मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

16 विदेशियों सहित 30 जमाती अरेस्ट

बृजेश केसरवानी 


प्रयागराज/नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सोमवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शाहिद और 16 विदेशी जमातियों समेत कुल 30 लोगों को गिरफ्तार किया है। विदेशियों की गिरफ्तारी फॉरेनर्स एक्ट के तहत की गई, जबकि इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रोफेसर के खिलाफ जमातियों को गुप्त रूप से शहर में शरण दिलाने के आरोप में और महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। दरअसल पुलिस को जानकारी मिली थी की शिवकुटी के रसूलाबाद में रहने वाले इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर शाहिद दिल्ली के मरकज में हुई तबलीगी जमात में शामिल होने गए थे।


वहां से आने के बाद वह गुपचुप शहर आ गए लेकिन पुलिस या प्रशासन को इसकी सूचना नहीं दी। पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए प्रोफेसर शाहिद को पकड़ा। उनके परिवार को क्वारंटाइन किया गया और फिर पड़ताल के बाद अन्य 16 जमातियों को गिरफ्तार किया गया। बताया जा रहा है कि सोमवार रात में इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रोफेसर समेत सभी 30 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। इन सभी को मंगलवार को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा, जिसके बाद इन्हें जेल भेजने की कार्रवाई की जाएगी।


महाराष्ट्र में अनियंत्रित हुआ संक्रमण

मुंबई/नई दिल्ली। भारत में भी जानलेवा कोरोना वायरस का कहर जारी है। देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अभी तक भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 18 हजार के पार पहुंच गई है। वहीं महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमित मामलों की कुल संख्या 4676 हो गई है। महाराष्ट्र सरकार स्वास्थ्य विभाग के आनुसार राज्य में मंगलवार को कोरोना पॉजिटिव के 472 नए मामले दर्ज किए गए हैं और नौ लोगों की मौत हुई है। इसके सात ही राज्य में कोरोना पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 4676 हो गई है और मृतकों की संख्या 232 हो गई है। महाराष्ट्र सरकार के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने इसकी जानकारी दी है।


किम जोंग के स्वास्थ्य को लेकर भ्रांति

नई दिल्ली। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की बीते दिनों हुई दिल की सर्जरी के बाद उनके स्वास्थ्य को लेकर तरह-तरह की बातें सामने आ रही है। मामले में दक्षिण कोरिया ने लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि इतनी भी उनकी तबीयत खराब नहीं है।


दरअसल, किम जोंग उन बीते कई दिनों से सार्वजनिक कार्यक्रमों में नहीं आ रहे हैं। सीएनएन के रिपोर्ट के मुताबिक दिल के ऑपरेशन के बाद से उनकी हालत और खराब हो गई है। वहीं दक्षिण कोरिया के अखबार डेली एनके के मुताबिक, वे 12 अप्रैल को हुए ऑपरेशन के बाद से देश के पूर्वी तट स्थित माउंट कुमगेंग स्थित रिसार्ट में आराम फरमा रहे हैं।इधर उत्तर और दक्षिण कोरिया की सरकारों ने किन जोंग उन की तबीयत खराब होने की बात को खारिज करते हुए कहा कि इसे खारिज किया है।


और तबाही मचाएगा कोरोनाः डब्ल्यूएचओ

न्यूयॉर्क/नई दिल्ली। कोरोना वायरस ने दुनियाभर के तमाम देशों को हिलाकर रख दिया है। पूरी दुनिया इस वायरस से परेशान है। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन के बयान ने दुनियाभर में खलबली मचा दी है। कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर में अब तक करीब 22 लाख से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। इस खतरनाक वायरस से दुनियाभर में 1 लाख 70 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि WHO ने सभी देशों को चेतावनी देते हुए कहा है कि अभी इससे भी बुरा वक्त आने वाला है। इस चेतावनी के बाद स्वास्थ्य एजेंसियों और सरकारों के माथे पर पसीना आ गया है।


