सोमवार, 10 मई 2021

ऑक्सीजन ​की ​निर्भरता को 2-डीजी दवा ने ​कम ​किया

अकांशु उपाध्याय                      
नई दिल्ली।​ ​​कोविड संकट के समय ​देश के पहले ओरल ड्रग को इमरजेंसी इस्तेमाल की ​​ड्रग्स कंट्रोलर ​से ​मंजूरी मिलना डीआरडीओ​ ​के लिए बड़ी उपलब्धि है​। ​साथ ही ​पानी में घोलकर पीने वाली यह 2-डीजी दवा ​देश को ​कोविड ​संकट से उबारने में गेमचेंजर साबित हो सकती है। डॉक्टर रेड्डीज लैब ​के सहयोग से तैयार की इस दवा की ​​​10​ हजार खुराक ​​अगले सप्ताह तक ​मिलने की उम्मीद है।​ इस दवा के इस्तेमाल की शुरुआत देशभर में चल रहे डीआरडीओ के कोविड केयर अस्पतालों से होगी जहां मौजूद सशस्त्र बलों के डॉक्टर अपनी निगरानी में मरीजों को दवा देंगे।  
 ​यह ​कोविड रोधी दवा 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) ​​डीआरडीओ ​ने हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज के साथ मिलकर विकसित की है​। इस दवा ​का नाम ​2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) ​है। जिस​का ​​​क्लीनिकल ट्रायल​ पूरा हो चुका है।​ चिकित्सीय परीक्षण के दौरान 110 कोविड रोगियों ​को यह दवा दी गई, उनमें से अधिकांश की आरटी-पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई है। ​​साथ ही अस्पताल में भर्ती ​गंभीर मरीजों में ऑक्सीजन ​की ​निर्भरता को ​भी इस दवा ने ​कम ​किया है।​ ​​इस तरह मेडिकल ट्रायल के दौरान सामने आया कि 2-जी दवा कोविड मरीजों को जल्द स्वस्थ करने में मदद करती है​।​​ इसलिए अब ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने 1 मई को गंभीर कोविड-19 रोगियों के लिए इस दवा के ​इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी है​​​​। ​​
 इस दवा के परीक्षण का पहला चरण अप्रैल 2020 में कोविड-19 की पहली लहर के दौरान​ शुरू हुआ था​​।​ तब परीक्षण में पाया गया कि ​यह दवा संक्रमित कोशिकाओं में जमा होकर वायरस को शरीर में आगे बढ़ने से रोक देती है।​ ​इन ​परिणामों के आधार पर डीसीजीआई ने मई​,​ 2020 में ​दूसरे चरण यानी ​​​क्लीनिकल​ ​ट्रायल की अनुमति दी थी​​।​ मई से अक्टूबर​,​ 2020 के दौरान किए गए ​अगले ​चरण​ के परीक्षणों में ​भी यह ​दवा ​सुरक्षित पाई गई और ​​कोविड-19 रोगियों की रिकवरी में ​तेजी से सुधार दिखा। ​डीसीजीआई ने ​नवम्बर, ​2020 में ​तीसरे ​चरण​ के ​क्लीनिकल​ ​ट्रायल की अनुमति दी​​। ​इस दौरान ​दिल्ली,​ ​उत्तर प्रदेश,​ ​पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के 27 कोविड अस्पतालों में 220 मरीजों पर ​परीक्षण ​किया गया। ​
​कोविड के इलाज में ​देश के पहले ओरल ड्रग (मुंह से लेने वाली दवा) को इमरजेंसी इस्तेमाल की ​​ड्रग्स कंट्रोलर ​से ​मंजूरी मिलने के बाद ​​​​डीआरडीओ प्रमुख​ डॉ.​ जी. स​तीश रेड्डी ​का कहना है कि ​तीन चरणों में प्रभावी साबित ​होने के बाद अब आसानी से बड़े पैमाने पर​ इस दवा का उत्पादन किया जा सकता है​ जिससे कोविड संकट के समय देश के स्वास्थ्य ढांचे पर ​पड़ ​रहे ​बोझ से राहत ​मिलेगी।​ ​अब इसे आसानी से उत्पादित और देश में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध कराया जा सकता है।​ ​​अगले सप्ताह तक हमारे पास 10​ हजार खुराक तैयार होंगी और ​​​​अगले तीन हफ्तों में एक बड़ा रोलआउट होगा। ​कोविड मरीजों के लिए यह दवा पाउडर के रूप पाउच में उपलब्ध होगी जिसे पानी में घोलकर पिया जा सकेगा​​​।​ इस दवा की उपलब्धता बढ़ाने के लिए डॉ​.​ रेड्डी की प्रयोगशालाओं के साथ मिलकर काम ​किया जा रहा है​​​​​​।
 ​इस दवा को विकसित करने में ​डीआरडीओ के वैज्ञानिक ​​डॉ​.​ अनंत एन. भट​ और डॉ​.​ सुधीर चांदना का अहम योगदान रहा है​। डॉ. चांदना का कहना है कि दवा की कीमत उत्पादन पर निर्भर करेगी​। फिर भी इस ओरल ड्रग के दाम तय करने के लिए उद्योग भागीदार डॉ. रेड्डी की प्रयोगशालाओं के साथ काम चल रहा है। हमारी कोशिश है कि कुछ दिनों में ही दवा का लागत मूल्य तय कर लिया जाए जिससे यह पता चल सके कि बाजार में उपलब्ध होने पर क्या कीमत होगी​। दूसरे वैज्ञानिक ​डॉ​.​ अनंत एन. भट का कहना है कि एंटी-कोविड दवा 2-डीजी को शुरू में ब्रेन-ट्यूमर और कैंसर के लिए विकसित किया गया था, लेकिन इससे पहले इसका कोरोना पर परीक्षण शुरू कर दिया, जो सफल रहा। अब हम इस दवा का जल्द से जल्द उत्पादन शुरू करने पर विचार कर रहे हैं।

