मंगलवार, 7 जुलाई 2020

अपराधियों को उनकी जगह पहुंचाइए

बृजेश केसरवानी


लखनऊ। कानपुर कांड के बाद शनिवार रात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माफिया और आपराधिक गिरोह पर टूट पड़ो की नीति के तहत कठोरतम कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इस दुर्दांत वारदात के बाद सीएम योगी ने एक बार फिर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से साफ कहा कि अपराधियों को वहीं पहुंचाइए, जहां उनकी जगह है।


उन्होंने माफिया को नए सिरे से सूचीबद्ध कर अभियान के तहत उन पर शिकंजा कसने का भी कड़ा निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानपुर कांड में फरार हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे व उसके साथियों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए पुलिस को एक सप्ताह का समय दिया है। कानपुर कांड के बाद अब एक बार फिर सूबे में अपराधियों के खिलाफ ऑपरेशन क्लीन चलने के साफ संकेत हैं।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार रात डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी व सभी एडीजी जोन के साथ समीक्षा बैठक की। सभी जोन में अपराधियों के विरुद्ध की गई कार्रवाई की समीक्षा भी की। वाराणसी जोन व गौतमबुद्धनगर में अपराधियों के विरुद्ध हुई कार्रवाई पर संतोष जताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अन्य जोन में भी इसी तर्ज पर कार्रवाई का कड़ा निर्देश दिया। जिन जोन में कार्रवाई कम रही, उन्हें अल्टीमेटम भी दिया। कहा कि कोरोना के चलते बीते दिनों बहुत कुछ प्रभावित रहा। अब पुलिस माफिया को नए सिरे से सूचीबद्ध करे और लगातार कार्रवाई की जाए। अपराधियों में पुलिस का भय कायम रहना चाहिए।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सभी एडीजी जोन फील्ड में जाएं। जिलों में जाकर बैठक करें और अपराधियों की सूची व उनके विरुद्ध की जा रही कार्रवाई की नियमित समीक्षा भी जरूर करें। डीजीपी ने भी अधीनस्थों को बड़े से लेकर छोटे अपराधियों की गतिविधियों पर नजर रखने का कड़ा निर्देश दिया है। कहा कि वांछित आरोपितों से लेकर पुराने अपराधियों के विरुद्ध दर्ज मामलों की समीक्षा के साथ ही कोर्ट में प्रभावी पैरवी की जाए। डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कानपुर कांड में अब तक 150 से अधिक स्थानों पर दबिश दिए जाने से लेकर अन्य बिंदुओं पर की जा रही कार्रवाई की पूरी जानकारी दी। बताया कि हर स्तर पर फरार आरोपितों की तलाश कराई जा रही है।


