गुरुवार, 3 जून 2021

बांस व बेंत का कारोबार बंदी के कगार पर पहुंचा

संदीप मिश्र                 

बरेली। कच्चे माल के दाम में लगातार बढ़ रही महंगाई से बरेली की खास पहचान बांस और बेंत का कारोबार बंदी की कगार पर पहुंच गया है। बाजार में बढ़ते सस्ते लकड़ी और स्टील के बने सस्ते उत्पादों के सामने बरेली में बांस से बना सजावटी सामान का कारोबार धीरे-धीरे दम तोड़ रहा है। बरेली शहर झुमके और सुरमा के साथ बांस कारोबार के लिए भी जाना जाता है। मगर मौजूद समय में बरेली के बांस की कारीगरी की चमक फीकी पड़ती जा रही है। बाजारों में लकड़ी और स्टील के बने सामान सस्ते में मिल जाते हैं। जिसके चलते बांस और बेंत से बने उत्पाद लोग ज्यादा नहीं खरीदते हैं। एक फर्नीचर बनाने में आठ दिन लग जाते हैं, इसलिए कीमत भी ज्यादा रहती है।

करीब पांच साल पहले बांस और बेत से बने सोफा सेट, रैक, कुर्सी, स्टूल, डाइनिंग टेबल, शीशा, फ्रेम, झूला आदि कई चीजों की मांग रहती थी। शहर से हर माह करीब 1 हजार गाड़ी माल बाहर भेजा जाता था। यह माल पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और मुबई आदि जगह जाती थी। मगर अब 100 से 200 ही गाड़ी ही जा पा रही है। बेंत और बांस के काम से जुड़े लोगों का कहना है, पिछले पांच साल में 30 कारखाने बंद हो चुके है। कच्चे माल की बढ़ती कीमतों को बड़ी समस्या भी काम की मंदी की मेन वजह है। कारखाना संचालक इश्हाक का कहना है कि सामान को जितने दाम में खरीदते है। उतने में मेहनताना भी नहीं मिल पता है।

5 देशों पर शुल्क लगाने की घोषणा की: अमेरिका

वाशिंगटन डीसी। अमेरिका ने भारत समेत पांच देशों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की। जो अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनियों पर डिजिटल सेवा कर लगा रहे हैं या लगाने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, इसके फौरन बाद इस कर को छह माह के लिए निलंबित करने की घोषणा भी कर दी गई। अमेरिका ने आर्थिक सहयोग और विकास संगठन और जी-20 में अंतरराष्ट्रीय कराधान को लेकर चल रही बहुपक्षीय वार्ता के पूरा होने के लिए समय देते हुए छह महीने के लिए इस अतिरिक्त शुल्क को लगाने के साथ ही निलंबित कर दिया। 

अमेरिका की व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई ने एक बयान जारी कर ऑस्ट्रिया, भारत, इटली, स्पेन, तुर्की और ब्रिटेन द्वारा अपनाए गए डिजिटल सर्विस टैक्स पर एक साल की जांच के समापन की घोषणा की।  यूएसटीआर ने एक बयान में कहा, 'जांच के अंतिम निर्णय में इन देशों के कुछ सामानों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का फैसला किया गया। इस अतिरिक्त शुल्क को हालांकि लगाए जाने के साथ ही 180 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया। ताकि ओईसीडी और जी20 प्रक्रिया में अंतर्राष्ट्रीय कराधान पर चल रही बहुपक्षीय वार्ताओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय मिल सके।

12वीं की परीक्षा पर सुनवाई 2 हफ्ते के लिए टाली

अंकाशु उपाध्याय              
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 12वीं की परीक्षा पर सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी है। सीबीएसई और आईसीएसई ने आज सुप्रीम कोर्ट को परीक्षा रद्द कर देने की आधिकारिक जानकारी दी लेकिन छात्रों को अंक देने के ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया पर जानकारी देने के लिए समय मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात संतोष जताया कि सरकार ने कोरोना की स्थिति देखते हुए परीक्षा रद्द कर दी है।
 इससे पहले 31 मई को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि सरकार जल्द ही इस मामले में फैसला लेने वाली है। इसलिए इस मामले पर सुनवाई टाल देनी चाहिए। तब कोर्ट ने कहा था कि इसमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन एक बात का ख्याल रखें कि सरकार अगर पिछले साल से अलग कोई फैसला कर रही है यानी परीक्षा करा रही है तो आपको उसके लिए उचित कारण बताना होगा। पिछले साल परीक्षा स्थगित होने से पहले जो पेपर हो चुके थे, उनके औसत के आधार पर रिजल्ट घोषित किए गए थे।
 याचिका में कहा गया है कि बारहवीं की परीक्षा करियर का अहम मोड़ होती है और इसका रिजल्ट उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश का आधार बनता है। याचिका टोनी जोसेफ और ममता शर्मा ने दायर की है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि बारहवीं की परीक्षा रद्द करने से उन छात्रों के साथ अन्याय होगा, जिन्होंने बोर्ड की परीक्षा के लिए कड़ी मेहनत की है। याचिका में कहा गया है कि स्कूलों की ओर से आयोजित आंतरिक मूल्यांकन और आंतरिक ऑनलाइन परीक्षाओं के आधार पर छात्रों का रिजल्ट देना उनके साथ अन्याय है, क्योंकि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में शायद ही किसी शिक्षक ने किसी छात्र को आमने-सामने देखा हो। याचिका में कहा गया है कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सीबीएसई ने बारहवीं की बोर्ड परीक्षा को स्थगित करने का फैसला किया है। 

