक्षा का विकास तेजी से दौड़ रहा है जो यह दर्शाता है। कि शिक्षा के लिए सरकार कितना प्रयासरत है। आम आदमी पार्टी के संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल यह बार-बार कह रहें हैं। कि हम जाति व धर्म की राजनीति नहीं शिक्षा स्वास्थय रोजगार महिला सुरक्षा बिजली पानी पर काम करते हैं। हमे स्कूल व अस्पताल बनाने हैं। दिल्ली की जनता को जो सुविधाए मिल रही है।
वही सुविधाए उत्तर प्रदेश की जनता को भी मिलनी चाहिए। उत्तर प्रदेश में आम आदमी पार्टी का संगठन बढता व सरकारी स्कूलों की खुलती पोल देख मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने अपने शासन काल के आखिरी साल में सरकारी स्कूलो की हालत देखते हुए कायाकल्प की योजना बनाई है उत्तर प्रदेश के सभी प्राइमरी व माध्यमिक स्कूलो को सरकार कायाकल्प योजना के तहत जोड़ने की तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है, कि एक सरकार अगर दूसरी सरकार से सीख कर जनता के लिए कुछ बेहतर करती है। तो हमें अपने गवर्नेन्स माडल पर गर्व है लेकिन अगर योगी आदित्य नाथ की यह योजना जुमला साबित हुई तो यूपी में योगी आदित्य नाथ की सरकार जाने वाली है। वहीं कई दर्जन लोगों को आप पार्टी में शामिल कराया और वही मंत्री जी ने जीजीआईसी व पूर्व माध्यमिक विद्यालय का निरीक्षण किया।
इस मौके पर जिलाध्यक्ष शिव प्रसाद कश्यप जैनुल हसन राजेश कुमार सिंह डॉक्टर मलखान सिंह जहीर खान अमर नाथ पाण्डेय हाजी नसरुद्दीन शमीम पलटू राम ठाकुर प्रसाद सीतापति नरसिंह बहादुर सिंह अरमान अली चन्द्र जीत यादव मुशर्रफ खान सहित तमाम कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे।

बीजेपी विधायक ने लगाया 'फ्लू' फैलाने का आरोप

राजस्थान बीजेपी विधायक ने अन्नदाताओं पर लगाया बर्ड फ्लू फैलाने का आरोप,कहा-मांस और बिरयानी खाकर बीमारी फैलाने का ‘‘षड्यंत्र’’रच रहे किसान

जयपुर। तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले कई दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे है। और इसी बीच भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक का विवादित ब्यान सामने आया है। जिसमे उन्होंने किसानों पर बर्ड फ्लू फ़ैलाने का आरोप लगाया है। मिली जानकारी के मुताबिक, राजस्थान के कोटा से भारतीय जनता पार्टी के विधायक मदन दिलावर ने शनिवार को अन्नदाताओं पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि देश को नष्ट करने की इच्छा रखने वाले उग्रवादी और लुटेरे कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों में संभवत शामिल हो गए हैं। विधायक ने आरोप लगाया कि तथाकथित किसानों को देश की चिंता नहीं है। वे स्वादिष्ट व्यंजनों के अलावा अन्य विलासिताओं का आनंद ले रहे हैं। और पिकनिक मना रहे हैं। उन्होंने यहां जारी एक वीडियो में बयान दिया कि प्रदर्शनकारी किसान प्रदर्शन स्थल पर मुर्गे-मुर्गियों का मांस और बिरयानी खाकर बर्ड फ्लू फैलाने का षड्यंत्र’’ रच रहे हैं।
राजस्थान कांग्रेस प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा ने भाजपा विधायक के इस बयान की कड़ी निंदा करते हुए इसे शर्मनाक टिप्पणी बताया और कहा कि यह भाजपा की विचारधारा को दर्शाती है।

