आखिर कब होगा शिप्रा नदी का शुद्धिकरण
उज्जैन। सरकार कांग्रेस की हो या फिर भाजपा की शिप्रा नदी को शुद्ध कराने के लिए कई जतन किए लेकिन हर प्रयास असफल साबित हुए हैं। शिप्रा नदी को साफ करने के लिए सामाजिक संगठन भी मैदान में उतरे परंतु उसके बाद भी शिप्रा का जल शुद्ध नहीं हो पाया। यह एक चिंता का विषय है। आखिरकार कब तक क्षिप्रा के नाम पर जनप्रतिनिधि राजनीति करते रहेंगे। उज्जैन शहर की पहचान और पूरे भारत में पहचान अगर है। उज्जैन शहर की तो बाबा महाकाल की वजह से और शिप्रा नदी की वजह से। क्योंकि शिप्रा नदी के घाट पर कई प्राचीन मंदिर हैं। सिद्धवट घाट ,मंगलनाथ मंदिर और अन्य मंदिर। सिद्धवट घाट पर पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए अलग-अलग शहर और अलग-अलग राज्यों से लोग प्रतिदिन पहुंचते हैं।बड़ी संख्या में अपने पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए पिंड दान और आत्म शांति की पूजा के लिए साथ ही मंगलनाथ मंदिर पर भी पहुचते हैं। बड़ी संख्या में भक्त ग्रह कलेश बाधाएं खत्म हो भगवान शिव मंगलनाथ की भात पूजा और दर्शन कर इसीलिए यह दोनों मंदिर बेहद ही खास और बेहद ही पौराणिक हैं पर शिप्रा नदी में मिलने वाले मल मूत्र के पानी से शिप्रा नदी का जल तो दूषित और खराब हो ही रहा है। साथ ही जो भक्त शिप्रा नदी में मिल रहे गंदे को देखते हैं तो स्नान भी नहीं करते हैं और बिना स्नान किए ही चले जाते हैं। साथ ही यह भी कहते हुए नजर आते हैं, कि कैसे होगा यहां आकर तीर्थ पूजा सफल और भक्त कोसते हैं।