वयोवृद्ध लोगों को शीघ्र कोरोना टीका लगाया जाएं

कविता गर्ग                
मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य एवं केंद्र सरकार से कहा कि दिव्यांग और वयोवृद्ध लोगों को कोरोना रोधी टीका लगाए जाने का शीघ्र इंतजाम करना चाहिए। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि जुलाई महीने तक वैक्सीन की उपलब्धता के आधार पर टीकाकरण की प्रक्रिया और तेज की जाएगी। 
हाईकोर्ट में वकील ध्रुति कापड़िया और वकील कुणाल तिवारी की दिव्यांग और वयोवृद्ध लोगों को घर जाकर टीकाकरण करवाए जाने से संबंधित जनहित याचिका पर बुधवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायाधीश जी.एस. कुलकर्णी सुनवाई कर रहे थे। हाईकोर्ट ने कहा कि कोरोना रोधी टीकाकरण में जब हाउसिंग सोसाइटीज शामिल हो रही हैं तो राज्य और केंद्र सरकार घर-घर जाकर वयोवृद्ध और बिस्तर पर पड़े हुए दिव्यांग लोगों का टीकाकरण क्यों नहीं कर रही हैं। 
हाईकोर्ट ने विभिन्न सोसाइटीज के इस कार्य की प्रशंसा भी की और कहा कि इससे सरकार को प्रेरणा लेनी चाहिए। सरकार की ओर पेश वकील अनिल सिंह ने कहा कि इस समय कोरोना रोधी वैक्सीन कम मात्रा में उपलब्ध है। वैक्सीन जुलाई तक उपलब्ध हो सकता है। उस समय सभी नागरिकों को वैक्सीन दिया जा सकेगा।

रामदेव को गैर जिम्मेदाराना बयान नहीं देने चाहिए

राणा ओबराय            
हिसार। एलोपैथी व डॉक्टरों के बारे में बाबा रामदेव के कथित अपमानजनक बयान से आहत इंडियन मेडिकल ऐसोसिएशन (आईएमए) ने कहा कि बाबा रामदेव को ऐसे गैर जिम्मेदाराना बयान नहीं देने चाहिए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से बोलते हुए डॉ. संदीप कालड़ा ने कहा कि एलोपेथी, आयुर्वेद, होम्पयोपेथी व यूनानी आदि चिकित्सा प्रणालियों का अपना अलग महत्व है। बाबा रामदेव के बयानों से अस्थिरता व अशांति पैदा हो रही है और विदेशों में वैज्ञानिक उनके बयानों की खिल्ली उड़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे अनुचित बयानों से भ्रांति फैलती है।
डॉ. जेपीएस नलवा ने कहा कि बाबा रामदेव पहले योग गुरू थे, फिर भोग गुरू बन गए हैं और अब उद्योग गुरू बन गए हैं। उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव ने कोविड का कोई अस्पताल नहीं खोला और न ही उपचार किया। चिकित्सा की दूसरी पद्धतियों को गलत कहना अनुचित है। वे अपराधपूर्ण कार्य कर रहे हैं। उनके खिलाफ केस दर्ज करके गिरफ्तार किया जाना चाहिए।इस अवसर पर डॉ. एपी सेतिया ने कहा कि बाबा रामदेव को तो सहयोग करते हुए टीकाकरण के पक्ष में प्रचार करना चाहिए, क्योंकि आम जनता उनकी बातों को मानती है। उन्होंने कहा कि आईएमए की 1750 शाखाएं हैं। वह बाबा रामदेव पर मानहानि और क्षतिपूर्ति का केस करेंगे। उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव के भ्रामक प्रचार से कोविड के खिलाफ राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान को नुकसान हुआ है। इस टीकाकरण के कारण लोग ठीक होकर घर लौट रहे हैं।

यूपी सहित कई राज्यों में इंटरमीडिएट की परीक्षा रद्द

हरिओम उपाध्याय                       
लखनऊ। कोरोना संकट के बीच 12वीं की सीबीएसई परीक्षा रद्द किए जाने के बाद उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में इंटरमीडिएट की परीक्षा रद्द कर दी गई है।जिसमें 26 लाख छात्र शामिल होने वाले थे। परीक्षा रद्द होने के बाद सबसे बड़ा सवाल लोगों के मन में यही आ रहा है कि आखिर छात्रों का रिजल्‍ट किस तरह तैयार होगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस संबंध में स्थिति स्‍पष्‍ट की है। प्राप्‍त जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 12वीं के विद्यार्थियों को 10वीं और 11वीं में उनके परफॉर्मेंस के आधार पर मार्क्स दिए जाएंगे। दोनों कक्षाओं में उन्हें मिले औसत अंक निकाले जाएंगे। 
जिन 11वीं की परीक्षा नहीं दी होगी, उनके 12वीं प्री बोर्ड के अंक जोड़े जाएंगे। अगर विद्यार्थियों ने 11वीं और 12वीं प्री बोर्ड दोनों की परीक्षा नहीं दी है तो उनके लिए सामान्य प्रमोशन का विकल्प तलाशा जाएगा।सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जो स्‍टूडेंट्स अपने परीक्षा परिणाम से संतुष्ट नहीं होंगे, उन्हें अपना रिजल्ट बेहतर बनाने के लिए दोबारा परीक्षा में शामिल होने का मौका दिया जाएगा। फिर इसके आधार पर उनकी मार्किंग होगी। विद्यार्थी एक, दो, तीन या चाहें तो सभी विषयों की परीक्षा देकर अपने परीक्षा परिणाम के अंक बेहतर कर सकते हैं। हालांकि यह परीक्षा कब होगी, इस बारे में फिलहाल जानकारी नहीं दी गई है।
सरकार ने कोरोना महामारी की स्थिति में सुधार के बाद इसकी जानकारी देने की बात कही है। उत्तर प्रदेश के साथ-साथ सीबीएसई ने भी कहा है कि 12वीं के जो छात्र अपने परीक्षा परिणाम से संतुष्ट नहीं होंगे, उन्हें परीक्षा में शामिल होने का विकल्‍प होगा। सीबीएसई 12वीं के परीक्षा परिणाम कैसे तैयार करेगा, इस बारे में स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। सीबीएसई ने कहा है कि इसके लिए मानदंड तय किए जा रहे हैं और इसमें दो सप्ताह का वक्त लग सकता है।