पंजाब के 1 किसान ने जहर खाकर आत्महत्या की

किसान आन्दोलन: अन्नदाताओं का प्रदर्शन जारी…सिंघु बॉर्डर पर पंजाब के एक किसान ने जहर खाकर आत्महत्या की,कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान पिछले कई महीनों से प्रदर्शन कर रहे है। और अब तक कई किसानों की मौत हो चुकी है। तो कई किसानों ने प्रदर्शन के दौरान आत्महत्या भी कर ली है। वहीँ एक बड़ी खबर दिल्ली के सिंघु बॉर्डर से आ रही है। जहाँ पंजाब के रहने वाले अमरिंदर सिंह ने जहर खा लिया। इलाज के लिए उन्हें सोनीपत के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
जानकारी के मुताबिक शनिवार को सिंघु बॉर्डर पर 40 साल के एक किसान ने आत्महत्या कर ली। पंजाब के रहने वाले अमरिंदर सिंह ने जहर खा लिया। इलाज के लिए उन्हें सोनीपत के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
पिछले करीब डेढ़ महीने से जारी इस आंदोलन के दौरान अब तक कई किसानों की मौत हो चुकी है। कुछ किसानों की ठंड के कारण मौत हुई तो कुछ ने खुदकुशी कर ली. 3 जनवरी को टिकरी और कुंडली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे दो किसानों की मौत हो गई थी। पहली मौत टिकरी बॉर्डर पर हुई। यहां मृतक किसान की पहचान जुगबीर सिंह के रूप में हुई। जबकि दूसरे किसान की मौत कुंडली बॉर्डर पर हुई। इनकी पहचान कुलबीर सिंह के रूप में हुई।
किसानों की मौत को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार को घेरा भी था। प्रियंका गांधी ने प्रदर्शन के दौरान किसानों की लगातार हो रही मौत की घटनाओं पर चिंता जाहिर की। उन्होंने किसानों की मांग स्वीकार न करने पर केंद्र की मोदी सरकार को असंवेदनशील करार दिया।
प्रियंका गांधी वाड्रा  ने ट्वीट किया था। कि सर्द मौसम में दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसान भाइयों की मौत की खबरें विचलित करने वाली हैं। मीडिया खबरों के मुताबिक अभी तक 57 किसानों की जान जा चुकी है। और सैकड़ों बीमार हैं। महीने भर से अपनी जायज मांगों के लिए बैठे किसानों की बातें न मानकर सरकार घोर असंवेदनशीलता का परिचय दे रही है
अन्नदाता केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवंबर से ही दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं. सरकार और किसानों के बीच अब तक 8 दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन सभी बेनतीजा रही। किसान कानूनों को वापस लेने पर अड़े हैं। तो वहीं सरकार कानूनों में संशोधन की बात कह रही है।
 

