शनिवार, 7 जनवरी 2023

अल्फा-लिनोलेनिक एसिड से भरपूर है 'अलसी'

अल्फा-लिनोलेनिक एसिड से भरपूर है 'अलसी'

सरस्वती उपाध्याय 

अलसी सेहत के लिए बेहद उपयोगी होती है। इसके अंदर विटामिन, ओमेगा-3 फैटी एसिड और फाइबर जैसे जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं। लेकिन, इन बीजों की खास बात यह है कि ये अल्फा-लिनोलेनिक एसिड से भरपूर है।

लेकिन, क्या आप यह जानते है कि यह बालों की सेहत के लिए कई प्रकार से काम कर सकता है ? इस में ओमेगा-3 फैटी एसिड है जो कि स्कैल्प को हेल्दी रखने में मदद करता है। आइए, जानते हैं इसके सेवन का सही तरिका और फायदे।

अलसी खाने का सहीं तरीका, जाने फायदे 

अंकुरिक कर अलसी खाएं
अलसी को अंकुरिक कर खाना आपके बालों के लिए बेहत फायदेमंद होता है। यह तेजी से काम कर सकता है। वहीं अलसी के बीजों में हाई प्रोटीन होता है जो कि बालों के लिए बहुत फायदेमंद है। ये बालों को जड़ों से पोषण देता है। 

अलसी के पाउडर बना कर करें सेवन 
कच्चे अलसी के बीज को पीसकर पाउडर बना कर  पानी में डाल कर इस का सेवन करें। ये शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को सही करेगा, बालों को जड़ों से पोषण देगा और बालों को लंबा और खूबसूरत करने में मदद करेगा। 

बालों के विकास में है बेहत फायदेमंद

झड़ते बालों को रोकेगा
झड़ते बाल लोगों की आम समस्या है। इस के लिए अलसी के बीजों का सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है। ये स्कैल्प को हेल्दी रख कर बालों को सुंदर बनाता है। इससे बालों को जड़ से मजबूती मिलती है और बालों को झड़ने से रोकता है। 

नए बालों के विकास में भी है कारगर
नए बालों के विकास में अलसी के बीज मददगार है। इसके एंटीऑक्सीडेंट बालों को जड़ों से उगने मदद करते हैं। साथ ही जिनके बाल कमजोर हैं। उनके लिए भी अलसी के बीजों का सेवन फायदेमंद है। 

बीएसएफ ने दो मादक पदार्थ तस्करों को अरेस्ट किया

बीएसएफ ने दो मादक पदार्थ तस्करों को अरेस्ट किया

अमित शर्मा 

चंडीगढ़। पंजाब पुलिस और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने एक संयुक्त अभियान में दो मादक पदार्थ तस्करों को गिरफ्तार किया और उनके पास से 31.02 किलोग्राम हेरोइन बरामद की। राज्य के पुलिस प्रमुख ने शनिवार को यह जानकारी दी।

पुलिस महानिदेशक गौरव यादव ने ट्वीट किया, ‘‘सीमा पार मादक पदार्थों की तस्करी के नेटवर्क के खिलाफ एक बड़ी सफलता में फजिल्का पुलिस और बीएसएफ ने संयुक्त रूप से बड़े पैमाने पर मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल दो तस्करों को गिरफ्तार किया है और 31.02 किलोग्राम हेरोइन बरामद की है।’’

उन्होंने कहा कि प्राथमिकी दर्ज कर ‘‘मामले की तह तक जाने के लिए’’ जांच की जा रही है। पुलिस महानिदेशक ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘पंजाब पुलिस मुख्यमंत्री भगवंत मान के विचारों के अनुसार पंजाब को नशामुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।’’ 

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

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1. अंक-88, (वर्ष-06)

2. रविवार, जनवरी 8, 2023

3. शक-1944, पौष, कृष्ण-पक्ष, तिथि-दूज, विक्रमी सवंत-2079‌‌।

4. सूर्योदय प्रातः 07:24, सूर्यास्त: 05:33। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 10 डी.सै., अधिकतम- 19+ डी.सै.।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु  (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसैन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102। 

9. पंजीकृत कार्यालयः 263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102

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शुक्रवार, 6 जनवरी 2023

सरकार पर निशाना, अब दो 'हिंदुस्तान' बन गए 

सरकार पर निशाना, अब दो 'हिंदुस्तान' बन गए 

अकांशु उपाध्याय/राणा ओबरॉय 

नई दिल्ली/पानीपत। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने महंगाई, बेरोजगारी और किसानों के विषयों को लेकर शुक्रवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि अब दो हिंदुस्तान बन गए हैं, एक किसानों-मजदूरों के लिए है और दूसरा 200-300 अमीरों के लिए है। उन्होंने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के तहत यहां आयोजित जनसभा में यह दावा भी किया कि नोटबंदी और ‘गलत’ जीएसटी रूपी ‘हथियार’ ने छोटे व्यापारियों की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी।