सीएम ने राशि 74 लाख क्रय मद में स्वीकृत की

पंकज कपूर            

देहरादून। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में एनपीवी के भुगतान/ भूमि अधिग्रहण हेतु भूमि क्रय मद के लिए 25 करोड़ रूपये की धनराशि स्वीकृत की है। बड़कोट में वाहन पार्किंग के निर्माण हेतु प्रथम किश्त के रूप में 1 करोड़ 99 लाख रूपये एवं विधानसभा यमुनोत्री के अन्तर्गत 2 निर्माण कार्यों के लिए मुख्यमंत्री ने 74 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान की है।

विधानसभा क्षेत्र डोईवाला में फायर स्टेशन की स्थापना हेतु प्रथम किश्त के रूप में 1 करोड़ 50 लाख रूपये की स्वीकृति मुख्यमंत्री ने दी है। विधानसभा क्षेत्र राजपुर रोड के अंतर्गत कांवली रोड के दोनों ओर फुटपाथ, रेलिंग व दून अस्पताल चौक से दर्शनलाल चौक तक दोनों ओर पटरी तथा क्षतिग्रस्त स्थानों के सुधारीकरण हेतु 1 करोड़ 89 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान की है। कुंजापुरी के पास हिंडोलाखाल में पार्किंग निर्माण के लिए भी मुख्यमंत्री ने 1 करोड़ 54 लाख रूपये की स्वीकृति दी है।

गाजियाबाद: 24 घंटे में 25 नए कोरोना संक्रमित मिलें

अश्वनी उपाध्याय               

गाज़ियाबाद। जिलें में 24 घंटों की अवधि में केवल 25 नए संक्रमित मिले। जबकि 281 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया। जिले में अब केवल 727 सक्रिय मरीज रह गए हैं। 

गौतम बुद्ध नगर में केवल 40 नए संक्रमित मिले जबकि 149 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया। यहाँ 3 मरीजों की मौत दर्ज की गई और जिले में अब केवल 730 सक्रिय मरीज रह गए हैं।

मेरठ जिले में केवल 55 नए संक्रमित मिले जबकि 225 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया। यहाँ 6 मरीजों की मृत्यु दर्ज की गई और जिले में अब केवल 1625 सक्रिय मरीज रह गए हैं।

अंतर्कलह: बैठक में शामिल होने का बुलावा भेजा

राणा ओबराय                
चंडीगढ। पंजाब कांग्रेस की अंतर्कलह का असर बुधवार को कैबिनेट बैठक में साफ तौर पर देखने को मिला। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दूसरे कार्यकाल में यह पहला मौका था, जब बैठक में 32 एजेंडे रखे गए।लेकिन दो एजेंडे पास करने के बाद बैठक खत्म हो गई। छह नाराज मंत्री इस बैठक में शामिल नहीं हुए तो उन्हें बुलावा भेजकर बैठक में शामिल होने का बुलावा भेजा गया। सूत्रों के अनुसार एक नाराज मंत्री ने तो यह भी कह दिया कि पहले विवाद सुलझा लेते हैं। बैठक तो बाद में भी हो जाएगी।

बुधवार को होने वाली कैबिनेट बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण थी। क्योंकि इसमें छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट को मंजूरी के लिए पेश किया जाना था। इसके अलावा विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा के बेटे को डीएसपी तो विधायक राकेश पांडे के बेटे को तहसीलदार लगाए जाने के लिए एजेंडा पारित किया जाना था। लेकिन, ये दोनों एजेंडे बैठक में नहीं रखे जा सके।वर्चुअल तौर पर हुई इस बैठक में मंत्रियों की नाराजगी का असर साफ तौर पर दिखाई दिया। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे ही बैठक में शामिल हुए तो उन्होंने बैठक के कोरम के बारे में पूछा। इसके बाद मुख्‍य सचिव विनी महाजन ने उन्हें बताया कि सभी मंत्री बैठक में मौजूद नहीं हैं। इसके बाद जब कैप्टन ने मंत्रियों के बारे में पूछा तो उन्हें बताया गया है कि आठ मंत्री पंजाब भवन दिल्ली में हैं।