दरअसल, WHO ने आशंका जाहिर करते हुए कहाकि एशिया और अफ्रीका में कोरोना संक्रमण की अब शुरुआत हुई है। इन देशों मेंं यूरोप और अमेरिका की तुलना में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहद खराब हालत में हैं। इसलिए कोरोना जब अपने पीक पर होगा तो इन देशों में हालत संभालने मुश्किल हो जाएंगे। WHO के प्रमुख टेड्रोस एडहानोम घेब्रेयासस ने कहा कि ऐसी कई सारे कारण हैं, जिसके चलते आने वाले समय के और खराब होने की संभावना है।


 


एमपी में 5 मंत्रियों को शपथ दिलाई

भोपाल। एमपी में सत्ता में वापसी करने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को अपने मंत्रिमंडल का गठन किया। सत्ता में आने के 29 दिनों के बाद हुए कैबिनेट विस्तार में 5 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है। इनमें कांग्रेस से भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक मंत्री भी शामिल हैं। राजभवन में राज्यपाल लालजी टंडन ने सभी नए मंत्रियों को शपथ दिलवाई। इस दौरान भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती भी वहां पर मौजूद रहीं।


इन मंत्रियों ने ली शपथ..नरोत्तम मिश्रा,कमल पटेल,मीना सिंह,तुलसीराम सिलावट,गोविंद सिंह राजपूत,तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं। ऐसे में साफ है कि कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में आए सिंधिया का सरकार गठन में बड़ा रोल माना जा रहा है।


मध्यप्रदेश में कांग्रेस के 22 विधायकों द्वारा बगावत कर विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिए जाने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ को 20 मार्च को पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद भाजपा ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था। 23 मार्च की रात को शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उसके बाद से ही मंत्रिमंडल गठन के कयास लगाए जा रहे थे।


राज्यपाल ने बढ़ाया पुलिस का हौसला

राज्यपाल ने बढ़ाया कोरबा जिला पुलिस का हौसला


 गेंदा लाल शुक्ला


कोरबा। राज्यपाल अनुसूइया उइके ने एसपी अभिषेक मीणा से कटघोरा के हालात पर चर्चा करते हुए कोरबा में लॉकडाउन के पालन के लिए एसपी के उठाए गए कदमों की सराहना की। उन्होंने कहा कि हॉट स्पॉट कटघोरा में कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे पुलिस के जवानों को सुरक्षा सामग्री और सुविधाओं का अभाव होने नहीं दिया जाएगा।
जानकर सूत्रों के अनुसार राज्यपाल उइके ने दूरभाष पर एस पी अभिषेक मीणा से कहा कि राज्य में कोरोना की लड़ाई जीतने के लिए कटघोरा के हालात पर काबू पाना बेहद जरूरी है। पुलिस की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि संक्रमण को रोकने में तभी सफलता मिलेगी, जब लोग घरों से न निकलें। आवश्यक सामग्री के लिए भी निर्धारित समय पर निकलें तो फिजिकल डिस्टेंस बना रहे। इसके लिए अनुशासन होना जरूरी है और पुलिस कोरबा में इस दायित्व का निर्वहन बखूबी कर रही। उन्होंने कहा कि एसपी अभिषेक मीणा ने कटघोरा और कोरबा में जिस तरह से सुरक्षा घेरा तैयार किया है, उससे संक्रमण को बेहतर ढंग से रोका जा सकेगा। इसमें काफी हद तक सफलता मिलने भी लगी है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि आगे भी लड़ाई जीतने तक पुलिस इसी मुस्तैदी से मैदान में डटी रहेगी और अंततः जीत हम सबकी होगी। उन्होंने एसपी से कहा कि इस संकट की घड़ी में पुलिस लोगों का विश्वास जीते और उन्हें समझाए कि जो कुछ किया जा रहा है, वह उनके जीवन को सुरक्षित करने के लिए है। जनता स्वस्फूर्त पुलिस का साथ दे और कोरोना के संक्रमण से सभी को निजात मिले। पुलिस को मिली सुविधाओं का भी जायजा राज्यपाल ने लिया। एसपी मीणा ने बताया कि पुलिस कर्मियों के लिए पर्याप्त सुरक्षा किट उपलब्ध है।