नया विकल्प, कई देशों में टॉप फ्री एप बना सिग्नल

नई दिल्ली। दुनिया में सबसे ज्यादा यूज किए जाने वाले इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप व्हाट्सऐप ने अपनी प्राइवेसी पॉलिसी को अपडेट किया है। ये प्राइवेसी पॉलिसी 8 फरवरी से लागू हो जाएगी। वॉट्सऐप की नई पॉलिसी से बहुत से यूजर्स नाखुश हैं। जिसकी वजह से यूजर्स व्हाट्सऐप के विकल्प को खोजने लगे हैं। अब लोग प्राइवेसी फोकस्ड इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप सिग्नल में स्विच कर रहे हैं। अब ये ऐप भारत समेत कई देशों में टॉप फ्री ऐप बन गया है।
एलन मस्क ने किया ट्वीट
टेस्ला के सीईओ और दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने ट्वीट करके अपने फॉलोअर्स को सिग्नल ऐप यूज करने की सलाह दी है। मस्क के इस ट्वीट ने सोशल मीडिया पर सनसनी मचा दी है। 2.7 लाख से ज्यादा लोग इस ट्वीट को लाइक कर चुके हैं। और 32 हजार से ज्यादा रीट्वीट हो चुके हैं।
2014 में लॉन्च हुआ था। सिग्नल ऐप
फेसबुक के हाथों बिकने के बाद वॉट्सऐप के को-फाउंडर ब्रायन एक्टन ने सिग्नल फाउंडेशन बनाया। सिग्नल ऐप का स्वामित्व सिग्नल फाउंडेशन और सिग्नल मैसेंजर एलएलसी के पास है। साल 2014 में इसे लॉन्च किया गया था। फिलहाल सिग्नल ऐप के सीईओ मॉक्सी मार्लिनस्पाइक  हैं। इस ऐप की टैगलाइन । से हेलो तू प्राइवेसी है।
सिग्नल ऐप यूजर का किसी भी तरह डाटा कलेक्ट नहीं करता जबकि व्हाट्सऐप ने अब यूजर डाटा कलेक्ट करना शुरू कर दिया है। सिग्नल ऐप सिर्फ यूजर का मोबाइल नंबर लेती है। वहीं वॉट्सऐप फोन नंबर, कॉन्टैक्ट लिस्ट, लोकेशन, मैसेज सारे डाटा कलेक्ट करती है।
व्हाट्सऐप ने जो नई पॉलिसी पेश की है। उसे यूजर्स को 8 फरवरी 2021 तक एक्सेप्ट करना होगा। इसके लिए आप वॉट्सऐप के हेल्प सेंटर पर जा कर पॉलिसी में एग्री और नॉट नाउ का विकल्प चुन सकते हैं। जिसमें लिखा है कि हमारी सर्विसेज को ऑपरेट करने के लिए आपके वॉट्सऐप कंटेंट को फेसबुक और इंस्टाग्राम के साथ शेयर किया जाएगा। यूजर्स के पास नई पॉलिसी का पॉपअप आएगा, जिसे उन्हें एक्सेप्ट करना होगा। इसके लिए आप एग्री पर टैप करते हैं। तो आप कंपनी की नई पॉलिसी को अपनी सहमति देंगे।