कार्य की प्रगति के संबंध में समीक्षा बैठक आयोजित

कौशाम्बी। जिलाधिकारी अमित कुमार सिंह की अध्यक्षता में गुरूवार को कलेक्ट्रेट स्थित सम्राट उदयन सभागार में विभिन्न विभागों से सम्बन्धित कार्य की प्रगति के सम्बन्ध में समीक्षा बैठक आयोजित की गयी। बैठक में जिलाधिकारी ने 5 जून पर्यावरण दिवस के अवसर पर सभी ग्राम पंचायतों, नगर पंचायतों, नगर पालिकाओ,स्कूलो एवं कार्यालयों सहित अन्य जगहों पर बृक्षारोपण कराये जाने का निर्देश संबंधित विभागों के अधिकारियों को दिया है। जिलाधिकारी ने सभी विभागों के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि वृक्षारोपण हेतु दिए गये लक्ष्य के सापेक्ष तैयारियों की कार्य योजना बनाकर तत्काल प्रभागीय वनाधिकारी को उपलब्ध करा दें। उन्होनें यह भी कहा कि वृक्षारोपण हेतु चिन्हित किये गए स्थानों की जियो टैगिंग कराकर गड्डे खोदे जाने के प्रगति के सम्बन्ध में सूचना भी उपलब्ध करा दें। जिलाधिकारी ने सभी सम्बन्धित विभागों को निर्देशित करते हुए कहा कि वृक्षारोपण कार्यक्रम की तैयारियों में किसी भी प्रकार की लापरवाही या उदासीनता क्षम्य नही होगी। उन्होनें कहा कि दिए गए लक्ष्य के सापेक्ष सभी तैयारियॉ समय से पूर्ण कर ली जाय। उन्होने अलवारा झील के किनारे-किनारे बृक्षारोपण कराये जाने का भी निर्देश दिया है। बैठक में वनाधिकारी ने बताया कि जनपद में कुल 21 लाख 48 हजार 996 पौधों का रोपण किया जायेगा। इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी मनोज, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, सभी खण्ड विकास अधिकारी सभी अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत सहित संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।
उज्ज्वल केशरवानी

सीएम ने 'लॉकडाउन' को 14 जून तक लागू किया

बैंगलुरू। दूसरी लहर के रूप में आई कोरोना संक्रमण की वैश्विक महामारी लोगों का पीछा छोड़ने के लिए तैयार नहीं दिखाई दे रही है। कोरोना संक्रमण के मामलों में आशातीत कमी न आने की वजह से कर्नाटक के सीएम येदियुरप्पा ने लॉकडाउन की अवधि में बढ़ोतरी करते हुए अब 14 जून तक लागू किया है। इस दौरान राज्य में कड़ी पाबंदियां रहेगी। देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर लगातार अपने पांव जमाए हुए हैं। लागू किये गये लाॅकडाउन और कोरोना कफ्र्यू जैसे प्रतिबंधों से कुछ राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले कम हुए हैं तो तमाम पाबंदियों के बावजूद देश के कई राज्य अभी तक कोरोना वायरस के संक्रमण के रोजाना मिल रहे मामलों से बुरी तरह जूझ रहे हैं। 

कर्नाटक में कोरोना संक्रमण के नए मामलों में आशा के अनुरूप कमी ना आने से मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा ने बृहस्पतिवार को राज्य में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन की अवधि में बढ़ोतरी करते हुए अब इसे आगामी 14 जून तक के लिए बढ़ा दिया है। मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा ने कहा है कि लाॅकडाउन को सख्ती के साथ लागू करते हुए राज्य में कड़ी पाबंदियां रहेंगी।

एजेंसी


केमिकल फैक्ट्री में आग लगने से 3 लोग झुलसे

अश्वनी उपाध्याय                

गाजियाबाद। केमिकल फैक्ट्री में लगी भयंकर आग की चपेट में आकर मालिक समेत तीन लोग झुलस गए हैं। जिन्हें तत्काल ही उपचार के लिए एक निजी अस्पताल में भेजा गया है। सूचना पर फायर ब्रिगेड की टीम और पुलिस मौके पर पहुंच गई है। आग लगने से आसपास के लोगों में बुरी तरह से हड़कंप मचा हुआ है। बृहस्पतिवार की दोपहर जनपद के मोदीनगर थाना क्षेत्र के गांव कादराबाद स्थित विकास नगर इंडस्ट्रियल एरिया में एक केमिकल फैक्ट्री में किन्ही कारणों से आग लग गई। जिसने थोड़ी ही देर में विकराल रूप धारण कर लिया। केमिकल फैक्ट्री से उठ रही आग की लपटों और काले धुएं से समूचा आसमान पट गया। फैक्ट्री से आग की लपटें और काला धुआं निकलते हुए देख आसपास के लोगों में दहशत पसर गई। इसी बीच आग बुझाने के प्रयासों में फैक्ट्री मालिक समेत तीन लोग लपटों की चपेट में आकर झुलस गए। मामले की जानकारी तुरंत ही पुलिस और फायर विभाग को दी गई। 

सूचना पाते ही फायर ब्रिगेड की टीम के अलावा पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची। पुलिस ने व्यवस्था बनाते हुए आसपास के लोगों को वहां से हटाया और फायर कर्मियों के माध्यम से आग बुझाने का काम शुरू किया। फायर कर्मियों ने राहत कार्य शुरू करते हुए फैक्ट्री में आग की लपटों से घिरे कर्मचारियों को किसी तरह से बाहर निकाला। आग लगने की इस घटना में फैक्ट्री मालिक आशु गुप्ता समेत तीन लोग झुलस गए। एंबुलेंस की सहायता से तीनों को तुरंत ही स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। एफएसओ मामचंद ने बताया कि घटनास्थल पर पहुंचने पर पता चला कि मालिक समेत तीन लोग आग से झुलस गए हैं। तीनों को उपचार के लिए अस्पताल भिजवा दिया गया है। उन्होंने बताया कि आग लगने के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। इसकी जांच की जा रही है।