कच्चे तेल का भाव जीरो डॉलर से नीचे

नई दिल्ली। अमेरिकी वायदा बाजार में कच्चे तेल (Crude Oil) का भाव सोमवार को जीरो डॉलर प्रति बैरल से नीचे चल गया। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब कच्चे तेल का भाव नेगेटिव में चला गया। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण दुनिया भर के कई देशों में कामकाज ठप है। डिमांड कम होने के कारण क्रूड की ओवर सप्लाई हो रही है जिसकी वजह से सोमवार को कच्चे तेल का भाव -37.63 डॉलर प्रति बैरल तक लुढ़क गया। कच्चे तेल में ऐतिहासिक गिरावट के बावजूद भारत में पेट्रोल और डीजल की रिटेल कीमतें प्रभावित नहीं होंगी। आइए जानतें हैं भारत में कैसे तय होते हैं पेट्रोल-डीजल के भाव?


भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक


भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक है। खपत का 85 फीसदी हिस्सा आयात के जरिए पूरा किया जाता है। ऐसे में जब भी क्रूड सस्ता होता है तो भारत को फायदा होता है। तेल जब सस्ता होता है तो आयात में कमी नहीं पड़ती बल्कि भारत का बैलेंस ऑफ ट्रेड भी कम होता है।


भारत कैसे तय होतीं हैं तेल की कीमतें?


तेल की कीमतें दो मुख्य चीजों पर निर्भर करतीं हैं। एक अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत और दूसरा सरकारी टैक्स। क्रूड ऑयल के रेट पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, मगर टैक्स सरकार अपने स्तर से घटा-बढ़ा सकती है। यानी जरूरत पड़ने पर सरकार टैक्स कम कर बढ़े दाम से कुछ हद तक जनता को फायदा पहुंचा सकती है। पहले देश में तेल कंपनियां खुद दाम नहीं तय करतीं थीं, इसका फैसला सरकार के स्तर से होता था। मगर जून 2017 से सरकार ने पेट्रोल के दाम को लेकर अपना नियंत्रण हटा लिया गया। कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिदिन उतार-चढ़ाव के हिसाब से कीमतें तय होंगी। अमूमन जिस रेट पर हम तेल खरीदते हैं, उसमें करीब 50 फीसदी से ज्यादा टैक्स होता है। इसमें करीब 35 फीसदी एक्साइज ड्यूटी और 15 फीसदी राज्यो का वैट या सेल्स टैक्स। इसके अलावा कस्टम ड्यूटी होती है, वहीं डीलर कमीशन भी जुड़ता है। तेल के बेस प्राइस में कच्चे तेल की कीमत, उसे शोधित करने वाली रिफाइनरीज का खर्च शामिल होता है। इसलिए, क्रूड की कीमतें सीधे खुदरा कीमतों को प्रभावित नहीं करती हैं।


क्यों गिर रही हैं तेल की कीमतें?
कोरोना वायरस संकट के कारण कच्चे तेल की मांग में कमी आयी और तेल की सभी भंडारण सुविधाएं भी अपनी पूर्ण क्षमता पर पहुंच गई है. इसी समय, रूस और सऊदी अरब ने अतिरिक्त आपूर्ति के साथ दुनिया में कच्चे तेल की बाढ़ ला दी. इस दोहरे मार से तेल की कीमतें गिरकर जीरो के नीचे चली गई.गिरती कीमतों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर?
भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक होने के नाते और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आने पर क्रूड-इंटेंसिव इकोनॉमी हासिल करता है। यह ऑयल इम्पोर्ट बिल को कम करने में मदद करता है और ट्रेड बैलेंस को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह रुपये की वैल्यू को सपोर्ट करने में मदद करता है और महंगाई भी कंट्रोल होती है। किसे होगा फायदा और नुकसान?
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का फायदा एयरलाइंस और पेंट कंपनियों को होगा। इसके साथ ही इसका फायदा ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को हो सकता है, लेकिन उनके लिए यह उतना आसाना नहीं है क्योंकि वे पहले से ही महंगी तेल खरीद रखे हैं और वे अभी मांग में गिरावट से भी आहत हैं। इसलिए ओएनजीसी और ओआईएल जैसी तेल उत्पादन कंपनियों को कम तेल की कम कीमतों से नुकसान होगा।


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