7वीं बार दिल्ली परेड में प्रतिनिधित्व करेंगी रिखी क्षत्रीय

सातवीं बार दिल्ली परेड में प्रतिनिधित्व करेंगी छग की रिखी क्षत्रीय

नई दिल्ली। दिल्ली में इस बार गणतंत्र दिवस के परेड में लोक कलाकार रिखी क्षत्रीय छत्तीसगढ़ की झांँकी का नेतृत्व करेंगी। राजपथ पर झांँकी में जहाँ 22 वाद्ययंत्रों की प्रदर्शनी होगी वहीं इसका धुन भी परेड ग्राऊँड में गूंँजेगा। रिखी क्षत्रीय इस गणतंत्र दिवस में सातवीं बार परेड में शामिल हो रही है। नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर होने वाले परेड में इस बार का थीम छत्तीसगढ़ के लोक संगीत का वैभव है। रिखी क्षत्रीय एवं उनकी टीम द्वारा करीब दो माह से इसे लेकर लगातार मेहनत करने के बाद नई दिल्ली से उनके समूह को मंजूरी दी गई है। राजपथ में इस बार गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति प्रधानमंत्री सहित अनेक गणमान्य के बीच लोक वाद्यों पर आधारित छत्तीसगढ़ की झांँकी प्रदर्शित होगी। इसमें सबसे ऊपर छत्तीसगढ़ का पारंपरिक मुंडा बाजा होगा।
छत्तीसगढ़ के भिलाई स्टील प्लांट के कनवर्टर शाप से सेवानिवृत्त रिखी क्षत्रीय गणतंत्र दिवस में छग की झाँकी के साथ अवसर मिलने पर बेहद उत्साहित हैं। वे अपने बेहतर प्रदर्शन के लिये दिल्ली पहुँच चुकी हैं , जहाँ अभ्यास के कठिन दौर से गुजरने के बाद उनकी टीम राजपथ पर उतरने के लिये तैयार होगी।
रिखी क्षत्रीय ने चर्चा के दौरान बताया कि दुर्लभ लोक वाद्य पर आधारित झांँकी का चयन भी कठिन प्रक्रिया के बाद हुआ है।जिसमें राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार के अधिकारियों ने कई दौर पर परखा। उसके बाद माडल को मंजूरी मिली और अंत में राजपथ पर इस झांँकी के साथ बजने वाले संगीत को चयनित किया गया। उन्होंने आगे बताया कि राजपथ पर सिर्फ 55 सेकंड का ही संगीत बजेगा। झांँकी का ग्राफिक्स माडल उनकी निगरानी में बनाया गया है। इसमें कई बार फेरबदल के बाद अंतिम रूप से चयन किया गया है। जहांँ रिखी क्षत्रीय सबसे ऊपर रहेंगे और उनके साथ चार कलाकार होंगे, वहीं नीचे झांँकी के दोनों हिस्से में चार-चार कलाकार रहेंगे। उन्होंने आगे बताया कि छत्तीसगढ़ झांँकी की मंजूरी के लिये कुल छह बार बैठक हुई है। जिसमें कई मानकों के अनुरूप तैयारियांँ करवायी गई। इस दौरान अधिकारियों ने हर लोकवाद्य के पीछे की परंपरा और उससे जुड़ी लोक कथाओं पर भी विस्तार से जानकारी ली। तब जाकर अंतिम रूप में इनका चयन किया गया। उन्होंने बताया कि राजपथ पर झाँकी में प्रदर्शित होने वाली 22 वाद्ययंत्रों को उसने स्वयं ही बनाया है। तीन दशक की मेहनत से उन्होंने छत्तीसगढ़ में घूम घूमकर इनके सामानों का संग्रह किया है। इस बार गणतंत्र दिवस पर छत्तीसगढ़ की झांँकी में प्रदर्शित वाद्ययंत्रों में धनकुल , अलगोजा , खंजरी , नगाड़ा , नवजीवन , बाना , चिकारा , तुलबुल , मादर , माहिया , ढोल , तुरई , गुजरी , लोहारी बाजा , कमरिया , घटिया , ढोल , तमूरा , मुंडा बाजा और देव नगाड़ा को शामिल किया गया है। गौरतलब है। कि रिखी क्षत्रीय राजपथ पर इस गणतंत्र दिवस परेड में सातवीं बार प्रदर्शन करेंगी। इससे पहले वे वर्ष 2005 , 2006, 2008, 2010, 2012 एवं 2015 में राजपथ पर परेड में शामिल हुई थी। इसके बाद इस बार 2021में एक बार फिर दिल्ली में राजपथ पर छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करेंगी।

दो टूक, मैरिटल रेप कानूनन अपराध माना जाएं

कीर्ति कुल्हारी की दो टूक- मैरिटल रेप कानूनन अपराध माना जाए, बंद कमरे में भी जरूरी है मर्जी