बिलों के भुगतान का विवरण सार्वजनिक करने की मांग

हरिओम उपाध्याय              

लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार से प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना का इलाज कराने वाले मरीजों के बिलों के भुगतान का विवरण सार्वजनिक करने की मांग की है। अखिलेश यादव ने गुरूवार को ट्वीट किया "उप्र की भाजपा सरकार ने बड़े जोर शोर से प्रचारित किया था कि वो कोरोना के प्राइवेट इलाज का खर्चा देगी। अब भाजपा सरकार बताए कि अभी तक जनता के कितने बिलों का भुगतान किया है। भाजपा सरकार जनता के सामने आँकड़े रखे।" सपा अध्यक्ष ने सरकार से ब्लैक फंगस के भी मुफ्त इलाज कराने की घोषणा करने की मांग की। उन्होने लिखा "साथ ही सरकार 'ब्लैक फंगस' के भी मुफ़्त इलाज की तत्काल घोषणा करे।"

विंडोज का नया वर्जन जल्द पेश करेगा 'माइक्रोसॉफ्ट'

वाशिंगटन डीसी। माइक्रोसॉफ्ट कार्प आगामी 24 जून को विंडोज साॅफ्टवेयर का नया वर्जन पेश करेगा।माइक्रोसॉफ्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सत्या नडेला ने यह जानकारी दी। उन्हाेंने बताया कि अपडेट सॉफ्टवेयर में डिज़ाइन में बदलाव समेत क्रियेटर्स एवं डेवलपर्स के लिए ऐप स्टोर और अन्य फीचर्स के जरिए अतिरिक्त सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी। मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सत्या नडेला पहले ही कह चुके हैं कि नया सॉफ्टवेयर अपडेट को इस दशक के ऑपरेटिंग सिस्टम में सबसे महत्वपूर्ण बदलाव करार दे चुके हैं।

टीकाकरण नीति: पीएम को चौपट राजा करार दिया

अकांशु उपाध्याय               

नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक बार फिर से केंद्र की टीकाकरण नीति पर सवाल उठाते हुए कुछ आंकड़े जारी किए हैं और केंद्र सरकार की टीकाकरण नीति को अंधेर वैक्सीन नीति और प्रधानमंत्री को चौपट राजा करार दिया है। बृहस्पतिवार को कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट करते हुए लिखा है कि मई में वैक्सीन उत्पादन क्षमता 8.5 करोड़ जबकि वैक्सीन का उत्पादन 7.94 करोड़ और लोगों को वैक्सीन लगी 6.1 करोड़। इसके बावजूद जून में सरकारी दावा 12 करोड़ वैक्सीन आएगी? 

प्रियंका ने पूछा है आखिर यह आएगी कहां से? क्या देश में कोरोना वैक्सीन का उत्पादन कर रही दोनों कंपनियों की उत्पादन क्षमता में एकाएक 40 प्रतिशत का इजाफा हो गया है? उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा है कि वैक्सीन के लिए बजट में निर्धारित किए गए 35000 करोड रुपए कहां खर्च किए गए हैं? उन्होंने केंद्र की वैक्सीन नीति को अंधेर वैक्सीन नीति और चौपट राजा करार दिया है। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण से निपटने के मामले में मोदी सरकार वैक्सीनेशन नीति को लेकर चारों तरफ से बुरी घिरी हुई है। विपक्ष के लगातार करारे प्रहार झेल रही केंद्र सरकार को देश की सुप्रीम कोर्ट ने भी जमकर फटकार लगाई है। 

उच्चतम न्यायालय ने कोरोना संक्रमण से बचाव की 18 से 44 साल की उम्र के लिए लागू मौजूदा वैक्सीन नीति को तर्कहीन और मनमाना करार दिया है। उधर सरकार का दावा है कि समूचे देश में अभी तक 22 करोड़ से अधिक कोरोना वैक्सीन की डोज लोगों को लगाई जा चुकी है। कोरोना वैक्सीनेशन को आगे बढ़ाने की केंद्र की नीति इस समय चैतरफा से सवालों से घिरी हुई है। कई राज्य सरकारों ने दावा किया है कि उनके पास वैक्सीन की कमी के चलते उनके राज्य में लोगों का कोरोना टीका करण फिलहाल रोक दिया गया है।

एससी ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाया ?

अकांशु उपाध्याय          

नई दिल्ली। कोरोना की पहली लहर से हम गुजर जाए। उसके बाद दूसरी लहर से भी अब धीरे-धीरे उभरते जा रहे है। अब कोरोना की लहर के प्रकोप से बचने के लिए देश में वैक्सीनेशन का काम जारी है। अब तक 22 करोड से अधिक व्यक्तियों की वैक्सीन की डोज लगाई जा चुकी है। मगर जिस तरह से वैक्सीन की नीतियों को आगे बढ़ाया जाना है। 

उस पर गंभीर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाया। अब केंद्र की वैक्सीन का पूरा हिसाब मांग लिया है। 18 से 44 वर्ष के लिए मौजूदा नीति को सुप्रीम कोर्ट ने मनमाना बताया है। केंद्र सरकार अब वैक्सीन नीति को लेकर चारों तरफ घिरती नजर आ रही है। केंद्र सरकार ने 18 से 44 वर्ष उम्र के लिए वैक्सीन का खर्च राज्य सरकार को उठाने के लिए कहा है। इसको लेकर अब सुप्रीम कोर्ट भी सख्त हो गया है।

डीएम ने किया सीएचसी केंद्र का औचक निरीक्षण

अतुल त्यागी, मुकेश सैनी         
हापुड़। जनपद में जिलाधिकारी अनुज सिंह ने दिनेश नगर पिलखुवा सीएचसी केंद्र का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान सीएचसी केंद्र पर टीकाकरण हो रहा था। जिलाधिकारी अनुज सिंह के द्वारा सीएचसी केंद्र पर बन रहे ऑक्सीजन प्लांट के निर्माण की गुणवत्ता का भी जायजा लिया। उन्होंने निर्माणाधीन ऑक्सीजन प्लांट का कार्य जल्द से जल्द पूरा करने हेतु संबंधित को निर्देश दिए। इस अवसर पर मुख्य शिक्षा अधिकारी रेखा शर्मा उनके साथ उपस्थित रही।