महिला पीसीएस ने फांसी लगा दी जान

ड्राइवर से किसी बात पर नाराज थीं मणि मंजरी…


लखनऊ/बलिया। बलिया में पीसीएस अधिकारी मणिमंजरी ने फांसी लगाकर जान दे दी। उनकी तैनाती मनियर नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी (ईओ) के पद पर थी। आवास विकास कालोनी में पंखे के हुक से लटकती उनकी लाश मिली। सूचना मिलते ही डीएम हरि प्रताप शाही व एसपी देवेन्द्र नाथ के साथ ही फोरेंसिक टीम ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया एवं साक्ष्य जुटाए। पुलिस को मौके से सुसाइड नोट भी मिला है। सुसाइड नोट और अधिशासी अधिकारी की कॉल डिटेल के जरिए आत्महत्या की वजह की जांच में जुट गई है।
गाजीपुर के भांवरकोल की रहने वाली (30 वर्षीय) मणिमंजरी राय की तैनाती करीब दो साल पहले मनियर नगर पंचायत के ईओ पद पर हुई थी। वह जिला मुख्यालय पर आवास विकास कॉलोनी में किराये के मकान में रहती थी और यहीं से मनियर आना-जाना था।
दरवाजा तोड़कर फंदे से उतारा गया शव…..
कई फ्लैट वाले बड़े मकान में तीसरे तल पर अधिशासी अधिकारी मणि मंजरी राय का फ्लैट था। सोमवार को वह घर में अकेले ही थी। उनके फ्लैट के बगल वाले फ्लैट में रहने वाली एक महिला को ईओ के कमरे की खिड़की के शीशे से कुछ हिलता हुआ दिखाई दिया। आसपास के लोगों को किसी अनहोनी की आशंका हुई। उसके बाद डायल 112 और पुलिस को इसकी सूचना दी गई। दरवाजा तोड़कर पुलिस अंदर पहुंची तो बेड के ऊपर ही फंदे पर मणि मंजरी राय का शव लटक रहा था। टीम ने पूरी जांच पड़ताल करने के बाद शव को नीचे उतारा। देर रात तक डीएम-एसपी मौके पर मौजूद रहे।
शव के पास ही मिला सुसाइड नोट…..
पीसीएस अधिकारी द्वारा आत्महत्या किए जाने की खबर मिलने पर संयुक्त मजिस्ट्रेट विपिन कुमार जैन व अन्नपूर्णा गर्व के अलावा सदर तहसीलदार शिवसागर दुबे, नायब तहसीलदार जया सिंह, ईओ बांसडीह सीमा राय, ईओ सिकंदरपुर संजय राव समेत अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। अधिशासी अधिकारीके शव के पास एक सुसाइड नोट मिला। इसमें उन्होने लिखा- मैं दिल्ली-मुंबई से बचकर बलिया में चली आई। लेकिन, यहां मुझे रणनीति के तहत फंसाया गया है। इससे मैं काफी दुखी हूं, लिहाजा मेरे पास आत्महत्या करने के लिए अलावा कोई विकल्प नहीं है। हो सके तो मुझे माफ कर दीजिएगा।पुलिस सूत्रों के मुताबिक अधिशासी अधिकारी को किसने जान-बूझकर और किस मामले में फंसाया, इसमें कौन-कौन लोग हैं, यह सब जांच का विषय है।
ड्राइवर को भगा दूसरे चालक को बुलाया था…..
मनियर नगर पंचायत से जुड़े लोगों के अनुसार बीते शनिवार को अधिशासी अधिकारी मणि मंजरी राय व उनके चालक के बीच कोई बात हुई थी, वह अपने चालक से काफी नाराज थीं। नगर पंचायत पहुंचते ही उन्होने अपने चालक को भगा दिया था और नगर पंचायत अध्यक्ष को फोन कर दूसरा चालक बुलाया था। वह चालक राय को मनियर से लगभग चार किलोमीटर दूर छितौनी ग्राम सभा तक छोड़कर लौट गया था। वहां से मणि मंजरी राय अपनी गाड़ी स्वयं ड्राइव करते हुए बलिया स्थित आवास विकास कॉलोनी के अपने मकान में पहुंची थी। इसके बाद वह मनिया नगर पंचायत नहीं गईं और सोमवार की देर रात फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया।
पीसीएस अधिकारी मणि मंजरी राय ने सुसाइड क्यों किया यह अभी स्पष्ट नहीं है। हालांकि उन्होने कमरे में सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें स्वयं को साजिश के तहत फंसाने का आरोप लगाया है। एसपी देवेंद्रनाथ का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है, जल्द खुलासा किया जाएगा। (8 जुलाई 2020)


विशेष संवाददाता विजय आनंद वर्मा


नेपाल ने तटीय बांध तोड़ने की धमकी दी

कविता गर्ग


नई दिल्ली। नेपाल के रौतहट जिला प्रशासन ने बंजरहा के पास भारतीय सीमा में नो मेंस लैंड से सटे हुए लालबकेया नदी के तटबंध के एक हिस्से को हटाने को कहा है। नेपाल ने इसे नहीं हटाने पर इसे तोडऩे की धमकी दी है।