मुंबई। फिर चाहे पिंक फिल्म हो या मिशन मंगल या फिर वेब सीरीज च्फोर मोर शॉट्स प्लीज, ऐक्ट्रेस कीर्ति कुल्हारी ने हर बार अपने किरदारों के जरिए महिला सशक्तिकरण की आवाज बुलंद की है। इसी कड़ी में अपनी हालिया वेब सीरीज च्क्रिमिनल जस्टिस बिहाइंड क्लोज्ड डोर्सज् में वह मैरिटल रेप जैसे गंभीर मुद्दे का दर्द बयां करती दिखीं। च्नवभारत टाइम्सज् से खास बातचीत में कीर्ति कहती हैं। कि मैरिटल रेप समाज के किसी खास तबके की नहीं, बल्क िहमारी सोशल कंडीशनिंग की समस्या है। हमें समझना होगा कि बंद कमरे में भी एक-दूसरे की मर्जी जरूरी है। मैरिटल रेप को कानूनन अपराध माना जाना चाहिए और इसके लिए भी सजा होनी चाहिए।
सीरीज में आपका किरदार अनु चंद्रा पढ़ी-लिखी होने के बावजूद वर्षों तक पति की जबरदस्ती सहती है। एक और किरदार भी शादी में समझौते की बात कहती है। ये जो च्सहना तो औरतों को ही पड़ता हैज् वाली मानसिकता है, उस पर आपकी क्या राय है।
ये हमारे समाज की कड़वी सचाई है। इसीलिए मैं ये शो करना चाहती थी। औरतों पर फिजिकल ही नहीं, कई तरह के मेंटल, इमोशनल एब्यूज भी होते हैं। जिसे वे सहती रहती हैं। क्योंकि ये सोशल कंडीशनिंग है। हमारी। हमें लगता है। कि मैरिटल रेप छोटे तबकों या अनपढ़ लोगों के बीच होता है।जबकि ये क्लास या शिक्षा की बात है। ही नहीं, ये हमारी सोशल कंडीशनिंग है। लड़कियों को समझा दिया जाता है। कि शादी या रिश्ते की डोर उन्हें ही संभालनी है। उसे कॉम्प्रोमाइज या एडजस्टमेंट करनी होगी, लेकिन कहां तक सहना है। वो कोई नहीं बताता, जो कि बहुत खतरनाक चीज है। अनु इतने सालों तक खुद पर रेप होने देती है। क्योंकि हम ये मानते ही नहीं कि शादी में भी एक-दूसरे की मर्जी जरूरी है। हम तो ये मानकर चलते हैं। कि शादी हो गई, तो आप एक-दूसरे की प्रॉपर्टी हैं। फिर जब हम चारों ओर यही देखते हैं। तो हमें लगता है। कि यही नॉर्मल है। ये तो सभी के साथ हो रहा है। फिर पता भी कहां चलता है। कि बंद दरवाजे के पीछे किसी के साथ क्या हो रहा है। जो चीज आपको रोकती है। वह है। शर्म। शर्म सुनने में बहुत छोटा शब्द है। पर इसकी वजह से आप जिंदगी भर सहते रह सकते हैं। इसलिए, मेरा मानना है। कि सही उम्र में सेक्स एजुकेशन जरूरी है। इस बारे में बातचीत होनी चाहिए।
आपके हिसाब से सहने या समझौते की हद कहां तक होनी चाहिए। 