राहुल गांधी ने यह सवाल भी किया कि तीनों कृषि कानूनों पर प्रधानमंत्री मोदी को अपनी ‘गलती’ मानने में एक साल का समय क्यों लग गया? उन्होंने राज्य की भाजपा सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि मौजूदा समय में हरियाणा ‘बेरोजगारी का चैम्यिपन’ बन गया है और इस प्रदेश में युवाशक्ति जाया हो रही है। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि उनकी यह यात्रा पूरे देश को जोड़ रही है और करोड़ों लोग अब ‘नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान’ खोल रहे हैं। राहुल गांधी ने दावा किया, ‘‘जितना धन आधे हिंदुस्तान के हाथ में है, उतना धन सबसे अमीर 100 लोगों के पास है। क्या आपको इसमें न्याय दिखाई देता है? आज दो हिंदुस्तान बन गए हैं। एक हिंदुस्तान किसान, मजदूर, छोटे दुकानदारों और बेरोजगार युवाओं का है। इसमें करोड़ों लोग रहते हैं।

दूसरा हिंदुस्तान 200-300 लोगों का है, जिनके पास पूरा का पूरा धन है।’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मोदी जी ने नोटबंदी की और गलत जीएसटी को लागू किया। ये कोई नीतियां नहीं थीं, बल्कि छोटे और मध्यम व्यापारों को खत्म करने के हथियार थे। इन दो हथियारों ने छोटे और मझोले व्यापारियों की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी।’’ राहुल गांधी ने हरियाणा में बेरोजगारी की स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘आज 21वीं सदी में हरियाणा बेरोजगारी का चैम्पियन बन गया है। (राज्य में) आज बेरोजगारी दर 38 प्रतिशत है। यह कोई खुशी की बात नहीं है। हरियाणा में युवाशक्ति जाया हो रही है।’’ उन्होंने सेना में अल्पकालिक भर्ती की ‘अग्निपथ’ योजना का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘ये (भाजपा) कहते हैं कि हम देशभक्त हैं। मुझे इनकी देशभक्ति समझाओ।’’

राहुल गांधी ने कहा, ‘‘हिंदुस्तान में लाखों युवा सुबह चार बजे उठकर दौड़ लगाते हैं और ये युवा तिरंगा की रक्षा करने का सपना देखते हैं... पहले हर साल 80 हजार युवा सेना के लिए चयनित होते थे। वे अलग-अलग राज्यों में तैनात होते थे। ये जवान अपनी पूरी जिंदगी देश के लिए लगाते थे, सीमा पर खड़े होते थे, उसकी निगरानी करते थे। देश की खातिर अपना खून देने के लिए ये युवा सेना में भर्ती होते थे।’’ उन्होंने कहा कि पहले युवाओं को सेना में भर्ती होने पर उचित प्रशिक्षण और 15 साल की सेवा और सेवानिवृत्ति के बाद यथोचित सुविधा का वादा किया जाता था, लेकिन ‘अग्निपथ’ योजना ने इन वादों को तोड़ दिया है। राहुल गांधी ने कहा, ‘‘जब मैं यह सब बातें करता हूं, तो भाजपा के लोग कहते हैं कि मैं सेना के खिलाफ बातें कर रहा हूं। मैं तो सेना के भले के लिए बात कर रहा हूं।’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा के लोगों ने पूरे देश में डर और नफरत फैलाने का काम किया है। ये सब योजनाएं डर फैलाती हैं। ये पहले डर फैलाते हैं और फिर उसे नफरत में बदल देते हैं।’’ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान सिर्फ मैं ही नहीं खोल रहा हूं, बल्कि करोड़ों लोग खोल रहे हैं....। यात्रा ने नफरत को मिटाने का काम किया है। यह यात्रा भारत को जोड़ने का काम कर रही है।’’ उन्होंने रद्द हो चुके तीनों कृषि कानूनों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘जब किसान तीन काले कानून के खिलाफ खड़े हुए, तो नरेंद्र मोदी जी ने कहा - गलती हो गई। किसान सर्दी में, बारिश में बैठा था। 700 किसान शहीद हो गए। एक साल लग गए गलती पहचानने में।’’