त्रासदी में सरकार का दोष नहीं, बताने का प्रयास

वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी के माध्यम से ये बताया जा रहा है कि ये वैश्विक महामारी है और हर देश प्रभावित है, इसलिए मोदी जी बेचारे क्या कर सकते हैं। इस नरेटिव से सरकार की नाकामी पर पर्दा डालने का प्रयास जारी है, जबकि सच्चाई यह है कि दुनिया में कोविड के दूसरे लहर का सबसे ज़्यादा असर भारत पर ही पड़ा है। जिस देश का जन स्वास्थ्य तंत्र सुदृढ़ है, वहां इसका असर अपेक्षाकृत कम हुआ।

कोरोना वायरस महामारी के काल में भले ही सभी विश्वविद्यालय बंद हैं, लेकिन वॉटसऐप यूनिवर्सिटी की सक्रियता बदस्तूर जारी है। लोग भले ही महामारी से निपटने में सरकार की विफलता और लापरवाही पर सवाल खड़े कर रहे हों लेकिन वॉटसऐप यूनिवर्सिटी का रिसर्च एक अलग ही नरेटिव खड़ा करने की कोशिश में है। पहला नरेटिव लोगों को सकारात्मक बने रहने की सीख देना है। यह सच है कि इस आपदा का एक मनोवैज्ञानिक पहलू भी है, लेकिन इस मनोवैज्ञानिक पक्ष को सरकार को बचाने के लिए किया जा रहा है।

इस अभियान में आरएसएस प्रमुख से लेकर तमाम स्वयंभू बाबाओं को लगा दिया गया है। सकारात्मकता के इस अभियान का मक़सद लोगों में यह धारणा उत्पन्न करना है कि कोरोना महामारी का समाधान स्प्रिचुअल यानी आध्यात्मिक है और जब समाधान आध्यात्मिक है तो सरकार से क्यों सवाल जवाब करना? वैक्सीन और ऑक्सीजन को निर्यात कर क्यों विदेश भेजा गया? ‘विश्वगुरु’ किस प्रकार कोरोना से अपने नागरिकों को बचा रहा? क्यों महामारी के बचाव से संबंधित उपकरणों (वेंटिलेटर, टेस्ट किट, पीपीई, ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर) आदि पर जीएसटी लगाया जा रहा है? क्यों नहीं इस महामारी में इन उत्पादों को मुफ्त या बिल्कुल न्यूनतम दरों पर उपलब्ध कराया जा रहा? पीएम केयर्स फंड के पैसे किस मद में खर्च किए गए?

ऐसे तमाम सवाल लोग फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया साइट्स पर सरकार से पूछ रहे हैं। वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी को यह उम्मीद है कि पाज़िटिव अनलिमिटेड जैसे प्रोग्राम के तहत को अधिक से अधिक संदेश फॉर्वर्ड कर ऐसे सवालों से बचा जा सकता है। दूसरा नरेटिव ये बताने का है ये वैश्विक महामारी है और हर देश प्रभावित है इसलिए मोदी जी बेचारे क्या कर सकते हैं। इस नरेटिव से सरकार की नाकामी पर पर्दा डालने का हरसंभव प्रयास जारी है। जबकि सच्चाई यह है कि दुनिया में कोविड के दूसरे लहर का सबसे ज़्यादा असर भारत पर ही पड़ा है।

इसके साफ़ मायने हैं कि जिस देश का जन स्वास्थ्य तंत्र सुदृढ़ है, वहां इस वायरस का असर अपेक्षाकृत कम हुआ। जिन देशों ने समय रहते अपने नागरिकों को वैक्सीन लगवा दिया, वहां समस्या गंभीर नहीं हुई। दूसरी तरफ़ भारत में मौत और संक्रमण के आंकड़े को ही छिपाने का सरकारी प्रयास जारी है। मिडिया के अनुसार, कोविड-19 की दूसरी लहर से भारत में 42 लाख लोगों की मौत हो चुकी है और 70 करोड़ लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। देश-दुनिया की मीडिया प्रधानमंत्री मोदी की असफलता और लापरवाही पर सवाल खड़ा कर रहा है। विभिन्न उच्च न्यायालयों ने मोदी सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल भी उठाया है।

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी 2020 के आखिरी हफ़्ते में जब निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनाव के लिए तारीख़ों का ऐलान किया, तब पश्चिम बंगाल में कोरोना के रोज़ाना 200 से कम पॉज़िटिव केस आ रहे थे, लेकिन आख़िरी चरण तक आते-आते यह आंकड़ा प्रतिदिन क़रीब 900 प्रतिशत बढ़कर 17,500 के ऊपर पहुंच गया। पश्चिम बंगाल में 2 मार्च तक एक भी व्यक्ति की मौत इस वायरस के कारण नहीं हुई थी, लेकिन 2 मई यानी मतगणना के दिन यह आंकड़ा 100 के पार चला गया। डब्ल्यू  तो बड़े धार्मिक और राजनीतिक आयोजनों को कोरोना फैलाने वाला सुपरस्प्रेडर आयोजन की संज्ञा तक दे दी। इतना ही नहीं अनगिनत तैरती लाशों ने गंगा को शववाहिनी गंगा में तब्दील कर दिया।