यह हर किसी के लिए अलग है। आपको खुद एक हद खींचनी होगी कि आप कितना सहने को तैयार हैं। यह पता चल जाता है। कि ये सही नहीं लग रहा है। आपको किसी के तमाचा मारने तक का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। इसका कोई क्राइटेरिया नहीं है। पर कुछ चीजें सही नहीं हैं। एक-दूसरे को मारना, टॉर्चर करना या गाली देना सही नहीं है। एक-दूसरे का अपमान करना सही नहीं है। मेरे हिसाब से रिश्ते में सम्मान प्यार से भी ज्यादा जरूरी है। वह सम्मान पहले आपको खुद को देना होगा तभी दूसरा इंसान भी आपको सम्मान देगा। जहां सम्मान नहीं है। वहां चीजें कभी सही नहीं हो सकती। आपको पता होना चाहिए कि कब आपको कदम पीछे लेना है।
आप लगातार अपने किरदारों से एक किस्म से वुमन एंपावरमेंट कर रही हैं। आपके लिए वुमन एंपावरमेंट क्या है। और कौन से मुद्दे आपको सबसे ज्यादा परेशान करते हैं। 
मैं कोई एक मुद्दा नहीं बता पाऊंगी। आप मेरा काम देखिए, उसमें जो भी मुद्दे दिखते हैं। मैं उनसे कनेक्ट करती हूं,। इसीलिए अपने काम के जरिए उनके लिए आवाज उठाती हूं। मेरे लिए बहुत जरूरी है कि मैं अपना टाइम, ऐक्टिंग स्किल, एनर्जी, खून पसीना कहां लगा रही हूं। उसका कुछ मतलब होना चाहिए। मुझे लगता है। कि अगर मैं समाज के लिए कुछ करना चाहती हूं, तो मेरे लिए सबसे बड़ा माध्यम मेरी ऐक्टिंग है। इसलिए, मैं ऐक्टर होने का फायदा उठाती हूं। और ऐसी चीजें चुनती हूं, जिनमें मैं यकीन करती हूं। और उसके खिलाफ बोलना चाहती हूं। जैसे, इसमें मैरिटल रेप या एब्यूज की बात हो गई या फोर मोर शॉट्स में इतने सारे मुद्दे हैं। रही बात एंपावरमेंट की, तो मेरे लिए असल एंपावरमेंट तब आती है। जब आप दूसरों को दोष देना छोड़ देते हैं। जब अपनी जिंदगी की डोर अपने हाथ में लेते हैं। अपने फैसले खुद करते हैं। कि अच्छा या बुरा, ये मेरा फैसला है। इसके लिए मैं जिम्मेदार हूं। तब आप सही मायने में एंपावर्ड होते हैं।
मैरिटल रेप को कानूनन अपराध बनाए जाने को लेकर बहस चल रही है। इस बारे में आपकी क्या राय है।
ऐसा बिलकुल होना चाहिए। इसमें कोई दो राय ही नहीं है। अब वह समय आ चुका है। कि मैरिटल रेप को कानूनन अपराध माना जाए और सजा की श्रेणी में लाया जाए।
अनु चंद्रा बहुत ही कॉम्पलेक्स किरदार है। उस दर्द को समझने के लिए आपने क्या रिसर्च या तैयारी की।
मैंने बहुत कुछ किया। ऐसी प्रताडऩा से गुजरी औरत को समझना और उसे निभाना बहुत मुश्किल था। इसी वजह से मैं यह रोल करना भी चाहती थी। पर मुझे पता था। कि हां करके मैंने खुद के पांव पर कुल्हाड़ी मारी है। इसलिए मैं कुछ मनोचिकित्सकों से मिली और इस दुनिया को समझने की कोशिश की कि यह प्रॉब्लम कितनी बड़ी है। किस हद तक है। उन्होंने कुछ केसेज भी मुझे बताएं, जिससे मुझे अहसास हुआ कि सचाई ज्यादा क्रूर है। सिनेमा में तो हम उसका दस प्रतिशत भी नहीं दिखाते हैं। मैंने इस दुनिया में भरोसा करना शुरू किया। फिर अनु को डिप्रेशन और एंजाइटी भी है। तो उस बारे में भी समझने की कोशिश की पर वाकई यह किरदार बहुत कॉम्प्लिकेटेड था।