नेपाल का दावा है कि बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग ने दो मीटर चौड़ा और 200 मीटर लंबा तटबंध नो-मेंस लैंड को अतिक्रमित कर बनाया है। नेपाल ने कहा है कि इसे हटाया नहीं गया तो इसे तोड़ कर हटा देंगे। इधर खतरा इस बात का है कि बरसात के इस मौसम में अगर तटबंध को हटाया गया, तो इलाके के लोगों को बाढ़ से जान-माल का भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। रौतहट के डीएम वासुदेव घिमिरे ने प्रेस कॉन्फे्रंस कर नेपाली मीडियाकर्मियों से कहा है कि दोनों देशों की भू-मापक टीम द्वारा की गयी पैमाइश में पाया गया है कि  11 स्थानों पर पिलर बनाया गया है। मापी में पाया गया है कि बांध को कहीं दो मीटर तो कहीं एक मीटर नो-मेंस लैंड को अतिक्रमित कर बनाया गया है।


बताया कि दोनों देशों के सुरक्षाकर्मियों व अधिकारियों की उपस्थिति में नो-मेंस लैंड को अतिक्रमण कर बागमती तटबंध बनाने की पुष्टि के बाद नो-मेंस लैंड को खाली करने पर सहमति बनी है। नो-मेंस लैंड के बीच में बने पिलर से 9.1 मीटर उत्तर व दक्षिण अथाज़्त 18.2 मीटर नो-मेंस लैंड की जमीन पहले से ही निर्धारित है। नो-मेंस लैंड की जमीन पर कोई निर्माण कार्य नहीं होना है। इसके बावजूद भी वहां तटबंध बना दिया गया है। रौतहट डीएम ने यहां तक कह दिया कि नो-मेंस लैंड पर बने बांध को हटाने पर दोनों देशों के अधिकारियों के बीच सहमति बन गयी है। इसके बावजूद भी बांध को नहीं हटाया गया, तो नेपाल सरकार स्वयं बांध हटा देगी।


अंतरराष्ट्रीय कोर्ट पहुंचा उइगर मामला

कविता गर्ग


बीजिंग। चीन में उइगर समुदाय पर जारी मानवाधिकार उल्लंघन और शोषण का मामला अब इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट पहुंच गया है। उइगर समुदाय से जुड़ी संस्था ईस्ट टर्किश गर्वमेंट और ईस्ट तुर्किस्तान नेशनल अवेकनिंग मूवमेंट ने चीन के खिलाफ कोर्ट में उइगर समुदाय के नरसंहार, मानवाधिकार उल्लंघन और शोषण का मामला दर्ज कराया है।


उइगर समुदाय की निर्वासित सरकार ने कोर्ट से कहा है कि वह बीजिंग को उइगर नरसंहार और क्राइम अगेंस्ट ह्यूमैनिटी के मामलों में सवाल करे। ये पहला मामला है जब चीन से अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अंतर्गत उइगर समुदाय पर जारी अत्याचार से संबंधित पूछताछ की जा सकती है।


लंदन के वकीलों के एक समूह ने चीन में उइगर समुदाय पर जारी अत्याचार और हजारों उइगरों को कानून का उल्लंघन कर कंबोडिया और तजिकिस्तान डिपोर्ट किये जाने के संबंध में शिकायत दर्ज कराई है। इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने भी मामले में रूचि जाहिर की है और चीन पहली बार जांच के घेरे में आ सकता है। इस केस में जिनपिंग समेत कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार से जुड़े 80 लोगों पर उइगर समुदाय के नरसंहार का आरोप लगाया गया है। वहीं आशंका जतायी जा रही है कि इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में नरसंहार, युद्ध अपराध और अन्य मानवाधिकार हनन के अंतरराष्ट्रीय मामलों की सुनवाई होती है। तो इस बात का पूरा शक है कि चीन इस कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को नहीं मानेगा और जांच के लिए तैयार होगा।


अपील दायर करने वाले वकीलों में से एक रॉनडी डिक्सन ने कहा कि नरसंहार के मामलों में कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में चीन भी आता है। चीन और कंबोडिया दोनों देश कोर्ट के सदस्य हैं और इस नजर से ये एक निजी नहीं अंतरराष्ट्रीय मामला भी है। उन्होंने कहा कि ये बेहद अहम केस साबित हो सकता है।क्योंकि चीन को मानवाधिकारों के हनन और उइगर नरसंहार के लिए अभी तक किसी भी जवाबदेही का सामना नहीं करना पड़ा है।