तीसरा नरेटिव यह कि केंद्र सरकार की कोई गलती नहीं, सारा दोष राज्य सरकारों का है, जबकि सच्चाई यह है कि महामारी अधिनियम के तहत राज्य सरकार का कार्य लागू करना है। सरकार द्वारा शक्ति का केंद्रीकरण और राज्यों को दोष देना एक साथ नहीं चल सकता। एक तरफ़ तो केंद्र सरकार वैक्सीन प्रमाण पत्र पर प्रधानमंत्री की तस्वीर लगा रही है, वहीं दूसरी तरफ़ वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए राज्यों को खुले बाज़ारों के हवाले कर दिया है।

चौथे नरेटिव का प्रोपेगेंडा यह है कि यह दूसरी लहर है ही नहीं, ये तो भारत पर जैविक हमला है, जबकि सच्चाई बिल्कुल भिन्न है। भारत सरकार ने किसी भी स्तर पर ऐसे किसी भी जैविक हमले की बात नहीं की है। रॉ और इंटेलिजेंस ब्यूरो समेत किसी भी सरकारी संस्था ने अब तक ऐसे किसी भी जैविक हमले की आशंका तक ज़ाहिर नहीं की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत समेत दुनिया के हेल्थ एक्सपर्ट ने भी जैविक हमले की संभावना से इनकार किया है। इन सारे झूठे और मनगढ़ंत प्रोपेगेंडा के अतिरिक्त लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ट्विटर पर टूलकिट का सहारा भी लिया गया। एक टूलकिट से यह बताने असफल प्रयास किया गया कि कैसे कांग्रेस पार्टी भाजपा और मोदी सरकार को बदनाम कर रही है।

जब ट्विटर ने भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के टूलकिट वाले ट्वीट को मैनिपुलेटेड मीडिया का टैग दे दिया यानी जान-बूझकर भ्रामक ट्वीट की श्रेणी में रख दिया तो मोदी सरकार ने ट्विटर को ही धमकाते हुए उसके कार्यालय में छापा तक मार दिया। इन सबसे भी पब्लिक ओपिनियन बदलता न देख एक नया शिगूफ़ा छोड़ते हुए आयुर्वेद बनाम एलोपैथी का बहस देश में खड़ा कर दिया गया है और इस कार्य में रामदेव को लगा दिया गया।

जहां आरोप यह लग रहा था कि लोग बिना इलाज के मर रहे हैं, वहीं अब बहस यह खड़ा करने की कोशिश है कि लोग तो एलोपैथी इलाज के कारण मर रहे। इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण और क्या हो सकता है कि इस आपदा में जहां सैकड़ों डॉक्टर ने अपनी जान गंवाई आज उन्हीं डॉक्टरो को विरोध प्रदर्शन करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं विभिन्न चिकित्सा पद्धति को अलग-अलग धर्मों से जोड़कर दिखाया जा रहा है जिससे कि इस महामारी में भी सांप्रदायिक राजनीति की जा सके। इस आपदा में केंद्र की मोदी सरकार को अपने नागरिकों के सवाल का जवाब देना चाहिए था। स्वास्थ्य व्यवस्था ठीक करनी चाहिए थी, लेकिन सरकार इन सब के बजाय किसी भी क़ीमत पर अपनी छवि बचाने के काम में अधिक गंभीर जान पड़ती है। सवाल यह है कि क्या इस भीषण त्रासदी के बाद भी जनता समझ पाएगी कि उसकी जान की क़ीमत वोट से अधिक कुछ भी नहीं।

यूपी में आज से ओपीडी सेवा शुरू, आदेश जारी

चार से शुरू होगी ओपीडी सेवा, आदेश भी जारी
संदीप मिश्र  
लखनऊ। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण की सेकेंड स्ट्रेन की रफ्तार मंद पडऩे के बाद अब योगी आदित्यनाथ सरकार चार जून से प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवा भी शुरू कर देगी। सूबे में नॉन कोविड मरीजों की परेशानी देख सीएम योगी आदित्यनाथ ने यह फैसला लिया और इसका आदेश भी जारी हो गया है।उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों के साथ मेडिकल कॉलेज में भी चार जून से ओपीडी सेवा शुरू कर दी जाएगी। 
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद अब मेडिकल कॉलेजों तथा स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में सीमित संख्या के साथ जनरल ओपीडी सेवा चार जून से प्रारम्भ की जाएगी। इस दौरान ओपीडी में अधिक लोग एकत्रित न हों, इसके लिए मरीजों की संख्या सीमित रखी जाए। रोगियों को पूर्व निर्धारित समय पर ओपीडी में बुलाया जाएगा।अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि निर्देश है कि मेडिकल कॉलेजों तथा स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में ओपीडी में आने वाले मरीजों के बैठने की समुचित व्यवस्था भी होनी चाहिए। इस दौरान अस्पतालों में मेडिकल इमरजेंसी सेवाएं निरन्तर जारी रखी जाएं। 
मेडिकल कॉलेजों तथा स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में इस दौरान कोविड प्रोटोकॉल का भी पूरा पालन सुनिश्चित कराया जाए।अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में पिछले 24 घंटों में 3,31,511 कोविड टेस्ट किए गए हैं। प्रदेश में अब तक पांच करोड़ से अधिक कोविड टेस्ट किए जा चुके हैं। पांच करोड़ से अधिक टेस्ट करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है। प्रदेश में 30 अप्रैल, 2021 को संक्रमण के अब तक के सर्वाधिक एक्टिव मामले 3,10,783 थे। वर्तमान में संक्रमण के एक्टिव मामलों की संख्या घटकर 28,694 हो गई है। 30 अप्रैल के सापेक्ष एक्टिव मामलों की संख्या में 2,82,089 की कमी आई है।