एमपी ने महामारी से निपटने की तैयारियां शुरू की

भोपाल। देश में कोरोना की तीसरी लहर आने की चिकित्‍सकों की आशंका को देखते हुए मध्‍य प्रदेश ने महामारी से निपटने की अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसको लेकर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के 13 शासकीय मेडिकल कॉलेज एवं उनके कोविड अस्पतालों के चिकित्सकों एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों के साथ मंथन एवं विमर्श कर तीसरी लहर की रोकथाम एवं उपचार के विभिन्न आयामों पर विस्तृत चर्चा की। 
कोरोना की तीसरी लहर में नवजात शिशुओं एवं बच्चों के संक्रमित होने की संभावना को देखते हुए प्रदेश के मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में 360 बिस्तर के बच्चों के आईसीयू की व्यवस्था की जा रही है। इसी कड़ी में भोपाल के हमीदिया अस्पताल में 50 बिस्तर का बच्चों का आईसीयू तैयार किया जाएगा।

बायोटेक की 1.50 लाख कोवैक्सीन लखनऊ पहुंचीं

हरीओम उपाध्याय                        
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में वैक्सीनेशन की प्रक्रिया तेज करने की प्रक्रिया में भारत बायोटेक की 1.50 लाख कोवैक्सीन रविवार को मुंबई से लखनऊ पहुंची। 8 मई को कोविशील्ड की 03.50 लाख डोज़ लखनऊ पहुंची थी। बता दें कि वैक्सीन निर्माताओं को योगी सरकार ने एडवांस पेमेंट में किया था। वहीं, पूरे प्रदेश में बीते 24 घंटों में 947.27 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति हुई है। यह जानकारी अपर मुख्य सचिव, गृह, अवनीश कुमार अवस्थी ने दी। 
 उन्होंने बताया कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन मुम्बई से लखनऊ एयरपोर्ट लाया गया। यहां से वैक्सीन की खेप स्टेट वैक्सीनेशन सेंटर पहुंची। यहां से राज्य भर में वितरित होगा। उन्होंने बताया कि रिफीलर्स को 571.61 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति हुई है। प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों 310.19 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई है। वहीं, 65.48 मीट्रिक टन ऑक्सीजन निजी चिकित्सालयों को दी गई। 
 उन्होंने बताया कि सेल्फ प्रोडक्शन के तहत एयर सेपरेटर्स यूनिट्स के माध्यम से भी कुल 61.53 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आपूर्ति की गयी है। कानपुर में 80 मीट्रिक टन और वाराणसी में 40 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आज पहुंचाई गई है।
 उन्होंने यह भी बताया कि जामनगर से रेल द्वारा 5 टैंकर के माध्यम से कुल 120 मीट्रिक टन ऑक्सीजन नोएडा, गाजियाबाद, आगरा व सहारनपुर हेतु भेजी गयी है। इसके अलावा बरेली व मुरादाबाद के लिये भी 2 ऑक्सीजन टैंकर रेल मार्ग से भेजे गये हैं। 
 उन्होंने बताया कि जीवन रक्षक ट्रेन संख्या-3 द्वारा जमशेदपुर से 10 ऑक्सीजन टैंकर के माध्यम से कुल 80 मीट्रिक टन क्षमता के कल लखनऊ पहुंचाया गये, जिनमें प्रत्येक टैंकर की क्षमता 8 मीट्रिक टन है। जीवन रक्षक ट्रेन संख्या-4 द्वारा 8 मीट्रिक क्षमता के 6 टैंकर कुल 48 मीट्रिक टन ऑक्सीजन कानपुर को कल उपलब्ध करायी गयी है। अब पुनः जमेशदपुर से ऑक्सीजन भर कर कल तक यह ट्रेन लखनऊ आएंगी।