120 से अधिक देशों के पहले सम्मेलन का आयोजन

120 से अधिक देशों के पहले सम्मेलन का आयोजन

अकांशु उपाध्याय/सुनील श्रीवास्तव 

नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी। भारत आगामी 12 और 13 जनवरी को विश्व भर के 120 से अधिक दक्षिणी देशों के पहले सम्मेलन का वर्चुअल माध्यम से आयोजन करने जा रहा है। जिसमें ऊर्जा एवं मानव केन्द्रित आर्थिक विकास को लेकर इन विकासशील देशों की चिंताओं, चुनौतियों, हितों एवं प्राथमिकताओं के बारे में विचार मंथन होगा। जिसके निष्कर्ष का जी-20 के एजेंडे पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना है। विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि दक्षिणी देशों की आवाज़ का यह वैश्विक सम्मेलन या “वाॅयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट” भारत की एक अनूठी पहल है तथा इसका आयोजन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास एवं सबका प्रयास’ के विज़न तथा ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के मंत्र के आधार पर किया जा रहा है।

क्वात्रा ने बताया कि इस सम्मेलन में विश्व के दक्षिणी छोर पर स्थित 120 से अधिक देशों को आमंत्रित किया गया है जो अधिकांशत: विकासशील देश हैं और उनकी आवाज़ वैश्विक मंचों पर या तो दबी या अनसुनी रह जाती है। इस सम्मेलन में किसी भी अंतरराष्ट्रीय संस्था या संगठन को आमंत्रित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि दो दिन के इस सम्मेलन में कुल दस सत्र होंगे जिनमें दो सत्र शिखर नेताओं के तथा आठ सत्र मंत्रिस्तरीय होेंगे। प्रत्येक सत्र में दस से लेकर बीस देश तक शिरकत करेंगे। दोनों दिन तीन-तीन सत्र समानांतर चलेंगे। पहले दिन वित्त मंत्री, पर्यावरण मंत्री और विदेश मंत्री का सत्र होगा। दूसरे दिन ऊर्जा मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, शिक्षा मंत्री और वाणिज्य मंत्री सत्र आयोजित किये जाएंगे।

उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रियों के सम्मेलन में आर्थिक चुनौतियों, विकास के लिए वित्तपोषण के उपायों, वित्तीय सहायता, वित्तीय समावेशन, तकनीकी एवं डिजीटल पहल के उपयोग के साथ साथ विदेशी ऋण के कुचक्र से बचाव के बारे में भी चर्चा होगी। पर्यावरण मंत्रियों के सत्र में संतुलित विकास एवं पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली पर चर्चा होगी जबकि विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में दक्षिणी छोर के देशों की प्राथमिकताओं पर बात होगी। ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में ऊर्जा के किफायती दरों पर उपलब्धता और ऊर्जा दक्ष तकनीक की उपलब्धता पर चर्चा होगी। शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में मानव केन्द्रित विकास और वाणिज्य मंत्रियों के सत्र में व्यापार को लेकर परस्पर तालमेल प्रगाढ़ करने के बारे में चर्चा होगी।

विदेश सचिव ने बताया कि हम हाल की वैश्विक घटनाक्रमों और उनका हमारी अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव खासकर यूक्रेन युद्ध, किफायती ऊर्जा की उपलब्धता, जलवायु परिवर्तन, जलवायु वित्तपोषण, ऋण भार वृद्धि आदि विषयों पर चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि यह परामर्शकारी एवं परिणामोन्मुखी सम्मेलन होगा जिसमें दक्षिणी छोर वाले देशों की चिंताओं, चुनौतियों, हितों एवं प्राथमिकताओं के बारे में विचार मंथन होगा। उन्होंने कहा कि भारत का प्रयास होगा कि समान चिंताओं या चुनौतियों पर विचार विमर्श के माध्यम से एक एकीकृत योजना बने। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह सही है कि यह सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है जब भारत जी-20 की अध्यक्षता संभाल रहा है। लेकिन इसका जी-20 से जुड़े आयोजनों से कोई संबंध नहीं है। अलबत्ता इसके निष्कर्षों को भारत जी-20 के समक्ष विचार विमर्श के लिए प्रस्तुत कर सकता है।

उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से एक नयी पहल है। इसके माध्यम से वह दक्षिणी छोर के देशों की विचारधारा, उनके मत एवं चिंताओं को समग्रता में जान सकेंगे जबकि जी-20 के सदस्य देशों के साथ हमारा सामीप्य एवं सहयोग चलता रहेगा। संयुक्त राष्ट्र में सुधारों को लेकर चर्चा होने की संभावना के बारे में पूछने पर विदेश सचिव ने कहा कि आमंत्रित देश अपने विकास से जुड़ी चिंताओं, चुनौतियों, हिताें एवं प्राथमिकताओं से जुड़े जिस विषय को उचित समझेंगे, उसे चर्चा के लिए उठा सकते हैं।