मुठभेड़ में जवान शहीद, आतंकी मारा

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा के गुसो सेक्टर में मंगलवार सुबह से ही भारतीय सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच जारी है। सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में एक आतंकी को मार गिराया है। हालांकि इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों का एक जवान भी शहीद हो गया है।


बताया जा रहा है कि आतंकियों के साथ हो रही मुठभेड़ में फायरिंग के दौरान दो जवान घायल हो गये थे, जिसमें से एक जवान ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया, जबकि दूसरे की हालत गंभीर बताई जा रही है। अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार सुरक्षाबलों ने गुसो के एक घर में तीन आतंकियों को घेर रखा है और दोनों ओर से फायरिंग जारी है। सुरक्षाबलों को खुफिया सूचना मिली थी कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा के गुसो सेक्टर में कुछ आतंकी छुपे हुए हैं। खबर थी कि आतंकी एक घर में छुपकर किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने की योजना तैयार कर रहे हैं।


सूचना के आधार पर सेना ने स्थानीय पुलिस और सीआरपीफ की एक टोली के साथ मिलकर एक टीम तैयार की और इलाके को घेरना शुरू कर दिया। खुद को घिरता देख आतंकियों ने घर के अंदर से ही फायरिंग शुरू कर दी। इस घटना में सेना क एक जवान और जम्मू-कश्मीर पुलिस का एक जवान घायल हो गए। घायलों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाके के दौरान एक जवान शहीद हो गया। वहीं सुरक्षा बलों ने भी एक आतंकी को मार गिराया गया है। भारतीय सुरक्षाबलों ने अभी भी पूरे इलाके को घेर रखा है।


मलाईदार पदों को लेकर हुई खींचतान

शंभू नाथ गौतम


नई दिल्ली/भोपाल। कई दिनों की जद्दोजहद करके केंद्रीय नेतृत्व ने पिछले दिनों सीएम शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच मंत्री पद पाने के लिए मची खींचतान को केंद्रीय नेतृत्व बड़ी मुश्किल से सुलझा पाया था । हाल ही में हुए मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल गठन में सिंधिया शिवराज सिंह से बाजी मार ले गए थे । सिंधिया का राज्य सरकार में बढ़ता जा रहा कद सीएम शिवराज सिंह के लिए नाक का सवाल बन गया है । मंत्रिमंडल गठन को 4 दिन पूरे हो गए हैं उसके बाद भी विभागों का अभी तक बंटवारा नहीं हो सका है । एक बार फिर सिंधिया ने अपने गुट के बने मंत्रियों को मलाईदार विभाग देने के लिए केंद्रीय नेतृत्व पर दबाव डाल रखा है । सिंधिया के इस कदम से चौहान एक बार फिर मुश्किल पड़ गए हैं । इस मामले को सुलझाने के लिए चौहान एक बार फिर दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं । रविवार शाम अचानक मुख्यमंत्री चौहान दिल्ली पहुंच गए । राजधानी में शिवराज ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की है । उसके बाद उन्होंने केंद्रीय संगठन के नेताओं से भी मिलकर इस मसले को सुलझाने की पैरवी कर रहे हैं। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की भाजपा केंद्रीय नेतृत्व में इतनी गहरी पैठ हो चुकी है कि शिवराज सिंह को ही मुख्यमंत्री बनने के बाद कई बार समझौता भी करना पड़ा है । मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज व एक दिन पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को पत्र लिखने वाले पूर्व मंत्री व विधायक अजय विश्नोई ने फिर पार्टी की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं।