सरकार ने एक सप्ताह के लिए ‘लॉकडाउन’ बढ़ाया

राणा ओबराय                      
चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने प्रदेश में एक सप्ताह के लिए ‘लॉकडाउन’ बढ़ा दिया है। अब प्रदेश में 17 मई को सुबह 5 बजे तक लॉकडाउन लागू रहेगा। इस बार सरकार ने इसका नाम ‘लॉकडाउन’ से बदल कर ‘सुरक्षित हरियाणा’ कर दिया है। 
प्रदेश के गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने रविवार की रात लॉकडाउन अवधि में किए इजाफे की पुष्टि की है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार ने 30 अप्रैल को ‘वीकेंड लॉकडाउन’ का ऐलान किया है। दो मई को सरकार ने तीन मई की सुबह से नौ मई की रात तक संपूर्ण लाकडाउन का एलान किया था। यह लाकडाउन सोमवार को सुबह 5 बजे तक जारी रहना था। 
इससे पहले ही सरकार ने रविवार की रात नए आदेश जारी करके एक सप्ताह के लिए प्रदेश में लॉकडाउन बढ़ा दिया दिया। वर्तमान में भी औसतन 14 से 15 हजार पॉजिटिव केस रोजाना आ रहे हैं। 
ऐसे में सरकार ने लॉकडाउन की अवधि को एक और सप्ताह के लिए बढ़ा दिया है। विज ने कहा कि सभी जिलों के डीसी और एसपी को निर्देश दिए हैं कि वे सख्ती के साथ इसकी पालन सुनिश्चित करें। 
घर से बाहर निकलने या मार्केट जाने के लिए मूवमेंट पास अनिवार्य होगा। इस लाकडाउन को सुरक्षित हरियाणा का नाम दिया गया है। मुख्य सचिव को नई गाइड लाइन जारी करने के निर्देश दे दिये गए हैं। 

सीएम ने कोरोना की व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया

हरिओम उपाध्याय                  
गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी ने कलेक्ट्रेट परिसर स्थित इंडिकेटेड कंट्रोल रूम और वीर बहादुर सिंह स्पोर्ट कॉलेज में बनाए गए लेवल-2 अस्पताल में 100 बेड के कोविड-19 की व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। शनिवार को मुरादाबाद व बरेली तथा रविवार को बनारस स्थित कोविड-19 कंट्रोल रूम के निरीक्षण के बाद गोरखपुर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कोरोना इंडिकेटेड सेंटर व अस्पतालों का निरीक्षण कर अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया। निरीक्षण के दौरान वहां मौजूद स्टॉफ से बातचीत भी की। स्थिति की जानकारी ली। वीर बहादुर सिंह स्पोर्ट कॉलेज में बनाए गए लेवल-2 के महिला छात्रावास में 150 बेड़ व स्पोर्ट्स कॉलेज के मेस डायनिंग हॉल में 50 बेडों का निरीक्षण किया। भर्ती होने वाले हर मरीज को कोविड-19 की सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
 उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में कोरोना मरीज की मृत्यु नहीं होनी चाहिए। सभी को समुचित व्यवस्थाओं के साथ दवा उपलब्ध करते रहना है। सख्त लहजे में अधिकारियों को हिदायत दिया कि हर कोविड-19 मरीज को जरूरत पड़ने पर ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराई जाए। लापरवाही क्षम्य नहीं है। भले ही वह मरीज होम आइसोलेशन में ही क्यों न हो। सरकारी अस्पतालों के साथ प्राइवेट अस्पतालों में भी किसी भी मरीज को किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आनी चाहिए। यह सभी अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि हर कोरोना मरीजों को बचाने को प्राथमिकता दें।