सिराज के साथ ऑस्ट्रेलियाई दर्शकों ने की बदतमीजी

इंडिया व ऑस्ट्रेलिया 2020 मोहम्मद सिराज के साथ ऑस्ट्रेलियाई दर्शकों ने की बदतमीजी, अब होगा एक्शन

सिड़नी। ऑस्ट्रेलिया में एक बार फिर भारतीय गेंदबाज मोहम्मद सिराज के साथ बदतमीजी हुई है। तीसरे टेस्ट के दौरान ऑस्ट्रेलियाई दर्शकों ने सिराज पर नस्लीय टिप्पणी की है।सिराज ने कप्तान अजिंक्य रहाणे और बाकी प्लेयर्स के साथ मिलकर फील्ड अंपायर पॉल राफेल से इसकी शिकायत भी की।
इसके बाद अंपायर ने मैच रेफरी और टीवी अंपायर से बातचीत कर पुलिस को बुलाया। इसके बाद कुछ देर के लिए खेल को रोकत दिया गया और पुलिस ने 6 से ज्यादा दर्शकों को स्टेडियम से बाहर किया। इसके बाद मैच को दोबारा चालू किया जा सका।
सिराज को मंकी यानी बंदर कहा गया
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ( सीए )ने कहा है।कि नस्लीय टिप्पणी को लेकर हमारी जीरो टॉलरेंस पॉलिसी है। हम इस प्रकार की घटना को बिलकुल बर्दाश्त नहीं करेंगे और मामले पर एक्शन जरूर लिया जाएगा। इससे पहले मैच के तीसरे दिन शनिवार को टीम इंडिया के दो प्लेयर्स पर नस्लीय टिप्पणी का मामला सामने आया था. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, एक दर्शक ने जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज के खिलाफ अभद्र और नस्लीय कमेंट्स किए। बीसीसीआई ने इसकी शिकायत मैच रेफरी डेविड बून से की थी।
बीसीसीआई सूत्रों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि सिराज जब बाउंड्री लाइन पर फील्डिंग कर रहे थे। तब उन्हें एक दर्शक ने मंकी यानी बंदर कहा। यह दर्शक सिडनी क्रिकेट ग्राउंड के स्टैंड्स में पूरे वक्त मौजूद था।
इस सूत्र ने कहा- हमने इस बारे में आईसीसी के मैच रेफरी डेविड बून के पास शिकायत दर्ज कराई है। आरोपी दर्शक नशे में था। डेविड बून ऑस्ट्रेलियाई टीम के पूर्व ओपनर रह चुके हैं।
 

कड़ाके की ठंड के बावजूद किसानों का धरना-प्रदर्शन

कृषि कानूनों पर क्यों अड़ी सरकार, जानिए इनसाइड स्टोरी
अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में कड़ाके की ठंड के बावजूद हजारों किसान 26 नवंबर से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर डटे हुए हैं। किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच अब तक हुई नौ दौर की बातचीत बेनतीजा रही है। अब तक 60 से अधिक किसानों ने दम तोड़ चुके हैं। वहीं, कांग्रेस का कहना है। कि मोदी सरकार देश के किसानों को ‘थकाने और झुकाने’ की साजिश कर रही है। काले कानून खत्म करने की बजाय, 40 दिन से ‘मीटिंग-मीटिंग’ खेल किसानों को ‘तारीख पर तारीख’ दे रही है।
इन सब के बीच केंद्र सरकार तीन नए कृषि कानूनों को लेकर अड़ी हुई है। पार्टी सूत्रों के अनुसार खबर है कि केंद्र सरकार के इस रवैये के पीछे पार्टी के अभियान और अपने नेताओं से मिला फीडबैक है। भाजपा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंति 25 दिसंबर को को सुशासन दिवस के रूप में मनाती है। पिछले महीने इस दिन से ही पार्टी ने किसानों के साथ हजारों बड़ी बैठकें की। इसके अलावा एक लाख से अधिक किसान पंचायतें भी आयोजित की गईं। इन बैठकों में किसानों को नए कृषि कानून के जरिये आने वाले बदलावों के बारे में जानकारी दी गई।
तीन फेज में आयोजित किया गया कार्यक्रम
भाजपा के पार्टी कैडर ने ब्लॉक और गांव के स्तर पर तीन फेज का कार्यक्रम बनाया। इसके तहत किसानों के साथ बातचीत की गई। इसमें किसानों को कृषि कानून से जुड़ी बुकलेट भी दी गई। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मत है कि कुछ किसान समूहों के विरोध को पूरे किसानों की भावना नहीं माना जा सकता है। भाजपा महासचिव और राज्यसभा सांसद अरुण सिंह ने कहा कि पार्टी के देशव्यापी अभियान के दौरान मैंने व्यक्तिगत रूप से कई किसानों से बातचीत की है। उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा कोई भी उदाहरण नहीं मिला है। जिसमें किसानों ने इन कानूनों के खिलाफ बातचीत की हो।
किसान नेताओं में विश्वसनीयता का संकट
भाजपा प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने साल 2008 में पंजाब और हरियाणा में एमएसपी पर गेहूं की बिक्री को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन का हवाला दिया। त्रिवेदी ने कहा कि ऐसा लगता है। कि किसान नेताओं में विश्वसनीयता का संकट है। उन्होंने कहा कि साल 2008 में पंजाब और हरियाणा में किसानों को एमएसपी पर गेहूं बेचने को मजबूर किए जाने को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा था। उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतें कहीं अधिक थीं।
पहले किया स्वागत तो अब विरोध क्यों
भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने किसान नेता राकेट टिकैत पर तंज कसा। भाजपा नेता ने दावा किया कि पहले उन्होंने कृषि कानूनों का स्वागत किया था। अब विरोध में हैं। उन्होंने कहा कि टिकैत कई मौके पर किसानों को बिचौलियों से मुक्त कराने की मांग कर चुके हैं। भाजपा नेता अरुण सिंह ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने किसानों के साथ किसान पंचायत में बातचीत की लेकिन पंजाब के कुछ हिस्सों को छोड़कर किसानों ने कभी कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज नहीं उठाई।