यह पूछे जाने पर कि वित्त मंत्रियों के सत्र में विदेशी ऋण के कुचक्र के बारे में चर्चा क्या चीन के संदर्भ में होगी, विदेश सचिव ने कहा कि विकास की यात्रा में एक प्रमुख एवं महत्वपूर्ण मुद्दा ऋण का भार भी होता है तो ऐसे में कोई देश यह नहीं चाहेगा कि वित्त पोषण में वह ऋण के भार में दब जाए। निमंत्रित देश अपनी विकास की यात्रा, क्षमताएं, परिप्रेक्ष्य और अनुभव साझा करेंगे। उनके लिए ऋण भी एक समस्या है और बातचीत उसी तक सीमित रहेगी। इसे किसी देश के संदर्भ में देखना ठीक नहीं होगा। एक सवाल के जवाब में श्री क्वात्रा ने कहा कि “वाॅयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट” का यह पहला आयोजन है, इसमें आमंत्रित देशों की भागीदारी एवं इसके निष्कर्ष का आकलन एवं विश्लेषण करने के बाद तय किया जाएगा कि इसे नियमित आयोजन का रूप दिया जाये अथवा नहीं।

न्यायाधीशों की नियुक्ति में ढीला रवैया, नाराजगी 

न्यायाधीशों की नियुक्ति में ढीला रवैया, नाराजगी 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कॉलेजियम की सिफारिशों के बावजूद न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में कथित ढीले रवैए पर शुक्रवार को एक बार फिर नाराजगी व्यक्त करने के बाद केंद्र सरकार ने कहा कि वह समयसीमा का पालन करेगी और नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाएगी।न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की पीठ के समक्ष 'एडवोकेट्स एसोसिएशन बेंगलुरु' द्वारा दायर एक अवमानना ​​​​याचिका पर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने केंद्र सरकार का पक्ष नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाने का आश्वासन आश्वासन दिया। वेंकटरमणी ने कहा कि कॉलेजियम द्वारा भेजी गई 104 में से 44 सिफारिशों (न्यायाधीशों के नाम) को या तो शनिवार या इस सप्ताह के अंत तक मंजूरी दे दी जाएगी।

शीर्ष अदालत ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि दूसरी बार भेजे गए नामों को वापस भेजना चिंता का विषय है। नियुक्ति में देरी के संभावित कारणों पर गौर करते हुए पीठ ने पूछा - क्या न्यायाधीशों के स्थानांतरण के संबंध में तीसरा पक्ष निर्णयों को प्रभावित कर रहा था। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार को न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कोलेजियम द्वारा चुने गए वकीलों के राजनीतिक विचारों के बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए।

एडवोकेट्स एसोसिएशन बेंगलुरु द्वारा अधिवक्ता अमित पई के माध्यम से दायर इस अवमानना ​​​​याचिका में दावा किया गया है कि केंद्र ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए निर्धारित समय सीमा के संबंध में शीर्ष अदालत के निर्देशों का पालन नहीं किया है। वेंकटरमणी ने कहा कि उच्च न्यायालयों और शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित नामों को मंजूरी देने के लिए शीर्ष अदालत द्वारा तय समयसीमा के अनुरूप सभी प्रयास किए जा रहे हैं। पीठ ने अटॉर्नी जनरल से विशेष तौर पर उन पांच नामों के बारे में भी पूछा, जिनकी उच्चतम न्यायालय में पदोन्नति के लिए पिछले साल दिसंबर में कोलेजियम ने सिफारिश की थी।

इस पर वेंकटरमणी ने कहा कि अदालत इसे कुछ समय के लिए टाल सकती है। पीठ ने सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल से यह भी पूछा कि सीमित भूमिका होने के बावजूद सरकार न्यायाधीशों के तबादले को लेकर क्यों बैठी है। पीठ ने कहा कि शिफारिशों को लंबित रखने से बहुत गलत संकेत जाता है। पीठ ने कहा, 'यह कॉलेजियम को अस्वीकार्य है।' शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति के लिए 22 नाम केंद्र ने हाल ही में लौटाए थे, इनमें से कुछ नामों को पहले कॉलेजियम द्वारा दोहराया गया था। अदालत ने आगे कहा गया है कि कॉलेजियम द्वारा कुछ नामों को तीन बार दोहराया गया, बावजूद इसके केंद्र ने उन्हें वापस कर दिया।

पीठ ने एक बार फिर कहा कि एक बार जब कॉलेजियम नामों की शिफारिश दोहराता है तो संबंधित न्यायाधिशों की नियुक्ति को मंजूरी देने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कॉलेजियम की सिफारिशों को मंजूरी देने में देरी के कारण न्यायाधीश पद के कई उम्मीदवार अपनी सहमति वापस ले लेते हैं या सहमति नहीं देते हैं।

सीएम ने जनसभा कर, मतदाताओं से संवाद किया

सीएम ने जनसभा कर, मतदाताओं से संवाद किया  संदीप मिश्र  बरेली। बरेली के आंवला में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को सुभाष इंटर कॉलेज ग्...