जमानत याचिका पर सुनवाई, नोटिस जारी किया

अकांशु उपाध्याय             
नई दिल्ली। दिल्ली के साकेत कोर्ट ने ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स की बरामदगी के मामले में आरोपित नवनीत कालरा की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कालरा को कोई राहत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को कल यानि 11 मई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। दिल्ली पुलिस नवनीत कालरा की तलाश कर रही है।
 बता दें कि दिल्ली पुलिस ने खान मार्केट के एक रेस्टोरेंट से ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर बरामद दिया था। उसके बाद पुलिस ने छतरपुर में छापा मारकर एक आरोपी को गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस ने 387 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर मैट्रिक्स सेलुलर कंपनी के वेयरहाउस से बरामद किया था। 
 पिछले 6 मई को पुलिस ने लोधी कॉलोनी के एक रेस्टोरेंट से 419 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर जब्त किया था। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में गौरव, सतीश सेठी, विक्रांत और हितेश को गिरफ्तार किया था। इन चारों ने मैट्रिक्स सेलुलर के छतरपुर स्थित वेयरहाउस का खुलासा किया था। पिछले 7 मई को दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट को बताया था कि रेस्टोरेंट से 105 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर बरामद किए गए हैं। इसके अलावा टाऊन हॉल नामक एक दूसरे रेस्टोरेंट से 96 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर जब्त किया गया था।

पर्वत माउंट एवरेस्ट पर सीमा रेखा खींचेगा 'चीन'

बीजिंग। चीन दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट पर सीमा रेखा खींचेगा। ताकि नेपाल से आने वाले पर्वतरोहियों को अपने इलाके में आने से रोका जा सके। चीन के सरकारी मीडिया ने इस कदम के लिए कोरोना वायरस महामारी को वजह बताया है। इस कार्य के तिब्बती पर्वतारोहियों का समूह बनाया जाएगा।सरकारी संवाद एजेंसी शिन्हुआ ने बताया कि चीन की ओर से पर्वतरोहियों के चोटी पर पहुंचने से पहले रेखा बनाई जाएगी। हालांकि, आभी यह स्पष्ट नहीं है कि चीन द्वारा यह विभाजन रेखा किस चीज से बनाई जाएगी। उत्तर में चीन की ओर से चोटी की चढ़ाई करने वाले पर्वतरोहियों को इस विभाजन रेखा को पार करने से रोका जाएगा ताकि वे दक्षिण की ओर से चढ़ाई करने वाले किसी व्यक्ति या वस्तु या नेपाली के संपर्क में नहीं आएं। नेपाल सरकार या पर्वतारोहण अधिकारियों ने इस विभाजन रेखा को लेकर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।गौरतलब है कि पिछले साल कोरोना वायरस महामारी के चलते नेपाल और चीन ने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई पर रोक लगा दी थी लेकिन इस साल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नेपाल ने 408 विदेशियों को माउंट एवरेस्ट की चोटी फतह करने की अनुमति दी थी। शिन्हुआ के मुताबिक, 21 चीनी पर्वतरोहियों को उत्तरी हिस्से से एवरेस्ट की चढ़ाई करने की अनुमति दी गई है। चीन में जहां कोरोना वायरस के संक्रमण पर काफी हद तक लगाम लगी हुई है। वहीं नेपाल में इस बीमारी के मामलों में इन दिनों तेजी आई है।

यूके: 10वीं-12वीं बोर्ड का रिजल्ट घोषित किया

यूके: 10वीं-12वीं बोर्ड का रिजल्ट घोषित किया  पंकज कपूर  रामनगर। उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद ने मंगलवार को 10वीं और 12वीं बोर्ड का रिजल...