ज्योति राजे सिंधिया मध्यप्रदेश सरकार में अपनी हिस्सेदारी बराबर चाहते हैं—


ज्योतिरादित्य सिंधिया जब से भाजपा का दामन थामा है तभी से मध्य प्रदेश की राजनीति को लेकर बहुत ही एक्टिव नजर आ रहे हैं । सिंधिया शिवराज सिंह चौहान की सरकार में अपनी बराबर की हिस्सेदारी चाहते हैं, लेकिन यह शिवराज को हजम नहीं हो रहा है । तभी मध्य प्रदेश सरकार के हर एक फैसले को लेकर दोनों नेता आए दिन दिल्ली में अपनी-अपनी फरियाद लेकर पहुंच जाते हैं । हम आपको बता दें कि शिवराज सिंह सरकार में सिंधिया समर्थकों के 12 विधायक मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं । जिनमें से सात को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है । इन्हीं कैबिनेट मंत्रियों को लेकर सिंधिया अहम विभाग पाने के लिए केंद्रीय भाजपा आलाकमान पर दबाव बढ़ा रहे हैं । मंत्रिमंडल के गठन के बाद अभी तक राज्य सरकार के मंत्रियों को विभागों का बंटवारा नहीं किया जा सका है । सिंधिया के जबरदस्त हस्तक्षेप होने से शिवराज सिंह चौहान इस बार खुलकर अपनी सरकार नहीं चला पा रहे हैं । भाजपा के सामने यह मुश्किल भी है कि सिंधिया खेमे के साथ कांग्रेस से भाजपा में लौटे हरदीप डंग, बिसाहूलाल सिंह और एंदल सिंह कंसाना को भी विभाग देने हैं। ये तीनों कैबिनेट मंत्री बने हैं।


गठबंधन हो या समर्थन वाली सरकारों में नहीं बैठ पाता है सामंजस्य–


हम आपको देश की राजनीति में 24 वर्ष पीछे लिए चलते हैं । वर्ष 1996 में जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिर गई थी । उसके बाद एच डी देवगौड़ा के नेतृत्व में कई दलों ने मिलकर सरकार बनाई थी, देवगौड़ा उस समय प्रधानमंत्री बने थे । कुछ समय बाद ही केंद्र सरकार में खींचतान शुरू हो गई थी । आखिरकार सरकार को देवगौड़ा चला नहीं पाए और एक साल के अंदर ही उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था । उसके बाद कांग्रेस समेत कई दलों ने इंद्र कुमार गुजराल को प्रधानमंत्री बनाया था । गुजराल भी अपनी सरकार खुलकर नहीं चला पाए थे उन्हें भी लगभग 1 साल के अंदर का प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था । उसके बाद वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव हुए थे फिर अटल बिहारी वाजपेयी ने कई दलों के साथ सरकार बनाई थी । लेकिन अगले साल वर्ष 1999 में अटल की भी सरकार गिर गई थी । हम अगर बात करें उत्तर प्रदेश में तो भाजपा-बसपा की भी मिली-जुली सरकार बनी थी, यह भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी । उसके बाद सपा और बसपा ने जब यूपी में अपनी सरकार बनाई उसका भी यही हाल रहा था । मौजूदा समय में अगर महाराष्ट्र की बात करें तो वहां भी शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन की सरकार चल रही है । महाराष्ट्र सरकार में तीनों दलों के बीच खींचतान मची रहती है।