'बाबा' आपातकालीन पैरोल पर पीजीआई लाये गए

राणा ओबरॉय   
चंडीगढ़। सुनारिया जेल से सुबह ही रोहतक पीजीआई लेकर पहुंचा है, जिसके बाद राम रहीम का टेस्ट करवाया गया है। आज सुबह जल्दी ही गुरमीत राम रहीम को पीजीआई लेकर पहुंचे थे, जिसके बाद चेकअप के बाद वापस जेल लेकर जाया गया।
बताया जा रहा है कि राम रहीम को पेट दर्द के चलते पीजीआई रोहतक लेकर पहुंचे थे। जहां पर टेस्ट करवाने के बाद फिर से सुरक्षित तरीके से जेल लेकर पहुंच गए हैं। आपको बता दें कि इससे पहले राम रहीम को इमरजेंसी पैरोल दी गई थी। राम रहीम को 48 घंटे की पैरोल दी गई थी। लेकिन 12 घंटे में ही वापस लौटना पड़ा था। राम रहीम को अपनी बीमार मां की देखभाल के लिए इमरजेंसी पैरोल मिली थी।

सीरम इंस्टीट्यूट ने भी कानूनी सुरक्षा की मांग की

अकांशु उपाध्याय  
नई दिल्ली। फाइजर और मॉडर्ना के बाद कोरोना वैक्सीन कोवीशील्ड बनाने वाली सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने भी सरकार से कानूनी सुरक्षा की मांग की है। कंपनी ने कहा है कि कानून सभी के लिए बराबर होना चाहिए। यदि विदेशी वैक्सीन कंपनियों को कानूनी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है, तो उन्हें भी ये सुविधा मिलनी चाहिए।

कंपनी के सूत्रों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि सिर्फ SII को ही नहीं, बल्कि देश में वैक्सीन का उत्पादन कर रही हर कंपनी को सुरक्षा दी जानी चाहिए। सीरम देश में एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन का उत्पादन कोवीशील्ड के नाम से कर रहा है। इससे पहले बुधवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा था कि कई देशों ने वैक्सीन कंपनियों को ये सुविधाएं दी हुई हैं। भारत को भी ये सुविधा देने में कोई परेशानी नहीं है। विदेशी कंपनियां इमरजेंसी अप्रूवल के लिए आवेदन करती हैं, उन्हें ये सुविधा मिल सकती है।

क्या सुविधाएं चाहती हैं फाइजर और मॉडर्ना
भारत सरकार और फाइजर और मॉडर्ना के बीच वैक्सीन की डील को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है। फाइजर ने भी एक बयान जारी कर बताया था कि भारत के साथ वैक्सीन को लेकर बातचीत चल रही है और जल्द ही इसके नतीजे सामने होंगे।

वैक्सीन डील को लेकर मामला एक जगह फंसा हुआ है। दरअसल, कंपनियों ने अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई सरकारों से कानूनी सुरक्षा का भरोसा मांगा है। अब फाइजर यही मांग भारत में कर रही हैं। कंपनियां यह चाहती हैं कि वैक्सीन लगने के बाद किसी भी प्रकार का कोई कानूनी पेंच फंसता है तो इसके लिए कंपनी जवाबदेह नहीं होगी। केंद्र सरकार को इसके लिए आगे आना होगा।

स्पुतनिक-V के लिए टेस्ट लाइसेंस मांगा
वहीं, SII ने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से रूस की कोविड वैक्सीन स्पुतनिक-V बनाने के लिए टेस्ट लाइसेंस के लिए मंजूरी मांगी है। सूत्रों के मुताबिक, गुरुवार पुणे स्थित फर्म ने टेस्ट एनालिसिस और टेस्टिंग के लिए भी मंजूरी मांगी है। रूस की स्पुतनिक-V वैक्सीन इस वक्त भारत में डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज बना रही है।

जून तक 10 करोड़ वैक्सीन उत्पादन और सप्लाई
हाल ही में SII ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक चिट्‌ठी लिखी थी। उसमें कहा गया था कि उसके कर्मचारी कई चुनौतियों के बावजूद 24 घंटे काम कर रहे हैं। जून के महीने में हम कोवीशील्ड वैक्सीन के करीब 10 करोड़ डोज बनाने और सप्लाई करने में सक्षम होंगे। मई में हमारी उत्पादन क्षमता 6.5 करोड़ खुराक थी।

सीरम वैक्सीन बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी
सीरम इंस्टीट्यूट वैक्सीन बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है। अब तक यह अलग-अलग वैक्सीन के 1.5 अरब डोज बेच चुकी है। यह एक तरह का रिकॉर्ड भी है। एक आंकड़े के मुताबिक, दुनिया के 60% बच्चों को सीरम की कोई न कोई वैक्सीन जरूर लगी है।

170 देशों में सीरम के टीकों की सप्लाई
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) से मान्यता प्राप्त सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की वैक्सीन 170 देशों में सप्लाई होती हैं। यह कंपनी पोलियो वैक्सीन के साथ-साथ डिप्थीरिया, टिटनस, पर्ट्युसिस, HIV, BCG, आर-हैपेटाइटिस बी, खसरा, मम्प्स और रूबेला के टीके भी बनाती है।

रजिस्ट्रेशन का आंकड़ा 16.37 लाख के पार हुआ

रजिस्ट्रेशन का आंकड़ा 16.37 लाख के पार हुआ  पंकज कपूर  देहरादून। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा 2024 को लेकर यात्रियों में गजब का उत्साह देखा जा...