युवाओं की जिज्ञासाओं का समाधान करने का प्रयास

छत्तीसगढ़ के युवाओं से प्रसन्न हुए सीएम बघेल तारीफों के बांधे पुल जानिए क्या कहा

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी रेडियोवार्ता लोकवाणी की 14वीं कड़ी में आज युवाओं से रूबरू हुए। रेडियोवार्ता की यह कड़ी युवाओं को समर्पित रही। मुख्यमंत्री ने युवाओं द्वारा रिकार्डेड संदेश के माध्यम से साझा किए गए विचारों और सुझावों पर विस्तार से चर्चा की और युवाओं की जिज्ञासाओं का समाधान करने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री ने इस कड़ी में युवाओं को नए वर्ष की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की तरूणाई नई अंगड़ाई लेकर उठ खड़ी हुई है। जो हम सबके सुरक्षित और सुखद भविष्य का संकेत है। सीएम बघेल ने युवाओं को उनके उज्जवल भविष्य के प्रति आश्वस्त करते हुए कहा कि युवाओं की प्रतिभा को संवारने और उन्हें आजीविका के बेहतर अवसर दिलाने के राज्य सरकार के अभियान में किसी तरह की कोई कमी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हमारे छत्तीसगढ़ी युवा हर मंच पर छत्तीसगढ़ का झण्डा गाड़ रहे हैं। छत्तीसगढ़ का नाम रोशन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने 12 जनवरी को स्वामी विवेकानन्द की जयंती राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर उनकी प्रेरणादायक शिक्षाओं और सीख की चर्चा भी युवाओं के साथ की
उन्होंने स्वामी विवेकानन्द के शब्दों को उद्यत करते हुए युवाओं से कहा कि ’एक विचार उठाओ, उसे अपना जीवन बना लो’ यह सफलता का मार्ग है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के युवाओं को देखकर यही लगता है। कि उन पर गांधी-नेहरू-स्वामी विवेकानन्द का असर है। उन्होंने कहा कि बेहतर खेल अधोसंरचनाओं के विकास से खेल प्रतिभाओं को अपनी प्रतिभा निखारने और छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के जरिए युवा साहित्यकारों और कलाकारों को सही मंच, मार्गदर्शन और प्रोत्साहन मिलेगा। मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में कहा कि पिछला साल बड़ी चुनौतियों के साथ बीता है। वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के कारण दुनिया में अनेक परिवारों को अपने प्रियजनों से बिछड़़ना पड़ा। नौकरी, व्यापार, व्यवसाय तथा भिन्न-भिन्न आजीविका के साधनों पर कोरोना महामारी का बहुत घातक आघात रहा।
छत्तीसगढ़वासियों ने अपने कठिन परिश्रम, दृढ़ इच्छाशक्ति और सेवा भावना से कोरोना का मुकाबला किया। आप सबकी बदौलत ही छत्तीसगढ़ ने कोरोना काल में भी बहुत उपलब्धियां हासिल कीं, जिसके कारण राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ को ख्याति मिली। हमारी उपलब्धियों के पीछे एक बहुत बड़ी ताकत हमारी युवा शक्ति है।

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