'आप' ने बिगाड़ा, भाजपा संभाल रही

डॉ दिलीप अग्निहोत्री
नई दिल्ली। दिल्ली में आप सरकार कोरोना आपदा प्रबंधन में पूरी तरह विफल साबित हुई है। इसलिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह स्थिति संभालने के लिए निकलना पड़ा। उन्होंने दिल्ली की बेहाल स्वास्थ सेवाओं व जांच पर ध्यान दिया। अनेक सुधार किए। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के सीमावर्ती यूपी व हरियाण सरकार से संवाद किया। अब साझा रणनीति के तहत स्थिति को संभालने का प्रयास किया जाएगा। दिल्ली से जिस प्रकार एक साथ लाखों श्रमिकों का पलायन शुरू हुआ,उसके पीछे तो लापरवाही ही नहीं बल्कि साजिश की भी आशंका व्यक्त की जा रही है। ऐसी भयावह स्थिति में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिम्मेदारी  से काम किया। उन्होंने करीब चालीस लाख श्रमिकों को सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचाने का कार्य किया। इसी के साथ दूसरे राज्यों से आने वाले श्रमिकों की जांच की गई। उनको आवश्यकता के अनुरूप चिकित्सा,राशन किट व एक हजार रुपये भी दिए गए। इसी दौरान उत्तर प्रदेश में श्रमिक कामगार सेवायोजन आयोग गठित हो गया। सवा करोड़ श्रमिकों कामगारों को रोजगार भी मिल गया। योगी ने यह सब ना किया होता तो अरविंद केजरीवाल सरकार की अदूरदर्शिता बहुत दिल्ली के साथ ही उत्तर प्रदेश,हरियाणा, बिहार आदि के लिए भारी समस्या पैदा कर देती। स्पष्ट है कि आप के द्वारा पैदा की गई विकट समस्या का समाधान योगी आदित्यनाथ ने किया। उधर दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाला। उन्होंने दिल्ली की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश व हरियाणा के मुख्यमंत्रियों से बात की। अब सभी लोग समन्वय के साथ आप सरकार द्वारा बिगाड़ी गई स्थिति का समाधान करेंगे। योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली से पलायन करने वाले श्रमिकों की समस्या का बेहतरीन समाधान करके दिखा दिया। दिल्ली की आप सरकार ने समस्या का समाधान नहीं कर सकी। कुछ दिन तो विज्ञापन के बल पर निकल गए। लेकिन जनता की नाराजगी के बाद उनको सच्चाई स्वीकार करनी पड़ी।  उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने कहा कि अकेले दिल्ली में लाख से ज्यादा कोरोना केस हो जाएंगे। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि  दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों के लोगों का इलाज नहीं किया जाएगा। बिडम्बना देखिए अरविंद केजरीवाल स्वयं दिल्ली के नहीं है। फिर दिल्ली सरकार ने इलाज की बात भी बन्द कर दी। कहा कि  बीमार व्यक्ति घर पर ही कवारन्टीन रहें। केजरीवाल का कथित प्रबंधन देखिए,उन्होंने दिल्ली के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ बैठक तक नहीं की। यह कार्य भी अमित शाह ने किया। केजरीवाल सरकार कोरोना काल में जरूरतमन्दों के लिए भोजन दवा तक की व्यवस्था करने में विफल रही थी। दिल्ली के अलावा महाराष्ट्र,पश्चिम बंगाल की सरकार भी राजनीति करती रहीं,ये सभी आपदा प्रबंधन में फेल रही। अपनी वोटबैंक राजनीति के कारण इन्होंने केंद्र सरकार की गाइडलाइन के विपरीत आचरण किया। इसी के तहत तबलीगी जमात पर नकेल नहीं कसी गई।  प्रवासी मजदूरों को सहायता नहीं दी गई,इस कारण वह पलायन के लिए विवश हुए। जब केंद्र सरकार ने मजदूरों के हित में ट्रेन चलाने की घोषणा की तो ममता बनर्जी ने ट्रेन लेने से इनकार कर दिया। लॉकडाउन के समय दिल्ली में  साजिश के तहत मजदूरों के बीच भ्रामक सूचना पहुंचाई गई कि बॉर्डर पर बसें खड़ी हैं। आप सरकार की लापरवाही के चलते एक सौ सात देशों से ज्यादा कोरोना केस अकेले दिल्ली में हो गए।
आप संस्थापको में एक कपिल मिश्रा ने कहा कि दिल्ली सरकार आपदा प्रबंधन की जगह विज्ञापन और मीडिया मैनेजमेंट में लगी रही। जबकि अमित शाह ने राजनीति से ऊपर उठकर प्रबंधन पर अमल शुरू किया। उन्होंने दिल्ली के स्वास्थ व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक की। अस्पतालों का निरीक्षण किया। इसके बाद दिल्ली एनसीआर की  बैठक बुलाई। इसमें दिल्ली,हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री शामिल हुए। इसमे केंद्र व तीनों राज्यों की साझा रणनीति बनाई गई। रैपिड एंटीजन टेस्टिंग का उपयोग कर संक्रमण फैलने की दर कम करने और मरीजों को जल्द से जल्द अस्पताल में भर्ती करने पर जोर दिया।


पंजाब किंग्स ने जीता टॉस, गेंदबाजी का फैसला

पंजाब किंग्स ने जीता टॉस, गेंदबाजी का फैसला  इकबाल अंसारी  चेन्नई। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2024 सीजन में चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) और पं...